उपस्थित सभी महानुभाव, आप सबको नववर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं,

किसी संस्था के जीवन में 60 साल की यात्रा बहुत बड़ी नहीं होती है। 60 साल का कार्यकाल भारत जैसे विशाल देश में किसी Institution को build up करने में, उसे लोगों तक पहुंचाने में ये समय बहुत कम पड़ता है। व्यक्ति के लिए जीवन में 60 साल बहुत बड़ी बात होती है। लेकिन संस्था के जीवन में एक प्रकार से उसका प्रारंभ होता है। मैं मानता हूं कि अब ICICI Group उस स्थिति में पहुंच रहा है जिसकी बदौलत,जिन आशाओं और आकांक्षाओं को लेकर उसका जन्म हुआ, जिन अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए उसने यात्रा की, उसको Achieve करने का अब उसके सामने समय आया है और तब उसको 60 साल की जो गति है वो काम नहीं आती है। 60 साल का जो canvass है, वो भी छोटा पड़ता है। उसे बड़े canvass पर लंबी दौड़ के साथ अपनी योजनाएं करनी होती हैं। लेकिन, 60 साल का ये अनुभव भारत की विकास यात्रा में, banking Sector के योगदान में एक बहुमूल्य भूमिका निभाने का, उसकी सफलता का आने वाले दिनों में देश की अर्थव्यवस्था को और अधिक ताकतवर बनाने में बहुत-बहुत उपयोगी होगा। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

कभी-कभी मुझे लगता है कि इस ग्रुप के नाम पर ICICI मैं समझता हूं 60 साल हो गए, आई को बहुत देखा, अब ICU होना चाहिए। मैं आपको देख रहा हूं, हिंदुस्तान के गरीब को देख रहा हूं और उस रूप में मैं आशा करता हूं कि जब 60 साल मनाए जा रहे हैं, क्यों न group के प्रमुख लोग बैठें। Grass root level के बैंक के साथ जुड़े हुए सभी लोग बैठें और हम जब 75 साल के होंगे, तब तक क्या क्या achieve करेंगे, हमारा social charter क्या होगा?और एक देश के सामने उस रूप में बैंकिंग क्षेत्र में ICICI lead कर सकता है क्या? for fifteen years, next fifteen years 75 celebrate करने से पहले हम ये social charter ले करके आ रहे हैं। 10 हों, 12 हों, इन चीज़ों को हम देश में ला करके रहेंगे।

कभी कभार एक आध Institution lead करती है तो बाकी सब उसको follow करते हैं और अपने आप में एक momentum बन जाता है और उस दिशा में हम काम कर सकते हैं। 2022 में भारत की आज़ादी के 75 साल हो रहे हैं और 25 में, 30 में आपके 75 साल होंगे। उस अर्थ में बीच में आपको एक अवसर मिलता है कि भारत के 75 साल के समय का क्या goal हो और Next अपके 75 होंगे तब क्या हो। एक social charter के साथ देश के सामने, financial Sector किस प्रकार से नई दिशा दे सकता है, इसके सपनों को ले करके आप आएंगे। मैं समझता हूं कि देश की बहुत बड़ी सेवा होगी। देश को एक नई दिशा मिलेगी।

मैं चंदा जी का विशेष रूप से इसलिए भी अभिनंदन करता हूं कि इस काम को मैं बड़े आग्रह से करना चाहता हूं। स्वच्छ भारत! उन्होंने उस बीड़े को उठाया, स्वयं ने भी इस काम को किया। लेकिन साथ- साथ उन्होंने अपनी सभी Branches को सप्ताह में एक दिन सफाई का कुछ-न-कुछ करने के लिए प्रेरित किया है। एक momentum खड़ा हुआ है। उनके इन प्रयासों का मैं अभिनंदन करता हूं और सभी ग्रुप को, सभी Branches को, उन Branches में बैठे हुए सभी बैंक के कर्मचारियों को इस काम को आगे बढ़ाने के लिए बहुत बहुत अभिनंदन करता हूं, बहुत बहुत बधाई देता हूं।

