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जिन लोगों ने यहाँ से पढ़ाई की, चाहे डॉक्टर बने हों, शिक्षक बने हों, सिविल सेवा में हों, सबने विभिन्न माध्यम से अपना योगदान दिया है: पीएम
मैं आज डिग्री से सम्मानित किये जाने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई देता हूं। मैं उनके माता-पिता को भी शुभकामनाएं देता हूं: पीएम मोदी
हमें अपने भीतर के विद्यार्थी भाव को हमेशा जीवित रखना चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी
जिज्ञासु होना अच्छी बात है। हमें ज्ञान के लिए हमेशा लालायित रहना चाहिए: प्रधानमंत्री मोदी
जब आप अपना सर्टिफिकेट प्राप्त कर लेते हैं तो दुनिया का आपके प्रति नजरिया बदल जाता है: बीएचयू के दीक्षांत समारोह में पीएम मोदी
विश्व में कई चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों पर काबू पाने में भारत क्या भूमिका निभा सकता है, हमें इसके बारे में सोचना चाहिए: प्रधानमंत्री

सभी विद्यार्थी दोस्‍तों और उनके अभिभावकों, यहां के सभी faculty के members, उपस्थित सभी महानुभाव!

दीक्षांत समारोह में जाने का अवसर पहले भी मिला है। कई स्‍थानों पर जाने का अवसर मिला है लेकिन एक विश्‍वविद्यालय की शताब्‍दी के समय दीक्षांत समारोह में जाने का सौभाग्‍य कुछ और ही होता है। मैं भारत रत्‍न महामना जी के चरणों में वंदन करता हूं कि 100 वर्ष पूर्व जिस बीज उन्‍होंने बोया था वो आज इतना बड़ा विराट, ज्ञान का, विज्ञान का, प्रेरणा का एक वृक्ष बन गया।

दीर्घदृष्‍टा महापुरुष कौन होते हैं, कैसे होते हैं? हमारे कालखंड में हम समकक्ष व्‍यक्ति को कभी कहें कि यह बड़े दीर्घदृष्‍टा है, बड़े visionary है तो ज्‍यादा समझ में नहीं आता है कि यह दीर्घदृष्‍टा क्‍या होता है visionary क्‍या होता है। लेकिन 100 साल पहले महामना जी के इस कार्य को देखें तो पता चलता है कि दीर्घदृष्‍टा किसे कहते हैं, visionary किसे कहते हैं। गुलामी के उस कालखंड में राष्‍ट्र के भावी सपनों को हृदयस्‍थ करना और सिर्फ यह देश कैसा हो, आजाद हिंदुस्‍तान का रूप-रंग क्‍या हो, यह सिर्फ सपने नहीं है लेकिन उन सपनों को पूरा करने के लिए सबसे प्राथमिक आवश्‍यकता क्‍या हो सकती है? और वो है उन सपनों को साकार करे, ऐसे जैसे मानव समुदाय को तैयार करना है। ऐसे सामर्थ्‍यवान, ऐसे समर्पित मानवों की श्रृंखला, शिक्षा और संस्कार के माध्‍यम से ही हो सकती है और उस बात की पूर्ति को करने के लिए महामना जी ने यह विश्‍वविद्यालय का सपना देखा।

अंग्रेज यहां शासन करते थे, वे भी यूनिवर्सिटियों का निर्माण कर रहे थे। लेकिन ज्‍यादातर presidencies में, चाहे कोलकाता है, मुंबई हो, ऐसे स्‍थान पर ही वो प्रयास करते हैं। अब उस प्रकार से मनुष्‍यों का निर्माण करना चाहते थे, कि जिससे उनका कारोबार लंबे समय तक चलता रहे। महामना जी उन महापुरुषों को तैयार करना चाहते थे कि वे भारत की महान परंपराओं को संजोए हुए, राष्‍ट्र के निर्माण में भारत की आजादी के लिए योग्‍य, सामर्थ्‍य के साथ खड़े रहे और ज्ञान के अधिष्‍ठान पर खड़े रहें। संस्‍कारों की सरिता को लेकर के आगे बढ़े, यह सपना महामना जी ने देखा था।

जो काम महामना जी ने किया, उसके करीब 15-16 साल के बाद यह काम महात्‍मा गांधी ने गुजरात विद्यापीठ के रूप में किया था। करीब-करीब दोनों देश के लिए कुछ करने वाले नौजवान तैयार करना चाहते थे। लेकिन आज हम देख रहे हैं कि महामना जी ने जिस बीज को बोया था, उसको पूरी शताब्‍दी तक कितने श्रेष्‍ठ महानुभावों ने, कितने समर्पित शिक्षाविदों ने अपना ज्ञान, अपना पुरूषार्थ, अपना पसीना इस धरती पर खपा दिया था। एक प्रकार से जीवन के जीवन खपा दिये, पीढ़ियां खप गई। इन अनगिनत महापुरूषों के पुरूषार्थ का परिणाम है कि आज हम इस विशाल वट-वृक्ष की छाया में ज्ञान अर्जित करने के सौभाग्‍य बने हैं। और इसलिए महामना जी के प्रति आदर के साथ-साथ इस पूरी शताब्‍दी के दरमियान इस महान कार्य को आगे बढ़ाने में जिन-जिन का योगदान है, जिस-जिस प्रकार का योगदान है जिस-जिस समय का योगदान है, उन सभी महानुभवों को मैं आज नमन करता हूं।

