The student in us should always be alive: PM Modi at Banaras Hindu University

Published By : Admin | February 22, 2016 | 18:49 IST
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People who studied here have contributed through various ways, be it as a doctor, a teacher, a civil servant: PM at BHU
I congratulate those who were conferred their degrees today. I also convey my good wishes to their parents: PM Modi
The student is us has to be alive always: PM Narendra Modi
Being inquisitive is good. We must have the thirst for knowledge: PM Modi
After you receive your certificate, the way the world will look at you changes: PM Modi to students at the BHU convocation
World faces several challenges. We should think about what role India can play in overcoming these challenges: PM

सभी विद्यार्थी दोस्‍तों और उनके अभिभावकों, यहां के सभी faculty के members, उपस्थित सभी महानुभाव!

दीक्षांत समारोह में जाने का अवसर पहले भी मिला है। कई स्‍थानों पर जाने का अवसर मिला है लेकिन एक विश्‍वविद्यालय की शताब्‍दी के समय दीक्षांत समारोह में जाने का सौभाग्‍य कुछ और ही होता है। मैं भारत रत्‍न महामना जी के चरणों में वंदन करता हूं कि 100 वर्ष पूर्व जिस बीज उन्‍होंने बोया था वो आज इतना बड़ा विराट, ज्ञान का, विज्ञान का, प्रेरणा का एक वृक्ष बन गया।

दीर्घदृष्‍टा महापुरुष कौन होते हैं, कैसे होते हैं? हमारे कालखंड में हम समकक्ष व्‍यक्ति को कभी कहें कि यह बड़े दीर्घदृष्‍टा है, बड़े visionary है तो ज्‍यादा समझ में नहीं आता है कि यह दीर्घदृष्‍टा क्‍या होता है visionary क्‍या होता है। लेकिन 100 साल पहले महामना जी के इस कार्य को देखें तो पता चलता है कि दीर्घदृष्‍टा किसे कहते हैं, visionary किसे कहते हैं। गुलामी के उस कालखंड में राष्‍ट्र के भावी सपनों को हृदयस्‍थ करना और सिर्फ यह देश कैसा हो, आजाद हिंदुस्‍तान का रूप-रंग क्‍या हो, यह सिर्फ सपने नहीं है लेकिन उन सपनों को पूरा करने के लिए सबसे प्राथमिक आवश्‍यकता क्‍या हो सकती है? और वो है उन सपनों को साकार करे, ऐसे जैसे मानव समुदाय को तैयार करना है। ऐसे सामर्थ्‍यवान, ऐसे समर्पित मानवों की श्रृंखला, शिक्षा और संस्कार के माध्‍यम से ही हो सकती है और उस बात की पूर्ति को करने के लिए महामना जी ने यह विश्‍वविद्यालय का सपना देखा।

अंग्रेज यहां शासन करते थे, वे भी यूनिवर्सिटियों का निर्माण कर रहे थे। लेकिन ज्‍यादातर presidencies में, चाहे कोलकाता है, मुंबई हो, ऐसे स्‍थान पर ही वो प्रयास करते हैं। अब उस प्रकार से मनुष्‍यों का निर्माण करना चाहते थे, कि जिससे उनका कारोबार लंबे समय तक चलता रहे। महामना जी उन महापुरुषों को तैयार करना चाहते थे कि वे भारत की महान परंपराओं को संजोए हुए, राष्‍ट्र के निर्माण में भारत की आजादी के लिए योग्‍य, सामर्थ्‍य के साथ खड़े रहे और ज्ञान के अधिष्‍ठान पर खड़े रहें। संस्‍कारों की सरिता को लेकर के आगे बढ़े, यह सपना महामना जी ने देखा था।

जो काम महामना जी ने किया, उसके करीब 15-16 साल के बाद यह काम महात्‍मा गांधी ने गुजरात विद्यापीठ के रूप में किया था। करीब-करीब दोनों देश के लिए कुछ करने वाले नौजवान तैयार करना चाहते थे। लेकिन आज हम देख रहे हैं कि महामना जी ने जिस बीज को बोया था, उसको पूरी शताब्‍दी तक कितने श्रेष्‍ठ महानुभावों ने, कितने समर्पित शिक्षाविदों ने अपना ज्ञान, अपना पुरूषार्थ, अपना पसीना इस धरती पर खपा दिया था। एक प्रकार से जीवन के जीवन खपा दिये, पीढ़ियां खप गई। इन अनगिनत महापुरूषों के पुरूषार्थ का परिणाम है कि आज हम इस विशाल वट-वृक्ष की छाया में ज्ञान अर्जित करने के सौभाग्‍य बने हैं। और इसलिए महामना जी के प्रति आदर के साथ-साथ इस पूरी शताब्‍दी के दरमियान इस महान कार्य को आगे बढ़ाने में जिन-जिन का योगदान है, जिस-जिस प्रकार का योगदान है जिस-जिस समय का योगदान है, उन सभी महानुभवों को मैं आज नमन करता हूं।

एक शताब्‍दी में लाखों युवक यहां से निकले हैं। इन युवक-युवतियों ने करीब-करीब गत 100 वर्ष में दरमियान जीवन के किसी न किसी क्षेत्र में जा करके अपना योगदान दिया है। कोई डॉक्‍टर बने हुए होंगे, कोई इंजीनियर बने होंगे, कोई टीचर बने होंगे, कोई प्रोफेसर बने होंगे, कोई सिविल सर्विस में गये होंगे, कोई उद्योगकार बने हुए होंगे और भारत में शायद एक कालखंड ऐसा था कि कोई व्‍यक्ति कहीं पर भी पहुंचे, जीवन के किसी भी ऊंचाई पर पहुंचे जिस काम को करता है, उस काम के कारण कितनी ही प्रतिष्‍ठा प्राप्‍त क्‍यों न हो, लेकिन जब वो अपना परिचय करवाता था, तो सीना तानकर के कहता था कि मैं BHU का Student हूं।

मेरे नौजवान साथियों एक शताब्‍दी तक जिस धरती पर से लाखों नौजवान तैयार हुए हो और वे जहां गये वहां BHU से अपना नाता कभी टूटने नहीं दिया हो, इतना ही नहीं अपने काम की सफलता को भी उन्‍होंने BHU को समर्पित करने में कभी संकोच नहीं किया। यह बहुत कम होता है क्‍योंकि वो जीवन में जब ऊंचाइयां प्राप्‍त करता है तो उसको लगता है कि मैंने पाया है, मेरे पुरुषार्थ से हुआ, मेरी इस खोज के कारण हुआ, मेरे इस Innovation के कारण हुआ। लेकिन ये BHU है कि जिससे 100 साल तक निकले हुए विद्यार्थियों ने एक स्‍वर से कहा है जहां गये वहां कहा है कि यह सब BHU के बदौलत हो रहा है।

एक संस्‍था की ताकत क्‍या होती है। एक शिक्षाधाम व्‍यक्ति के जीवन को कहां से कहां पहुंचा सकता है और सारी सिद्धियों के बावजूद भी जीवन में BHU हो सके alumni होने का गर्व करता हो, मैं समझता हूं यह बहुत बड़ी बात है, बहुत बड़ी बात है। लेकिन कभी-कभी सवाल होता है कि BHU का विद्यार्थी तो BHU के गौरव प्रदान करता है लेकिन क्‍या भारत के कोने-कोने में, सवा सौ करोड़ देशवासियों के दिल में यह BHU के प्रति वो श्रद्धा भाव पैदा हुआ है क्‍या? वो कौन-सी कार्यशैलियां आई, वो कौन से विचार प्रवाह आये, वो कौन-सी दुविधा आई जिसने इतनी महान परंपरा, महान संस्‍था को हिंदुस्‍तान के जन-जन तक पहुंचाने में कहीं न कहीं संकोच किया है। आज समय की मांग है कि न सिर्फ हिंदुस्‍तान, दुनिया देखें कि भारत की धरती पर कभी सदियों पहले हम जिस नालंदा, तक्षशिला बल्लभी उसका गर्व करते थे, आने वाले दिनों में हम BHU का भी हिंदुस्‍तानी के नाते गर्व करते हैं। यह भारत की विरासत है, भारत की अमानत है, शताब्दियों के पुरुषार्थ से निकली हुई अमानत है। लक्षाविद लोगों की तपस्‍या का परिणाम है कि आज BHU यहां खड़ा है और इसलिए यह भाव अपनत्‍व, अपनी बातों का, अपनी परंपरा का गौरव करना और हिम्‍मत के साथ करना और दुनिया को सत्‍य समझाने के लिए सामर्थ्‍य के साथ करना, यही तो भारत से दुनिया की अपेक्षा है।

मैं कभी-कभी सोचता हूं योग। योग, यह कोई नई चीज नहीं है। भारत में सदियों से योग की परंपरा चली आ रही है। सामान्‍य मानविकी व्‍यक्तिगत रूप से योग के आकर्षित भी हुआ है। दुनिया के अलग-अलग कोने में, योग को अलग-अलग रूप में जिज्ञासा से देखा भी गया है। लेकिन हम उस मानसिकता में जीते थे कि कभी हमें लगता नहीं था कि हमारे योग में वह सामर्थ्‍य हैं जो दुनिया को अपना कर सकता है। पिछले साल जब United nation ने योग को अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस के रूप में स्‍वीकार किया। दुनिया के 192 Country उसके साथ जुड़ गये और विश्‍व ने गौरव ज्ञान किया, विश्‍व ने उसके साथ जुड़ने का आनंद लिया। अगर अपने पास जो है उसके प्रति हम गौरव करेंगे तो दुनिया हमारे साथ चलने के लिए तैयार होती हैं। यह विश्‍वास, ज्ञान के अधिष्‍ठान पर जब खड़ा रहता है, हर विचार की कसौटी पर कसा गया होता है, तब उसकी स्‍वीकृति और अधिक बन जाती है। BHU के द्वारा यह निरंतर प्रयास चला आ रहा है।

आज जिन छात्रों का हमें सम्‍मान करने का अवसर मिला, मैं उनको, उनके परिवार जनों को हृदय से बधाई देता हूं। जिन छात्रों को आज अपनी शिक्षा की पूर्ति के बाद दीक्षांत समारोह में डिग्रियां प्राप्‍त हुई हैं, उन सभी छात्रों का भी मैं हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। यह दीक्षांत समारोह है, हम यह कभी भी मन में न लाएं कि यह शिक्षांत समारोह है। कभी-कभी तो मुझे लगता है दीक्षांत समारोह सही अर्थ में शिक्षा के आरंभ का समारोह होना चाहिए। यह शिक्षा के अंत का समारोह नहीं है और यही दीक्षांत समारोह का सबसे बड़ा संदेश होता है कि हमें अगर जिन्‍दगी में सफलता पानी है, हमें अगर जिन्‍दगी में बदलते युग के साथ अपने आप को समकक्ष बनाए रखना है तो उसकी पहली शर्त होती है – हमारे भीतर का जो विद्यार्थी है वो कभी मुरझा नहीं जाना चाहिए, वो कभी मरना नहीं चाहिए। दुनिया में वो ही इस विशाल जगत को, इस विशाल व्‍यवस्‍था को अनगिनत आयामों को पा सकता है, कुछ मात्रा में पा सकता है जो जीवन के अंत काल तक विद्यार्थी रहने की कोशिश करता है, उसके भीतर का विद्यार्थी जिन्‍दा रहता है।

आज जब हम दीक्षांत समारोह से निकल रहे हैं तब, हमारे सामने एक विशाल विश्‍व है। पहले तो हम यह कुछ square किलोमीटर के विश्‍व में गुजारा करते थे। परिचितों से मिलते थे। परिचित विषय से संबंधित रहते थे, लेकिन अब अचानक उस सारी दुनिया से निकलकर के एक विशाल विश्‍व के अंदर अपना कदम रखने जा रहे हैं। ये पहल सामान्‍य नहीं होते हैं। एक तरफ खुशी होती है कि चलिए मैंने इतनी मेहनत की, तीन साल - चार साल - पांच साल इस कैंपस में रहा। जितना मुझसे हो सकता था मैं ले लिया, पा लिया। लेकिन अब निकलते ही, दुनिया का मेरी तरफ नजरिया देखने का बदल जाता है।

जब तक मैं विद्यार्थी था, परिवार, समाज, साथी, मित्र मेरी पीठ थपथपाते रहते थे, नहीं-नहीं बेटा अच्‍छा करो, बहुत अच्‍छा करो, आगे बढ़ो, बहुत पढ़ो। लेकिन जैसे ही सर्टिफिकेट लेकर के पहुंचता हूं तो सवाल उठता है बताओ भई, अब आगे क्‍या करोगे? अचानक, exam देने गया तब तक तो सारे लोग मुझे push कर रहे थे, मेरी मदद कर रहे थे, प्रोत्‍साहित कर रहे थे। लेकिन सर्टिफिकेट लेकर घर लौटा तो सब पूछ रहे थे, बेटा अब बताओ क्‍या? अब हमारा दायित्‍व पूरा हो गया, अब बताओ तुम क्‍या दायित्‍व उठाओगे और यही पर जिन्‍दगी की कसौटी का आरंभ होता है और इसलिए जैसे science में दो हिस्‍से होते हैं – एक होता है science और दूसरा होता है applied science. अब जिन्‍दगी में जो ज्ञान पाया है वो applied period आपका शुरू होता है और उसमें आप कैसे टिकते है, उसमें आप कैसे अपने आप को योग्‍य बनाते हैं। कभी-कभार कैंपस की चारदीवारी के बीच में, क्‍लासरूम की चारदीवारी के बीच में शिक्षक के सानिध्‍य में, आचार्य के सानिध्‍य में चीजें बड़ी सरल लगती है। लेकिन जब अकेले करना पड़ता है, तब लगता है यार अच्‍छा होता उस समय मैंने ध्‍यान दिया होता। यार, उस समय तो मैं अपने साथियों के साथ मास्‍टर जी का मजाक उड़ा रहा था। यार ये छूट गए। फिर लगता है यार, अच्‍छा होता मैंने देखा होता। ऐसी बहुत बातें याद आएगी। आपको जीवन भर यूनिवर्सिटी की वो बातें याद आएगी, जो रह गया वो क्‍या था और न रह गया होता तो मैं आज कहा था? ये बातें हर पल याद आती हैं।

मेरे नौजवान साथियों, यहां पर आपको अनुशासन के विषय में कुलाधिपति जी ने एक परंपरागत रूप से संदेश सुनाया। आप सब को पता होगा कि हमारे देश में शिक्षा के बाद दीक्षा, यह परंपरा हजारों साल पुरानी है और सबसे पहले तैतृक उपनिषद में इसका उल्‍लेख है, जिसमें दीक्षांत का पहला अवसर रेखांकित किया गया है। तब से भारत में यह दीक्षांत की परंपरा चल रही है और आज भी यह दीक्षांत समारोह एक नई प्रेरणा का अवसर बन जाता है। जीवन में आप बहुत कुछ कर पाएंगे, बहुत कुछ करेंगे, लेकिन जैसा मैंने कहा, आपके भीतर का विद्यार्थी कभी मरना नहीं चाहिए, मुरझाना नहीं चाहिए। जिज्ञासा, वो विकास की जड़ों को मजबूत करती है। अगर जिज्ञासा खत्‍म हो जाती है तो जीवन में ठहराव आ जाता है। उम्र कितनी ही क्‍यों न हो, बुढ़ापा निश्‍चित लिख लीजिए वो हो जाता है और इसलिए हर पल, नित्‍य, नूतन जीवन कैसा हो, हर पल भीतर नई चेतना कैसे प्रकट हो, हर पल नया करने का उमंग वैसा ही हो जैसा 20 साल पहले कोई नई चीज करने के समय हुआ था। तब जाकर के देखिए जिन्‍दगी जीने का मजा कुछ और होता है। जीवन कभी मुरझाना नहीं चाहिए और कभी-कभी तो मुझे लगता है मुरझाने के बजाए अच्‍छा होता मरना पसंद करना। जीवन खिला हुआ रहना चाहिए। संकटों के सामने भी उसको झेलने का सामर्थ्‍य आना चाहिए और जो इसे पचा लेता है न, वो अपने जीवन में कभी विफल नहीं जाता है। लेकिन तत्‍कालिक चीजों से जो हिल जाता है, अंधेरा छा जाता है। उस समय यह ज्ञान का प्रकाश ही हमें रास्‍ता दिखाता है और इसलिए ये BHU की धरती से जो ज्ञान प्राप्‍त किया है वो जीवन के हर संकट के समय हमें राह दिखाने का, प्रकाश-पथ दिखाने का एक अवसर देता है।

देश और दुनिया के सामने बहुत सारी चुनौतियां हैं। क्‍या उन चुनौतियों में भारत अपनी कोई भूमिका अदा कर सकता है क्‍या? क्‍यों न हमारे ये संस्‍थान, हमारे विद्यार्थी आने वाले युगों के लिए मानव जाति को, विश्‍व को, कुछ देने के सपने क्‍यों न देखे? और मैं चाहूंगा कि BHU से निकल रहे छात्रों के दिल-दिमाग में, यह भाव सदा रहना चाहिए कि मुझे जो है, उससे अच्‍छा करू वो तो है, लेकिन मैं कुछ ऐसा करके जाऊं जो आने वाले युगों तक का काम करे।

समाज जीवन की ताकत का एक आधार होता है – Innovation. नए-नए अनुसंधान सिर्फ पीएचडी डिग्री प्राप्‍त करने के लिए, cut-paste वाली दुनिया से नहीं। मैं तो सोच रहा था कि शायद यह बात BHU वालों को तो पता ही नहीं होगी, लेकिन आपको भली-भांति पता है। लेकिन मुझे विश्‍वास है कि आप उसका उपयोग नहीं करते होंगे। हमारे लिए आवश्‍यक है Innovation. और वो भी कभी-कभार हमारी अपनी निकट की स्‍थितियों के लिए भी मेरे मन में एक बात कई दिनों से पीड़ा देती है। मैं दुनिया के कई noble laureate से मिलने गया जिन्‍होंने medical science में कुछ काम किया है और मैं उनके सामने एक विषय रखता था। मैंने कहा, मेरे देश में जो आदिवासी भाई-बहन है, वो जिस इलाके में रहते हैं। उस belt में परंपरागत रूप से एक ‘sickle-cell’ की बीमारी है। मेरे आदिवासी परिवारों को तबाह कर रही है। कैंसर से भी भयंकर होती है और व्‍यापक होती है। मेरे मन में दर्द रहता है कि आज का विज्ञान, आज की यह सब खोज, कैंसर के मरीज के लिए नित्‍य नई-नई चीजें आ रही हैं। क्‍या मेरे इस sickle-cell से पीड़ित, मेरे आदिवासी भाइयो-बहनों के लिए शास्‍त्र कुछ लेकर के आ सकता है, मेरे नौजवान कुछ innovation लेकर के आ सकते हैं क्‍या? वे अपने आप को खपा दे, खोज करे, कुछ दे और शायद दुनिया के किसी और देश में खोज करने वाला जो दे पाएगा, उससे ज्‍यादा यहां वाला दे पाएगा क्‍योंकि वो यहां की रुचि, प्रकृति, प्रवृत्‍ति से परिचित है और तब जाकर के मुझे BHU के विद्यार्थियों से अपेक्षा रहती है कि हमारे देश की समस्‍याएं हैं। उन समस्‍याओं के समाधान में हम आने वाले युग को देखते हुए कुछ दे सकते हैं क्‍या?

आज विश्‍व Global warming, Climate change बड़ा परेशान है। दुनिया के सारे देश अभी पेरिस में मिले थे। CoP-21 में पूरे विश्‍व का 2030 तक 2 डिग्री temperature कम करना है। सारा विश्‍व मशक्‍कत कर रहा है, कैसे करे? और अगर यह नहीं हो पाया तो पता नहीं कितने Island डूब जाएंगे, कितने समुद्री तट के शहर डूब जाएंगे। ये Global warming के कारण पता नहीं क्‍या से क्‍या हो जाएगा, पूरा विश्‍व चिंतित है। हम वो लोग है जो प्रकृति को प्रेम करना, हमारी रगों में है। हम वो लोग है जिन्‍होंने पूरे ब्रह्मांड को अपना एक पूरा परिवार माना हुआ है। हमारे भीतर, हमारे ज़हन में वो तत्‍व ज्ञान तो भरा पड़ा है और तभी तो बालक छोटा होता है तो मां उसे शिक्षा देती है कि देखो बेटे, यह जो सूरज है न यह तेरा दादा है और यह चांद है यह तेरा मामा है। पौधे में परमात्‍मा देखता है, नदी में मां देखता है। ये जहां पर संस्‍कार है, जहां प्रकृति का शोषण गुनाह माना जाता है। Exploitation of the nature is a crime. Milking of the nature यही हमें अधिकार है। यह जिस धरती पर कहा जाता है, क्‍या दुनिया को Global warming के संकट से बचाने के लिए कोई नए आधुनिक innovation के साथ मेरे भारत के वैज्ञानिक बाहर आ सकते हैं क्‍या, मेरी भारत की संस्‍थाएं बाहर आ सकती हैं क्‍या? हम दुनिया को समस्‍याओं से मुक्‍ति दिलाने का एक ठोस रास्‍ता दिखा सकते हैं क्‍या? भारत ने बीड़ा उठाया है, 2030 तक दुनिया ने जितने संकल्‍प किए, उससे ज्‍यादा हम करना चाहते हैं। क्‍योंकि हम यह मानते हैं, हम सदियों से यह मानते हुए आए हैं कि प्रकृति के साथ संवाद होना चाहिए, प्रकृति के साथ संघर्ष नहीं होना चाहिए।

अभी हमने दो Initiative लिए हैं, एक अमेरिका, फ्रांस, भारत और बिल गेट्स का NGO, हम मिलकर के Innovation पर काम कर रहे हैं। Renewal energy को affordable कैसे बनाए, Solar energy को affordable कैसे बनाए, sustainable कैसे बनाए, इस पर काम कर रहे हैं। दूसरा, दुनिया में वो देश जहां 300 दिवस से ज्‍यादा सूर्य की गर्मी का प्रभाव रहता है, ऐसे देशों का संगठन किया है। पहली बार दुनिया के 122 देश जहां सूर्य का आशीर्वाद रहता है, उनका एक संगठन हुआ है और उसका world capital हिन्‍दुस्‍तान में बनाया गया है। उसका secretariat, अभी फ्रांस के राष्‍ट्रपति आए थे, उस दिन उद्घाटन किया गया। लेकिन इरादा यह है कि यह समाज, देश, दुनिया जब संकट झेल रही है, हम क्‍या करेंगे?

हमारा उत्‍तर प्रदेश, गन्‍ना किसान परेशान रहता है लेकिन गन्‍ने के रास्‍ते इथनॉल बनाए, petroleum product के अंदर उसको जोड़ दे तो environment को फायदा होता है, मेरे गन्‍ना किसान को भी फायदा हो सकता है। मेरे BHU में यह खोज हो सकती है कि हम maximum इथनॉल का उपयोग कैसे करे, हम किस प्रकार से करे ताकि मेरे उत्‍तर प्रदेश के गन्‍ने किसान का भी भला हो, मेरे देश के पर्यावरण और मानवता के कल्‍याण का काम हो और मेरा जो vehicle चलाने वाला व्‍यक्‍ति हो, उसको भी कुछ महंगाई में सस्‍ताई मिल जाए। यह चीजें हैं जिसके innovation की जरूरत है।

हम Solar energy पर अब काम कर रहे हैं। भारत ने 175 गीगावॉट Solar energy का सपना रखा है, renewal energy का सपना रखा है। उसमें 100 गीगावॉट Solar energy है, लेकिन आज जो Solar energy के equipment हैं, उसकी कुछ सीमाएं हैं। क्‍या हम नए आविष्‍कार के द्वारा उसमें और अधिक फल मिले, और अधिक ऊर्जा मिले ऐसे नए आविष्‍कार कर सकते हैं क्‍या? मैं नौजवान साथियों को आज ये चुनौतियां देने आया हूं और मैं इस BHU की धरती से हिन्‍दुस्‍तान के और विश्‍व के युवकों को आह्वान करता हूं। आइए, आने वाली शताब्‍दी में मानव जाति जिन संकटों से जूझने वाली है, उसके समाधान के रास्‍ते खोजने का, innovation के लिए आज हम खप जाए। दोस्‍तों, सपने बहुत बड़े देखने चाहिए। अपने लिए तो बहुत जीते हैं, सपनों के लिए मरने वाले बहुत कम होते हैं और जो अपने लिए नहीं, सपनों के लिए जीते हैं वही तो दुनिया में कुछ कर दिखाते हैं।

आपको एक बात का आश्‍चर्य हुआ होगा कि यहां पर आज मेरे अपने personal कुछ मेहमान मौजूद है, इस कार्यकम में। और आपको भी उनको देखकर के हैरानी हुई होगी, ये मेरे जो personal मेहमान है, जिनको मैंने विशेष रूप से आग्रह किया है, यूनिवर्सिटी को कि मेरे इस convocation का कार्यक्रम हो, ये सारे नौजवान आते हो तो उस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उनको बुलाइए। Government schools सामान्‍य है, उस स्‍कूल के कुछ बच्‍चे यहां बैठे हैं, ये मेरे खास मेहमान है। मैंने उनको इसलिए बुलाया है और मैं जहां-जहां भी अब यूनिवर्सिटी में convocation होते हैं। मेरा आग्रह रहता है कि उस स्‍थान के गरीब बच्‍चे जिन स्‍कूलों में पढ़ते हैं ऐसे 50-100 बच्‍चों को आकर के बैठाइए। वो देखे कि convocation क्‍या होता है, ये दीक्षांत समारोह क्‍या होता है? ये इस प्रकार की वेशभूषा पहनकर के क्‍यों आते हैं, ये हाथ में उनको क्‍या दिया जाता है, गले में क्‍या डाला जाता है? ये बच्‍चों के सपनों को संजोने का एक छोटा-सा काम आज यहां हो रहा है। आश्‍चर्य होगा, सारी व्‍यवस्‍था में एक छोटी-सी घटना है, लेकिन इस छोटी-सी घटना में भी एक बहुत बड़ा सपना पड़ा हुआ है। मेरे देश के गरीब से गरीब बच्‍चे जिनको ऐसी चीजें देखने का अवसर नहीं मिलता है। मेरा आग्रह रहता है कि आए देखे और मैं विश्‍वास से कहता हूं जो बच्‍चे आज ये देखते है न, वो अपने मन में बैठे-बैठे देखते होंगे कि कभी मैं भी यहां जाऊंगा, मुझे भी वहां जाने का मौका मिलेगा। कभी मेरे सिर पर भी पगड़ी होगी, कभी मेरे गले में भी पांच-सात गोल्‍ड मेडल होंगे। ये सपने आज ये बच्‍चे देख रहे हैं।

मैं विश्‍वास करूंगा कि जिन बच्‍चों को आज गोल्‍ड मेडल मिला है, वो जरूर इन स्‍कूली बच्‍चों को मिले, उनसे बातें करे, उनमें एक नया विश्‍वास पैदा करे। यही तो है दीक्षांत समारोह, यही से आपका काम शुरू हो जाता है। मैं आज जो लोग जा रहे हैं, जो नौजवान आज समाज जीवन की अपनी जिम्‍मेवारियों के कदम रखते हैं। बहुत बड़ी जिम्‍मेवारियों की ओर जा रहे हैं। दीवारों से छूटकर के पूरे आसमान के नीचे, पूरे विश्‍व के पास जब पहुंच रहे है तब, यहां से जो मिला है, जो अच्‍छाइयां है, जो आपके अंदर सामर्थ्‍य जगाती है, उसको हमेशा चेतन मन रखते हुए, जिन्‍दगी के हर कदम पर आप सफलता प्राप्‍त करे, यही मेरी आप सब को शुभकामनाएं हैं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Nine years of the BJP Government has been dedicated towards Seva, Sushasan and Garib Kalyan: PM Modi
May 31, 2023
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The Congress Party has only indulged in falsity and fake guarantees and does not care about the genuine concerns of the people of Rajasthan: PM Modi
We have prioritized women empowerment and consider them equal participants in Jan Bhagidari: PM Modi
Even during the inauguration of the New Parliament Building, the Congress-led opposition forces disregarded the efforts of the 60,000 Shramiks associated with its construction: PM Modi
Congress’s model of governance is based on 85 percent commission, depriving the welfare of the poor: PM Modi
Before 2014, India was governed by a Superpower and a remote-controlled Government: PM Modi

भारत माता की...


मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के सभी वरिष्ठ नेतागन और इतनी बड़ी संख्या में हम सबको आशीर्वाद देने आए हुए इस वीर भूमि के मेरे भाइयों और बहनों। इस धरती पर वीर तेजाजी महाराज, भगवान देवनारायण, डिग्गी कल्याण जी, देवधाम जोधपुरिया, खोड़ा गणेश जी और माता शाकम्भरी की कृपा है। ये भूमि अनेक ऋषियों, मनीषियों की तपोस्थली है, कार्यस्थली रही है। यहीं पर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है। मैं अजमेर की इस पावन भूमि से सम्राट पृथ्वीराज चौहान के शौर्य, मां मीरा की भक्ति और विजय सिंह पथिक जैसे क्रांतिवीरों की शक्ति को भी नमन करता हूं। मैं राजस्थान की प्रत्येक माता-बहन-बेटी को नमन करता हूं, जिन्होंने इस धरती को वीरों की धरती बनाया है। आज ही देवी अहिल्या बाई होल्कर जी की जन्म जयंती भी है। राष्ट्र निर्माण के कार्यों के लिए, देश के लोगों को कर्तव्य पथ की दिशा दिखाने के लिए देवी अहिल्या जी को देश हमेशा याद रखेगा। मैं देवी अहिल्या बाई होलकर जी को श्रद्धांजलि देता हूं। मैं आज राजस्थान बीजेपी की भी सराहना करूंगा। राजस्थान बीजेपी पूरे उत्साह के साथ हम सभी के श्रद्धेय, स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत जी का जन्मशती वर्ष मना रही है। कुछ दिन पहले 15 मई को ही उनकी पुण्यतिथि भी थी। मैं भैरों सिंह शेखावत जी को भी अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

भाइयो और बहनो,


आज यहां अजमेर आने से पहले मुझे तीर्थराज पुष्कर जाने का सौभाग्य मिला। हमारे शास्त्रों में ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचयिता कहा गया है। ब्रह्मा जी के आशीर्वाद से आज भारत में नव-निर्माण का दौर चल रहा है। केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली NDA सरकार के 9 साल भी पूरे हो गए हैं। भाजपा सरकार के 9 साल देशवासियों की सेवा के रहे हैं। भाजपा सरकार के 9 साल, सुशासन के रहे हैं। भाजपा सरकार के 9 साल, गरीब कल्याण के लिए समर्पित रहे हैं।

साथियो,


देश ने 2014 में सबका साथ-सबका विकास के नए संकल्प का आह्वान किया था। इस संकल्प में राजस्थान ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। आप याद कीजिए, 2014 से पहले देश में क्या स्थिति थी? पूरे देश में जनता भ्रष्टाचार के विरुद्ध सड़क पर उतरी हुई थी।
बड़े-बड़े शहरों में आए दिन आतंकी हमले होते थे। कांग्रेस सरकार सीमा पर सड़कें बनाने से भी डरती थी। महिलाओं के विरुद्ध अपराध चरम पर थे। प्रधानमंत्री के ऊपर सुपरपावर थी, कांग्रेस सरकार रिमोट कंट्रोल से चला करती थी। निर्णय होते नहीं थे, नीतियां चौपट थीं।
निवेशक निराश थे, युवाओं के सामने अंधकार था। जनता से वोट लेकर, कांग्रेस, जनता को ही कोस रही थी।

भाइयों और बहनों,


घोर निराशा के इसी माहौल को 2014 में आपने एक वोट से विकास के विश्वास में बदल दिया। आज देखिए, पूरी दुनिया में भारत का यशगान हो रहा है। आज दुनिया के बड़े एक्सपर्ट्स ये बोल रहे हैं कि भारत अति गरीबी को समाप्त करने के बहुत निकट है। साथियों आखिर ये बदलाव आया कैसे? इसका जवाब है- सबका साथ,सबका विकास। इसका जवाब है- वंचितों को वरीयता।

साथियों,


कांग्रेस ने 50 साल पहले, देखिए कांग्रेस की गारंटी देने वाली आदत आज की नहीं है पुरानी है, 50 साल पहले कांग्रेस ने इस देश को गरीबी हटाने की गारंटी दी थी। ये गरीबों के साथ किया गया कांग्रेस का सबसे बड़ा विश्वासघात है। कांग्रेस की रणनीति रही है कि, गरीबों को भरमाओ, गरीबों को तरसाओ। यहां राजस्थान के आप लोगों ने भी इसका बहुत नुकसान उठाया है।

साथियों,


कांग्रेस ने किस तरह देश की करोड़ों महिलाओं और बच्चों के जीवन से खिलवाड़ किया, इसका उदाहरण कांग्रेस के समय चला टीकाकरण अभियान है। जब कांग्रेस की सरकार थी तो देश में टीकाकरण का दायरा सिर्फ 60 प्रतिशत के आसपास ही पहुंच पाया था। उस समय कांग्रेस के शासनकाल में 100 में से चालीस गर्भवती महिलाएं और बच्चे ऐसे होते थे, जिन्हें जीवन रक्षक टीके नहीं लग पाते थे। अगर कांग्रेस सरकार होती तो देश में टीकाकरण की कवरेज 100 प्रतिशत होने में 40 साल और लग जाते। और कितनी पीढ़ियां बीत जाती। आप कल्पना कर सकते हैं कि जीवन रक्षक टीकों के ना लगने से देश में कितनी बड़ी संख्या में गरीब महिलाओं और बच्चों को अपने जीवन से हाथ धोना पडता। राजस्थान के भी ऐसे लाखों बच्चों और महिलाओं को बचाने का काम बीजेपी सरकार ने किया है।

साथियो,


हम सभी ने अपने बचपन में अपनी मां को लकड़ी पर खाना बनाते देखा है। लकड़ी पर खाना बनाने की वजह से जो धुआं निकलता था, वो हर महिला के जीवन पर संकट लाता था। देश की महिलाओं की ये परेशानी भी कांग्रेस को कभी नजर नहीं आई। कांग्रेस शासन में एक गैस कनेक्शन पाने तक के लिए इधर-उधर दौड़ना पड़ता था, सिफारिशें लगवानी पड़ती थीं। इसलिए 2014 तक सिर्फ 14 करोड़ लोगों के पास ही गैस कनेक्शन था। हम अगर कांग्रेस सरकार की स्पीड से चले होते तो देश के कोने-कोने में गैस कनेक्शन पहुंचने में 20 साल और लग जाते। यानि बिना गैस कनेक्शन के एक पीढ़ी और गुजर जाती। मुझे ये स्थिति स्वीकार नहीं थी। इसलिए ही पिछले 9 साल में बीजेपी सरकार ने देश के 19 करोड़ से अधिक लोगों को गैस कनेक्शन दिया है। इस गैस कनेक्शन ने महिलाओं को स्वास्थ्य भी दिया है और सुविधा भी दी है।

साथियों,


पानी की एक-एक बूंद की कीमत, राजस्थान के मेरे भाई-बहन अच्छी तरह जानते हैं। हमारे देश में 2014 तक 18 करोड़ से ज्यादा ऐसे परिवार थे जहां नल से जल नहीं आता था, पाइप से पानी का कनेक्शन ही नहीं था। बीजेपी सरकार ने बीते 3 साल में 9 करोड़ लोगों को पाइप से पानी के कनेक्शन से जोड़ा है। अगर कांग्रेस की सरकार होती तो उसे यही काम करने में 20 साल और लग जाते। जल संकट हल करने में, पानी से जुड़ी चुनौतियों को समाप्त करने में कांग्रेस सरकार कभी आगे बढ़कर काम नहीं करती। कांग्रेस को सिर्फ झूठ बोलना आता है और आज भी कांग्रेस यही कर रही है।

साथियों,


कांग्रेस ने वीरों की इस धरती और यहां के वीरों के साथ भी हमेशा धोखा किया है। ये कांग्रेस ही है जो चार दशक तक वन रैंक वन पेंशन के नाम पर हमारे पूर्व सैनिकों से विश्वासघात करती रही। कागजों पर सिर्फ 500 करोड़ रुपए रखकर कांग्रेस कहती थी कि वो वन रैंक वन पेंशन लागू करेगी। जबकि इसके लिए हजारों करोड़ रुपए चाहिए थे। भाजपा सरकार ने ना सिर्फ वन रैंक वन पेंशन को लागू किया बल्कि पूर्व सैनिकों को एरियर भी दिया। वन रैंक वन पेंशन लागू होने के बाद, 18 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि एरियर के तौर पर, पूर्व सैनिकों को मिली है। इसका लाभ राजस्थान के भी करीब-करीब 2 लाख पूर्व सैनिकों को मिला है। वन रैंक वन पेंशन लागू होने की वजह से देश के पूर्व सैनिकों की जेब में अब तक करीब-करीब 65 हजार करोड़ रुपए गए हैं, 65 हजार करोड़ रुपया दोस्तों। आप कल्पना कर सकते हैं, कहां कांग्रेस के 500 करोड़ रुपये औऱ कहां बीजेपी सरकार के 65 हजार करोड़ रुपये। अगर बीजेपी सरकार ना होती, तो पूर्व फौजियों को आज भी वन रैंक वन पेंशन का इंतजार ही करना पड़ता।


साथियों,


कांग्रेस की गलत नीतियों का सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी को उठाना पड़ा तो वो देश के छोटे किसान हैं। छोटे किसानों की जरूरतों पर, छोटे किसानों की मदद करने पर कांग्रेस ने कभी ध्यान नहीं दिया। ये भारतीय जनता पार्टी है जिसने पहली बार छोटे किसानों की मुश्किलों को समझा, उनकी परेशानी दूर करने की कोशिश की।


हमने छोटे किसानों के हितों को ध्यान में रखकर पिछले 9 वर्ष में कृषि बजट में लगभग 6 गुणा वृद्धि की है, छह गुणा वृद्धि...


भाजपा सरकार में....
पहली बार किसानों को लागत का डेढ़ गुणा समर्थन मूल्य तय हुआ।
पहली बार किसानों को बैंक खाते में उनकी उपज का पैसा मिलना सुनिश्चित हुआ।
पहली बार किसानों को e-NAM के रूप में राष्ट्रीय मंडी मिली है।
पहली बार किसी फसल बीमा योजना से किसानों को सवा लाख करोड़ रुपए से अधिक का मुआवजा मिला है।
पहली बार अभियान चलाकर किसानों को बीजों की 2 हज़ार नई वैरायटी दी गई है।
पहली बार पशुपालकों को, मछली पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा मिली है।
पहली बार यूरिया की कालाबाजारी रुकी है, नीम कोटिंग होने का फायदा किसानों को मिला है।
पहली बार किसानों को लिक्विड नैनो यूरिया जैसा मेड इन इंडिया उत्पाद मिला है।
पहली बार अभियान चलाकर देश के 11 करोड़ किसानों को 11 करोड़ से अधिक सॉयल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं।
पहली बार किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि जैसी योजना शुरु हुई है।
इसके तहत अभी तक 11 करोड़ किसानों को करीब ढाई लाख करोड़ रुपए मिल चुके हैं।

साथियो,


ये बीजेपी की ही सरकार है जिसने गेहूं औऱ धान की खेती के अलावा भी किसानों को आय के दूसरे साधनों पर और ज्यादा काम किया है।
पहली बार देश में दालों का उत्पादन बढ़ाने और MSP पर दलहन की खरीद के लिए इतना बड़ा अभियान चलाया गया।
पहली बार अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने के लिए हमने अभियान चलाया, लाखों किसानों को सोलर पंप भी दिए।
पहली बार देश में प्राकृतिक खेती-नैचुरल फार्मिंग के लिए भी इतना बड़ा अभियान शुरू किया गया।
पहली बार शहद का उत्पादन बढ़ाने और उसके निर्यात के लिए भी बीजेपी सरकार ने विशेष मिशन चलाया।
पहली बार ज्वार-बाजरा जैसे भारत के श्री-अन्न को वैश्विक पहचान देने का प्रयास हुआ।
पहली बार, किसी सरकार ने मोटे अनाज उगाने वाले देश के ढाई करोड़ किसानों की चिंता की है।
भारत के प्रयास से ही संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को मोटे अनाज का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया है। इन सबका फायदा यहां राजस्थान के किसानों को हुआ है, इस क्षेत्र के किसानों को हुआ है।

भाइयो और बहनो,


आजकल बहुत से लोग ये पूछते हैं कि देश में जो विकास के बड़े-बड़े काम हो रहे हैं, उसके लिए पैसा कहां से आ रहा है? हमारे देश में विकास के काम के लिए मोदी इतने पैसे लाता कहां से है। चारों तरफ विकास का काम चल रहा है इतने पैसे मोदी लाता कहां से है। मैं बताता हुं मोदी पैसे लाता कहां से है। पहले पैसे कहां जाते थे और आज कहां जाते हैं वो भी बताता हूं। हमारे देश में विकास के काम के लिए पैसे की कमी कभी भी नहीं रही है। ये बहुत जरूरी होता है कि जो पैसा सरकार भेजे, वो पूरा का पूरा विकास के कार्यों में लगे। लेकिन कांग्रेस ने अपने शासन में देश का खून चूसने वाली ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था बना दी थी, जो देश के विकास को खाए जा रही थी, खोखला कर रही थी। कांग्रेस के नेता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सार्वजनिक रूप से माना था कि कांग्रेस सरकार 100 पैसे भेजती है, एक रुपया अगर भेजती है तो सौ पैसे में से पिच्यासी पैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं। कांग्रेस, हर योजना में पिच्यासी परसेंट कमीशन खाने वाली पार्टी है।

साथियो,


बीजेपी सरकार ने बीते 9 वर्षों में जो देश का इतना विकास किया है, वो इसलिए संभव हो पाया क्योंकि बीजेपी कांग्रेस की लूट के रास्तों को बंद कर रही है। बीते 9 वर्षों में बीजेपी सरकार ने आधुनिक हाईवे और रेलवे पर करीब चौबीस लाख करोड़ रुपए खर्च किए हैं। हाईवे और रेलवे- 24 लाख करोड़... अगर कांग्रेस की सरकार होती और राजीव गांधी ने जो कहा था अगर उसपर विचार करें तो 24 लाख करोड़ में से 20 लाख करोड़ रुपए बीच में ही लुट जाते। न रेल बनती न रोड बनता। बीते 9 वर्षों में बीजेपी सरकार ने उनतीस लाख करोड़ रुपए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर DBT के माध्यम से सीधे गरीबों के बैंक खाते में जमा किए हैं। अगर कांग्रेस सरकार होती तो इसमें से चौबीस लाख करोड़ रुपए पीच्यासी पैसों के हिसाब से 24 लाख करोड़ रुपये बीच में ही लुट जाते।

साथियो,


जब लूट की बात होती है, तो कांग्रेस किसी में भेदभाव नहीं करती।
कांग्रेस, देश के हर नागरिक को, गरीब हो, दलित हो, पीड़ित हो शोषित हो, वंचित हो, आदिवासी हो अल्पसंख्यक हो, दिव्यांग हो, महिला हो, सबको समान भाव से लूटती है। बीते 9 वर्षों में बीजेपी सरकार ने आदिवासी बच्चों को 22 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा पढाई के लिए भेजे हैं। अगर कांग्रेस सरकार होती तो इसमें से उन्नीस हजार करोड़ रुपए बीच में ही लुट जाते। बीते 9 वर्षों में बीजेपी सरकार ने पानी की सुविधाओं के लिए पौने चार लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किए हैं। अगर कांग्रेस सरकार होती तो इसमें से भी सवा तीन लाख करोड़ रुपए बीच में ही लुट जाते। आप कल्पना कर सकते हैं, इसका कितना बड़ा नुकसान हमारी राजस्थान की माताओं-बहनों-बेटियों को भी उठाना पड़ता।

साथियो,


गरीब का सबसे बड़ा सपना, उसका अपना घर होता है। कांग्रेस सरकार के समय गरीबों को जो घर मिलते थे, वो चार दीवारों के खंडहर बनकर रह जाते थे इससे ज्यादा कुछ नहीं होते थे। ऐसा इसलिए होता था क्योंकि कांग्रेस, गरीब के घरों को भी लूट लेती थी।
बीते 9 वर्षों में बीजेपी सरकार ने दो लाख 25 हजार करोड़ रुपए गरीबों को घर बनाने के लिए दिए हैं। अगर कांग्रेस सरकार होती तो इसमें से दो लाख करोड़ रुपए बीच में ही लुट जाते। बाकी बचे 25 हजार करोड़ रुपए में खंडहर ही बनते, घर का सपना कभी पूरा नहीं होता।

साथियो,


बीते 9 वर्षों में बीजेपी सरकार ने मुद्रा योजना के तहत करीब 24 लाख करोड़ रुपए की मदद युवाओं को दी है। ये पैसा भी पूरा का पूरा, युवाओं के बैंक खातों में गया है। साथियों, जब देश का पैसा देश के विकास में लगता है, तो विकास दिखता भी है और विकास महसूस भी होता है। ये हम राजस्थान में भी होते हुए देख रहे हैं। राजस्थान में बहुत बड़े रेल नेटवर्क का बिजलीकरण हो चुका है। कुछ समय पहले ही मुझे दिल्ली-अजमेर वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाने का भी अवसर मिला। इस ट्रेन से पुष्कर आने वाले लोगों को, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह आने वाले लोगों को बहुत मदद मिली है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का लाभ मिलना भी राजस्थान को शुरु हो चुका है। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से भी राजस्थान के अनेक जिलों को लाभ हो रहा है। बॉर्डर के क्षेत्रों तक पहुंचना भी अब और आसान हुआ है। इन सभी ने राजस्थान में टूरिज्म को बढ़ाने में, रोजगार के अवसर बढ़ाने में बहुत बड़ी मदद की है।

साथियो,


पिछले 9 वर्षों में भारत के लोगों ने अपने जिस सामर्थ्य का प्रदर्शन किया है, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए, वो कम होगी। देश की हर सफलता के पीछे भारत के लोगों की मेहनत है, भारत के लोगों का पसीना है। देश को आगे ले जाने के लिए हर भारतवासी ने जो संकल्प दिखाया है, वो अद्वितीय है। ये भारत के लोग ही हैं जिन्होंने महामारी के बाद देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। ये भारत के लोग ही हैं, जिनकी वजह से आज दुनिया कह रही है कि ये दशक भारत का दशक है, ये सदी भारत की सदी है। लेकिन भाइयों और बहनों, भारत की ये उपलब्धियां, भारत के लोगों की ये कामयाबी, कुछ लोगों को पच नहीं रही। तीन दिन पहले आपने ये देखा है। भारत को नया संसद भवन मिला है। आपने टीवी पर देखा, मैं आपसे पूछता हूं कि ये नया संसद भवन पर आपको गर्व हुआ कि नहीं हुआ? आपका माथा ऊंचा हुआ कि नहीं हुआ? हमारे देश की शान बढ़ने का आनंद हुआ कि नहीं हुआ? लेकिन कांग्रेस और इसके जैसे कुछ दलों ने इस पर भी राजनीति का कीचड़ उछाला। कई-कई पीढ़ियों के जीवन में ऐसे अवसर एक बार ही आते हैं। लेकिन कांग्रेस ने भारत के गौरव के इस क्षण को भी अपने स्वार्थी विरोध की भेंट चढ़ा दिया। कांग्रेस ने 60 हज़ार श्रमिकों के परिश्रम का, देश की भावनाओं और आकांक्षाओं का अपमान किया है। 60 हजार मजदूरों के पसीनों को उन्होंने लात मारी है। इनको गुस्सा इस बात का है कि एक गरीब का बेटा, इनके अहंकार के आगे अड़ा कैसे हुआ है। इनको गुस्सा इस बात का है कि एक गरीब का बेटा, इनकी मनमानी चलने क्यों नहीं दे रहा। इनको गुस्सा इस बात का है कि एक गरीब का बेटा, इनके भ्रष्टाचार पर, इनके परिवारवाद पर सवाल क्यों खड़े कर रहा है।

साथियो,


2014 में आप लोगों ने कई दशकों बाद केंद्र में एक स्थिर सरकार बनाई थी। भाजपा ने आपके हर आदेश की मर्यादा रखी है। लेकिन आपने 5 वर्ष पहले राजस्थान में भी एक जनादेश दिया था। और बदले में राजस्थान को क्या मिला? क्या मिला? अस्थिरता और अराजकता। यहां पांच साल से विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री आपस में लड़ने में ही बिजी है। राजस्थान की जनता की कांग्रेस को कोई चिंता नहीं हैं। राजस्थान में अपराध चरम पर है। लोग अपने तीज-त्यौहार तक शांति से नहीं मना पाते। कब कहां दंगा हो जाए, इसकी कोई गारंटी नहीं। और कांग्रेस सरकार आतंकियों पर मेहरबान है। कांग्रेस की सरकार आकंठ तुष्टिकरण में डूब गई है।

साथियो,


यहां बेटियों के खिलाफ साजिश करने वालों को राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने खुली छूट दे रखी है। कांग्रेस सरकार को बेटियों की सुरक्षा की, बेटियों के हितों की परवाह नहीं है। साथियों आपका ये प्यार और आशीर्वाद मेरी बहुत बड़ी ऊर्जा है। मैं बड़े संतोष के साथ कह सकता हूं कि बीते 9 वर्षों में बीजेपी सरकार ने माताओं-बहनों-बेटियों के जीवन चक्र से जुड़ी हर समस्या पर ध्यान दिया है। गर्भावस्था के दौरान शिशु को पौष्टिक खाना मिले इसके लिए हमने मातृवंदना योजना चलाई, महिलाओं के बैंक खाते में पैसे भेजने शुरू किए। शिशु का जन्म अस्पताल में हो, हमने इसके लिए भी अभियान चलाया। बेटी को कोख में ही ना समाप्त कर दिया जाए, इसके लिए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे जनआंदोलन शुरू किए। बेटी जब बड़ी होकर स्कूल जाने लगे, तो शौचालय ना होने की वजह से स्कूल ना छोड़े, इसके लिए करोड़ों शौचालय बनाए। बेटी की शिक्षा जारी रहे, इसके लिए सुकन्या समृद्धि योजना में इतना ज्यादा ब्याज देने का काम किया। बेटी बड़ी होकर कुछ अपना काम कर सके इसके लिए बिना गारंटी मांगे लोन देने वाली मुद्रा योजना शुरू कर दी। मां बनने के बाद भी अपनी नौकरी जारी रख सके इसके लिए मातृत्व अवकाश में वृद्धि की। बेटी अगर सैनिक स्कूल जाना चाहे, तो उसके लिए भी हमने सैनिक स्कूल के द्वार खोल दिए। बेटी अगर सेना में अफसर बनना चाहे तो तीनों सेनाओं में हमने बेटियों के लिए नए रास्ते बना दिए। आज बड़ी संख्या में हमारी वीर बेटियां अग्नीवीर भर्ती हुई हैं, नौसेना में नाविक भर्ती हुई हैं। गांव की बहनों को कमाई के अवसर बढ़ें, इसके लिए 9 करोड़ बहनों तक सेल्फ हेल्प ग्रुप का विस्तार किया और सहायता को भी दोगुना कर दिया। बेटी को रसोई में लकड़ी का धुआं ना सहना पड़े, इसके लिए उज्ज्वला का गैस कनेक्शन दिया। बेटी को पानी के इंतजाम में परेशान ना होना पड़े, इसके लिए हमने हर घर पाइप से पानी देने की योजना शुरू की। बेटी को अंधेरे में ना रहना पड़े, इसके लिए हमने सौभाग्य योजना से मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया। बेटी पैसे की कमी की वजह से अपनी बीमारी छिपाए नहीं, इसलिए हमने उसे आयुष्मान कार्ड की ताकत दे दी। बेटी का घर की संपत्ति पर भी अधिकार हो, इसके लिए पीएम आवास के घरों में उसे संयुक्त भागीदारी दी। गृहणी को अपनी बचत अनाज के डिब्बों में ना रखनी पड़े, इसके लिए जनधन योजना के तहत बड़ी संख्या में बैंक खाते खोले। और इन सब प्रयासों का जो परिणाम रहा है, जो अभूतपूर्व है।

साथियों,


सच ये है कि कांग्रेस के पास राजस्थान के लिए, देश के लिए कोई काम करने का मंगल कल्पना नहीं है, शुभ विचार नहीं है, उनके पास कोई एजेंडा नहीं है। अपने कुशासन को ढकने के लिए कांग्रेस ने एक और नया फॉर्मूला खोज लिया है। ये फॉर्मूला है झूठी गारंटियों का। राजस्थान के किसान और नौजवान तो इसके भुक्तभोगी हैं। ये लोग 10 दिन में गारंटी पूरी करने वाले थे। याद है न? ये गारंटी याद है न इन लोगों ने पिछली बार दी थी। 10 दिन में पूरे करने वाले थे, आप मुझे बताइए, जो कांग्रेस ने कहा था, जो वादा किया था वो निभाया क्या? वो पूरा किया क्या? जो कहा वो किया क्या?

भाइयों और बहनों,


ये ऐसी गारंटियां देते हैं, जिनको अगर अमल में लाया जाए तो राज्य और देश दिवालिया हो जाएगा। दुनिया में आज जो देश दिवालिया हो रहे हैं, उनकी स्थिति आप देख रहे हैं। लेकिन कांग्रेस का यही विजन है, यही नीति है। इसलिए कांग्रेस से, राजस्थान के लोगों को बहुत सावधान रहना है।

साथियो,


विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए विकसित राजस्थान बहुत जरूरी है। इस दशक के अगले सात साल बहुत अहम हैं। इन सात सालों में देश के लोग भारत का कायाकल्प होते हुए देखेंगे। भारत का आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, आधुनिक हाईवे, आधुनिक रेलवे, आधुनिक एयरपोर्ट, दुनिया में किसी देश से कम नहीं होंगे। भारत के लोगों के पास, दुनिया के किसी देश से कम सुविधाएं नहीं होंगी। भारत के लोगों पास, शिक्षा के, स्वास्थ्य के बेहतरीन संसाधन होंगे। भारत दुनिया की सबसे बड़ी मैन्यूफैक्चरिंग फैक्ट्री के रूप में उभर कर आने वाला है। भारत दुनिया में सबसे बड़े निर्यातक देशों में से एक बनेगा। भारत दुनिया में सबसे बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन में से एक बनेगा। इन सभी में राजस्थान के लोगों को बहुत बड़ी भूमिका निभानी है। पराक्रम और परिश्रम की ये पुण्य भूमि, नवनिर्माण का आह्वान कर रही है। इन नवनिर्माण को आशीर्वाद देने के लिए आप सभी इतनी बड़ी संख्या में आए, आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। और मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं.. आपने नौ साल मुझे काम करते देखा, बिना थके, बिना रुके सिर्फ और सिर्फ 140 करोड़ देशवासी यही मेरा परिवार, यही मेरा परमात्मा। और अभी भी आपके उज्ज्वल भविष्य के लिए जी-जान से जुटा रहूंगा। ये आपका आशीर्वाद, ये आपके आशीर्वाद ही मेरी ताकत है, वही मुझे काम करने की प्रेरणा देता है। मेरे साथ दोनो हाथ ऊपर करके बोलिए भारत माता जय!