लेकिन बैंक सेक्टर से मेरी एक और अपेक्षा है। क्या हम इस काम को तो आगे बढ़ाएं, ज़रूर बढ़ाएं। लेकिन हम हमारे finance के जो areas हैं, उसमें एक नए क्षेत्र का इज़ाफा कर सकते हैं क्या और उसको प्राथमिकता दे सकते हैं क्या? क्या हमारा group एक साल के भीतर- भीतर bank finance की मदद से नौजवानों को प्रेरित करके कम से कम एक लाख स्वच्छता के entrepreneur तैयार कर सकते हैं? Waste management एक बहुत बड़ा Business है। solid west management के क्षेत्र में नौजवान आएं, बहुत बड़ा Business है, Waste water treatment के Business में आएं, बहुत बड़ा क्षेत्र है। हम इस प्रकार के नए entrepreneur तैयार कर सकते हैं। हमारी young generation को, उसकी training करना, उसको model करना और financial व्यवस्था देना।

मैं समझता हूं कि जो काम स्वच्छता के अभियान में आपकी बैंक कर रही है, लेकिन वो स्वच्छता के entrepreneur तैयार करती है तो शायद एक sustainable व्यवस्था, एक लंबे समय तक काम आने वाली व्यवस्था को हम उभार सकते हैं और हमें उस दिशा में प्रयास करना चाहिए। मुझे विश्वास है कि आप infrastructure में पैसे देते होंगे, आप पावर प्रोजेक्ट में देते होंगे आप और development में देते होंगे, बहुत बहुत बड़े कारोबार आपके चलते होंगे। यहां जिस प्रकार का audience है, उसको लगता है कि बड़े काम आपके चलते होंगे। इस audience को भी देख कर मैं तय कर सकता हूं। लेकिन मैं एक और क्षेत्र में ले जाने के लिए कह रहा हूं, छोटे छोटे लोग जो entrepreneur के रूप में इस field में आए, उनको प्रेरित करें। एक बहुत बड़ा काम होगा।

उसी प्रकार से यहां पर video conference से हमारे साबरकांठा को एक छोटे से गांव के लोग इस कार्यक्रम में शरीक हुए हैं। मजा मैं बैदा बिदा! इस गांव की एक और भी विशेषता है। देश का पहला गांव ऐसा है जहां पर cattle hostel है। हमारे यहां गांवों में पशु अपने घर के बाहर ही बांध कर रखते हैं और सारी गंदगी वहीं होती है और बीमारी की जड़ भी वहीं होती है। आजकल लड़कियों को गांव में शादी करने में एतराज नहीं है, लेकिन ये पशु वाला काम करना पड़ता है तो उसके लिए उसकी तैयारी कम है। तो हमें एक नई समाज रचना करनी पड़ेगी और उसी विचार में से एक प्रयोग यहां शुरू हुआ है। गांव के सारे cattle hostel में रहते हैं और मालिक लोग hostel में जाते हैं, अपने पशु की देखभाल करते हैं। दूध लेने के समय, दूध के समय पहुँच जाते हैं। पूरा गांव साफ-सुथरा रहता है। एक hostel का प्रयोग आने वाले दिनों में देशभर में ये होने वाला है। अगर हम हमारे प्रिय से प्रिय बच्चों को hostel में रख सकते हैं तो हमारे cattle के लिए hostel क्यों नहीं बना सकते! और उसके कारण उनकी देखभाल भी अच्छी होती है। जब मैं वहां था, मुझे तब तो मालूम है, उनकी income में 20 percent बढ़ोतरी हुई थी, केवल hostel के कारण, क्योंकि वो उसमें से fertilizer निकालने लगे, गैस बनाने लगे, बिजली पैदा करने लगे, कई चीज़ें उनकी हुई, दूध में बढ़ोतरी हुई, अब उसी गांव को बैंक ने Digital Village बनाने के लिए और उसको बहुत सारा काम पूरा कर दिया है।

