उपस्थित सभी महानुभाव, आप सबको नववर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं,

किसी संस्था के जीवन में 60 साल की यात्रा बहुत बड़ी नहीं होती है। 60 साल का कार्यकाल भारत जैसे विशाल देश में किसी Institution को build up करने में, उसे लोगों तक पहुंचाने में ये समय बहुत कम पड़ता है। व्यक्ति के लिए जीवन में 60 साल बहुत बड़ी बात होती है। लेकिन संस्था के जीवन में एक प्रकार से उसका प्रारंभ होता है। मैं मानता हूं कि अब ICICI Group उस स्थिति में पहुंच रहा है जिसकी बदौलत,जिन आशाओं और आकांक्षाओं को लेकर उसका जन्म हुआ, जिन अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए उसने यात्रा की, उसको Achieve करने का अब उसके सामने समय आया है और तब उसको 60 साल की जो गति है वो काम नहीं आती है। 60 साल का जो canvass है, वो भी छोटा पड़ता है। उसे बड़े canvass पर लंबी दौड़ के साथ अपनी योजनाएं करनी होती हैं। लेकिन, 60 साल का ये अनुभव भारत की विकास यात्रा में, banking Sector के योगदान में एक बहुमूल्य भूमिका निभाने का, उसकी सफलता का आने वाले दिनों में देश की अर्थव्यवस्था को और अधिक ताकतवर बनाने में बहुत-बहुत उपयोगी होगा। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

कभी-कभी मुझे लगता है कि इस ग्रुप के नाम पर ICICI मैं समझता हूं 60 साल हो गए, आई को बहुत देखा, अब ICU होना चाहिए। मैं आपको देख रहा हूं, हिंदुस्तान के गरीब को देख रहा हूं और उस रूप में मैं आशा करता हूं कि जब 60 साल मनाए जा रहे हैं, क्यों न group के प्रमुख लोग बैठें। Grass root level के बैंक के साथ जुड़े हुए सभी लोग बैठें और हम जब 75 साल के होंगे, तब तक क्या क्या achieve करेंगे, हमारा social charter क्या होगा?और एक देश के सामने उस रूप में बैंकिंग क्षेत्र में ICICI lead कर सकता है क्या? for fifteen years, next fifteen years 75 celebrate करने से पहले हम ये social charter ले करके आ रहे हैं। 10 हों, 12 हों, इन चीज़ों को हम देश में ला करके रहेंगे।

कभी कभार एक आध Institution lead करती है तो बाकी सब उसको follow करते हैं और अपने आप में एक momentum बन जाता है और उस दिशा में हम काम कर सकते हैं। 2022 में भारत की आज़ादी के 75 साल हो रहे हैं और 25 में, 30 में आपके 75 साल होंगे। उस अर्थ में बीच में आपको एक अवसर मिलता है कि भारत के 75 साल के समय का क्या goal हो और Next अपके 75 होंगे तब क्या हो। एक social charter के साथ देश के सामने, financial Sector किस प्रकार से नई दिशा दे सकता है, इसके सपनों को ले करके आप आएंगे। मैं समझता हूं कि देश की बहुत बड़ी सेवा होगी। देश को एक नई दिशा मिलेगी।

मैं चंदा जी का विशेष रूप से इसलिए भी अभिनंदन करता हूं कि इस काम को मैं बड़े आग्रह से करना चाहता हूं। स्वच्छ भारत! उन्होंने उस बीड़े को उठाया, स्वयं ने भी इस काम को किया। लेकिन साथ- साथ उन्होंने अपनी सभी Branches को सप्ताह में एक दिन सफाई का कुछ-न-कुछ करने के लिए प्रेरित किया है। एक momentum खड़ा हुआ है। उनके इन प्रयासों का मैं अभिनंदन करता हूं और सभी ग्रुप को, सभी Branches को, उन Branches में बैठे हुए सभी बैंक के कर्मचारियों को इस काम को आगे बढ़ाने के लिए बहुत बहुत अभिनंदन करता हूं, बहुत बहुत बधाई देता हूं।

लेकिन बैंक सेक्टर से मेरी एक और अपेक्षा है। क्या हम इस काम को तो आगे बढ़ाएं, ज़रूर बढ़ाएं। लेकिन हम हमारे finance के जो areas हैं, उसमें एक नए क्षेत्र का इज़ाफा कर सकते हैं क्या और उसको प्राथमिकता दे सकते हैं क्या? क्या हमारा group एक साल के भीतर- भीतर bank finance की मदद से नौजवानों को प्रेरित करके कम से कम एक लाख स्वच्छता के entrepreneur तैयार कर सकते हैं? Waste management एक बहुत बड़ा Business है। solid west management के क्षेत्र में नौजवान आएं, बहुत बड़ा Business है, Waste water treatment के Business में आएं, बहुत बड़ा क्षेत्र है। हम इस प्रकार के नए entrepreneur तैयार कर सकते हैं। हमारी young generation को, उसकी training करना, उसको model करना और financial व्यवस्था देना।

मैं समझता हूं कि जो काम स्वच्छता के अभियान में आपकी बैंक कर रही है, लेकिन वो स्वच्छता के entrepreneur तैयार करती है तो शायद एक sustainable व्यवस्था, एक लंबे समय तक काम आने वाली व्यवस्था को हम उभार सकते हैं और हमें उस दिशा में प्रयास करना चाहिए। मुझे विश्वास है कि आप infrastructure में पैसे देते होंगे, आप पावर प्रोजेक्ट में देते होंगे आप और development में देते होंगे, बहुत बहुत बड़े कारोबार आपके चलते होंगे। यहां जिस प्रकार का audience है, उसको लगता है कि बड़े काम आपके चलते होंगे। इस audience को भी देख कर मैं तय कर सकता हूं। लेकिन मैं एक और क्षेत्र में ले जाने के लिए कह रहा हूं, छोटे छोटे लोग जो entrepreneur के रूप में इस field में आए, उनको प्रेरित करें। एक बहुत बड़ा काम होगा।

उसी प्रकार से यहां पर video conference से हमारे साबरकांठा को एक छोटे से गांव के लोग इस कार्यक्रम में शरीक हुए हैं। मजा मैं बैदा बिदा! इस गांव की एक और भी विशेषता है। देश का पहला गांव ऐसा है जहां पर cattle hostel है। हमारे यहां गांवों में पशु अपने घर के बाहर ही बांध कर रखते हैं और सारी गंदगी वहीं होती है और बीमारी की जड़ भी वहीं होती है। आजकल लड़कियों को गांव में शादी करने में एतराज नहीं है, लेकिन ये पशु वाला काम करना पड़ता है तो उसके लिए उसकी तैयारी कम है। तो हमें एक नई समाज रचना करनी पड़ेगी और उसी विचार में से एक प्रयोग यहां शुरू हुआ है। गांव के सारे cattle hostel में रहते हैं और मालिक लोग hostel में जाते हैं, अपने पशु की देखभाल करते हैं। दूध लेने के समय, दूध के समय पहुँच जाते हैं। पूरा गांव साफ-सुथरा रहता है। एक hostel का प्रयोग आने वाले दिनों में देशभर में ये होने वाला है। अगर हम हमारे प्रिय से प्रिय बच्चों को hostel में रख सकते हैं तो हमारे cattle के लिए hostel क्यों नहीं बना सकते! और उसके कारण उनकी देखभाल भी अच्छी होती है। जब मैं वहां था, मुझे तब तो मालूम है, उनकी income में 20 percent बढ़ोतरी हुई थी, केवल hostel के कारण, क्योंकि वो उसमें से fertilizer निकालने लगे, गैस बनाने लगे, बिजली पैदा करने लगे, कई चीज़ें उनकी हुई, दूध में बढ़ोतरी हुई, अब उसी गांव को बैंक ने Digital Village बनाने के लिए और उसको बहुत सारा काम पूरा कर दिया है।

अब गांव भी बहुत इंतजार करने वाला नहीं है, उसके expectations भी वही हैं जो शहर में बैठे समृद्ध वर्ग के हैं और ये समय की मांग है कि हम उस पर Focus करें। Rural Development भी भारत की GDP को बढ़ाने का एक बहुत बड़ा अवसर है। नए तरीके से उसकी संभावनाएं बढ़ी हैं, उसके Infrastructure पर बल दे दिया है, Agri-structure पर बल दिया जाए, Agri-structure valuation पर बल दिया जाए। बहुत बड़ी संभावनाएं हमारे Rural life में आर्थिक विकास का एक बहुत बड़ा Power Station एक नया हम खड़ा कर सकते हैं, ये संभावनाएं बढ़ी हैं। ये Digital Village की कल्पना आने वाले दिनों में, जो Digital India का सपना हम पूरा करना चाहते हैं, उसमें ये भी चीजें एक Model के रूप में हमारे सामने आएंगी और काम आएंगी। मैं इस Initiative के लिए भी आपको बधाई देता हूं।

अकोद्रा गांव के लोग तो अब Cashless उनका कारोबार चले लेकिन हम ये सपना कब पूरा करेंगे कि भारत में भी Cashless आर्थिक व्यवस्था विकसित हो और मैं चाहता हूं कि हिंदुस्तान के बैंकिंग सेक्टर में इसकी Competition होनी चाहिए। कौन बैंक है जिसका Maximum Transaction है और Cashless है। कालेधन के उपायों में एक महत्वपूर्ण उपाय ये है, Cashless Transaction एक बहुत बड़ा उसका कारण और हमें इसको Promote करना चाहिए, लोगों का आदत डालनी चाहिए और बैंक के सामने एक सबसे बड़ी चुनौती मैं मानता हूं वो ये है, एशिया के ये वो भू-भाग है। भारत के उसके आस-पड़ोस के देश Including China विश्व में ये एक ऐसा भू-भाग है जहां परंपरागत रूप से Saving का स्वभाव है। सदियों से परंपरा है हर पीढ़ी के मां-बाप आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ-कुछ बचाना ये सोच रखते हैं। दुनिया के और हिस्से हैं कि जहां पर Credit Card की दुनिया हैं, जहां पर बच्चों के हिस्से में Credit Card आता है और कुछ नहीं आता है। यहां वो सोच नहीं है, यहां पर Saving की सोच है लेकिन काल क्रम स्थिति ये बन गई कि उसका स्वभाव तो बन गया है कि भई बच्चों के लिए कुछ छोड़कर जाना। Security के लिए कुछ व्यवस्था रखनी चाहिए लेकिन वो उसके लिए Gold की तरफ चला गया है। उसको लगता है कि सोना खरीदकर रख लो भाई, पता नहीं कब जरूरत पड़ जाए। शायद सौ में से एक इंसान भी नहीं निकलता होगा कि जिसको अचानक सोना बेचकर के कहीं जाना पड़ा हो, सौ में से एक भी नहीं निकलता है लेकिन Psychological Effect है कि भई सोना होगा तो आधी रात काम आएगा। बैंकिंग सेक्टर के सामने Challenge है वो Credibility हर इंसान के दिमाग में हम पैदा कर सकते हैं कि जिसको कभी उसकी इच्छा न हो कि अब सोने खरीदने की इच्छा न हो, गांव में अब बैंक की ब्रांच है, एटीएम है, मुझे कभी अब पैसों के लिए संकट नहीं होगा, सारी व्यवस्थाएं मौजूद हैं अब मुझे सोना खरीदकर के कोने में रखकर के जरूरत नहीं है। भारत की Economy में बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है। बहुत बड़ा वर्ग है जो आवश्यकता से अधिक होड़ रखता है उसका मूल कारण उसके दिमाग में Safety, Security और Future होता है। अगर बैंक के द्वारा उसे Assurance मिलता है, उसमें विश्वास पैदा होता है कि हां भई इसके साथ अब मेरा नाता जुड़ गया यानि अब मेरे जीवन के संकट के काल में भी ये मेरा साथी है। मैं समझता हूं कि ये एक Gold Hub का Alternative बनने के लिए एक Golden Opportunity में देख रहा हूं।

क्या हम 75 साल मनाएं तब इन चीजों को Achieve करने की दिशा में कुछ कर सकता हैं क्या। आप देख सकते हैं कि एक बैंक Social Transformation का Agent बन सकता है। सिर्फ बैंकिंग सेवाएं नहीं…. Social Transformation का Agent बन सकता है। हम उस दिशा में नए तरीके से हमारे Banking Sector सोचें। मुझे विश्वास है कि हम बहुत कुछ देश को दे सकते हैं।

मैं फिर एक बार आज इस अवसर पर इस 60 साल की यात्रा में जिन-जिन्होंने योगदान दिया है, जिन्होंने इसका नेतृत्व किया वे सब अभिनंदन के अधिकारी हैं क्योंकि एक कालखंड में सब होता नहीं है। एक लंबी प्रक्रिया के बाद ये परिणाम मिलता है इसलिए इस Group के सभी उन वरिष्ठजनों को हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों के बीच Restoring Balance एक ग्लोबल अर्जेंसी है: WHO के ग्लोबल समिट ऑन ट्रेडिशनल मेडिसिन में पीएम मोदी
December 19, 2025
It is India’s privilege and a matter of pride that the WHO Global Centre for Traditional Medicine has been established in Jamnagar: PM
Yoga has guided humanity across the world towards a life of health, balance, and harmony: PM
भारत के प्रयासों और 175 से ज्यादा देशों के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया; बीते वर्षों में हमने योग को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचते देखा है और दुनिया भर के लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है: प्रधानमंत्री
दिल्ली में डब्ल्यूएचओ के साउथ-ईस्ट एशिया रिजनल ऑफिस का उद्घाटन एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। ये एक ऐसा ग्लोबल हब है, जहां से रिसर्च, रेगुलेशन और कैपेसिटी बिल्डिंग को बढ़ावा मिलेगा: प्रधानमंत्री
Ayurveda teaches that balance is the very essence of health, only when the body sustains this equilibrium can one be considered truly healthy: PM
‘Restoring Balance, आज ये केवल एक ग्लोबल कॉज ही नहीं है, बल्कि, ये एक ग्लोबल अर्जेंसी भी है। इसे एड्रैस करने के लिए हमें और तेज गति से कदम उठाने होंगे: प्रधानमंत्री
The growing ease of resources and facilities without physical exertion is giving rise to unexpected challenges for human health: PM
Traditional healthcare must look beyond immediate needs, it is our collective responsibility to prepare for the future as well: PM

WHO के डायरेक्टर जनरल हमारे तुलसी भाई, डॉक्टर टेड्रोस़, केंद्रीय स्वास्थ्य में मेरे साथी मंत्री जे.पी. नड्डा जी, आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव जी, इस आयोजन से जुड़े अन्य देशों के सभी मंत्रीगण, विभिन्न देशों के राजदूत, सभी सम्मानित प्रतिनिधि, Traditional Medicine क्षेत्र में काम करने वाले सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

आज दूसरी WHO Global Summit on Traditional Medicine का समापन दिन है। पिछले तीन दिनों में यहां पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े दुनिया भर के एक्सपर्ट्स ने गंभीर और सार्थक चर्चा की है। मुझे खुशी है कि भारत इसके लिए एक मजबूत प्लेटफार्म का काम कर रहा है। और इसमें WHO की भी सक्रिय भूमिका रही है। मैं इस सफल आयोजन के लिए WHO का, भारत सरकार के आयुष मंत्रालय का और यहां उपस्थित सभी प्रतिभागियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

ये हमारा सौभाग्य है और भारत के लिए गौरव की बात है कि WHO Global Centre for Traditional Medicine भारत के जामनगर में स्थापित हुआ है। 2022 में Traditional Medicine की पहली समिट में विश्व ने बड़े भरोसे के साथ हमें ये दायित्व सौंपा था। हम सभी के लिए खुशी की बात है कि इस ग्लोबल सेंटर का यश और प्रभाव locally से लेकर के globally expand कर रहा है। इस समिट की सफलता इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस समिट में Traditional knowledge और modern practices का कॉन्फ्लूएंस हो रहा है। यहां कई नए initiatives भी शुरू हुए हैं, जो medical science और holistic health के future को transform कर सकते हैं। समिट में विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों और प्रतिनिधियों के बीच विस्तार से संवाद भी हुआ है। इस संवाद ने ज्वाइंट रिसर्च को बढ़ावा देने, नियमों को सरल बनाने और ट्रेनिंग और नॉलेज शेयरिंग के लिए नए रास्ते खोले हैं। ये सहयोग आगे चलकर Traditional Medicine को अधिक सुरक्षित, अधिक भरोसेमंद बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

साथियों,

इस समिट में कई अहम विषयों पर सहमति बनना हमारी मजबूत साझेदारी का प्रतिबिंब है। रिसर्च को मजबूत करना, Traditional Medicine के क्षेत्र में डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाना, ऐसे रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करना जिन पर पूरी दुनिया भरोसा कर सके। ऐसे मुद्दे Traditional Medicine को बहुत सशक्त करेंगे। यहां आयोजित Expo में डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजी, AI आधारित टूल्स, रिसर्च इनोवेशन, और आधुनिक वेलनेस इंफ्रास्ट्रक्चर, इन सबके जरिए हमें ट्रेडिशन और टेक्नोलॉजी का एक नया collaboration भी देखने को मिला है। जब ये साथ आती हैं, तो ग्लोबल हेल्थ को अधिक प्रभावी बनाने की क्षमता और बढ़ जाती है। इसलिए, इस समिट की सफलता ग्लोबल दृष्टि से बहुत ही अहम है।

साथियों,

पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का एक अहम हिस्सा योग भी है। योग ने पूरी दुनिया को स्वास्थ्य, संतुलन और सामंजस्य का रास्ता दिखाया है। भारत के प्रयासों और 175 से ज्यादा देशों के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को योग दिवस घोषित किया गया था। बीते वर्षों में हमने योग को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचते देखा है। मैं योग के प्रचार और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले हर व्यक्ति की सराहना करता हूं। आज ऐसे कुछ चुनींदा महानुभावों को पीएम पुरस्कार दिया गया है। प्रतिष्ठित जूरी सदस्यों ने एक गहन चयन प्रक्रिया के माध्यम से इन पुरस्कार विजेताओं का चयन किया है। ये सभी विजेता योग के प्रति समर्पण, अनुशासन और आजीवन प्रतिबद्धता के प्रतीक हैं। उनका जीवन हर किसी के लिए प्रेरणा है। मैं सभी सम्मानित विजेताओं को हार्दिक बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

मुझे ये जानकर भी अच्छा लगा कि इस समिट के आउटकम को स्थायी रूप देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया हैं। Traditional Medicine Global Library के रूप में एक ऐसा ग्लोबल प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है, जो ट्रेडिशनल मेडिसिन से जुड़े वैज्ञानिक डेटा और पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स को एक जगह सुरक्षित करेगा। इससे उपयोगी जानकारी हर देश तक समान रूप से पहुंचने का रास्ता आसान होगा। इस Library की घोषणा भारत की G20 Presidency के दौरान पहली WHO Global Summit में की गई थी। आज ये संकल्प साकार हो गया है।

साथियों,

यहां अलग-अलग देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने ग्लोबल पार्टनरशिप का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। एक साझेदार के रूप में आपने Standards, safety, investment जैसे मुद्दों पर चर्चा की है। इस संवाद से जो Delhi Declaration इसका रास्ता बना है, वो आने वाले वर्षों के लिए एक साझा रोडमैप की तरह काम करेगा। मैं इस joint effort के लिए विभिन्न देशों के माननीय मंत्रियों की सराहना करता हूं, उनके सहयोग के लिए मैं आभार जताता हूं।

साथियों,

आज दिल्ली में WHO के South-East Asia Regional Office का उद्घाटन भी किया गया है। ये भारत की तरफ से एक विनम्र उपहार है। ये एक ऐसा ग्लोबल हब है, जहां से रिसर्च, रेगुलेशन और कैपेसिटी बिल्डिंग को बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

भारत दुनिया भर में partnerships of healing पर भी जोर दे रहा है। मैं आपके साथ दो महत्वपूर्ण सहयोग साझा करना चाहता हूं। पहला, हम बिमस्टेक देशों, यानी दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में हमारे पड़ोसी देशों के लिए एक Centre of Excellence स्थापित कर रहे हैं। दूसरा, हमने जापान के साथ एक collaboration शुरू किया है। ये विज्ञान, पारंपरिक पद्धितियों और स्वास्थ्य को एक साथ जोड़ने का प्रयास है।

साथियों,

इस बार इस समिट की थीम है- ‘Restoring Balance: The Science and Practice of Health and Well-being’, Restoring Balance, ये holistic health का फाउंडेशनल थॉट रहा है। आप सब एक्स्पर्ट्स अच्छी तरह जानते हैं, आयुर्वेद में बैलेन्स, अर्थात् संतुलन को स्वास्थ्य का पर्याय कहा गया है। जिसके शरीर में ये बैलेन्स बना रहता है, वही स्वस्थ है, वही हेल्दी है। आजकल हम देख रहे हैं, डायबिटीज़, हार्ट अटैक, डिप्रेशन से लेकर कैंसर तक अधिकांश बीमारियों के background में lifestyle और imbalances एक प्रमुख कारण नजर आ रहा है। Work-life imbalance, Diet imbalance, Sleep imbalance, Gut Microbiome Imbalance, Calorie imbalance, Emotional Imbalance, आज कितने ही global health challenges, इन्हीं imbalances से पैदा हो रहे हैं। स्टडीज़ भी यही प्रूव कर रही हैं, डेटा भी यही बता रहा है कि आप सब हेल्थ एक्स्पर्ट्स कहीं बेहतर इन बातों को समझते हैं। लेकिन, मैं इस बात पर जरूर ज़ोर दूँगा कि ‘Restoring Balance, आज ये केवल एक ग्लोबल कॉज़ ही नहीं है, बल्कि, ये एक ग्लोबल अर्जेंसी भी है। इसे एड्रैस करने के लिए हमें और तेज गति से कदम उठाने होंगे।

साथियों,

21वीं सदी के इस कालखंड में जीवन के संतुलन को बनाए रखने की चुनौती और भी बड़ी होने वाली है। टेक्नोलॉजी के नए युग की दस्तक AI और Robotics के रूप में ह्यूमन हिस्ट्री का सबसे बड़ा बदलाव आने वाले वर्षों में जिंदगी जीने के हमारे तरीके, अभूतपूर्व तरीके से बदलने वाले हैं। इसलिए हमें ये भी ध्यान रखना होगा, जीवनशैली में अचानक से आ रहे इतने बड़े बदलाव शारीरिक श्रम के बिना संसाधनों और सुविधाओं की सहूलियत, इससे human bodies के लिए अप्रत्याशित चुनौतियां पैदा होने जा रही हैं। इसलिए, traditional healthcare में हमें केवल वर्तमान की जरूरतों पर ही फोकस नहीं करना है। हमारी साझा responsibility आने वाले future को लेकर के भी है।

साथियों,

जब पारंपरिक चिकित्सा की बात होती है, तो एक सवाल स्वाभाविक रूप से सामने आता है। ये सवाल सुरक्षा और प्रमाण से जुड़ा है। भारत आज इस दिशा में भी लगातार काम कर रहा है। यहां इस समिट में आप सभी ने अश्वगंधा का उदाहरण देखा है। सदियों से इसका उपयोग हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में होता रहा है। COVID-19 के दौरान इसकी ग्लोबल डिमांड तेजी से बढ़ी और कई देशों में इसका उपयोग होने लगा। भारत अपनी रिसर्च और evidence-based validation के माध्यम से अश्वगंधा को प्रमाणिक रूप से आगे बढ़ा रहा है। इस समिट के दौरान भी अश्वगंधा पर एक विशेष ग्लोबल डिस्कशन का आयोजन किया गया। इसमें international experts ने इसकी सुरक्षा, गुणवत्ता और उपयोग पर गहराई से चर्चा की। भारत ऐसी time-tested herbs को global public health का हिस्सा बनाने के लिए पूरी तरह कमिटेड होकर काम कर रहा है।

साथियों,

ट्रेडिशनल मेडिसिन को लेकर एक धारणा थी कि इसकी भूमिका केवल वेलनेस या जीवन-शैली तक सीमित है। लेकिन आज ये धारणा तेजी से बदल रही है। क्रिटिकल सिचुएशन में भी ट्रेडिशनल मेडिसिन प्रभावी भूमिका निभा सकती है। इसी सोच के साथ भारत इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि आयुष मंत्रालय और WHO-Traditional Medicine Center ने नई पहल की है। दोनों ने, भारत में integrative cancer care को मजबूत करने के लिए एक joint effort किया है। इसके तहत पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को आधुनिक कैंसर उपचार के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। इस पहल से evidence-based guidelines तैयार करने में भी मदद मिलेगी। भारत में कई अहम संस्थान स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे ही गंभीर विषयों पर क्लिनिकल स्टडीज़ कर रहे हैं। इनमें अनीमिया, आर्थराइटिस और डायबिटीज़ जैसे विषय भी शामिल हैं। भारत में कई सारे स्टार्ट-अप्स भी इस क्षेत्र में आगे आए हैं। प्राचीन परंपरा के साथ युवाशक्ति जुड़ रही है। इन सभी प्रयासों से ट्रेडिशनल मेडिसिन एक नई ऊंचाई की तरफ बढ़ती दिख रही है।

साथियों,

आज पारंपरिक चिकित्सा एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। दुनिया की बड़ी आबादी लंबे समय से इसका सहयोग लेती आई है। लेकिन फिर भी पारंपरिक चिकित्सा को वो स्थान नहीं मिल पाया था, जितना उसमें सामर्थ्य है। इसलिए, हमें विज्ञान के माध्यम से भरोसा जीतना होगा। हमें इसकी पहुंच को और व्यापक बनाना होगा। ये जिम्मेदारी किसी एक देश की नहीं है, ये हम सबका साझा दायित्व है। पिछले तीन दिनों में इस समिट में जो सहभागिता, जो संवाद और जो प्रतिबद्धता देखने को मिली है, उससे ये विश्वास गहरा हुआ है कि दुनिया इस दिशा में एक साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार है। आइए, हम संकल्प लें कि पारंपरिक चिकित्सा को विश्वास, सम्मान और जिम्मेदारी के साथ मिलकर के आगे बढ़ाएंगे। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।