QuotePM speaks at the function organized by Rickshaw Sangh in Varanasi
QuotePM launches financial inclusion initiative in Varanasi, calls it a landmark event that would transform lives of people
QuoteThere is a need to increase the pace and scale of outcomes of the initiatives to remove poverty: PM
QuoteEvery person wants his or her child to lead a life better than what they led. Every person wants his or her child lead a life of dignity: PM
QuoteUnion Government is putting emphasis on skill development to help make the poor self-reliant: PM
QuoteEducation is the best way to fight poverty: PM Narendra Modi
QuotePM Modi urges beneficiaries to ensure that their children receive proper education

विशाल संख्या में आए भाईयो और बहनों,

यहां जो कार्यक्रम हो रहा है, ये कार्यक्रम सिर्फ कुछ गरीब परिवारों का जीवन बदलेगा, ऐसा नहीं है। ये कार्यक्रम एक ऐसी शुभ शुरूआत है, जो काशी के भाग्‍य को बदलेगा। यहां के गरीब के जीवन में अगर हम थोड़ा सा आवश्‍यक बदलाव ला ले, समय के आधारित जीवन में technology का प्रवेश करें, तो गरीब से गरीब व्‍यक्‍ति की पहले जितना परिश्रम करके कमाता था, उससे भी थोड़ा कम परिश्रम करके, वो ज्‍यादा कमा सकता है। आज यहां उस प्रकार की सुविधाएं दी जा रही हैं, जिसमें बैंक का सहयोग है, American Foundation का सहयोग है, भारत सरकार बहुत बड़ी मात्रा में इन चीजों को promote कर रही है और गरीब को सबसे पहला प्रयास है कि वो आत्‍मनिर्भर कैसे बने।

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हम करीब-करीब पिछले 40-50 साल से गरीबी हटाओ, इस बात को सुनते आए हैं। हमारे देश में चुनावों में भी गरीबों का कल्‍याण करने वाले भाषण लगातार सुनने को मिलते हैं। हमारे यहां राजनीति करते समय कुछ भी करते हो लेकिन सुबह-शाम गरीबों की माला जपते रहना, ये एक परंपरा बन गई है। इस परंपरा से जरा बाहर आने की जरूरत है और बाहर आने का मतलब है कि क्‍या हम प्रत्‍यक्ष रूप से गरीबों को साथ ले करके, गरीबी से मुक्‍ति का अभियान चला सकते हैं क्‍या? अब तक जितने प्रयोग हुए हैं, उन प्रयोगों से जितनी मात्रा में परिणाम चाहिए था, वो देश को मिला नहीं है। गरीब की जिन्‍दगी में भी जिस तेजी से बदलाव आना चाहिए, वो बदलाव हम ला नहीं पाए हैं। मैं किसी सरकार को दोष देना नहीं चाहता हूं, किसी दल को दोष देना नहीं चाहता हूं, लेकिन कुछ अच्‍छा करने की दिशा में एक नए सिरे से गरीबों के कल्‍याण के लिए मूलभूत बातों पर focus करना। वो कौन सी चीजें करें ताकि गरीब जो सचमुच में मेहनत करने को तैयार है, गरीबी की जिन्‍दगी से बाहर निकलने को तैयार है। आप किसी भी गरीब को पूछ लीजिए, उसे पूछिए कि भाई क्‍या आप अपने संतानों को ऐसी ही गरीबी वाली जिन्‍दगी जीएं, ऐसा चाहते हो कि अच्‍छी जिन्‍दगी जीएं चाहते हो। गरीब से गरीब व्‍यक्‍ति भी ये कहेगा कि मैं मेरे संतानों को विरासत मैं ऐसी गरीबी देना नहीं चाहता। मैं उसे एक ऐसी जिन्‍दगी देना चाहता हूं कि जिसके कारण वो अपने कदमों पर खड़ा रहे, सम्‍मान से जीना शुरू करें और अपनी जिन्‍दगी गौरवपूर्व बताएं, ऐसा हर गरीब मां-बाप की इच्‍छा होती हैं। उसको वो पूरा कैसे करें। आज कभी हालत ऐसी होती है कि वो मजदूरी करता है, लेकिन अगर थोड़ा-सा skill development कर दिया जाए, उसको थोड़ा हुनर सिखा दिया जाए तो पहले अगर वो सौ रुपया कमाता है, थोड़ा हुनर सिखा दिया तो वो 250-300 रुपए कमाना शुरू कर देता है और एक बार हुनर सीखता है तो खुद भी दिमाग लगाकर के उसमें अच्‍छाई करने का प्रयास करता है और इसलिए भारत सरकार ने एक बहुत बड़ा अभियान चलाया है skill development का, कौशल्‍यवर्धन का। गरीब से गरीब का बच्‍चा चाहे स्‍कूल के दरवाजे तक पहुंचा हो या न पहुंचा हो, या पांचवीं, सातवीं, दसवीं, बारहवीं पढ़कर के छोड़ दी हो, रोजी-रोटी तलाशता हो। अगर उसे कोई चीज सिखा ली जाए तो वो देश की अर्थनीति को भी बल देता है, आर्थिक गतिविधि को भी बल देता है और स्‍वयं अपने जीवन में कुछ कर-गुजरने की इच्‍छा रखता है और इसलिए छोटी-छोटी चीजें ये कैसे develop करे उस दिशा में हमारा प्रयास है।

आज मैं यहां ये सब ई-रिक्‍शा वाले भाइयों से मिला। मैंने उनको पूछा क्‍या करोगे, चला पाओगे क्‍या? तो उन्‍होंने कहा साहब पहले से मेरा confidence level ज्‍यादा है। मैंने कहा क्‍यों? वो मेरा skill development हो गया। उसे skill शब्‍द भी आता था। बोले मेरा skill development हो गया। बोले मेरी training हुई और मेरा पहले से ज्‍यादा विश्‍वास है। पहले मैं pedal वाले रिक्‍शा चलाता था। मैंने कहा speed कितनी रखोगे? बोले साहब मैं कानून का पालन करूंगा और मैं कभी ऐसा न करूं ताकि मेरे परिवार को भी कोई संकट आए और मेरे passenger के परिवार को भी संकट आए, ऐसा मैं कभी होने नहीं दूंगा और काशी की गलियां तो छोटी है तो वैसे भी मुझे संभाल के चलना है। उसकी ये training हुई है। काशी में दुनिया भर के लोग आते हैं। काशी का tourism कैसा हो, काशी कैसा है, काशी के लोग कैसे है? उसका पहला परिचय यात्री को किसके साथ होता है, रिक्‍शा वाले के साथ होता है। वो उसके साथ किस प्रकार से व्‍यवहार करता है, वो उसके प्रति किस प्रकार का भाव रखता है, उसी से उसकी मन में छवि बनती है। अरे भाई, ये तो शहर बहुत अच्‍छा है। यहां के रिक्‍शा वाले भी इतने प्‍यार से हमारी चिन्‍ता करते हैं, वहीं से शुरू होता है और इसलिए यहां जो टूरिस्‍टों के लिए एक स्‍पेशल रिक्‍शा का जो सुशोभन किया गया है, कुछ व्‍यवस्‍थाएं विकसित की गई हैं। मैं उनसे पूछ रहा था, मैंने कहा आप Guide के नाते मुझे सब चीजें बता सकते हों, बोले हां बता सकता हूं। मैं हर चीज बता सकता हूं रिक्‍शा चलाते-चलाते और बोले मुझे विश्‍वास है कि मेरे रिक्‍शा में जो बैठेगा, उसको ये संतोष होगा कि काशी उसको देखने को सहज मिल जाएगा। चीजें छोटी-छोटी होती हैं, लेकिन वे बहुत बड़ा बदलाव लाती है।

आज चाहे pedal रिक्‍शा को आधुनिक कैसे किया जाए, pedal रिक्‍शा से ई-रिक्‍शा की ओर shifting कैसे किया जाए, यात्रियों की सुविधाओं को कैसे स्‍थान दिया जाए, बदलते हुए युग में environment friendly technology का कैसे उपयोग किया जाए? इन सारी बातों का इसके अंदर जोड़ हैं और सबसे बड़ी बात है उनके परिवार की। आज इसमें जो लोग select किए गए हैं, वो वो लोग है, जिनकी खुद की कभी रिक्‍शा नहीं थी। वो बेचारे किराए पर रिक्‍शा लेकर के दिनभर मजदूरी करते थे। 50 रुपया, 60 रुपया उस रिक्‍शा मालिक को उनको देना पड़ता था। बचा-खुचा घर जाकर के ले जाता था। बच्‍चों के लिए डबलरोटी साथ ले जाता था, उसी से रात का गुजारा हो जाता था। इस प्रयोग का सबसे बड़ा लाभ उन गरीब रिक्‍शा वालों को है कि अब उनको वो जो ऊंचे ब्‍याज से पैसे देने पड़ते थे, उससे अब मुक्‍ति हो गई। अब वो जो पैसे होंगे वो बैंक के बहुत ही कम rate से पैसा जमा करेगा और कोई साल के अंदर और कोई दो साल में इस रिक्‍शा का मालिक हो जाएगा। जब उसे पता है, इसका मतलब ये हुआ कि उसकी ये बचत होने वाली है। ये पैसे उसके किसी ओर की जेब में नहीं जाने वाले, खुद की जेब में जाने वाले है ताकि वो एक साल-दो साल के बाद इसका मालिक बन जाने वाला है और मुझे विश्‍वास है कि इस प्रकार की व्‍यवस्‍था के कारण आने वाले दिनों में जितने परिवार है, उनको फिर गरीबी की हालत में रहने की नौबत नहीं आएगी, वो आगे बढ़ेंगे।

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मैंने उनसे पूछा कि बच्‍चों को पढ़ाओगे क्‍या? बोले साहब अब तक तो कभी-कभी मन में रहता था कि कितना पढ़ाऊं, कहां से पैसा लाऊं, लेकिन ये जो आपने व्‍यवस्‍था की है, अब मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं, मैं बच्‍चों को पढ़ाऊंगा। मेरी बात तो ये पांच-छह लोगों के साथ हुई है लेकिन यहां जिन लोगों को आज रिक्‍शा मिल रही है, उन सबसे मेरा आग्रह है कितनी ही तकलीफ क्‍यों न हो, मेरे प्रति नाराजगी व्‍यक्‍त करनी है, तो जरूर करना, आपको हक है। लेकिन बच्‍चों को पढ़ाई से कभी खारिज मत करना, बच्‍चों की पढ़ाई को प्राथमिकता देना। गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने का सबसे बड़ा औजार और सस्‍ते से सस्‍ता औजार कोई है, तो अपनी संतानों को शिक्षा देना। अगर हम अपने बच्‍चों को शिक्षा देंगे, तो दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो हमें गरीब रहने के लिए मजबूर कर दे। देखते ही देखते स्थिति बदलना शुरू हो जाएगा। और इसलिए मैं आग्रह करूंगा कि ये जो नई सुविधाएं जिन-जिन परिवारों को मिल रही हैं, वे अपने बच्‍चों को पढ़ाने के विषय में कोई compromise न करें, अपने बच्‍चों को जरूर पढ़ाएं।

आज मुझे एक परिवार से मिलना हुआ। वो बहन चौराहे पर दरी बिछाकर के सब्‍जी बगैरा बेचती रहती थी, आज उसको एक ठेला मिल गया है। मैंने उसको पूछा क्‍या फर्क पड़ेगा। बोले जी पहले तो मैं जहां बैठती थी कोई आया तो माल ले के जाता था, अब मैं अलग-अलग इलाकों में जाऊंगी, अपना समय पत्रक बना दूंगी कि इस इलाके में सुबह 9 बजे जाना है, इस इलाके में सुबह 10 बजे जाना है इस इलाके में 11 बजे जाना है, तो लोगों को भी पता रहेगा कि मैं कितने बजे वहां माल अपना लेकर जाऊंगी, तो वो जरूर उस समय पर मेरा माल ले लेंगे। अब देखिए अनपढ़ महिला! लेकिन उसे मालूम है कि मैं ऐसा टाईम-टेबल बनाऊंगी कि इस इलाके में 9 बजे जाती हूं तो रोज, हर रोज 9 बजे वहां पहुंच जाऊंगी, इस इलाके में दोपहर को 12 बजे पहुंचती हूं, मतलब 12 बजे पहुंच जाऊंगी। यानी उसको business का perfect management मालूम है। ठेला चलाते-चलाते भी अपनी जिंदगी बदली जा सकती है, इसका विश्‍वास उसके अंदर आया है। ये छोटी-छोटी चीजें हैं, जिसके द्वारा हम एक बहुत बड़ा बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं।

अभी प्रधानमंत्री जन-धन खाते खोलने का जो अभियान चलाया, हमारे देश में सालों से कहा जाता था कि गरीबों के लिए बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया है, लेकिन बैंकों के राष्ट्रीयकरण के 40-50 साल के बाद भी, बैंक के दरवाजे पर कभी कोई गरीब दिखाई नहीं दिया था और इस देश में कभी उसकी चर्चा भी नहीं थी। इस देश में ऐसा क्‍यों ? ये सवाल इस देश के किसी बुद्धिमान व्‍यक्ति ने किसी राजनेता को नहीं पूछा, किसी सरकार को नहीं पूछा। 50 साल में नहीं पूछा। Taken for granted था। हमने आकर के बीड़ा उठाया कि बैंकों के दरवाजे पर मेरा गरीब होगा, बैंकों के अंदर मेरा गरीब होगा। ये बैंक गरीबों के लिए होगी, बड़ा अभियान उठाया। मैंने 15 अगस्‍त को घोषणा की थी, 26 जनवरी तक पूरा करने का संकल्‍प लिया था और सभी बैंकों ने जी-जान से मेरे साथ जुड़ गए, कंधे से कंधा जुड़ गए और आज देश में करीब 18 करोड़ से ज्‍यादा बैंकों के खाते गरीबों के खुल गए।

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हिन्‍दुस्‍तान में कुल परिवारों में जितने थे करीब-करीब सारे आ गए और हमने तो कहा था कि हम गरीबों का account कोई भी प्रकार का पैसा लेकर कर के नहीं खोलेंगे। बिना पैसे, बैंक खर्चा करेगी फॉर्म का खर्चा होगा, जो होगा करेंगे, गरीबों का एक बार मुफ्त में खाता खोल देंगे। आदत लगेगी उसको धीरे-धीरे और खाते खोल दिए लेकिन देखिए, गरीबों की अमीरी देखिए, सरकार ने तो कहा था एक रुपया नहीं दोगे लेकिन गरीबों ने करीब-करीब 30 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा रकम जमा कर दी है। इसका मतलब ये हुआ कि गरीब को पैसे बचाने की अब इच्‍छा होने लगी है। अगर गरीब को पैसे बचाने की इच्‍छा होगी तो उसके आर्थिक जीवन में बदलाव आना स्‍वाभाविक शुरू हो जाएगा। धीरे-धीरे बैंक के खाते उपयोग करने की आदत भी अब धीरे-धीरे बन रही है। मैं हैरान हूं जिन्‍होंने खाते नहीं खोले कभी, वो आज मेरा हिसाब मांग रहे हैं कि खाते खोल तो दिए हैं, लेकिन उसका उपयोग करने वालों की संख्‍या बढ़ नहीं रही है। जिन्‍होंने खाते तक खोलने की परवाह नहीं की थी, उनको अभी खाते operate हो रहे कि नहीं हो रहे, इसकी चिन्‍ता होने लगी है। अच्‍छा होता, ये काम अगर आपने 40-50 साल पहले कर दिया होता तो आज operate करने का सवाल मुझे नहीं पूछना पड़ता देश के सभी गरीब के खाते हो जाते। लेकिन आपने जो काम 50 साल नहीं किया है वो 50 महीने में मैं पूरा करके रहूंगा, ये मैं बताने आया हूं।

गरीब का भला कैसे हो, अभी काशी के अंदर रक्षाबंधन को सुरक्षाबंधन बनाने का बड़ा अभियान चलाया और मैं काशी की माताओं-बहनों का विशेष रूप से, सार्वजनिक रूप से आभार व्‍यक्‍त करता हूं कि इस रक्षाबंधन के पर्व पर मुझे इतनी राखियां मिली हैं बनारस से, इतने आशीर्वाद मिले हैं, माताओं-बहनों के, मैं सिर झुकाकर उन सभी माताओं-बहनों को नमन करता हूं। आपने जो मेरे प्रति सद्भाव व्‍यक्‍त किया है, मेरी रक्षा की चिन्‍ता की है और सुरक्षा का बंधन की जो बात कही है, मैं उसके लिए काशी की सभी माताओं-बहनों का ह्दय से बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। मैं इन सभी महानुभावों का भी आभार व्‍यक्‍त करता हूं कि योजना में हमारे साथ, ये partner बने हैं और एक Model के रूप में ये काम आने वाले दिनों में विकसित होगा। अब आप धीरे-धीरे देखिए काशी के अंदर एक नया....और इसके कारण गति आने वाली है, इन चीजों के कारण गति आने वाली है, इन चीजों के कारण शहर की एक नई पहचान बनने वाली है। इन चीजों के कारण सामान्‍य मानव के जीवन में सुविधा का अवसर शुरू होने वाला है।

ऐसी इस योजना के निमित्‍त मैं आज उन सभी बधुंओं को जिन्‍हें आज ये साधन मिल रहे हैं, मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और काशी की आर्थिक प्रगति में गरीब से गरीब व्‍यक्ति की ताकत काम में आए, उस दिशा के प्रयत्‍नों में हमें सफलता मिले, यही भोलेनाथ हम पर आशीर्वाद बरसाएं, इसी एक अपेक्षा के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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আদমপুৰ বিমান ঘাটিত সাহসী বায়ু যোদ্ধা আৰু সৈনিকসকলৰ সৈতে প্ৰধানমন্ত্ৰীৰ মত-বিনিময়ৰ অসমীয়া অনুবাদ
May 13, 2025
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Quoteতেওঁ সৈনিক আৰু তেওঁলোকৰ পৰিয়ালৰ প্ৰতি তেওঁলোকৰ ত্যাগক স্বীকৃতি দি সমগ্ৰ দেশৰ প্ৰতি গভীৰ কৃতজ্ঞতা প্ৰকাশ কৰে
Quoteমহাৰাণা প্ৰতাপৰ বিখ্যাত ঘোঁৰা চেতকৰ বিষয়ে লিখা শাৰীৰ উদ্ধৃতি দি তেওঁ মন্তব্য কৰে যে এই শব্দবোৰ এতিয়া ভাৰতৰ উন্নত আধুনিক অস্ত্ৰ-শস্ত্ৰৰ সৈতে নিখুঁতভাৱে অনুৰণন ঘটিছে
Quoteতেওঁ মন্তব্য কৰে যে বিৰোধীসকলৰ কোনো ধাৰণা নাছিল যে তেওঁলোকৰ দুৰ্গ কেতিয়া ধ্বংসাৱশেষলৈ পৰিণত হয়
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Quoteতৃতীয়টো হ’ল, ভাৰতে আৰু সন্ত্ৰাসবাদী মাষ্টাৰমাইণ্ড আৰু তেওঁলোকক আশ্ৰয় দিয়া চৰকাৰসমূহৰ মাজত পাৰ্থক্য নকৰে। “ৰাষ্ট্ৰীয় নিৰাপত্তা আৰু সন্ত্ৰাসবাদ বিৰোধীতাৰ প্ৰতি নিজৰ দৃঢ় দৃষ্টিভংগীৰ লগত খাপ খুৱাই বিশ্বই এতিয়া এই নতুন আৰু সংকল্পবদ্ধ ভাৰতক স্বীকৃতি দিছে”, প্ৰধানমন্ত্ৰীয়ে দৃঢ়তাৰে কয়
Quoteতেওঁ ভাৰতৰ সংহত আকাশ আৰু স্থল যুদ্ধ ব্যৱস্থাৰ ফলপ্ৰসূতাক আলোকপাত কৰি ঘোষণা কৰে যে এই স্তৰৰ যৌথতা এতিয়া ভাৰতৰ সামৰিক শক্তিৰ এক নিৰ্ণায়ক বৈশিষ্ট্য হৈ পৰিছে

ভাৰত মাতা কী জয়!

ভাৰত মাতা কী জয়!

ভাৰত মাতা কী জয়!

 

কেইদিনমান পূৰ্বে এই শ্ল’গানৰ শক্তি বিশ্বই প্ৰত্যক্ষ কৰিছে। ভাৰত মাতা কী জয় কেৱল এক শ্ল’গানেই নহয়, বৰঞ্চ এয়া ভাৰত মাতাৰ সন্মান আৰু মৰ্য্যাদা অক্ষুণ্ণ ৰাখিবলৈ নিজৰ প্ৰাণো বিসৰ্জন দিবলৈ কুণ্ঠাবোধ নকৰা দেশৰ প্ৰতিগৰাকী জোৱানৰ সংকল্পও। এয়া হৈছে দেশখনৰ বাবে জীয়াই থাকিব বিচৰা, কিবা এটা সাধন কৰিব বিচৰা প্ৰতিগৰাকী নাগৰিকৰ কণ্ঠ। সকলো ক্ষেত্ৰতে ভাৰত মাতা কী জয়ৰ অনুৰণন ঘটে। ভাৰতৰ সৈন্যসকলে ভাৰত মাতা কী জয় বুলি কোৱা মাত্ৰেকে শত্ৰুৰ অন্তৰ কঁপি উঠে। আমাৰ ড্ৰোনে শত্ৰুৰ দুৰ্গ ধ্বংস কৰোঁতে, আমাৰ মিছাইলে লক্ষ্যত উপনীত হওঁতে শত্ৰুৱে ভাৰত মাতা কী জয় ধ্বনি শুনিবলৈ পায়! ৰাতিৰ আন্ধাৰতো যেতিয়া আমাৰ সূৰ্য্য উদয় হয়, তেতিয়া শত্ৰুৱে শুনে - ভাৰত মাতা কী জয়! আমাৰ বাহিনীসমূহে পাৰমাণৱিক ভাবুকিক বিফল কৰোঁতে আকাশৰ পৰা পাতাললৈ মাথোঁ এটা ধ্বনিয়েই গুঞ্জৰিত হয় – সেয়া হৈছে ভাৰত মাতা কী জয়!

বন্ধুসকল,

সঁচাকৈয়ে, আপোনালোক সকলোৱে আজি লক্ষ-লক্ষ ভাৰতীয়ক গৌৰৱান্বিত কৰিছে, প্ৰতিগৰাকী ভাৰতীয়ৰ মন গৌৰৱৰ মনোভাৱেৰে ভৰাই তুলিছে। আপোনাসৱে ইতিহাস ৰচনা কৰিছে। আৰু মই আপোনালোকক চাবলৈ পুৱাই আপোনাসৱৰ মাজলৈ আহিছোঁ। সাহসী লোকৰ পদাংক পৃথিৱীত পৰা মাত্ৰেকে পৃথিৱী ধন্য হয়, সাহসী লোকক দেখাৰ সুযোগ লাভ কৰা মাত্ৰেকে জীৱন ধন্য হৈ পৰে। আৰু সেইবাবেই মই ইয়ালৈ ৰাতিপুৱাই আহিছোঁ আপোনালোকক চাবলৈ। আজিৰ পৰা বহু দশকৰ পাছতো যেতিয়া ভাৰতৰ এই শৌৰ্য্যৰ বিষয়ে আলোচনা কৰা হ’ব, তেতিয়া ইয়াৰ আটাইতকৈ গুৰুত্বপূৰ্ণ অধ্যায় হ’ব আপোনালোক আৰু আপোনাসৱৰ সংগীসকল। আপোনালোক সকলো বৰ্তমানৰ লগতে দেশৰ ভৱিষ্যৎ প্ৰজন্মৰ বাবেও এক নতুন প্ৰেৰণা হৈ পৰিছে। এই বীৰ ভূমিৰ পৰা আজি বায়ুসেনা, নৌসেনা আৰু সেনাবাহিনীৰ সকলো বীৰ জোৱান, আমাৰ বিএছএফ-ৰ বীৰ জোৱানসকলক প্ৰণাম জনাইছোঁ। আপোনালোকৰ বীৰত্বৰ বাবেই অপাৰেচন সিন্দূৰৰ প্ৰতিধ্বনি দেশখনৰ চুক-কোণে শুনা গৈছে। এই সমগ্ৰ অভিযানৰ সময়ত প্ৰতিজন ভাৰতীয়ই আপোনালোকৰ কাষত থিয় দিছিল, প্ৰতিজন ভাৰতীয়ই আপোনালোকৰ মংগলৰ বাবে প্ৰাৰ্থনা কৰিছিল। আজি দেশৰ প্ৰতিজন নাগৰিকে আপোনালোকৰ দৰে প্ৰতিগৰাকী সৈনিক আৰু তেওঁলোকৰ পৰিয়ালৰ ওচৰত কৃতজ্ঞ আৰু তেওঁলোকৰ ওচৰত ঋণী।

বন্ধুসকল,

অপাৰেচন সিন্দূৰ কোনো সাধাৰণ সামৰিক অভিযান নহয়। বৰঞ্চ এয়া ভাৰতৰ নীতি, উদ্দেশ্য আৰু নিৰ্ণায়কতাৰ সংগম। ভাৰত বুদ্ধৰ ভূমিৰ লগতে গুৰু গোবিন্দ সিং জীৰো ভূমি। গুৰু গোবিন্দ সিং জীয়ে কৈছিল – “सवा लाख सेएक लड़ाऊं , चि ड़ि यन तेमबाज़ तड़ुाऊं , तबैगु गोबि दं सि हं नाम कहाऊं।“ অৰ্থাৎ অশুভ শক্তিক বিনাশ কৰিবলৈ আৰু ন্যায় প্ৰতিষ্ঠা কৰিবলৈ হাতত অস্ত্ৰ তুলি লোৱাটো আমাৰ পৰম্পৰা। আৰু সেইবাবেই আমাৰ ভগ্নী-কন্যাসকলৰ সিন্দূৰ কাঢ়ি নিয়া মাত্ৰেকে আমি সন্ত্ৰাসবাদীক নিধন কৰিলোঁ। সিহঁত কাপুৰুষৰ দৰে লুকাই আহিছিল। সিহঁতে পাহৰি গৈছিল যে সিহঁতে যাক প্ৰত্যাহ্বান জনাইছিল, সেয়া হৈছে ভাৰতীয় সেনাবাহিনী। সেই ভাৰতীয় সেনায়েই সন্ত্ৰাসবাদৰ সকলো বৃহৎ ঘাটি, সন্ত্ৰাসবাদীৰ ৯ টা আত্মগোপনৰ স্থান ধ্বংস কৰিলে, ১০০ৰো অধিক সন্ত্ৰাসবাদীক নিধন কৰিলে। সন্ত্ৰাসৰ পৃষ্ঠপোষকবোৰে এতিয়া বুজি পাইছে যে ভাৰতৰ প্ৰতি চকু ফুৰালে এটাই মাত্ৰ পৰিণাম হ'ব – সেয়া হৈছে ধ্বংস। ভাৰতৰ নিৰীহ লোকৰ ৰক্তপাত হ’লে এটাই প্ৰতিফল হ'ব – সেয়া হৈছে ধ্বংস। ভাৰতীয় সেনা, ভাৰতীয় বায়ুসেনা আৰু ভাৰতীয় নৌসেনাই পাকিস্তানী সেনাক পৰাস্ত কৰিছে। যাৰ ওপৰত এই সন্ত্ৰাসবাদীবোৰে নিৰ্ভৰ কৰিছিল। আপোনালোকে পাকিস্তানী সেনাকো কৈছে যে পাকিস্তানত এনে কোনো ঠাই নাই য’ত সন্ত্রাসবাদীয়ে বহি শান্তিৰে উশাহ ল’ব পাৰে। আমি সিহতঁৰ ঘৰত সোমাই নিধন কৰিম আৰু সিহতঁক পলায়নৰো সুযোগ নিদিওঁ। আৰু আমাৰ ড্ৰোন, আমাৰ মিছাইলৰ পৰাক্ৰম, পাকিস্তান এইবোৰ কথা ভাবি বহু দিন শুব নোৱাৰিব। कौशल दि खलाया चाल म, उड़ गया भयानक भाल म। नि र्भी क गया वह ढाल म, सरपट दौड़ा करवाल म। এই শাৰীবোৰ মহাৰাণা প্ৰতাপৰ বিখ্যাত ঘোঁৰা চেটক সম্পৰ্কে লিখা হৈছে যদিও এই শাৰীবোৰ আজিৰ আধুনিক ভাৰতীয় অস্ত্ৰ সম্ভাৰৰ লগতো খাপ খাই পৰিছে।

মোৰ সাহসী বন্ধুসকল,

অপাৰেচন সিন্দূৰৰ জৰিয়তে আপোনাসৱে দেশৰ আত্মবিশ্বাস বৃদ্ধি কৰিলে, দেশখনক ঐক্যবদ্ধ কৰিছে আৰু ভাৰতৰ সীমান্তক সুৰক্ষিত কৰিছে, ভাৰতৰ আত্মসন্মানক নতুন শিখৰত উপনীত কৰিছে।

বন্ধুসকল,

আপোনালোকে এনে এক কৰ্ম সম্পন্ন কৰিলে, যি অভূতপূৰ্ব, কল্পনাতীত, আশ্চৰ্য্যকৰ। আমাৰ বায়ুসেনাই পাকিস্তানৰ ইমান গভীৰতাত থকা সন্ত্ৰাসবাদীৰ ঘাটিবোৰক লক্ষ্য কৰি লৈছিল। আধুনিক প্ৰযুক্তিৰে সজ্জিত পেছাদাৰী শক্তিয়েহে এই কাম কৰিব পাৰে, সীমান্তৰ সিপাৰে লক্ষ্যত আঘাত হানিব পাৰে, মাত্ৰ ২০-২৫ মিনিটৰ ভিতৰতে পিন-পইন্ট লক্ষ্যত আঘাত কৰিব পাৰে। আপোনালোকৰ গতি আৰু নিখুঁততা ইমানেই অধিক আছিল যে আপোনালোকৰ পৰাক্ৰমত শত্ৰু স্তম্ভিত হৈ পৰিছিল। সিহতঁৰ বুকু কেতিয়া বিদীৰ্ণ হ’ল, সিহঁতে গমেই নাপালে।

বন্ধুসকল,

আমাৰ লক্ষ্য আছিল পাকিস্তানৰ ভিতৰত থকা সন্ত্ৰাসৰ ঘাটিত আঘাত কৰা, সন্ত্ৰাসবাদীক নিধন কৰা। কিন্তু পাকিস্তানে নিজৰ যাত্ৰীবাহী বিমান ব্যৱহাৰেৰে যি ষড়যন্ত্ৰ ৰচনা কৰিছিল, মই কল্পনা কৰিব পাৰিছোঁ যে সেই মুহূৰ্তটো কিমান কঠিন আছিল, যেতিয়া অসামৰিক বিমানখন দৃশ্যমান হৈছিল আৰু মই গৌৰৱান্বিত যে আপোনাসৱে অত্যন্ত সাৱধানতাৰে অসামৰিক বিমানখনৰ ক্ষতি নকৰাকৈ কেৱল লক্ষ্যস্থানহে ধ্বংস কৰিছিল, আপোনাসৱে ইয়াৰ উচিত প্ৰত্যুত্তৰ প্ৰদান কৰিছিল। মই গৌৰৱেৰে ক’ব পাৰোঁ যে আপোনালোক সকলোৱে নিজৰ লক্ষ্যত উপনীত হৈছে। পাকিস্তানৰ কেৱল সন্ত্ৰাসবাদীৰ আত্মগোপনৰ স্থানেই নহয়, সিহঁতৰ কু-অভিপ্ৰায় আৰু সিহঁতৰ সাহস, উভয়েই পৰাস্ত হৈছে।

বন্ধুসকল,

অপাৰেচন সিন্দূৰত হতাশ হৈ শত্ৰুৱে আমাৰ একাধিক বিমান ঘাটিকো আক্ৰমণ কৰিবলৈ কেইবাবাৰো অপচেষ্টা কৰিছিল। ই আমাক বাৰে-বাৰে টাৰ্গেট কৰিছিল যদিও পাকিস্তানৰ কু-অভিপ্ৰায় প্ৰতিবাৰেই বিফল হৈছিল। পাকিস্তানৰ ড্ৰোন, ইউএভি, পাকিস্তানৰ বিমান আৰু ইয়াৰ মিছাইল, এই সকলোবোৰ আমাৰ শক্তিশালী বায়ু প্ৰতিৰক্ষাৰ সন্মুখত ধ্বংস হৈ গ’ল। দেশৰ সকলো বিমান ঘাটিৰ সৈতে জড়িত নেতৃত্বৰ মই আন্তৰিকতাৰে শলাগ লৈছোঁ, ভাৰতীয় বায়ুসেনাৰ প্ৰতিগৰাকী এয়াৰ-ৱাৰিয়ৰ, আপোনালোকে সঁচাকৈয়ে এক আশ্চৰ্য্যকৰ কাম কৰিলে।

বন্ধুসকল,

সন্ত্ৰাসবাদৰ বিৰুদ্ধে ভাৰতৰ লক্ষ্মণ ৰেখা এতিয়া অতিশয় স্পষ্ট। এতিয়া যদি পুনৰ কোনো সন্ত্ৰাসবাদীয়ে আক্ৰমণ সংঘটিত কৰে, তেন্তে ভাৰতে ইয়াৰ উপযুক্ত প্ৰত্যুত্তৰ প্ৰদান কৰিব। আমি চাৰ্জিকেল ষ্ট্ৰাইকৰ সময়ত, এয়াৰ ষ্ট্ৰাইকৰ সময়ত এয়া প্ৰত্যক্ষ কৰিছোঁ। এতিয়া অপাৰেচন সিন্দূৰ ভাৰতৰ নতুন স্বাভাৱিক অৱস্থা। আৰু কালি কোৱাৰ দৰে ভাৰতে এতিয়া তিনিটা নীতিৰ সিদ্ধান্ত গ্ৰহণ কৰিছে, প্ৰথম - যদি ভাৰতত সন্ত্ৰাসবাদীয়ে আক্ৰমণ সংঘটিত কৰে, তেন্তে আমি নিজৰ ধৰণেৰে, নিজৰ চৰ্ত অনুসৰি, নিজৰ সময়মতে সঁহাৰি জনাম। দ্বিতীয় - ভাৰতে কোনো ধৰণৰ পাৰমাণৱিক ব্লেকমেইল সহ্য নকৰে। তৃতীয়তে, সন্ত্ৰাসবাদৰ পৃষ্ঠপোষকতা কৰা চৰকাৰ আৰু সন্ত্ৰাসবাদৰ পৰিকল্পনাকাৰীক দুই পৃথক ব্যৱস্থা হিচাপে গণ্য নকৰোঁ। ভাৰতৰ এই নতুন ৰূপটো, এই নতুন ব্যৱস্থাটো বুজি পাই বিশ্বখনো আগবাঢ়িছে।

বন্ধুসকল,

অপাৰেচন সিন্দূৰৰ প্ৰতিটো মুহূৰ্তই ভাৰতীয় বাহিনীৰ শক্তিৰ সাক্ষ্য বহন কৰিছে। এই সময়ছোৱাত আমাৰ বাহিনীৰ সমন্বয়, মই সঁচাকৈয়ে ক’ম, এয়া অতিশয় উত্তম আছিল। সেনাবাহিনীয়েই হওঁক, নৌসেনাই হওঁক বা বায়ুসেনাই হওঁক, সকলোৰে সমন্বয় আছিল গভীৰ। নৌসেনাই সমুদ্ৰত নিজৰ আধিপত্য প্ৰতিষ্ঠা কৰিছিল। সেনাই সীমান্ত শক্তিশালী কৰিলে। আৰু ভাৰতীয় বায়ুসেনাই প্ৰতি আক্ৰমণৰ লগতে দেশখনক ৰক্ষা কৰিছিল। বিএছএফ আৰু আন-আন বাহিনীসমূহেও আচৰিত ধৰণৰ সামৰ্থ্য প্ৰদৰ্শন কৰিছে। সংহত বায়ু আৰু স্থল যুদ্ধ ব্যৱস্থাই এক বৃহৎ কাম কৰিছে। আৰু এয়াই হৈছে ঐক্য, এয়া এতিয়া ভাৰতীয় শক্তিৰ এক শক্তিশালী পৰিচয় হৈ পৰিছে।

বন্ধুসকল,

অপাৰেচন সিন্দূৰৰ সময়ছোৱাত জনশক্তিৰ লগতে মেচিনৰ সমন্বয়ও আচৰিত ৰূপ ধাৰণ কৰিছিল। ভাৰতৰ পৰম্পৰাগত বায়ু প্ৰতিৰক্ষা ব্যৱস্থাই হওঁক যিয়ে বহু যুদ্ধ দেখিছে বা আকাশৰ দৰে আমাৰ মেড ইন ইণ্ডিয়া প্লেটফৰ্মেই হওঁক, এছ-৪০০ৰ দৰে আধুনিক আৰু শক্তিশালী প্ৰতিৰক্ষা ব্যৱস্থাই অভূতপূৰ্ব শক্তি প্ৰদান কৰিছে। শক্তিশালী নিৰাপত্তা ঢাল হৈ পৰিছে ভাৰতৰ পৰিচয়। পাকিস্তানে একাধিক প্ৰচেষ্টা চলোৱাৰ পিছতো আমাৰ বিমান ঘাটি বা আমাৰ আন প্ৰতিৰক্ষা আন্তঃগাঁথনিৰ কোনো ক্ষতি হোৱা নাই। আৰু ইয়াৰ কৃতিত্ব আপোনালোক সকলোৰে আৰু মই আপোনালোক সকলোৰে বাবে গৌৰৱান্বিত, সীমান্তত নিয়োজিত প্ৰতিজন সৈনিক, এই অভিযানৰ সৈতে জড়িত প্ৰতিজন ব্যক্তি এই কৃতিত্বৰ গৰাকী।

বন্ধুসকল,

আজি আমাৰ হাতত নতুন আৰু অত্যাধুনিক প্ৰযুক্তিৰ এনে সামৰ্থ্য আছে যাৰ সৈতে পাকিস্তানে প্ৰতিদ্বন্দ্বিতাই কৰিব নোৱাৰে। যোৱা দশকত বায়ুসেনাকে প্ৰমুখ্য কৰি আমাৰ সকলো বাহিনীয়েই বিশ্বৰ ভিতৰতে সৰ্বোত্তম প্ৰযুক্তি লাভ কৰিছে। কিন্তু আমাৰ সকলোৰে জ্ঞাত যে নতুন প্ৰযুক্তিৰ উপযোগিতাৰ সমান্তৰালকৈ প্ৰত্যাহ্বানো সমানেই জটিল। জটিল আৰু অত্যাধুনিক ব্যৱস্থাসমূহ ৰক্ষণাবেক্ষণ কৰা, দক্ষতাৰে চলোৱাটো এক পৰম দক্ষতাৰ বিষয়। আপোনাসৱে প্ৰযুক্তিক কৌশলৰ সৈতে সংযোগ কৰি দেখুৱাইছে। আপোনালোকে প্ৰমাণ কৰিলে যে আপোনাসৱ এই কৌশলত বিশ্বৰ ভিতৰতে শ্ৰেষ্ঠ। ভাৰতীয় বায়ুসেনা এতিয়া কেৱল অস্ত্ৰৰেই নহয়, ডাটা আৰু ড্ৰোনেৰেও শত্ৰুক পৰাস্ত কৰাত বিশেষজ্ঞ হৈ পৰিছে।

বন্ধুসকল,

পাকিস্তানৰ অনুৰোধৰ পিছতহে ভাৰতে সামৰিক কাৰ্য্যকলাপ স্থগিত ৰাখিছে। যদি পাকিস্তানে পুনৰ সন্ত্ৰাস কাৰ্য্যকলাপৰ অপচেষ্টা বা সামৰিক দুঃসাহস প্ৰদৰ্শন কৰে, তেন্তে আমি ইয়াক উপযুক্ত প্ৰত্যুত্তৰ দিম। আমি নিজৰ চৰ্তত, নিজৰ ধৰণেৰে এই উত্তৰ দিম। আৰু এই সিদ্ধান্তৰ ভেটি, ইয়াৰ আঁৰত লুকাই থকা বিশ্বাস হৈছে আপোনালোক সকলোৰে ধৈৰ্য্য, সাহস, পৰাক্ৰম আৰু সজাগতা। আমি এই সাহস, এই আবেগ, এই মনোভাৱ অক্ষুণ্ণ ৰাখিব লাগিব। আমি অহৰহ সজাগ হৈ থাকিব লাগিব, আমি সাজু হৈ থাকিব লাগিব। আমি শত্ৰুক সোঁৱৰাই থাকিব লাগিব যে এয়া নতুন ভাৰত। এই ভাৰতে শান্তি কামনা কৰে, কিন্তু, যদি মানৱতাক আক্ৰমণ কৰা হয়, তেন্তে এইখন ভাৰতে যুদ্ধৰ মঞ্চত শত্ৰুক কেনেকৈ নিধন কৰিব লাগে সেই বিষয়েও ভালদৰেই জানে। এই সংকল্প গ্ৰহণেৰে পুনৰ এবাৰ কওঁচোন আহক

ভাৰত মাতা কী জয়!

ভাৰত মাতা কী জয়!

ভাৰত মাতা কী জয়!

বন্দে মাতৰম। বন্দে মাতৰম।

বন্দে মাতৰম। বন্দে মাতৰম।

বন্দে মাতৰম। বন্দে মাতৰম।

বন্দে মাতৰম। বন্দে মাতৰম।

বন্দে মাতৰম।

আপোনালোক সকলোকে অশেষ ধন্যবাদ জনালোঁ।