Can the Congress, which takes 85% commission, create the future of the youth of Karnataka, asks PM Modi in Shivamogga
People of Karnataka have decided to reject Congress' fake promises. They have made up their minds to deflate the balloon of lies created by the Congress ecosystem: PM Modi

भारत माता की। भारत माता की। बजरंगबली की। बजरंगबली की।
मलेनाडिना मडिलु, सौंदर्यदा होनलु, शिवमोग्गदा जनतेगे नमस्कारगळु
राष्ट्रकवि कुवेम्पु की धरती को मैं श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। देवी सिंगधूरु चौडेश्वरी, आज मैं उन्हें भी प्रणाम करता हूं। शिवमोगा शहर में ही श्री कोटे आंजनेय भी हैं। उन्हें भी आज पूरा हिंदुस्तान प्रणाम कर रहा है। मैं महान आध्यात्मिक व्यक्तित्व पूज्य श्रीधर स्वामी जी को भी श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं। कुछ दिन पहले मैं रैयता बंधु येदियुरप्पा जी के जन्म दिवस पर शिवमोगा आया था। और कुछ दिन पहले ईश्वरप्पा के साथ फोन पर बात किया। पूरे प्रदेश में कार्यकर्ताओं को चार्ज कर दिया। शिवमोगा ने हम सभी को बार-बार बहुत प्रेम दिया है, बहुत स्नेह दिया है, बहुत आशीर्वाद दिया है। आज आपके इस उत्साह ने मेरा ये विश्वास पक्का कर दिया है कि कर्नाटका में बीजेपी सरकार की वापसी होने जा रही है। येदियुरप्पा जी ने जो संकल्प लिया है वो पूरा होने वाला है। आज पूरा कर्नाटका कह रहा है- ई बारिया निर्धारा, ई बारिया निर्धारा, ई बारिया निर्धारा, बहुमतदा बीजेपी सरकारा ! आपका कर्नाटका के एक-एक नागरिक का मुझ पर इतना प्यार है। इतना प्यार है कि भाषा हमारे प्रेम में रुकावट नहीं बन रही है। ये आपका प्यार मैं जीवनभर नहीं भूलूंगा।

सहोदर-सहोदरियरे,
यहां आने से पहले मैं बैंगलुरू में, फिर एक बार आज सुबह जनता जनार्दन के दर्शन के लिए निकला था। और यहां आना था तो जरा जल्दी ही निकल गया। कोई पोलिटिकल पार्टी 11 बजे के पहले कार्यक्रम करने की हिम्मत नहीं कर सकती। बड़े शहर में तो कभी नहीं कर सकती है। और आज सुबह-सुबह बैंगलुरू में बारिश हो रही थी। वरुण देवता आशीर्वाद देने के लिए पधार गए थे। और मैं सुबह-सुबह जनता-जनार्दन के दर्शन के लिए निकला और ईश्वर रूपी रूपी जनता जनार्दन ने पुष्प वर्षा करके अपना आशीर्वाद बरसाया।

साथियों, वैसे तो आज लंबा रोड शो होने वाला था। लेकिन बाद में पता चला कि आज नीट का एक्जाम है। मैंने पार्टी से कहा- हमारी एग्जाम तो 10 तारीख को है। इन बच्चों की एग्जाम आज है। और इसीलिए हमें पहले बच्चों के एग्जाम का ख्याल करना चाहिए और इसीलिए हमने सुबह-सुबह रोड शो कर दिया। और जल्दी-जल्दी पूरा कर दिया। भाइयों-बहनों, उसके बावजूद भी, संडे के दिन आज बैंगलुरू ने जो ताकत दिखाई है, जो विश्वास दिखाया है, जो प्यार दिखाया है। वो मेरे हृदय को छूने वाला था दोस्तों। मैं जीवनभर कर्नाटका का ऋणी रहूंगा। जिस तरह आप सभी, पूरे कर्नाटका की पूरी जनता, लगातार अपना आशीर्वाद दे रही है, अपना स्नेह दिखा रही है, लेकिन मैं आज शिवमोगा की इस धरती से, रैयता बंधु येदियुरप्पा जी की धरती से पूरे कर्नाटका को विश्वास देना चाहता हूं, असली गारंटी देना चाहता हूं कि आपने मुझे जो प्यार दिया है। आपने मुझे जो आशीर्वाद दिया है। मैं कर्नाटका का विकास करके आपको ब्याज समेत लौटाऊंगा।



सहोदर-सहोदरियरे,
कर्नाटका विधानसभा चुनाव प्रचार भी अब अपने आखिरी दौर की तरफ बढ़ रहा है। कांग्रेस ने अपना झूठ फैलाने के लिए जो इकोसिस्टम बनाया है, वो पिछले काफी समय से, कर्नाटका में एक गुब्बारा, एक ‘बलून’ फुला रहे थे। झूठ-झूठ की हवा भर-भर करके। उस गुब्बारे पर, इस ‘बलून’ पर एक से बढ़कर एक झूठी फूंकें मारकर हवा भरी जा रही थी। ऐसे-ऐसे झूठ, ऐसी-ऐसी बातें, जिनसे जमीनी सच्चाई बिल्कुल अलग थी। कर्नाटका की जनता जानती थी, कि कांग्रेस का इकोसिस्टम चाहे जितना बड़ा गुब्बारा फुला ले, कोई फर्क नहीं पड़ेगा। और चुनाव प्रचार होते ही कर्नाटका की जनता ने कांग्रेस का ये बलून, ये गुब्बारा, ये जनता ने ही उसको चूर-चूर कर दिया। अब कांग्रेस इतनी डरी हुई है, इतनी घबराई हुई है कि झूठ बोलने से गाड़ी नहीं चली। तो जो लोग इन दिनों चुनाव प्रचार नहीं कर रहे हैं उनको भी लाना पड़ रहा है। अब कांग्रेस के नेता, अभी से एक-दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ने लगे हैं। कर्नाटका में चारों तरफ से एक ही आवाज़ आ रही है, कर्नाटका का एक ही संकल्प सुनाई दे रहा है, कर्नाटका का एक ही मंत्र गूंज रहा है- ई बारिया निर्धारा,ई बारिया निर्धारा, ई बारिया निर्धारा, बहुमतदा बीजेपी सरकारा !

