“हमने दुनिया के सामने – एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य की परिकल्पना रखी है; इसमें सभी प्राणियों – मानव, पशु या पौधे सबके लिये समग्र स्वास्थ्य सम्मिलित है”
“चिकित्सा उपचार को सस्ता बनाना हमारी सरकार की उच्च प्राथमिकता रही है”
“आयुष्मान भारत और जन औषधीय योजनाओं ने निर्धन तथा मध्य वर्गों के मरीजों की एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत की है”
“पीएम-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन न केवल नये अस्पतालों की वृद्धि कर रहा है, बल्कि वह एक नई और सम्पूर्ण स्वास्थ्य इको-प्रणाली भी तैयार कर रहा है”
“स्वास्थ्य-सुविधा में प्रौद्योगिकी पर ध्यान देना उद्यमियों के लिये महान अवसर है और इससे सार्वभौमिक स्वास्थ्य-सुविधा के लिये हमारे प्रयासों को बल मिलेगा”
“आज फार्मा सेक्टर के बाजार का आकार चार लाख करोड़ रुपये का है; निजी सेक्टर और अकादमिक जगत के बीच उचित तालमेल से यह 10 लाख करोड़ रुपये तक का हो सकता है”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज ‘स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान’ पर बजट-उपरांत वेबिनार को सम्बोधित किया। केंद्रीय बजट 2023 में घोषित होने वाली पहलों के कारगर क्रियान्वयन के लिये सुझाव और विचार आमंत्रित करने के क्रम में सरकार द्वारा आयोजित 12 बजट-उपरांत वेबिनारों में से यह नौवां वेबिनार है।

उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधा को कोविड-पूर्व और कोविड-उपरांत महामारी परिदृश्य में देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि महामारी ने समृद्ध देशों तक की परीक्षा ली है। उन्होंने कहा कि महामारी के कारण पूरी दुनिया का ध्यान स्वास्थ्य पर गया, इसी क्रम में भारत ने एक कदम आगे बढ़ाते हुये आरोग्य पर अपना ध्यान लगाया। प्रधानमंत्री ने कहा, “इसीलिये हमने दुनिया के सामने – एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य की परिकल्पना रखी है। इसमें सभी प्राणियों – मानव, पशु या पौधे सबके लिये समग्र स्वास्थ्य सम्मिलित है।”

प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान आपूर्ति श्रृंखला के बारे में मिले सबक को दोहराया और कहा कि यह चिंता का बड़ा कारण बन गया है। उन्होंने इस सच्चाई पर अफसोस प्रकट किया कि दवा, टीके और मेडिकल उपकरणों जैसे प्राणरक्षक उपाय उसी समय मोर्चे पर लगाये गये, जब महामारी अपने चरम पर थी। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि पिछले बजट में सरकार ने लगातार कोशिश की कि दूसरे देशों पर भारत की निर्भरता कम हो। उन्होंने इस मामले में सभी हितधारकों की भूमिका पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता के बाद अनेक दशकों तक स्वास्थ्य के लिये एकीकृत दीर्घकालिक परिकल्पना के अभाव का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य का मुद्दा स्वास्थ्य मंत्रालय तक सीमित न करके अब हम सम्पूर्ण-सरकार की सोच को आगे बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि आयुष्मान भारत के जरिये मुफ्त इलाज उपलब्ध कराके गरीब मरीजों की लगभग 80 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है। इस क्रम में उन्होंने कहा, “चिकित्सा उपचार को सस्ता बनाना हमारी सरकार की उच्च प्राथमिकता रही है।” सात मार्च को जन औषधि दिवस के रूप में मनाये जाने का उल्लेख करते हुये प्रधानमंत्री ने इंगित किया कि 9000 जन औषधि केंद्रों के जरिये उपलब्ध कराई जाने वाली सस्ती दवाओं ने देश के निर्धन और मध्य वर्गों के लगभग 20 हजार करोड़ रुपये बचाये हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि केवल इन दो योजनाओं से ही नागरिकों का एक लाख करोड़ रुपया बचा है।

