नई दिल्ली: साल 2014 के सितंबर महीने की बात है. एक शाम 7 बजे लुटियन दिल्ली स्थित 3 कृष्ण मेन मार्ग नंबर के बंगले के बड़े हॉल में बेसब्री से किसी का इंतजार चल रहा था. वहां बैठे सभी लोगों के लिए यह बेहद खास मौका था क्योंकि इस संबंध में दो से तीन दिन पहले विशेष निमंत्रण भेजा गया था. इस वजह से वहां उपस्थित सभी लोग तय समय से पहले ही वहां पहुंच गए थे.

इस बीच एक गाड़ी पोर्टिको में आकर रुकती है, जिससे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी उतरते हैं. उनकी अगवानी स्वयं तत्कालीन वित्त मंत्री (स्व.) अरुण जेटली कर रहे थे. बिना समय गंवाए प्रधानमंत्री सीधे हॉल में पहुंचते हैं जहां एक दर्जन से ज्यादा लोग उनका इंतजार कर रहे थे. ये और कोई नहीं बल्कि वर्षों से बीजेपी कवर करने वाले पत्रकार थे. इनमें प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक दोनों माध्यम ही के पत्रकार शामिल थे. उनमें एक मैं भी था.

प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले हॉल में मुस्कुराते हुए हाथ जोड़कर सभी का अभिवादन किया. इसके बाद बड़ी विनम्रता से सभी से बैठने का आग्रह किया. उनके अभिवादन के इस विनम्र तौर-तरीके से वहां उपस्थित पत्रकारों को एक सुखद अनुभूति हुई. आमतौर पर पत्रकार बिरादरी पेशे की आदतानुसार किसी चर्चा या बैठक शुरुआत सवाल-जवाब से करते हैं और चर्चा के साथ संपन्न.

प्रधानमंत्री ने बातचीत की शुरुआत अपने दिल्ली निवास के पूर्व दिनों से शुरू की. उन्होंने कहा, 'मैं बीजेपी महासचिव होने के दौरान दिल्ली में आप सभी से मिलता रहता था. आप में कुछ को नाम से, तो कइयों को चेहरे से जानता हूं. लेकिन, कुछ लोग नए हैं इसलिए सबसे पहले परिचय हो जाए तो बातचीत में आसानी होगी.

इसके बाद परिचय का सिलसिला शुरू हुआ. पीएम मोदी ने गहरी दिलचस्पी के साथ निजी तौर सभी से नाम जाना. इसके बाद लगभग 2 घंटे उन्होंने बैठक में जब भी मौका मिला, हर पत्रकार का नाम लेकर ही उन्हें संबोधित किया. ये प्रधानमंत्री मोदी की शख्सियत का एक छोटा सा उदाहरण है.

PM ने बदल दी देश की तस्वीर

यही नहीं जिसने जो जानना चाहा बेबाकी से और खुलकर उन्होंने सबका जवाब दिया. उनकी भारत के प्रति एक खास सोच, देश के विकास को नई दिशा देने का एक दृढ़ निश्चय और भविष्य के प्रति विशेष विचार से हम सभी को यह यकीन हो चला था कि भारत अब पहले वाला भारत नहीं रहेगा. शासन, प्रशासन और यहां तक कि आम आदमी को भी अपने आप में बदलाव लाना ही होगा.

मैं आगे बढ़ूं इससे पहले एक परिकल्पना को मूर्त रूप लेने की घटना को आपसे साझा करना चाहूंगा. देखने और सुनने में ये बात बहुत छोटी लग सकती है लेकिन सोच के स्तर पर जो नीतिगत फैसला लिया गया, उसका परिणाम कितना बड़ा और व्यापक होगा इसके आज हम सभी देशवासी गवाह हैं.
यूं बदल गई देश की तस्वीर

