Uttarakhand has potential to attract tourists from all over the country: PM Modi

Published By : Admin | February 12, 2017 | 23:21 IST
Atal ji created three states - Chhattisgarh, Jharkhand & Uttarakhand. Both Chhattisgarh & Jharkhand have progressed under BJP: PM
Dev Bhoomi can attract tourists from all over the country. This land has so much potential for tourism sector to flourish: PM Modi
We want Uttarakhand to be connected with the entire country with all-weather roads. We have allotted Rs.12,000 crore for Char Dham: PM
World is moving towards holistic healthcare. Uttarakhand has much potential to contribute to this sector: PM Modi
Congress made mockery of One Rank, One Pension scheme. It was only after we assumed office, the scheme was implemented: Shri Modi
Won’t step back in taking decisions that benefit poor, will face every difficulty but won't let anyone play with their aspirations: PM

जय बद्री विशाल। बाबा केदारनाथ की जय। भाइयों बहनों और प्यारे बच्चों। जय बद्री विशाल। देवभूमि, गढ़वाल का केंद्र बिंदु श्रीनगर मा दूर दूर बटियाआं आप लोगों का ऐ चुनावी सभा में स्वागत छे...।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, संसद में मेरे साथी श्रीमान भूवन चंद्र खंडूरी जी, राष्ट्रीय सचिव श्रीमान तीरथ सिंह रावत जी, अनिल बलूनी जी, मनोहर कांत ध्यानी जी, भास्कर नैथानी जी, राजेंद्र अटवाल जी, मुकेश रावत जी, अत्तर सिंह तोमर अत्तर सिंह अथवाल जी, विरेंद्र सिंह बिष्ट जी, अनिल नौटियार जी और इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार श्रीनगर से डाक्टर संत सिंह रावत जी, चोपटाखाल से श्रीमान सतपाल महाराज जी, कर्णप्रयाग से श्रीमान सुरेंद्र सिंह नेगी जी, पौढ़ी से श्रीमान मुकेश कौली जी, केदारनाथ से शैलारानी रावत जी, रूद्र प्रयाग से भरत सिंह चौधरी जी, हराली से श्रीमान मगनलाल जी, देव प्रयाग से विनोद कंडारी जी, और सब मेरे साथ बोलिए। भारत माता की जय। दोनों मुट्ठी ..., पूरी ताकत से बोलिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय।

मैं सबसे पहले तो उत्तराखंड भारतीय जनता पार्टी के सभी नेताओं का कार्यकर्ताओं का ह्रदय से अभिनंदन करता हूं। मैं कल्पना नहीं कर सकता हूं कि पहाड़ों में इतनी जल्दी इतना बड़ा जनसैलाब, इतनी बड़ी भीड़, मैं उधर उधर पहाड़ों की चोटियों पर, घरों पर खड़े हैं, देख रहा हूं, पूरा रास्ता भरा हुआ है, देख रहा हूं। उन्हें सुनाई भी नहीं देता होगा। उसके बावजूद भी, इतनी बड़ी तादात में आप आशीर्वाद देने के लिए आए। मैं ह्रदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। मैं एक और बात को गर्व के साथ उल्लेख करना चाहूंगा। मैं नहीं जानता हूं कि ये टीवी वाले क्या दिखांएगे और क्या नहीं दिखाएंगे। लेकिन बड़ी मात्रा में महिलाओं की हाजरी गजब किया है आपने। दूसरी बात आम सभा में महिलाओं को किसी कोने में बिठा देते हैं। ये उत्तराखंड के लोगों ने सबसे आगे बिठा दिया। इसके लिए डबल अभिनंदन। माताओं बहनों का सम्मान। ये नजर आ रहा है मुझे। मैं इसलिए पार्टी के सब लोगों को ह्रदय से उनका अभिनंदन करता हूं। मैं माताएं बहनें आपको भी नमन करता हूं क्योंकि आप हमें आशीर्वाद देने आए हैं। मां के आशीर्वाद में बहुत बड़ी ताकत होती है, बहुत बड़ी रक्षा होती है, बहुत बड़ा सकून होता है। और इसलिए मैं तो आज श्रीनगर की घरती पर गदगद हो गया हूं। आपके आशीर्वाद के लिए।

भाइयों बहनों।

उत्तराखंड का चुनाव तेज गति से आगे बढ़ रहा है। आज 12 फरवरी है। 12 मार्च को आज जो सरकार है, वो भूतपूर्व बन जाएगी और 11 मार्च को जो नतीजे आएंगे वो अभूतपूर्व हो जाएंगे।

भाइयो-बहनों।

अटल बिहारी वाजपेयी जी ने हमारे देश को तीन राज्य दिए, तीन राज्य। मध्यप्रदेश से निकला हुआ छत्तीसगढ़. बिहार से निकला हुआ झारखंड और उत्तर प्रदेश से निकला हुआ उत्तराखंड। क्या कारण है कि छत्तीसगढ़, छोटा सा राज्य आदिवासियों की जनसंख्या, माओवादियों का खूनखराबा, नक्सलवाद, ये  सबकुछ होने के बाद भी, वहां की जनता ने लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाई। आज छत्तीसगढ़ हिन्दुस्तान की तेज गति से आगे बढ़ने वाले राज्यों में उसने अपना झंडा गाड़ दिया। झारखंड जंगल है, आदिवासी बस्ती है, पिछड़ा इलाका है। बिहार में भी, जब वह बिहार का हिस्सा था सबसे पिछड़ा इलाका था। आज वहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। कोई कल्पना नहीं कर सकता है कि झारखंड जैसे राज्य में पूंजीनिवेश के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर की समिट होती हो, देश और दुनिया के बड़े-बड़े उद्योगकार, झारखंड की राजधानी रांची आते हों और झारखंड में पूंजी निवेश के लिए आगे बढ़ते हों। क्या कारण है कि मेरा उत्तराखंड पीछे रह गया। क्या कारण है भाइयों। उत्तराखंड बर्बाद हुआ। उसका कारण क्या है ...? जरा पूरी ताकत से बताइए। कौन कारण है ...?  कौन कारण है ...?  कौन कारण है ...? जब तक उसको नहीं हटाओगे, उत्तराखंड का भला होगा क्या ...? भला होगा क्या ...? भला होगा क्या ...? और, वो लोग जो कभी कहते थे कि हमारी लाश पर उत्तराखंड बनेगा। उनको उत्तराखंड से कोई प्यार हो सकता है क्या ...? हम मरेंगे लेकिन उत्तराखंड नहीं बनने देंगे। ये वर्तमान मुख्यमंत्री कहते थे कि नहीं कहते थे ...। अरे ऐसे मुख्यमंत्री ...उत्तराखंड की जनता में दम होना चाहिए, ये पिछले दरवाजे से घुस गए हैं अन्यथा जनता उनको कभी सीएम कभी बनने नहीं देती। कभी बनने नहीं देती। क्योंकि उत्तराखंड के बलिदानों पर, उत्तराखंड की जनता के घावों पर नमक छिड़कने का, एसिड छिड़कने का पाप किया था। ये तो यहां तक कह देते थे कि अलग डवलप आथोरिटी बना दिया जाए, अलग यूटी बना दिया जाए लेकिन उत्तराखंड का राज्य नहीं बनाया जाए। आपको याद है। आज जो मुख्यमंत्री है उन्होंने उत्तराखंड की रचना के विरुद्ध में क्या कुछ नहीं किया था। जिस व्यक्ति के दिल में उत्तराखंड के प्रति प्यार न हो, लगाव ना हो। क्या वो आपका कभी भला कर सकता है क्या ...? पूरी ताकत से जवाब दो। ऐसे व्यक्ति पर कभी भरोसा कर सकते हैं क्या …? ये कांग्रेस पार्टी देखिए।

 

आप मुझे बताइए।

जब उत्तराखंड में आंदोलन चल रहा था, अलग उत्तराखंड के लिए। नौजवान सड़कों पर आए थे। माताएं-बहनें यातनाएं झेल रही थी। समाजवादी पार्टी की सरकार थी उत्तर प्रदेश में। यहां पर समाजवादी पार्टी के दरोगा बैठे हुए थे। ये रामकोटद्वार क्या हुआ था भाई। हमारी माताओं-बहनों के साथ बलात्कार हुआ था कि नहीं हुआ था ...। बलात्कार हुआ था कि नहीं हुआ था ...। अत्याचार हुए थे कि नहीं हुए थे ...। गोलियां चलायी गयी थी कि नहीं चलाई गई थी ...। ये चलाने वाले कौन थे। समाजवादी पार्टी की सरकार थी, जिसने ये जुल्म किया था। ये कांग्रेस पार्टी देखिए आज उसी समाजवादियों की गोद मे जाकरके बैठ गई है भाइयों। यही समाजवादियो और कांग्रेस ने मिलकरके, उत्तराखंड में भी पर्दे के पीछे समाजवादी और कांग्रेस मिलकरके आज आपके साथ खेल खेल रहे हैं।

...और इसलिए भाइयों बहनों।

इसलिए मैं आज आपसे आग्रह करने आया हूं। ये चुनाव सिर्फ यहां की सरकार हटे इसके लिए नहीं है। ये चुनाव सिर्फ मुख्यमंत्री को सजा दे दे, इतने से पूरा नहीं होने वाला है। ये चुनाव इसलिए है कि हमें उत्तराखंड का भाग्य बदलना है भाइयों बहनों। कौन कहता है बदलाव किया नहीं जा सकता है। हर बार, यहां ऐसे नेता रहे जो प्रकृति को दोष देते रहे। यहां तो ये दिक्कत है, यहां तो वो दिक्कत है। अरे आप दोष मत दीजिए। ये तो सामर्थ्य की भूमि है, संकल्प की भूमि है। ये तपस्या की भूमि है। जितना सामर्थ्य इस धरती पर है, शायद ही कहीं और है। यहां इतना सामर्थ्य है कि ये पूरे हिन्दुस्तान की रक्षा करता है। हिमालयन स्टेट में आप जरा सिक्किम जाकर के देखिए। वहां भी हिमालयन पहाड़ी है। हिमालयन रेंजेज है। वहां भी रास्तों की कठिनाई है। वहां भी जमीन ढह जाती है। लेकिन आज जाकर के देखिए। सिक्किम 7-8 लाख लोगों की जनसंख्या। 20 लाख से ज्यादा टूरिस्ट आते हैं वहां, 20 लाख से ज्यादा। हिन्दुस्तान का पहला ऑर्गेनिक स्टेट सिक्किम बन गया।

भाइयो-बहनों।

यहां तो सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानी जीवन में कभी न कभी मां गंगाजी की डुबकी लगाने के लिए आना चाहते हैं। चार धाम की यात्रा करनेके लिए आना चाहते हैं। सुविधा हो न हो या न हो, कष्ट पड़े तो पड़े तो भी, यहां तक आने के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी, अटक से कटक हर हिन्दुस्तानी यहां आने के लिए लालायित रहता है। इस देवभूमि को किसी यात्री को बुलाने के लिए किसी को एडवर्टाइज करने की जरूरत नहीं होती है जी। मैं तो हैरान हूं। यहां तो ऐसी सरकार है तो जब कपाट बंद हो जाते हैं केदारनाथ, बद्रीनाथ के। तो टीवी पर एडवर्टाइजमेंट शुरू हो जाती है कि बद्रीनाथ केदारनाथ के दर्शन के लिए आइए। मैं समझा पा रहा हूं आपको। जब कपाट बंद हो जाते हैं तो ये टीवी पर एडवरटाइजमेंट देते हैं। जब कपाट बंद हो जाते हैं तो उस क्या लाभ, ये पैसे किसके हैं, क्यों खर्च करते हो भई। जब कपाट खुले हों, दर्शन हो रहे हों तब तो विज्ञापन दो, देशभर के लोगों को मैं समझ सकता हूं। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि देवभूमि पर आने के लिए इस देश के किसी व्यक्ति को समझाना पड़े, इसकी जरूरत ही नहीं है। सिर्फ यहां व्यवस्थाएं खड़ी करो। देश के लोगों का आना शुरू हो जाएगा।

भाइयों बहनों।

टूरिज्म की सफलता दो बातों पर होती है। एक आने का मन कर जाए, दूसरा रहने का दिल कर जाए। वो जितनी रात ज्यादा रुकेगा, उतना ज्यादा खर्चा करेगा, उतनी ज्यादा यहां की इकोनॉमी बढ़ेगी। अगर रात को रूकता है तो खाना खाएगा, जहां रूकेगा वहां पैसा देगा। सुबह चाय पीएगा तो खर्चा करेगा। लेकिन आते ही कार से उतरा, भगवान को मत्था टेका और भाग गया तो टूरिज्म डेवलप नहीं होता है।

...और इसलिए भाइयों बहनों।

हम उत्तराखंड में प्रवासन की, पर्यटन की हर व्यवस्था को प्राथमिकता देना चाहते हैं। और ये जिम्मेदारी सिर्फ उत्तराखंड सरकार की नहीं होगी। केंद्र में आपने मुझे  बिठाया है। मैं भी अपनी जिम्मेदारी निभाउंगा।

भाइयों बहनों।

चार धाम यात्रा। बारहमासी रास्ता, ऑल वेदर रोड। क्या आजादी 70 साल के बाद नहीं हो सकता था क्या? अरे जो यात्री आते हैं ना। पिछले 70 साल में जो यात्री आते हैं उनके सामने एक डिब्बा रख देते, दान पेटी। और लोगों से कहते, उत्तम से उत्तम रास्ता बनाने के लिए दस-दस रुपया दान देते जाइए। मैं समझता हूं कि देशवासियों ने इतना दान दिया होता कि ये रास्ते बन गए होते। लेकिन इनको ये सूझी नहीं।

भाइयों बहनों।

हमने 12 हजार करोड़ रुपया। कितने ...। जरा सब के सब बोलो। कितने ...। कितने ...। 12 हजार करोड़ रुपए की लागत से चार धाम की 12 मासी रोड बनाने का फैसला किया है। ये उत्तराखंड को ही नहीं, पूरे हिन्दुस्तान का सपना पूरा करने का हम काम कर रहे हैं जी। बारहमासी रास्ते बनने के बाद, यहां के लोगों को कितना रोजगार मिलेगा, कितनी यात्रियों की संख्या बढ़ जाएगी। कितने प्रकार के व्यवसाय शुरू हो जाएंगे।

भाइयों बहनों।

उत्तराखंड में इतनी ताकत है कि यहां का पहाड़ हो, यहां का पानी हो, यहां की जवानी हो, ताकत से भरा हुआ है भाइयों बहनों। और इसलिए हम रेलवे में भी बहुत बड़ा काम करना चाहते हैं। आप जानते हैं। रेलवे का काम तेज गति से चल रहा है और रेलवे का नेटवर्क भी पहाड़ों में भी खड़ा हो सकता है और हमारी सरकार उस बात को भी आगे बढ़ाना चाहती है। रेल बनने तक हजारों लोगों को रोजगार देती है और बनने के बाद नए रोजगारों को जन्म देती है।

भाइयों बहनों।

हम नहीं चाहते कि उत्तराखंड का हर जवान को, उसको उत्तराखंड को छोड़कर जाना पड़े। उत्तराखंड के किसी गांव में जाओ। जरा यहां के मुख्यमंत्री जवाब दें ...। पिछले 5 साल में कितने गांव खाली हो गये। अरे किसी गांव में जाएं। किसी भी घर में पूछें कि कोई नौजवान है। जरा बात करनी है, वो कहेंगे। जवाब मिलेगा नहीं, नहीं। वो तो रोजी रोटी कमाने के लिए कहीं चला गया है। साल में एक दो बार आता है। इतना बड़ा उत्तराखंड। यहां के नौजवान को अपना गांव, यहां खेत खलिहान, अपने बूढ़े मां बाप, अपने यार दोस्त, ये छोड़कर के जाना क्यों पड़े। अरे पूरे हिन्दुस्तान को यहां लाने की ताकत जिस राज्य में हो, यहां के लोगों को कहीं जाना न पड़े। ऐसा राज्य बनाने की जरूरत है। और बन सकता है। बन सकता है भाइयों। कोई कठिन काम नहीं है। मकसद चाहिए, संकल्प चाहिए, समर्पण चाहिए। जनता जनार्दन का साथ चाहिए। सबका साथ, सबका विकास होके रहता है।

भाइयों बहनों।

जिस प्रकार से यात्रियों के लिए इसका आकर्षण है। सदियों से है। कष्ट झेलकरके भी लोग आते हैं। आज पूरा विश्व योग के लिए आकर्षित हुआ है। दुनिया के 190 से ज्यादा देश योग को अपना बना रहे हैं। और हर किसी को जब योग की बात तो भारत की तरफ ध्यान जाता है। तो भारत की तरफ जब ध्यान जाता है तो उनको सबसे पहले हरिद्वार-ऋषिकेश की तरफ ध्यान जाता है। पूरी दुनिया में योग के लिए लोगों को आकर्षित करने की ताकत ये उत्तराखंड के हर चोटी है, हर पहाड़ी पर है, हर गांव में वो सामर्थ्य है। हम योग का ऐसा नेटवर्क बना सकते हैं विश्व में जिसको योग सीखना हो वो उत्तराखंड के छोटे-छोटे गांव में जाकरके भी, प्राकृतिक वातावरण में रहकरके भी, गांव के अच्छे-अच्छे शिक्षकों के द्वारा योग सीख सकता है। और पूरा विश्व योग टूरिज्म को बढ़ाने के लिए उत्तराखंड के लिए एक अवसर है। योग टूरिज्म को बढ़ावा देना है।

भाइयों बहनों।

आज हिन्दुस्तान का नौजवान टीवी देखता है। दुनियाभर की चैनल देखता है। उसको भी लगता है कुछ एडवेंचर, दुस्साहस करें। उत्तराखंड के पहाड़ों से बड़ा, यहां के गंगा के घोत से बड़ा एडवेंचर टूरिज्म के लिए कोई जगह नहीं हो सकती है। पूरे हिन्दुस्तान की और दुनिया के नौजवानों को साहसिक टूरिज्म के लिए, एडवेंचर टूरिज्म के लिए निमंत्रित कर सकते हैं। हेल्थ टूरिज्म के लिए निमंत्रित कर सकते हैं। रिक्रिएशन और इंटरमेंट टूरिज्म के लिए आकर्षित कर सकते हैं। ये बालीवुड ...। बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग के लिए है, उन्हें बाहर जाना क्यों पड़ रहा है? क्या हमारे उत्तराखंड में वो सौंदर्य नहीं है, जहां हमारी फिल्में बन सकती है। यहां के नौजवानों को रोजगार नहीं मिल सकता है। लेकिन उसके लिए एक दृष्टि चाहिए, एक विजन चाहिए। पूरे बालीवुड को उत्तराखंड को लाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, व्यवस्था विकसित कर सकते हैं भाइयों बहनों।

...और इसलिए भाइयों बहनों।

प्रवासन, पर्यटन, ये उत्तराखंड के विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है। और इसलिए भाइयों बहनों। उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी की सरकार विकास के मुद्दे पर आपसे वोट मांग रही है। विकास के मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए वोट मांग रही है। यहां की दूसरी ताकत है पर्यावरण। पर्यावरण की रक्षा भी होनी चाहिए। आप देखिए, हमारे पड़ोस में एक देश है भूटान। पर्यावरण क्षेत्र में एक नमूना कायम किया है। वो भी हिमालय की पहाड़ियों में है। छोटा सा देश है।

भाइयों बहनों।

हमारा उत्तराखंड भी पूरे विश्व के लिए पर्यावरण की दृष्टि से एक बहुत बड़ा आकर्षण का केंद्र बन सकता है। पर्यावरण की ताकत के साथ, यहां के पुरुषों में जैसा दम है, वैसा ही यहां की मातृशक्ति भी पूरी इकोनॉमी को चलाती है जी। उत्तराखंड की इकोनॉमी को बढ़ाने का काम ये हमारी माताएं बहनें कर रही है। उनका कौशल्य सामर्थ्य, उनके हाथों में हुनर अद्भूत है। भाइयों बहनों। पुरुष सीमा में जाकरके मां भारती के लिए मर मिटता है। और माताएं बहनें यहां की आर्थिक जीवन को चलाने का सामर्थ्य दिखाती है। ऐसा अद्भत, अद्भूत समाज है। ये देव दुर्लभ समाज है। देवभूमि में ये दुर्लभ समाज है। यही तो हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