अब गांव भी बहुत इंतजार करने वाला नहीं है, उसके expectations भी वही हैं जो शहर में बैठे समृद्ध वर्ग के हैं और ये समय की मांग है कि हम उस पर Focus करें। Rural Development भी भारत की GDP को बढ़ाने का एक बहुत बड़ा अवसर है। नए तरीके से उसकी संभावनाएं बढ़ी हैं, उसके Infrastructure पर बल दे दिया है, Agri-structure पर बल दिया जाए, Agri-structure valuation पर बल दिया जाए। बहुत बड़ी संभावनाएं हमारे Rural life में आर्थिक विकास का एक बहुत बड़ा Power Station एक नया हम खड़ा कर सकते हैं, ये संभावनाएं बढ़ी हैं। ये Digital Village की कल्पना आने वाले दिनों में, जो Digital India का सपना हम पूरा करना चाहते हैं, उसमें ये भी चीजें एक Model के रूप में हमारे सामने आएंगी और काम आएंगी। मैं इस Initiative के लिए भी आपको बधाई देता हूं।

अकोद्रा गांव के लोग तो अब Cashless उनका कारोबार चले लेकिन हम ये सपना कब पूरा करेंगे कि भारत में भी Cashless आर्थिक व्यवस्था विकसित हो और मैं चाहता हूं कि हिंदुस्तान के बैंकिंग सेक्टर में इसकी Competition होनी चाहिए। कौन बैंक है जिसका Maximum Transaction है और Cashless है। कालेधन के उपायों में एक महत्वपूर्ण उपाय ये है, Cashless Transaction एक बहुत बड़ा उसका कारण और हमें इसको Promote करना चाहिए, लोगों का आदत डालनी चाहिए और बैंक के सामने एक सबसे बड़ी चुनौती मैं मानता हूं वो ये है, एशिया के ये वो भू-भाग है। भारत के उसके आस-पड़ोस के देश Including China विश्व में ये एक ऐसा भू-भाग है जहां परंपरागत रूप से Saving का स्वभाव है। सदियों से परंपरा है हर पीढ़ी के मां-बाप आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ-कुछ बचाना ये सोच रखते हैं। दुनिया के और हिस्से हैं कि जहां पर Credit Card की दुनिया हैं, जहां पर बच्चों के हिस्से में Credit Card आता है और कुछ नहीं आता है। यहां वो सोच नहीं है, यहां पर Saving की सोच है लेकिन काल क्रम स्थिति ये बन गई कि उसका स्वभाव तो बन गया है कि भई बच्चों के लिए कुछ छोड़कर जाना। Security के लिए कुछ व्यवस्था रखनी चाहिए लेकिन वो उसके लिए Gold की तरफ चला गया है। उसको लगता है कि सोना खरीदकर रख लो भाई, पता नहीं कब जरूरत पड़ जाए। शायद सौ में से एक इंसान भी नहीं निकलता होगा कि जिसको अचानक सोना बेचकर के कहीं जाना पड़ा हो, सौ में से एक भी नहीं निकलता है लेकिन Psychological Effect है कि भई सोना होगा तो आधी रात काम आएगा। बैंकिंग सेक्टर के सामने Challenge है वो Credibility हर इंसान के दिमाग में हम पैदा कर सकते हैं कि जिसको कभी उसकी इच्छा न हो कि अब सोने खरीदने की इच्छा न हो, गांव में अब बैंक की ब्रांच है, एटीएम है, मुझे कभी अब पैसों के लिए संकट नहीं होगा, सारी व्यवस्थाएं मौजूद हैं अब मुझे सोना खरीदकर के कोने में रखकर के जरूरत नहीं है। भारत की Economy में बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है। बहुत बड़ा वर्ग है जो आवश्यकता से अधिक होड़ रखता है उसका मूल कारण उसके दिमाग में Safety, Security और Future होता है। अगर बैंक के द्वारा उसे Assurance मिलता है, उसमें विश्वास पैदा होता है कि हां भई इसके साथ अब मेरा नाता जुड़ गया यानि अब मेरे जीवन के संकट के काल में भी ये मेरा साथी है। मैं समझता हूं कि ये एक Gold Hub का Alternative बनने के लिए एक Golden Opportunity में देख रहा हूं।

क्या हम 75 साल मनाएं तब इन चीजों को Achieve करने की दिशा में कुछ कर सकता हैं क्या। आप देख सकते हैं कि एक बैंक Social Transformation का Agent बन सकता है। सिर्फ बैंकिंग सेवाएं नहीं…. Social Transformation का Agent बन सकता है। हम उस दिशा में नए तरीके से हमारे Banking Sector सोचें। मुझे विश्वास है कि हम बहुत कुछ देश को दे सकते हैं।

मैं फिर एक बार आज इस अवसर पर इस 60 साल की यात्रा में जिन-जिन्होंने योगदान दिया है, जिन्होंने इसका नेतृत्व किया वे सब अभिनंदन के अधिकारी हैं क्योंकि एक कालखंड में सब होता नहीं है। एक लंबी प्रक्रिया के बाद ये परिणाम मिलता है इसलिए इस Group के सभी उन वरिष्ठजनों को हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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नमस्कार दोस्तों,

मानसून सत्र में आप सभी मीडिया जगत के लोगों का स्वागत है।

साथियों,

मानसून नवीनता और नवसृजन का प्रतीक है, और अब तक जो खबरें मिली हैं, देश में मौसम बहुत ही अच्छे ढंग से आगे बढ़ रहा है, कृषि को लाभदायक मौसम की खबरें हैं। और बारिश किसानों की अर्थव्यवस्था, देश की अर्थव्यवस्था, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और इतना ही नहीं हर परिवार की अर्थव्यवस्था में एक बहुत महत्वपूर्ण होती है। अब तक जो मुझे जानकारी दी गई है, उस हिसाब से पिछले 10 वर्ष में जो पानी का भंडार हुआ है इस बार वो करीब-करीब तीन गुना हुआ है, जिसका आने वाले दिनों में भी देश के अर्थतंत्र को बहुत लाभ होगा।

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साथियों,

ये मानसून सत्र राष्ट्र के लिए ये बहुत ही गौरवपूर्ण सत्र है। ये मानसून सत्र राष्ट्र के लिए एक अपने आप में विजयोत्सव का रूप है। और जब मैं कहता हूं कि ये सत्र राष्ट्र गौरव और विजयोत्सव का सत्र है, तो सबसे पहले तो मैं पहली बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भारत का तिरंगा झंडा वहां लहराना ये हर देशवासी के लिए गौरव के पल हैं। देश में साइंस टेक्नोलॉजी के प्रति, इनोवेशन के प्रति, नया उमंग और उत्साह भरने वाली ये सफल यात्रा रही है। अब पूरा संसद, लोकसभा राज्यसभा दोनों सदन, देशवासी जिस गौरव का अनुभव कर रहे हैं, उसमें एक स्वर से जुड़ेंगे, एक स्वर से इसका यशगान होगा, जो भारत को अंतरिक्ष में नई ऊंचाइयों पर पहुंचने वाले जो भावी कार्यक्रम हैं, उनके लिए भी प्रेरक बनेगा, प्रोत्साहक बनेगा।

साथियों,

ये मानसून सत्र एक विजयोत्सव है। पूरी दुनिया ने भारत की सैन्य शक्ति का, भारत के सैन्य के सामर्थ्य का रूप देखा है। ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सेना ने जो लक्ष्य निर्धारित किया था, 100 परसेंट अचीव किया। आतंकियों के आकाओं के घर में जाकर के 22 मिनट के भीतर- भीतर ऑपरेशन सिंदूर के तहत उसको जमींदोज कर दिया गया। और मैंने बिहार के एक कार्यक्रम में इसकी घोषणा की थी, जो हमारी सैन्यशक्ति ने बहुत ही कम समय में सिद्ध करके दिखा दिया। और इसमें मेड इन इंडिया सैन्यशक्ति का ये नया स्वरूप इस पर भी दुनिया बहुत आकर्षित हुई है। इन दिनों विश्व के जिन-जिन लोगों से मिलना होता है तो, तो भारत के इस मेड इन इंडिया जो औजार तैयार हो रहे हैं, उसके प्रति दुनिया का आकर्षण बढ़ रहा है। मुझे विश्वास है कि जब सदन इस विजयोत्सव को एक स्वर में विजय के भाव से इस सत्र के दरमियान उन ओजस्वी-तेजस्वी भावनाओं को प्रकट करेगा, तो भारत की सैन्यशक्ति को बल मिलेगा, प्रोत्साहन मिलेगा, देशवासियों को प्रेरणा मिलेगी, और सैन्य क्षेत्र में जो रिसर्च, इनोवेशन और मैन्युफैक्चरिंग हो रहे हैं, मेड इन इंडिया डिफेंस इक्विपमेंट बन रहे हैं, उसको भी एक बल मिलेगा, और जो भारत के नौजवानों के लिए नए रोजगार के अवसर पैदा करेगा।

साथियों,

ये दशक हम एक प्रकार से देख सकते हैं कि शांति और प्रगति कंधे से कंधा मिलाकर के आगे बढ़ने के कदम-कदम पर प्रगति का एहसास हम करते रहें हैं। देश कई प्रकार की हिंसक वारदातों का शिकार रहा है, लंबे अरसे तक शिकार रहा है, देश आजाद हुआ तब से हम इस समस्या को झेल रहे हैं। चाहे आतंकवाद हो, नक्सलवाद हो, कोई प्रारंभ में शुरू हुआ होगा, कोई बाद में शुरू हुआ होगा। लेकिन आज नक्सलवाद का, माओवाद का दायरा बहुत तेजी से सिकुड़ रहा है। माओवाद को, नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ने के संकल्प के साथ देश के सुरक्षा बल एक नए आत्मविश्वास से, तेज गति से सफलता की ओर कदम रख रहे हैं। और मैं गर्व से कह सकता हूं, देश में सैकड़ो जिलें नक्सल की चपेट में से निकलकर के आज मुक्ति का सांस ले रहे हैं। हमें गर्व है कि बम, बंदूक और पिस्तौल के सामने हमारे देश का संविधान जीत रहा है, हमारे देश का संविधान विजयी हो रहा है। देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए साफ दिख रहा है कि कल तक जो रेड कॉरिडोर थे, वो आज ग्रीन ग्रोथ जोन में परिवर्तित होते नजर आ रहे हैं।

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साथियों,

एक के बाद ऐसी घटनाएं देशभक्ति के लिए, देश की भलाई के लिए संसद में पहुंचे हुए हर माननीय सांसद के लिए गौरव का पल हैं। और संसद के इस सत्र में ये गौरवगान पूरा देश सुनेगा, हर सांसद से सुनेगा, हर दल से सुनेगा।

साथियों,

आर्थिक क्षेत्र में भी जब 2014 में आप सबने हमें जिम्मेदारी दी, देश फ्रेजाइल-5 की अवस्था से गुजर रहा था। 2014 के पहले वैश्विक अर्थव्यवस्था में हम 10वें नंबर पर थे, और आज भारत तेज गति से दुनिया की तीसरी नंबर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। इन दिनों 25 करोड़ गरीबों का गरीबी से बाहर निकलना, जिसकी विश्व की अनेक संस्थाएं सराहना कर रही हैं। देश में एक जमाना था 2014 के पहले, जब महंगाई का दर, इन्फ्लेशन रेट डबल डिजिट में हुआ करता था, आज 2 परसेंट के आसपास आकर के देश के सामान्य मानवी के जीवन में राहत बन गया है, सुविधा बन गया है। Low inflation के सामने हाई ग्रोथ एक अच्छे विकास यात्रा की दिशा है।

साथियों,

डिजिटल इंडिया, यूपीआई आज भारत के एक नए सामर्थ्य को दुनिया देख रही है, पहचान रही है, और ज्यादातर देश में उसके प्रति एक आकर्षण पैदा हो रहा है। यूपीआई ने Fintech की दुनिया में अपना एक नाम कमाया है। रियल टाइम डिजिटल ट्रांजेक्शन दुनिया में सबसे ज्यादा हो रहे हैं, दुनिया में जितने हो रहे हैं, अकेले भारत में उससे ज्यादा हो रहे हैं।

साथियों,

पिछले दिनों इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन का एक वैश्विक समागम था, और उसमें भारत ने बहुत बड़ी ऊंचाई प्राप्त की है। ILO का कहना है कि 90 करोड़ से ज्यादा लोग भारत में अब सोशल सिक्योरिटी के दायरे में है, ये अपने आप में एक बहुत बड़ा अचीवमेंट है। उसी प्रकार से वैश्विक संस्था WHO ने ये कहा है कि भारत अब आंख की जो बीमारी आमतौर पर बारिश के सीजन में ज्यादा देखी जाती थी, ट्रेकोमा, अब भारत को WHO ने ट्रेकोमा फ्री घोषित किया है, तो आरोग्य के क्षेत्र में भी ये अपने आप में एक महत्वपूर्ण भारत के लिए सिद्धि है।

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साथियों,

पहलगाम की क्रूर हत्या, अत्याचार, नरसंहार पूरी दुनिया चौंक उठी थी। आतंकवादियों और आतंकवादियों के आकाओं दुनिया का ध्यान उनकी तरफ केंद्रित हुआ था। और उस समय दल हित छोड़कर के देशहित में हमारे ज्यादातर दलों के प्रतिनिधि, ज्यादातर राज्यों के प्रतिनिधियों ने विश्वभ्रमण किया, दुनिया के अनेक देशों में गए, और एक स्वर से दुनिया के सामने आतंकवादियों का आका पाकिस्तान को बेनकाब करने का एक बहुत सफल अभियान चलाया। मैं आज राष्ट्रीय हित में किए गए इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए उन सभी सांसदों की सराहना करना चाहता हूं, सभी दलों की सराहना करना चाहता हूं, और इसने देश में एक सकारात्मक वातावरण पैदा किया। विश्व ने भारत की बात को स्वीकार करने की दिशा में अपने मन के द्वार खोले और इसके लिए ये हमारे सांसदगण, हमारे राजनीतिक दल सराहना करने के मेरे लिए सौभाग्य है।

साथियों,

हम जानते हैं कि ये स्पिरिट, एक स्वर, एक एकता का वातावरण देश को कितना उत्साह से भर देता है। विजयोत्सव का ये पर्व इस मानसून सत्र में भी उसी भाव से प्रकट होगा, देश की सैन्य शक्ति की सरहाना करेगा, देश के सामर्थ्य का गौरवगान करेगा, और देश के 140 करोड़ नागरिकों को नई प्रेरणा का कारण बनेगा। मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर के डिफेंस के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के इन प्रयासों को बल दें, सेना के सामर्थ्य की सराहना करें। और मैं आज देशवासियों के सामने जरूर कहूंगा, और देश के राजनीतिक दलों से भी कहूंगा कि देश ने एकता की ताकत देखी है, एक स्वर का सामर्थ्य क्या होता है देखा है, तो सदन में से भी सभी माननीय सांसद उसको बल दें, उसको आगे बढ़ाएं। और मैं ये जरूर कहूंगा राजनीतिक दल अलग-अलग है, हर एक का अपना एक एंजेडा है, अपनी एक भूमिका है, लेकिन मैं इस वास्तविकता को स्वीकार करता हूं कि दल हित में मत भले ना मिले, लेकिन देशहित में मन जरुर मिले। इसी एक भावना के साथ, इस मानसून सत्र से देश के विकास यात्रा को बल देने वाले, देश की प्रगति को बल देने वाले, देश के नागरिकों को सामर्थ्य देने वाले अनेक विधेयक प्रस्तावित हैं, सदन विस्तृत चर्चा करके उसको भी पारित करेगा। मेरी सभी माननीय सांसदों से उत्तम डिबेट चलाने के लिए शुभकामनाएं हैं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।