एक बार की बात है, प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रीय हाइवे की प्रगति को लेकर मंत्री और अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे. भूमि अधिग्रहण और निर्माण संबंधी समस्या को लेकर अधिकारी जानकारी दे रहे थे. अधिकारियों को सुन रहे पीएम मोदी ने उन्हें टोका और एक सुझाव रखा. उन्होंने कहा कि क्या ऐसा नहीं हो सकता कि भविष्य में हाईवे का जब भी निर्माण हो तो दोनों तरफ की सड़क के बीच उतनी जमीन छोड़ दी जाए, जिसका उपयोग नहीं हो रहा हो. यानी, पहले सड़क दोनों तरफ से बनती थी और बाकी जमीन दोनों तरफ ऐसे ही छोड़ दी जाती थी. इस पर आगे चलकर अतिक्रमण हो जाता था. फिर इसे मुक्त कराने के लिए, एनएचएआई को अपनी ही जमीन छुड़ाने के लिए या तो कोर्ट जाना पड़ता था या मुआवजा देना पड़ता था. लेकिन, जब दोनों तरफ की सड़क के बीच में खाली जगह हो तो उस पर अवैध कब्जा नहीं होगा और भविष्य में सड़क चौड़ी करने की जरूरत हो तो कोई रुकावट न आए. आज प्रधानमंत्री मोदी के उसी सुझाव पर एनएचएआई निर्माण का कीर्तिमान लिख रहा है.

वहीं, इसे पढ़ने के बाद कई लोग जरूर इसका मजाक बनाने की कोशिश करेंगे कि प्रधानमंत्री के स्तर पर ये क्या फैसला हुआ? ये वही लोग हैं, जिन्होंने 15 अगस्त, 2014 में पीएम मोदी द्वारा स्वच्छता अभियान की बात करने पर उनकी खिल्ली उड़ाई थी. लेकिन, उसका आज क्या परिणाम हुआ ये दुनिया देख रही है

स्वच्छ भारत का सपना हुआ साकार

भले ही हम स्वच्छता के मामले में सिंगापुर न बन पाए हों, जिसका जिक्र खुद पीएम मोदी ने किया था. लेकिन इससे पीएम मोदी के घोर विरोधी भी इनकार नहीं कर सकते कि आज भारत की तस्वीर सपेरे और कूड़े-कचरे से पटे देश की नहीं रह गई है. आज हम गांव में जाएं या शहर-कस्बे में, स्वच्छता की स्पष्ट तस्वीर का अनुभव होता है.

इसको लेकर भी प्रधानमंत्री मोदी की सोच को बताना चाहूंगा. 15 अगस्त, 2014 में लाल क़िला से स्वच्छता की घोषणा करने के बाद पूरा सिस्टम ये पता करने में लग गया कि लोगों में इसकी क्या प्रतिक्रिया है. मुझे भी इसका अनुभव हुआ. लाल क़िला के कार्यक्रम के समापन के थोड़ी देर बाद मुझे एक फोन आता है. प्रधानमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी (जो अब इस दुनिया मे नहीं हैं) ने पूछा लाले क्या हाल है? कैसा रहा संबोधन?

बातचीत के क्रम में जब मैंने सबसे पहले स्वच्छता का जिक्र किया तो शायद उन्हें एक सुखद प्रतिक्रिया मिली होगी. क्योंकि जिसके बारे में इस देश में कभी बातचीत न होती हो और जो किसी भी नेता या पार्टी के लिए कभी मुद्दा न रहा हो, उसकी घोषणा स्वतंत्रता दिवस के अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री ने किया. पीएम मोदी की इस अपील ने सभी देशवासियों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि वास्तविकता में हम कितनी गंदगी में रहते हैं और क्या वाकई ये देश, साफ-सफाई में भी आगे बढ़ सकता है? पीएम मोदी की छोटी सी पहल को 130 करोड़ हिंदुस्तानियों ने हाथों हाथ लिया, जिसका उदाहरण पहले ढूंढना लगभग नामुमकिन है.

हमने प्रधानमंत्री मोदी को संसद के अंदर या सार्वजनिक सभाओं में भी सुना है कि देश के विकास में सरकार और नागरिकों की छोटी सी पहल, बड़े परिणाम दे जाती है जिसका अंदाजा किसी को नहीं होता.
विपक्ष भी हुआ 'मोदी का मुरीद'

सही कहें तो अंदाजा तो विपक्षी दलों को भी प्रधानमंत्री की कार्यशैली को लेकर नहीं रहा है. भले ही वे कई मुद्दों पर पीएम की आलोचना करते हैं लेकिन कम से कम एक ऐसा विषय रहा, जिसपर उनके सामने भी मूक और खुले में समर्थन करने के अलावा कोई और चारा नहीं रहा है. मोदी सरकार ने घोषणा की थी कि वे छात्रों के भविष्य को उज्जवल बनाने और अभिभावकों की भलाई के लिए 'नई शिक्षा नीति' बनाएंगे.

विपक्षी दलों को लगा कि उन्हें बस एक ऐसा मौका मिलने वाला है इससे सरकार की घेराबंदी की जा सकती है. उनकी सोच थी कि शिक्षा नीति और कुछ नहीं बल्कि शिक्षा का भगवाकरण ही होगा. क्योंकि बीजेपी की पहले की सरकार यानी वाजपेयी सरकार पर शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगाकर, खूब सियासत जो हुई थी! लेकिन, जब पीएम मोदी की शिक्षा नीति आई तो विपक्षी नेताओं को भी विश्वास नहीं हुआ. क्योंकि उसमें उनकी इच्छानुसार तो कुछ था ही नहीं. इसमें तो बस विद्यार्थी, शिक्षक और शिक्षा की बात थी. वो भी एक सर्वगामी शिक्षा की.

अब आपको इसके पीछे की कहानी भी जाननी चाहिए कि कैसे ये शिक्षा नीति बनी और इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुद की क्या कोशिशें रहीं.

अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि मोदी सरकार में इस विभाग के मंत्री बदलते रहे लेकिन जिस दिशा में नीति बननी थी, वो टस से मस नहीं हुई. इस संबंध में 3 लाख से ज्यादा सुझाव मंगाए गए. उनका अध्ययन हुआ. खुद प्रधानमंत्री लगातार समीक्षा करते रहे. सभी स्टॉकहोल्डरों से बात होती रही. प्रधानमंत्री ने बड़े से बड़े अधिकारियों के साथ एक दर्जन से ज्यादा बैठकें कीं. इसके बाद देश के सामने एक ऐसी शिक्षा नीति आई है, जिसकी आलोचना कठिन है. राज्यों की विपक्षी सरकारों और शिक्षा जगत ने भी इसका समर्थन किया है. ये है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच और कार्यशैली.

पीएम मोदी के साथ वर्षों काम करने वाले एक बड़ी शख्सियत का मानना है कि उनकी सोच के पीछे उनके खुद का अनुभव भी रहा है.

अब उज्ज्वला योजना का ही उदाहरण ले लें. पीएम मोदी भी जिसका जिक्र खुद कई बार कर चुके हैं कि कैसे वे बचपन मे अपनी मां को रसोई में खाना बनाते हुए देखते थे. पूरी रसोई धुंए से भरी रहती थी. प्रधानमंत्री ने केवल अपनी मां की ही बात नहीं की बल्कि ये भी कहा है कि उनका मन बहुत दुखी हो जाता है ये देखकर की करोड़ों माताएं आज भी उसी तरह से धुंए में खाना बनाने को मजबूर हैं. इसको खत्म करना होगा. उनकी इसी सोच का नतीजा है 'उज्ज्वला योजना'. बचपन के उस अनुभव से सबक लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने देश की करोड़ों माताओं को धुंए से निजात दिला दिया.
बिना थके 20 साल से काम कर रहे PM