बंधु-भगिनियरे,
ये क्षेत्र देश के सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में से एक है। यहां जिस प्रकार फसलों की वैरायटी, क्रॉप की वैरायटी पाई जाती है, वो इस क्षेत्र को एग्रीकल्चर हब के रूप में पहचान देता है। कांग्रेस और बीजेपी सरकार होने से क्या अंतर आता है, इसका प्रमाण सुपारी Import से जुड़ी नीति है। अब आप ये सुपारी Import की कांग्रेस की नीति और बीजेपी की नीति की तुलना कीजिए। तो आपके यहां के किसानों के लिए हमारे दिल में क्या जगह है वो आपको पता चलेगा, और अभी नहीं, मैं जब गुजरात का मुख्यमंत्री था, येदियुरप्पा जी यहां कर्नाटका के मुख्यमंत्री थे, और सुपारी पर बड़ा संकट आ गया। येदियुरप्पा जी डेलिगेशन लेकर गुजरात आए और मुझे कहा- मोदी जी आप मुख्यमंत्री हैं, इतनी बड़ी सरकार है। कर्नाटका के सुपारी के किसानों की मदद कीजिए। और मुझे खुशी है मैं मुख्यमंत्री था तब भी मैंने येदियुरप्पा जी ने जो कहा वो सारा कर दिया था दोस्तों। यहां के सुपारी किसान, सुपारी के Import से होने वाले नुकसान से चिंतित थे। अब मुझे बताइए, जब इतनी सुपारी की पैदावार होती है, इतने किसान अपना सुपारी पर गुजारा करते हैं। और आप विदेश से सुपारी मंगवाओगे तो भारत के किसान का क्या होगा। कर्नाटका के किसान का क्या होगा। ये यहां के किसान के साथ अन्याय है कि नहीं है। मुझे जवाब दीजिए, अन्याय है कि नहीं है। यहां के किसान के साथ धोखा है कि नहीं है। ये सुपारी के किसान के खिलाफ षडयंत्र है कि नहीं है। उन्होंने विदेशों से कम कीमत वाली सुपारी Import से करने का निर्णय कर लिया और हमारे किसानों की कमाई, इनकम कम होती गई। लेकिन कांग्रेस की सरकार ने इस पर कोई ध्यान ही नहीं दिया।

आपने 2014 में मुझे दिल्ली में भेजा, आपकी सेवा करने का अवसर दिया। Nine Years पहले सुपारी पर मिनिमम इंपोर्ट प्राइस -MIP, सिर्फ Hundred Rupees Per KG के आसपास थी। 100 Rupees Per KG था। हमने सोचा कि ये मेरे कर्नाटका के किसानों को मार देगा। हमने हिम्मत की। दुनिया के लोग राजी हों, नाराजी हों परवाह नहीं की। हमने आज सुपारी का मिनिमम इंपोर्ट प्राइस Three Hundred Fifty Rupees Per KG कर दिया। तो कोई बाहर से लाने की हिम्मत ही नहीं कर रहा है। इतनी कीमत से कोई ला ही नहीं सकता है। फायदा किसको हुआ। कर्नाटका के किसान को हुआ। सुपारी वाले किसान को हुआ। यानि हमने MIP को 3 गुणा से अधिक बढ़ाया है, ताकि कर्नाटका के सुपारी किसानों को कोई परेशानी ना हो।

स्नेहितरे,
बीजेपी सरकार एक तरफ अपने किसानों को Import से सुरक्षा दे रही है, वहीं दूसरी तरफ Agriculture Export बढ़ाने के लिए भी काम कर रही है। कांग्रेस की सरकारों के दौरान हमारा Agriculture Export बहुत ही सीमित था। लेकिन आज भारत दुनिया के Top Ten, दुनिया के Top Ten Agriculture Exporter देशों में पहुंच गया है। कोरोना काल में भी भारत ने रिकॉर्ड Agriculture Export किया है, और जिसका सीधा-सीधा लाभ ये मेरे रैयता बंधुओं को हुआ है, मेरे किसान भाइयों को हुआ है। बीजेपी सरकार बीज से बाज़ार तक, हर प्रकार की सुविधा किसानों को दे रही है। पिछले 9 वर्षों में Two Thousand से अधिक, दो हजार से ज्यादा हमने बीज की वैरायटीज, नई- नई वैरायटी किसानों के लिए उपलब्ध कराई है। नौ साल में दो हजार नई वैरायटी बीज की। ये भी अपने आप में एक रिकार्ड है। बड़े-बड़े संकटों के बावजूद हमने देश में फर्टिलाइज़र की कभी कमी नहीं होने दी। रूस-यूक्रेन संकट के कारण दुनिया में फर्टिलाइज़र की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि हो गई। लेकिन हमने देश के किसानों पर इसका बोझ नहीं पड़ने दिया। यूरिया की बढ़ती कीमतों की वजह से Two Lakh Crore Rupees, दो लाख करोड़ रुपये, उससे भी ज्यादा का बोझ, जो किसानों पर पड़ने वाला था, लेकिन ये आपका बेटा दिल्ली में बैठा था न, आ वो बोझ आप पर नहीं पड़ने दिया, बोझ सरकार खुद उठा रही है।

स्नेहितरे,
कांग्रेस सरकारों के पास सूखे (Drought), बाढ़ (Flood) और दूसरी आपदाओं से किसानों को सुरक्षा देने की कोई स्पष्ट नीति नहीं थी। आज पीएम फसल बीमा योजना के तहत देश में One Lakh, Thirty Thousand Crore Rupees, एक लाख तीस हजार करोड़ रुपया, बीमा योजना से किसानों को मदद दी गई है, मुआवजा दिया गया है। इसमें कर्नाटका के किसानों को भी दस हजार करोड़ रुपये, Ten Thousand करोड़ रुपए मिले हैं। कांग्रेस के कमीशन काल में देश के करोड़ों किसान बैंकिंग सिस्टम से बाहर थे। हमने करोड़ों छोटे किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी। कांग्रेस कर्जमाफी के नाम पर अपने लोगों की, बिचौलियों की तिजोरियां भरती थी। हमने पीएम किसान सम्मान निधि से Eighteen Thousand करोड़ रुपए सीधे कर्नाटका के किसानों के बैंक खातों में जमा किए हैं।