एक शताब्‍दी में लाखों युवक यहां से निकले हैं। इन युवक-युवतियों ने करीब-करीब गत 100 वर्ष में दरमियान जीवन के किसी न किसी क्षेत्र में जा करके अपना योगदान दिया है। कोई डॉक्‍टर बने हुए होंगे, कोई इंजीनियर बने होंगे, कोई टीचर बने होंगे, कोई प्रोफेसर बने होंगे, कोई सिविल सर्विस में गये होंगे, कोई उद्योगकार बने हुए होंगे और भारत में शायद एक कालखंड ऐसा था कि कोई व्‍यक्ति कहीं पर भी पहुंचे, जीवन के किसी भी ऊंचाई पर पहुंचे जिस काम को करता है, उस काम के कारण कितनी ही प्रतिष्‍ठा प्राप्‍त क्‍यों न हो, लेकिन जब वो अपना परिचय करवाता था, तो सीना तानकर के कहता था कि मैं BHU का Student हूं।

मेरे नौजवान साथियों एक शताब्‍दी तक जिस धरती पर से लाखों नौजवान तैयार हुए हो और वे जहां गये वहां BHU से अपना नाता कभी टूटने नहीं दिया हो, इतना ही नहीं अपने काम की सफलता को भी उन्‍होंने BHU को समर्पित करने में कभी संकोच नहीं किया। यह बहुत कम होता है क्‍योंकि वो जीवन में जब ऊंचाइयां प्राप्‍त करता है तो उसको लगता है कि मैंने पाया है, मेरे पुरुषार्थ से हुआ, मेरी इस खोज के कारण हुआ, मेरे इस Innovation के कारण हुआ। लेकिन ये BHU है कि जिससे 100 साल तक निकले हुए विद्यार्थियों ने एक स्‍वर से कहा है जहां गये वहां कहा है कि यह सब BHU के बदौलत हो रहा है।

एक संस्‍था की ताकत क्‍या होती है। एक शिक्षाधाम व्‍यक्ति के जीवन को कहां से कहां पहुंचा सकता है और सारी सिद्धियों के बावजूद भी जीवन में BHU हो सके alumni होने का गर्व करता हो, मैं समझता हूं यह बहुत बड़ी बात है, बहुत बड़ी बात है। लेकिन कभी-कभी सवाल होता है कि BHU का विद्यार्थी तो BHU के गौरव प्रदान करता है लेकिन क्‍या भारत के कोने-कोने में, सवा सौ करोड़ देशवासियों के दिल में यह BHU के प्रति वो श्रद्धा भाव पैदा हुआ है क्‍या? वो कौन-सी कार्यशैलियां आई, वो कौन से विचार प्रवाह आये, वो कौन-सी दुविधा आई जिसने इतनी महान परंपरा, महान संस्‍था को हिंदुस्‍तान के जन-जन तक पहुंचाने में कहीं न कहीं संकोच किया है। आज समय की मांग है कि न सिर्फ हिंदुस्‍तान, दुनिया देखें कि भारत की धरती पर कभी सदियों पहले हम जिस नालंदा, तक्षशिला बल्लभी उसका गर्व करते थे, आने वाले दिनों में हम BHU का भी हिंदुस्‍तानी के नाते गर्व करते हैं। यह भारत की विरासत है, भारत की अमानत है, शताब्दियों के पुरुषार्थ से निकली हुई अमानत है। लक्षाविद लोगों की तपस्‍या का परिणाम है कि आज BHU यहां खड़ा है और इसलिए यह भाव अपनत्‍व, अपनी बातों का, अपनी परंपरा का गौरव करना और हिम्‍मत के साथ करना और दुनिया को सत्‍य समझाने के लिए सामर्थ्‍य के साथ करना, यही तो भारत से दुनिया की अपेक्षा है।

मैं कभी-कभी सोचता हूं योग। योग, यह कोई नई चीज नहीं है। भारत में सदियों से योग की परंपरा चली आ रही है। सामान्‍य मानविकी व्‍यक्तिगत रूप से योग के आकर्षित भी हुआ है। दुनिया के अलग-अलग कोने में, योग को अलग-अलग रूप में जिज्ञासा से देखा भी गया है। लेकिन हम उस मानसिकता में जीते थे कि कभी हमें लगता नहीं था कि हमारे योग में वह सामर्थ्‍य हैं जो दुनिया को अपना कर सकता है। पिछले साल जब United nation ने योग को अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस के रूप में स्‍वीकार किया। दुनिया के 192 Country उसके साथ जुड़ गये और विश्‍व ने गौरव ज्ञान किया, विश्‍व ने उसके साथ जुड़ने का आनंद लिया। अगर अपने पास जो है उसके प्रति हम गौरव करेंगे तो दुनिया हमारे साथ चलने के लिए तैयार होती हैं। यह विश्‍वास, ज्ञान के अधिष्‍ठान पर जब खड़ा रहता है, हर विचार की कसौटी पर कसा गया होता है, तब उसकी स्‍वीकृति और अधिक बन जाती है। BHU के द्वारा यह निरंतर प्रयास चला आ रहा है।

आज जिन छात्रों का हमें सम्‍मान करने का अवसर मिला, मैं उनको, उनके परिवार जनों को हृदय से बधाई देता हूं। जिन छात्रों को आज अपनी शिक्षा की पूर्ति के बाद दीक्षांत समारोह में डिग्रियां प्राप्‍त हुई हैं, उन सभी छात्रों का भी मैं हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। यह दीक्षांत समारोह है, हम यह कभी भी मन में न लाएं कि यह शिक्षांत समारोह है। कभी-कभी तो मुझे लगता है दीक्षांत समारोह सही अर्थ में शिक्षा के आरंभ का समारोह होना चाहिए। यह शिक्षा के अंत का समारोह नहीं है और यही दीक्षांत समारोह का सबसे बड़ा संदेश होता है कि हमें अगर जिन्‍दगी में सफलता पानी है, हमें अगर जिन्‍दगी में बदलते युग के साथ अपने आप को समकक्ष बनाए रखना है तो उसकी पहली शर्त होती है – हमारे भीतर का जो विद्यार्थी है वो कभी मुरझा नहीं जाना चाहिए, वो कभी मरना नहीं चाहिए। दुनिया में वो ही इस विशाल जगत को, इस विशाल व्‍यवस्‍था को अनगिनत आयामों को पा सकता है, कुछ मात्रा में पा सकता है जो जीवन के अंत काल तक विद्यार्थी रहने की कोशिश करता है, उसके भीतर का विद्यार्थी जिन्‍दा रहता है।

आज जब हम दीक्षांत समारोह से निकल रहे हैं तब, हमारे सामने एक विशाल विश्‍व है। पहले तो हम यह कुछ square किलोमीटर के विश्‍व में गुजारा करते थे। परिचितों से मिलते थे। परिचित विषय से संबंधित रहते थे, लेकिन अब अचानक उस सारी दुनिया से निकलकर के एक विशाल विश्‍व के अंदर अपना कदम रखने जा रहे हैं। ये पहल सामान्‍य नहीं होते हैं। एक तरफ खुशी होती है कि चलिए मैंने इतनी मेहनत की, तीन साल - चार साल - पांच साल इस कैंपस में रहा। जितना मुझसे हो सकता था मैं ले लिया, पा लिया। लेकिन अब निकलते ही, दुनिया का मेरी तरफ नजरिया देखने का बदल जाता है।

जब तक मैं विद्यार्थी था, परिवार, समाज, साथी, मित्र मेरी पीठ थपथपाते रहते थे, नहीं-नहीं बेटा अच्‍छा करो, बहुत अच्‍छा करो, आगे बढ़ो, बहुत पढ़ो। लेकिन जैसे ही सर्टिफिकेट लेकर के पहुंचता हूं तो सवाल उठता है बताओ भई, अब आगे क्‍या करोगे? अचानक, exam देने गया तब तक तो सारे लोग मुझे push कर रहे थे, मेरी मदद कर रहे थे, प्रोत्‍साहित कर रहे थे। लेकिन सर्टिफिकेट लेकर घर लौटा तो सब पूछ रहे थे, बेटा अब बताओ क्‍या? अब हमारा दायित्‍व पूरा हो गया, अब बताओ तुम क्‍या दायित्‍व उठाओगे और यही पर जिन्‍दगी की कसौटी का आरंभ होता है और इसलिए जैसे science में दो हिस्‍से होते हैं – एक होता है science और दूसरा होता है applied science. अब जिन्‍दगी में जो ज्ञान पाया है वो applied period आपका शुरू होता है और उसमें आप कैसे टिकते है, उसमें आप कैसे अपने आप को योग्‍य बनाते हैं। कभी-कभार कैंपस की चारदीवारी के बीच में, क्‍लासरूम की चारदीवारी के बीच में शिक्षक के सानिध्‍य में, आचार्य के सानिध्‍य में चीजें बड़ी सरल लगती है। लेकिन जब अकेले करना पड़ता है, तब लगता है यार अच्‍छा होता उस समय मैंने ध्‍यान दिया होता। यार, उस समय तो मैं अपने साथियों के साथ मास्‍टर जी का मजाक उड़ा रहा था। यार ये छूट गए। फिर लगता है यार, अच्‍छा होता मैंने देखा होता। ऐसी बहुत बातें याद आएगी। आपको जीवन भर यूनिवर्सिटी की वो बातें याद आएगी, जो रह गया वो क्‍या था और न रह गया होता तो मैं आज कहा था? ये बातें हर पल याद आती हैं।