प्रधानमंत्री की इसी तरह की सोच और अनवरत काम करने की दृढ़ इच्छाशक्ति का जिक्र करते हुए उनकी कैबिनेट में 7 साल तक मंत्री रहे एक वरिष्ठ बीजेपी नेता का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी में दैवीय शक्ति है. कैबिनेट की बैठक हो या मंत्रिपरिषद की बैठक. घंटों चलने वाली इन बैठकों में पीएम मोदी सबकी बात ध्यान से सुनते रहते हैं. जहां जरूरत होती है अपने विचार भी रखते हैं. बीजेपी नेता ने बताया कि उनका सुझाव ऐसा होता है, जिसके बारे में न तो मंत्री और न ही अधिकारी सोच पाते हैं. वरिष्ठ नेता ने कहा कि जिसने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के तौर पर लगभग 20 साल में एक दिन भी छुट्टी न ली हो, उसमें दैवीय शक्ति ही होगी. इस शक्ति का अनुभव बीजेपी पार्टी ने भी किया है.

एक पूर्व अध्यक्ष का कहना है कि किसी भी राज्य में चुनाव हो, प्रधानमंत्री से जितनी रैली की मांग पार्टी करती रही, वे कभी मना नहीं करते. खुद पीएम मोदी ने भी बीजेपी मुख्यालय में एक राज्य की जीत पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि उनके लिए पार्टी मां की तरह है. ऐसे में पार्टी के आदेश को कैसे ठुकरा सकते हैं. हम सबने देखा भी है कि विधान सभा चुनावों में वे लगातार प्रचार करते रहे हैं. यही नहीं सुबह से शाम तक प्रचार करने के बाद दिल्ली लौटते ही यहां पर भी कई बैठकें कर लेते हैं.

पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि हम सबने देखा है कि पिछले डेढ़ साल में कई राज्यों में चुनाव हुए. इन राज्यों में प्रचार करने के बाद दिल्ली लौटते ही वे कोरोना और वैक्सीन को लेकर लगातार बैठकें करते रहे हैं. इसका नतीजा भी देखने को मिल रहा है. वैक्सीन को लेकर पीएम मोदी की आलोचना करने वाले विपक्षी नेता क्या इससे इनकार कर सकते हैं कि आज देश में लगभग 77 करोड़ आबादी को कोरोना का टीका लग चुका है और पूरी सक्षम आबादी को टीका लगाने का मिशन शायद तय समय से पहले ही हो जाए.

जब इस बात से नाराज हो गए PM मोदी
आगे वह कहते हैं कि वैसे इसको लेकर प्रधानमंत्री की आलोचना करनेवाले वही लोग हैं जो 2019 चुनाव से पहले राफेल को लेकर रो रहे थे. उस समय चुनाव से पहले संसद के एक सत्र के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक मुलाकात' में कहा भी था, 'ऐसे भी लोग होते हैं. मोदी का विरोध करते-करते देश का विरोध करने लगे. ये लोग सेना का विरोध करते हैं. उनकी वीरता का विरोध करते हैं. उनको ये समझ नहीं आता कि ये हमारी सेनाओं के लिए कितना महत्वपूर्ण है.' उनके चेहरे पर राफेल वातावरण बनाए जाने को लेकर एक जबरदस्त नाराजगी दिख रही थी. शायद वो नाराजगी सही भी थी. अगर राफेल होता तो बालाकोट और बेहतर ढंग से निपटता!

ऐसे उदाहरणों को देखते हुए ही कहा जा सकता है कि हालात और स्थिति से निपटने में पीएम मोदी सिद्धहस्त हो गए हैं और इसमें उनकी भरपूर मदद करता है जनता कनेक्शन.

पीएम मोदी खतरा होते हुए भी लोगों से सीधे जुड़ने में विश्वास करते रहे हैं और ये जुड़ाव हकीकत होता है न कि दिखावा. चाहे लाल क़िला पर बच्चों के बीच चले जाना हो या 2015 में राष्ट्रपति ओबामा के गणतंत्र दिवस परेड के बाद समारोह से चले जाने के बाद राजपथ पर लोगों से खुलकर मिलना. इसी तरह का एक उदाहरण 2015 में बीजेपी दफ्तर में देखने को मिला था, जब पार्टी द्वारा पत्रकारों के साथ पीएम का दिवाली मिलन कार्यक्रम आयोजित किया गया था. वहां 300 से ज्यादा पत्रकार मौजूद थे और प्रधानमंत्री ने सभी पत्रकारों से जाकर मुलाकात की. यही नहीं कइयों को नाम लेकर हालचाल भी पूछा था. किसी को कहा कि आप शायद रिटायर हो गई हैं. किसी को कहा ..मेरे दोस्त, क्या हाल है और सबके साथ मुस्कुराते हुए हाथ मिलाया. उनमें से कई ऐसे पत्रकार थे, जिनके बारे में कहा जाता रहा है कि वे मोदी विरोधी हैं लेकिन उनसे मिलने में भी पीएम मोदी को कोई परेशानी नहीं हुई.

और प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने सितंबर 2014, में स्वर्गीय अरुण जेटली के घर पर कहा भी था कि मेरे विरोधी अपना काम कर रहे हैं और मैं अपना. उस अविस्मरणीय मुलाकात को उस बैठक में शामिल पत्रकार आज भी याद करते रहते हैं.

बाद में उस बैठक से विदा लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सबके साथ फोटो भी खिंचवाई. जो आजकल एक परंपरा भी बन गई है. हो भी क्यों नहीं, जब एक राज्य का मुख्यमंत्री अपने दम पर देश की सियासत को नई दिशा देकर प्रधानमंत्री बना हो, तो उनके साथ एक तस्वीर तो बनती ही है. आखिर पत्रकार भी तो आम इंसान ही है और भारत के नागरिक के तौर पर अपने प्रधानमंत्री के साथ एक सेल्फी तो ले ही सकता है.

भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने और 135 करोड़ भारतीयों को निरोग करने के लिए दृढसंकल्पित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को Zee मीडिया की तरफ से अनंत शुभकामनाएं.

 

लेखक का नाम : रवींद्र कुमार

डिस्कलेमर :

यह आर्टिकल पहली बार Zee News में पब्लिश हुआ था।

यह उन कहानियों या खबरों को इकट्ठा करने के प्रयास का हिस्सा है जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और लोगों के जीवन पर उनके प्रभाव पर उपाख्यान / राय / विश्लेषण का वर्णन करती हैं।

  • Jitendra Kumar April 28, 2025

    ❤️🙏🇮🇳🇮🇳
  • ram Sagar pandey April 26, 2025

    🌹🙏🏻🌹जय श्रीराम🙏💐🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹जय माँ विन्ध्यवासिनी👏🌹💐ॐनमः शिवाय 🙏🌹🙏जय कामतानाथ की 🙏🌹🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🙏🏻🌹जय श्रीराम🙏💐🌹जय श्रीकृष्णा राधे राधे 🌹🙏🏻🌹जय माता दी 🚩🙏🙏
  • Ansar husain ansari March 30, 2025

    Jai ho
  • khaniya lal sharma March 24, 2025

    💙🇮🇳💙🇮🇳💙🇮🇳💙🇮🇳💙💙💙
  • Mohd Husain March 22, 2025

    Jay
  • MAHESWARI K January 09, 2025

    👏👏
  • krishangopal sharma Bjp January 06, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
  • krishangopal sharma Bjp January 06, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
  • krishangopal sharma Bjp January 06, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
  • Rahul Naik December 07, 2024

    🙏🙏
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क्रिकेट लीजेंड कृष्णमाचारी श्रीकांत ने बताया कि कैसे एक सच्चे लीडर हैं पीएम मोदी!
March 26, 2025

