जय जगन्‍नाथ, मंच पर विराजमान सभी वरिष्‍ठ महानुभाव। आजी पवित्र उत्‍कल दिवस, ओडिशा प्रतिष्‍ठा दिवस, समस्‍त ओडिशावासिन को ए अवसरे मोर अभिनंदन।

आज यह मेरा सौभाग्‍य है कि उत्‍कल दिवस के पावन अवसर पर मुझे जगन्‍नाथ जी की धरती पर आने का सौभाग्‍य मिला। इस उड़ीसा को बनाने के लिए, अनेक लोगों ने अपना जीवन खपा दिया, साधना की और आज उत्‍कल दिवस पर मैं विशेष रूप से उत्‍कल मणि पंडित गोपवंदु दास को प्रणाम करता हूं। उत्‍कल के गौरव मधुसुधन दास को नमस्‍कार करता हूं। वीर सुरेंद्र साई को प्रणाम करता हूं और महाराज कृष्‍णा चंद्र गज‍पति जी को मैं उनका पुण्‍य स्‍मरण करता हूं। यह बीरसा मुंडा की भी, क्रांति जोत से प्रज्‍वलित धरती है, मैं बीरसा मुंडा को भी प्रणाम करता हूं और आधुनिक ओडिशा बनाने के लिए बीजू बाबू को हर ओडिशा वासी हमेशा याद करता है। मैं इन सभी महानुभाव को और ओडिशा की जनता को हृदय से अभिनंदन करता हूं, उनको प्रणाम करता हूं और मैं आज के ओडिशा दिवस पर ओडिशावासियों को हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। अभिनंदन करता हूं और ओडिशा विकास की नई ऊंचाईयों को पार करे। ओडिशा के नौजवानों का भविष्‍य ओजस्‍वी हो, तेजस्‍वी हो, सामर्थवान हो, राष्‍ट्र के कल्‍याण में ओडिशा की नई पी‍ढ़ी अपना अमूल्‍य योगदान देने के लिए उसको अवसर मिले।

उड़ीसा का किसान हो, उड़ीसा का मजदूर हो, उड़ीसा का मेरा मछुआरा भाई हो या उड़ीसा का आदिवासी हो। ये वो धरती हो। जिसके लिए पूरा हिंदुस्तान गर्व करता है, सम्मान करता है। यहां का सूर्य मंदिर आज भी हिंदुस्तान को प्रकाश दे रहा है, एक नई आशा का संचार करता है। ऐसी इस पवित्र भूमि को मैं आज नमन करता हूं।

मैं पिछले वर्ष, अप्रैल महीने के पहले सप्ताह राउरकेला की धरती पर आया था। शायद 4 अप्रैल को आया था और आज एक साल के भीतर-भीतर, दोबारा मैं आपके बीच आया हूं। मैं पिछले वर्ष आया था तब आपके सपनों को समझना चाहता था, आपकी आशा, आकांक्षाओं को समझना चाहता था। आज, जब मैं आया हूं तो मेरा एक साल का हिसाब देने के लिए आया हूं और लोकतंत्र में ये हमारा दायित्व बनता है कि हम जनता-जर्नादन को हमारे काम का हिसाब दें। पल-पल का हिसाब दें, पाई-पाई का हिसाब दें। भाईयों-बहनों, ये राउरकेला एक प्रकार से लघु भारत है। हिंदुस्तान का कोई कोना नहीं है जो राउरकेला में बसता नहीं है। राउरकेला में कुछ भी होता है, हिंदुस्तान पूरे कोने में उसका तुरंत vibration पहुंच जाता है और भारत के किसी भी कोने में कुछ भी क्यों न हो पल दो पल में राउरकेला में पता चल जाता है कि हिंदुस्तान के उस कोने में ये हुआ है। इतना जीवंत नाता संपूर्ण भारत के साथ, इस धरती का नाता है। यहां के लोगों का नाता है। एक प्रकार से राउरकेला को बनाने में भारत को इस्पात की ताकत देने में ये लघु भारत में, राउरकेला का बहुत बड़ा योगदान है।

भारत को एक करने का काम लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया था और आजादी के बाद किसी शहर ने भारत को इस्पात की ताकत दी है तो वो शहर का नाम है राउरकेला। ये बज्र सा सामर्थ्य दिया है और जहां से बज्र सा समार्थ्य मिलता है, वो राष्ट्र कभी भी पीछे नहीं हटता है। विकास की नई ऊचांईयों को पार करता जाता है। यहां पर डॉक्टर राजेंद्र बाबू ने कई वर्षों पहले इस्पात के कारखाने की नींव डाली। यहां का जो मजदूर होगा, वो भी ये सोचता होगा कि मैं खनिज में से, आयरन में से मिट्टी जैसा जो लग रहा है, उसको कोशिश करके मैं स्टील तैयार करता हूं, मजबूत स्टील तैयार करता हूं, अच्छा स्टील तैयार करता हूं लेकिन राउरकेला के मेरे भाईयों-बहनों आप सिर्फ प्लेट नहीं बनाते। आप सिर्फ इतनी चौड़ाई इतनी मोटाई, इसकी सिर्फ प्‍लेट का निर्माण नहीं करते हैं। आप जो पसीना बहाते हैं, आप जो मेहनत करते हैं, उस भंयकर गर्मी के बीच खड़े रहकर के, आप अपने शरीर को भी तपा देते हैं। सिर्फ स्‍टील की प्‍लेट नहीं पैदा करते हैं आप भारत की सैन्‍य शक्ति में, भारत की सुरक्षा शक्ति में एक अबोध ताकत पैदा करते हैं, एक बज्र की ताकत पैदा करते हैं।

आज भारत सामुद्रिक सुरक्षा में indigenous बनने का सपना लेकर के चल रहा है। हमारे युद्धपोत हमारे देश में कैसे बने इस पर आज भारत का ध्‍यान है। लेकिन यह युद्धपोत इसलिए बनना संभव हुआ है, क्‍योंकि राउरकेला में कोई मजदूर भारत की सुरक्षा के लिए गर्मी के बीच खड़े रहकर के अपने आप को तपा रहा है, तब जाकर के भारत की सुरक्षा होती है, तब जाकर के युद्धपोत बनते हैं, तब जाकर के यहां बनाया, पकाया स्‍टील भारत की सुरक्षा के लिए काम आता है। दुश्‍मनों की कितनी ही ताकत क्‍यों न हो, उन ताकतों के खिलाफ लोहा लेने का सामर्थ्‍य हमारे सेना के जवानों में तब आता है, जब वो एक मजबूत टैंक के अंदर खड़ा है और दुश्‍मन के वार भी झेलता है और दुश्‍मन पर वार भी करता है। वो टैंक भारत में तब निर्माण होती है, जब राउरकेला में मजबूत स्‍टील तैयार होता है और इसलिए मेरे प्‍यारे भाईयों-बहनों दूर हिमालय की गोद में देश की सेना का जवान किसी टैंक पर खड़े रहकर के मां भारती की रक्षा करता है तो उसके अंदर आप के भी पुरूषार्थ की महक होती है। तब जाकर के राष्‍ट्र की रक्षा होती है और उस अर्थ में यह स्‍टील उत्‍पादन का काम राष्‍ट्र की रक्षा के साथ भी जुड़ा हुआ है।

यह स्‍टील उत्‍पादन का काम न सिर्फ ओडिशा के आर्थिक जीवन को, लेकिन पूरे देश के आर्थिक जीवन में एक नई ताकत देता है। इस पिछड़े इलाके में यह उद्योग के कारण रोजगार की संभावनाएं बढ़ी है। यहां के गरीब से गरीब व्‍यक्ति के लिए रोजी-रोटी का अवसर उपलब्‍ध हुआ है और आने वाले दिनों में उसके विकास के कारण और अधिक रोजगार की संभावनाएं होगी। विकास के और नए अवसर पैदा होने वाले हैं।

आज इस प्रोजेक्‍ट का Expansion हो रहा है और Expansion भी दो-चार कदम नहीं, एक प्रकार से उसकी ताकत डबल होने जा रही है। इस ताकत के कारण देश के इस्‍पात की क्षमता में बहुत बड़ी बढ़ोतरी होगी। देखते ही देखते हिंदुस्‍तान ने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है इस्‍पात के उत्‍पादन में। लेकिन अभी भी हम चाइना से काफी पीछे है और जब मैं मेक इन इंडिया की बात करता हूं, तो हमें किसी के पीछे रहना मंजूर नहीं। हमें उसमें आगे बढ़ना है। देश, 65% नौजवानों से भरा हुआ देश है। भारत मां की गोद में 65% 35 साल से कम उम्र के नौजवान मां भारती की गोद में पल रहे हैं, खेल रहे हैं। कितनी बड़ी ताकत है हमारे पास। उनको अगर अवसर मिलेगा, उन्‍हें अगर रोजगार मिलेगा, उनको अगर सही Skill Development होगा, तो यह हमारे नौजवान पिछले 60 साल में हिंदुस्‍तान जहां आ पहुंचा है 10 साल में उससे तेज गति में आगे ले जाएंगे, यह मुझे मेरे नौजवानों पर पूरा भरोसा है।

और इसलिए भाईयों-बहनों देश का औद्योगिक विकास हो। भारत के अंदर जो खनिज संपदा है। ये कच्चा माल विदेशों में भेजकर के, ट्रेडिंग करके, पेट भरकर के हमं गुजारा नहीं करना चाहिए। हमारी जो खनिज संपदा है। वो कच्चा माल, दुनिया के बाजार में बेचने से पैसा तो मिल जाएगा। ट्रेडिंग करने से अपना परिवार भी चल जाएगा। पांच-पचास लोगों का पेट भी भर जाएगा लेकिन भारत का भविष्य नहीं बनेगा और इसलिए हमारी कोशिश है कि भारत के पास जो कच्चा माल है, भारत के पास जो खनिज संपदा है। खान-खनिज में हमारा जो सामर्थ्य है। उसमें Value addition होना चाहिए, उसका Processing होना चाहिए, उसकी मूल्य वृद्धि होनी चाहिए और उसमें से जो उत्पादित चीजें हो, वो विश्व के बाजार में उत्तम प्रकार की चीजों के रूप में जाएगी तो भारत की आर्थिक संपन्न ताकत भी अनेक गुना बढ़ेगी और इसलिए हमारी कोशिश है कि हमारे देश में जो कच्चा माल है, उस कच्चे माल पर आधारित उद्योगों की जाल बिछाई जाए। नौजवानों को अवसर दिया जाए, बैंकों से धन उनके लिए उपलब्ध कराया जाए और देश में एक नई औद्योगिक क्रांति की दिशा में प्रयास हो।

भाईयो-बहनों एक समय था, भारत की ओर कोई देखने को तैयार नहीं था। पिछला एक दशक ऐसी मुसीबतों से गुजरा है कि जिसके कारण पूरे विश्व ने हमसे मुंह मोड़ लिया था लेकिन आज भाईयों-बहनों, मैं बड़े गर्व के साथ कहता हूं कि 10 महीने के भीतर-भीतर निराशा के बादल छंट गए, आशा का सूरज फिर से एक बार आसमान के माध्यान पर पहुंचा हे और पूरे विश्व का ध्यान आज हिंदुस्तान के अंदर पूंजी निवेश की ओर लगा है। रेल हो, रोड हो, गरीबों के लिए घर हो, उद्योग हो, कारखाने हो, दुनिया के लोगों का ध्यान आज हिंदुस्तान की तरफ आया है और हम इस अवसर का फायदा उठाना चाहते हैं। हम विश्व को निमंत्रित करना चाहते हैं। आइए आप अपना नसीब आजमाइए। भारत की धरती उर्वरा है। यहां पर जो पूंजी लगाएगा, दुनिया में उसको कहीं जितना Return मिलता है, उससे ज्यादा Return देने की ताकत इस धरती के अंदर है और इसलिए मैं विश्व को निमंत्रित करता हूं और उस इलाके में करना चाहे।

मैं बेमन से कह रहा हूं कि भारत का विकास सिर्फ हिंदुस्तान के पश्चिम छोर पर होने से, भारत का संपूर्ण विकास नहीं हो सकता है। महाराष्ट्र आगे बढ़े, गुजरात आगे बढ़े, गोवा आगे बढ़े, राजस्थान आगे बढ़े, हरियाणा आगे बढ़े, पंजाब आगे बढ़े, इससे काम नहीं चलेगा। वो बढ़ते रहें और बढ़ते रहें, लेकिन देश का भला तो तब होगा, जब उड़ीसा भी आगे बढ़े, छत्तीसगढ़ बढ़े, बिहार आगे बढ़े, पश्चिम बंगाल आगे बढ़े, आसाम आगे बढ़े, पूर्वी उत्तर प्रदेश आगे बढ़े, पूरे हिंदुस्तान का नक्शा देखिए। पूर्वी भारत का इलाका, ये भी उतना ही आगे बढ़ना चाहिए, जितना की हिंदुस्तान का पश्चिमी किनारा आगे बढ़ा है और इसलिए भाईयों-बहनों मेरा पूरा ध्यान इस बात पर है कि भारत का पूर्वी इलाका उड़ीसा से लेकर के पूर्वी इलाका ये कैसे सामर्थ्यवान बने। कैसे विकास की यात्रा में भागीदार बने इसलिए सरकार की सारी योजनाएं विकास की उस दिशा में ले जाने का हमारा प्रयास है, हमारी कोशिश है।

अब तक ये परंपरा रही दिल्ली वाले, दिल्ली में बैठने वाले ऐसे अहंकार में जीते थे कि राज्यों को वो छोटा मानते थे, नीचा मानते थे। हमने इस चरित्र का बदलने का फैसला किया है। ये परंपरा मुझे मंजूर नहीं है। केंद्र हो या राज्य हो बराबरी के भागीदार है, कोई ऊंच नहीं है, कोई नीच नहीं है, कोई ऊपर नहीं है, कोई नीचे नहीं है। कोई देने वाला नहीं, कोई लेने वाला नहीं, दोनों मिलकर के आगे बढ़ने वाले पार्टनर है, उसी रूप में देश को चलाना है और इसलिए हमने कोपरेटिव फेडरेलिज्‍म की बात कही है। भाईयों-बहनों राज्‍यों ने हमसे कुछ मांगा नहीं था। लेकिन हम मानते थे, क्‍योंकि मैं खुद अनेक वर्षों तक मुख्‍यमंत्री रहा हूं और देश में पहली बार लम्‍बे अर्सें तक रहा हुआ व्यक्ति प्रधानमंत्री बना है और इसलिए उसको मुख्‍यमंत्री की तकलीफें क्‍या होती है, राज्‍य की मुसीबतें क्‍या होती है। उसकी भली-भांति समझ है। मैं दिल्‍ली में बैठकर के भी ओडिशा के दर्द को भली-भांति समझ सकता हूं, पहचान सकता हूं, क्‍योंकि मैंने राज्‍य में काम किया है। एक जमाना था, यहां का खनिज खदानें आपके पास, लेकिन रोयल्‍टी के लिए दिल्‍ली के चक्‍कर काटने पड़ते थे। हमारी सरकार बनने के कुछ ही दिनों में हमने निर्णय कर लिया। कई वर्षों से जो रोयल्‍टी का मामला अटका था, उसका निपटारा कर दिया और रोयल्‍टी में हमने बढ़ोतरी कर दी, क्‍योंकि हम मानते हैं अगर धन राज्‍यों के पास होगा, तो राज्‍य भी विकास के लिए पीछे नहीं हटेंगे और इसलिए हमने इस काम को किया।

भाईयों बहनों Finance Commission के द्वारा राज्‍यों को पैसे दिये जाते हैं । पिछले वर्ष ओडिशा को भारत सरकार की तरफ से Finance Commission ने करीब 18 हजार करोड़ रुपया दिया था। भाईयों बहनों हमने आते ही 60 साल में पहुंचते-पहुंचते 18 हजार करोड़ पहुंचा था। हमने एक ही पल में 18 हजार करोड़ का 25 हजार करोड़ कर दिया, 25 हजार करोड़। अगर राज्‍य आगे बढ़ेंगे तो देश आगे बढ़ेगा। राज्‍य मिलजुलकर के प्रगति करेंगे तो देश प्रगति करेगा। इस मंत्र को लेकर के हम आगे चल रहे हैं और मुझे विश्‍वास है कि जिस प्रकार से एक के बाद एक भारत सरकार ने विकास के नये आयामों को छूने का प्रयास किया है। जो राज्‍य Progressive होगा, जो राज्‍य लम्‍बे समय की योजनाओं के साथ इस धन का उपयोग करेगा, वो राज्‍य हिंदुस्‍तान में नंबर एक पहुंचने में देर नहीं होगी। यह मैं आपको विश्‍वास दिलाने आया हूं। अब जिम्‍मेवारी राज्‍यों की बनती है कि वे विकास के मार्ग तय करें, Infrastructure पर बल लगाए। तत्‍कालीन लाभ वाला कार्यक्रम नहीं लम्‍बे समय के लिए राज्‍य को ताकत देने वाला कार्यक्रम हाथ में लें आप देखिए आने वाली पीढि़या सुखी हो जाएगी और ओडिशा में वो ताकत पड़ी है। स्‍वर्णिम इतिहास रहा है, स्‍वर्णिम काल रहा है उडिया का। फिर से एक बार वो स्‍वर्णिम काल आ सकता है, उडिया का और मैं साफ देख रहा हूं वो अवसर सामने आकर के खड़ा है। भाईयों और बहनों आप जानते है।

कभी ओडिशा के लोगों को लगता होगा कि हमारा ऐसा नसीब है कि कोयले की काली मां हमारे पर छाई हुई है। कुछ मिलता नहीं था। कोयला बोझ बन गया था, आज कोयले को हमने हीरा बना दिया, हीरा बना दिया भाई, कोयले की खदानों का Auction किया, जो कोयले को हाथ लगाने से लोग डरते थे, आज उस कोयले को हीरे में प्रवर्तित करने का हमने काम किया। जब CAG की रिपोर्ट आई थी, उसने कहा था कि कोयले की खदानों की चोरी में देश के खजाने का एक लाख 76 हजार करोड़ रुपया लूट लिया गया है। मैं पिछले अप्रैल में मैंने भाषण में यह कहा था, तब मुझे कई लोग कहते थे कि साहब एक लाख 76 हजार नहीं होगा, थोड़ा बहुत लिया होगा, लेकिन इतना नहीं लिया होगा। कई लोग कहते थे साहब एक लाख 76 हजार नहीं होगा। थोड़ा बहुत लिया होगा लेकिन इतना नहीं लिया होगा। कुछ लोग कहते थे। लोग कहते थे, तो मैं भी भई ज्यादा Argument नहीं करता था। CAG ने कहा है लेकिन भाईयों-बहनों सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार में दे दी गई 204 Coal mines को, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। ये चोर-लूटेरे की जो बंटवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने लाल आंख दिखाई। 204 कोयले की खदानें रद्द हो गईं। हमने तय किया। हम Transparent पद्धति से Auction करेंगे, नीलामी करेंगे, दुनिया के सामने खुलेआम निलामी करेंगे, मीडिया के लोगों की हाजिरी में नीलामी करेंगे और मेरे भाईयों-बहनों 204 में से अभी सिर्फ 20 की नीलामी हुई है, ज्यादा अभी बाकी है सिर्फ 20 की और आपको मालूम है, जिन 204 खदानों से हिंदुस्तान की तिजोरी में एक रुपया नहीं आता था। सिर्फ 20 की नीलामी से दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा रकम सरकार के खजाने में आई है और ये पैसे दिल्ली के खजाने में जमा नहीं करेंगे। जिन राज्यों में कोयले की खदाने हैं, ये पैसे उनके खजाने में जाएंगे। उड़ीसा के खजाने में जाएंगे, छत्तीसगढ़ के खजाने में जाएंगे, झारखंड के खजाने में जाएंगे। राज्य में ताकत आएगी। भाईयों-बहनों, ईमानदारी के साथ अगर काम करें तो कितना बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। ये उदाहरण आपके सामने है।

ये लोग जिम्मेवार नहीं हैं क्या? क्या उन्हें जवाब देना नहीं चाहिए? ये दो लाख करोड़ रुपया 20 खदानों का आया कहां से? तो पहले पैसे गया कहां था? भाईयों-बहनों मैंने आपको वादा किया था। दिल्ली में आप अगर मुझे सेवा करने का मौका देंगे तो ऐसा कभी कुछ नहीं करुंगा ताकि मेरे देशवासियों को माथा नीचे कर करके जीना पड़े और आज मैं सीना तानकर के आपके सामने हिसाब देने आया हूं, 10 महीने हो गए सरकार को एक दाग नहीं लगा मेरे भाईयों बहनों, एक दाग नहीं लगा मेरे भाईयों-बहनों। भाईयों-बहनों अभी हमने नए कानून पास किए। minerals के संबंध में कानून पास किया और मैं नवीन बाबू का आभारी हूं कि संसद में उन्होंने हमारा समर्थन किया तो राज्यसभा में भी वो बिल मंजूर होने में हमारी सुविधा हो गई और हम मिलकर के देश हित के निर्णयों को करते चलेंगे और देश हित में हम काम करते जाएंगे।

भाईयों-बहनों मैं जब पिछली बार आया था तब तो मैं प्रधानमंत्री नहीं था लेकिन यहां के लोगों ने मेरे सामने एक मांग रखी थी। राजनीति का स्वभाव ऐसा है कि पुरानी बातें भुला देना, जितना जल्दी हो सके भुला देना लेकिन मेरे भाईयों-बहनों, मैं राजनेता नहीं हूं, मैं तो आपका सेवादार हूं। मुझे पुरानी बातें भुलाने में Interest नहीं है। मैं तो खुद होकर के याद दिलाना चाहता हूं और मैंने गत वर्ष 4 अप्रैल को इसी मैदान से, मैंने जो घोषणा की थी तब प्रधानमंत्री नहीं था। आपने प्रधानमंत्री बनाया और आज जब मैं पहली बार आया हूं, तो मैं उस वादे को पूरा करते हुए बताना चाहता हूं कि इस्पात General hospital, अब इस्पात General hospital, ये मेडिकल कॉलेज cum Super specialty Hospital के रूप में उसको विकसित करने का निर्णय भारत सरकार ने कर लिया है।

भाइयों-बहनों लेकिन मैं नहीं चाहता हूं, कि इस अस्‍पताल में आपको कभी patient बनकर के जाना पड़े। मैं आप उत्‍कल दिवस पर आपको शुभकामना देता हूं कि अस्‍पताल तो हिंदुस्‍तान में बढि़या से बढि़या बने, लेकिन बारह महीने खाली रहे। कोई बीमार न हो, किसी के परिवार में मुसीबत न हो, किसी को अस्‍पताल जाना न पड़े। लेकिन यहां के मेडिकल कॉलेज से होनहार नौजवान तैयार हो करके देश के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी तैयार हो। एक बात और भी हुई थी, ब्रहामणी नदी पर दूसरा ब्रिज बनाने की। मैं आपकी कठिनाई जानता हूं। आज मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं ब्रहामणी नदी पर दूसरे ब्रिज का काम भी कर दिया जाएगा और उसके कारण राउरकेला की connectivity कितनी बढ़ने वाली है इसका आपको पूरा अंदाज है भाईयों-बहनों।

भाईयों-बहनों आज मैं दूर से ही जगन्‍नाथ जी को प्रणाम करते हुए उनके आर्शीवाद ले रहा हूं, लेकिन पूरा ओडिशा और एक प्रकार से देश और दुनिया के जगन्‍नाथ के भक्‍त नव कलेवर के लिए तैयारी कर रहे हैं। कई वर्षों के बाद नवकलेवर आता है। पूरा ओडिशा पूरे विश्‍व का स्‍वागत करने के लिए सजग हो जाता है। रेल की सुविधा चाहिए, हवाई जहाजों की सुविधा चाहिए और कोई – संबंधी आवश्‍यकताएं हो satiation जैसी आवश्‍यकता हो, भारत सरकार कंधे से कंधा मिलाकर के ओडिशा के इस नवकलेवर पर्व में आपका साथ देगी और ऊपर से इस काम को आगे बढाने के लिए 50 करोड़ रुपया भारत सरकार की तरफ से भी इसमें मुहैया किया जाएगा।

भाईयों-बहनों आज इस्पात के इस कारखाने के Expansion के साथ हम आगे तो बढ़ेंगे और आगे बढ़नें का संकल्प लेकर जाएंगे, विकास की नई ऊंचाइयों पर आगे बढ़ेंगे और मैं राज्यों को निमंत्रित करता हूं। आईए एक नए युग का ये शुभारंभ करने का अवसर है। लंबी सोच के साथ हम विकास की नींव मजबूत बनाएं। तत्कालीन फायदे से मुक्त होकर के हमारी भावी पीढ़ी के कल्याण के लिए हम अपने रास्तों को प्रशस्त करें।

मैं फिर एक बार SAIL के सभी मित्रों को हृदय से अभिनंदन करता हूं। यहां के छोटे-मोटे इस्पात के कारखानों के मेरे भाईयों-बहनों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। मैं उड़ीसा Government का बहुत आभारी हूं और मैं कल्पना नहीं कर सकता हूं भाईयों-बहनों। मैं नहीं मानता हूं कि कभी सरकार किसी कार्यक्रम में इतनी भीड़ आती हो। चारों तरफ मुझे लोग ही लोग नजर आ रहे हैं। आपने मुझे जो प्यार दिया है, ये प्यार एक प्रकार से विकास के प्रति आपके समर्थन की अभिव्यक्ति है। देश के नौजवानों के भविष्य को बदलने के लिए आपके संकल्प की अभिव्यक्ति है। हिंदुस्तान के गरीब को, किसान को ताकतवर बनाने के, आपके सपनों को पूरा करने का जो संकल्प है, उसका खुला समर्थन करने का आपका ये प्रयास है। मैं इसके लिए मेरे उड़ियावासियों को शत-शत नमन करता हूं, उनका अभिनंदन करता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद करते हुए। जय जगन्नाथ-जय जगन्नाथ-जय जगन्नाथ।

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भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे वरिष्ठ सहयोगी और लखनऊ के सांसद, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जी, यूपी भाजपा के अध्यक्ष और केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्रीमान पंकज चौधरी जी, प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक जी, उपस्थित अन्य मंत्रीगण, जनप्रतिनिधिगण, देवियों और सज्जनों,

आज लखनऊ की ये भूमि, एक नई प्रेरणा की साक्षी बन रही है। इसकी विस्तार से चर्चा करने से पहले, मैं देश और दुनिया को क्रिसमस की शुभकामनाएं देता हूं। भारत में भी करोड़ों इसाई परिवार आज उत्सव मना रहे हैं, क्रिसमस का ये उत्सव, सभी के जीवन में खुशियां लाए, ये हम सभी की कामना है।

साथियों,

25 दिसंबर का ये दिन, देश की दो महान विभूतियों के जन्म का अद्भुत सुयोग लेकर भी आता है। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी, भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय जी, इन दोनों महापुरुषों ने भारत की अस्मिता, एकता और गौरव की रक्षा की, और राष्ट्र निर्माण में अपनी अमिट छाप छोड़ी।

साथियों,

आज 25 दिसंबर को ही महाराजा बिजली पासी जी की भी जन्म-जयंती है। लखनऊ का प्रसिद्ध बिजली पासी किला यहां से अधिक दूर नहीं है। महाराजा बिजली पासी ने, वीरता, सुशासन और समावेश की जो विरासत छोड़ी, उसको हमारे पासी समाज ने गौरव के साथ आगे बढ़ाया है। ये भी संयोग ही है कि, अटल जी ने ही वर्ष 2000 में महाराजा बिजली पासी के सम्मान में डाक टिकट जारी किया था।

साथियों,

आज इस पावन दिन, मैं महामना मालवीय जी, अटल जी और महाराजा बिजली पासी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं, उनका वंदन करता हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले मुझे, यहां राष्ट्र प्रेरणा स्थल का लोकार्पण करने का सौभाग्य मिला है। ये राष्ट्र प्रेरणा स्थल, उस सोच का प्रतीक है, जिसने भारत को आत्मसम्मान, एकता और सेवा का मार्ग दिखाया है। डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी और अटल बिहारी वाजपेयी जी, इनकी विशाल प्रतिमाएं जितनी ऊंची हैं, इनसे मिलने वाली प्रेरणाएं उससे भी अधिक बुलंद हैं। अटल जी ने लिखा था, नीरवता से मुखरित मधुबन, परहित अर्पित अपना तन-मन, जीवन को शत-शत आहुति में, जलना होगा, गलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। ये राष्ट्र प्रेरणा स्थल, हमें संदेश देता है कि हमारा हर कदम, हर पग, हर प्रयास, राष्ट्र-निर्माण के लिए समर्पित हो। सबका प्रयास ही, विकसित भारत के संकल्प को सिद्ध करेगा। मैं, लखनऊ को, उत्तर प्रदेश को, पूरे देश को, इस आधुनिक प्रेरणा-स्थली की बधाई देता हूं। और जैसा अभी बताया गया और वीडियों में भी दिखाया गया, कि जिस जमीन पर ये प्रेरणा स्थल बना है, उसकी 30 एकड़ से ज्यादा जमीन पर कई दशकों से कूड़े-कचरे का पहाड़ जमा हुआ था। पिछले तीन वर्ष में इसे पूरी तरह खत्म किया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी श्रमिकों, कारीगरों, योजनाकारों, योगी जी और उनकी पूरी टीम को भी मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश को दिशा देने में निर्णायक भूमिका निभाई है। ये डॉक्टर मुखर्जी ही थे, जिन्होंने भारत में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान के विधान को खारिज कर दिया था। आजादी के बाद भी, जम्मू-कश्मीर में ये व्यवस्था, भारत की अखंडता के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। भाजपा को गर्व है कि, हमारी सरकार को आर्टिकल 370 की दीवार गिराने का अवसर मिला। आज भारत का संविधान जम्मू कश्मीर में भी पूरी तरह लागू है।

साथियों,

स्वतंत्र भारत के पहले उद्योग मंत्री के रूप में, डॉक्टर मुखर्जी ने भारत में आर्थिक आत्मनिर्भरता की नींव रखी थी। उन्होंने देश को पहली औद्योगिक नीति दी थी। यानी भारत में औद्योगीकरण की बुनियाद रखी थी। आज आत्मनिर्भरता के उसी मंत्र को हम नई बुलंदी दे रहे हैं। मेड इन इंडिया सामान आज दुनियाभर में पहुंच रहा है। यहां यूपी में ही देखिए, एक तरफ, एक जनपद एक उत्पाद का इतना बड़ा अभियान चल रहा है, छोटे-छोटे उद्योगों, छोटी इकाइयों का सामर्थ्य बढ़ रहा है। दूसरी तरफ, यूपी में बहुत बड़ा डिफेंस कॉरिडोर बन रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने जिस ब्रह्मोस मिसाइल का जलवा देखा, वो अब लखनऊ में बन रही है। वो दिन दूर नहीं जब यूपी का डिफेंस कॉरिडोर, दुनियाभर में डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग के लिए जाना जाएगा।

साथियों,

दशकों पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने अंत्योदय का एक सपना देखा था। वे मानते थे कि भारत की प्रगति का पैमाना, अंतिम पंक्ति में खड़े 'अंतिम व्यक्ति' के चेहरे की मुस्कान से मापा जाएगा। दीनदयाल जी ने 'एकात्म मानववाद' का दर्शन भी दिया, जहाँ शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा, सबका विकास हो। दीन दयाल जी के सपने को मोदी ने अपना संकल्प बनाया है। हमने अंत्योदय को सैचुरेशन यानी संतुष्टिकरण का नया विस्तार दिया है। सैचुरेशन यानी हर ज़रूरतमंद, हर लाभार्थी को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के दायरे में लाने का प्रयास। जब सैचुरेशन की भावना होती है, तो भेदभाव नहीं होता, और यही तो सुशासन है, यही सच्चा सामाजिक न्याय है, यही सच्चा सेकुलरिज्म है। आज जब देश के करोड़ों नागरिकों को, बिना भेदभाव, पहली बार पक्का घर, शौचालय, नल से जल, बिजली और गैस कनेक्शन मिल रहा है, करोड़ों लोगों को पहली बार मुफ्त अनाज और मुफ्त इलाज मिल रहा है। पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास हो रहा है, तो पंडित दीन दयाल जी के विजन के साथ न्याय हो रहा है।

साथियों,

बीते दशक में करोड़ों भारतीयों ने गरीबी को परास्त किया है, गरीबी को हराया है। ये इसलिए संभव हुआ, क्योंकि भाजपा सरकार ने, जो पीछे छूट गया था, उसे प्राथमिकता दी, जो अंतिम पंक्ति में था, उसे प्राथमिकता दी।

साथियों,

2014 से पहले करीब 25 करोड़ देशवासी ऐसे थे, जो सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में थे, 25 करोड़। आज करीब 95 करोड़ भारतवासी, इस सुरक्षा कवच के दायरे में हैं। उत्तर प्रदेश में भी बड़ी संख्या में लोगों को इसका लाभ मिला है। मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं। जैसे बैंक खाते सिर्फ कुछ ही लोगों के होते थे, वैसे ही, बीमा भी कुछ ही संपन्न लोगों तक सीमित था। हमारी सरकार ने अंतिम व्यक्ति तक बीमा सुरक्षा पहुंचाने का बीड़ा उठाया। इसके लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना बनाई, इससे मामूली प्रीमियम पर दो लाख रुपए का बीमा सुनिश्चित हुआ। आज इस स्कीम से 25 करोड़ से ज्यादा गरीब जुड़े हैं। इसी तरह, दुर्घटना बीमा के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना चल रही है। इससे भी करीब 55 करोड़ गरीब जुड़े हैं। ये वो गरीब देशवासी हैं, जो पहले बीमा के बारे में सोच भी नहीं पाते थे।

साथियों,

आपको जानकार के हैरानी होगी, इन योजनाओं से करीब-करीब 25 हजार करोड़ रुपए का क्लेम, इन छोटे-छोटे परिवार के छोटे-छोटे जिंदगी के गुजारे करने वाले, मेरे सामान्य गरीब परिवारों तक 25 हजार करोड़ रूपयों का लाभ पहुंचा है। यानी संकट के समय ये पैसा गरीब परिवारों के काम आया है।

साथियों,

आज अटल जी की जयंती का ये दिन सुशासन के उत्सव का भी दिन है। लंबे समय तक, देश में गरीबी हटाओ जैसे नारों को ही गवर्नेंस मान लिया गया था। लेकिन अटल जी ने, सही मायने में सुशासन को ज़मीन पर उतारा। आज डिजिटल पहचान की इतनी चर्चा होती है, इसकी नींव बनाने का काम अटल जी की सरकार ने ही किया था। उस समय जिस विशेष कार्ड के लिए काम शुरु हुआ था, जो आज आधार के रूप में, विश्व विख्यात हो चुका है। भारत में टेलिकॉम क्रांति को गति देने का श्रेय भी अटल जी को ही जाता है। उनकी सरकार ने जो टेलिकॉम नीति बनाई, उससे घर-घर तक फोन और इंटरनेट पहुंचाना आसान हुआ, और आज भारत, दुनिया में सबसे अधिक मोबाइल और इंटरनेट यूज़र वाले देशों में से एक है।

साथियों,

आज अटल जी जहां होंगे, इस बात से प्रसन्न होंगे कि, बीते 11 वर्षों में भारत, दुनिया का दूसरा बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बन गया है। और जिस यूपी से वो सांसद रहे, वो यूपी आज भारत का नंबर वन मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग राज्य है।

साथियों,

कनेक्टिविटी को लेकर अटल जी के विजन ने, 21वीं सदी के भारत को शुरुआती मजबूती दी। अटल जी की सरकार के समय ही, गांव-गांव तक सड़कें पहुंचाने का अभियान शुरु किया गया था। उसी समय स्वर्णिम चतुर्भुज, यानी हाईवे के विस्तार पर काम शुरु हुआ था।

साथियों,

साल 2000 के बाद से प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत अब तक करीब 8 लाख किलोमीटर सड़कें गांवों में बनी हैं। और इनमें से करीब 4 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें पिछले 10-11 साल में बनी हैं।

और साथियों,

आज आप देखिए, आज हमारे देश में अभूतपूर्व गति से एक्सप्रेस-वे बनाने का काम कितनी तेजी से चल रहा है। हमारा यूपी भी एक्सप्रेस-वे स्टेट के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। वो अटल जी ही थे, जिन्होंने दिल्ली में मेट्रो की शुरुआत की थी। आज देश के 20 से ज्यादा शहरों में मेट्रो नेटवर्क, लाखों लोगों का जीवन आसान बना रहा है। भाजपा-NDA सरकार ने सुशासन की जो विरासत बनाई है, उसे आज भाजपा की केंद्र और राज्य की सरकारें, नए आयाम, नया विस्तार दे रही है।

साथियों,

डॉक्टर मुखर्जी, पंडित दीन दयाल जी, अटल जी, इन तीन महापुरुषों की प्रेरणा, उनके विजनरी कार्य, ये विशाल प्रतिमाएं, विकसित भारत का बहुत बड़ा आधार है। आज इनकी प्रतिमाएं, हमें नई ऊर्जा से भर रही हैं। लेकिन हमें ये नहीं भूलना है कि, आज़ादी के बाद, भारत में हुए हर अच्छे काम को कैसे एक ही परिवार से जोड़ने की प्रवृत्ति पनपी। किताबें हों, सरकारी योजनाएं हों, सरकारी संस्थान हों, गली, सड़क, चौराहे हों, एक ही परिवार का गौरवगान, एक ही परिवार के नाम, उनकी ही मूर्तियां, यही सब चला। भाजपा ने देश को एक परिवार की बंधक बनी इस पुरानी प्रवृत्ति से भी बाहर निकाला है। हमारी सरकार, मां भारती की सेवा करने वाली हर अमर संतान, हर किसी के योगदान को सम्मान दे रही है। मैं कुछ उदाहरण आपको देता हूं, आज नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा, दिल्ली के कर्तव्य पथ पर है। अंडमान में जिस द्वीप पर नेताजी ने तिरंगा फहराया, आज उसका नाम नेताजी के नाम पर है।

साथियों,

कोई नहीं भूल सकता कि कैसे बाबा साहेब आंबेडकर की विरासत को मिटाने का प्रयास हुआ, दिल्ली में कांग्रेस के शाही परिवार ने ये पाप किया, और यहां यूपी में सपा वालों ने भी यही दुस्साहस किया, लेकिन भाजपा ने बाबा साहेब की विरासत को मिटने नहीं दिया। आज दिल्ली से लेकर लंदन तक, बाबा साहेब आंबेडकर के पंचतीर्थ उनकी विरासत का जयघोष कर रहे हैं।