प्रधानमंत्री ने गंभीर रोगों के इलाज के लिये मजबूत स्वास्थ्य अवसंरचना के महत्त्व को रेखांकित किया। सरकार की प्रमुख प्राथमिकता को रेखांकित करते हुये प्रधानमंत्री ने बताया कि देशभर में घरों के निकट 1.5 लाख से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों को विकसित किया जा रहा है, ताकि जांच केंद्र और प्राथमिक उपचार उपलब्ध हो सके। उन्होंने यह भी बताया कि मधुमेह, कैंसर और हृदय सम्बंधी रोगों जैसे गंभीर मामलों की स्क्रीनिंग की सुविधायें भी इन केंद्रों में उपलब्ध होगी। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि पीएम-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के तहत गंभीर स्वास्थ्य अवसंरचना छोटे शहरों और गांवों तक पहुंचाई जा रही है, जिससे न केवल नये अस्पतालों की वृद्धि हो रही है, बल्कि एक नई और सम्पूर्ण स्वास्थ्य इको-प्रणाली भी तैयार हो रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य उद्यमियों, निवेशकों और कार्य-व्यावसायिकों के लिये अनेक अवसर बनाये जा रहे हैं।

इस सेक्टर में मानव संसाधनों के बारे में प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में 260 से अधिक नये मेडिकल कॉलेज खोले गये हैं। इसकी बदौलत 2014 की तुलना में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में सीटें दोगुनी हो गई हैं। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि इस वर्ष के बजट में नर्सिंग सेवा के क्षेत्र पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा, “मेडिकल कॉलेजों के पड़ोस में 157 नर्सिंग कॉलेजों का खोला जाना चिकित्सा मानव संसाधनों के दिशा में बड़ा कदम है। इस तरह यह न केवल घरेलू मांग, बल्कि दूसरे देशों की मांग को भी पूरा करने में भी उपयोगी होगी।”

प्रधानमंत्री ने चिकित्सा सेवाओं को लगातार सुगम बनाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका को रेखांकित किया और बताया कि इस सेक्टर में प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन पर सरकार पूरा ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा, “डिजिटल स्वास्थ्य पहचान-पत्र की सुविधा के जरिये हम नागरिकों को समय पर स्वास्थ्य सुविधा देना चाहते हैं। ई-संजीवनी जैसी योजनाओं के जरिये 10 करोड़ लोगों को टेली-परामर्श से लाभ पहुंच चुका है।” उन्होंने कहा कि 5-जी, स्टार्ट-अप के लिये इस क्षेत्र में नये अवसर पैदा कर रहा है। दवा आपूर्ति और जांच सेवाओं में ड्रोन क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं। उन्होंने कहा, “उद्यमियों के लिये यह बहुत बड़ा अवसर है और इससे सार्वभौमिक स्वास्थ्य-सुविधा के लिये हमारे प्रयासों को भी बल मिलेगा।” इस क्रम में उन्होंने किसी भी प्रौद्योगिकी का आयात न करने पर उद्यमियों की सराहना की। इस सम्बंध में प्रधानमंत्री ने आवश्यक संस्थागत प्रतिक्रिया की जरूरत गिनाई। उन्होंने चिकित्सा उपकरण सेक्टर में नई योजनाओं के बारे में बताया। उन्होंने बल्क ड्रग पार्कों, चिकित्सा उपकरण पार्कों और पीएलआई योजनाओं पर 30 हजार करोड़ रुपये की धनराशि का उल्लेख किया और कहा कि पिछले कुछ वर्षों में चिकित्सा उपकरणों में 12-14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होंने बताया कि यह आने वाले वर्षों में यह बाजार चार लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जायेगा। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने भावी चिकित्सा प्रौद्योगिकी तथा उच्चकोटि के निर्माण व अनुसंधान के लिये कुशल श्रमशक्ति पर काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि आईआईटी जैसे संस्थानों में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग जैसे पाठ्यक्रम चलाये जायेंगे। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि उद्योग-अकादमिक जगत और सरकारी सहयोग का रास्ता तलाश करें।

भारत के फार्मा सेक्टर पर दुनिया के बढ़ते भरोसे को रेखांकित करते हुये प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि हमें इस अवसर का फायदा उठाना चाहिये और भारत की इस छवि को कायम रखने के लिये काम करना चाहिये। उन्होंने बताया कि एक नया कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है, ताकि उत्कृष्टता केंद्रों के जरिये फार्मा सेक्टर में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दिया जाये। इससे अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी और रोजगार के नये अवसर भी पैदा होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, “आज फार्मा सेक्टर का बाजार आकार चार लाख करोड़ रुपये का है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निजी सेक्टर और अकादमिक जगत के बीच उचित तालमेल की जरूरत है, क्योंकि उसके पास इस बाजार को 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक तक बढ़ाने की क्षमता है। प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि फार्मा सेक्टर को निवेस के अहम क्षेत्रों की पहचान करें। इस सेक्टर में अनुसंधान को बढ़ाने के लिये सरकार द्वारा उठाये जाने वाले अनेक कदमों को रेखांकित करते हुये प्रधानमंत्री ने बताया कि आईसीएमआर द्वारा अनेक प्रयोगशालाओं को अनुसंधान उद्योग के लिये खोल दिया गया है।

श्री मोदी ने निवारक स्वास्थ्य-सुविधा पर सरकारी प्रयासों के प्रभाव की चर्चा की। उन्होंने स्वच्छता के लिये स्वच्छ भारत अभियान, धुएं से होने वाले रोगों की रोकथाम के लिये उज्ज्वला योजना, पानी से पैदा होने वाले रोगों की रोकथाम के लिये जल जीवन मिशन तथा खून की कमी और कुपोषण से निपटने के लिये राष्ट्रीय पोषण मिशन का हवाला दिया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष में मोटे अनाजों – श्री अन्न की भूमिका का उल्लेख भी किया। उन्होंने कहा कि इसी तरह पीएम मातृ वंदना योजना, मिशन इंद्रधनुष, योग, फिट इंडिया मूवमेन्ट और आयुर्वेद लोगों को इन रोगों से बचा रहे हैं। भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के तत्त्वावधान में पारंपरिक औषधि के लिये वैश्विक केंद्र स्थापित करने के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने आयुर्वेद में प्रमाणाधारित अनुसंधान के लिये अपने आग्रह को दोहराया।

श्री मोदी ने आधुनिक चिकित्सा अवसंरचना से चिकित्सा मानव संसाधनों के विषय में सरकार द्वारा किये जाने वाले प्रयासों को रेखांकित किया और कहा कि अपने नागरिकों के लिये नई क्षमताएं केवल स्वास्थ्य सुविधाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनका लक्ष्य भारत को दुनिया का सबसे आकर्षक चिकित्सा पर्यटक गंतव्य भी बनाना है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा पर्यटन भारत का विशाल सेक्टर है और वह देश में रोजगार सृजन के लिये एक विशाल माध्यम बनता जा रहा है।

अपने वक्तव्य का समापन करते हुये प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि विकसित स्वास्थ्य और आरोग्य इको-प्रणाली केवल भारत में सबके प्रयास से ही तैयार हो सकती है। उन्होंने सभी हितधारकों से अनुरोध किया कि वे इसके लिये अपने अमूल्य सुझाव दें। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा, “हमें ठोस रोड-मैप के साथ तयशुदा लक्ष्यों के लिये समय के भीतर बजट प्रावधानों को क्रियान्वित करने में सक्षम होना होगा। अगले बजट के पहले सभी सपनों को साकार करते हुये सभी हितधारकों को साथ लेकर चलने के लिये आपके अनुभवों की जरूरत होगी।”

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झारखंड की प्रगति के लिए केंद्र ने निवेश बढ़ाया और विकास कार्यों की रफ्तार तेज की: टाटानगर में पीएम मोदी
September 15, 2024
Flags off Six Vande Bharat trains enhancing connectivity
Distributes sanction letters to 32,000 Pradhan Mantri Awas Yojana-Gramin (PMAY-G) beneficiaries and releases first installment of assistance of Rs 32 crore
Participates in Griha Pravesh celebrations of 46,000 beneficiaries
“Jharkhand has the potential to become the most prosperous state of India, Our government is committed to developed Jharkhand and developed India”
“Mantra of 'Sabka Saath, Sabka Vikas' has changed the thinking and priorities of the country”
“Expansion of rail connectivity in eastern India will boost the economy of the entire region”
“PM Janman Yojana is being run for tribal brothers and sisters across the country”

झारखंड के राज्यपाल श्री संतोष गंगवार जी, कैबिनेट में मेरे सहयोगी शिवराज सिंह चौहान जी, अन्नपूर्णा देवी जी, संजय सेठ जी, सांसद विद्युत महतो जी, राज्य सरकार के मंत्री इरफ़ान अंसारी जी, झारखंड भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी जी, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष सुदेश महतो जी, विधायक गण, अन्य महानुभाव,भाइयों और बहनों।

मैं बाबा वैद्यनाथ और बाबा बासुकीनाथ के चरणों में प्रणाम करता हूं। मैं भगवान बिरसा मुंडा की वीर भूमि को भी नमन करता हूं। आज बहुत ही मंगल दिन है। इस समय झारखंड में प्रकृति पूजा के पर्व कर्मा की उमंग है। आज सुबह जब में रांची एयरपोर्ट पर पहुंचा तो एक बहन ने कर्मा पर्व के प्रतीक इस जावा से मेरा स्वागत किया। इस पर्व में बहनें अपने भाई की कुशलता की कामना करती हैं। मैं झारखंड के लोगों को कर्मा पर्व की बधाई देता हूं। आज इस शुभ दिन झारखंड को विकास का नया आशीर्वाद मिला है। 6 नई वंदेभारत ट्रेनें, साढ़े 6 सौ करोड़ से ज्यादा की रेलवे परियोजनाएं, कनेक्टिविटी और यात्रा सुविधाओं का विस्तार और इस सबके साथ-सा झारखंड के हजारों लोगों को पीएम-आवास योजना के तहत अपना पक्का घर..... मैं झारखंड की जनता जनार्दन को इन सभी विकास कार्यों के लिए बधाई देता हूँ। इन वंदेभारत ट्रेनों से जो और राज्य भी जुड़ रही हैं, मैं उन सभी को भी बधाई देता हूँ।

साथियों,

एक समय था जब आधुनिक सुविधाएं, आधुनिक विकास देश के केवल कुछ शहरों तक सीमित रहता था। झारखंड जैसे राज्य, आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर और विकास के मामले में पीछे छूट गए थे। लेकिन,‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र ने देश की सोच और प्राथमिकताओं को बदल दिया है। अब देश की प्राथमिकता देश का गरीब है। अब देश की प्राथमिकता देश का आदिवासी है। अब देश की प्राथमिकता देश का दलित, वंचित और पिछड़ा समाज है। अब देश की प्राथमिकता महिलाएं हैं,युवा हैं,किसान हैं। इसीलिए, आज दूसरे राज्यों की तरह ही झारखंड को वंदेभारत जैसी हाइटेक ट्रेनें मिल रही हैं, आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर मिल रहा है।

साथियों,

आज तेज विकास के लिए हर राज्य, हर शहर वंदेभारत जैसी हाइस्पीड ट्रेन चाहता है। अभी कुछ ही दिन पहले मैंने उत्तर और दक्षिण के राज्यों के लिए 3 नई वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई थी। और आज, टाटानगर से पटना, टाटानगर से ओडिशा के ब्रह्मपुर, ⁠⁠राउरकेला से टाटानगर होते हुए हावड़ा, भागलपुर से दुमका होते हुए हावड़ा, देवघर से गया होते हुए वाराणसी, और ⁠गया से कोडरमा-पारसनाथ-धनबाद होते हुए हावड़ा के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस की सेवाएं शुरू हुई है। और अभी जब मंच पर आवास वितरण का कार्यक्रम चल रहा था, उसी समय मैंने झंडी दिखाकर के इन सभी वंदे भारत ट्रेनों को विदाई भी दे दी और वो अपने गंतव्य स्थान पर चल पड़ी हैं। पूर्वी भारत में रेल कनेक्टिविटी के विस्तार से इस पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इन ट्रेनों से कारोबारियों, छात्रों को बहुत लाभ होगा। इससे यहां आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियां भी तेज होंगी। आप सभी जानते हैं...आज देश और दुनिया से लाखों की संख्या में श्रद्धालु काशी आते हैं। काशी से देवघर के लिए वन्देभारत ट्रेनों की सुविधा होगी, तो उनमें से बड़ी संख्या में लोग बाबा वैद्यनाथ के भी दर्शन करने जाएंगे। इससे यहाँ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। टाटानगर तो देश का इतना बड़ा औद्योगिक केंद्र है। यातायात की अच्छी सुविधा यहाँ के औद्योगिक विकास को और गति देगी। पर्यटन और उद्योगों को बढ़ावा मिलने से झारखंड के युवाओ के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

साथियों,

तेज विकास के लिए आधुनिक रेल इनफ्रास्ट्रक्चर उतना ही जरूरी है। इसीलिए, आज यहां कई नए प्रोजेक्ट्स भी शुरू किए गए हैं। मधुपुर बाईपास लाइन की आधारशिला रखी गई है। इसके तैयार होने के बाद हावड़ा-दिल्ली मुख्य लाइन पर ट्रेनों को रोकने की जरूरत नहीं होगी। बाईपास लाइन शुरू होने से गिरिडीह और जसीडीह के बीच यात्रा का भी समय कम हो जाएगा। आज हजारीबाग टाउन कोचिंग डिपो की भी आधारशिला रखी गई है। इससे कई नई ट्रेन सेवाओं को शुरू करने में सुविधा होगी। कुरकुरा से कनारोआं तक रेल लाइन का दोहरीकरण होने से झारखंड में रेल कनेक्टिविटी और मजबूत हुई है। इस सेक्शन के दोहरीकरण का काम पूरा होने से अब स्टील उद्योग से जुड़े माल की ढुलाई और आसान हो जाएगी।

साथियों,

झारखंड के विकास के लिए केंद्र सरकार ने राज्य में निवेश भी बढ़ाया है, और काम की गति भी तेज की गई है। इस साल झारखंड में रेल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए 7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट दिया गया है। अगर हम इसकी तुलना 10 साल पहले मिलने वाले बजट से करें, तो ये 16 गुना ज्यादा है। रेल बजट बढ़ने का असर आप लोग देख रहे हैं, आज राज्य में नई रेल लाइंस बिछाने, उनके दोहरीकरण करने, और स्टेशनों पर आधुनिक सुविधाएं बढ़ाने का काम तेजी से हो रहा है। आज झारखंड भी उन राज्यों में शामिल हो गया है जहां रेलवे नेटवर्क का 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन हो चुका है। अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत झारखंड के 50 से अधिक रेलवे स्टेशनों का भी कायाकल्प किया जा रहा है।

साथियों,

आज यहां झारखंड के हजारों लाभार्थियों का पक्का घर बनाने के लिए, पहली किश्त जारी की गई है। पीएम आवास योजना के तहत हजारों लोगों को पक्का घर भी बनाकर दिया गया है। घर के साथ साथ उन्हें शौचालय, पानी, बिजली, गैस कनेक्शन की सुविधाएं भी दी गई है। हमें याद रखना है...जब एक परिवार को अपना घर मिलता है, तो उसका आत्मसम्मान बढ़ जाता है...वो अपना वर्तमान सुधारने के साथ ही बेहतर भविष्य के बारे में सोचने लगता है। उसे लगता है कि कुछ भी संकट हो तो भी उसके पास एक अपना घर तो रहेगा ही। और इससे झारखंड के लोगों को सिर्फ पक्के घर ही नहीं मिल रहे...पीएम आवास योजना से गांवों को और शहरों में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी तैयार हो रहे हैं।

साथियों,

2014 के बाद से देश के गरीब, दलित, वंचित और आदिवासी परिवारों को सशक्त बनाने के लिए कई बड़े कदम उठाए गए हैं। झारखंड समेत देशभर के आदिवासी भाई-बहनों के लिए पीएम जनमन योजना चलाई जा रही है। इस योजना के माध्यम से उन जनजातियों तक पहुंचने की कोशिश हो रही है, जो बहुत पिछड़े हैं। ऐसे परिवारों को घर, सड़क, बिजली-पानी और शिक्षा देने के लिए अधिकारी खुद उन तक पहुंचते हैं। ये प्रयास विकसित झारखंड के हमारे संकल्पों का हिस्सा है। मुझे विश्वास है, आप सबके आशीर्वाद से ये संकल्प जरूर पूरे होंगे, हम झारखंड के सपनों को साकार करेंगे। इस कार्यक्रम के बाद मैं एक और विशाल जनसभा में भी जा रहा हूँ। 5-10 मिनट में ही मैं वहां पहुंच जाऊंगा। वहाँ बहुत बड़ी संख्या में लोग मेरा इंतज़ार कर रहे हैं। वहाँ मैं विस्तार से झारखंड से जुड़े दूसरे विषयों पर भी बात करूंगा। लेकिन मैं झारखंडवासियों की क्षमा भी मांगता हूं क्योंकि मैं रांची तो पहुंच गया लेकिन प्रकृति ने मेरा साथ नहीं दिया और इसलिए यहां से हेलिकॉप्टर निकल नहीं पा रहा है। वहां पहुंच नहीं पा रहा है और इसके कारण मैं वीडियो कान्फ्रेंस से इन सारे कार्यक्रमों का आज उद्धघाटन और लोकार्पण कर रहा हूं। और अभी सार्वजनिक सभा में भी मैं सबसे वीडियो कान्फ्रेंस जी भरकर के बहुत सी बातें करने वाला हूं। मैं फिर एक बार आप सभी यहाँ आए, इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं। नमस्कार।