Text of PM's remarks at launch of Social Security Schemes

Published By : Admin | May 9, 2015 | 22:12 IST

उपस्थित सभी महानुभाव,

यह कार्यक्रम कलकत्ता के एक सभागृह में हो रहा है, लेकिन देश के 115 स्था नों पर simultaneous यह कार्यक्रम चल रहा है। उस कार्यक्रम में उपस्थित भी सभी महानुभाव को मैं अपना प्रणाम करता हूं।

आज पूज्य। गुरूदेव रविंद्रनाथ टैगोर की जन्म जयंती का पावन पर्व है। बंगाल का स्म>रण करते हुए हर एक हिंदुस्ताटनी का सिर ऊंचा हो जाता है, आंखों में चमक आ जाती है, सीना चौड़ा हो जाता है। भारत के ऐतिहासिक जीवन की अनेक घटनाएं हैं, जिसकी प्रेरणा इस धरती से मिली। अगर परिवर्तन का कहीं प्रारंभ हुआ तो इसी धरती से हुआ। और गोखले जी कहा करते थे कि बंगाल जो आज सोचता है, हिंदुस्ताीन बाद में वही सोचता है।

और यह धरती एक समय था जब हिंदुस्ता्न की आर्थिक विकास की पूरी बागडोर उसके हाथ में थी। भारत की आर्थिक गतिविधि बंगाल से केंद्रित होती थी। इस धरती की विशेषता रही है कि मां दुर्गा की पूजा में तो लीन रहते हैं। लेकिन इसे सरस्वषती का भी आर्शीवाद है और साथ-साथ लक्ष्मी का भी आशीर्वाद है। और जहां सरस्वाती और लक्ष्मीm दोनों को आशीर्वाद मिले हो ऐसी यह धरती रही है। औद्योगिक जगत में भी manufacturing sector की बात करें, यही धरती है जिसने बहुत बड़ा योगदान किया है।

और अभी आदरणीय मुख्यजमंत्री जी अपने भाषण में उल्ले ख कर रहीं थी कि गांवों में बैंक भी नहीं है। 60 साल का हिसाब है यह। उनकी पीड़ा बहुत स्वालभाविक है, मैं भी उसमें अपना स्वनर जोड़ता हूं। लेकिन उन्हों ने यह बात मेरे सामने रखी, क्योंतकि उनको भरोसा है, अगर करेगा तो यही करेगा। आप कल्पूना कर सकते हैं कि देश में गरीबों के लिए बैंकों का राष्ट्री यकरण किया गया था। लेकिन इस देश के गरीब को कभी हमें बैंकों में देखने का अवसर नहीं मिला था।

आज भी यह जो स्कीाम लेकर के हम आए हैं, 80 से 90 Percent इस देश के लोग हैं, जिनको कोई insurance नहीं है, जिनको कोई पेंशन की संभावना नहीं है। सवा सौ करोड़ का देश, 80-90 प्रतिशत जनसंख्या, इन सामान्य आवश्यकताओं की पूर्ति उसके भाग्य में न लिखी हो तो कितनी पीड़ा होती है। और ये सारी योजनाएं जन्म ले रही हैं, आ रही हैं, वो गरीबों के प्रति हमारे दायित्व में से एक है, गरीबों के प्रति संवेदना में से एक है। और हम विकास कितना ही करें, नई ऊंचाइयों को कितना ही पाएं, प्राप्त करें। लेकिन अगर इसके सुफल गरीबों की झोंपड़ी तक नहीं पहुंचते हैं तो विकास अधूरा है। और इसलिए एक तरफ हम विकास की नई ऊंचाइयों को छूने के लिए सारी दुनिया को झकझोर रहे हैं, Make in India के लिए प्रेरित कर रहे हैं तो दूसरी तरफ गरीब से गरीब का बैंक का खाता खुले इसके लिए दिन-रात कोशिश करते हैं। और मुझे खुशी है कि जब प्रधानमंत्री जन-धन योजना हम लेकर के हम आए, 15 अगस्त को मैंने घोषित किया, 26 जनवरी तक पूरा करने की कल्पना थी, लेकिन देश के बैंकों में काम करने वाले सभी मित्रों ने इतनी मदद की, एक ऐसा जनांदोलन बन गया। 15 करोड़ नए खाते खोल दिए और आज देश में करीब-करीब 95 percent से ज्यादा लोग अर्थव्यवस्था की जो मुख्यधारा होती है Banking Sector उससे जुड़ गए हैं। जो कभी आधे भी नहीं थे।

ये काम सौ-सवा सौ दिन में पूरा कर दिया गया। और मैंने गरीबों को कहा था कि ये देश आपके लिए हैं, सरकार आपके लिए हैं, बैंक आपके लिए हैं। आपको एक पैसा देना नहीं है, बैंक का खाता खोलना है, Zero balance से। लेकिन गरीबों में अमीरी बहुत होती है। अमीरों की गरीबी की चर्चा करने की तो हिम्मत लोगों में कम होती है, लेकिन गरीबों की अमीरी की चर्चा मैं आज करना चाहता हूं। हमने तो कहा था Zero balance से खाते खोल देंगे। लेकिन मैं आज उन गरीबों को सलाम करता हूं कि उन्होंने मन में सोचा कि ये तो अच्छा नहीं है, ये तो हमें शोभा नहीं देता है। और मैं आज गर्व से कहता हूं कि ये जो 15 करोड़ बैंक खाते खुले उसमें 15 हजार 800 करोड़ रुपए राशि गरीबों ने जमा कर दी।

इस देश के गरीबों की अमीरी की ताकत देखिए। और तब जाकर के मन करता है, इन गरीबों के लिए कुछ करते रहना चाहिए। और मेरा ये विश्वास है, गरीबों को सहारा नहीं चाहिए। हमें हमारी सोच बदलनी होगी, हमारे कार्यकलाप बदलने होंगे, हमारे तौर-तरीके बदलने होंगे। गरीबों को सहारा नहीं चाहिए, गरीबों को शक्ति चाहिए। अगर उसको शक्ति मिलेगी तो गरीब गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है और गरीबी से मुक्ति का आनंद लेने के लिए वो पूरी शक्ति लगाने के लिए तैयार है, उसे शक्ति देने की आवश्यकता है।

और आज जब गुरुदेव रविंद्र नाथ जी की जन्म जयंती की अवसर पर मैं बोल रहा हूं तब गुरुदेव ने 1906 में आत्मत्राण इस कविता में जो लिखा था, मैं समझता हूं 1906 की वो बात आज 2015 में भी हमें लागू हो रही है। गुरुदेव ने कहा था “It is not my prayer that you will save me from difficulties, give me the strength to overcome the difficulty. do not take away my burden or console me, give me the capacity to bear my burden” - यह बात गुरूदेव जी ने कही थी। और आज हमारा संकल्पe है उस आदेश का पालन करना जो गुरूदेव ने दिया है। और उसी में से यह योजना और कलकत्तेi की धरती पर हो रहा है। क्योंिकि मुझे विश्वांस है, जो चीज इस धरती से प्रारंभ होती है वो फिर आगे बढ़ती ही बढ़ती जाती है, परिणाम मिलता ही मिलता है। और रविंद्रनाथ जी के गुरूदेव की जन्मढ जंयती पर कोई चीज प्रारंभ होती हो और उन्होंंने जो भावना व्यिक्त की थी उसी की अभिव्य क्ति होती हो तो मुझे विश्वारस है गुरूदेव के आशीर्वाद इस योजना को सफल बनाएंगे और देश के गरीबों एक नई शक्ति प्राप्ति करने का अवसर प्रतिपादित होगा। यह मेरा पूरा विश्वारस है।

हमने जब प्रधानमंत्री जनधन योजना शुरू की तब कई लोगों को लग रहा था कि क्या् होगा, कैसे होगा लेकिन आज अनुभव यह आ रहा है कि गरीबों के लिए एक के बाद एक योजनाएं - एक बार बैंक खाता खुल गया, तो हम बात वहां रोकना नहीं चाहते। वो तो हमारा foundation था हम एक के बाद एक हमारी बातें unfold करते चले जा रहे हैं। हमने कहा आपको हैरानी होगी, इस देश में कुछ लोगों को सरकारी पेंशन मिलता है करीब 35 लाख लोग, करीब-करीब 35 लाख लोग और कितना पेंशन मिलता था? किसी को सात रुपया, किसी को 20 रुपया, किसी को सवा सौ, किसी को ढ़ाई सौ। बेचारे को पेंशन लेने के लिए जाना है इस उम्र में ऑटो रिक्शास में जाए या बस में जाए तो पेंशन से ज्याकदा खर्चा उसका बस में जाने से होता था। लेकिन यह चल रहा था। हमने आकर तय किया कि जिसको भी पेंशन मिलता है एक हजार से कम किसी को नहीं होगा। और हमने देना प्रारंभ कर दिया है। क्यों ? गरीब सम्माान से जीए, उसे शक्ति चाहिए। वो शक्ति देना का प्रयास उसको हमने आगे बढ़ाया।

हमारे देश में कभी-कभी लोगों को लगता है कि ये जो बहुत बड़े-बड़े औद्योगिक घराने हैं न वो देश में बहुत बड़ी आर्थिक क्रांति करते हैं। यह बहुत बड़ा भ्रम है। उनका योगदान है लेकिन बहुत सीमित है। देश के अर्थतंत्र को कौन चलाता है? जो छोटा-सा कारोबार करने वाला व्योक्ति है, चौराहे पर खड़े रहकर के सब्जीह बेचता है, धोबी की दुकान चलाता है, biscuit बेचता है, चाय-पान का गल्लाह चलाता है, कपड़े बेचता है, readymade garment बेचता है। छोटे-छोटे लोग! हिंदुस्ताान में करीब साढ़े पांच करोड़ से ज्याेदा ये लोग देश को अर्थतंत्र को गति देते हैं। और बड़े-बड़े औद्योगिक घराने बहुत कम लोगों को रोजगार देते हैं, यह पांच-साढ़े पांच करोड़ जो छोटे काम करने वाले लोग हैं, वे करीब 14 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं, आप कल्पोना कर सकते हैं यानि 14 करोड़ परिवारों का पेट भरने का काम इनके द्वारा होता है। और उनकी Total संपदा जो है इतने सारे लोगों की बहुत ज्या दा नहीं है। कोई 11-12 लाख करोड़ रुपया है। और वो जो पैसा उनको चाहिए interest से, बाजार से - कोई बैंक वाला उनको पैसा नहीं देता है, व्याोपारी बड़े छोटे हैं। इन सबका average जो कर्ज है वो seventeen thousand rupees है, average अगर निकाली जाए तो seventeen thousand. उनको साहूकारों से पैसा लेना पड़ता है। उस प्रकार की कंपनियों के वहां जाना पड़ता है पैसा लेने के लिए कि जिसमें उनका खून चूस लिया जाता है। हम गरीबों की भलाई के लिए काम करने वाली सरकार होने के कारण हम एक मुद्रा बैंक का Concept इस बजट में लाए हैं और बजट में लाए इतना ही नहीं अभी तो बजट सत्र चल रहा है, वो मुद्रा बैंक का काम आरंभ हो गया। और उसके अंतर्गत ये जो साढ़े पांच करोड़ सामान्य लोग हैं, जिनको 5 हजार, 10 हजार रुपया भी मिल जाए तो बहुत तेजी से अपने काम को बढ़ा सकते हैं। उनको बैंक loan देने के लिए एक बहुत बड़ा अभियान हमने चलाया है। उनको पैसे मिलने चाहिए, सरकार सामने से जाकर के पूछ रही है कि बताओ भाई तुम्हारे आगे बढ़ने की कोई योजना है क्या? गरीबों के लिए काम करना है, एक के बाद एक कैसे काम होते हैं।

उसी प्रकार से हमारे यहां, हम Corruption के खिलाफ भी बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं, एक ऐसी क्रांति ला रहे हैं जो इस प्रकार के Leakages को अपने आप ताले लग जाएंगे। हमारे यहां गैस सिलिंडर लेने वाले को सब्सिडी मिलती है। अमीर हो, गरीब हो सबको सब्सिडी मिलती है। हमने तय किया कि सब्सिडी Direct बैंक के खाते में जाएगी। जन-धन account खोल दिए, और उस बैंक के खाते में जिसके पास गैस सिलिंडर, Direct सब्सिडी जाएगी, ये दुनिया का सबसे बड़ा विक्रम है कि करीब 12 करोड़ से ज्यादा लोगों के खाते में भारत सरकार सीधी-सीधी गैस सिलिंडर की सब्सिडी देती है। और उसके कारण पहले किसी न किसी नाम से सब्सिडी जाती थी वो सारा बंद हो गया, पहले की तुलना में बहुत बड़ा फर्क आया है। आकंड़ा में बोलना नहीं चाहता हूं इसलिए क्योंकि मैं चाहता हूं कुछ खोज करने वाले लोग इसको खोजें, आप कल्पना नहीं कर सकते हैं अरबों-खरबों रुपयों का leakage था, अरबों-खरबों रुपयों का, जो हमने रोक दिया।