मेरे नौजवान साथियों, यहां पर आपको अनुशासन के विषय में कुलाधिपति जी ने एक परंपरागत रूप से संदेश सुनाया। आप सब को पता होगा कि हमारे देश में शिक्षा के बाद दीक्षा, यह परंपरा हजारों साल पुरानी है और सबसे पहले तैतृक उपनिषद में इसका उल्‍लेख है, जिसमें दीक्षांत का पहला अवसर रेखांकित किया गया है। तब से भारत में यह दीक्षांत की परंपरा चल रही है और आज भी यह दीक्षांत समारोह एक नई प्रेरणा का अवसर बन जाता है। जीवन में आप बहुत कुछ कर पाएंगे, बहुत कुछ करेंगे, लेकिन जैसा मैंने कहा, आपके भीतर का विद्यार्थी कभी मरना नहीं चाहिए, मुरझाना नहीं चाहिए। जिज्ञासा, वो विकास की जड़ों को मजबूत करती है। अगर जिज्ञासा खत्‍म हो जाती है तो जीवन में ठहराव आ जाता है। उम्र कितनी ही क्‍यों न हो, बुढ़ापा निश्‍चित लिख लीजिए वो हो जाता है और इसलिए हर पल, नित्‍य, नूतन जीवन कैसा हो, हर पल भीतर नई चेतना कैसे प्रकट हो, हर पल नया करने का उमंग वैसा ही हो जैसा 20 साल पहले कोई नई चीज करने के समय हुआ था। तब जाकर के देखिए जिन्‍दगी जीने का मजा कुछ और होता है। जीवन कभी मुरझाना नहीं चाहिए और कभी-कभी तो मुझे लगता है मुरझाने के बजाए अच्‍छा होता मरना पसंद करना। जीवन खिला हुआ रहना चाहिए। संकटों के सामने भी उसको झेलने का सामर्थ्‍य आना चाहिए और जो इसे पचा लेता है न, वो अपने जीवन में कभी विफल नहीं जाता है। लेकिन तत्‍कालिक चीजों से जो हिल जाता है, अंधेरा छा जाता है। उस समय यह ज्ञान का प्रकाश ही हमें रास्‍ता दिखाता है और इसलिए ये BHU की धरती से जो ज्ञान प्राप्‍त किया है वो जीवन के हर संकट के समय हमें राह दिखाने का, प्रकाश-पथ दिखाने का एक अवसर देता है।

देश और दुनिया के सामने बहुत सारी चुनौतियां हैं। क्‍या उन चुनौतियों में भारत अपनी कोई भूमिका अदा कर सकता है क्‍या? क्‍यों न हमारे ये संस्‍थान, हमारे विद्यार्थी आने वाले युगों के लिए मानव जाति को, विश्‍व को, कुछ देने के सपने क्‍यों न देखे? और मैं चाहूंगा कि BHU से निकल रहे छात्रों के दिल-दिमाग में, यह भाव सदा रहना चाहिए कि मुझे जो है, उससे अच्‍छा करू वो तो है, लेकिन मैं कुछ ऐसा करके जाऊं जो आने वाले युगों तक का काम करे।

समाज जीवन की ताकत का एक आधार होता है – Innovation. नए-नए अनुसंधान सिर्फ पीएचडी डिग्री प्राप्‍त करने के लिए, cut-paste वाली दुनिया से नहीं। मैं तो सोच रहा था कि शायद यह बात BHU वालों को तो पता ही नहीं होगी, लेकिन आपको भली-भांति पता है। लेकिन मुझे विश्‍वास है कि आप उसका उपयोग नहीं करते होंगे। हमारे लिए आवश्‍यक है Innovation. और वो भी कभी-कभार हमारी अपनी निकट की स्‍थितियों के लिए भी मेरे मन में एक बात कई दिनों से पीड़ा देती है। मैं दुनिया के कई noble laureate से मिलने गया जिन्‍होंने medical science में कुछ काम किया है और मैं उनके सामने एक विषय रखता था। मैंने कहा, मेरे देश में जो आदिवासी भाई-बहन है, वो जिस इलाके में रहते हैं। उस belt में परंपरागत रूप से एक ‘sickle-cell’ की बीमारी है। मेरे आदिवासी परिवारों को तबाह कर रही है। कैंसर से भी भयंकर होती है और व्‍यापक होती है। मेरे मन में दर्द रहता है कि आज का विज्ञान, आज की यह सब खोज, कैंसर के मरीज के लिए नित्‍य नई-नई चीजें आ रही हैं। क्‍या मेरे इस sickle-cell से पीड़ित, मेरे आदिवासी भाइयो-बहनों के लिए शास्‍त्र कुछ लेकर के आ सकता है, मेरे नौजवान कुछ innovation लेकर के आ सकते हैं क्‍या? वे अपने आप को खपा दे, खोज करे, कुछ दे और शायद दुनिया के किसी और देश में खोज करने वाला जो दे पाएगा, उससे ज्‍यादा यहां वाला दे पाएगा क्‍योंकि वो यहां की रुचि, प्रकृति, प्रवृत्‍ति से परिचित है और तब जाकर के मुझे BHU के विद्यार्थियों से अपेक्षा रहती है कि हमारे देश की समस्‍याएं हैं। उन समस्‍याओं के समाधान में हम आने वाले युग को देखते हुए कुछ दे सकते हैं क्‍या?

आज विश्‍व Global warming, Climate change बड़ा परेशान है। दुनिया के सारे देश अभी पेरिस में मिले थे। CoP-21 में पूरे विश्‍व का 2030 तक 2 डिग्री temperature कम करना है। सारा विश्‍व मशक्‍कत कर रहा है, कैसे करे? और अगर यह नहीं हो पाया तो पता नहीं कितने Island डूब जाएंगे, कितने समुद्री तट के शहर डूब जाएंगे। ये Global warming के कारण पता नहीं क्‍या से क्‍या हो जाएगा, पूरा विश्‍व चिंतित है। हम वो लोग है जो प्रकृति को प्रेम करना, हमारी रगों में है। हम वो लोग है जिन्‍होंने पूरे ब्रह्मांड को अपना एक पूरा परिवार माना हुआ है। हमारे भीतर, हमारे ज़हन में वो तत्‍व ज्ञान तो भरा पड़ा है और तभी तो बालक छोटा होता है तो मां उसे शिक्षा देती है कि देखो बेटे, यह जो सूरज है न यह तेरा दादा है और यह चांद है यह तेरा मामा है। पौधे में परमात्‍मा देखता है, नदी में मां देखता है। ये जहां पर संस्‍कार है, जहां प्रकृति का शोषण गुनाह माना जाता है। Exploitation of the nature is a crime. Milking of the nature यही हमें अधिकार है। यह जिस धरती पर कहा जाता है, क्‍या दुनिया को Global warming के संकट से बचाने के लिए कोई नए आधुनिक innovation के साथ मेरे भारत के वैज्ञानिक बाहर आ सकते हैं क्‍या, मेरी भारत की संस्‍थाएं बाहर आ सकती हैं क्‍या? हम दुनिया को समस्‍याओं से मुक्‍ति दिलाने का एक ठोस रास्‍ता दिखा सकते हैं क्‍या? भारत ने बीड़ा उठाया है, 2030 तक दुनिया ने जितने संकल्‍प किए, उससे ज्‍यादा हम करना चाहते हैं। क्‍योंकि हम यह मानते हैं, हम सदियों से यह मानते हुए आए हैं कि प्रकृति के साथ संवाद होना चाहिए, प्रकृति के साथ संघर्ष नहीं होना चाहिए।

अभी हमने दो Initiative लिए हैं, एक अमेरिका, फ्रांस, भारत और बिल गेट्स का NGO, हम मिलकर के Innovation पर काम कर रहे हैं। Renewal energy को affordable कैसे बनाए, Solar energy को affordable कैसे बनाए, sustainable कैसे बनाए, इस पर काम कर रहे हैं। दूसरा, दुनिया में वो देश जहां 300 दिवस से ज्‍यादा सूर्य की गर्मी का प्रभाव रहता है, ऐसे देशों का संगठन किया है। पहली बार दुनिया के 122 देश जहां सूर्य का आशीर्वाद रहता है, उनका एक संगठन हुआ है और उसका world capital हिन्‍दुस्‍तान में बनाया गया है। उसका secretariat, अभी फ्रांस के राष्‍ट्रपति आए थे, उस दिन उद्घाटन किया गया। लेकिन इरादा यह है कि यह समाज, देश, दुनिया जब संकट झेल रही है, हम क्‍या करेंगे?

हमारा उत्‍तर प्रदेश, गन्‍ना किसान परेशान रहता है लेकिन गन्‍ने के रास्‍ते इथनॉल बनाए, petroleum product के अंदर उसको जोड़ दे तो environment को फायदा होता है, मेरे गन्‍ना किसान को भी फायदा हो सकता है। मेरे BHU में यह खोज हो सकती है कि हम maximum इथनॉल का उपयोग कैसे करे, हम किस प्रकार से करे ताकि मेरे उत्‍तर प्रदेश के गन्‍ने किसान का भी भला हो, मेरे देश के पर्यावरण और मानवता के कल्‍याण का काम हो और मेरा जो vehicle चलाने वाला व्‍यक्‍ति हो, उसको भी कुछ महंगाई में सस्‍ताई मिल जाए। यह चीजें हैं जिसके innovation की जरूरत है।

हम Solar energy पर अब काम कर रहे हैं। भारत ने 175 गीगावॉट Solar energy का सपना रखा है, renewal energy का सपना रखा है। उसमें 100 गीगावॉट Solar energy है, लेकिन आज जो Solar energy के equipment हैं, उसकी कुछ सीमाएं हैं। क्‍या हम नए आविष्‍कार के द्वारा उसमें और अधिक फल मिले, और अधिक ऊर्जा मिले ऐसे नए आविष्‍कार कर सकते हैं क्‍या? मैं नौजवान साथियों को आज ये चुनौतियां देने आया हूं और मैं इस BHU की धरती से हिन्‍दुस्‍तान के और विश्‍व के युवकों को आह्वान करता हूं। आइए, आने वाली शताब्‍दी में मानव जाति जिन संकटों से जूझने वाली है, उसके समाधान के रास्‍ते खोजने का, innovation के लिए आज हम खप जाए। दोस्‍तों, सपने बहुत बड़े देखने चाहिए। अपने लिए तो बहुत जीते हैं, सपनों के लिए मरने वाले बहुत कम होते हैं और जो अपने लिए नहीं, सपनों के लिए जीते हैं वही तो दुनिया में कुछ कर दिखाते हैं।