पूर्व भारतीय क्रिकेटर कृष्णमाचारी श्रीकांत ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अपनी हार्दिक प्रशंसा व्यक्त की तथा ऐसे क्षणों का जिक्र किया जो प्रधानमंत्री की विनम्रता, गर्मजोशी और प्रेरित करने की अटूट क्षमता को दर्शाते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी मुलाकात को याद करते हुए श्रीकांत कहते हैं, "प्रधानमंत्री मोदी के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि जब आप उनसे बात करते हैं और उनसे मिलते हैं, तो आप बहुत सहज महसूस करते हैं, आपको ऐसा नहीं लगता कि वे प्रधानमंत्री हैं। वे बहुत सहज रहेंगे और अगर आप कुछ भी चर्चा करना चाहते हैं और कोई विचार रखना चाहते हैं, तो वे आपको बहुत सहज महसूस कराएंगे, इसलिए आपको डर नहीं लगेगा।"

क्रिकेट लीजेंड ने याद किया कि कैसे उन्होंने एक बार प्रधानमंत्री के सेक्रेटरी को एक टेक्स्ट मैसेज भेजकर 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में जीत के लिए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी थी और वे तब हैरान रह गए जब उन्हें खुद प्रधानमंत्री से पर्सनल रिप्लाई मिला!

श्रीकांत ने चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम को याद करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री मोदी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वे आपसे बात करते हैं, आपको सहज महसूस कराते हैं और आपको महत्वपूर्ण महसूस कराते हैं।" उन्होंने बताया कि 2014 में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में भी श्री मोदी किस तरह से मिलनसार और विनम्र बने रहे। वे उस कार्यक्रम को याद करते हैं, जिसमें प्रधानमंत्री ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से मंच पर बुलाया था। उन्होंने बताया, "मैं भीड़ में खड़ा था और अचानक उन्होंने मुझे बुलाया। पूरा सभागार ताली बजा रहा था। यही इस व्यक्ति की महानता है।"

क्रिकेट के प्रति प्रधानमंत्री मोदी का जुनून एक और पहलू है जो श्रीकांत के साथ गहराई से जुड़ता है। एक यादगार घटना को याद करते हुए, उन्होंने बताया कि कैसे प्रधानमंत्री मोदी ने अहमदाबाद में एक सच्चे क्रिकेट प्रेमी की तरह पूरे उत्साह के साथ पूरा मैच देखा।

चुनौतीपूर्ण क्षणों में भी पीएम मोदी का नेतृत्व चमकता है। श्रीकांत बताते हैं कि नवंबर 2023 में टीम इंडिया के विश्व कप हारने के बाद, पीएम मोदी ने टीम का मनोबल बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत रूप से भारतीय ड्रेसिंग रूम का दौरा किया। वे कहते हैं, "पीएम मोदी ने प्रत्येक क्रिकेटर से व्यक्तिगत रूप से बात की। फाइनल हारने के बाद एक क्रिकेटर के रूप में यह बहुत मायने रखता है। प्रधानमंत्री के प्रोत्साहन भरे शब्दों ने शायद भारत को चैंपियंस ट्रॉफी और T20 विश्व कप जीतने के लिए प्रेरित किया है।"

क्रिकेट से इतर, पूर्व भारतीय क्रिकेटर पीएम मोदी की अविश्वसनीय ऊर्जा और फिटनेस के कायल हैं, इसका श्रेय उनके योग और ध्यान की अनुशासित दिनचर्या को देते हैं। वे कहते हैं, "चूंकि पीएम मोदी शारीरिक रूप से बहुत फिट हैं, इसलिए वे मानसिक रूप से भी बहुत तेज हैं। अपने व्यस्त अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के बावजूद, वे हमेशा तरोताजा दिखते हैं।"

कृष्णमाचारी श्रीकांत के लिए, प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ़ एक नेता नहीं बल्कि एक प्रेरणास्रोत हैं। उनके शब्द और कार्य भारत की खेल भावना को बढ़ावा देते हैं, जिससे खिलाड़ियों और नागरिकों पर समान रूप से अमिट प्रभाव पड़ता है।