जन-धन account खुलते ही उसको follow-up में किस प्रकार से काम होता है, इसके ये उदाहरण है। और आज तीन नई योजनाएं हैं। हमारे देश, हम जब मुद्रा बैंक लाए तो हमने कहा था “Funding the Unfunded” जिनको Fund नहीं मिलता है, जिनके पैसे नहीं मिलते हैं, उनको Fund देंगे। जब हम जन-धन योजना लेकर के आए तो हमने कहा था, जिसको Banking की व्यवस्था नहीं है, उसको Banking की व्यवस्था, जिसका खाता नहीं, उसका खाता खोलेंगे और आज हम आए हैं कि जिसको सुरक्षा का कवच नहीं है, उसको हम सुरक्षा का कवच देंगे।

एक योजना है प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना - अभी फिल्म में हमने देखा, बड़ा चोट पहुंचाने वाला dialogue था कि 12 रुपए में कफन भी नहीं मिलता है। 12 रुपए में दो लाख रुपए की Insurance scheme हम लेकर के आए हैं, क्योंकि हम चाहते हैं कि देश के सामान्य व्यक्ति के जीवन में - क्योंकि संकट अमीर को नहीं आता है, संकट गरीब को आता है, फुटपाथ पर सोता है, बेचारे को मरना पड़ता है, साईकिल लेकर जाता है, मर जाता है, बच्चा स्कूल जाता है, बस के नीचे आता है, मरता है - उनकी सुरक्षा कौन करेगा? और इसलिए एक जागरुकता आए, भागीदारी बने और जैसे रविंद्रनाथ जी टेगौर ने हमें आदेश दिया है, गुरुदेव का आदेश है, उसको शक्ति दो - ये शक्ति देने का प्रयास है।

2 लाख रुपए का Insurance, अगर Injury हो गई, तो दो लाख रुपया भी मिल सकता है, एक लाख रुपया भी मिल सकता है। आप भी सोचिए, आपके यहां ड्राइवर होगा, आपके यहां झाड़ू-पोंछा करने वाले, कोई बाई काम करती होगी, खाना पकाने वाला कोई काम करता होगा। क्या आपको नहीं लगता है कि 12 रुपया खुद आपकी जेब से देकर के, उसको सुरक्षा का बीमा नहीं निकाल सकते आप? मैं इस देश के उन करोड़ों लोगों से आज प्रार्थना करना चाहता हूं कि आप अपनी जेब से, अपने यहां जो काम करने वाले लोग हैं, आपका ड्राइवर है, वो आपकी Society का lift man हो, गरीब लोग जिसके साथ आपका नेता, आपके मोहल्ले में झाडू लगाने आता है। आप उसे कहिए मेरे लिए 12 रुपये कुछ नहीं है। शाम को कभी कॉफी पीने जाता हूं तो 12 रुपये से ज्या दा खर्च करके आ जाता हूं। मैं तेरे लिए खर्च करूंगा। और अगर एक किस्तै बैंक में जमा कर दी और बैंक वालों को कह दिया कि ब्या ज उसका काटते रहिए, मुझे बताइये कि उसके जीवन को कितनी बड़ी सुरक्षा मिलेगी। और वो कभी आपको छोड़कर के जाएगा क्याउ? कभी नहीं जाएगा।

उसी प्रकार से प्रधानमंत्री जीवन ज्योोति बीमा योजना - पहले वाला जो 12 रुपये वाली स्की म में है Natural Calamity में भी अगर किसी के मृत्युन होती है तब भी उसको benefit मिलेगा। अगर आज ऐसी स्की म नेपाल में हुई होती, तो नेपाल में जो हादसा हुआ उसने परिवारजनों को सबको मदद मिल जाती। और Natural Calamity हमारे हाथ में नहीं होती है। उसी प्रकार से प्रधानमंत्री जीवन ज्योीति बीमा योजना 18 से 50 साल के उम्र के लोगों की है। आमतौर पर आपको मालूम है आप insurance निकालने जाए तो पता नहीं कितने डॉक्टेर आपको check करते हैं, कितना Medical checkup होता है - और वो तय करते हैं कि इनको दें या न दें। पता नहीं यह लुढ़क जाएगा तो। यह स्की म ऐसी है आपको सिर्फ form भरना है। अगर आप बीमार भी होंगे तो भी इसको बीमा मिल सकता है। पहली बार इस प्रकार की सोच के साथ हम आए हैं। गरीब से गरीब व्यीक्ति भी और per day एक रुपये से ज्यासदा नहीं है। 330 रुपये एक दिन का एक रुपया। अगर आप अपने ही employee को, even house wife भी अपना insurance निकाल सकती है। आप अपने छोटे-मोटे काम करने वाले अपने घर के साथ दुकान में काम करने वाले लोग, उनसे भी यह करवा सकते हैं। आप विचार कीजिए 330 रुपया एक व्यमक्ति के लिए साल में खर्च करना, न उनके लिए कोई कठिन है, न उनके लिए कोई करे तो भी कठिन नहीं है। लेकिन एक समाज को सुरक्षा देने का एक बहुत बड़ा काम हो सकता है।

तीसरी हमारी योजना आज जिसका हम प्रांरभ कर रहे हैं - अटल पेंशन योजना। आप देखिए कि हिंदुस्तापन में 10-15% लोगों को ही यह नसीब होता है पेंशन। बाकी सबके लिए बुढ़ापा कहां बिताएंगे चिंता का विषय है, कैसे बिताएंगे चिंता का विषय है। हमारे 60 साल से ऊपर के लोगों की जिंदगी कैसी हो? यह योजना ऐसी है जिसको वोट से लेना-देना नहीं है, क्योंीकि यह योजना का लाभ जब वो 60 साल का होगा, तब शुरू होगा। और अभी तो लगेगा हां यार योजना में जोड़ गया, लेकिन जब लाभ मिलना शुरू होगा न तब उसको रविंद्रनाथ टैगोर की याद आएगी, तब यह कोलकाता के कार्यक्रम की याद आएगी - और तब यह प्रसंग याद आएगा कि हां यार उस दिन यह हुआ था। अब बुढ़ापे में बच्चेद तो नहीं देख रहे, लेकिन यह मोदी जी कुछ करके गए थे यार, कुछ काम आ गया। सामान्यच रहते राजनेता उन योजनाओं को लाते हैं जिसके कारण अगले चुनाव में फायदा हो जाए। लेकिन मैं राजनेता नहीं हूं। मैं एक प्रधान सेवक के रूप में आया हूं। और इसलिए आज जो योजना लाया हूं उन नौजवानों के लिए हैं ताकि आप जब 60 साल के होंगे आपको कभी किसी के सहारे की जरूरत न पड़े। आपके भीतर की शक्ति हो, आपकी अपनी शक्ति हो। आप अपना गौरव के साथ बुढ़ापा भी बिता सको।

अगर आपकी आवश्य कता एक हजार रुपये की पेंशन की है तो उसकी स्की म है, दो हजार पेंशन चाहते हो तो उसकी स्कीयम है, तीन हजार पेंशन चाहते है तो उसकी स्की,म है, चार हजार चाहो तो उसकी स्की म है, पांच हजार चाहो तो उसकी स्कीचम है। और जून महीने से मई महीने तक उसका tenure है, उसमें जुड़ने का। बचत आपको करनी है, लेकिन यह पहली बार ऐसी पेंशन स्कीसम है कि सरकार उसमें गांरटी देती है और आपके पैसे कम पड़ गए तो पैसे भरने का जिम्मास सरकार लेती है। अगर आपको उसका रिटर्न कम मिलेगा तो उसकी जिम्मेावारी सरकार लेती है। और उसके कारण, सामान्य गृहणी भी ये अटल पेंशुं योजना के साथ जुड़ सकती है। किसान - कभी किसान ने सोचा है कि मेरे लिए पेंशन हो सकता है? इस योजना के साथ अगर आज 18 से 40 की उम्र का किसान का बेटा जुड़ा जाता है तो वो जब 60 साल का होगा, अपने आप उसका पेंशन आना शुरू हो जाएगी। एक सुरक्षा का माहौल बनेगा और उसी माहौल को बनाने के लिए सामान्य मानव के जीवन में... और खासकर के गरीब और निम्न, मध्यम वर्ग के लोग जो जीवन को एक संतोष के साथ जीना चाहते हैं, उनके लिए सरकार की योजनाएं होनी चाहिए।

और इसलिए वोट की राजनीति से हटकर के भी, समाज में अगर शक्ति पैदा करेंगे तो शक्तिशाली समाज स्वंय गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए एक बहुत बड़ी सेना बनकर के खड़ा हो सकता है। और हमारी कोशिश ये है, हमें गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ना है लेकिन उस लड़ाई लड़ने के लिए हमारे सिपाही, हम गरीबों को वो ताकत देना चाहते हैं, वो स्वंय इस गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए हमारे सिपाही बनेंगे।

और इसलिए गरीबों के कल्याण के लिए आज इन तीन योजनाओं का आरंभ हो रहा है। मुझे विश्वास है कि देश के गरीब 115 स्थान पर इस कार्यक्रम को जो सुन रहे हैं। आज कार्यक्रम का आरंभ हो रहा है विधिवत रूप से, लेकिन हमने जब प्रधानमंत्री जन-धन योजना शुरू की थी तो एक हफ्ते पहले ट्रायल शुरू किया था कि भई देखो कैसे मामला गाड़ी चलती है। और तब हमारा अनुभव था प्रथम सप्ताह में जब हमने काम किया शुरू, नया था, लोगों को समझाना था। लेकिन एक सप्ताह के अंदर हम करीब 1 करोड़ लोगों के बैंक खाते खोलने में सफल हुए थे। वो भी अपने आप में एक बहुत बड़ा record था। इस बार भी हमने 1 मई से Trail basis पर काम शुरू किया था। बहुत बड़ा announcement नहीं किया था, ऐसे ही शुरू किया था। और आज मुझे गर्व के साथ कहना है कि इस 1 मई से शुरू किया हमने, इस 7 दिन के भीतर-भीतर 5 करोड़, 5 लाख लोगों ने enrolment करा दिया है।

ये अपने आप में सरकार की बातों पर भरोसा कितना है, स्वंय की सुरक्षा के लिए सामान्य मानव जुड़ने के लिए कितना आतुर है और हमारे banking sector के लोग भी सरकार के इस काम को करने के लिए कितने उमंग और उत्साह के साथ जुड़ रहे हैं, इसका ये जीता-जागता उदाहरण है। और मैं पश्चिम बंगाल को भी बधाई देता हूं, ये 5 करोड़, 5 लाख में, 42 लाख पश्चिम बंगाल में भी है, 42 lakhs. आने वाले दिनों में... क्योंकि 1 जून से योजना विधिवत रूप से प्रारंभ होने वाली है। अधिकतम लोगों से मेरा आग्रह है कि 1 जून के पहले इस योजना का लाभ लेने के लिए अपने निकट बैंकों का संपर्क करके, वो जुड़ें। और अटल पेंशन योजना में सरकार की तरफ से जो special incentive दिया जा रहा है, जिसमें सरकार आपको गारंटी दे रही है, सरकार कुछ न कुछ धन दे रही है, ये 31 December तक है। मैं चाहता हूं कि 31 December तक अटल पेंशन योजना में जो भारत सरकार का आपको योगदान मिल रहा है उसका फायदा उठाइए, जून महीने से कार्यक्रम प्रारंभ हो रहा है लेकिन इस बार हमने 30 अगस्त तक उसको लंबा किया है। तो मैं चाहूंगा कि 30 अगस्त के पहले इन तीन योजनाओं में सर्वाधिक लोग जुड़ें।

मुझे विश्वास है कि एक ऐसी सुरक्षा की व्यवस्था हम लेकर के आए हैं जो मूलतः गरीबों के लिए है, सामान्य मानव के लिए है और जो संपन्न लोग हैं, वे भी अपने यहां काम करने वाले लोगों के लिए इस काम में जुड़कर के अपने यहां काम करने वाले और कुछ तो परिवार ऐसे होते हैं दो-दो पीढ़ी तक एक परिवार उनके यहां काम करता है। ड्राइवर होंगे तो तीन पीढ़ी से ड्राइवर उनके यहीं काम करने वाले होंगे, एक प्रकार से वो परिवार के अंग बन जाते हैं। सरकार की ये योजना आपके माध्यम से गरीब की सेवा का एक कारण बन सकता है, आपके जीवन में भी संतोष का कारण बन सकता है। और आखिरकर ये धरती ऐसी है स्वामी विवेकानंद ने हमें दरिद्र नारायण की सेवा करने की प्रेरणा दी थी। ये धरती ऐसी है जहां से रामकिशन मिशन के द्वारा आज भी गरीबों के कितने सेवा के काम हो रहे हैं। हम भी उस संकल्प को लेकर के आगे बढ़ें, इस व्यवस्था का फायदा उठाएं, जन-धन की योजना को जन-कल्याण में परिवर्तित करें। इसी एक अपेक्षा के साथ मैं आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद।

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ॐ.. माता वैष्णो देवी दे चरने च मत्था टेकना जय माता दी!

जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा जी, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी अश्विनी वैष्णव जी, जितेंद्र सिंह, वी सोमन्ना जी, डिप्टी सीएम सुरेंद्र कुमार जी, जम्मू कश्मीर विधानसभा में नेता विपक्ष सुनील जी, संसद में मेरे साथी जुगल किशोर जी, अन्य जनप्रतिनिधिगण और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों। वीर जोरावर सिंह जी की यह भूमि है, मैं इस धरती को प्रणाम करता हूं।

साथियों,

आज का ये कार्यक्रम भारत की एकता और भारत की इच्छाशक्ति का विराट उत्सव है। माता वैष्णो देवी के आशीर्वाद से आज वादी-ए-कश्मीर भारत के रेल नेटवर्क से जुड़ गई है। मां भारती का वर्णन करते हुए हम श्रद्धाभाव से कहते आए हैं- कश्मीर से कन्याकुमारी। ये अब रेलवे नेटवर्क के लिए भी हकीकत बन गया है। उधमपुर, श्रीनगर, बारामुला, ये रेल लाइन प्रोजेक्ट, ये सिर्फ नाम नहीं है। ये जम्मू कश्मीर के नए सामर्थ्य की पहचान है। भारत के नए सामर्थ्य का जयघोष है। थोड़ी देर पहले मुझे चिनाब ब्रिज और अंजी ब्रिज का लोकार्पण करने का अवसर मिला है। आज ही दो नई वंदे भारत ट्रेनें जम्मू कश्मीर को मिली हैं। यहां जम्मू में नए मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास हुआ है। 46 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्टस जम्मू और कश्मीर के विकास को नई गति देंगे। मैं आप सभी लोगों को विकास के नए दौर के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

जम्मू कश्मीर की अनेक पीढ़ियां रेल कनेक्टिविटी का सपना देखते देखते गुजर गई। मैं कल सीएम उमर अब्दुल्ला जी का एक बयान देख रहा था और अभी भाषण में भी बताया, वो भी बोले थे कि जब वो सातवीं-आठवीं में पढ़ते थे, तब से इस प्रोजेक्ट के पूरा होने का इंतजार कर रहे थे। आज जम्मू कश्मीर के लाखों लोगों का सपना पूरा हुआ है। और ये भी हकीकत है, जितने अच्छे काम हैं ना, वो मेरे लिए ही बाकी रहे हैं।

साथियों,

ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि इस प्रोजेक्ट ने हमारे कार्यकाल में गति पकड़ी और हमने इसे पूरा करके दिखाया। बीच में कोविड के कालखंड के कारण भी अनेक मुसीबतें आई, लेकिन हम डटे रहे।

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साथियों,

रास्ते में आने जाने की मुश्किलें, मौसम की परेशानी, लगातार पहाड़ों से गिरते पत्थर, ये प्रोजेक्ट पूरा करना मुश्किल था, चुनौतीपूर्ण था। लेकिन हमारी सरकार ने चुनौती को ही चुनौती देने का रास्ता चुना है। आज जम्मू कश्मीर में बन रहे अनेकों ऑल वेदर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट इसका उदाहरण हैं। कुछ महीने पहले ही सोनमर्ग टनल शुरू हुई है। अभी कुछ देर पहले ही मैं चिनाब और अंजी ब्रिज से होकर आपके बीच आया हूं। इन पुलों पर चलते हुए मैंने भारत के बुलंद इरादों को, हमारे इंजीनियर्स, हमारे श्रमिकों के हुनर और हौसलों को जीया है। चिनाब ब्रिज, दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज है। लोग फ्रांस में, पैरिस में एफिल टावर देखने के लिए जाते हैं। औऱ ये ब्रिज एफिल टावर से भी बहुत ऊंचा है। अब लोग चिनाब ब्रिज के ज़रिए कश्मीर देखने तो जाएंगे ही, ये ब्रिज भी अपने आप में एक आकर्षक टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनेगा। सब लोग सेल्फी प्वाइंट पर जाकर के सेल्फी निकालेंगे। हमारा अंजी ब्रिज भी इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना है। ये भारत का पहला केबल सपोर्टेड रेलवे ब्रिज है। ये दोनों ब्रिज सिर्फ ईंट, सीमेंट, स्टील और लोहे के ढांचे नहीं हैं, ये पीर पंजाल की दुर्गम पहाड़ियों पर खड़ी, भारत की शक्ति का जीवंत प्रतीक है। ये भारत के उज्ज्वल भविष्य की सिंहगर्जना है। ये दिखाता है, विकसित भारत का सपना जितना बड़ा है, उतना ही बुलंद हमारा हौसला है, हमारा सामर्थ्य है। और सबसे बड़ी बात नेक इरादा है, अपार पुरुषार्थ है।

साथियों,

चिनाब ब्रिज हो या फिर अंजी ब्रिज, ये जम्मू की और कश्मीर की, दोनों क्षेत्रों की समृद्धि का ज़रिया बनेंगे। इससे टूरिज्म तो बढ़ेगा ही, इकॉनॉमी के दूसरे सेक्टर्स को भी लाभ होगा। जम्मू और कश्मीर की रेल कनेक्टिविटी, दोनों क्षेत्रों के कारोबारियों के लिए नए अवसर बनाएगी। इससे यहां की इंडस्ट्री को गति मिलेगी, अब कश्मीर के सेब कम लागत में देश के बड़े बाजारों तक पहुंच पाएंगे और समय पर पहुंच पाएंगे। सूखे मेवे हों या पश्मीना शॉल, यहां का हस्तशिल्प अब आसानी से देश के किसी भी हिस्से तक पहुंच पाएगा। इससे जम्मू कश्मीर के लोगों को देश के दूसरे हिस्सों में आना-जाना भी बहुत आसान होगा।

साथियों,

मैं यहां संगलदान के एक स्टूडेंट का अखबार में कमेंट पढ़ रहा था। उस स्टूडेंट ने कहा कि उसके गांव के उन्हीं लोगों ने अब तक ट्रेन देखी थी, जो गांव से बाहर गए थे। गांव के ज्यादातर लोगों ने ट्रेन का सिर्फ वीडियो ही देखा था। उन्हें अब तक यकीन ही नहीं हो रहा, कि असली ट्रेन उनकी आंखों के सामने से गुजरेगी। मैंने ये भी पढ़ा कि बहुत से लोग ट्रेनों के आने-जाने का टाइम याद कर रहे हैं। एक और बिटिया ने बड़ी अच्छी बात कही, उस बिटिया ने कहा- अब मौसम नहीं तय करेगा कि रास्ते खुलेंगे या बंद रहेंगे, अब ये नई ट्रेन सेवा, हर मौसम में लोगों की मदद करती रहेगी।

साथियों,

जम्मू-कश्मीर, मां भारती का मुकुट है। ये मुकुट एक से बढ़कर एक खूबसूरत रत्नों से जड़ा हुआ है। ये अलग-अलग रत्न जम्मू-कश्मीर का सामर्थ्य हैं। यहां की पुरातन संस्कृति, यहां के संस्कार, यहां की आध्यात्मिक चेतना, प्रकृति का सौंदर्य, यहां की जड़ी-बूटियों का संसार, फलों और फूलों का विस्तार, यहां के युवाओं में, आप लोगों में जो टैलेंट है, वो मुकुट मणि की तरह चमकता है।

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साथियों,

आप भलीभाँति जानते हैं, मैं दशकों से जम्मू औऱ कश्मीर आता जाता रहा हूं, interior इलाकों में मुझे जाने का, रहने का अवसर मिला है। मैंने इस सामर्थ्य को लगातार देखा है, महसूस किया है और इसलिए मैं पूरे समर्पण भाव के साथ जम्मू-कश्मीर के विकास में जुटा हूं।

साथियों,

जम्मू-कश्मीर, भारत की शिक्षा और संस्कृति का गौरव रहा है। आज भारत, दुनिया के बड़े नॉलेज हब्स में से एक, हमारा जम्मू कश्मीर बन रहा है, तो इसमें जम्मू कश्मीर की भागीदारी भी भविष्य में भी बढ़ने वाली है। यहां IIT, IIM, AIIMS और NIT जैसे संस्थान हैं। जम्मू और श्रीनगर में सेंट्रल यूनिवर्सिटीज हैं। जम्मू और कश्मीर में रिसर्च इकोसिस्टम का भी विस्तार हो रहा है।

साथियों,

यहां पढ़ाई के साथ-साथ दवाई के लिए भी अभूतपूर्व काम हो रहे हैं। बीते कुछ सालों में ही, दो स्टेट लेवल के कैंसर संस्थान बने हैं। पिछले पाँच वर्षों में यहां सात नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। आप भी जानते हैं, जब मेडिकल कॉलेज खुलता है तो उससे मरीजों के साथ ही उस क्षेत्र के युवाओँ को भी सबसे ज्यादा फायदा मिलता है। जम्मू-कश्मीर में अब MBBS सीटों की संख्या 500 से बढ़कर 1300 तक पहुंच गई है। मुझे खुशी है कि अब रियासी जिले को भी नया मेडिकल कॉलेज मिलने जा रहा है। श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस, ये आधुनिक अस्पताल तो है, ये दान-पुण्य करने की हमारी जो संस्कृति है, उसका भी उदाहरण है। इस मेडिकल कॉलेज को बनाने में जो राशि लगी है, उसके लिए भारत के कोने-कोने से, माता वैष्णों देवी के चरणों में आने वाले लोगों ने दान दिया हुआ है। मैं श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को, उनके अध्यक्ष मनोज जी को इस पवित्र कार्य के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। इस अस्पताल की क्षमता भी 300 बेड से बढ़ाकर 500 बेड की जा रही है। कटरा में माता वैष्णो देवी के दर्शन करने आने वाले लोगों को भी इससे बहुत सहूलियत रहने वाली है।

साथियों,

केंद्र में भाजपा-एनडीए की सरकार को अब 11 साल हो रहे हैं। ये 11 साल, गरीब कल्याण के नाम समर्पित रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना से 4 करोड़ गरीबों का पक्के घर का सपना पूरा हुआ है। उज्ज्वला योजना से 10 करोड़ रसोइयों, उसमें धुएं का अंत हुआ है, हमारी बहनों को, बेटियों को, उनकी सेहत की रक्षा हुई है। आयुष्मान भारत योजना से 50 करोड़ गरीबों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिला है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना से हर थाली में भरपेट अनाज सुनिश्चित हुआ है। जनधन योजना से पहली बार 50 करोड़ से ज्यादा गरीबों के लिए बैंक का दरवाज़ा खुला है। सौभाग्य योजना से अंधेरे में जी रहे ढाई करोड़ परिवारों में बिजली की रोशनी पहुंची है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने 12 करोड़ शौचालयों ने खुले में शौच की मजबूरी से मुक्ति दिलाई है। जल जीवन मिशन से 12 करोड़ नए घरों में नल से जल पहुंचने लगा है, महिलाओं का जीवन आसान हुआ है। पीएम किसान सम्मान निधि से 10 करोड़ छोटे किसानों को सीधी आर्थिक सहायता मिली है।

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साथियों,

सरकार के ऐसे अनेक प्रयासों से पिछले 11 साल में 25 करोड़ से ज्यादा गरीबों ने, गरीबी को हमारे ही गरीब भाई-बहनों ने, गरीबी के खिलाफ जंग लड़ी और 25 करोड़ गरीब, गरीबी को परास्त करकर के, वियजी होकर के, गरीबी से बाहर निकले हैं। अब वो नए मध्यम वर्ग का हिस्सा बने हैं। जो लोग अपने आप को समाज व्यवस्था के एक्सपर्ट मानते हैं, बड़े एक्सपर्ट मानते हैं, जो लोग अगले पिछले की राजनीति में डूबे रहते हैं, जो लोग दलितों के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेकते रहे हैं, जरा जिन योजनाओं का मैंने सिर्फ उल्लेख किया है, उसकी तरफ नजर कर लीजिए। कौन लोग हैं जिनको ये सुविधाएं मिली हैं, वो कौन लोग हैं जो आजादी के 7-7 दशक तक इन प्राथमिक सुविधाओं से वंचित रहे थे। ये मेरे दलित भाई-बहन हैं, ये मेरे आदिवासी भाई-बहन हैं, ये मेरे पिछड़े भाई-बहन हैं, ये पहाड़ों पर गुजारा करने वाले, ये जंगलों में बसने वाले, झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी पूरी करने वाले, ये वो परिवार हैं, जिनके लिए मोदी ने अपने 11 साल खपा दिए हैं। केंद्र सरकार का प्रयास है कि गरीबों को, नए मध्यम वर्ग को ज्यादा से ज्यादा ताकत दे। वन रैंक वन पेंशन हो, 12 लाख रुपए तक की सैलरी को टैक्स फ्री करना हो, घर खरीदने के लिए आर्थिक सहायता देना हो, सस्ती हवाई यात्रा के लिए मदद देनी हो, हर तरह से सरकार, गरीब और मध्यम वर्ग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।

साथियों,

गरीबों को गरीबी से मुक्ति पाने के लिए उनकी मदद करना, लेकिन ईमानदारी से जीने वाले, देश के लिए समय-समय पर टैक्स देने वाले, मध्यम वर्ग की ताकत बढ़ाना, इसके लिए भी आजादी में पहली बार इतना काम हुआ है, जो हमने करके दिखाया है।

साथियों,

हम अपने यहां नौजवानों के लिए लगातार रोजगार के नए अवसर बढ़ा रहे हैं। और इसका एक अहम जरिया है- टूरिज्म। टूरिज्म से रोजगार मिलता है, टूरिज्म लोगों को जोड़ता है। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे पड़ोस का देश, मानवता का विरोधी, मेलजोल का विरोधी, टूरिज्म का विरोधी, इतना ही नहीं वो ऐसा देश है, गरीब की रोज़ी-रोटी का भी विरोधी है। 22 अप्रैल को पहलगाम में जो कुछ हुआ, वो इसी का उदाहरण है। पाकिस्तान ने पहलगाम में इन्सानियत और कश्मीरियत, दोनों पर वार किया। उसका इरादा भारत में दंगे कराने का था। उसका इरादा कश्मीर के मेहनतकश लोगों की कमाई को रोकना था। इसलिए पाकिस्तान ने टूरिस्ट्स पर हमला किया। वो टूरिज्म, जो बीते 4-5 साल में लगातार बढ़ रहा था, हर साल यहां रिकॉर्ड संख्या में टूरिस्ट आ रहे थे। जिस टूरिज्म से, जम्मू कश्मीर के गरीबों के घर चलते हैं, उसको पाकिस्तान ने निशाना बनाया। कोई घोड़े चलाने वाला, कोई पोर्टर, कोई गाइड, कोई गेस्ट हाउस वाला, कोई दुकान-ढाबा चलाने वाला, पाकिस्तान की साजिश इन सबको तबाह करने की थी। आतंकियों को चुनौती देने वाला नौजवान आदिल, वो भी तो वहां मेहनत-मजदूरी करने गया था, लेकिन अपने परिवार की देख रेख कर सके, इसलिए मेहनत कर रहा था। आतंकियों ने उस आदिल को भी मार दिया।

साथियों,

पाकिस्तान की इस साजिश के खिलाफ जिस प्रकार जम्मू-कश्मीर के लोग उठ खड़े हुए हैं, जम्मू कश्मीर की आवाम ने इस बार जो ताकत दिखाई है, ये सिर्फ पाकिस्तान नहीं, दुनियाभर की आतंकवादी मानसिकता को, जम्मू कश्मीर के लोगों ने कड़ा संदेश दिया है। जम्मू-कश्मीर का नौजवान अब आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने का मन बना चुका है। ये वो आतंकवाद है, जिसने घाटी में स्कूल जलाए, और सिर्फ स्कूल यानी इमारत नहीं जलाई थी, दो-दो पीढ़ी का भविष्य जला दिया था। अस्पताल तबाह किए। जिसने कई पीढ़ियों को बर्बाद किया। यहां जनता अपनी पसंद के नुमाइंदे चुन सके, यहां चुनाव हो सकें, ये भी आतंकवाद के चलते बड़ी चुनौती बन गया था।

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साथियों,

बरसों तक आतंक सहने के बाद जैसे जम्मू-कश्मीर ने इतनी बर्बादी देखी थी कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने सपने देखना ही छोड़ दिया था, आतंकवाद को ही अपना भाग्य मान लिया था। जम्मू-कश्मीर को इस स्थिति से निकालना जरूरी था, और हमने ये करके दिखाया है। आज जम्मू-कश्मीर का नौजवान नए सपने भी देख रहा है और उन्हें पूरे भी कर रहा है। अब कश्मीर का नौजवान बाज़ारों को, शॉपिंग मॉल्स को, सिनेमा हॉल को गुलज़ार देखकर के खुश है। यहां के लोग जम्मू कश्मीर को फिर से फिल्मों की शूटिंग का प्रमुख केंद्र बनते देखना चाहते हैं, इस क्षेत्र को स्पोर्ट्स का हब बनते देखना चाहते हैं। यही भाव हमने अभी माता खीर भवानी के मेले में भी देखा है। जिस तरह हजारों लोग माता के दर पर पहुंचे, वो नए जम्मू कश्मीर की तस्वीर दिखाता है। अब 3 तारीख से अमरनाथ यात्रा भी शुरू होने वाली है। ईद की उमंग भी हम चारों तरफ देख रहे हैं। विकास का जो वातावरण जम्मू-कश्मीर में बना था, वो पहलगाम के हमले से डिगने वाला नहीं है। जम्मू-कश्मीर के आप सभी लोगों को, और आप सबसे नरेंद्र मोदी का वायदा है, मैं यहां विकास को रुकने नहीं दूंगा, यहां के नौजवानों को सपने पूरा करने से कोई भी बाधा अगर रूकावट बनती है, तो उस बाधा को पहले मोदी का सामना करना पड़ेगा।

साथियों,

आज 6 जून है, याद कीजिए एक महीने पहले, ठीक एक महीने पहले, 6 मई की वो रात, पाकिस्तान के आतंकियों पर कयामत बरसी थी। अब पाकिस्तान कभी भी ऑपरेशन सिंदूर का नाम सुनेगा, तो उसे अपनी शर्मनाक शिकस्त याद आएगी। पाकिस्तानी फौज और आतंकियों ने कभी सोचा भी नहीं था कि भारत, पाकिस्तान में सैंकड़ों किलोमीटर अंदर जाकर के आतंकवादियों पर इस तरह वार करेगा। बरसों की मेहनत से उन्होंने आतंक की जो इमारतें बनाईं थीं, वो कुछ मिनटों में ही खंडहर में बदल गईं हैं। और ये देख पाकिस्तान बुरी तरह बौखला गया था, और उसने अपना गुस्सा जम्मू के, पूंछ के, दूसरे जिलों के लोगों पर भी निकाला। पूरी दुनिया ने देखा कि पाकिस्तान ने कैसे यहां घर उजाड़े, बच्चों पर गोले फेंके, स्कूल-अस्पताल तबाह किए, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों पर शेलिंग की। आपने जिस तरह पाकिस्तान के हमलों का मुकाबला किया, वो हर देशवासी ने देखा है। इसलिए अपने परिवारजनों, उनके साथ हर देशवासी पूरी शक्ति से खड़ा है।

साथियों,

जिन लोगों की क्रॉस बॉर्डर फायरिंग में मृत्यु हुई है, उनके परिवार के सदस्य को कुछ दिन पहले ही नियुक्ति पत्र सौंपे गए हैं। शेलिंग से प्रभावित 2 हजार से ज्यादा परिवारों की तकलीफ भी हमारी अपनी तकलीफ है। इन परिवारों को शेलिंग के बाद अपने घर की मरम्मत के लिए आर्थिक मदद दी गई थी। अब केंद्र सरकार ने ये तय किया है, कि इस मदद को और बढ़ाया जाए। आज के इस कार्यक्रम में, मैं इसकी भी जानकारी आपको देना चाहता हूं।

साथियों,

जिन घरों में बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है, उन्हें अब 2 लाख रुपए और जो घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें 1 लाख रुपए की सहायता अलग से दी जाएगी, अतिरिक्त दी जाएगी। यानी अब उन्हें पहली बार की मदद के बाद ये एक्सट्रा धनराशि मिलेगी।

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साथियों,

हमारी सरकार बॉर्डर किनारे बसे लोगों को देश का प्रथम प्रहरी मानती है। बीते दशक में सरकार ने बॉर्डर के जिलों में विकास और सुरक्षा के लिए अभूतपूर्व काम किया है, इस दौरान करीब दस हज़ार नए बंकर्स बनाए गए हैं। इन बंकरों ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद बने हालात में लोगों का जीवन बचाने में बड़ी मदद की है। मुझे ये बताते हुए खुशी है, कि जम्मू औऱ कश्मीर डिविजन के लिए दो बॉर्डर बटालियन बनाई गई है। दो वूमन बटालियन बनाने का भी काम पूरा कर लिया गया है।

साथियों,

हमारा जो इंटरनेशनल बॉर्डर है, उसके पास जो बहुत दुर्गम इलाके हैं, वहां भी सैकड़ों करोड़ रुपए खर्च करके नया इंफ्रा बनाया जा रहा है। कठुआ से जम्मू हाईवे को सिक्स लेन का एक्सप्रेसवे बनाया जा रहा है, अखनूर से पूंछ हाईवे का भी चौड़ीकरण किया जा रहा है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत भी बॉर्डर के गांवों में विकास के काम को और गति दी जा रही है। जम्मू-कश्मीर के 400 ऐसे गांव जहां ऑल वेदर कनेक्टिविटी नहीं थी, उन्हें 1800 किलोमीटर की नई सड़कें बिछाकर जोड़ा जा रहा है। इस पर भी सरकार 4200 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने जा रही है।

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साथियों,

आज मैं जम्मू-कश्मीर के आप लोगों से, खासकर यहां के नौजवानों से एक विशेष आग्रह भी करने आया हूं और जम्मू कश्मीर की धरती से मैं देश को भी आग्रह करना चाहता हूं। आपने देखा है कि कैसे ऑपरेशन सिंदूर ने आत्मनिर्भर भारत की ताकत दिखाई है। आज दुनिया भारत के डिफेंस इकोसिस्टम की चर्चा कर रही है। और इसके पीछे एक ही कारण है, हमारी सेनाओं का ‘Make in India’ पर भरोसा। सेनाओं ने जो कर दिखाया, अब वही हर भारतवासी को दोहराना है। इस साल के बजट में हमने मिशन मैन्युफैक्चरिंग की घोषणा की है। इस मिशन के तहत सरकार मैन्युफैक्चरिंग को नई उड़ान देने का काम कर रही है। मैं जम्मू-कश्मीर के युवाओं से कहूंगा, आइए, इस मिशन का हिस्सा बनिए। देश को आपकी आधुनिक सोच चाहिए, देश को आपके इनोवेशन की जरूरत है। आपके आइडिया, आपकी स्किल, भारत की सुरक्षा को, भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाई देंगे। पिछले दस वर्षों में भारत एक बड़ा डिफेंस एक्सपोर्टर बना है। अब हमारा लक्ष्य है, दुनिया के टॉप डिफेंस एक्सपोर्टर्स में भारत का नाम भी शामिल हो। इस लक्ष्य की ओर हम जितना तेजी से बढ़ेंगे, उतनी ही तेजी से भारत में रोजगार के लाखों नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हमें एक और संकल्प लेना है, जो सामान भारत में बना हो, जिसमें हमारे देशवासियों का पसीना लगा हो, हम सबसे पहले उसे ही खरीदें और यही राष्ट्रभक्ति है, यही राष्ट्र की सेवा है। सीमा पर हमें हमारी सेनाओं का मान बढ़ाना है और बाजार में हमें मेड इन इंडिया का गौरव बढ़ाना है।

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साथियों,

एक सुनहरा और उज्ज्वल भविष्य जम्मू-कश्मीर का इंतजार कर रहा है। केंद्र सरकार और यहां की सरकार मिलकर, विकास के कार्यों में जुटी हैं, एक दूसरे का सहयोग कर रही हैं। शांति और खुशहाली के जिस रास्ते पर हम आगे बढ़ रहे हैं, हमें उसे लगातार मजबूत करना है। मां वैष्णो के आशीर्वाद से विकसित भारत, विकसित जम्मू-कश्मीर का ये संकल्प सिद्धि तक पहुंचे, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से ये ढेर सारे विकास के प्रोजेक्ट्स के लिए और एक से बढ़कर इतने शानदार प्रोजेक्ट्स के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। दोनों मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से मेरे साथ बोलिये -

भारत माता की जय! आवाज हिन्दुस्तान के हर कोने में गूँजनी चाहिए।

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद!