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“अमृत काल के इस बजट ने हरित विकास की गति को तेज किया है”
“इस सरकार का हर बजट वर्तमान चुनौतियों का समाधान खोजने के साथ-साथ नए युग के सुधारों को आगे बढ़ता रहा है”
“हरित ऊर्जा को लेकर इस बजट में की गई घोषणाएं भावी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य की आधारशिला हैं और उसके लिए मार्ग प्रशस्त करती हैं”
“यह बजट वैश्विक हरित ऊर्जा बाजार में भारत को एक अगुआ के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा”
“भारत 2014 के बाद से नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तेज गति से बढ़ाने के मामले में विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे आगे रहा है”
“भारत में सौर, पवन और बायोगैस की क्षमता हमारे निजी क्षेत्र के लिए किसी सोने की खान या तेल क्षेत्र से कम नहीं है”
“भारत की वाहनों के स्क्रैप संबंधी नीति हरित विकास की रणनीति का एक अहम हिस्सा है”
“भारत में हरित ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करने की अपार क्षमता है। यह हरित रोजगार सृजित करने के अलावा वैश्विक कल्याण को आगे बढ़ाएगा।”
“यह बजट एक अवसर ही नहीं, बल्कि हमारे भविष्य की सुरक्षा की गारंटी भी है”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज ‘हरित विकास’ पर बजट उपरांत वेबिनार को संबोधित किया। यह वेबिनार केन्द्रीय बजट 2023 में घोषित की गई विभिन्न पहल के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए विचारों एवं सुझावों की खोज के उद्देश्य से सरकार द्वारा आयोजित 12 बजट उपरांत वेबिनारों की श्रृंखला की पहली कड़ी है।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के बाद देश में प्रस्तुत किए गए सभी बजट वर्तमान चुनौतियों का समाधान खोजने के साथ-साथ नए युग के सुधारों को आगे बढ़ाते रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने हरित विकास और ऊर्जा संचरण के तीन स्तंभों का उल्लेख किया। इन स्तंभों में पहला, नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाना; दूसरा, अपनी अर्थव्यवस्था में जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करना; और आखिरी, देश को तेजी से गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ाना शामिल है। इस रणनीति ने पिछले कुछ वर्षों के बजट में इथेनॉल ब्लेंडिंग, पीएम कुसुम योजना, सोलर मैन्यूफैक्चरिंग के लिए प्रोत्साहन, रूफटॉप सोलर स्कीम, कोयला गैसीकरण और बैटरी स्टोरेज जैसे उपायों की घोषणाओं को रेखांकित किया है। पिछले वर्षों के विभिन्न बजटों में की गई महत्वपूर्ण घोषणाओं को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस वर्ष के बजट में उद्योगों के लिए हरित ऋण, किसानों के लिए पीएम प्रणाम योजना, गांवों के लिए गोबर-धन योजना, शहरों के लिए वाहन स्क्रैपिंग नीति, हरित हाइड्रोजन और आर्द्रभूमि संरक्षण जैसी योजनाओं पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि ये घोषणाएं भावी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य की आधारशिला हैं और उसके लिए मार्ग प्रशस्त करती हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की अग्रणी स्थिति दुनिया में एक अनुकूल परिवर्तन सुनिश्चित करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा , “यह बजट वैश्विक हरित ऊर्जा बाजार में भारत को एक अगुआ के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसीलिए, आज मैं ऊर्जा जगत के प्रत्येक हितधारक को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित करता हूं।” ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला के विविधीकरण की दिशा में चल रहे वैश्विक स्तर के प्रयासों का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बजट ने प्रत्येक हरित ऊर्जा निवेशक को भारत में निवेश करने का एक बड़ा अवसर प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि यह बजट इस क्षेत्र से जुड़े स्टार्टअप के लिए भी बेहद उपयोगी साबित होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत 2014 के बाद से नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तेज गति से बढ़ाने के मामले में विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे आगे रहा है।” उन्होंने कहा कि जब नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों की बात आती है तो भारत का ट्रैक रिकॉर्ड समय से पहले उद्देश्यों को प्राप्त करने की क्षमता को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने लक्ष्य तिथि से 9 साल पहले स्थापित बिजली क्षमता में गैर-जीवाश्म ईंधन से 40 प्रतिशत योगदान का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत ने समय से 5 महीने पहले पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने के लक्ष्‍य को हासिल कर लिया है और जोर देकर कहा कि देश 2030 के बजाय 2025-26 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने का लक्ष्‍य हासिल करने का प्रयास करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि 2030 तक 500 जीडब्‍ल्‍यू की क्षमता प्राप्त की जाएगी। ई20 ईंधन की शुरुआत को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने जैव ईंधन पर सरकार के जोर का उल्लेख किया और कहा कि यह निवेशकों के लिए नए अवसर लेकर आया है। उन्होंने देश में कृषि-अपशिष्ट की प्रचुरता को ध्‍यान में रखते हुए निवेशकों से आग्रह किया कि वे देश के हर कोने में इथेनॉल संयंत्र स्थापित करने का अवसर न चूकें। प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत में सौर, पवन और बायोगैस की क्षमता हमारे निजी क्षेत्र के लिए किसी सोने की खान या तेल क्षेत्र से कम नहीं है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत, भारत 5 एमएमटी हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए 19 हजार करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। उन्होंने अन्य अवसरों जैसे इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण, ग्रीन स्टील निर्माण और लंबी दौड़ के ईंधन सेल जैसे अवसरों को भी छुआ।

प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि भारत में गोबर (गाय के गोबर) से 10 हजार मिलियन क्यूबिक मीटर बायोगैस और 1.5 लाख क्यूबिक मीटर गैस का उत्पादन करने की क्षमता है जो देश में सिटी गैस वितरण में 8 प्रतिशत तक योगदान कर सकती है। इन संभावनाओं के कारण, आज गोबर-धन योजना भारत की जैव ईंधन रणनीति का एक महत्वपूर्ण घटक है। इस बजट में, सरकार ने गोबर-धन योजना के तहत 500 नए संयंत्र स्थापित करने की योजना की घोषणा की है। ये पुराने संयंत्रों की तरह नहीं हैं। उन्‍होंने कहा, इन आधुनिक संयंत्रों पर सरकार 10,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी।" प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि कृषि-अपशिष्ट और नगरपालिका के ठोस कचरे से सीबीजी के उत्पादन के लिए निजी क्षेत्र को आकर्षक प्रोत्साहन मिल रहा है।

भारत की वाहन स्क्रैपिंग नीति पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि यह हरित विकास रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने बताया कि सरकार ने इस वर्ष के बजट में केन्‍द्र और राज्य सरकारों के स्वामित्व वाले 15 साल से पुराने लगभग 3 लाख वाहनों को स्क्रैप करने के लिए 3000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जिनमें पुलिस वाहन, एंबुलेंस और बसें शामिल हैं। पुन: उपयोग, पुनर्चक्रण और पुनर्प्राप्ति के सिद्धांत का पालन करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, "वाहन स्क्रैपिंग एक बड़ा बाजार बनने जा रहा है"। उन्‍होंने इस बात पर भी जोर दिया कि यह हमारी सर्कुलर इकोनॉमी को नई ताकत देगा और भारत के युवाओं से सर्कुलर इकोनॉमी के विभिन्न माध्यमों से जुड़ने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को अगले 6-7 वर्षों में अपनी बैटरी भंडारण क्षमता को 125-गीगावाट घंटे तक बढ़ाना है। प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार इस बजट में बैटरी डेवलपर्स की सहायता के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्त पोषण योजना लेकर आई है ताकि पूंजी-गहन क्षेत्र में बड़े लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।

प्रधानमंत्री ने भारत में जल-आधारित परिवहन के एक विशाल क्षेत्र बनने पर भी बात की। उन्होंने बताया कि भारत आज अपने तटीय मार्ग से केवल 5 प्रतिशत कार्गो का परिवहन करता है जबकि अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से भारत में केवल 2 प्रतिशत कार्गो का परिवहन किया जाता है। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि भारत में जलमार्ग का विकास इस क्षेत्र में सभी हितधारकों के लिए अनेक अवसरों को जन्म देगा।

संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हरित ऊर्जा के लिए प्रौद्योगिकी की बात आती है तो भारत में दुनिया का नेतृत्व करने की विशाल क्षमता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह हरित रोजगार पैदा करने के अलावा वैश्विक कल्याण को आगे बढ़ाएगा। "यह बजट न केवल एक अवसर है, बल्कि इसमें हमारे भविष्य की सुरक्षा की गारंटी भी है", प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने सभी हितधारकों से बजट के प्रत्‍येक प्रावधान को लागू करने के लिए शीघ्रता से कार्य करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने अंत में कहा, "सरकार आपके और आपके सुझावों के साथ खड़ी है"।

पृष्ठभूमि

केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के नेतृत्व में इस वेबिनार में छह अलग-अलग सत्र होंगे, जिनमें हरित विकास के ऊर्जा और गैर-ऊर्जा घटकों को शामिल किया जाएगा। केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों के मंत्रियों और सचिवों के अलावा, राज्य सरकारों, उद्योग जगत, शिक्षा जगत, अनुसंधान संस्थानों और सार्वजनिक उद्यमों के विभिन्न हितधारक इन वेबिनारों में भाग लेंगे और बजटीय घोषणाओं के बेहतर कार्यान्वयन के लिए सुझाव देने के माध्यम से योगदान देंगे।

हरित विकास केंद्रीय बजट 2023-24 की सात शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक है, ताकि देश में हरित औद्योगिक और आर्थिक बदलाव, पर्यावरण-अनुकूल कृषि व सतत ऊर्जा की शुरुआत हो सके। इनसे बड़ी संख्या में हरित रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा। केंद्रीय बजट में विभिन्न क्षेत्रों और मंत्रालयों के लिए कई परियोजनाओं और पहलों की परिकल्पना की गई है: हरित हाइड्रोजन मिशन, ऊर्जा के स्रोतों में बदलाव, ऊर्जा भंडारण परियोजनाएं, नवीकरणीय ऊर्जा निकासी, ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम, पीएम-प्रणाम, गोबर-धन योजना, भारतीय प्राकृतिक खेती जैव-इनपुट संसाधन केंद्र, मिष्टी, अमृत धारोहर, तटीय नौवहन और वाहन प्रतिस्थापन।

बजट के बाद होने वाले प्रत्येक वेबिनार में तीन सत्र होंगे। इसकी शुरुआत पूर्ण उद्घाटन सत्र से होगी, जिसे प्रधानमंत्री संबोधित करेंगे। इस सत्र के बाद विभिन्न विषयों पर अलग-अलग सत्र होंगे, जिन्हें समानांतर रूप से आयोजित किया जाएगा। अंत में, विभिन्न सत्रों की मुख्य बातों को समापन के पूर्ण सत्र के दौरान प्रस्तुत किया जायेगा। वेबिनार के दौरान प्राप्त इनपुट के आधार पर संबंधित मंत्रालय बजट घोषणाओं के कार्यान्वयन के लिए एक समयबद्ध कार्य योजना तैयार करेंगे।

सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कई बजटीय सुधार किए हैं। बजट की तारीख 1 फरवरी कर दी गई है, ताकि मानसून की शुरुआत से पहले मंत्रालयों और विभागों को जमीनी स्तर पर धनराशि के उपयोग के लिए पर्याप्त समय मिल सके। बजट कार्यान्वयन में सुधार लाने की दिशा में एक और कदम था- बजट के बाद वेबिनार का आयोजन। इस विचार की परिकल्पना प्रधानमंत्री द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य है - सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों, शिक्षा जगत, उद्योग जगत और विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत लोगों को एक मंच पर लाना और विभिन्न क्षेत्रों के लिए कार्यान्वयन रणनीतियों पर सहयोगात्मक रूप से काम करना। ये वेबिनार 2021 में जनभागीदारी की भावना से शुरू किए गए थे और बजट घोषणाओं के प्रभावी, त्वरित और निर्बाध कार्यान्वयन के लिए सभी संबंधित हितधारकों की हिस्सेदारी और स्वामित्व को प्रोत्साहित करते हैं।

वेबिनार में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों तथा सभी संबंधित हितधारकों के त्रैमासिक लक्ष्यों के साथ कार्य योजनाओं की तैयारी के प्रयासों में आपसी तालमेल पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, ताकि कार्यान्वयन को सुचारु रूप में पूरा किया जा सके और इच्छित परिणामों को समय पर हासिल किया जा सके। व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इन्हें वर्चुअल रूप में आयोजित किया जाएगा। इनमें संबंधित केंद्रीय मंत्री, सरकारी विभागों के प्रमुख हितधारक, नियामक, शिक्षा जगत, व्यापार जगत और उद्योग संघ आदि शामिल होंगे।

 

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Tamil Nadu has been a bastion of Indian nationalism: PM Modi
May 27, 2023
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“Tamil Nadu has been a bastion of Indian nationalism”
“Under the guidance of Adheenam and Raja Ji we found a blessed path from our sacred ancient Tamil Culture - the path of transfer of power through the medium of Sengol”
“In 1947 Thiruvaduthurai Adheenam created a special Sengol. Today, pictures from that era are reminding us about the deep emotional bond between Tamil culture and India's destiny as a modern democracy”
“Sengol of Adheenam was the beginning of freeing India of every symbol of hundreds of years of slavery”
“it was the Sengol which conjoined free India to the era of the nation that existed before slavery”
“The Sengol is getting its deserved place in the temple of democracy”

नअनैवरुक्कुम् वणक्कम्

ऊँ नम: शिवाय, शिवाय नम:!

हर हर महादेव!

सबसे पहले, विभिन्न आदीनम् से जुड़े आप सभी पूज्य संतों का मैं शीश झुकाकर अभिनंदन करता हूं। आज मेरे निवास स्थान पर आपके चरण पड़े हैं, ये मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है। ये भगवान शिव की कृपा है जिसकी वजह से मुझे एक साथ आप सभी शिव भक्तों के दर्शन करने का मौका मिला है। मुझे इस बात की भी बहुत खुशी है कि कल नए संसद भवन के लोकार्पण के समय आप सभी वहां साक्षात आकर के आशीर्वाद देने वाले हैं।

पूज्य संतगण,

हम सभी जानते हैं कि हमारे स्वतंत्रता संग्राम में तमिलनाडु की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वीरमंगई वेलु नाचियार से लेकर मरुदु भाइयों तक, सुब्रह्मण्य भारती से लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ जुड़ने वाले अनेकों तमिल लोगों तक, हर युग में तमिलनाडु, भारतीय राष्ट्रवाद का गढ़ रहा है। तमिल लोगों के दिल में हमेशा से मां भारती की सेवा की, भारत के कल्याण की भावना रही है। बावजूद इसके, ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत की आजादी में तमिल लोगों के योगदान को वो महत्व नहीं दिया गया, जो दिया जाना चाहिए था। अब बीजेपी ने इस विषय को प्रमुखता से उठाना शुरू किया है। अब देश के लोगों को भी पता चल रहा है कि महान तमिल परंपरा और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक तमिलनाडु के साथ क्या व्यवहार हुआ था।

जब आजादी का समय आया, तब सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक को लेकर प्रश्न उठा था। इसके लिए हमारे देश में अलग-अलग परंपराएं रही हैं। अलग-अलग रीति-रिवाज भी रहे हैं। लेकिन उस समय राजाजी और आदीनम् के मार्गदर्शन में हमें अपनी प्राचीन तमिल संस्कृति से एक पुण्य मार्ग मिला था। ये मार्ग था- सेंगोल के माध्यम से सत्ता हस्तांतरण का। तमिल परंपरा में, शासन चलाने वाले को सेंगोल दिया जाता था। सेंगोल इस बात का प्रतीक था कि उसे धारण करने वाले व्यक्ति पर देश के कल्याण की जिम्मेदारी है और वो कभी कर्तव्य के मार्ग से विचलित नहीं होगा। सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर तब 1947 में पवित्र तिरुवावडुतुरै आदीनम् द्वारा एक विशेष सेंगोल तैयार किया गया था। आज उस दौर की तस्वीरें हमें याद दिला रही हैं कि तमिल संस्कृति और आधुनिक लोकतंत्र के रूप में भारत की नियति के बीच कितना भावुक और आत्मीय संबंध रहा है। आज उन गहरे संबंधों की गाथा इतिहास के दबे हुए पन्नों से बाहर निकलकर एक बार फिर जीवंत हो उठी है। इससे उस समय की घटनाओं को समझने का सही दृष्टिकोण भी मिलता है। और इसके साथ ही, हमें ये भी पता चलता है कि सत्ता के हस्तांतरण के इस सबसे बड़े प्रतीक के साथ क्या किया गया।

मेरे देशवासियों,

आज मैं राजाजी और विभिन्न आदीनम् की दूरदर्शिता को भी विशेष तौर पर नमन करूंगा। आदीनम के एक सेंगोल ने, भारत को सैकड़ों वर्षों की गुलामी के हर प्रतीक से मुक्ति दिलाने की शुरुआत कर दी थी। जब भारत की आजादी का प्रथम पल आया, आजादी का प्रथम पल, वो क्षण आया, तो ये सेंगोल ही था, जिसने गुलामी से पहले वाले कालखंड और स्वतंत्र भारत के उस पहले पल को आपस में जोड़ दिया था। इसलिए, इस पवित्र सेंगोल का महत्व सिर्फ इतना ही नहीं है कि ये 1947 में सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बना था। इस सेंगोल का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसने गुलामी के पहले वाले गौरवशाली भारत से, उसकी परंपराओं से, स्वतंत्र भारत के भविष्य को कनेक्ट कर दिया था। अच्छा होता कि आजादी के बाद इस पूज्य सेंगोल को पर्याप्त मान-सम्मान दिया जाता, इसे गौरवमयी स्थान दिया जाता। लेकिन ये सेंगोल, प्रयागराज में, आनंद भवन में, Walking Stick यानि पैदल चलने पर सहारा देने वाली छड़ी कहकर, प्रदर्शनी के लिए रख दिया गया था। आपका ये सेवक और हमारी सरकार, अब उस सेंगोल को आनंद भवन से निकालकर लाई है। आज आजादी के उस प्रथम पल को नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना के समय हमें फिर से पुनर्जीवित करने का मौका मिला है। लोकतंत्र के मंदिर में आज सेंगोल को उसका उचित स्थान मिल रहा है। मुझे खुशी है कि अब भारत की महान परंपरा के प्रतीक उसी सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। ये सेंगोल इस बात की याद दिलाता रहेगा कि हमें कर्तव्य पथ पर चलना है, जनता-जनार्दन के प्रति जवाबदेह बने रहना है।

पूज्य संतगण,

आदीनम की महान प्रेरक परंपरा, साक्षात सात्विक ऊर्जा का प्रतीक है। आप सभी संत शैव परंपरा के अनुयायी हैं। आपके दर्शन में जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना है, वो स्वयं भारत की एकता और अखंडता का प्रतिबिंब है। आपके कई आदीनम् के नामों में ही इसकी झलक मिल जाती है। आपके कुछ आदीनम् के नाम में कैलाश का उल्लेख है। ये पवित्र पर्वत, तमिलनाडु से बहुत दूर हिमालय में है, फिर भी ये आपके हृदय के करीब है। शैव सिद्धांत के प्रसिद्ध संतों में से एक तिरुमूलर् के बारे में कहा जाता है कि वो कैलाश पर्वत से शिव भक्ति का प्रसार करने के लिए तमिलनाडु आए थे। आज भी, उनकी रचना तिरुमन्दिरम् के श्लोकों का पाठ भगवान शिव की स्मृति में किया जाता है। अप्पर्, सम्बन्दर्, सुन्दरर् और माणिक्का वासगर् जैसे कई महान संतों ने उज्जैन, केदारनाथ और गौरीकुंड का उल्लेख किया है। जनता जनार्दन के आशीर्वाद से आज मैं महादेव की नगरी काशी का सांसद हूं, तो आपको काशी की बात भी बताऊंगा। धर्मपुरम आदीनम् के स्वामी कुमारगुरुपरा तमिलनाडु से काशी गए थे। उन्होंने बनारस के केदार घाट पर केदारेश्वर मंदिर की स्थापना की थी। तमिलनाडु के तिरुप्पनन्दाळ् में काशी मठ का नाम भी काशी पर रखा गया है। इस मठ के बारे में एक दिलचस्प जानकारी भी मुझे पता चली है। कहा जाता है कि तिरुप्पनन्दाळ् का काशी मठ, तीर्थयात्रियों को बैकिंग सेवाएं उपलब्ध कराता था। कोई तीर्थयात्री तमिलनाडु के काशी मठ में पैसे जमा करने के बाद काशी में प्रमाणपत्र दिखाकर वो पैसे निकाल सकता था। इस तरह, शैव सिद्धांत के अनुयायियों ने सिर्फ शिव भक्ति का प्रसार ही नहीं किया बल्कि हमें एक दूसरे के करीब लाने का कार्य भी किया।

पूज्य संतगण,

सैकड़ों वर्षों की गुलामी के बाद भी तमिलनाडु की संस्कृति आज भी जीवंत और समृद्ध है, तो इसमें आदीनम् जैसी महान और दिव्य परंपरा की भी बड़ी भूमिका है। इस परंपरा को जीवित रखने का दायित्व संतजनों ने तो निभाया ही है, साथ ही इसका श्रेय पीड़ित-शोषित-वंचित सभी को जाता है कि उन्होंने इसकी रक्षा की, उसे आगे बढ़ाया। राष्ट्र के लिए योगदान के मामले में आपकी सभी संस्थाओं का इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है। अब उस अतीत को आगे बढ़ाने, उससे प्रेरित होने और आने वाली पीढ़ियों के लिए काम करने का समय है।

पूज्य संतगण,

देश ने अगले 25 वर्षों के लिए कुछ लक्ष्य तय किए हैं। हमारा लक्ष्य है कि आजादी के 100 साल पूरे होने तक एक मजबूत, आत्मनिर्भर और समावेशी विकसित भारत का निर्माण हो। 1947 में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका से कोटि-कोटि देशवासी पुन: परिचित हुए हैं। आज जब देश 2047 के बड़े लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है तब आपकी भूमिका और महत्वपूर्ण हो गई है। आपकी संस्थाओं ने हमेशा सेवा के मूल्यों को साकार किया है। आपने लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने का, उनमें समानता का भाव पैदा करने का बड़ा उदाहरण पेश किया है। भारत जितना एकजुट होगा, उतना ही मजबूत होगा। इसलिए हमारी प्रगति के रास्ते में रुकावटें पैदा करने वाले तरह-तरह की चुनौतियां खड़ी करेंगे। जिन्हें भारत की उन्नति खटकती है, वो सबसे पहले हमारी एकता को ही तोड़ने की कोशिश करेंगे। लेकिन मुझे विश्वास है कि देश को आपकी संस्थाओं से आध्यात्मिकता और सामाजिकता की जो शक्ति मिल रही है, उससे हम हर चुनौती का सामना कर लेंगे। मैं फिर एक बार, आप मेरे यहां पधारे, आप सबने आशीर्वाद दिये, ये मेरा सौभाग्य है, मैं फिर एक बार आप सबका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ, आप सबको प्रणाम करता हूँ। नए संसद भवन के लोकार्पण के अवसर पर आप सब यहां आए और हमें आशीर्वाद दिया। इससे बड़ा सौभाग्य कोई हो नहीं सकता है और इसलिए मैं जितना धन्यवाद करूँ, उतना कम है। फिर एक बार आप सबको प्रणाम करता हूँ।

ऊँ नम: शिवाय!

वणक्कम!