साथियों,

सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सैकड़ों रियासतों में बंटे हमारे देश को एक किया था, लेकिन आज़ादी के बाद, उनके काम और उनके कद, दोनों को छोटा करने का प्रयास किया गया। ये भाजपा है जिसने सरदार साहेब को वो मान-सम्मान दिया, जिसके वो हकदार थे। भाजपा ने ही सरदार पटेल की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई, एकता नगर के रूप में एक प्रेरणा स्थली का निर्माण किया। अब हर साल वहां 31 अक्टूबर को देश राष्ट्रीय एकता दिवस का मुख्य आयोजन करता है।

साथियों,

हमारे यहां दशकों तक आदिवासियों के योगदान को भी उचित स्थान नहीं दिया गया। हमारी सरकार ने ही भगवान बिरसा मुंडा का भव्य स्मारक बनाया, अभी कुछ सप्ताह पहले ही छत्तीसगढ़ में शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी म्यूजियम का लोकार्पण हुआ है।

साथियों,

देशभर में ऐसे अनेक उदाहरण हैं, यहीं उत्तर प्रदेश में ही देखें तो, महाराजा सुहेलदेव का स्मारक, तब बना जब भाजपा सरकार बनी। यहाँ निषादराज और प्रभु श्रीराम की मिलन स्थली को अब जाकर के मान-सम्मान मिला। राजा महेंद्र प्रताप सिंह से लेकर चौरी-चौरा के शहीदों तक, मां भारती के सपूतों के योगदान को भाजपा सरकार ने ही पूरी श्रद्धा और विन्रमता से याद किया है।

साथियों,

परिवारवाद की राजनीति की एक विशिष्ट पहचान होती है, ये असुरक्षा से भरी हुई होती है। इसलिए, परिवारवादियों के लिए, दूसरों की लकीर छोटी करना मजबूरी हो जाता है, ताकि उनके परिवार का कद बड़ा दिखे और उनकी दुकान चलती रहे। इसी सोच ने भारत में राजनीतिक छुआछूत का चलन शुरु किया। आप सोचिए, आज़ाद भारत में अनेक प्रधानमंत्री हुए, लेकिन राजधानी दिल्ली में जो म्यूजियम था, उसमें अनेक पूर्व प्रधानमंत्रियों को नजर अंदाज किया गया। इस स्थिति को भी भाजपा ने, एनडीए ने ही बदला है। आज आप दिल्ली जाते हैं, तो भव्य प्रधानमंत्री संग्रहालय आपका स्वागत करता है वहां आज़ाद भारत के हर प्रधानमंत्री, चाहे कार्यकाल कितना भी छोटा रहा हो, सबको उचित सम्मान और स्थान दिया गया है।

साथियों,

कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने राजनीतिक रूप से भाजपा को हमेशा अछूत बनाए रखा। लेकिन भाजपा के संस्कार हमें सबका सम्मान करना सिखाते हैं। बीते 11 वर्षों में भाजपा सरकार के दौरान, एनडीए सरकार के दौरान, नरसिम्हा राव जी और प्रणब बाबू को भारत रत्न दिया गया है। ये हमारी सरकार है जिसने मुलायम सिंह यादव जी और तरुण गोगोई जी जैसे अनेक नेताओं को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया है। कांग्रेस से, यहां समाजवादी पार्टी से कोई भी ऐसी उम्मीद तक नहीं कर सकता। इन लोगों के राज में तो भाजपा के नेताओं को सिर्फ अपमान ही मिलता था।

साथियों,

भाजपा की डबल इंजन सरकार का बहुत अधिक फायदा उत्तर प्रदेश को हो रहा है। उत्तर प्रदेश, 21वीं सदी के भारत में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। और मेरा सौभाग्य है कि मैं यूपी से सांसद हूं। आज मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं, कि उत्तर प्रदेश के मेहनतकश लोग एक नया भविष्य लिख रहे हैं। कभी यूपी की चर्चा खराब कानून व्यवस्था को लेकर होती थी, आज यूपी की चर्चा विकास के लिए होती है। आज यूपी देश के पर्यटन मानचित्र पर तेज़ी से उभर रहा है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर, काशी विश्वनाथ धाम, ये दुनिया में यूपी की नई पहचान के प्रतीक बन रहे हैं। और राष्ट्र प्रेरणा स्थल जैसे आधुनिक निर्माण, उत्तर प्रदेश की नई छवि को और अधिक रोशन बनाते हैं।

साथियों,

हमारा उत्तर प्रदेश, सुशासन, समृद्धि, सच्चे सामाजिक न्याय के मॉडल के रूप में और बुलंदी हासिल करे, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से राष्ट्र प्रेरणा स्थल की बधाई। मैं कहूंगा डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, आप कहेंगे अमर रहे, अमर रहे। मैं कहूं पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी, आप कहें अमर रहे, अमर रहे। मैं कहूं अटल बिहारी वाजपेयी जी, आप कहें अमर रहे, अमर रहे।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी - अमर रहे, अमर रहे।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी - अमर रहे, अमर रहे।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी - अमर रहे, अमर रहे।

पंडित दीनदयाल जी - अमर रहे, अमर रहे।

पंडित दीनदयाल जी - अमर रहे, अमर रहे।

पंडित दीनदयाल जी - अमर रहे, अमर रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी जी - अमर रहे, अमर रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी जी - अमर रहे, अमर रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी जी - अमर रहे, अमर रहे।

भारत माता की जय!

वन्दे मातरम्।

वन्दे मातरम्।

बहुत-बहुत धन्यवाद।