स्नेहितरे,
शिवमोगा के पास कर्नाटका की महान महिला संत अक्का महादेवी की जन्मभूमि है। उनकी महिमा और उनके तेज के बारे में सुनकर स्वयं जगद्गुरु बसवेश्वरा उन्हें अक्का कहते थे। ये हमारा सौभाग्य है कि हमें ऐसी महान संत का आशीर्वाद मिला, जिनके शब्द आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। लेकिन एक ये भी सत्य है कि कांग्रेस के दशकों के शासन में बेटियों की शिक्षा और महिला सशक्तिकरण को पीछे धकेल दिया गया। दशकों तक, कांग्रेस सरकार ने स्कूलों में बेटियों के लिए अलग टॉयलेट नहीं बनवाया। टॉयलेट ना होने की वजह से बेटियां स्कूल छोड़ देती थीं। इससे बेटियों की शिक्षा पर बुरा असर पड़ता था। बीजेपी ने बेटियों के साथ हो रहे इस अन्याय को दूर करने के लिए अभियान चलाया है। अब, ज्यादा से ज्यादा लड़कियां स्कूल जा रही हैं, हमारी बेटियां स्कूल जा रही हैं और अपनी पढ़ाई पूरी कर रही हैं।

स्नेहितरे,
बीजेपी आज ऐसी आधुनिक व्यवस्था बना रही है जिसमें हमारी बेटियों को हायर एजुकेशन हासिल करने में कोई परेशानी ना हो। ये व्यवस्था बेटियों को साइंस और टेक्नॉलजी के फील्ड में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है। आज हमारी बहनें-बेटियां हर फील्ड, हर सेक्टर में एक नई लहर पैदा कर रही हैं। वो भारत में हो रहे startup revolution में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। बेटियों के सामने तीनों सेनाओं में भर्ती से जुड़ी जो बाधाएं थीं, उन्हें भी बीजेपी सरकार ने हटा दिया है। यहां तक कि अब उनके लिए सैनिक स्कूल भी खुल गए हैं। आज हर बेटी के पास अक्का महादेवी जैसी शक्ति है। अक्का महादेवी का आशीर्वाद है। और मुझे विश्वास है, यही नारी शक्ति 21वीं सदी में भारत को सबसे आगे ले जाएगी।

स्नेहितरे,
आज मैं कर्नाटका के फर्स्ट टाइम वोटर्स, जो पहली बार मतदान करने वाले हैं, जिनकी 18 साल की उमर हुई है, मैं आज इन फर्स्ट टाइम वोटरों से सवाल करना चाहता हूं। मेरे सवाल को समझें, सोचें। क्या कर्नाटका का विकास ऐसी कांग्रेस पार्टी कर सकती है, जिसका लक्ष्य भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण हो? कर सकती है क्या? कांग्रेस भला कर सकती है क्या? जरा पूरी ताकत से बताइए, कर सकती है क्या? कांग्रेस हमारे नौजवानों का भविष्य बना सकती है? आपके पिता जी को, माता जी को, दादा-दादी को जो मुसीबतें झेलनी पड़ी…ये मोदी आपको ऐसी मुसीबतों से गुजरने देना नहीं चाहता है। आपके माता-पिता को जो तकलीफ पड़ी, वो तकलीफें मोदी हटाना चाहता है ताकि आप आगे बढ़ सकें।

भाइयों-बहनों, क्या Eighty Five Percent कमीशन खाने वाली कांग्रेस, कर्नाटका के नौजवानों का भविष्य बना सकती है? बना सकती है? जोर से बताइए…बना सकती है? कभी नहीं बना सकती दोस्तों। कांग्रेस ने कभी देश के नौजवानों के बारे में नहीं सोचा। ये बीजेपी की सरकार है जिसके रहते पिछले 9 साल में देश में हर Two Days में, हर दूसने दिन एक नया कॉलेज बना है। ये बीजेपी सरकार है जिसके रहते पिछले 9 साल में Every Week, हर सप्ताह एक नई यूनिवर्सिटी बनी है। ये बीजेपी सरकार है जिसके रहते पिछले 9 साल में देश में Three Hundred से ज्यादा नए मेडिकल कॉलेज बने हैं। ये बीजेपी है जिसने देश के युवाओं को कदम-कदम पर अपने कागज अटेस्ट कराने की परेशानी से मुक्ति दिलाई। ये बीजेपी है जिसने ग्रुप सी और ग्रुप डी की नौकरियों से इंटरव्यू की परंपरा और भ्रष्टाचार के दरवाजे बंद कर दिए हैं। ये बीजेपी है जिसने देश के नौजवानों की इस समस्या को समझा। कांग्रेस कभी नहीं समझ पाई कि बैंक से मदद लेते हुए नौजवानों को कोई गारंटी देने में कितनी दिक्कत आती है। देश के नौजवानों की ये परेशानी हमने समाप्त कर दी। बीजेपी सरकार, नौजवानों की गारंटी खुद मोदी ले रहा है, मुद्रा योजना के द्वारा ले रहा है। आज मुद्रा योजना के तहत देश के नौजवानों को बिना गारंटी Twenty Lakh Crore Rupees, 20 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की मदद दी गई है। इस योजना ने देश के करोड़ों नौजवानों को अपना रोजगार शुरू करने में मदद की है। इसका लाभ कर्नाटका के, शिवमोगा के भी हजारों युवाओं को मिला है।

स्नेहितरे,
कांग्रेस की पॉलिटिक्स भी पेपर पर होती है और विकास भी पेपर पर ही होता है। अब जो मैं बताने जा रहा हूं, वो कर्नाटका के युवा साथियों को बहुत ध्यान से सुनना चाहिए। कांग्रेस ने यहां कर्नाटका में वादा किया है कि अगले Five Years में प्राइवेट सेक्टर में Ten Lakhs नौकरियां देगी। यानि पांच साल में 10 लाख नौकरियां देंगे। ये कांग्रेस ने गारंटी दी है। देखिए झूठ कैसा बोलते हैं। कर्नाटका का युवान समझता है। ये झूठ पकड़ जाएगा। यानि पांच साल में 10 लाख नौकरी, यानी हर साल Two Lakh Jobs. ये कांग्रेस का झूठ देखिए हर साल Two Lakh Jobs. अब मैं आपको बताता हूं कि कांग्रेस कैसे लोगों को धोखा दे रही है। कर्नाटका में बीजेपी सरकार सिर्फ साढ़े 3 साल से है। येदियुरप्पा जी और बोम्मई जी ने मिलकर के साढ़े तीन साल उनको मौका मिला। यह ऐसा समय है जब पूरी दुनिया महामारी के संकट और उसके प्रभावों से जूझ रही है। इसके बावजूद कर्नाटका की बीजेपी सरकार में हर साल कर्नाटका में Thirteen Lakhs से ज्यादा Formal jobs बढ़ी हैं। 13 लाख से ज्यादा हर वर्ष। अब आपको समझ आया, कहां उनकी बातें और कहां हमारा काम। हमने कर्नाटका के युवाओं के लिए हर साल Thirteen Lakhs से ज्यादा Formal Jobs बनाई हैं। और कांग्रेस आपसे वादा कर रही है कि वो हर साल Two Lakhs, Formal jobs उपलब्ध कराएगी। इसलिए ही मैं कहता हूं कि कांग्रेस सरकार, कर्नाटका को रिवर्स गियर में डाल देगी। रिवर्स गियर में। इसलिए कर्नाटका के लोगों को कांग्रेस से बहुत सावधान रहने की जरूरत है।