आपको एक बात का आश्‍चर्य हुआ होगा कि यहां पर आज मेरे अपने personal कुछ मेहमान मौजूद है, इस कार्यकम में। और आपको भी उनको देखकर के हैरानी हुई होगी, ये मेरे जो personal मेहमान है, जिनको मैंने विशेष रूप से आग्रह किया है, यूनिवर्सिटी को कि मेरे इस convocation का कार्यक्रम हो, ये सारे नौजवान आते हो तो उस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उनको बुलाइए। Government schools सामान्‍य है, उस स्‍कूल के कुछ बच्‍चे यहां बैठे हैं, ये मेरे खास मेहमान है। मैंने उनको इसलिए बुलाया है और मैं जहां-जहां भी अब यूनिवर्सिटी में convocation होते हैं। मेरा आग्रह रहता है कि उस स्‍थान के गरीब बच्‍चे जिन स्‍कूलों में पढ़ते हैं ऐसे 50-100 बच्‍चों को आकर के बैठाइए। वो देखे कि convocation क्‍या होता है, ये दीक्षांत समारोह क्‍या होता है? ये इस प्रकार की वेशभूषा पहनकर के क्‍यों आते हैं, ये हाथ में उनको क्‍या दिया जाता है, गले में क्‍या डाला जाता है? ये बच्‍चों के सपनों को संजोने का एक छोटा-सा काम आज यहां हो रहा है। आश्‍चर्य होगा, सारी व्‍यवस्‍था में एक छोटी-सी घटना है, लेकिन इस छोटी-सी घटना में भी एक बहुत बड़ा सपना पड़ा हुआ है। मेरे देश के गरीब से गरीब बच्‍चे जिनको ऐसी चीजें देखने का अवसर नहीं मिलता है। मेरा आग्रह रहता है कि आए देखे और मैं विश्‍वास से कहता हूं जो बच्‍चे आज ये देखते है न, वो अपने मन में बैठे-बैठे देखते होंगे कि कभी मैं भी यहां जाऊंगा, मुझे भी वहां जाने का मौका मिलेगा। कभी मेरे सिर पर भी पगड़ी होगी, कभी मेरे गले में भी पांच-सात गोल्‍ड मेडल होंगे। ये सपने आज ये बच्‍चे देख रहे हैं।

मैं विश्‍वास करूंगा कि जिन बच्‍चों को आज गोल्‍ड मेडल मिला है, वो जरूर इन स्‍कूली बच्‍चों को मिले, उनसे बातें करे, उनमें एक नया विश्‍वास पैदा करे। यही तो है दीक्षांत समारोह, यही से आपका काम शुरू हो जाता है। मैं आज जो लोग जा रहे हैं, जो नौजवान आज समाज जीवन की अपनी जिम्‍मेवारियों के कदम रखते हैं। बहुत बड़ी जिम्‍मेवारियों की ओर जा रहे हैं। दीवारों से छूटकर के पूरे आसमान के नीचे, पूरे विश्‍व के पास जब पहुंच रहे है तब, यहां से जो मिला है, जो अच्‍छाइयां है, जो आपके अंदर सामर्थ्‍य जगाती है, उसको हमेशा चेतन मन रखते हुए, जिन्‍दगी के हर कदम पर आप सफलता प्राप्‍त करे, यही मेरी आप सब को शुभकामनाएं हैं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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डिजिटल क्रांति के अगले चरण की ओर तेजी से बढ़ रहा है भारत : पीएम मोदी
March 22, 2023
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भारत 6जी विजन डॉक्यूमेंट का अनावरण किया और 6जी आर एंड डी टेस्ट बैड शुरू किया
'कॉल बिफोर यू डिग' ऐप शुरू किया
अपनी अर्थव्यवस्थाओं को विकसित करने के लिए डिजिटल परिवर्तन की तलाश कर रहे देशों के लिए भारत एक रोल मॉडल है: आईटीयू महासचिव
भारत की दो प्रमुख ताकतें हैं - भरोसा और पैमाना, बिना भरोसे और पैमाने के हम तकनीक को हर कोने में नहीं ले जा सकते”
"दूरसंचार प्रौद्योगिकी भारत के लिए शक्ति का तरीका नहीं है, बल्कि सशक्त बनाने का एक मिशन है"
"भारत तेजी से डिजिटल क्रांति के अगले चरण की ओर बढ़ रहा है"
"आज पेश किया गया विज़न डॉक्यूमेंट अगले कुछ वर्षों में 6जी रोलआउट के लिए एक प्रमुख आधार बनेगा"
“भारत 5जी की ताकत से पूरी दुनिया की कार्य संस्‍कृति को बदलने के लिए अनेक देशों के साथ काम कर रहा है”
"आईटीयू की वर्ल्‍ड टेलीकम्‍युनीकेशन्‍स स्‍टैंडर्डाइजेशन असेम्‍बली अगले साल अक्टूबर में दिल्ली में आयोजित की जाएगी"
यह दशक भारत का टेक-ऐड है"

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी डॉक्टर एस जयशंकर जी, श्री अश्विनी वैष्णव जी, श्री देवुसिंह चौहान जी, ITU की सेक्रेटरी जनरल, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

आज का दिन बहुत विशेष है, बहुत पवित्र है। आज से ‘हिन्दू कैलेंडर’ का नया वर्ष शुरू हुआ है। मैं आप सभी को और सभी देशवासियों को विक्रम संवत 2080 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। हमारे इतने विशाल देश में, विविधता से भरे देश में सदियों से अलग-अलग कैलेंडर्स प्रचलित हैं। कोल्लम काल का मलयालम कैलेंडर है, तमिल कैलेंडर है, जो सैकड़ों वर्षों से भारत को तिथिज्ञान देते आ रहे हैं। विक्रम संवत भी 2080 वर्ष पहले से चल रहा है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में अभी वर्ष 2023 चल रहा है, लेकिन विक्रम संवत उससे भी 57 वर्ष पहले का है। मुझे खुशी है कि नव वर्ष के पहले दिन टेलिकॉम, ICT और इससे जुड़े इनोवेशन को लेकर एक बहुत बड़ी शुरुआत भारत में हो रही है। आज यहां International Tele-communication Union (ITU) के एरिया ऑफिस और सिर्फ एरिया ऑफिस नहीं, एरिया ऑफिस और इनोवेशन सेंटर की स्थापना हुई है। इसके साथ-साथ आज 6G Test-Bed को भी लॉन्च किया गया है। इस टेक्नोलॉजी से जुड़े हमारे विजन डॉक्यूमेंट को unveil किया गया है। ये डिजिटल इंडिया को नई ऊर्जा देने के साथ ही साउथ एशिया के लिए, ग्लोबल साउथ के लिए, नए समाधान, नए इनोवेशन लेकर आएगा। खासकर हमारे एकेडिमिया, हमारे इनोवेटर्स-स्टार्ट अप्स, हमारी इंडस्ट्री के लिए इससे अनेक नए अवसर बनेंगे।

Friends,

आज जब भारत, जी-20 की प्रेसीडेंसी कर रहा है, तो उसकी प्राथमिकताओं में Regional Divide को कम करना भी है। कुछ सप्ताह पहले ही भारत ने Global South Summit का आयोजन किया है। Global South की Unique जरूरतों को देखते हुए, Technology, Design और Standards की भूमिका बहुत अहम है। Global South, अब Technological Divide को भी तेजी से Bridge करने में जुटा है। ITU का ये एरिया ऑफिस एवं इनोवेशन सेंटर, इस दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। मैं ग्लोबल साउथ में यूनिवर्सल कनेक्टिविटी के निर्माण को लेकर भारत के प्रयासों को भी ये अत्यंत गति दायक और गति देने वाला होगा। इससे साउथ एशियाई देशों में ICT सेक्टर में cooperation और collaboration भी मजबूत होगा और इस अवसर पर विदेश के भी बहुत-बहुत मेहमान आज हमारे यहां मौजूद हैं। मैं आप सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

जब हम टेक्नॉलॉजिकल डिवाइड को ब्रिज करने की बात करते हैं तो भारत से अपेक्षा करना भी बहुत स्वाभाविक है। भारत का सामर्थ्य, भारत का इनोवेशन कल्चर, भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर, भारत का स्किल्ड और इनोवेटिव मैनपावर, भारत का Favorable policy environment, ये सारी बातें इस अपेक्षा का आधार हैं। इनके साथ ही भारत के पास जो दो प्रमुख शक्तियां हैं, वो हैं Trust और दूसरा है Scale. बिना Trust और Scale, हम टेक्नॉलॉजी को कोने-कोने तक नहीं पहुंचा सकते हैं और मैं तो कहूंगा कि Trust की ये टेक्नॉलॉजी जो वर्तमान की है, उसमें Trust एक पूर्व शर्त है। इस दिशा में भारत के प्रयासों की चर्चा आज पूरी दुनिया कर रही है। आज भारत, 100 करोड़ मोबाइल फोन के साथ Most connected democracy of the world है। सस्ते स्मार्टफोन और सस्ते इंटरनेट डेटा ने भारत के डिजिटल वर्ल्ड का कायाकल्प कर दिया है। आज भारत में हर महीने 800 करोड़ से अधिक UPI आधारित डिजिटल पेमेंट्स होते हैं। आज भारत में हर दिन 7 करोड़ e-authentications होते हैं। भारत के कोविन प्लेटफार्म के माध्यम से देश में 220 करोड़ से अधिक वैक्सीन डोज लगी है। बीते वर्षों में भारत ने 28 लाख करोड़ रुपए से अधिक, सीधे अपने Citizens के बैंक खातों में भेजे हैं, Direct Benefit Transfer। जनधन योजना के माध्यम से हमने अमेरिका की कुल आबादी से भी ज्यादा लोगों के बैंक खाते खोले हैं। और उसके बाद यूनिक डिजिटल आइडेंटिटी यानि आधार के द्वारा उन्हें authenticate किया, और फिर 100 करोड़ से ज्यादा लोगों को मोबाइल के द्वारा कनेक्ट किया। जनधन – आधार – मोबाइल- JAM, JAM ट्रिनिटी की ये ताकत विश्व के लिए एक अध्ययन का विषय है।

साथियों,

भारत के लिए टेलीकॉम टेक्नोलॉजी, mode of power नहीं है। भारत में टेक्नोलॉजी सिर्फ mode of power नहीं है बल्कि mission to empower है। आज डिजिटल टेक्नॉलॉजी भारत में यूनिवर्सल है, सबकी पहुंच में है। पिछले कुछ वर्षों में भारत में बड़े स्केल पर digital inclusion हुआ है। अगर हम ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी की बात करें तो 2014 से पहले भारत में 6 करोड़ यूजर्स थे। आज ब्रॉडबैंड यूजर्स की संख्या 80 करोड़ से ज्यादा है। 2014 से पहले भारत में इंटरनेट कनेक्शन की संख्या 25 करोड़ थी। आज ये 85 करोड़ से भी ज्यादा है।

साथियों,

अब भारत के गांवों में इंटरनेट यूजर्स की संख्या शहरों में रहने वाले इंटरनेट यूजर्स से भी अधिक हो गई है। ये इस बात का प्रमाण है कि डिजिटल पावर कैसे देश के कोने-कोने में पहुंच रही है। पिछले 9 वर्षों में, भारत में सरकार और प्राइवेट सेक्टर ने मिलकर 25 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है। 25 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर, इन वर्षों में ही लगभग 2 लाख ग्राम पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा गया है। देशभर के गांवों में आज 5 लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर, डिजिटल सर्विस दे रहे हैं। इसी बात का प्रभाव है और ये सबका प्रभाव है कि आज हमारी डिजिटल इकोनॉमी, देश की ओवरऑल इकोनॉमी से भी लगभग ढाई गुना तेजी से आगे बढ़ रही है।

साथियों,

डिजिटल इंडिया से नॉन डिजिटल सेक्टर्स को भी बल मिल रहा है और इसका उदाहरण है हमारा पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान। देश में बन रहे हर प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े डेटा लेयर्स को एक प्लेटफार्म पर लाया जा रहा है। लक्ष्य यही है कि इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास से जुड़े हर रिसोर्स की जानकारी एक जगह हो, हर स्टेकहोल्डर के पास रियल टाइम इंफॉर्मेशन हो। आज यहां जिस ‘Call Before you Dig’ इस ऐप की लॉन्चिंग हुई है और वो भी इसी भावना का विस्तार है और ‘Call Before you Dig’ का मतलब ये नहीं कि इसको political field में उपयोग करना है। आप भी जानते हैं कि अलग-अलग प्रोजेक्टस के लिए जो Digging का काम होता है, उससे अक्सर टेलीकॉम नेटवर्क को भी नुकसान उठाना पड़ता है। इस नए ऐप से खुदाई करने वाली एजेंसियों और जिनका अंडरग्राउंड असेट है, उन विभागों के बीच तालमेल बढ़ेगा। इससे नुकसान भी कम होगा और लोगों को होने वाली परेशानियां भी कम होंगी।

साथियों,

आज का भारत, डिजिटल रिवॉल्यूशन के अगले कदम की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहा है। आज भारत, दुनिया में सबसे तेजी से 5G रोलआउट करने वाला देश है। सिर्फ 120 दिन में, 120 दिनों में ही 125 से अधिक शहरों में 5G रोल आउट हो चुका है। देश के लगभग साढ़े 300 जिलों में आज 5G सर्विस पहुंच गई है। इतना ही नहीं, 5G रोलआउट के 6 महीने बाद ही आज हम 6G की बात कर रहे हैं और ये भारत का कॉन्फिडेंस दिखाता है। आज हमने अपना विजन डॉक्यूमेंट भी सामने रखा है। ये अगले कुछ वर्षों में 6G रोलआउट करने का बड़ा आधार बनेगा।

साथियों,

भारत में विकसित और भारत में सफल टेलीकॉम टेक्नोलॉजी आज विश्व के अनेक देशों का ध्यान अपनी तरफ खींच रही है। 4G और उससे पहले, भारत टेलीकॉम टेक्नोलॉजी का सिर्फ एक यूज़र था, consumer था। लेकिन अब भारत दुनिया में telecom technology का बड़ा exporter होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। 5G की जो शक्ति है, उसकी मदद से पूरी दुनिया का Work-Culture बदलने के लिए, भारत कई देशों के साथ मिलकर के काम कर रहा है। आने वाले समय में भारत, 100 नई 5G labs की स्थापना करने जा रहा है। इससे 5G से जुड़ी opportunities, business models और employment potential को जमीन पर उतारने में बहुत मदद मिलेगी। ये 100 नई लैब्स, भारत की unique needs के हिसाब से 5G applications डेवलप करने में मदद करेंगी। चाहे 5जी स्मार्ट क्लासरूम हों, फार्मिंग हो, intelligent transport systems हों या फिर healthcare applications, भारत हर दिशा में तेजी से काम कर रहा है। भारत के 5Gi standards, Global 5G systems का हिस्सा हैं। हम ITU के साथ भी future technologies के standardization के लिए मिलकर के काम करेंगे। यहां जो Indian ITU Area office खुल रहा है, वो हमें 6G के लिए सही environment बनाने में भी मदद करेगा। मुझे आज ये घोषणा करते हुए भी खुशी हो रही है कि ITU की World Tele-communications Standardization Assembly, अगले वर्ष अक्टूबर में दिल्ली में ही आयोजित की जाएगी। इसमें भी विश्व भर के प्रतिनिधि भारत आएंगे। मैं अभी से इस इवेंट के लिए आप सबको शुभकामनाएं तो देता हूं। लेकिन मैं इस क्षेत्र के विद्वानों को चुनौती भी देता हूं कि हम अक्टूबर के पहले ऐसा कुछ करें जो दुनिया के गरीब से गरीब देशों को अधिक से अधिक काम आए।

साथियों,

भारत के विकास की इसी रफ्तार को देखकर कहा जाता है ये decade, भारत का tech-ade है। भारत का टेलीकॉम और डिजिटल मॉडल smooth है, secure है, transparent है और trusted and tested है। साउथ एशिया के सभी मित्र देश इसका लाभ उठा सकते हैं। मेरा विश्वास है, ITU का ये सेंटर इसमें एक अहम भूमिका निभाएगा। मैं फिर एक बार इस महत्वपूर्ण अवसर पर विश्व के अनेक देशों के महानुभाव यहां आए हैं, उनका स्वागत भी करता हूं और आप सबको भी अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद!