PM Narendra Modi is an example for the critics too: Ravindra Kumar

Published By : Admin | September 17, 2021 | 14:10 IST

नई दिल्ली: साल 2014 के सितंबर महीने की बात है. एक शाम 7 बजे लुटियन दिल्ली स्थित 3 कृष्ण मेन मार्ग नंबर के बंगले के बड़े हॉल में बेसब्री से किसी का इंतजार चल रहा था. वहां बैठे सभी लोगों के लिए यह बेहद खास मौका था क्योंकि इस संबंध में दो से तीन दिन पहले विशेष निमंत्रण भेजा गया था. इस वजह से वहां उपस्थित सभी लोग तय समय से पहले ही वहां पहुंच गए थे.

इस बीच एक गाड़ी पोर्टिको में आकर रुकती है, जिससे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी उतरते हैं. उनकी अगवानी स्वयं तत्कालीन वित्त मंत्री (स्व.) अरुण जेटली कर रहे थे. बिना समय गंवाए प्रधानमंत्री सीधे हॉल में पहुंचते हैं जहां एक दर्जन से ज्यादा लोग उनका इंतजार कर रहे थे. ये और कोई नहीं बल्कि वर्षों से बीजेपी कवर करने वाले पत्रकार थे. इनमें प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों माध्यम ही के पत्रकार शामिल थे. उनमें एक मैं भी था.

प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले हॉल में मुस्कुराते हुए हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन किया. इसके बाद बड़ी विनम्रता से सभी से बैठने का आग्रह किया. उनके अभिवादन के इस विनम्र तौर-तरीके से वहां उपस्थित पत्रकारों को एक सुखद अनुभूति हुई. आमतौर पर पत्रकार बिरादरी पेशे की आदतानुसार किसी चर्चा या बैठक शुरुआत सवाल-जवाब से करते हैं और चर्चा के साथ संपन्न.

प्रधानमंत्री ने बातचीत की शुरुआत अपने दिल्ली निवास के पूर्व दिनों से शुरू की. उन्होंने कहा, 'मैं बीजेपी महासचिव होने के दौरान दिल्ली में आप सभी से मिलता रहता था. आप में कुछ को नाम से, तो कइयों को चेहरे से जानता हूं. लेकिन, कुछ लोग नए हैं इसलिए सबसे पहले परिचय हो जाए तो बातचीत में आसानी होगी.

इसके बाद परिचय का सिलसिला शुरू हुआ. पीएम मोदी ने गहरी दिलचस्पी के साथ निजी तौर सभी से नाम जाना. इसके बाद लगभग 2 घंटे उन्होंने बैठक में जब भी मौका मिला, हर पत्रकार का नाम लेकर ही उन्हें संबोधित किया. ये प्रधानमंत्री मोदी की शख्सियत का एक छोटा सा उदाहरण है.

PM ने बदल दी देश की तस्वीर

यही नहीं जिसने जो जानना चाहा बेबाकी से और खुलकर उन्होंने सबका जवाब दिया. उनकी भारत के प्रति एक खास सोच, देश के विकास को नई दिशा देने का एक दृढ़ निश्चय और भविष्य के प्रति विशेष विचार से हम सभी को यह यकीन हो चला था कि भारत अब पहले वाला भारत नहीं रहेगा. शासन, प्रशासन और यहां तक कि आम आदमी को भी अपने आप में बदलाव लाना ही होगा.

मैं आगे बढ़ूं इससे पहले एक परिकल्पना को मूर्त रूप लेने की घटना को आपसे साझा करना चाहूंगा. देखने और सुनने में ये बात बहुत छोटी लग सकती है लेकिन सोच के स्तर पर जो नीतिगत फैसला लिया गया, उसका परिणाम कितना बड़ा और व्यापक होगा इसके आज हम सभी देशवासी गवाह हैं.
यूं बदल गई देश की तस्वीर