बंधु-भगिनियरे,
जैसी कांग्रेस की नीतियां हैं, उससे Investors कर्नाटका से बाहर ही जाएंगे। बीजेपी सरकार ने कर्नाटका में Investment बढ़ाने के लिए जो कानून बनाए उनको कांग्रेस खत्म करना चाहती है। जब Investors पड़ोस के राज्यों में चले जाएंगे तो कर्नाटका के युवा, कर्नाटका के श्रमिकों को बहुत नुकसान होगा। शिवमोगा तो ऑटोमोबाइल पार्ट्स का हब है। यहां अनेक foundries हैं। आज भारत दुनिया का तीसरा ऑटोमोबाइल मार्केट बन चुका है। एक तरफ बीजेपी मेड इन इंडिया को प्रमोट कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस investment को रोकने की साजिश कर रही है।

बंधु-भगिनियरे,
शिवमोगा, वेस्टर्न घाट के लिए मशहूर मले-नाडू का गेटवे है। यहां मशहूर जोग जलपाता है। और यहां तो घर-घर में जानते हैं- गंगा स्नाना, तुंगा पाना यानि जिसने गंगा स्नान नहीं किया और तुंगा नदी का पान नहीं पिया, उसके जीवन में कुछ ना कुछ अधूरा है। राष्ट्रकवि कुवेम्पु की राष्ट्रभक्ति की विरासत, और "येसुरु बिट्टरू - ईसुरू बिडेवू" इस नारे से आज़ादी की अलख जलाने वाला गांव भी यहीं है। बीजेपी सरकार, हमारी पुरातन संस्कृति को, विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए पूरी ईमानदारी से जुटी हुई है। लेकिन कांग्रेस की सरकारों ने इसमें तुष्टिकरण की ही राजनीति की। कांग्रेस ने हमारी आस्था, आध्यात्म के हर प्रतीक को या तो बेहाल छोड़ा या फिर उनको विवादों में रहने दिया। आज बीजेपी सरकार हमारी संस्कृति-सभ्यता के ऐसे हर स्थान को भव्य बनाने में जुटी है।

स्नेहितरे,
कर्नाटका में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनना तय हो चुका है। लेकिन इसके लिए ये बहुत जरूरी है कि बीजेपी का हर समर्थक वोट देने जरूर जाए। वोट देने जाएंगे न। लोगों को ले जाएंगे न। शहर हो या गांव, आपका एक-एक वोट, कर्नाटका में बीजेपी की मजबूत सरकार बनाने में मदद करेगा। इसलिए मेरे कर्नाटका के भाइयों-बहनों, ऐसा तो नहीं होगा न रोड शो जबर्दस्त हो गया, सभा जबर्दस्त हो गई, मोदी जी आ गए, येदियुरप्पा जी आ गए, ईश्वरप्पा जी आ गए, अब चलो सो जाओ, ऐसा तो नहीं करेंगे न। नहीं करेंगे न। बूथ-बूथ पर जाएंगे, मतदाताओं से मिलेंगे, मतदान करवाएंगे। हर बूथ को जीतेंगे। मैं रिजल्ट देखने वाला हूं। हर बूथ को जीतेंगे। पक्का करेंगे। अच्छा मेरा एक काम करेंगे। (क्यों भई बंद हो गए।) मेरा एक काम करेंगे। ऐसे नहीं, हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बताइए, मेरा एक काम करेंगे। और जोर से बोलिए, आवाज दिल्ली तक जानी चाहिए, मेरा काम करेंगे। ये मेरा पर्सनल काम है, करेंगे, पक्का करेंगे। अच्छा मुझे मोबाइल की फ्लैशलाइट चालू करके बताइए। ताकि मुझे दूर-दूर दिखाई दे। हर कोई अपने मोबाइल की फ्लैशलाइट चालू करिए। हर कोई अपने मोबाइल की फ्लैशलाइट चालू करिए। हरेक के मोबाइल की फ्लैशलाइट चालू हो। अच्छा मैं काम बताऊं आपको। मेरा काम बताऊं। आप करेंगे। आपको घर-घर जाना है। जाकर के कहना है कि मोदी जी शिवमोगा आए थे। और आपको नमस्कार भेजा है। ये कह देंगे। मेरा नमस्कार पहुंचाएंगे। मेरा प्रणाम पहुंचाएंगे। जब हर घर मेरा नमस्कार पहुंचेगा, हर परिवार से मुझे आशीर्वाद मिलेगा। उस आशीर्वाद से मुझे नई ऊर्जा मिलेगी। और उस ऊर्जा से मैं आपकी सेवा ज्यादा करूंगा।

बोलो भारत माता की। भारत माता की। भारत माता की। बजरंगबली की। बजरंगबली की। बजरंगबली की। बजरंगबली की।
बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Today, the world sees the Indian Growth Model as a model of hope: PM Modi
November 17, 2025
India is eager to become developed, India is eager to become self-reliant: PM
India is not just an emerging market, India is also an emerging model: PM
Today, the world sees the Indian Growth Model as a model of hope: PM
We are continuously working on the mission of saturation; Not a single beneficiary should be left out from the benefits of any scheme: PM
In our new National Education Policy, we have given special emphasis to education in local languages: PM

विवेक गोयनका जी, भाई अनंत, जॉर्ज वर्गीज़ जी, राजकमल झा, इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के सभी अन्य साथी, Excellencies, यहां उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

आज हम सब एक ऐसी विभूति के सम्मान में यहां आए हैं, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र में, पत्रकारिता, अभिव्यक्ति और जन आंदोलन की शक्ति को नई ऊंचाई दी है। रामनाथ जी ने एक Visionary के रूप में, एक Institution Builder के रूप में, एक Nationalist के रूप में और एक Media Leader के रूप में, Indian Express Group को, सिर्फ एक अखबार नहीं, बल्कि एक Mission के रूप में, भारत के लोगों के बीच स्थापित किया। उनके नेतृत्व में ये समूह, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय हितों की आवाज़ बना। इसलिए 21वीं सदी के इस कालखंड में जब भारत विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो रामनाथ जी की प्रतिबद्धता, उनके प्रयास, उनका विजन, हमारी बहुत बड़ी प्रेरणा है। मैं इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप का आभार व्यक्त करता हूं कि आपने मुझे इस व्याख्यान में आमंत्रित किया, मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

रामनाथ जी गीता के एक श्लोक से बहुत प्रेरणा लेते थे, सुख दुःखे समे कृत्वा, लाभा-लाभौ जया-जयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व, नैवं पापं अवाप्स्यसि।। अर्थात सुख-दुख, लाभ-हानि और जय-पराजय को समान भाव से देखकर कर्तव्य-पालन के लिए युद्ध करो, ऐसा करने से तुम पाप के भागी नहीं बनोगे। रामनाथ जी आजादी के आंदोलन के समय कांग्रेस के समर्थक रहे, बाद में जनता पार्टी के भी समर्थक रहे, फिर जनसंघ के टिकट पर चुनाव भी लड़ा, विचारधारा कोई भी हो, उन्होंने देशहित को प्राथमिकता दी। जिन लोगों ने रामनाथ जी के साथ वर्षों तक काम किया है, वो कितने ही किस्से बताते हैं जो रामनाथ जी ने उन्हें बताए थे। आजादी के बाद जब हैदराबाद और रजाकारों को उसके अत्याचार का विषय आया, तो कैसे रामनाथ जी ने सरदार वल्‍लभभाई पटेल की मदद की, सत्तर के दशक में जब बिहार में छात्र आंदोलन को नेतृत्व की जरूरत थी, तो कैसे नानाजी देशमुख के साथ मिलकर रामनाथ जी ने जेपी को उस आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए तैयार किया। इमरजेंसी के दौरान, जब रामनाथ जी को इंदिऱा गांधी के सबसे करीबी मंत्री ने बुलाकर धमकी दी कि मैं तुम्हें जेल में डाल दूंगा, तो इस धमकी के जवाब में रामनाथ जी ने पलटकर जो कहा था, ये सब इतिहास के छिपे हुए दस्तावेज हैं। कुछ बातें सार्वजनिक हुई, कुछ नहीं हुई हैं, लेकिन ये बातें बताती हैं कि रामनाथ जी ने हमेशा सत्य का साथ दिया, हमेशा कर्तव्य को सर्वोपरि रखा, भले ही सामने कितनी ही बड़ी ताकत क्‍यों न हो।

साथियों,

रामनाथ जी के बारे में कहा जाता था कि वे बहुत अधीर थे। अधीरता, Negative Sense में नहीं, Positive Sense में। वो अधीरता जो परिवर्तन के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा कराती है, वो अधीरता जो ठहरे हुए पानी में भी हलचल पैदा कर देती है। ठीक वैसे ही, आज का भारत भी अधीर है। भारत विकसित होने के लिए अधीर है, भारत आत्मनिर्भर होने के लिए अधीर है, हम सब देख रहे हैं, इक्कीसवीं सदी के पच्चीस साल कितनी तेजी से बीते हैं। एक से बढ़कर एक चुनौतियां आईं, लेकिन वो भारत की रफ्तार को रोक नहीं पाईं।

साथियों,

आपने देखा है कि बीते चार-पांच साल कैसे पूरी दुनिया के लिए चुनौतियों से भरे रहे हैं। 2020 में कोरोना महामारी का संकट आया, पूरे विश्व की अर्थव्यवस्थाएं अनिश्चितताओं से घिर गईं। ग्लोबल सप्लाई चेन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा और सारा विश्व एक निराशा की ओर जाने लगा। कुछ समय बाद स्थितियां संभलना धीरे-धीरे शुरू हो रहा था, तो ऐसे में हमारे पड़ोसी देशों में उथल-पुथल शुरू हो गईं। इन सारे संकटों के बीच, हमारी इकॉनमी ने हाई ग्रोथ रेट हासिल करके दिखाया। साल 2022 में यूरोपियन क्राइसिस के कारण पूरे दुनिया की सप्लाई चेन और एनर्जी मार्केट्स प्रभावित हुआ। इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ा, इसके बावजूद भी 2022-23 में हमारी इकोनॉमी की ग्रोथ तेजी से होती रही। साल 2023 में वेस्ट एशिया में स्थितियां बिगड़ीं, तब भी हमारी ग्रोथ रेट तेज रही और इस साल भी जब दुनिया में अस्थिरता है, तब भी हमारी ग्रोथ रेट Seven Percent के आसपास है।

साथियों,

आज जब दुनिया disruption से डर रही है, भारत वाइब्रेंट फ्यूचर के Direction में आगे बढ़ रहा है। आज इंडियन एक्सप्रेस के इस मंच से मैं कह सकता हूं, भारत सिर्फ़ एक emerging market ही नहीं है, भारत एक emerging model भी है। आज दुनिया Indian Growth Model को Model of Hope मान रहा है।

साथियों,

एक सशक्त लोकतंत्र की अनेक कसौटियां होती हैं और ऐसी ही एक बड़ी कसौटी लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी की होती है। लोकतंत्र को लेकर लोग कितने आश्वस्त हैं, लोग कितने आशावादी हैं, ये चुनाव के दौरान सबसे अधिक दिखता है। अभी 14 नवंबर को जो नतीजे आए, वो आपको याद ही होंगे और रामनाथ जी का भी बिहार से नाता रहा था, तो उल्लेख बड़ा स्वाभाविक है। इन ऐतिहासिक नतीजों के साथ एक और बात बहुत अहम रही है। कोई भी लोकतंत्र में लोगों की बढ़ती भागीदारी को नजरअंदाज नहीं कर सकता। इस बार बिहार के इतिहास का सबसे अधिक वोटर टर्न-आउट रहा है। आप सोचिए, महिलाओं का टर्न-आउट, पुरुषों से करीब 9 परसेंट अधिक रहा। ये भी लोकतंत्र की विजय है।

साथियों,

बिहार के नतीजों ने फिर दिखाया है कि भारत के लोगों की आकांक्षाएं, उनकी Aspirations कितनी ज्यादा हैं। भारत के लोग आज उन राजनीतिक दलों पर विश्वास करते हैं, जो नेक नीयत से लोगों की उन Aspirations को पूरा करते हैं, विकास को प्राथमिकता देते हैं। और आज इंडियन एक्सप्रेस के इस मंच से मैं देश की हर राज्य सरकार को, हर दल की राज्य सरकार को बहुत विनम्रता से कहूंगा, लेफ्ट-राइट-सेंटर, हर विचार की सरकार को मैं आग्रह से कहूंगा, बिहार के नतीजे हमें ये सबक देते हैं कि आप आज किस तरह की सरकार चला रहे हैं। ये आने वाले वर्षों में आपके राजनीतिक दल का भविष्य तय करेंगे। आरजेडी की सरकार को बिहार के लोगों ने 15 साल का मौका दिया, लालू यादव जी चाहते तो बिहार के विकास के लिए बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन उन्होंने जंगलराज का रास्ता चुना। बिहार के लोग इस विश्वासघात को कभी भूल नहीं सकते। इसलिए आज देश में जो भी सरकारें हैं, चाहे केंद्र में हमारी सरकार है या फिर राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें हैं, हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता सिर्फ एक होनी चाहिए विकास, विकास और सिर्फ विकास। और इसलिए मैं हर राज्य सरकार को कहता हूं, आप अपने यहां बेहतर इंवेस्टमेंट का माहौल बनाने के लिए कंपटीशन करिए, आप Ease of Doing Business के लिए कंपटीशन करिए, डेवलपमेंट पैरामीटर्स में आगे जाने के लिए कंपटीशन करिए, फिर देखिए, जनता कैसे आप पर अपना विश्वास जताती है।

साथियों,

बिहार चुनाव जीतने के बाद कुछ लोगों ने मीडिया के कुछ मोदी प्रेमियों ने फिर से ये कहना शुरू किया है भाजपा, मोदी, हमेशा 24x7 इलेक्शन मोड में ही रहते हैं। मैं समझता हूं, चुनाव जीतने के लिए इलेक्शन मोड नहीं, चौबीसों घंटे इलेक्शन मोड में रहना जरूरी होता है, इमोशनल मोड में रहना जरूरी होता है, इलेक्शन मोड में नहीं। जब मन के भीतर एक बेचैनी सी रहती है कि एक मिनट भी गंवाना नहीं है, गरीब के जीवन से मुश्किलें कम करने के लिए, गरीब को रोजगार के लिए, गरीब को इलाज के लिए, मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, बस मेहनत करते रहना है। इस इमोशन के साथ, इस भावना के साथ सरकार लगातार जुटी रहती है, तो उसके नतीजे हमें चुनाव परिणाम के दिन दिखाई देते हैं। बिहार में भी हमने अभी यही होते देखा है।

साथियों,

रामनाथ जी से जुड़े एक और किस्से का मुझसे किसी ने जिक्र किया था, ये बात तब की है, जब रामनाथ जी को विदिशा से जनसंघ का टिकट मिला था। उस समय नानाजी देशमुख जी से उनकी इस बात पर चर्चा हो रही थी कि संगठन महत्वपूर्ण होता है या चेहरा। तो नानाजी देशमुख ने रामनाथ जी से कहा था कि आप सिर्फ नामांकन करने आएंगे और फिर चुनाव जीतने के बाद अपना सर्टिफिकेट लेने आ जाइएगा। फिर नानाजी ने पार्टी कार्यकर्ताओं के बल पर रामनाथ जी का चुनाव लड़ा औऱ उन्हें जिताकर दिखाया। वैसे ये किस्सा बताने के पीछे मेरा ये मतलब नहीं है कि उम्मीदवार सिर्फ नामांकन करने जाएं, मेरा मकसद है, भाजपा के अनगिनत कर्तव्य़ निष्ठ कार्यकर्ताओं के समर्पण की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना।

साथियों,

भारतीय जनता पार्टी के लाखों-करोड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने पसीने से भाजपा की जड़ों को सींचा है और आज भी सींच रहे हैं। और इतना ही नहीं, केरला, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, ऐसे कुछ राज्यों में हमारे सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने खून से भी भाजपा की जड़ों को सींचा है। जिस पार्टी के पास ऐसे समर्पित कार्यकर्ता हों, उनके लिए सिर्फ चुनाव जीतना ध्येय नहीं होता, बल्कि वो जनता का दिल जीतने के लिए, सेवा भाव से उनके लिए निरंतर काम करते हैं।

साथियों,

देश के विकास के लिए बहुत जरूरी है कि विकास का लाभ सभी तक पहुंचे। दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित, सभी तक जब सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचता है, तो सामाजिक न्याय सुनिश्चित होता है। लेकिन हमने देखा कि बीते दशकों में कैसे सामाजिक न्याय के नाम पर कुछ दलों, कुछ परिवारों ने अपना ही स्वार्थ सिद्ध किया है।

साथियों,

मुझे संतोष है कि आज देश, सामाजिक न्याय को सच्चाई में बदलते देख रहा है। सच्चा सामाजिक न्याय क्या होता है, ये मैं आपको बताना चाहता हूं। 12 करोड़ शौचालयों के निर्माण का अभियान, उन गरीब लोगों के जीवन में गरिमा लेकर के आया, जो खुले में शौच के लिए मजबूर थे। 57 करोड़ जनधन बैंक खातों ने उन लोगों का फाइनेंशियल इंक्लूजन किया, जिनको पहले की सरकारों ने एक बैंक खाते के लायक तक नहीं समझा था। 4 करोड़ गरीबों को पक्के घरों ने गरीब को नए सपने देखने का साहस दिया, उनकी रिस्क टेकिंग कैपेसिटी बढ़ाई है।

साथियों,

बीते 11 वर्षों में सोशल सिक्योरिटी पर जो काम हुआ है, वो अद्भुत है। आज भारत के करीब 94 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी नेट के दायरे में आ चुके हैं। और आप जानते हैं 10 साल पहले क्या स्थिति थी? सिर्फ 25 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी के दायरे में थे, आज 94 करोड़ हैं, यानि सिर्फ 25 करोड़ लोगों तक सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ पहुंच रहा था। अब ये संख्या बढ़कर 94 करोड़ पहुंच चुकी है और यही तो सच्चा सामाजिक न्याय है। और हमने सोशल सिक्योरिटी नेट का दायरा ही नहीं बढ़ाया, हम लगातार सैचुरेशन के मिशन पर काम कर रहे हैं। यानि किसी भी योजना के लाभ से एक भी लाभार्थी छूटे नहीं। और जब कोई सरकार इस लक्ष्य के साथ काम करती है, हर लाभार्थी तक पहुंचना चाहती है, तो किसी भी तरह के भेदभाव की गुंजाइश भी खत्म हो जाती है। ऐसे ही प्रयासों की वजह से पिछले 11 साल में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त करके दिखाया है। और तभी आज दुनिया भी ये मान रही है- डेमोक्रेसी डिलिवर्स।

साथियों,

मैं आपको एक और उदाहरण दूंगा। आप हमारे एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम का अध्ययन करिए, देश के सौ से अधिक जिले ऐसे थे, जिन्हें पहले की सरकारें पिछड़ा घोषित करके भूल गई थीं। सोचा जाता था कि यहां विकास करना बड़ा मुश्किल है, अब कौन सर खपाए ऐसे जिलों में। जब किसी अफसर को पनिशमेंट पोस्टिंग देनी होती थी, तो उसे इन पिछड़े जिलों में भेज दिया जाता था कि जाओ, वहीं रहो। आप जानते हैं, इन पिछड़े जिलों में देश की कितनी आबादी रहती थी? देश के 25 करोड़ से ज्यादा नागरिक इन पिछड़े जिलों में रहते थे।

साथियों,

अगर ये पिछड़े जिले पिछड़े ही रहते, तो भारत अगले 100 साल में भी विकसित नहीं हो पाता। इसलिए हमारी सरकार ने एक नई रणनीति के साथ काम करना शुरू किया। हमने राज्य सरकारों को ऑन-बोर्ड लिया, कौन सा जिला किस डेवलपमेंट पैरामीटर में कितनी पीछे है, उसकी स्टडी करके हर जिले के लिए एक अलग रणनीति बनाई, देश के बेहतरीन अफसरों को, ब्राइट और इनोवेटिव यंग माइंड्स को वहां नियुक्त किया, इन जिलों को पिछड़ा नहीं, Aspirational माना और आज देखिए, देश के ये Aspirational Districts, कितने ही डेवलपमेंट पैरामीटर्स में अपने ही राज्यों के दूसरे जिलों से बहुत अच्छा करने लगे हैं। छत्तीसगढ़ का बस्तर, वो आप लोगों का तो बड़ा फेवरेट रहा है। एक समय आप पत्रकारों को वहां जाना होता था, तो प्रशासन से ज्यादा दूसरे संगठनों से परमिट लेनी होती थी, लेकिन आज वही बस्तर विकास के रास्ते पर बढ़ रहा है। मुझे नहीं पता कि इंडियन एक्सप्रेस ने बस्तर ओलंपिक को कितनी कवरेज दी, लेकिन आज रामनाथ जी ये देखकर बहुत खुश होते कि कैसे बस्तर में अब वहां के युवा बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजन कर रहे हैं।

साथियों,

जब बस्तर की बात आई है, तो मैं इस मंच से नक्सलवाद यानि माओवादी आतंक की भी चर्चा करूंगा। पूरे देश में नक्सलवाद-माओवादी आतंक का दायरा बहुत तेजी से सिमट रहा है, लेकिन कांग्रेस में ये उतना ही सक्रिय होता जा रहा था। आप भी जानते हैं, बीते पांच दशकों तक देश का करीब-करीब हर बड़ा राज्य, माओवादी आतंक की चपेट में, चपेट में रहा। लेकिन ये देश का दुर्भाग्य था कि कांग्रेस भारत के संविधान को नकारने वाले माओवादी आतंक को पालती-पोसती रही और सिर्फ दूर-दराज के क्षेत्रों में जंगलों में ही नहीं, कांग्रेस ने शहरों में भी नक्सलवाद की जड़ों को खाद-पानी दिया। कांग्रेस ने बड़ी-बड़ी संस्थाओं में अर्बन नक्सलियों को स्थापित किया है।

साथियों,

10-15 साल पहले कांग्रेस में जो अर्बन नक्सली, माओवादी पैर जमा चुके थे, वो अब कांग्रेस को मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, MMC बना चुके हैं। और मैं आज पूरी जिम्मेदारी से कहूंगा कि ये मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, अपने स्वार्थ में देशहित को तिलांजलि दे चुकी है। आज की मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, देश की एकता के सामने बहुत बड़ा खतरा बनती जा रही है।

साथियों,

आज जब भारत, विकसित बनने की एक नई यात्रा पर निकल पड़ा है, तब रामनाथ गोयनका जी की विरासत और भी प्रासंगिक है। रामनाथ जी ने अंग्रेजों की गुलामी से डटकर टक्कर ली, उन्होंने अपने एक संपादकीय में लिखा था, मैं अंग्रेज़ों के आदेश पर अमल करने के बजाय, अखबार बंद करना पसंद करुंगा। इसी तरह जब इमरजेंसी के रूप में देश को गुलाम बनाने की एक और कोशिश हुई, तब भी रामनाथ जी डटकर खड़े हो गए थे और ये वर्ष तो इमरजेंसी के पचास वर्ष पूरे होने का भी है। और इंडियन एक्सप्रेस ने 50 वर्ष पहले दिखाया है, कि ब्लैंक एडिटोरियल्स भी जनता को गुलाम बनाने वाली मानसिकता को चुनौती दे सकते हैं।

साथियों,

आज आपके इस सम्मानित मंच से, मैं गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के इस विषय पर भी विस्तार से अपनी बात रखूंगा। लेकिन इसके लिए हमें 190 वर्ष पीछे जाना पड़ेगा। 1857 के सबसे स्वतंत्रता संग्राम से भी पहले, वो साल था 1835, 1835 में ब्रिटिश सांसद थॉमस बेबिंगटन मैकाले ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के लिए एक बहुत बड़ा अभियान शुरू किया था। उसने ऐलान किया था, मैं ऐसे भारतीय बनाऊंगा कि वो दिखने में तो भारतीय होंगे लेकिन मन से अंग्रेज होंगे। और इसके लिए मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन नहीं, बल्कि उसका समूल नाश कर दिया। खुद गांधी जी ने भी कहा था कि भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था एक सुंदर वृक्ष थी, जिसे जड़ से हटा कर नष्ट कर दिया।

साथियों,

भारत की शिक्षा व्यवस्था में हमें अपनी संस्कृति पर गर्व करना सिखाया जाता था, भारत की शिक्षा व्यवस्था में पढ़ाई के साथ ही कौशल पर भी उतना ही जोर था, इसलिए मैकाले ने भारत की शिक्षा व्यवस्था की कमर तोड़ने की ठानी और उसमें सफल भी रहा। मैकाले ने ये सुनिश्चित किया कि उस दौर में ब्रिटिश भाषा, ब्रिटिश सोच को ज्यादा मान्यता मिले और इसका खामियाजा भारत ने आने वाली सदियों में उठाया।

साथियों,

मैकाले ने हमारे आत्मविश्वास को तोड़ दिया दिया, हमारे भीतर हीन भावना का संचार किया। मैकाले ने एक झटके में हजारों वर्षों के हमारे ज्ञान-विज्ञान को, हमारी कला-संस्कृति को, हमारी पूरी जीवन शैली को ही कूड़ेदान में फेंक दिया था। वहीं पर वो बीज पड़े कि भारतीयों को अगर आगे बढ़ना है, अगर कुछ बड़ा करना है, तो वो विदेशी तौर तरीकों से ही करना होगा। और ये जो भाव था, वो आजादी मिलने के बाद भी और पुख्ता हुआ। हमारी एजुकेशन, हमारी इकोनॉमी, हमारे समाज की एस्पिरेशंस, सब कुछ विदेशों के साथ जुड़ गईं। जो अपना है, उस पर गौरव करने का भाव कम होता गया। गांधी जी ने जिस स्वदेशी को आज़ादी का आधार बनाया था, उसको पूछने वाला ही कोई नहीं रहा। हम गवर्नेंस के मॉडल विदेश में खोजने लगे। हम इनोवेशन के लिए विदेश की तरफ देखने लगे। यही मानसिकता रही, जिसकी वजह से इंपोर्टेड आइडिया, इंपोर्टेड सामान और सर्विस, सभी को श्रेष्ठ मानने की प्रवृत्ति समाज में स्थापित हो गई।

साथियों,

जब आप अपने देश को सम्मान नहीं देते हैं, तो आप स्वदेशी इकोसिस्टम को नकारते हैं, मेड इन इंडिया मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को नकारते हैं। मैं आपको एक और उदाहरण, टूरिज्म की बात करता हूं। आप देखेंगे कि जिस भी देश में टूरिज्म फला-फूला, वो देश, वहां के लोग, अपनी ऐतिहासिक विरासत पर गर्व करते हैं। हमारे यहां इसका उल्टा ही हुआ। भारत में आज़ादी के बाद, अपनी विरासत को दुत्कारने के ही प्रयास हुए, जब अपनी विरासत पर गर्व नहीं होगा तो उसका संरक्षण भी नहीं होगा। जब संरक्षण नहीं होगा, तो हम उसको ईंट-पत्थर के खंडहरों की तरह ही ट्रीट करते रहेंगे और ऐसा हुआ भी। अपनी विरासत पर गर्व होना, टूरिज्म के विकास के लिए भी आवश्यक शर्त है।

साथियों,

ऐसे ही स्थानीय भाषाओं की बात है। किस देश में ऐसा होता है कि वहां की भाषाओं को दुत्कारा जाता है? जापान, चीन और कोरिया जैसे देश, जिन्होंने west के अनेक तौर-तरीके अपनाए, लेकिन भाषा, फिर भी अपनी ही रखी, अपनी भाषा पर कंप्रोमाइज नहीं किया। इसलिए, हमने नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई पर विशेष बल दिया है और मैं बहुत स्पष्टता से कहूंगा, हमारा विरोध अंग्रेज़ी भाषा से नहीं है, हम भारतीय भाषाओं के समर्थन में हैं।

साथियों,

मैकाले द्वारा किए गए उस अपराध को 1835 में जो अपराध किया गया 2035, 10 साल के बाद 200 साल हो जाएंगे और इसलिए आज आपके माध्यम से पूरे देश से एक आह्वान करना चाहता हूं, अगले 10 साल में हमें संकल्प लेकर चलना है कि मैकाले ने भारत को जिस गुलामी की मानसिकता से भर दिया है, उस सोच से मुक्ति पाकर के रहेंगे, 10 साल हमारे पास बड़े महत्वपूर्ण हैं। मुझे याद है एक छोटी घटना, गुजरात में लेप्रोसी को लेकर के एक अस्पताल बन रहा था, तो वो सारे लोग महात्‍मा गांधी जी से मिले उसके उद्घाटन के लिए, तो महात्मा जी ने कहा कि मैं लेप्रोसी के अस्पताल के उद्घाटन के पक्ष में नहीं हूं, मैं नहीं आऊंगा, लेकिन ताला लगाना है, उस दिन मुझे बुलाना, मैं ताला लगाने आऊंगा। गांधी जी के रहते हुए उस अस्पताल को तो ताला नहीं लगा था, लेकिन गुजरात जब लेप्रोसी से मुक्त हुआ और मुझे उस अस्पताल को ताला लगाने का मौका मिला, जब मैं मुख्यमंत्री बना। 1835 से शुरू हुई यात्रा 2035 तक हमें खत्म करके रहना है जी, गांधी जी का जैसे सपना था कि मैं ताला लगाऊंगा, मेरा भी यह सपना है कि हम ताला लगाएंगे।

साथियों,

आपसे बहुत सारे विषयों पर चर्चा हो गई है। अब आपका मैं ज्यादा समय लेना नहीं चाहता हूं। Indian Express ग्रुप देश के हर परिवर्तन का, देश की हर ग्रोथ स्टोरी का साक्षी रहा है और आज जब भारत विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर चल रहा है, तो भी इस यात्रा के सहभागी बन रहे हैं। मैं आपको बधाई दूंगा कि रामनाथ जी के विचारों को, आप सभी पूरी निष्ठा से संरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं। एक बार फिर, आज के इस अद्भुत आयोजन के लिए आप सभी को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं। और, रामनाथ गोयनका जी को आदरपूर्वक मैं नमन करते हुए मेरी बात को विराम देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद!