The student in us should always be alive: PM Modi at Banaras Hindu University

Published By : Admin | February 22, 2016 | 18:49 IST
People who studied here have contributed through various ways, be it as a doctor, a teacher, a civil servant: PM at BHU
I congratulate those who were conferred their degrees today. I also convey my good wishes to their parents: PM Modi
The student is us has to be alive always: PM Narendra Modi
Being inquisitive is good. We must have the thirst for knowledge: PM Modi
After you receive your certificate, the way the world will look at you changes: PM Modi to students at the BHU convocation
World faces several challenges. We should think about what role India can play in overcoming these challenges: PM

सभी विद्यार्थी दोस्‍तों और उनके अभिभावकों, यहां के सभी faculty के members, उपस्थित सभी महानुभाव!

दीक्षांत समारोह में जाने का अवसर पहले भी मिला है। कई स्‍थानों पर जाने का अवसर मिला है लेकिन एक विश्‍वविद्यालय की शताब्‍दी के समय दीक्षांत समारोह में जाने का सौभाग्‍य कुछ और ही होता है। मैं भारत रत्‍न महामना जी के चरणों में वंदन करता हूं कि 100 वर्ष पूर्व जिस बीज उन्‍होंने बोया था वो आज इतना बड़ा विराट, ज्ञान का, विज्ञान का, प्रेरणा का एक वृक्ष बन गया।

दीर्घदृष्‍टा महापुरुष कौन होते हैं, कैसे होते हैं? हमारे कालखंड में हम समकक्ष व्‍यक्ति को कभी कहें कि यह बड़े दीर्घदृष्‍टा है, बड़े visionary है तो ज्‍यादा समझ में नहीं आता है कि यह दीर्घदृष्‍टा क्‍या होता है visionary क्‍या होता है। लेकिन 100 साल पहले महामना जी के इस कार्य को देखें तो पता चलता है कि दीर्घदृष्‍टा किसे कहते हैं, visionary किसे कहते हैं। गुलामी के उस कालखंड में राष्‍ट्र के भावी सपनों को हृदयस्‍थ करना और सिर्फ यह देश कैसा हो, आजाद हिंदुस्‍तान का रूप-रंग क्‍या हो, यह सिर्फ सपने नहीं है लेकिन उन सपनों को पूरा करने के लिए सबसे प्राथमिक आवश्‍यकता क्‍या हो सकती है? और वो है उन सपनों को साकार करे, ऐसे जैसे मानव समुदाय को तैयार करना है। ऐसे सामर्थ्‍यवान, ऐसे समर्पित मानवों की श्रृंखला, शिक्षा और संस्कार के माध्‍यम से ही हो सकती है और उस बात की पूर्ति को करने के लिए महामना जी ने यह विश्‍वविद्यालय का सपना देखा।

अंग्रेज यहां शासन करते थे, वे भी यूनिवर्सिटियों का निर्माण कर रहे थे। लेकिन ज्‍यादातर presidencies में, चाहे कोलकाता है, मुंबई हो, ऐसे स्‍थान पर ही वो प्रयास करते हैं। अब उस प्रकार से मनुष्‍यों का निर्माण करना चाहते थे, कि जिससे उनका कारोबार लंबे समय तक चलता रहे। महामना जी उन महापुरुषों को तैयार करना चाहते थे कि वे भारत की महान परंपराओं को संजोए हुए, राष्‍ट्र के निर्माण में भारत की आजादी के लिए योग्‍य, सामर्थ्‍य के साथ खड़े रहे और ज्ञान के अधिष्‍ठान पर खड़े रहें। संस्‍कारों की सरिता को लेकर के आगे बढ़े, यह सपना महामना जी ने देखा था।

जो काम महामना जी ने किया, उसके करीब 15-16 साल के बाद यह काम महात्‍मा गांधी ने गुजरात विद्यापीठ के रूप में किया था। करीब-करीब दोनों देश के लिए कुछ करने वाले नौजवान तैयार करना चाहते थे। लेकिन आज हम देख रहे हैं कि महामना जी ने जिस बीज को बोया था, उसको पूरी शताब्‍दी तक कितने श्रेष्‍ठ महानुभावों ने, कितने समर्पित शिक्षाविदों ने अपना ज्ञान, अपना पुरूषार्थ, अपना पसीना इस धरती पर खपा दिया था। एक प्रकार से जीवन के जीवन खपा दिये, पीढ़ियां खप गई। इन अनगिनत महापुरूषों के पुरूषार्थ का परिणाम है कि आज हम इस विशाल वट-वृक्ष की छाया में ज्ञान अर्जित करने के सौभाग्‍य बने हैं। और इसलिए महामना जी के प्रति आदर के साथ-साथ इस पूरी शताब्‍दी के दरमियान इस महान कार्य को आगे बढ़ाने में जिन-जिन का योगदान है, जिस-जिस प्रकार का योगदान है जिस-जिस समय का योगदान है, उन सभी महानुभवों को मैं आज नमन करता हूं।

एक शताब्‍दी में लाखों युवक यहां से निकले हैं। इन युवक-युवतियों ने करीब-करीब गत 100 वर्ष में दरमियान जीवन के किसी न किसी क्षेत्र में जा करके अपना योगदान दिया है। कोई डॉक्‍टर बने हुए होंगे, कोई इंजीनियर बने होंगे, कोई टीचर बने होंगे, कोई प्रोफेसर बने होंगे, कोई सिविल सर्विस में गये होंगे, कोई उद्योगकार बने हुए होंगे और भारत में शायद एक कालखंड ऐसा था कि कोई व्‍यक्ति कहीं पर भी पहुंचे, जीवन के किसी भी ऊंचाई पर पहुंचे जिस काम को करता है, उस काम के कारण कितनी ही प्रतिष्‍ठा प्राप्‍त क्‍यों न हो, लेकिन जब वो अपना परिचय करवाता था, तो सीना तानकर के कहता था कि मैं BHU का Student हूं।

