NDA Government is working tirelessly for welfare of the poor: PM

Published By : Admin | December 10, 2016 | 21:35 IST
QuotePM Narendra Modi inaugurates India’s largest cheese factory in Gujarat
QuoteAlong with ‘Shwet Kranti’ there is also a ‘Sweet Kranti’ as people are now being trained about honey products: PM
QuoteMerely talking about the poor is different from working for the poor, something that the NDA government is always doing: PM
QuoteI urge you all to integrate people with e-banking, e-wallets: PM
QuoteIndia wants to progress. Corruption and black money is slowing our progress and adversely affecting the poor. These evils have to end: PM
QuoteThese games of looting the poor and exploiting the middle classes will now be history: PM

मंच पर विराजमान सभी महुनुभाव और बनासकांठा के मेरे प्यारे भाईयों और बहनों,

आपको लगता होगा आपना नरेन्‍द्र भई हिन्‍दी में केम बोले छ,

अरे देश को भी तो पता चलना चाहिए कि बनासकांठा का किसान कैसा काम करता है। मरूभूमि में भी जान भरने की ताकत अगर है, तो बनासकांठा के किसान में है, उत्‍तर गुजरात के किसान में है। जो अपना पसीना बहा करके जमीन में जान भर देता है। और इसलिए देश को पता चले कि इस बनासकांठा जिला, पाकिस्‍तान की सीमा पर, बिना पानी; बिना बरसात; रेगिस्‍तान जैसी जिंदगी गुजारता हुआ इंसान अपने पराक्रम से, पुरुषार्थ से अपने भाग्‍य को कैसे बदल सकता है, इसका ये जीता जागता उदाहरण ये जिले के नागरिक हैं; उनका पुरुषार्थ है, और उनकी सफलताएँ हैं।

भाइयो, बहनों! मुझे बताया गया 25-27 साल के बाद कोई प्रधानमंत्री का बनासकांठा जिले में आने का हुआ है। भाइयो, बहनों में आपके बीच में प्रधानमंत्री के रूप में नहीं, इस धरती की संतान के रूप में आया हूं। इस मिट्टी ने मुझे बड़ा किया है। और मैं आज विशेष रूप से आया हूं, श्रद्धेय गलबाभाई को; उनकी तपस्‍या को नमन करने के लिए आया हूं। लाखों पशुओं की तरफ से, लाखों परिवारों की तरफ से, बनासकांठा की बंजर भूमि की तरफ से मैं आज गलबाभाई की शताब्‍दी के समारोह की शुरुआत उनको शत् शत् नमन करता हूँ; इन सबकी तरफ से नमन करता हूं।

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आप कल्‍पना कीजिए, आज से 50 साल पहले जब गलबाभाई की उम्र 50 साल की थी, आठ छोटी छोटी दूध मंडली; उससे शुरू किया और आज किसानों के सहयोग से, पुरुषार्थ से, परिश्रम से, और उसमें भी बनासकांठा की, उत्‍तर गुजरात की मेरी माताओं, बहनों के पुरुषार्थ के कारण; जिन्‍होंने पशुपालन को परिवार की सेवा का हिस्‍सा बना दिया; उन्‍होंने श्‍वेत क्रांति ला दी। आज बनास डेयरी की भी स्‍वर्णिम जयंती का अवसर है। ऐसा सुयोग है कि एक तरफ इस महान आंदोलन के जनक, श्‍वेत क्रांति के जनक गलबा भाई की शताब्‍दी, और दूसरी तरफ उन्‍हीं के हाथों से बोया गया पौधा, आठ मंडली से शुरू हुआ पौधा, आज बनास डेयरी के रूप में वटवृक्ष बन गया है; उसकी स्‍वर्णिम जयंती का ये अवसर है। और इसलिए इस 50 वर्ष में जिन-जिन महानुभावों ने इस बनास डेयरी को चलाया, आगे बढ़ाया, इस ऊंचाई पर ले गए, अनेक चेयरमैन आए होंगे, अनेक व्‍यवस्‍थापक आए होंगे, अनेक कर्मचारी रहे होंगे, मैं आज इस 50 साल की यात्रा में जिन-जिन लोगों ने योगदान दिया है, उन सबका दृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, उनका साधुवाद करता हूं।

भाइयो, बहनों! आप मुम्‍बई जाएँ, सूरत जाएँ, किसी और इलाके में जाएं तो कठिनाइयों में ही जिंदगी गुजारने के लिए गुजरात से कौन आया है, तो ज्‍यादातर पता चलता था कच्‍छ और बनासकांठा के लोग अपना गांव, अपना इलाका छोड़ करके रोजी-रोटी कमाने के लिए कहीं बाहर जाते थे, क्‍योंकि यहां कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं थे। और भाइयो, बहनों हम पहले से कह रहे थे एक बार मां नर्मदा हमारी इस बनास की धरती को आ करके छू लेगी, मेरा किसान मिट्टी को सोना बना करके रख देगा। आज उसने बनास की इस सूखी धरती को, इस रेगिस्‍तान वाली धरती को सोने में तब्‍दील कर दिया है।

मुझे बराबर याद है, मैं नया-नया मुख्‍यमंत्री बना था। कई सारे सवालिया निशान मेरे लिए लगाए जाते थे। ये मोदी! मुख्‍यमंत्री! क्‍या करेगा! ये तो कभी! गावं का सरपंच नहीं रहा! कभी चुनाव नहीं लड़ा! इसको क्‍या आएगा! बड़ी मजाक उड़ती थी। उस समय मेरा सबसे पहला सार्वजनिक कार्यक्रम डीसा में हुआ था, इसी धरती पर हुआ था; इसी मैदान में हुआ था। और वो था लोक कल्‍याण मेला। और उस दिन मैंने जो नजारा देखा था आज उससे अनेक गुना नजारा बड़ा मेरी आंखों के सामने देख रहा हूं।

भाइयो, बहनों! मुझे बराबर याद है बनासकांठा के किसान मुझपे बहुत नाराज रहते थे, गुस्‍सा करते थे। कभी-कभी मेरे पुतले जलाते थे। और फिर मैं हिम्‍मत करके उनके बीच जाता था। और मैं उनको कहता था कि अगर बनासकांठा का भाग्‍य बदलना है तो हमें पानी बचाना पड़ेगा, बिजली के तार छोड़ने पड़ेंगे। किसान को बिजली नहीं पानी चाहिए; ये बात मैं उस समय बताता था; नाराजी मोलता था, लेकिन ये मेरा सौभाग्‍य है कि वो ही बनासकांठा, वही मेरे बनासकांठा के किसान, उन्‍होंने मेरी बात को सर आंखो पर चढ़ाया, और आज Drip Irrigation में टपर सिंचाई में (Sprinkler में), पूरे गुजरात में नम्‍बर एक पर ला करके खड़ा कर दिया। मैं उन सभी किसानों को, मैं आज उन सभी किसानों को सर झुका करके नमन करता हूं। उन्‍होंने न अपना भाग्‍य बदला ऐसा नहीं है, उन्‍होंने आने वाली अनेक अनेक पीढि़यों का भी भाग्‍य बदल दिया है। 

मुझे याद है, 2007 या 08 का वर्ष होगा, ऐसा ही एक किसानों के लिए कार्यक्रम मेरा था, तो मैं बनासकांठा में आया था। तो हमारे एक मित्र हैं, दिव्‍यांग हैं श्री गेना जी। गेना जी हमारे लाखनी तहसील से हैं। तो गेना जी चल तो पाते नहीं हैं, दिव्‍यांग हैं, लेकिन बड़े प्रगतिशील किसान हैं। वो इतना बड़ा दाड़म ले करके; अनार ले करके मुझे भेंट करने आए, नारियल से भी बड़ा था। मैं हैरान था, मैंने उनसे पूछा भाई ये कमाल कैसे किया है आपने? बोले साहब आज तो मेरे खेत में पूरे जिले के लोग देखने के लिए आते हैं, और आप देखना धीरे-धीरे दाड़म की खेती में बनासकांठा आगे निकल जाएगा। एक गांव के मेरे गेना जी सरकारी गोरिया के हैं ना गेनाजी! आए होंगे कहीं शायद बैठे होंगे। हमारे गेना जी कहीं बैठे होंगे। क्‍या कमाल करके रख दिया, भाइयो, बहनों बनासकांठा के किसान ने, प्रगतिशील किसान के रूप में अपनी छवि छोड़ी है और एक-दो किसान नहीं, एक आंदोलन खड़ा हुआ है। आज भी बनासकांठा ने प्रति हेक्‍टेयर आलू की पैदावार का जो रिकॉर्ड किया है उसका रिकॉर्ड को कोई तोड़ नहीं पाया। ये काम बनासकांठा ने कर दिखाया है। आज बनासकांठा Potatoes के लिए भी जाने लगा है।

भाइयो, बहनों! किसान के लिए कुछ चीजें कैसी वरदान होती हैं। गलबाभाई ने जब डेयरी का काम शुरू किया, जहां पानी न हो रेगिस्‍तान हो, 10 साल में 7 साल अकाल रहता हो; जहां किसान ईश्‍वर की इच्‍छा पर ही जिंदगी गुजारता हो; उसके लिए तो आत्‍महत्‍या एक ही रास्‍ता बच जाता था। लेकिन इस जिले ने किसानों को पशुपालन की ओर मोड़ दिया, दुग्‍धपालन की ओर मोड़ दिया और पशुओं की सेवा करते-करते, दुग्‍ध क्रांति करते-करते अपने परिवार को चलाया, बच्‍चों को भी पढ़ाया और जीवन को आगे ले गए।

भाइयो, बहनों! यही बनासकांठा, यही गुजरात, जिसने श्‍वेत क्रांति का नेतृत्‍व किया था; आज मुझे खुशी हुई कि बनास डेयरी ने श्‍वेत क्रांति के साथ-साथ Sweet क्रांति का भी बिगुल बताया है। जहां श्‍वेत क्रांति हुई वहां अब Sweet क्रांति भी होने वाली है। मधु क्रांति! शहद! बनास ने डेयरी के दूध की जैसी व्‍यवस्‍था की है किसानों को शहद के लिए मधुमक्‍खी पालन के लिए। ट्रेनिंग देना शुरू किया। आज उस Honey में से पहला packaging बना करके उन्‍होंने market में रखा हे। मेरा पूरा विश्‍वास है गुजरात में जो डेयरी का network है, और करीब-करीब सभी जिलों में डेयरी का network है, किसानों की समितियां बनी हुई हैं। दूध के साथ-साथ खेतों में अगर मधुमक्‍खी पालन भी किसान पकड़ लें तो जैसे दूध भरने जाते हैं, वैसे मधु भरने जाएंगे, मद भरने जाएंगे, शहद, honey ले जाएंगे, और डेयरी की गाडि़यों में दूध भी जाएगा, शहद भी जाएगा। Extra Profit, Extra Benefit, अतिरिक्‍त कमाई का एक नया रास्‍ता, गुजरात के भी डेयरी, सभी किसान, इस रास्‍ते पर चल करके एक श्‍वेत क्रांति के साथ-साथ Sweet क्रांति को भी ला सकते हैं ऐसा मेरा विश्‍वास है। दुनिया में शहद की मांग है, बहुत बड़ा market है। अगर हम शहद में भी आगे निकल जाएं, और जब नर्मदा का पानी आया है। नर्मदा के नजदीकी इलाकों में तो बहुत बड़ी मात्रा में इसका लाभ मिलता है। Fertilizer उपयोग करने के तरीके बदलने पड़ते हैं, लेकिन लाभ इतना बड़ा होता है और जैसा बनाकांठा के किसान का मन बदला है, ये भी बदल के रहेगा ऐसा मुझे विश्‍वास है।

आज बनास डेयरी ने Amul Brand के साथ Cheese का Production का भी एक प्‍लांट शुरू किया। गुजरात में जितनी भी डेयरियां वो Cheese के काम से चली हुई हैं, आप हैरान होंगे दुनिया के कई देश हैं, वे Amul के Brand की Cheese मांगते हैं। जितनी पैदावार होती है तुरंत उठ जाती है, लोग, ग्राहक मिल जाते हैं। आज उसमें एक इजाफा बनास डेयरी के द्वारा हो रहा है, मैं उनको बधाई देता हूं। एक बहुत बड़ा initiative आज डेयरी ने लिया है, KanKrej की गायद्, इस नस्ल का मूल्‍य हम जानते हैं, वैज्ञानिक तरीकों ने भी गिर की गाय, KanKrej (कांक्रेच) की गाय, इसका महात्‍मय स्‍वीकार किया है। अब A2 Milk, जिस KanKrej की गाय के दूध की एक विशेषताएं हैं, विशेष तत्‍व हैं, उसको आज उन्‍होंने मार्केट में रखा है। जो Health Conscious लोग हैं, जहां बच्‍चों को कुपोषण की समस्‍या है, ऐसे बच्‍चों के लिए A2 Milk, KanKrej गाय का A2 Milk उनके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए उपकारक होने वाला है, ऐसा एक भगीरथ काम भी आज यहां शुरू हुआ है। यहां KanKrej की नस्‍ल को बढ़ावा देना, उसमें सुधार करना, उसकी क्षमता में सुधार करना, उसकी per capita milk production बढ़ाना, उसके लिए भी वैज्ञानिक तरीके चल रहे हैं।

मैं बनास में जब आया हूं तब मैं बनास डेयरी से चाहूंगा कि वो एक काम और भी करे, और कर सकते हैं। बनास हो, सांभर डेयरी हो, दुग्‍ध सागर डेयरी हो; ये तीनों मिल करके भी कर सकते हैं। दो चीजें हम ऐसी पैदा करते हैं, हमारे किसान; लेकिन हम सस्‍ते में बेच देते हैं। और जो हम castor की खेती करते हैं, दिवेला; एरेंडा। 80 percent खेती हमारे यहां होती है, उसका उत्‍पादन। उस पर इतनी value addition होती है, इतनी process होती है। सारी दुनिया के महत्‍वपूर्ण technology में space shuttle की technology में ये Castor के Oil से बनी हुई चीजें सबसे सफल रहती हैं। लेकिन हम जो हैं, अभी भी हमारा दिवेला, एरेंडा जो कहें; ऐसे का ऐसा बेच देते हैं। ये बनास, दुग्‍धसागर, सांभर एक research Centre बनाएं और हम, हमारे किसान जो यहां पर castor पैदा करते हैं, एरंडा पैदा करते हैं, दिवेला पैदा करते हैं, उसमें value addition कैसे करें और हमारा ये कीमती संपत्ति पानी के मोल से बाहर चली जाती है, उसे हम बचाएं।

दूसरा है ईसबगोल। इसबगोल की ताकत बहुत बड़ी ताकत है। उसमें बहुत value addition हो सकता है। जब कुरियन जिंदा थे, तो श्रीमान कुरियन जी को मैंने कहा था कि आप ईसबगोल पर value addition पर काम कीजिए। उन्‍होंने प्रारंभ किया था, आइसक्रम बनाई थी ईसबगोल का। और आइसक्रीम का नाम दिया था ईसबकूल। आनंद में शुरूआत की थी उन्‍होंने उस समय। इतना बड़ा Global Market है ईसबगोल का। उसके संबंध में भी अगर वैज्ञानिक तरीके से हम काम करें तो बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं, और हमें लाना चाहिए।

भाइयो, बहनों इन दिनों पूरे देश में इस बात की चर्चा चल रही है नोटों का क्‍या होगा? आप मुझे बताइए, आठ तारीख के पहले 100 की नोट की कोई कीमत थी क्‍या? 50 के नोट की कोई कीमत थी क्‍या? 20 की नोट की कोई कीमत थी क्‍या? छोटे को कोई पूछता था क्‍या? हर कोई बड़ों को ही पूछता था। हजार, पांच सौ; हजार, पांच सौ; हजार, पांच सौ। आठ तारीख के बाद देश देखिए 100 का मूल्‍य कैसा बढ़ गया, कैसी ताकत बढ़ गई उसकी, जान आ गई जैसे।

भाइयो, बहनों! जैसे आठ तारीख के पहले बड़ों-बड़ों की पूछ होती थी, हजार और पांच सौ की ही गिनती गिनी जाती थी, 20, 50, 100 को कोई पूछता नहीं था, छोटे की तरफ कोई देखता नहीं था। आठ तारीख के बाद बड़ों की ओर कोई देखने को तैयार नहीं है, सब छोटे के लिए तैयार हो गए हैं भाइयो। ये फर्क आया है और जैसे बड़ी नोट नहीं छोटी नोट की ताकत बढ़ी है; बड़े लोग नहीं, छोटे लोगों की ताकत बढ़ाने के लिए ये बहुत बड़ा फैसला मैंने किया है। देश का गरीब, देश का सामान्‍य मानवी, जैसे 100 रुपये की ताकत बढ़ गई, वैसे गरीब की ताकत बढ़ाने के लिए ये मैंने काम किया है। आप कल्‍पना कर सकते हैं भाइयो, आपने देखा होगा कुछ भी खरीद करने जाओ, कच्‍चा बिल कि पक्‍का बिल? बिल मांगोगे तो छोटा व्‍यापारी भी कहता है नहीं, नहीं बिल-विल लेना है तो दूसरी दुकान पर जाओ। कैश देना है तो ले आओ; ऐसा ही चला। मकान चाहिए, मकान वाला कहता है चैक में इतना, रोकड़े में इतना। अब वो गरीब आदमी रोकड़ा लायेगा कहां से?

भाइयो, बहनों! इस प्रकार से नोटें छापते गए, छापते गए, छापते गए और देश, उसका अर्थतंत्र, ये नोटों के ढेर के नीचे ही दबने लग गया। भाइयो, बहनों मेरी लड़ाई है आतंकवाद के खिलाफ, आतं‍कवादियों को ताकत मिलती है जाली नोट से। और हम तो सीमा पार क्‍या हो रहा है, सब जानते हैं पड़ौस में ही रहते हैं। कैसी मुसीबतें हमें झेलनी पड़ी हैं, ये बनासकांठा पाटन जिले के लोग ज्‍यादा जानते हैं।

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भाइयो, बहनों! जाली नोट के कारोबारी, हिन्‍दुस्‍तान में जितना हो-हल्‍ला है ना उससे ज्‍यादा बाहर है, जाली नोटों के कारोबारियों में बाहर है। नक्‍सलवाद, सारे नौजवान surrender होकर वापस आने लगे हैं। हर किसी को लगता है अब मुख्‍य धारा में वापस आना चाहिए। आतंकवादियों को जहां से ताकत मिलती थी उन रास्‍तों को रोकने में सफल हुए हैं। ये जाली नोट का कारोबार, उसका मृत्‍युघंट, एक निर्णय से किया है भाइयो, बहनों। भ्रष्‍टाचार, कालाधन, ये भ्रष्‍टाचार और काले धन में पीड़ा किसको होती थी? किसी बेईमान को न भ्रष्‍टाचार से परेशानी थी, न काले धन से परेशानी थी। अरे एक भ्रष्‍टाचारी को दूसरे भ्रष्‍टाचारी को कुछ देना भी पड़ता था तो भी देने वाला भ्रष्‍टाचारी दुखी नहीं था। अगर दुखी कोई था तो इस देश का ईमानदार नागरिक दुखी था। परेशान था तो इस देश का ईमानदार नागरिक परेशान था। 70 साल तक इन ईमानदार लोगों को; 70 साल तक इन ईमानदार लोगों को आपने लूटा, आपने परेशान किया, उसको जीना मुश्किल कर दिया। आज मैं जब इमानदारों के साथ खड़ा हूं, तब ईमानदारों को भड़काया जा रहा है, और मुझे खुशी है मेरे देश के ईमानदार नागरिकों ने लाखों भड़काने के बावजूद भी सरकार के इस निर्णय का साथ दिया है। मैं सवा सौ करोड़ देशवासियों को शत् शत् नमन करता हूं कि इतने बड़े काम में उन्‍होंने मेरी मदद की।

भाइयो, बहनों! आजकल बड़े बुद्धिमान लोग भाषण सुनाते हैं कि मोदीजी आपने इतना बड़ा निर्णय किया, लेकिन हमारे जीते जी तो कोई लाभ नहीं मिलेगा; मरने के बाद मिलेगा। भाइयो, बहनों हमारे देश में एक चारबाग ऋषि हो गए, ये चारबाग ऋषि कहते थे:- ’’ऋणम कृत्‍वा, घृत्‍तम पीवेत’’ वो कहते थे अरे! मृत्‍यु के बाद क्‍या होने वाला है? कौन जानता है, जो मौज करनी है अभी कर लो; जो खाना है खा लो, घी पीना है पी लो; आनंद से जी लो। इस चारबाग की Philosophy को कभी भी हिन्‍दुस्‍तान ने स्‍वीकार नहीं किया। हमारा तो देश ऐसा है, बूढ़ा गरीब मां बाप; पैसे बहुत कम हों तो बूढ़ा और बूढ़ी मां बात करते हैं कि ऐसा करो शाम को सब्‍जी बनाना बंद कर दो, थोड़े पैसे बच जाएंगे तो मरने के बाद बच्‍चों के काम आ जाएंगे। मेरा देश मरने के‍ बाद मेरा क्‍या होगा, ये कभी चिन्‍ता नहीं करता है; मेरा देश, मेरे बाद की पीढि़यों का भला क्‍या हो, ये सोचने वाला देश है। मेरा देश स्‍वार्थी लोगों का देश नहीं है। मेरे देश का चिन्‍तन सुख के लिए, खुद के सुख के‍ लिए जीने वाला नहीं है। मेरे देश का चिन्‍तन भावी पीढि़यों के सुख के‍ लिए चलने वाला है। ये नए चारबाग लोग जो पैदा हुए हैं ‘’ऋणम कृत्‍वा, घृत्‍तम पीवेत’’ ये जो बातें करने वाले लोग हैं, उनको पचास बार सोचना पड़ेगा।

भाइयो, बहनों! आपने देखा होगा Parliament चल नहीं रही है, चलने दी नहीं जा रही है। हमारे देश के राष्‍ट्रपति, सार्वजनिक जीवन में इतना लम्‍बा अनुभव है; शासन चलाने वाले श्रेष्‍ठत्‍तम लोगों में से हमारे राष्‍ट्रपति जी रहे हैं। वो अलग राजनीतिक धारा में पले-बढ़े हैं। लेकिन देश की संसद में जो कुछ भी हो रहा था उससे इतने पीडि़त हो गए, इतने दुखी हो गए कि दो दिन पहले उनको सांसदों को सार्वजनिक रूप से टोकना पड़ा। विरोध पक्ष को नाम दे करके टोकना पड़ा। और मैं हैरान हूं, सरकार कहती है हम चर्चा चाहते हैं, सरकार कहती है कि प्रधानमंत्री बोलने के लिए तैयार हैं, सरकार कहती है प्रधानमंत्री आ करके कहने को तैयार हैं, लेकिन उनको मालूम है उनका झूठ टिक नहीं पाता है और इसलिए वो चर्चा से भागते रहे हैं, और इसलिए लोकसभा में मुझे नहीं बोलने दिया जाता; मैंने जनसभा में बोलने का रास्‍ता चु‍न लिया है भाइयो। और जिस दिन मौका मिलेगा लोकसभा में भी सवा सौ करोड़ देशवासियों की आवाज मैं जरूर पहुंचाने का प्रयास करूंगा मेरे भाइयो, बहनों।

भाइयो, बहनों! मैं विरोधी दल के मित्रों से, आज महात्‍मा गांधी की इस धरती से, सरदार वल्‍लभभाई पटेल की इस धरती से सार्वजनिक रूप से आग्रह करना चाहता हूं। जब चुनाव होते हैं, जब चुनाव होते हैं हम सभी दल एक-दूसरे के खिलाफ बोलते हैं; आरोप प्रत्‍यारोपण करते हैं, अच्‍छी और बुरी नीतियों की चर्चा करते हैं, हर प्रकार से अपने विरोधियों पर जैसा मार कर सकते हैं करने की कोशिश करते हैं; सभी दल करते हैं। भारतीय जनता पार्टी भी करेगी, कांग्रेस भी करेगी, बाकी सब छोटे-मोटे दल भी; सब करते हैं। लेकिन सभी पार्टियां एक काम जरूर करती हैं, क्‍या? मतदाता सूची को ठीक करना, अधिकत्‍तम लोग मतदान करने आएं इसकी चिन्‍ता करना; मतदाताओं को कैसे बटन दबाना; वो सिखाना, सभी दल करते हैं। एक तरफ तो नीतियों का विरोध करते हैं, दूसरे को पराजित करने की ताकत लगाते हैं, लेकिन दूसरी तरफ सब मतदाता सूची पर ध्‍यान देते हैं, Electronic Voting Machine पर ध्‍यान देते हैं, अधिक लोग मतदान करने आएं इस पर ध्‍यान देते हैं, क्‍यो? क्‍योंकि लोकशाही हम सबकी जिम्‍मेवारी है।

मैं विरोध पक्ष के मित्रों से कहना चाहता हूं, आप ये तो नहीं कहने की हिम्‍मत कर रहे हो कि मोदी हजार और पांच सौ वाला नोट वापिस ले लो क्‍योंकि आपको पता है कि जनता का मिजाज बदला हुआ है। हां! कुछ लोगों ने कहा, अच्‍छा मोदी जी ये तो ठीक है लेकिन ऐसा करो एक हफ्ते के लिए रोक लो। क्‍यों भाई! ये हफ्ते में कौन सा जादू होने वाला था? ये एक हफ्ता रोकने का इरादा क्‍या था? लेकिन कोई दल ये नहीं कहता है कि निर्णय को Roll Back करो। सब दल कहते हैं, ठीक से लागू करो। मैं सभी दलों से कहना चाहता हूं कि जैसे चुनाव में हम एक-दूसरे का घोर विरोध करते हैं, लेकिन मतदान बढ़ाने के लिए मेहनत करते हैं, मतदाता सूची के लिए मेहनत करते हैं, Electronic Machine की training के लिए मेहनत करते हैं, आज समय की मांग है कि आप खुल करके मेरा विरोध करिए, मेरी आलोचना करिए, लेकिन लोगों को Banking सिखाने के लिए काम कीजिए, Electronic पद्धति से पैसे कैसे लिए जाते, दिए जाते ये सिखाइए। हम सब मिल करके देश को भाग्‍य बदलने का एक ऐसा उत्‍तम अवसर आया है, हम सब उसको काम करें। और आप भी फायदा उठाइए।

मुझे खुशी होगी मेरे विरोधी दल के लोग जन-जन को इस काम में लगा करके अगर राजनीतिक फायदा उठाते हैं तो देश का भला हुआ इसका मुझे आनंद होगा भाइयो। अरे! राजनीति से ऊपर राष्‍ट्रनीति होती है, दल से बड़ा देश होता है; भाइयों बहनों गरीबों पर बातें करना अलग होती हैं; गरीबों के लिए नीतियां बना करके कठोरता से लागू करने के लिए समर्पण का भाव लगता है, और समर्पित भाव से आज ये सरकार आपकी सेवा में लगी है।

भाइयो, बहनों! मैंने पहले दिन से कहा है, ये निर्णय मामूली नहीं है मेरे भाइयो, बहनों! बहुत मुश्किल भरा निर्णय है, कठिन निर्णय है। और मैंने कहा था बहुत तकलीफ पड़ेगी; मैंने कहा था मुसीबत आएगी, और 50 दिन ये तकलीफ होगी ही होगी। और तकलीफ रोजमर्रा थोड़ी बढ़ती भी जाएगी, लेकिन 50 दिन के बाद मैंने हिसाब-किताब लगाया है, वो एकदम से धीरे-धीरे, धीरे-धीरे करके पहले जैसी स्थिति की तरफ आगे बढ़ेगा। 50 दिन तक ये कठिनाइयां रहने वाली हैं। 50 दिन के बाद आप ही देखेंगे कि धीरे-धीरे-धीरे आपकी आंखों के सामने परिस्थितियां सुधरती नजर आ जाएंगी।

भाइयो, बहनों! देश भ्रष्‍टाचार से मुक्‍त करने का एक महत्‍वपूर्ण कदम है, और कुछ लोग आपने देखा होगा; इन दिनों सरकार बराबर पीछे लग गई है, बैंक वाले जेल में जा रहे हैं; बड़े-बड़े गठ्ठे ले करके भागे हुए लोग जेल जा रहे हैं; चारों तरफ! उनको लगा था कि ठीक है मोदी जी 1000, 500 के बंद कर देता है, हम पिछले दरवाजे से कुछ कर लेंगे, लेकिन उनको मालूम नहीं था, मोदी ने पिछले दरवाजे पर भी कैमरे लगाए हुए हैं। ये सब के सब पकड़े जाने वाले हैं, कोई बचने वाला नहीं यहां। दो महीना, तीन महीना, छह महीना, जिन्‍होंने भी आठ तारीख के बाद नए पाप किए हैं, वो तो‍ किसी हालत में बचने वाले नहीं हैं भाइयो, बहनों। उनको सजा भुगतनी पड़ेगी। सवा सौ करोड़ देशवासियों के सपनों को चूर-चूर करने का पाप जिन्‍होंने किया है वो बचने वाले नहीं हैं, ये मैं देशवासियों को विश्‍वास दिलाना चाहता हूं।

भाइयो, बहनों! आपने मुसीबत झेली है, तकलीफ झेली है, अभी भी झेलनी है। आपका आशीर्वाद देश के लिए और जो लोग कहते हैं न ईमानदार लोग लाइन में खड़े हैं, ईमानदार अपने लिए नहीं खड़ा रहता है, वो देश के‍ लिए खड़ा रहता है भाइयो, बहनों; वो देश के लिए खड़ा रहता है।

और इसलिए, दूसरा! आज जमाना बदल चुका है भाई। एक जमाना था हमारे दादा-दादी, उनसे सुनेंगे तो बताते थे कि हमारे जमाने में तो ‘’चांदी का गाढ़ाना पेड़ा जोड़ो रुपयो होतो एमके आपण ने’’ कि बैलगाड़ी के पहिए जितना बड़ा रुपया चांदी का हम देखते थे, उपयोग करते थे। भाइयो, बहनों! ये चांदी के रुपये से बदलते, बदलते, बदलते कितनी mettle बदल गई, तांबा आया, और आया, न जाने क्‍या क्‍या आया। और धीरे धीरे करके हम कागज में चले गए कि नहीं चले गए? अब याद आता है कि चांदी का रुपया होगा तभी रुपया माना जाएगा याद आता है क्‍या? अब वो रुपया कागज का भी हमारी जिंदगी का हिस्‍सा बन गया। कभी चांदी का रुपया हुआ करता था, धीरे-धीरे कागज का रुपया आ गया।

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भाइयो, बहनों! अब वक्‍त बदल चुका है, अब तो आपके मोबाइल फोन में ही आपका बैंक आ गया है। आपक बटुआ भी आपके मोबाइल फोन में है। आप चाय पीने जाएं, बटन दबाएं, चाय वाले को पैसा पहुंच जाएगा, receipt मिल जाएगी। बीच में लोग cheque देते थे, cheque फाड़ते थे, दो महीने के बाद पता चलता था कि cheque वापिस आया, बाद में केस कोर्ट में है; जो सबसे ज्‍यादा केस चलते हैं, वो cheque वापिस आने के चलते हैं। आप नौजवानों का धन्‍यवाद आपने बहुत बड़ा काम उठाया है, मैं आपको बधाई देता हूं और बनासकंठा जिले को आप ई, ई-बटुआ से जोड़ दीजिए भाइयो। लोगों को E-Mobile Banking से जोड़ने में सफल होंगे मुझे विश्‍वास है।

भाइयो, बहनों! हम जानते हैं, कि आप वो कागज के नोटों का भी जमाना पूरा होने जा रहा है। अब तो आपके मोबाइल फोन में आपकी बैंक है। एक बार बैंक में जमा हो गया, आपको बैंक में कतार में खड़े रहने की जरूरत नहीं है, आपको एटीएम के बाहर लाइन लगाने की जरूरत नहीं है, आपको टाइम बरबाद करने की जरूरत नहीं है। अखबार में advertisement आता है, TV पर advertisement आता है। आप अपने मोबाइल फोन से, अगर आपके पैसे बैंक में पड़े हैं; तो आप अपने पैसों का जो खरीदना, खरीद सकते हैं। cheque तो bounce होता था, इसमें तो जैसे ही पैसे दोगे, तो सामने receipt आज जाता है, पैसा मिल गया या पैसा पहुंच गया। कोई बाउंस-वाउंस होता ही नहीं, वहीं पर पता चल जाता है कि रुपया गया कि नहीं गया।

भाइयो, बहनों! हिन्‍दुस्‍तान दुनिया में तेज गति से आगे जाना चाहता है। ये नोटों के बंडलों के ढेर, ये नोटों के पहाड़, हमारे अर्थतंत्र को दबोच रहे हैं। काले धन और भ्रष्‍टाचारियों को वो काम आ रहे हैं। गरीब की ताकत कम हो रही है, जैसे हजार के नोट की कीमत थी, सौ की नहीं थी; अमीर की थी, गरीब की नहीं थी; आज गरीब की भी ताकत बढ़ गई है, सौ के नोट की भी ताकत बढ़ गई है। और अगर आपने ई-बटुआ पढ़ लिया, बैंकों की कतारें खत्‍म करके बैंक को ही अपने मोबाइल में ले गए, आपको बैंक की कतार में जाने की जरूरत नहीं; बैंक आपके मोबाइल की कतार में खड़ी हो जाएगी। मैं आपसे आग्रह करता हूं, मैं देशवासियों से आग्रह करता हूं, मैं मीडिया के मित्रों से विशेष प्रार्थना करता चाहता हूं; मोदी की आलोचना करना आपका हक है, आज जरूर कीजिए। कतार में जो खड़े रहे हैं उनको तकलीफ हो रही है, वो आप दिखाते हैं; मुझे कोई शिकायत नहीं है, लेकिन साथ-साथ आप ये भी सिखाइए कि अब कतार में खड़े रहने की जरूरत नहीं है, बैंक आपके मोबाइल फोन की कतार में खड़ा हो जाएगा। बैंक वाला आएगा कि मुझे आपके यहां रख लो, वो दिन आ सकते हैं, Technology उपलब्‍ध है, व्‍यवस्‍था उपलब्‍ध है,

भाइयो, बहनों! अब देश भ्रष्‍टाचार सहन नहीं करेगा। अब देश जाली नोट सहन नहीं करेगा। अब देश काला धन सहन नहीं करेगा। गरीबों को लूटने का खेल, मध्‍यम वर्ग को शोषण करने का खेल अब नहीं चलेगा और इसलिए मुझे आपके आशीर्वाद चाहिए। खड़े रह करके दोनों हाथ से तालियां बजा करके मुझे आशीर्वाद दीजिए, मेरे गुजरात के भाइयो, बहनों। मेरे डीसा के भाइयो, बहनों आशीर्वाद दीजिए। पूरे ताकत से आशीर्वाद दीजिए।

भारत माता की, जय
भारत माता की, जय
भारत माता की, जय

ये लड़ाई, ये लड़ाई भारत का भाग्‍य बदलने की है, ये लड़ाई भ्रष्‍टाचार को खत्‍म करने की है, ये लड़ाई काले धन का खात्‍मा बुलाने के लिए है, ये लड़ाई जाली नोटों से देश को मुक्‍त कराने की है, और उसमें इस बनास की धरती ने मुझे आशीर्वाद दिए, मैं आप सबका बहुत-बहुत आभारी हूं। आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। फिर से बोलिए भारत माता की, जय, पूरी ताकत से बोलिए, पूरा देश सुन रहा है

भारत माता की, जय
भारत माता की, जय

बहुत, बहुत धन्‍यवाद।

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PM chairs 48th PRAGATI meeting
June 25, 2025
QuotePM reviews key projects in Mines, Railways, and Water Resources; calling for time-bound execution
QuoteFocus on Health equity: PM urges States to fast-track development of Health Infrastructure in remote and Aspirational districts
QuotePM highlights strategic role of Defence self-reliance; encourages nationwide adoption of best practices

Prime Minister Shri Narendra Modi chaired the 48th meeting of PRAGATI, the ICT-enabled, multi-modal platform aimed at fostering Pro-Active Governance and Timely Implementation, by seamlessly integrating efforts of the Central and State governments, at South Block, earlier today.

During the meeting, Prime Minister reviewed certain critical infrastructure projects across the Mines, Railways, and Water Resources sectors. These projects, pivotal to economic growth and public welfare, were reviewed with a focus on timelines, inter-agency coordination, and issue resolution.

Prime Minister underscored that delays in project execution come at the dual cost of escalating financial outlays and denying citizens timely access to essential services and infrastructure. He urged officials, both at the Central and State levels, to adopt a results-driven approach to translate opportunity into improving lives.

During a review of Prime Minister-Ayushman Bharat Health Infrastructure Mission (PM-ABHIM), Prime Minister urged all States to accelerate the development of health infrastructure, with a special focus on Aspirational Districts, as well as remote, tribal, and border areas. He emphasized that equitable access to quality healthcare must be ensured for the poor, marginalized, and underserved populations, and called for urgent and sustained efforts to bridge existing gaps in critical health services across these regions.

Prime Minister emphasised that PM-ABHIM provides a golden opportunity to States to strengthen their primary, tertiary and specialised health infrastructure at Block, District and State level to provide quality health care and services.

Prime Minister reviewed exemplary practices fostering Aatmanirbharta in the defence sector, undertaken by various Ministries, Departments, and States/UTs. He lauded these initiatives for their strategic significance and their potential to spur innovation across the defence ecosystem. Underscoring their broader relevance, Prime Minister cited the success of Operation Sindoor, executed with indigenous capabilities, as a powerful testament to India’s advancing self-reliance in defence sector.

Prime Minister also highlighted how the States can avail the opportunity to strengthen the ecosystem and contribute to Aatmanirbharta in defence sector.