एक बार की बात है, प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रीय हाइवे की प्रगति को लेकर मंत्री और अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे. भूमि अधिग्रहण और निर्माण संबंधी समस्या को लेकर अधिकारी जानकारी दे रहे थे. अधिकारियों को सुन रहे पीएम मोदी ने उन्हें टोका और एक सुझाव रखा. उन्होंने कहा कि क्या ऐसा नहीं हो सकता कि भविष्य में हाईवे का जब भी निर्माण हो तो दोनों तरफ की सड़क के बीच उतनी जमीन छोड़ दी जाए, जिसका उपयोग नहीं हो रहा हो. यानी, पहले सड़क दोनों तरफ से बनती थी और बाकी जमीन दोनों तरफ ऐसे ही छोड़ दी जाती थी. इस पर आगे चलकर अतिक्रमण हो जाता था. फिर इसे मुक्त कराने के लिए, एनएचएआई को अपनी ही जमीन छुड़ाने के लिए या तो कोर्ट जाना पड़ता था या मुआवजा देना पड़ता था. लेकिन, जब दोनों तरफ की सड़क के बीच में खाली जगह हो तो उस पर अवैध कब्जा नहीं होगा और भविष्य में सड़क चौड़ी करने की जरूरत हो तो कोई रुकावट न आए. आज प्रधानमंत्री मोदी के उसी सुझाव पर एनएचएआई निर्माण का कीर्तिमान लिख रहा है.

वहीं, इसे पढ़ने के बाद कई लोग जरूर इसका मजाक बनाने की कोशिश करेंगे कि प्रधानमंत्री के स्तर पर ये क्या फैसला हुआ? ये वही लोग हैं, जिन्होंने 15 अगस्त, 2014 में पीएम मोदी द्वारा स्वच्छता अभियान की बात करने पर उनकी खिल्ली उड़ाई थी. लेकिन, उसका आज क्या परिणाम हुआ ये दुनिया देख रही है

स्वच्छ भारत का सपना हुआ साकार

भले ही हम स्वच्छता के मामले में सिंगापुर न बन पाए हों, जिसका जिक्र खुद पीएम मोदी ने किया था. लेकिन इससे पीएम मोदी के घोर विरोधी भी इनकार नहीं कर सकते कि आज भारत की तस्वीर सपेरे और कूड़े-कचरे से पटे देश की नहीं रह गई है. आज हम गांव में जाएं या शहर-कस्बे में, स्वच्छता की स्पष्ट तस्वीर का अनुभव होता है.

इसको लेकर भी प्रधानमंत्री मोदी की सोच को बताना चाहूंगा. 15 अगस्त, 2014 में लाल क़िला से स्वच्छता की घोषणा करने के बाद पूरा सिस्टम ये पता करने में लग गया कि लोगों में इसकी क्या प्रतिक्रिया है. मुझे भी इसका अनुभव हुआ. लाल क़िला के कार्यक्रम के समापन के थोड़ी देर बाद मुझे एक फोन आता है. प्रधानमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी (जो अब इस दुनिया मे नहीं हैं) ने पूछा लाले क्या हाल है? कैसा रहा संबोधन?

बातचीत के क्रम में जब मैंने सबसे पहले स्वच्छता का जिक्र किया तो शायद उन्हें एक सुखद प्रतिक्रिया मिली होगी. क्योंकि जिसके बारे में इस देश में कभी बातचीत न होती हो और जो किसी भी नेता या पार्टी के लिए कभी मुद्दा न रहा हो, उसकी घोषणा स्वतंत्रता दिवस के अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री ने किया. पीएम मोदी की इस अपील ने सभी देशवासियों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि वास्तविकता में हम कितनी गंदगी में रहते हैं और क्या वाकई ये देश, साफ-सफाई में भी आगे बढ़ सकता है? पीएम मोदी की छोटी सी पहल को 130 करोड़ हिंदुस्तानियों ने हाथों हाथ लिया, जिसका उदाहरण पहले ढूंढना लगभग नामुमकिन है.

हमने प्रधानमंत्री मोदी को संसद के अंदर या सार्वजनिक सभाओं में भी सुना है कि देश के विकास में सरकार और नागरिकों की छोटी सी पहल, बड़े परिणाम दे जाती है जिसका अंदाजा किसी को नहीं होता.
विपक्ष भी हुआ 'मोदी का मुरीद'

सही कहें तो अंदाजा तो विपक्षी दलों को भी प्रधानमंत्री की कार्यशैली को लेकर नहीं रहा है. भले ही वे कई मुद्दों पर पीएम की आलोचना करते हैं लेकिन कम से कम एक ऐसा विषय रहा, जिसपर उनके सामने भी मूक और खुले में समर्थन करने के अलावा कोई और चारा नहीं रहा है. मोदी सरकार ने घोषणा की थी कि वे छात्रों के भविष्य को उज्जवल बनाने और अभिभावकों की भलाई के लिए 'नई शिक्षा नीति' बनाएंगे.

विपक्षी दलों को लगा कि उन्हें बस एक ऐसा मौका मिलने वाला है इससे सरकार की घेराबंदी की जा सकती है. उनकी सोच थी कि शिक्षा नीति और कुछ नहीं बल्कि शिक्षा का भगवाकरण ही होगा. क्योंकि बीजेपी की पहले की सरकार यानी वाजपेयी सरकार पर शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगाकर, खूब सियासत जो हुई थी! लेकिन, जब पीएम मोदी की शिक्षा नीति आई तो विपक्षी नेताओं को भी विश्वास नहीं हुआ. क्योंकि उसमें उनकी इच्छानुसार तो कुछ था ही नहीं. इसमें तो बस विद्यार्थी, शिक्षक और शिक्षा की बात थी. वो भी एक सर्वगामी शिक्षा की.

अब आपको इसके पीछे की कहानी भी जाननी चाहिए कि कैसे ये शिक्षा नीति बनी और इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुद की क्या कोशिशें रहीं.

अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि मोदी सरकार में इस विभाग के मंत्री बदलते रहे लेकिन जिस दिशा में नीति बननी थी, वो टस से मस नहीं हुई. इस संबंध में 3 लाख से ज्यादा सुझाव मंगाए गए. उनका अध्ययन हुआ. खुद प्रधानमंत्री लगातार समीक्षा करते रहे. सभी स्टॉकहोल्डरों से बात होती रही. प्रधानमंत्री ने बड़े से बड़े अधिकारियों के साथ एक दर्जन से ज्यादा बैठकें कीं. इसके बाद देश के सामने एक ऐसी शिक्षा नीति आई है, जिसकी आलोचना कठिन है. राज्यों की विपक्षी सरकारों और शिक्षा जगत ने भी इसका समर्थन किया है. ये है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच और कार्यशैली.

पीएम मोदी के साथ वर्षों काम करने वाले एक बड़ी शख्सियत का मानना है कि उनकी सोच के पीछे उनके खुद का अनुभव भी रहा है.

अब उज्ज्वला योजना का ही उदाहरण ले लें. पीएम मोदी भी जिसका जिक्र खुद कई बार कर चुके हैं कि कैसे वे बचपन मे अपनी मां को रसोई में खाना बनाते हुए देखते थे. पूरी रसोई धुंए से भरी रहती थी. प्रधानमंत्री ने केवल अपनी मां की ही बात नहीं की बल्कि ये भी कहा है कि उनका मन बहुत दुखी हो जाता है ये देखकर की करोड़ों माताएं आज भी उसी तरह से धुंए में खाना बनाने को मजबूर हैं. इसको खत्म करना होगा. उनकी इसी सोच का नतीजा है 'उज्ज्वला योजना'. बचपन के उस अनुभव से सबक लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने देश की करोड़ों माताओं को धुंए से निजात दिला दिया.
बिना थके 20 साल से काम कर रहे PM

प्रधानमंत्री की इसी तरह की सोच और अनवरत काम करने की दृढ़ इच्छाशक्ति का जिक्र करते हुए उनकी कैबिनेट में 7 साल तक मंत्री रहे एक वरिष्ठ बीजेपी नेता का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी में दैवीय शक्ति है. कैबिनेट की बैठक हो या मंत्रिपरिषद की बैठक. घंटों चलने वाली इन बैठकों में पीएम मोदी सबकी बात ध्यान से सुनते रहते हैं. जहां जरूरत होती है अपने विचार भी रखते हैं. बीजेपी नेता ने बताया कि उनका सुझाव ऐसा होता है, जिसके बारे में न तो मंत्री और न ही अधिकारी सोच पाते हैं. वरिष्ठ नेता ने कहा कि जिसने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के तौर पर लगभग 20 साल में एक दिन भी छुट्टी न ली हो, उसमें दैवीय शक्ति ही होगी. इस शक्ति का अनुभव बीजेपी पार्टी ने भी किया है.

एक पूर्व अध्यक्ष का कहना है कि किसी भी राज्य में चुनाव हो, प्रधानमंत्री से जितनी रैली की मांग पार्टी करती रही, वे कभी मना नहीं करते. खुद पीएम मोदी ने भी बीजेपी मुख्यालय में एक राज्य की जीत पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि उनके लिए पार्टी मां की तरह है. ऐसे में पार्टी के आदेश को कैसे ठुकरा सकते हैं. हम सबने देखा भी है कि विधान सभा चुनावों में वे लगातार प्रचार करते रहे हैं. यही नहीं सुबह से शाम तक प्रचार करने के बाद दिल्ली लौटते ही यहां पर भी कई बैठकें कर लेते हैं.

पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि हम सबने देखा है कि पिछले डेढ़ साल में कई राज्यों में चुनाव हुए. इन राज्यों में प्रचार करने के बाद दिल्ली लौटते ही वे कोरोना और वैक्सीन को लेकर लगातार बैठकें करते रहे हैं. इसका नतीजा भी देखने को मिल रहा है. वैक्सीन को लेकर पीएम मोदी की आलोचना करने वाले विपक्षी नेता क्या इससे इनकार कर सकते हैं कि आज देश में लगभग 77 करोड़ आबादी को कोरोना का टीका लग चुका है और पूरी सक्षम आबादी को टीका लगाने का मिशन शायद तय समय से पहले ही हो जाए.

जब इस बात से नाराज हो गए PM मोदी

आगे वह कहते हैं कि वैसे इसको लेकर प्रधानमंत्री की आलोचना करनेवाले वही लोग हैं जो 2019 चुनाव से पहले राफेल को लेकर रो रहे थे. उस समय चुनाव से पहले संसद के एक सत्र के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक मुलाकात' में कहा भी था, 'ऐसे भी लोग होते हैं. मोदी का विरोध करते-करते देश का विरोध करने लगे. ये लोग सेना का विरोध करते हैं. उनकी वीरता का विरोध करते हैं. उनको ये समझ नहीं आता कि ये हमारी सेनाओं के लिए कितना महत्वपूर्ण है.' उनके चेहरे पर राफेल वातावरण बनाए जाने को लेकर एक जबरदस्त नाराजगी दिख रही थी. शायद वो नाराजगी सही भी थी. अगर राफेल होता तो बालाकोट और बेहतर ढंग से निपटता!

ऐसे उदाहरणों को देखते हुए ही कहा जा सकता है कि हालात और स्थिति से निपटने में पीएम मोदी सिद्धहस्त हो गए हैं और इसमें उनकी भरपूर मदद करता है जनता कनेक्शन.

पीएम मोदी खतरा होते हुए भी लोगों से सीधे जुड़ने में विश्वास करते रहे हैं और ये जुड़ाव हकीकत होता है न कि दिखावा. चाहे लाल क़िला पर बच्चों के बीच चले जाना हो या 2015 में राष्ट्रपति ओबामा के गणतंत्र दिवस परेड के बाद समारोह से चले जाने के बाद राजपथ पर लोगों से खुलकर मिलना. इसी तरह का एक उदाहरण 2015 में बीजेपी दफ्तर में देखने को मिला था, जब पार्टी द्वारा पत्रकारों के साथ पीएम का दिवाली मिलन कार्यक्रम आयोजित किया गया था. वहां 300 से ज्यादा पत्रकार मौजूद थे और प्रधानमंत्री ने सभी पत्रकारों से जाकर मुलाकात की. यही नहीं कइयों को नाम लेकर हालचाल भी पूछा था. किसी को कहा कि आप शायद रिटायर हो गई हैं. किसी को कहा ..मेरे दोस्त, क्या हाल है और सबके साथ मुस्कुराते हुए हाथ मिलाया. उनमें से कई ऐसे पत्रकार थे, जिनके बारे में कहा जाता रहा है कि वे मोदी विरोधी हैं लेकिन उनसे मिलने में भी पीएम मोदी को कोई परेशानी नहीं हुई.

और प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने सितंबर 2014, में स्वर्गीय अरुण जेटली के घर पर कहा भी था कि मेरे विरोधी अपना काम कर रहे हैं और मैं अपना. उस अविस्मरणीय मुलाकात को उस बैठक में शामिल पत्रकार आज भी याद करते रहते हैं.

बाद में उस बैठक से विदा लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सबके साथ फोटो भी खिंचवाई. जो आजकल एक परंपरा भी बन गई है. हो भी क्यों नहीं, जब एक राज्य का मुख्यमंत्री अपने दम पर देश की सियासत को नई दिशा देकर प्रधानमंत्री बना हो, तो उनके साथ एक तस्वीर तो बनती ही है. आखिर पत्रकार भी तो आम इंसान ही है और भारत के नागरिक के तौर पर अपने प्रधानमंत्री के साथ एक सेल्फी तो ले ही सकता है.

भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने और 135 करोड़ भारतीयों को निरोग करने के लिए दृढसंकल्पित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को Zee मीडिया की तरफ से अनंत शुभकामनाएं.

Author Name : Ravindra Kumar

Disclaimer:

This article was first published in Zee News.

It is part of an endeavour to collect stories which narrate or recount people’s anecdotes/opinion/analysis on Prime Minister Shri Narendra Modi & his impact on lives of people.

  • Jitendra Kumar April 28, 2025

    ❤️🙏🇮🇳🇮🇳
  • ram Sagar pandey April 26, 2025

    🌹🙏🏻🌹जय श्रीराम🙏💐🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹जय माँ विन्ध्यवासिनी👏🌹💐ॐनमः शिवाय 🙏🌹🙏जय कामतानाथ की 🙏🌹🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🙏🏻🌹जय श्रीराम🙏💐🌹जय श्रीकृष्णा राधे राधे 🌹🙏🏻🌹जय माता दी 🚩🙏🙏
  • Ansar husain ansari March 30, 2025

    Jai ho
  • khaniya lal sharma March 24, 2025

    💙🇮🇳💙🇮🇳💙🇮🇳💙🇮🇳💙💙💙
  • Mohd Husain March 22, 2025

    Jay
  • MAHESWARI K January 09, 2025

    👏👏
  • krishangopal sharma Bjp January 06, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
  • krishangopal sharma Bjp January 06, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
  • krishangopal sharma Bjp January 06, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
  • Rahul Naik December 07, 2024

    🙏🙏
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Cricket legend K. Srikkanth reveals what makes PM Modi a true leader!
March 26, 2025

Former Indian cricketer Krishnamachari Srikkanth shares his heartfelt admiration for PM Modi, recounting moments that reflect the PM’s humility, warmth and unwavering ability to inspire.

Reminiscing his meeting with PM Modi, Srikkanth says, “Greatest thing about PM Modi is… when you go talk to him and meet him, you feel so comfortable, you don’t feel overpowered that he is the Prime Minister. He will be very casual and if you want to discuss anything and have any thoughts, he will make you feel very very comfortable, so you won’t feel scared.”

The cricket legend recalls how he once sent a text message addressed to the PM to his Secretary congratulating PM Modi for victories in 2019 and 2024 Lok Sabha elections and was taken aback when he received a personal reply from the PM himself!

“The biggest quality PM Modi has is his ability to talk to you, make you feel comfortable and make you feel important,” Srikkanth adds recalling a programme he had attended in Chennai. He notes how Shri Modi, even as a Prime Ministerial candidate in 2014, remained approachable and humble. He fondly recalls the event where the PM personally called him on stage. “I was standing in the crowd and suddenly, he called me up. The entire auditorium was clapping. That is the greatness of this man,” he shares.

PM Modi’s passion for cricket is another aspect that deeply resonates with Srikkanth. Reminiscing a memorable instance, he shares how PM Modi watched an entire match in Ahmedabad with great enthusiasm like a true cricket aficionado.

Even in challenging moments, PM Modi’s leadership shines through. Srikkanth highlights how after Team India lost the World Cup in November 2023, PM Modi personally visited the Indian dressing room to boost the team’s morale. “PM Modi went and spoke to each and every cricketer and spoke to them personally. That matters a lot as a cricketer after losing the final. Words of encouragement from the Prime Minister has probably boosted India to win the Champions Trophy and the T20 World Cup,” he says.

Beyond cricket, the former Indian cricketer is in awe of PM Modi’s incredible energy and fitness, attributing it to his disciplined routine of yoga and meditation. “Because PM Modi is physically very fit, he is mentally very sharp. Despite his hectic international schedule, he always looks fresh,” he adds.

For Krishnamachari Srikkanth, PM Modi is more than just a leader he is an inspiration. His words and actions continue to uplift India’s sporting spirit, leaving an indelible impact on athletes and citizens alike.