भाइयों बहनों।

जैसे समाज शक्तिशाली है, यहां का पौधा भी उतना ही सामर्थ्यवान है। पर्यटन का सामर्थ्य है, पर्यावरण का सामर्थ्य है। पौधे का भी सामर्थ्य है। यहां का हर पौधा जड़ी-बूटी है। और भाइयों बहनों। हिमालय की जड़ी-बूटी का तो सदियों से उल्लेख आ रहा है। कोई ऐसा ग्रंथ नहीं होगा जिसमें इसकी चर्चा नहीं होगी। भाइयों बहनों। आज पूरा विश्व होलिस्टिक हेल्थ केयर की ओर आगे बढ़ रहा है। आज पूरा विश्व प्राकृतिक उपचार की ओर बढ़ रहा है। साइड इफेक्ट न हो, केमिकल खाना न पड़े। ऐसी दवाइयों की तलाश में दुनिया है। हिमालय का हर पौधा कोई न कोई जड़ी-बूटी से जुड़ा है।

भाइयों बहनों।

हम उसको बल देना चाहते हैं। जैसे यहां का पर्यावरण यहां की अर्थव्यवस्था को बदलेगा। यहां का  पर्यटन अर्थव्यवस्था को बदलेगा। यहां का पौधा भी यहां की अर्थव्यवस्था की ताकत बनेगा। जैसे यहां का पर्यटन, यहां का पर्यावरण, यहां का पौधा वैसे ही यहां का पानी भी पानीदार है। यहां के पानी में पानी है, दम है। हम पंचेश्वर के प्रोजेक्ट के लिए नेपाल के साथ काम आगे बढ़ा रहे हैं। पंचेश्वर का काम पूरा करने के लिए 34 हजार करोड़ रुपये लगेंगे। इस तरफ के लोगों को रोजगार मिलने की पूरी संभावना है। ऐसी बिजली तैयार होगी तो जो बिजली न सिर्फ उत्तराखंड को बल्कि हिन्दुस्तान के बड़े हिस्से का अंधेरा दूर करने की ताकत रखती है भाइयों। यहां के पानी में ऊर्जा है। यहां के पानी में सामर्थ्य है। पर्यटन में दम है। पर्यावरण में दम है। पौधे में दम है। यहां के पानी में भी दम है।

इसलिए भाइयों बहनों।

इन ताकतों को जोड़ दें कि कोई हमें बताएं कि उत्तराखंड से पलायन रूकेगा कि नहीं रूकेगा ...। पलायन रूकेगा कि नहीं ...। ये चार तत्व इतने ताकतवर हैं कि यहां से कभी पलायन नहीं हो सकता है।

और इसलिए भाइयों बहनों।

हम एक निश्चित विजन के साथ उत्तराखंड का भाग्य बदलने के लिए काम कर रहे हैं और इसलिए आपके पास आया हूं। विकास करने के लिए वोट मांगने आ हूं। यहां नौजवानो का जीवन सुनिश्चित करने के लिए यहां आया हूं।

भाइयों बहनों।

अभी हमारे खंडूरी जी वन रैंक वन पैंशन की बात कर रहे थे। कांग्रेस वालों ने 40 साल तक वन रैंक वन पेंशन के मामले को लटकाए रखा। मैं ये तो समझ सकता हूं कि उनके पास पैसे ना हों और न कर पाएं हो। मैं ये भी समझ सकता हूं कि उनकी प्रायोरिटी हो और ना कर पाए हों। दुख तो इस बात का है कि प्रधानमंत्री बनते के बाद मैंने इस काम को हाथ मे लिया। खंडूरी जी बार-बार मुझसे मिलते थे। इसको बात को लेकर वो लगातार मुझसे बात कर रहे थे। मैंने डिपार्टमेंट को कहा, जरा भाई बताइए मुझे बताइए क्या हाल है इसका। आप हैरान हो जाएंगे 6-8 महीने तक, सरकार के पास निवृत्त सैनिक, कितना पैंशन, कितना वन रैंक वन पैंशन होगा। इसका कोई हिसाब-किताब ही नहीं था। इससे बड़ी कोई बेईमानी नहीं हो सकती। आप दो न दो, अलग बात है। कम से कम फाइल तो देखते कि क्या प्रोब्लेम है। कम से कम जो जवान आपसे मिलते थे, उसको गंभीरता से लेकरके डिपार्टममेंट को काम तो देते।

भाइयों बहनों।

बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि कई ऐसे निवृत्त सैनिक हैं जिनका पता ढूंढ़ने में भी मुझे आंखों में पानी हो गया। कोई हिसाब किताब ही नहीं था। अरे देश के लिए जान की बाजी लगा दी। अपनी जवानी खपा दी अब घर में निवृत्त होकरके बुढ़ापा गुजार लगा रहा है और सरकार को पता ही नहीं है। मैंने सारे डिपार्टमेंट को लगा दिया। गांव-गांव जाकरके, पुराने सारे रिकॉर्ड निकालकर के हिसाब लगाया। जब मैंने हिसाब किताब लगाया तो ये कांग्रेस वाले ऐसी मजाक उड़ाई है। फौजियों की ऐसी मजाक उड़ायी है। जब ये सर्जिकल स्ट्राइक हुआ ना ...। आपने देखा होगा ना, सारे नेता मैदान में आ गये सुबह-सुबह। पाकिस्तान बोले उससे पहले हमारे लोगों ने बोलना चालू कर दिया। बोले, मोदीजी सबूत दो..., सबूत दो सबूत। क्या हमारे देश फौजियों के पराक्रम का सबूत मांगना पड़ता है क्या ...। ये फौजियो का अपमान है कि नहीं है ...। भाइयों जरा बताइए ये फौजियों का अपमान है कि नहीं है ...।

और इसलिए भाइयों बहनों।

उन्होंने वन रैंक वन पेंशन में भी फौज को मजाक का विषय बनाया है। ये उनके जेहन में है। इसी के कारण ये दुर्दशा हुई है। आपको हैरानी होगी अगर आपका बच्चा भी घर में अगर कहीं जाना चाहता है, सिनेमा देखने जाता है या कोई खिलौना खरीदने जाना है उसको तो उसे पता है ये 20 रुपया में मिलता है। खाना के लिए बाहर जाना है, उसे मालूम है कि 25 रुपए में मिलता है। अगर मां-बाप उसको अगर दो रुपये पांच रुपये पकड़ा देंगे तो मां बाप के प्रति उनके मन में क्या भाव जगेगा। उसके मन में मजाक आएगा कि नहीं। उसके मन में आएगा कि नहीं, खिलौना 20 रुपए में मिलता है, मां-पापा दो रुपए दे रहे हैं। फौजियों के साथ उन्होंने ऐसा ही व्यवहार किया। वन रैंक वन पेंशन सिर्फ 500 करोड़ रुपया कहा कि हम लगाएंगे। 500 करोड़ रुपया।

भाइयों बहनों।

इसका मतलब था कि उनको कुछ पता नहीं था। वन रैंक वन पैंशन क्या होता है। निवृत्त फौजी कितने हैं। कितना पैंशन जाता है। वन रैंक वन पैंशन करने के बाद कितना आर्थिक खर्च आता है। कोई हिसाब-किताब नहीं था। मैंने आकरके जब हिसाब किताब शुरू किया। आप जानकर हैरान होंगे 12.5 हजार करोड़ से भी ज्यादा देने का निकला। 12.5 हजार करोड़। कहां 500 हजार करोड़ कहां 12.5 हजार करोड़।

लेकिन भाइयों बहनों।

चुनाव में मैंने वादा किया था कि ये काम मैं करके रहूंगा। आज मुझे खुशी है कि 12 हजार करोड़ से भी ज्यादा रकम देकरके वन रैंक वन पैंशन लागू कर दिया। अब तक 6 हजार करोड़ से ज्यादा का भुगतान कर चुके हैं। और बाकी इस बजट में प्रावधान कर दिया है, वो भी पहुंच जाएगा। फौज के साथ सम्मान का भाव क्या होता है। ये हमारी सरकार ने करके दिखाया है।

भाइयों बहनों।

हमने सर्जिकल स्ट्राइक किया। देश के सेना के जवान कब तक मार झेलते रहेंगे, कब तक दुश्मनों का वार झेलते रहेंगे। भाइयों बहनों। वक्त बदल चुका है। दिल्ली में सरकार बदल चुका है। अब देश का फौजी वार नहीं करेगा प्रतिवार करेगा, प्रतिवार करेगा।

भाइयों बहनों।

आप मुझे बताइए। हमारे देश में, जरा पूरी ताकत से जवाब देना, दूर-दूर से जवाब देना। आप मुझे बताइए कि हमारे देश को भ्रष्टाचार ने बर्बाद किया है कि नहीं किया है ...। भ्रष्टाचार ने तबाह किया है कि नहीं किया है ...। भ्रष्टाचार जाना चाहिए कि नहीं चाहिए। भ्रष्टाचार जाना चाहिए कि नहीं चाहिए।

भाइयों बहनों।  

इन भ्रष्टाचारियों ने कालाधन और भ्रष्टाचार की जुगलबंदी की। जिसको पद मिला, उसने लूटने का मौका नहीं छोडा। इस देवभूमि को भी इन लोगों ने लूट भूमि बना दिया, लूट भूमि बना दिया। और कैमरा के सामने पकड़े गये। लेती-देती की चर्चा कर रहे थे। अवैध खनन, शराब माफिया, शराब के ठेके, यही उनके उद्योग हो गये। तबादला उद्योग, ट्रांसफर उद्योग, पोस्टिंग का उद्योग, बदली का उद्योग, शराब ठेके का उद्योग, अवैध खनन का उद्योग ...।

भाइयों बहनों।

जब हमने नोटबंदी की। 8 तारीख रात को 8 बजे। इनके छक्के छूट गये। थप्पे के थप्पे भरके रखे थे कि ...। तीन महीने हो गये मोदी को गाली देना बंद नहीं कर रहे। जहां भी जाते हैं ...।

मुझे बताइए भाइयों बहनों।

जिन्होंने गरीबों को लूटा है, उनको लौटाना चाहिए कि नहीं लौटाना चाहिए ...।  मध्यमवर्ग को लूटा है उनको लौटाना चाहिए कि नहीं लौटाना चाहिए ...।

भाइयों-बहनों

मैं आपको वादा करता हूं कि मैं जब तक बैठूंगा न चैन से बैठूंगा न इनको चैन से बैठने दूंगा। क्या कर लेंगे ये। क्या कर लेंगे। अनाप-शनाप मोदी पर आरोप लगाएंगेतकलीफें पैदा करेंगे। अरे सबकुछ झेल लूंगा। देश के गरीबों के लिए ये सब झेलने का हमें गर्व होता है। ये लड़ाई बंद होने वाली नहीं है।

भाइयों बहनों।

इस देश की तबाही किसी व्यापारी के कारण नहीं आयी है। कोई छोटा व्यापारी होगा, गांव का कोई छोटा डाक्टर होगा, कोई छोटा वकील होगा। हो सकता है 1000 की जगह 1200 रुपया की फीस ले ली होगी। हो सकता है कि सरकार को 100 रुपया देना होगा और 90 रुपए दिया होगा। लेकिन वो लोग हैं, जिन्होंने अपने पसीने से कमाया है।छोटा व्यापारी होगा तो भी उसने अपने पसीने से कमाया है। आढ़ती होगी तो भी दुकान खोलकरके बैठा होगा तब जाकरके कमाया होगा। उन्होंने देश को लूटा नहीं है। देना चाहिए उतना शायद नहीं दिया होगा। देश को उन लोगों ने लूटा है जिन्होंने पद पर बैठकर पद का दुरुपयोग किया है। चाहे बाबू लोग हो, चाहे नेता लोग हों, चाहे थानेदार हो।

भाइयों-बहनों।

पद पर बैठकरके जिन्होंने लूटा है, उनकी लूट की पाई-पाई देश के चरणों में लाकर रखनी है इसलिए लड़ाई चली है। ये लड़ाई छोटी नहीं है। ये 70 साल तक जिन्होंने जमा किया है। और जमा करने वाले तने ताकतवर हो गये कि एक चाय वाला क्या कर सकता है इनको। बड़े ताकतवर लोग हैं।

लेकिन भाइयों बहनों।

सवा सौ करोड़ लोगों का आशीर्वाद है इसलिए ये चायवाला भी ये बड़े-बड़े चमरबंदी के खिलाफ मैदान में उतरकर आया है।

भाइयों बहनों।

ये मेरे लिए राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है। राजनीति करने के लिए मैंने नोटबंदी नहीं की है। मैं गरीबी में पैदा हुआ हूं, गरीबी में पला हूं। मैंने गरीबी को जीया है। और इसलिए मैं गरीबों के लिए जंग कर रहा हूं भाइयों। इसलिए गरीबों के लिए जंग कर रहा हूं। मुझे आपके आशीर्वाद चाहिए। पूरी ताकत से मुझे आपके आशीर्वाद चाहिए भाइयों बहनों। इस देश को भ्रष्टाचार और काले धन से मुक्त होना है। भ्रष्टाचार की लड़ाई में सफल होना है।

भाइयों बहनों।

विकास की नयी ऊंचाईयों तक देश को ले जाना है। मेरी माताएं बहनें यहां बैठी हैं। मैंने अभी हमारे यहां खादी विभाग के लोगों को काम दिया है। सोलर इनर्जी से चलने वाला चरखा, सूर्य शक्ति से चलने वाला चरखा, जो माताएं-बहनें पहाड़ों में तो यही काम ज्यादा करते हैं, उनको जिस दिन ये चरखा में पहुंचा पाऊंगा। अगर आज वो एक दिन में 200 रुपया कमाती है तो 500 रुपया कमाना शुरू कर देगी। कुछ स्थानों पर तो प्रयोग के तौर पर काम शुरू हो गया है। जैसे ही उसका परफेक्ट व्यवस्था हो जाएगी, उत्तराखंड के पहाड़ों पर रहने माताओं-बहनों को उसका लाभ मिलनेवाला है।

भाइयों बहनों।

आप मुझे बताइए। हर मां-बाप को, हर बहन को अपने घर में गैस का चूल्हा हो, ये उसकी जरूरत है कि नहीं है ...। गैस का चूल्हा मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...। गैस का सिलेंडर मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ...। पहले मिलता था क्या ...। एक एमपी को 25 कूपन मिलते थे। और उसको कहते थे कि आपके इलाके के 25 लोगों को आप गैस का कनेक्शन दिलवा सकते थे, मुफ्त में नहीं। और लोग नेताजी के पीछे पीछे दौड़ते थे। और नेता जी कहते थे कि अभी नहीं, अगले साल के कोटा में देखेंगे। ये हाल था भाइयों बहनों। मैंने आकरके निर्णय किया कि मेरे देश के 5 करोड़ परिवार जो गरीबी रेखा से नीचे जीते हैं, जंगलों से लकड़ी काट कर लाते हैं। लकड़ी का चूल्हा जलाकरके खाना पकाते हैं। और एक मां जब लकड़ी का चुल्हा जलाकरके खाना पकाती है तो एक दिन में 400 सिगरेट का धुआं उसके शरीर में जाता है, 400 सिगरेट का। आप मुझे बताइए कि इन माताओं के शरीर में रोजाना 400 सिगरेट का धुआं जाएगा तो उस मां की तबीयत का हाल क्या होगा? उसके घर मे जो बच्चे पैदा होंगे, उनकी तबीयत का हाल क्या होगा।जो नन्हें नन्हें बच्चे जो घर में खेलते हैं, चूल्हा जलता है, धुआं निकलता है, उन बच्चों की तबीयत का क्या हाल होता होगा। कहिए भाइयों बहनों। गरीब माताओं को इस कष्ट से मुक्ति मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए ...। पूरी ताकत से बताइए। गरीब माताओं को इस कष्ट से मुक्ति मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए ...। माताओं को मदद मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए ...। क्या इसमें राजनीति होनी चाहिए ...।

भाइयों-बहनों।

आपने मुझे प्रधानमंत्री बनाया और हमने कहा था कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है, गरीबों को। और इसलिए हमने तय किया है 5 करोड़ गरीब परिवार जिनके पास आज गैस का चूल्हा नहीं है, गैस का कनेक्शन नहीं है। तीन साल के भीतर उनको गैस का कनेक्शन, गैस का चूल्हा दे दिया जाएगा। मुझे खुशी है कि ये बातें नहीं, ये वादे नहीं। 4-5 महीने से काम शुरू किया है। अब तक 1 करोड़ 80 लाख घरो में गैस का चूल्हा आ गया, गैस कनेक्शन आ गया और लकड़ी का चूल्हा बंद भी हो गया। भाइयों बहनों। जंगलों को बचाना है तो उत्तराखंड के घर-घर में गैस का चूल्हा पहुंचाना होगा। ये काम हम कर के दिखाएंगे। ये मैं आपको वादा करता हूं।

भाइयों बहनों।

ये उत्तराखंड, हरदा टैक्स। हरदा टैक्स मैं तो हैरान हूं। न दिल्ली सरकार का कोई ऐसा टैक्स है और न ही हिन्दुस्तान में कहीं भी इस तरह का टैक्स नहीं है। ये गंगा की धरती है, ये ऋषिमुनियों की धरती है। कुछ तो शर्म करो, कुछ तो शर्म करो। भाइयों बहनों। ये लूट चली है, इससे उत्तराखंड को बचाना है। और इसलिए आपसे आग्रह करने आया हूं। ऐसा बहुमत दीजिए ताकि कांग्रेस को पता चले। किसी भी राजनेता को गलत काम करने के लिए हिम्मत न पड़े। आप साफ कर दीजिए। मैं आपको वादा करता हूं उत्तराखंड को 5 साल के भीतर नयी ऊंचाइयों तक ले जाऊंगा।

भाइयों बहनों।

हमारे परिवार में हम इस बात को बराबर समझते हैं कि घर में जब बालक 16 साल का होता है, तब तक तो मां-बाप कहते हैं अच्छा ठीक है। खेलो, दौड़ो, खेलो, मौज करो, ये करो, वो करो। लेकिन जब 16 साल का हो जाता है ना, बेटा हो या बेटी। मां और बाप बारीकी से उसको देखते रहते हैं। क्या पढ़ रहा है, क्या कर रहा है, कहां जा रहा है, किससे बात कर रहा है, जल्दी आया कि नहीं आया, ठीक से खा रहा है कि नहीं खा रहा है, जैसा शरीर होना चाहिए वैसा है कि नहीं है, हर चीज पर नजर रहती है। हर चीज मां-बाप देखते हैं कि नहीं देखते हैं ...। देखते हैं कि नहीं देखते हैं। बेटा या बेटी 16 साल का हो जाता है तो आपका विशेष ध्यान जाता है ना ...। खास परवरिश करनी पड़ती है। हर मां बाप को पता है कि बच्चा और बेटी, 16 से 21 साल में ठीक से अगर उसकी परवरिश हो गयी तो फिर कभी पीछे देखना नहीं पड़ता है भाइयों। ये मेरा उत्तराखंड भी अब 16 साल का हो गया है। ये 16 से 21 साल, ये पांच साल विशेष परवरिश की जरूरत है उत्तराखण्ड को।

और भाइयों और बहनों।

उत्तराखंड के परवरिश का दायित्व लेने के लिए मैं आया हूं आपके पास। ये 16 से 21 वर्ष की उमर, उत्तराखंड के जीवन के महत्वपूर्ण उमर है। इस पांच साल में उत्तराखण्ड जिस करवट बैठेगा। आने वाले 100 साल की नींव इस पांच साल में लगने वाली है।

और इसलिए भाइयों बहनों। कोई गलती नहीं होनी चाहिए। अच्छे से अच्छा परवरिश हो, हमारा उत्तराखंड को ऐसी ताकत को प्राप्त करे कि सौ साल तक कभी किसी को उत्तराखंड को मदद की जरूरत न पड़े। इसलिए आप भारतीय जनता पार्टी को वोट दीजिए। 15 तारीख को भारी मतदान कीजिए। पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दीजिए। हर पोलिंग बूथ वाला तय करे कि अगर पिछले साल 600 पड़े थे तो 700 से कम नहीं होंगे। पिछली बार 700 वोट पड़े थे तो इस बार 800 वोट से कम न पड़ेंगे। इस प्रकार से आप करें। और ये तो पहाड़ है, ठंड होती है। उसके बाद भी मैं कहूंगा, पहले मतदान, फिर जलपान। पहले मतदान फिर जलपान। 15 तारीख को कमल के निशान पर बटन दबाकरके उत्तराखंड के भाग्य बदलने के लिए फैसला कीजिए। मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत बहुत धन्यवाद।

 

Explore More
شری رام جنم بھومی مندر دھوجاروہن اتسو کے دوران وزیر اعظم کی تقریر کا متن

Popular Speeches

شری رام جنم بھومی مندر دھوجاروہن اتسو کے دوران وزیر اعظم کی تقریر کا متن
'Will walk shoulder to shoulder': PM Modi pushes 'Make in India, Partner with India' at Russia-India forum

Media Coverage

'Will walk shoulder to shoulder': PM Modi pushes 'Make in India, Partner with India' at Russia-India forum
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM Modi
December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।