मेरे नौजवान साथियों एक शताब्‍दी तक जिस धरती पर से लाखों नौजवान तैयार हुए हो और वे जहां गये वहां BHU से अपना नाता कभी टूटने नहीं दिया हो, इतना ही नहीं अपने काम की सफलता को भी उन्‍होंने BHU को समर्पित करने में कभी संकोच नहीं किया। यह बहुत कम होता है क्‍योंकि वो जीवन में जब ऊंचाइयां प्राप्‍त करता है तो उसको लगता है कि मैंने पाया है, मेरे पुरुषार्थ से हुआ, मेरी इस खोज के कारण हुआ, मेरे इस Innovation के कारण हुआ। लेकिन ये BHU है कि जिससे 100 साल तक निकले हुए विद्यार्थियों ने एक स्‍वर से कहा है जहां गये वहां कहा है कि यह सब BHU के बदौलत हो रहा है।

एक संस्‍था की ताकत क्‍या होती है। एक शिक्षाधाम व्‍यक्ति के जीवन को कहां से कहां पहुंचा सकता है और सारी सिद्धियों के बावजूद भी जीवन में BHU हो सके alumni होने का गर्व करता हो, मैं समझता हूं यह बहुत बड़ी बात है, बहुत बड़ी बात है। लेकिन कभी-कभी सवाल होता है कि BHU का विद्यार्थी तो BHU के गौरव प्रदान करता है लेकिन क्‍या भारत के कोने-कोने में, सवा सौ करोड़ देशवासियों के दिल में यह BHU के प्रति वो श्रद्धा भाव पैदा हुआ है क्‍या? वो कौन-सी कार्यशैलियां आई, वो कौन से विचार प्रवाह आये, वो कौन-सी दुविधा आई जिसने इतनी महान परंपरा, महान संस्‍था को हिंदुस्‍तान के जन-जन तक पहुंचाने में कहीं न कहीं संकोच किया है। आज समय की मांग है कि न सिर्फ हिंदुस्‍तान, दुनिया देखें कि भारत की धरती पर कभी सदियों पहले हम जिस नालंदा, तक्षशिला बल्लभी उसका गर्व करते थे, आने वाले दिनों में हम BHU का भी हिंदुस्‍तानी के नाते गर्व करते हैं। यह भारत की विरासत है, भारत की अमानत है, शताब्दियों के पुरुषार्थ से निकली हुई अमानत है। लक्षाविद लोगों की तपस्‍या का परिणाम है कि आज BHU यहां खड़ा है और इसलिए यह भाव अपनत्‍व, अपनी बातों का, अपनी परंपरा का गौरव करना और हिम्‍मत के साथ करना और दुनिया को सत्‍य समझाने के लिए सामर्थ्‍य के साथ करना, यही तो भारत से दुनिया की अपेक्षा है।

मैं कभी-कभी सोचता हूं योग। योग, यह कोई नई चीज नहीं है। भारत में सदियों से योग की परंपरा चली आ रही है। सामान्‍य मानविकी व्‍यक्तिगत रूप से योग के आकर्षित भी हुआ है। दुनिया के अलग-अलग कोने में, योग को अलग-अलग रूप में जिज्ञासा से देखा भी गया है। लेकिन हम उस मानसिकता में जीते थे कि कभी हमें लगता नहीं था कि हमारे योग में वह सामर्थ्‍य हैं जो दुनिया को अपना कर सकता है। पिछले साल जब United nation ने योग को अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस के रूप में स्‍वीकार किया। दुनिया के 192 Country उसके साथ जुड़ गये और विश्‍व ने गौरव ज्ञान किया, विश्‍व ने उसके साथ जुड़ने का आनंद लिया। अगर अपने पास जो है उसके प्रति हम गौरव करेंगे तो दुनिया हमारे साथ चलने के लिए तैयार होती हैं। यह विश्‍वास, ज्ञान के अधिष्‍ठान पर जब खड़ा रहता है, हर विचार की कसौटी पर कसा गया होता है, तब उसकी स्‍वीकृति और अधिक बन जाती है। BHU के द्वारा यह निरंतर प्रयास चला आ रहा है।

आज जिन छात्रों का हमें सम्‍मान करने का अवसर मिला, मैं उनको, उनके परिवार जनों को हृदय से बधाई देता हूं। जिन छात्रों को आज अपनी शिक्षा की पूर्ति के बाद दीक्षांत समारोह में डिग्रियां प्राप्‍त हुई हैं, उन सभी छात्रों का भी मैं हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। यह दीक्षांत समारोह है, हम यह कभी भी मन में न लाएं कि यह शिक्षांत समारोह है। कभी-कभी तो मुझे लगता है दीक्षांत समारोह सही अर्थ में शिक्षा के आरंभ का समारोह होना चाहिए। यह शिक्षा के अंत का समारोह नहीं है और यही दीक्षांत समारोह का सबसे बड़ा संदेश होता है कि हमें अगर जिन्‍दगी में सफलता पानी है, हमें अगर जिन्‍दगी में बदलते युग के साथ अपने आप को समकक्ष बनाए रखना है तो उसकी पहली शर्त होती है – हमारे भीतर का जो विद्यार्थी है वो कभी मुरझा नहीं जाना चाहिए, वो कभी मरना नहीं चाहिए। दुनिया में वो ही इस विशाल जगत को, इस विशाल व्‍यवस्‍था को अनगिनत आयामों को पा सकता है, कुछ मात्रा में पा सकता है जो जीवन के अंत काल तक विद्यार्थी रहने की कोशिश करता है, उसके भीतर का विद्यार्थी जिन्‍दा रहता है।

आज जब हम दीक्षांत समारोह से निकल रहे हैं तब, हमारे सामने एक विशाल विश्‍व है। पहले तो हम यह कुछ square किलोमीटर के विश्‍व में गुजारा करते थे। परिचितों से मिलते थे। परिचित विषय से संबंधित रहते थे, लेकिन अब अचानक उस सारी दुनिया से निकलकर के एक विशाल विश्‍व के अंदर अपना कदम रखने जा रहे हैं। ये पहल सामान्‍य नहीं होते हैं। एक तरफ खुशी होती है कि चलिए मैंने इतनी मेहनत की, तीन साल - चार साल - पांच साल इस कैंपस में रहा। जितना मुझसे हो सकता था मैं ले लिया, पा लिया। लेकिन अब निकलते ही, दुनिया का मेरी तरफ नजरिया देखने का बदल जाता है।

जब तक मैं विद्यार्थी था, परिवार, समाज, साथी, मित्र मेरी पीठ थपथपाते रहते थे, नहीं-नहीं बेटा अच्‍छा करो, बहुत अच्‍छा करो, आगे बढ़ो, बहुत पढ़ो। लेकिन जैसे ही सर्टिफिकेट लेकर के पहुंचता हूं तो सवाल उठता है बताओ भई, अब आगे क्‍या करोगे? अचानक, exam देने गया तब तक तो सारे लोग मुझे push कर रहे थे, मेरी मदद कर रहे थे, प्रोत्‍साहित कर रहे थे। लेकिन सर्टिफिकेट लेकर घर लौटा तो सब पूछ रहे थे, बेटा अब बताओ क्‍या? अब हमारा दायित्‍व पूरा हो गया, अब बताओ तुम क्‍या दायित्‍व उठाओगे और यही पर जिन्‍दगी की कसौटी का आरंभ होता है और इसलिए जैसे science में दो हिस्‍से होते हैं – एक होता है science और दूसरा होता है applied science. अब जिन्‍दगी में जो ज्ञान पाया है वो applied period आपका शुरू होता है और उसमें आप कैसे टिकते है, उसमें आप कैसे अपने आप को योग्‍य बनाते हैं। कभी-कभार कैंपस की चारदीवारी के बीच में, क्‍लासरूम की चारदीवारी के बीच में शिक्षक के सानिध्‍य में, आचार्य के सानिध्‍य में चीजें बड़ी सरल लगती है। लेकिन जब अकेले करना पड़ता है, तब लगता है यार अच्‍छा होता उस समय मैंने ध्‍यान दिया होता। यार, उस समय तो मैं अपने साथियों के साथ मास्‍टर जी का मजाक उड़ा रहा था। यार ये छूट गए। फिर लगता है यार, अच्‍छा होता मैंने देखा होता। ऐसी बहुत बातें याद आएगी। आपको जीवन भर यूनिवर्सिटी की वो बातें याद आएगी, जो रह गया वो क्‍या था और न रह गया होता तो मैं आज कहा था? ये बातें हर पल याद आती हैं।

मेरे नौजवान साथियों, यहां पर आपको अनुशासन के विषय में कुलाधिपति जी ने एक परंपरागत रूप से संदेश सुनाया। आप सब को पता होगा कि हमारे देश में शिक्षा के बाद दीक्षा, यह परंपरा हजारों साल पुरानी है और सबसे पहले तैतृक उपनिषद में इसका उल्‍लेख है, जिसमें दीक्षांत का पहला अवसर रेखांकित किया गया है। तब से भारत में यह दीक्षांत की परंपरा चल रही है और आज भी यह दीक्षांत समारोह एक नई प्रेरणा का अवसर बन जाता है। जीवन में आप बहुत कुछ कर पाएंगे, बहुत कुछ करेंगे, लेकिन जैसा मैंने कहा, आपके भीतर का विद्यार्थी कभी मरना नहीं चाहिए, मुरझाना नहीं चाहिए। जिज्ञासा, वो विकास की जड़ों को मजबूत करती है। अगर जिज्ञासा खत्‍म हो जाती है तो जीवन में ठहराव आ जाता है। उम्र कितनी ही क्‍यों न हो, बुढ़ापा निश्‍चित लिख लीजिए वो हो जाता है और इसलिए हर पल, नित्‍य, नूतन जीवन कैसा हो, हर पल भीतर नई चेतना कैसे प्रकट हो, हर पल नया करने का उमंग वैसा ही हो जैसा 20 साल पहले कोई नई चीज करने के समय हुआ था। तब जाकर के देखिए जिन्‍दगी जीने का मजा कुछ और होता है। जीवन कभी मुरझाना नहीं चाहिए और कभी-कभी तो मुझे लगता है मुरझाने के बजाए अच्‍छा होता मरना पसंद करना। जीवन खिला हुआ रहना चाहिए। संकटों के सामने भी उसको झेलने का सामर्थ्‍य आना चाहिए और जो इसे पचा लेता है न, वो अपने जीवन में कभी विफल नहीं जाता है। लेकिन तत्‍कालिक चीजों से जो हिल जाता है, अंधेरा छा जाता है। उस समय यह ज्ञान का प्रकाश ही हमें रास्‍ता दिखाता है और इसलिए ये BHU की धरती से जो ज्ञान प्राप्‍त किया है वो जीवन के हर संकट के समय हमें राह दिखाने का, प्रकाश-पथ दिखाने का एक अवसर देता है।

देश और दुनिया के सामने बहुत सारी चुनौतियां हैं। क्‍या उन चुनौतियों में भारत अपनी कोई भूमिका अदा कर सकता है क्‍या? क्‍यों न हमारे ये संस्‍थान, हमारे विद्यार्थी आने वाले युगों के लिए मानव जाति को, विश्‍व को, कुछ देने के सपने क्‍यों न देखे? और मैं चाहूंगा कि BHU से निकल रहे छात्रों के दिल-दिमाग में, यह भाव सदा रहना चाहिए कि मुझे जो है, उससे अच्‍छा करू वो तो है, लेकिन मैं कुछ ऐसा करके जाऊं जो आने वाले युगों तक का काम करे।

समाज जीवन की ताकत का एक आधार होता है – Innovation. नए-नए अनुसंधान सिर्फ पीएचडी डिग्री प्राप्‍त करने के लिए, cut-paste वाली दुनिया से नहीं। मैं तो सोच रहा था कि शायद यह बात BHU वालों को तो पता ही नहीं होगी, लेकिन आपको भली-भांति पता है। लेकिन मुझे विश्‍वास है कि आप उसका उपयोग नहीं करते होंगे। हमारे लिए आवश्‍यक है Innovation. और वो भी कभी-कभार हमारी अपनी निकट की स्‍थितियों के लिए भी मेरे मन में एक बात कई दिनों से पीड़ा देती है। मैं दुनिया के कई noble laureate से मिलने गया जिन्‍होंने medical science में कुछ काम किया है और मैं उनके सामने एक विषय रखता था। मैंने कहा, मेरे देश में जो आदिवासी भाई-बहन है, वो जिस इलाके में रहते हैं। उस belt में परंपरागत रूप से एक ‘sickle-cell’ की बीमारी है। मेरे आदिवासी परिवारों को तबाह कर रही है। कैंसर से भी भयंकर होती है और व्‍यापक होती है। मेरे मन में दर्द रहता है कि आज का विज्ञान, आज की यह सब खोज, कैंसर के मरीज के लिए नित्‍य नई-नई चीजें आ रही हैं। क्‍या मेरे इस sickle-cell से पीड़ित, मेरे आदिवासी भाइयो-बहनों के लिए शास्‍त्र कुछ लेकर के आ सकता है, मेरे नौजवान कुछ innovation लेकर के आ सकते हैं क्‍या? वे अपने आप को खपा दे, खोज करे, कुछ दे और शायद दुनिया के किसी और देश में खोज करने वाला जो दे पाएगा, उससे ज्‍यादा यहां वाला दे पाएगा क्‍योंकि वो यहां की रुचि, प्रकृति, प्रवृत्‍ति से परिचित है और तब जाकर के मुझे BHU के विद्यार्थियों से अपेक्षा रहती है कि हमारे देश की समस्‍याएं हैं। उन समस्‍याओं के समाधान में हम आने वाले युग को देखते हुए कुछ दे सकते हैं क्‍या?

आज विश्‍व Global warming, Climate change बड़ा परेशान है। दुनिया के सारे देश अभी पेरिस में मिले थे। CoP-21 में पूरे विश्‍व का 2030 तक 2 डिग्री temperature कम करना है। सारा विश्‍व मशक्‍कत कर रहा है, कैसे करे? और अगर यह नहीं हो पाया तो पता नहीं कितने Island डूब जाएंगे, कितने समुद्री तट के शहर डूब जाएंगे। ये Global warming के कारण पता नहीं क्‍या से क्‍या हो जाएगा, पूरा विश्‍व चिंतित है। हम वो लोग है जो प्रकृति को प्रेम करना, हमारी रगों में है। हम वो लोग है जिन्‍होंने पूरे ब्रह्मांड को अपना एक पूरा परिवार माना हुआ है। हमारे भीतर, हमारे ज़हन में वो तत्‍व ज्ञान तो भरा पड़ा है और तभी तो बालक छोटा होता है तो मां उसे शिक्षा देती है कि देखो बेटे, यह जो सूरज है न यह तेरा दादा है और यह चांद है यह तेरा मामा है। पौधे में परमात्‍मा देखता है, नदी में मां देखता है। ये जहां पर संस्‍कार है, जहां प्रकृति का शोषण गुनाह माना जाता है। Exploitation of the nature is a crime. Milking of the nature यही हमें अधिकार है। यह जिस धरती पर कहा जाता है, क्‍या दुनिया को Global warming के संकट से बचाने के लिए कोई नए आधुनिक innovation के साथ मेरे भारत के वैज्ञानिक बाहर आ सकते हैं क्‍या, मेरी भारत की संस्‍थाएं बाहर आ सकती हैं क्‍या? हम दुनिया को समस्‍याओं से मुक्‍ति दिलाने का एक ठोस रास्‍ता दिखा सकते हैं क्‍या? भारत ने बीड़ा उठाया है, 2030 तक दुनिया ने जितने संकल्‍प किए, उससे ज्‍यादा हम करना चाहते हैं। क्‍योंकि हम यह मानते हैं, हम सदियों से यह मानते हुए आए हैं कि प्रकृति के साथ संवाद होना चाहिए, प्रकृति के साथ संघर्ष नहीं होना चाहिए।

अभी हमने दो Initiative लिए हैं, एक अमेरिका, फ्रांस, भारत और बिल गेट्स का NGO, हम मिलकर के Innovation पर काम कर रहे हैं। Renewal energy को affordable कैसे बनाए, Solar energy को affordable कैसे बनाए, sustainable कैसे बनाए, इस पर काम कर रहे हैं। दूसरा, दुनिया में वो देश जहां 300 दिवस से ज्‍यादा सूर्य की गर्मी का प्रभाव रहता है, ऐसे देशों का संगठन किया है। पहली बार दुनिया के 122 देश जहां सूर्य का आशीर्वाद रहता है, उनका एक संगठन हुआ है और उसका world capital हिन्‍दुस्‍तान में बनाया गया है। उसका secretariat, अभी फ्रांस के राष्‍ट्रपति आए थे, उस दिन उद्घाटन किया गया। लेकिन इरादा यह है कि यह समाज, देश, दुनिया जब संकट झेल रही है, हम क्‍या करेंगे?

हमारा उत्‍तर प्रदेश, गन्‍ना किसान परेशान रहता है लेकिन गन्‍ने के रास्‍ते इथनॉल बनाए, petroleum product के अंदर उसको जोड़ दे तो environment को फायदा होता है, मेरे गन्‍ना किसान को भी फायदा हो सकता है। मेरे BHU में यह खोज हो सकती है कि हम maximum इथनॉल का उपयोग कैसे करे, हम किस प्रकार से करे ताकि मेरे उत्‍तर प्रदेश के गन्‍ने किसान का भी भला हो, मेरे देश के पर्यावरण और मानवता के कल्‍याण का काम हो और मेरा जो vehicle चलाने वाला व्‍यक्‍ति हो, उसको भी कुछ महंगाई में सस्‍ताई मिल जाए। यह चीजें हैं जिसके innovation की जरूरत है।

हम Solar energy पर अब काम कर रहे हैं। भारत ने 175 गीगावॉट Solar energy का सपना रखा है, renewal energy का सपना रखा है। उसमें 100 गीगावॉट Solar energy है, लेकिन आज जो Solar energy के equipment हैं, उसकी कुछ सीमाएं हैं। क्‍या हम नए आविष्‍कार के द्वारा उसमें और अधिक फल मिले, और अधिक ऊर्जा मिले ऐसे नए आविष्‍कार कर सकते हैं क्‍या? मैं नौजवान साथियों को आज ये चुनौतियां देने आया हूं और मैं इस BHU की धरती से हिन्‍दुस्‍तान के और विश्‍व के युवकों को आह्वान करता हूं। आइए, आने वाली शताब्‍दी में मानव जाति जिन संकटों से जूझने वाली है, उसके समाधान के रास्‍ते खोजने का, innovation के लिए आज हम खप जाए। दोस्‍तों, सपने बहुत बड़े देखने चाहिए। अपने लिए तो बहुत जीते हैं, सपनों के लिए मरने वाले बहुत कम होते हैं और जो अपने लिए नहीं, सपनों के लिए जीते हैं वही तो दुनिया में कुछ कर दिखाते हैं।

आपको एक बात का आश्‍चर्य हुआ होगा कि यहां पर आज मेरे अपने personal कुछ मेहमान मौजूद है, इस कार्यकम में। और आपको भी उनको देखकर के हैरानी हुई होगी, ये मेरे जो personal मेहमान है, जिनको मैंने विशेष रूप से आग्रह किया है, यूनिवर्सिटी को कि मेरे इस convocation का कार्यक्रम हो, ये सारे नौजवान आते हो तो उस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उनको बुलाइए। Government schools सामान्‍य है, उस स्‍कूल के कुछ बच्‍चे यहां बैठे हैं, ये मेरे खास मेहमान है। मैंने उनको इसलिए बुलाया है और मैं जहां-जहां भी अब यूनिवर्सिटी में convocation होते हैं। मेरा आग्रह रहता है कि उस स्‍थान के गरीब बच्‍चे जिन स्‍कूलों में पढ़ते हैं ऐसे 50-100 बच्‍चों को आकर के बैठाइए। वो देखे कि convocation क्‍या होता है, ये दीक्षांत समारोह क्‍या होता है? ये इस प्रकार की वेशभूषा पहनकर के क्‍यों आते हैं, ये हाथ में उनको क्‍या दिया जाता है, गले में क्‍या डाला जाता है? ये बच्‍चों के सपनों को संजोने का एक छोटा-सा काम आज यहां हो रहा है। आश्‍चर्य होगा, सारी व्‍यवस्‍था में एक छोटी-सी घटना है, लेकिन इस छोटी-सी घटना में भी एक बहुत बड़ा सपना पड़ा हुआ है। मेरे देश के गरीब से गरीब बच्‍चे जिनको ऐसी चीजें देखने का अवसर नहीं मिलता है। मेरा आग्रह रहता है कि आए देखे और मैं विश्‍वास से कहता हूं जो बच्‍चे आज ये देखते है न, वो अपने मन में बैठे-बैठे देखते होंगे कि कभी मैं भी यहां जाऊंगा, मुझे भी वहां जाने का मौका मिलेगा। कभी मेरे सिर पर भी पगड़ी होगी, कभी मेरे गले में भी पांच-सात गोल्‍ड मेडल होंगे। ये सपने आज ये बच्‍चे देख रहे हैं।

मैं विश्‍वास करूंगा कि जिन बच्‍चों को आज गोल्‍ड मेडल मिला है, वो जरूर इन स्‍कूली बच्‍चों को मिले, उनसे बातें करे, उनमें एक नया विश्‍वास पैदा करे। यही तो है दीक्षांत समारोह, यही से आपका काम शुरू हो जाता है। मैं आज जो लोग जा रहे हैं, जो नौजवान आज समाज जीवन की अपनी जिम्‍मेवारियों के कदम रखते हैं। बहुत बड़ी जिम्‍मेवारियों की ओर जा रहे हैं। दीवारों से छूटकर के पूरे आसमान के नीचे, पूरे विश्‍व के पास जब पहुंच रहे है तब, यहां से जो मिला है, जो अच्‍छाइयां है, जो आपके अंदर सामर्थ्‍य जगाती है, उसको हमेशा चेतन मन रखते हुए, जिन्‍दगी के हर कदम पर आप सफलता प्राप्‍त करे, यही मेरी आप सब को शुभकामनाएं हैं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ ! // ओडिशा र // सबू भाई ओ भउणी मानंकु// मोर नमस्कार //एबंग जुहार। ऑडिशार// मोर सबू परिबार-जन,// मा, // माउसी, // भाई, भउणी,// जुब साथी मानंकु शुभेच्छा // ओ अभिनंदन!

पांच दिन पहले मुझे दिल्ली में ओडिशा पर्व के शानदार समारोह में शामिल होने का अवसर मिला था। और बहुत बढ़िया मसाले वाली चाय भी पी थी। और मैंने धर्मेंद्र को जरा डांटा था, मैंने कहा कि यार इतना बढ़िया कार्यक्रम किया, मेरे पास जरा ज्यादा समय होता तो मैं और ज्यादा अंदर घूम लेता। शानदार कार्यक्रम था जी। ओडिशा पर्व में उड़िया विरासत और गौरव के वो भव्य दर्शन, ओडिशा के लोगों का स्नेह और अपनापन, वो मेरे लिए बहुत ही यादगार पल है। आज मुझे बाबा लिंगराज की पावन धरती पर आने का सौभाग्य मिला है। मैं इस एकाम्र क्षेत्र को प्रणाम करता हूं। मैं महाप्रभु जगन्नाथ के चरणों में प्रणाम करता हूं।

साथियों,

यहां एयरपोर्ट पर ही इतनी बड़ी संख्या में आपका आना, ओडिशा के लोगों का आना और मुझे तो इसका एंड दिखता ही नहीं है, लोग ही दिखते हैं। आपके इस प्यार के लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। और मैं देख रहा हूं कि एक उमंग, ऊर्जा आपके चेहरों पर खुशी, चमक, मैं देख भी रहा हूं, मैं अनुभव कर रहा हूं। ये चमक बता रही है, महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों ने, हरियाणा के चुनाव के नतीजों ने और इन दिनों देशभर में जो उपचुनाव हुए हैं, उसके जो नतीजे आए हैं, पूरे देश में कैसा विश्वास भर दिया है, ये मैं आपकी आंखों में देख रहा हूं। अब देखिए ओडिशा ने शुरुआत की, फिर हरियाणा फिर महाराष्ट्र और यही तो भाजपा की विशेषता है। यही तो बीजेपी के कार्यकर्ताओं का सामर्थ्य है। विपक्षी दल, बीजेपी सरकार के खिलाफ अपप्रचार करते हैं, लेकिन, जनता बीजेपी सरकार के कामों को देखकर उन्हें आशीर्वाद देने खुद मैदान में दौड़ पड़ती है। आप याद करिए, चुनाव से कुछ महीने पहले तक बड़े-बड़े पॉलिटिकल एक्सपर्ट ओडिशा में बीजेपी को पूरी तरह से खारिज कर रहे थे। ये लोग कह रहे थे कि ओडिशा में बीजेपी इतनी बड़ी ताकत बन ही नहीं सकती कि वो अपने बलबूते सरकार बना ले! लेकिन, जब परिणाम आए, तो ये सारे के सारे जो अपने आप को तीसमारखां मानते थे, वो लोग हैरान हो गए। क्योंकि, ओडिशा के लोगों ने भाजपा की केंद्र सरकार के कामों को, और दिल्ली में बैठते हुए भी ओडिशा के लोगों के साथ जो अपनापन का नाता, सुख-दुख का साथ ये 10 साल में ओडिशा के गांव-गांव, घर-घर ये बात पहुंच चुकी थी। जब राज्य में हमारी सरकार भी नहीं थी। हमारी योजनाओं के नाम भी बदल दिए जाते थे। सबकुछ होता था, फिर भी ओडिसा के विकास के लिए पूरी लगन और ईमानदारी से हम लगातार काम करते रहे। केंद्र सरकार ने, और मैं कहता हूं भारत सरकार के मंत्रिपरिषद में जितना ओड़िया का प्रतिनिधित्व रहा है, पहले कभी नहीं रहा। और केंद्र सरकार ने कभी ये नहीं सोचा कि यहां पर जो सरकार है, वो हमारे साथ है, नहीं है, कार्यकर्ताओं को अच्छा लग रहा है, बुरा लग रहा है, हम वो नहीं सोचते थे। हम जनता का भला करना सोचते थे। और हमने ओडिशा को केंद्र से मिलने वाले बजट को तीन गुना किया। हमने ओडिशा के लिए नई-नई योजनाएं चलाईं। यहां हर वर्ग, हर समाज की समान भाव से सेवा की। इसीलिए, ओडिशा की जनता बीजेपी की नीतियों को और कार्यशैली को भलीभांति जान पाई, उनका एक विश्वास पैदा हुआ और दिल खोलकर हमें आशीर्वाद दिया। मैं तो इंटीरियर में जाता था कभी मैं संकोच करता था कि अरे मेरे हिंदी भाषा में अपनी बात कैसे पहुंचाऊंगा। लेकिन मैं देख रहा था कि भाषा भी कभी रुकावट नहीं बनी। भाव इतने मजबूत थे कि जो भाषा से भी ऊपर सवार हो जाते थे।

साथियों,

मुझे पहले सीएम के रूप में गुजरात की सेवा करने का मौका मिला। फिर पीएम के रूप में देश की जनता की सेवा करने का मौका मिला। और आप सबने, देशवासियों ने तीसरी बार एक सरकार बनाई, मैं दुनिया में जहां भी जाता हूं, सारे दुनिया के लोगों को लगता है अरे भाई क्या बात है। हिंदुस्तान के लोग, 140 करोड़ का देश, इतना बड़ा देश और लगातार एक सरकार को बार-बार चुनता जा रहा है। हम 14 में आए, 19 में आए, उससे दुनिया में जितना प्रभाव था, 24 में उससे अनेक गुना ज्यादा हो गया है। और साथियों जब मैं सीएम-पीएम के रूप में काम करता रहा, मैंने राजनीति के अलग-अलग रंग देखे हैं, मैंने उसके तरीके भी देखे हैं। मैं मानता हूं, राजनीति में नीतिगत विरोध बहुत स्वाभाविक है। ये लोकतंत्र का स्वभाव है। किसी भी निर्णय को लेकर अलग-अलग मत हो सकते हैं। राजनीतिक दल अपने हर तरह के विचार जनता के बीच ले जाते हैं। और पूरा अवसर होता है जनता को प्रशिक्षित करने का, हर राजनीतिक दल को, राजनीतिक विचार को हक होता है। औऱ ये अधिकार का भरपूर उपयोग कर भी सकते हैं। राजनीतिक दल अपनी बात जनता के बीच पहुंचाने के लिए, जनता को जागरूक करने के लिए आंदोलन भी करते रहते हैं। लोकतंत्र की संविधान की मर्यादाओं में रह करके अपने विचार को प्रकट करते हैं। और आंदोलन पहले भी होते थे, और आज भी हो रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से एक बड़ा बदलाव आप सभी महसूस कर रहे होंगे। भारत की संविधान की भावना को कुचल दिया जाता है। लोकतंत्र की सारी मान-मर्यादाओं को अस्वीकार किया जाता है। जो लोग सत्ता को अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं, उनके पास केंद्र की सत्ता पिछले एक दशक से वो खो चुके हैं। और पहले दिन से देश की जनता किसी और को आशीर्वाद दे, इसका गुस्सा जनता पर भी है। इस स्थिति ने उनके अंदर इतना गुस्सा भर दिया है कि वो देश के खिलाफ ही साजिश करने में जुटे हैं। ये लोग अपना गुस्सा जनता पर ही निकालने लगे हैं। देश को गलत दिशा में ले जाने के लिए उन्होंने लोगों को गुमराह करना शुरू कर दिया है। उनकी झूठ और अफवाह की दुकान तो बहुत पहले से चल रही है, अब उन्होंने इस अभियान को और तेज कर दिया है। ऐसे में जागृत नागरिकों को, भाजपा के कार्यकर्ताओं के लिए, जो देश को प्यार करते हैं उनके लिए, जो संविधान का सम्मान करते हैं उनके लिए, जो लोकतंत्र को जीते हैं उनके लिए, ऐसे लोगों की हरकतें, उनके इरादे, उनके कारनामे, बहुत बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं। और ऐसे में मैं सभी देशवासियों से कहना चाहूंगा, लोकतंत्र के प्रति समर्पित हर कार्यकर्ता को कहना चाहूंगा, हमें हर पल सतर्क रहना है और लोगों को जागरूक करते रहना है। हमें हर झूठ को बेनकाब करना है। सत्ता के ये भूखे लोग जनता से सिर्फ झूठ बोलते आए हैं। जब इनका एक झूठ लोगों पर काम नहीं करता तो उससे बड़ा दूसरा झूठ गढ़ते हैं। आप भी देखते होंगे न, 2019 में जो चौकीदार उनके लिए चोर था 2024 में आते-आते वो ईमानदार हो गया। और एक बार भी चौकीदार को चोर की गाली नहीं पड़ी। इनका मकसद सिर्फ यही है कि किसी तरह सत्ता पर इनका कब्जा हो, ताकि देश आजाद हुआ तब से आज तक जो लूट चलाने वाला गिरोह है, अलग-अलग नकाब पहनकर निकलने वाला ये गिरोह है, उसको देश की जनता को लूटने का एक मौका मिल जाए।

साथियों,

आज केंद्र की भाजपा सरकार, ओडिशा के गौरव को, ओडिशा को बड़ी प्राथमिकता दे रही है। इसी महीने ओडिशा में आप सभी ने बाली जात्रा का भव्य और सफल आयोजन किया है। अभी मैं यहां DGP कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने आया हूं। और आप में से बहुत लोगों को और यहां के मीडिया के लोगों को भी आश्चर्य होगा, हमारे देश में लगभग सवा सौ साल से ये DGP कॉन्फ्रेंस चल रहा है, हर वर्ष चल रहा है। सौ सवा सौ साल से, अंग्रेजों के जमाने से चल रहा है। सौ सवा सौ साल से DGP कॉन्फ्रेंस चल रहा है, ओडिशा में पहली बार हो रहा है। देशभर के इस क्षेत्र के जो प्रमुख लोग हैं, वो दिन यहां बैठ करके, महाप्रभु जी की इस पवित्र धरती से प्रेरणा लेकर अपने-अपने क्षेत्र में जाने वाले हैं। अभी तो DGP कॉन्फ्रेंस है, अभी चार दिन के बाद, 4 दिसंबर को नौसेना दिवस के अवसर पर पुरी में ऑप डेमो 2024 का आयोजन हो रहा है। ये भी अपने आप में बहुत बड़ा अवसर होता है। वो भी पुरी के ब्लू फ्लैग बीच पर नौसेना अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन करेगी। इसका मतलब है कि पूरी ओडिशा वैश्विक नजरों के केंद्र में आने वाला है। और फिर एक महीने के भीतर-भीतर 2025 में जनवरी महीने में ही, 8 से 10 जनवरी तक भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस का बहुत बड़ा आयोजन है। विश्वभर के लोग आने वाले हैं। दुनियाभर के लोगों का आपको स्वागत करने का अवसर मिलने वाला है। और यहां से जो भावनाएं लेकर लोग जाएंगे, पहले जी-20 में अलग प्रकार के लोग आए थे। ये हमारे देश के ही लोग हैं जो कई वर्षों से विदेशों में रहते हैं, वो सब आ रहे हैं। और ये सब जब वापस जाएंगे न तो ओडिशा की इतनी कथाएं दुनियाभर में पहुंच जाएगी, ओडिशा का भरपूर प्रचार प्रसार होगा, यहां पर्यटन के अवसर बढ़ेंगे। हम ओडिशा को देश ही नहीं, दुनिया के नक्शे पर प्राथमिकता दिलाना चाहते हैं। इस तरह के आयोजन ओडिशा को मिल रही प्राथमिकता का प्रमाण हैं। आप अभी प्रवासी भारतीय दिवस की तैयारियां भी जरूर करें। और जी-20 से भी शानदार होना चाहिए। ये एक ऐसा अवसर है, जिसमें हर कार्यकर्ता अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन कर सकता है। हमारा ओडिशा स्वच्छ हो, सुंदर हो, अभी महीनभर है, शानदार सफाई अभियान चला सकते हैं। यहां की संस्कृति से लोग परिचित हों, इसके लिए जनभागीदारी बहुत जरूरी है। ओडिशा के हर नागरिक को लगना चाहिए कि दुनिया के मेहमान मेरे घर आ रहे हैं, ये भाव होना चाहिए। हम और आप मिलकर ओडिशा के गौरव को बढ़ाएंगे।

साथियों,

ओडिशा में डबल इंजन की सरकार बनने के बाद यहां हर सेक्टर में विकास ने नई गति पकड़ ली है। ओडिशा में एक साथ हजारों करोड़ की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर काम शुरू हुआ है। सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का फायदा हर वर्ग को मिलना शुरू हुआ है। खेल हो, शिक्षा हो या पर्यटन हो, हर क्षेत्र में ओडिशा ने जो रफ्तार पकड़ी है, वो अभूतपूर्व है। ओडिशा के शहरों में आधुनिक सुविधाएं जोड़ी जा रही हैं, राज्य की भाजपा सरकार यहां स्टार्टअप इकोसिस्टम डेवलप करने पर फोकस कर रही है। राज्य की धरोहर को समृद्ध बनाने का अभियान भी चलाया जा रहा है। मिशन पूर्वोदय से भी ओडिशा विकास की नई रफ्तार पकड़ रहा है। जब इनफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होगा, तभी यहां की खनिज संपदा, यहां के समुद्री तट औद्योगिक अवसरों में बदलेंगे।

साथियों,

नए उद्योग प्रदेश में आयें, इसके लिए सरकार द्वारा सही नीतियों और सही नियत की भी जरूरत होती है। और जो आज देश और दुनियाभर के लोग अनुभव कर रहे हैं, भाजपा की सरकार बनने के कारण, और ये काम ‘उत्कर्ष उत्कल’ अभियान के जरिए हो रहा है। ओडिशा को नए निवेश के लिए तैयार किया जा रहा है। यहां नए उद्योग लगेंगे, नए अवसर बनेंगे, युवाओं को रोजगार मिलेगा। युवा बड़े अवसरों के लिए तैयार हों, उनके सामर्थ्य का सही इस्तेमाल हो, इसके लिए शिक्षा व्यवस्था में भी बड़े परिवर्तन की जरूरत थी। इसीलिए, भाजपा की सरकार आते ही हमने राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूरी तरह लागू किया। ओडिशा में स्कूलों के लिए पीएम श्री योजना और हायर एजुकेशन के लिए पीएम उषा योजना को भी लागू किया है।

भाइयों बहनों,

एक ओर हम भविष्य निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, दूसरी ओर ओडिशा को जन-कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। ओडिशा के लाखों गरीब परिवारों को पक्का मकान देने का अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है। हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए हमारी सरकार मिशन मोड में काम कर रही है। गरीबी के खिलाफ लड़ाई, गरीब के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के प्रयास और तेज होंगे।

साथियों,

ओडिशा के लोग हमारी सरकार आने के बाद एक और बड़ा अंतर देख पा रहे हैं। हमारे मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी जी आज ओडिशा के अलग-अलग हिस्सों का दौरा कर रहे हैं। ओडिशा को पहली बार गांवों में पता चलता है कि मुख्यमंत्री कभी गांवों में भी आते हैं। जनता से जुड़ना और जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझना, यही भाजपा की परंपरा और संस्कृति है।

साथियों,

बीजेपी की सरकारें इतनी सफल इसलिए होती हैं, क्योंकि हमने इस देश की आधी आबादी, महिलाएं, उनके विकास पर भी उतना ही तवज्जो दिया है, उतना ही महत्व दिया है। ओडिशा में भी हमारी सरकार बनते ही माताओं-बहनों के लिए कई बड़े कदम उठाए गए हैं। माता सुभद्रा का आशीर्वाद लेकर हमने सुभद्रा योजना शुरू की। ये योजना महिला सशक्तिकरण की पहचान बनेगी। जब हमारी माताएं-बहनें आर्थिक रुप से सशक्त होंगी, तो राज्य की अर्थव्यवस्था में उनका योगदान बढ़ेगा। मुझे खुशी है कि बीजेपी के प्रयासों से ओडिशा की आदिवासी बेटी द्रौपदी मुर्मू जी आज देश की राष्ट्रपति हैं। इससे पूरे देश के आदिवासी समाज का गौरव बढ़ा है। मुर्मू जी के देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने से हर वर्ग की बेटियों का आत्मविश्वास बढ़ा है। एक आदिवासी बेटी की ये यात्रा आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।

साथियों,

ओडिशा में जनजातीय कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। ओडिशा के 13 आदिवासी समुदायों को पीएम जनमन योजना का लाभ मिल रहा है। आदिवासी बच्चों की पढ़ाई बीच में ना छूटे, इसके लिए उनके घर के पास ही स्कूल की सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है। ओडिशा के आदिवासी बहुल इलाके में एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल खोले गए हैं।

साथियों,

चुनाव के समय, मोदी ने आपको कहा था कि जो गारंटी मैं दूंगा, उसे तेजी से पूरा किया जाएगा। आज ओडिशा में हमारी सरकार, हर गारंटी को पूरा करने के लिए काम कर रही है। अब ओडिशा में धान की खरीदारी 3100 रूपए प्रति क्विंटल में की जा रही है। इसके लिए राज्य सरकार के बजट में 5 हजार करोड़ रूपए की व्यवस्था की गई है। पिछले हफ्ते राज्य सरकार ने बरगढ़ जिले से बढ़ी हुई दर से धान खरीदना शुरू कर दिया। इसी तरह हम अपनी हर गारंटी को तेजी से पूरा कर रहे हैं। इसलिए ही मैं फिर कहूंगा, मोदी की गारंटी, यानि गारंटी पूरी होने की गारंटी।

साथियों,

हम हमारे संकल्पों को पूरा करेंगे, विकसित ओडिशा के लिए काम करेंगे। और मैं आपका उत्साह, उमंग देख रहा हूं। जो सपने लेकर हम चले हैं, उसके लिए मेहनत में कोई कमी नहीं रखेंगे। आप सब यहां आए, इसके मैं एक बार फिर आप सबका आभार व्यक्त करता हूं। दरअसल तो आज मैं एक सरकारी मीटिंग के लिए आया हूं। लेकिन हमारे धर्मेंद्र जी बोले नहीं, तय किया है, हम तो चाहते हैं, तो मुझे अच्छा लगा, आप सबके दर्शन करने का मुझे मौका मिल गया। आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।