21st century is the century of knowledge, says Prime Minister Modi
India has the potential to become the manufacturing hub for the world: PM Narendra Modi
In history, whenever knowledge has been the driving force of the world, India has provided leadership: PM Modi
Today India is demographically the youngest country in the world, with young dreams full of energy: PM Narendra Modi
The current generation of youngsters don't want to be job seekers. The youth wants to be job creators: PM Modi
Global agencies say India is the fastest growing economy in the world: PM

मंच पर विराजमान सभी वरिष्‍ठ महानुभाव, नौजवान साथियों, और इस समय online नॉर्थ ईस्‍ट के कई विद्यार्थी भी इस समारोह में शरीक हैं। मैं उन सबका भी स्‍वागत करता हूं।

सब से पहले मैं आपसे क्षमा चाहता हूँ क्योंकि मुझे आने में बहुत विलंब हुआ, क्‍योंकि आज सुबह सिक्किम से मुझे चलना था। लेकिन weather साथ नहीं दे रहा था। बार बार समय बदलना पड़ रहा था। लेकिन आखिकार पहुंच ही गया। कभी-कभी देर होती है, लेकिन पहुंचता हूं। आज यहां दो महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम हैं। एक तो IIIT का, नये भवन का शिलान्‍यास और दूसरा ICT Academy की शुरूआत। हम सुनते आए हैं कि 21वीं सदी हिन्‍दुस्‍तान की सदी है, लेकिन 21वीं सदी हिन्‍दुस्‍तान की सदी है इसका कारण क्‍या है। तो पूरा विश्‍व ये मानता है कि 21वीं सदी ये ज्ञान की सदी है। information की सदी है और इसलिए information , knowledge के क्षेत्र में जो अगुवाई करेगा वो दुनिया की अगुवाई करेगा। वो लीडरशिप करेगा और दूसरा महत्‍वपूर्ण कारण है आज भारत विश्‍व का सबसे युवा देश है। 65 प्रतिशत जनसख्‍ंया इस देश में 35 साल से कम उम्र की है, कई तो 35 से भी नीचे है। जिस देश मे सदियों से यह परंपरा रही है कि जब-जब मानव जाति नाजुक दौर से गुजरी है हमेशा हमेशा भारत ने नेतृत्‍व किया है और 21वीं सदी में demographic dividend ये हमारी ताकत है इतनी बड़ी संख्‍या में जिस देश के पास नौजवान हों उसके सपने भी नौजवान होते हैं और जवान सपनों में समर्पण का भाव भी होता है, ऊर्जा भी होती है। भारत इस परिस्थिति का फायदा कैसे उठाए, इस अवसर को भारत किस प्रकार से दुनिया के विश्‍व के पटल पर एक शक्ति के रूप में उभर सकें। ये अवसर भी है, चुनौती भी है और जिंदगी बिना चुनौतियों के कभी सफल नहीं होती है। जो चुनौतियों को पार करता है वो ही अवसर को पाता है और वही अवसर को सिद्धि में परिवर्तित कर सकता है। आज पूरे विश्‍व में जितने भी मानको पर चर्चा होती है चाहे वर्ल्‍ड बैंक का रिपोर्ट देख लीजिए। IMF का रिपोर्ट देख लीजिए। credit rating agency, global level की कुछ कहें, एक बात साफ साफ उभर करके आती है और सर्व दूर से एक ही प्रकार से आती है और वो ये कि आज बड़े देशों की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली कोई economy है। वो economy का नाम है हिन्‍दुस्‍तान।

आए दिन खबरें आती है कि दुनिया में ये हो रहा है। वो हो रहा है। पूरे विश्‍व में आर्थिक मंदी का माहौल है। विश्‍व आर्थिक संकट में घिरा हुआ है। ऐसे संकट के काल में एक अकेला हिन्‍दुस्‍तान अपने पैरों पर स्थिर खड़ा है और तेज गति से आगे भी बढ़ रहा है और ये भी विश्‍व मानता है कि आने वाले दिनों में भारत इससे भी अधिक गति से आगे बढ़ने वाला है। ये जो अवसर आया है। इस अवसर का फायदा अगर उठाना है। तो हमें हमारी युवा शक्ति पर ध्‍यान केन्द्रित करना होगा और इसलिए सरकार ने जिन बातों पर ध्‍यान दिया है वे बिखरी हुई चीजें नहीं हैं। सरकार में हैं कुछ करना पड़ता है चलो कुछ करते रहें ऐसा भी नहीं हैं। एक के बाद एक कदम एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं, interlinked हैं। एक के बाद एक कदम अंतिम परिणाम को प्राप्‍त करने का अवसर है। पहली बार इस देश में skill development एक अलग department बनाया गया। पहले क्‍या था। हर department अपने-अपने तरीके से skill department का काम करता था। लेकिन जब इतने बड़े department के एक कोने में skill department चलता है तो उसमें focus नहीं रहता था। चीजें चलती थी, कागज पर सब दिखता था। लेकिन धरती पर नजर नहीं आता था। हमने अलग skill department बनाया और पूरे देश में 21वीं सदी के अनुकूल किस प्रकार का मैन पावर तैयार करना चाहिए, किस प्रकार का Human resource development करना चाहिए और न सिर्फ हिन्‍दुस्‍तान वैश्विक संदर्भ में global perspective में आप कल्‍पना कर सकते हैं जब दुनिया पूरी बूढ़ी हो, दुनिया के पास पैसे हों। उद्योग कारखाने लगे हुए हों। लेकिन चलाने के लिए नौजवान न हो तो क्‍या होगा। पूरी विश्‍व को 2030 के बाद बहुत बड़ी मात्रा में human resource की आवश्‍यकता पड़ने वाली है। globally man power पहुंचाने का काम अगर कोई कर सकता है तो हिन्‍दुस्‍तान कर सकता है। दूनिया के हर कोने में भारत का नौजवान जा करके उस देश के जीवन में बहुत बड़ा योगदान कर सकता है। वो दिन दूर नहीं है। जब पूरे global requirement को अगर ध्‍यान में रखें तो आज से हमारा प्रयास है कि हिन्‍दुस्‍तान में वो Human resource development हो वो man power तैयार हो जो आने वाले दिनों में global requirement को पूरी कर पाएं।

दूसरी तरफ भारत सिर्फ सेवादार बना रहे क्‍या ? ये बात हमें मंजूर नहीं है और इसलिए हमारे देश में Make in India का अभियान चलाया है। आज देश पेट्रोलियम पैदावार के बाद सबसे ज्‍यादा इम्‍पोर्ट जो पहली तीन चार चीजें हैं देश में जिसमे हमारी सबसे ज्‍यादा धन हमारे विदेश में जाता है। उसमें एक है electronic goods का import। चाहे लैपटॉप हो, चाहे मोबाइल फोन हो, चाहे electronic medical devices हो। अब जिस देश में ऐसी बढि़या IIT हो जिस गुवाहाटी के IT के, जो गुवाहाटी यहाँ के IIT के कारण पहचाना जाता है। यहां के IIT ने गुवाहाटी को एक नई पहचान दी है। लेकिन उस देश में electronic goods भी हमें इम्‍पोर्ट करना पड़े । ये अच्‍छी बात है क्‍या। Thermometer भी बाहर से लाना है। बीपी कम हुआ ठीक हुआ नहीं ठीक हुआ वो भी foreign का instrument तय करेगा क्‍या।

दोस्‍तों ये चीजे बदलनी है। मैं आज आपके बीच आया हूं चुनौती को ले करके, कम से कम electronic goods ये तो हम बना सकते हैं ऐसा नहीं हम दुनिया को दे सकते हैं। इस देश के पास टेलेंट की कमी नहीं है, इरादों की भी कमी नहीं है। हर नौजवान के पास कुछ न कुछ करने का इरादा है तो क्‍यों न हम हमारे देश की इस requirement को ध्यान में रखते हुए मेक इन इंडिया की बात को आगे बढ़ाएं। और दुनिया ने भारत के लोगों का लोहा माना है। आज सिलिकॉन मेले में जाइए। Address तो यूएसए का है। लेकिन चेहरा हिन्‍दुस्‍तानी है। हर तीसरी चौथी कंपनी का सीईओ हिन्‍दुस्‍तानी है। 50 परसेंट 60 परसेंट काम करने वाले नौजवान हिन्‍दुस्‍तानी है। इस देश के पास टेलेंट भी है।

भारत ने Mars Mission किया। ऑरबिट में हम पहुंचे। दूनिया में हम पहले देश हैं जो Mars Orbit Mission में पहले ही ट्रायल में सफल हो गये। दुनिया के और देशों में सफलता 20-20-25 बार ट्रायल करने पर मिली। भारत को पहली बार मिल गई। और खर्चा कितना आप गुवाहाटी में एक किलोमीटर ऑटो रिक्‍शा में जाए तो दस रुपया लगता होगा। हम मार्स मिशन में सिर्फ सात रुपए किलोमीटर पर गए। हॉलीवुड की फिल्‍म का जो खर्चा होता है उससे कम खर्चें में हम मार्स मिशन पर पहुंचे। ये कैसे संभव हुआ। हमारे नौजवानों के talent के कारण, तजुर्बे के कारण। कुछ कर गुजरने के इरादे के कारण। जिस देश के पास ये सामर्थ्‍य हो तो वो देश का प्रधानमंत्री make in India का सपना क्‍यों न देखे। हमारा दूसरा क्षेत्र है Defence. क्‍या भारत अपनी सुरक्षा के लिए आजादी के 70 साल के बाद भी औरों पर dependent रहे। अश्रु गैस है न अश्रु गैस, रोने के लिए भी tear gas, वो भी बाहर से लाना पड़ता है। ये स्‍थिति अब बदलनी है दोस्‍तों। हम हमारी रक्षा के लिए जो आवश्‍यकताएं हैं वो तो हम बनाएं। इतना ही नहीं दुनिया को हम supply भी करे, ये ताकत हमारी होनी चाहिए।

हम मोबाइल के बिना जी नहीं सकते और आप में से कई लोग है, मेरे से जुड़े हुए हैं, फेसबुक पर, ट्वीटर पर। कुछ लोग मेरी Narendra Modi app पर भी कुछ न कुछ लिखते रहते हैं गुवाहाटी से। लेकिन मोबाइल फोन बाहर से लाना पड़ता है और इसलिए दोस्‍तों हमारे जो IITs है। हमारी IIIT है। हमारी technical institutions है। वहां make in India का मुझे माहौल create करना है। अभी से विद्यार्थी के मन में विचार होना चाहिए कि मैं शस्‍त्रार्थों की दुनिया में भारत को ये अमानत दूंगा ताकि दुनिया हमें कुछ न कर पाए।

हम ICT के क्षेत्र में जा रहे हैं। ICT हम व्‍यापार-धंधे के लिए नए-नए सॉफ्टवेयर बनाने की ताकत create कर रहे हैं, लेकिन दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है और सारी दुनिया के सामने है। वो चुनौती है, cyber security की। हर कोई परेशान है, कहीं कोई हाई-जैक तो नहीं कर लेगा। मेरी पूरी फाइल चली तो नहीं जाएगी। मैं research कर रहा हूं, कोई उठा तो नहीं ले जाएगा। दुनिया को कोई ठप्‍प तो नहीं कर देगा। हवाई जहाज उड़ता होगा और cyber attack करके उसको वही रोक दिया जा सकता है और फिर वो नीचे ही आएगा। ये संकट है, दुनिया डरी हुई है। technology ने जहां-जहां पर हमको पहुंचाया है तो उसके साथ हमारे सामने चुनौतियां भी आई हैं। क्‍या हमारे विद्यार्थी, हमारे नौजवान विश्‍व को cyber security देने के लिए नेतृत्‍व नहीं कर सकते क्‍या? अगर दुनिया में किसी को भी cyber security की जरूरत होगी, भारत के नौजवान पर उसको भरोसा करना पड़ेगा, तब जाकर के उसका काम होगा। ये नहीं कर सकते क्‍या?

और इसलिए दोस्‍तों skill development से लेकर के make in India. दो दिन पहले आप में से कई लोग शायद मेरे साथ वीडियो कॉंफ्रेंस में जुड़े हुए होंगे। जब मैं दो दिन पहले दिल्‍ली में ‘स्‍टार्ट-अप’ का आरंभ किया। जब मैं पहले ‘स्‍टार्ट-अप’ कह रहा था तो कुछ लोगों को तो पता ही नही पड़ता, क्‍या कह रहा है ये। ‘स्‍टार्ट-अप इंडिया, स्‍टैंड-अप इंडिया’. जब लालकिले से हमने कहा तो ऐसे ही आकर के चला गया विषय। पता ही नहीं चला, कहीं रजिस्‍टर्ड ही नहीं हुआ। लेकिन अभी जब ‘स्‍टार्ट-अप’ का कार्यक्रम हुआ, लाखों नौजवानों ने रजिस्‍ट्रेशन कराया। एक नया mood बना है, देश में। नौजवान सोच रहा है मैं रोजगार के लिए apply नहीं करूंगा, मैं अपने पैरों पर नई चीज खोजकर के दुनिया के बाजार में ले आऊंगा, नए तरीके से ले आऊंगा।

‘स्‍टार्ट-अप’ का एक माहौल बना है। वर्तमान में जो नई पीढ़ी है वो job-seeker नहीं बनना चाहती है, वो job-creator बनना चाहती है और सरकार ‘स्‍टार्ट-अप इंडिया, स्‍टैंड-अप इंडिया’ के भरोसे उसे बल देना चाहती है और इसलिए अभी आपने देखा होगा, हमने कई नई योजनाएं घोषित की है, नए initiative लिए हैं क्‍योंकि भारत दुनिया का ‘स्‍टार्ट-अप’ का capital बन सकता है जिस देश के पास इतनी talent हो, वो दुनिया का capital बन सकता है और मैंने ये देखा, आपने भी शायद टीवी पर इन चीजों को ध्‍यान से देखा होगा, नहीं देखा होगा तो इंटरनेट पर सारी चीजें इन दिनों available है। 22-25-27-30 साल के नौजवान अरबों-खरबों रुपयों का व्‍यापार करने लगे हैं और दो-तीन साल में करने लगे हैं और पांच हजार- दस हजार- 25 हजार लोगों को रोजगार दे रहे हैं just अपना दिमाग और technology का उपयोग करते हुए।

और जमाना App का है, हर चीज का App बनता है और दुनिया जुड़ जाती है। मैं भी अब जुड़ गया लेकिन हमारे नौजवानों की जो बुद्धिमत्‍ता है वो कुछ कर गुजरने की बुद्धिमत्‍ता है और इसलिए skill development से लेकर के ‘स्‍टार्ट-अप’ तक की यात्रा Make in India. पहले Make for India और बाद में Make for Global, ये requirement को पूरा करने के लिए हम आगे बढ़ना चाहते हैं और उसमें technical force एक बहुत बड़ी आवश्‍यकता है। हर हाथ में हुनर होना चाहिए। कभी-कभी हम लोग रोते बैठते हैं। हमारे देश में कुछ ये भी आदत है। समस्‍याएं होती है। हर किसी के नसीब में मक्‍खन पर लकीर करने का सौभाग्‍य नहीं होता है। पत्‍थर पर लकीर करने की ताकत होनी चाहिए और अगर हम अपने आप को युवा कहते हैं तो उसकी पहली शर्त यह होती है कि वो मक्‍खन पर लकीर करने के रास्‍ते न ढूंढे, वो पत्‍थर पर लकीर करने की ताकत के लिए सोचे। अगर यही इरादे लेकर के हम चलते हैं तो हम अपनी तो जिन्‍दगी बनाते हैं लेकिन कइयों की जिन्‍दगी में बदलाव लाने के लिए कारण भी बनते हैं।

तो भारत में हमारी जितनी भी academic institutions है, technical institutions है, हमारी Universities है। चाहे हमारी आईआईटी हो या हमारी आईटीआई हो, छोटी से छोटी technical इकाई से लेकर के, top most technical venture, इन दोनों के अंदर एकसूत्रता होनी चाहिए और हम देश की आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने के लिए सामर्थ्‍यवान बने। समस्‍याएं अपने आप उसका रास्‍ता भी खोजकर के आती है। कोई समस्‍या ऐसी नहीं होती जिसकी कोख में समाधान भी पलता न हो। सिर्फ पहचानने वाला चाहिए। हर समस्‍या की कोख में समाधान भी पलता है, उस समाधान को पकड़ने वाला चाहिए, समस्‍या का समाधान निकल आता है।

मैं चाहूंगा मेरे नौजवान चीजों को देखे तो उसके मन में पहले ये न आए कि यार ऐसा क्यों है। जो सो है सो है, यार ये है ऐसा करेंगे तो ये नहीं रहेगा। हम बदलाव ला सकते हैं। हमारी विचार प्रक्रिया को हम बदले।

पिछले दिनों राष्‍ट्रपति भवन में स्‍कूल के कुछ बच्‍चों को बुलाया गया था। हमारे राष्‍ट्रपति जी ऐसे लोगों को काफी encourage करने के अनेक कार्यक्रम करते रहते हैं। तो उन्‍होंने कहा, मोदी जी एक बार आइए, जरा देखिए। आठवीं, नौवीं, दसवीं कक्षा के बच्‍चे थे और मैंने देखा कि ‘स्‍वच्‍छ भारत’ के विषय में technology क्‍या role कर सकती है, कौन-सी innovative equipment create किया जा सकता है जो स्‍वच्‍छ भारत के लिए next requirement जो process है उसको पूरा कर सके। आठवीं-नौवी कक्षा के बच्‍चों ने ऐसी-ऐसी चीजें बनाई थी, मैं हैरान था। इसका मतलब यह हुआ कि हर समस्‍या का समाधान करने के लिए हमारे पास सामर्थ्‍य होता है।

अगर इंडिया के पास million problem है तो हिन्‍दुस्‍तान के पास billion brain भी है और इसलिए दोस्‍तों नया भवन तो मिलेगा। हिन्‍दुस्‍तान के पूर्वी छोर में ये ज्ञान का सूरज ऐसा तेज होकर के निकले कि पूरे हिन्‍दुस्‍तान को ज्ञान से प्रकाशित कर दे, ये मेरी आप सबको शुभकामनाएं हैं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे वरिष्ठ सहयोगी और लखनऊ के सांसद, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जी, यूपी भाजपा के अध्यक्ष और केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्रीमान पंकज चौधरी जी, प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक जी, उपस्थित अन्य मंत्रीगण, जनप्रतिनिधिगण, देवियों और सज्जनों,

आज लखनऊ की ये भूमि, एक नई प्रेरणा की साक्षी बन रही है। इसकी विस्तार से चर्चा करने से पहले, मैं देश और दुनिया को क्रिसमस की शुभकामनाएं देता हूं। भारत में भी करोड़ों इसाई परिवार आज उत्सव मना रहे हैं, क्रिसमस का ये उत्सव, सभी के जीवन में खुशियां लाए, ये हम सभी की कामना है।

साथियों,

25 दिसंबर का ये दिन, देश की दो महान विभूतियों के जन्म का अद्भुत सुयोग लेकर भी आता है। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी, भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय जी, इन दोनों महापुरुषों ने भारत की अस्मिता, एकता और गौरव की रक्षा की, और राष्ट्र निर्माण में अपनी अमिट छाप छोड़ी।

साथियों,

आज 25 दिसंबर को ही महाराजा बिजली पासी जी की भी जन्म-जयंती है। लखनऊ का प्रसिद्ध बिजली पासी किला यहां से अधिक दूर नहीं है। महाराजा बिजली पासी ने, वीरता, सुशासन और समावेश की जो विरासत छोड़ी, उसको हमारे पासी समाज ने गौरव के साथ आगे बढ़ाया है। ये भी संयोग ही है कि, अटल जी ने ही वर्ष 2000 में महाराजा बिजली पासी के सम्मान में डाक टिकट जारी किया था।

साथियों,

आज इस पावन दिन, मैं महामना मालवीय जी, अटल जी और महाराजा बिजली पासी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं, उनका वंदन करता हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले मुझे, यहां राष्ट्र प्रेरणा स्थल का लोकार्पण करने का सौभाग्य मिला है। ये राष्ट्र प्रेरणा स्थल, उस सोच का प्रतीक है, जिसने भारत को आत्मसम्मान, एकता और सेवा का मार्ग दिखाया है। डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी और अटल बिहारी वाजपेयी जी, इनकी विशाल प्रतिमाएं जितनी ऊंची हैं, इनसे मिलने वाली प्रेरणाएं उससे भी अधिक बुलंद हैं। अटल जी ने लिखा था, नीरवता से मुखरित मधुबन, परहित अर्पित अपना तन-मन, जीवन को शत-शत आहुति में, जलना होगा, गलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। ये राष्ट्र प्रेरणा स्थल, हमें संदेश देता है कि हमारा हर कदम, हर पग, हर प्रयास, राष्ट्र-निर्माण के लिए समर्पित हो। सबका प्रयास ही, विकसित भारत के संकल्प को सिद्ध करेगा। मैं, लखनऊ को, उत्तर प्रदेश को, पूरे देश को, इस आधुनिक प्रेरणा-स्थली की बधाई देता हूं। और जैसा अभी बताया गया और वीडियों में भी दिखाया गया, कि जिस जमीन पर ये प्रेरणा स्थल बना है, उसकी 30 एकड़ से ज्यादा जमीन पर कई दशकों से कूड़े-कचरे का पहाड़ जमा हुआ था। पिछले तीन वर्ष में इसे पूरी तरह खत्म किया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी श्रमिकों, कारीगरों, योजनाकारों, योगी जी और उनकी पूरी टीम को भी मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश को दिशा देने में निर्णायक भूमिका निभाई है। ये डॉक्टर मुखर्जी ही थे, जिन्होंने भारत में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान के विधान को खारिज कर दिया था। आजादी के बाद भी, जम्मू-कश्मीर में ये व्यवस्था, भारत की अखंडता के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। भाजपा को गर्व है कि, हमारी सरकार को आर्टिकल 370 की दीवार गिराने का अवसर मिला। आज भारत का संविधान जम्मू कश्मीर में भी पूरी तरह लागू है।

साथियों,

स्वतंत्र भारत के पहले उद्योग मंत्री के रूप में, डॉक्टर मुखर्जी ने भारत में आर्थिक आत्मनिर्भरता की नींव रखी थी। उन्होंने देश को पहली औद्योगिक नीति दी थी। यानी भारत में औद्योगीकरण की बुनियाद रखी थी। आज आत्मनिर्भरता के उसी मंत्र को हम नई बुलंदी दे रहे हैं। मेड इन इंडिया सामान आज दुनियाभर में पहुंच रहा है। यहां यूपी में ही देखिए, एक तरफ, एक जनपद एक उत्पाद का इतना बड़ा अभियान चल रहा है, छोटे-छोटे उद्योगों, छोटी इकाइयों का सामर्थ्य बढ़ रहा है। दूसरी तरफ, यूपी में बहुत बड़ा डिफेंस कॉरिडोर बन रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने जिस ब्रह्मोस मिसाइल का जलवा देखा, वो अब लखनऊ में बन रही है। वो दिन दूर नहीं जब यूपी का डिफेंस कॉरिडोर, दुनियाभर में डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग के लिए जाना जाएगा।

साथियों,

दशकों पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने अंत्योदय का एक सपना देखा था। वे मानते थे कि भारत की प्रगति का पैमाना, अंतिम पंक्ति में खड़े 'अंतिम व्यक्ति' के चेहरे की मुस्कान से मापा जाएगा। दीनदयाल जी ने 'एकात्म मानववाद' का दर्शन भी दिया, जहाँ शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा, सबका विकास हो। दीन दयाल जी के सपने को मोदी ने अपना संकल्प बनाया है। हमने अंत्योदय को सैचुरेशन यानी संतुष्टिकरण का नया विस्तार दिया है। सैचुरेशन यानी हर ज़रूरतमंद, हर लाभार्थी को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के दायरे में लाने का प्रयास। जब सैचुरेशन की भावना होती है, तो भेदभाव नहीं होता, और यही तो सुशासन है, यही सच्चा सामाजिक न्याय है, यही सच्चा सेकुलरिज्म है। आज जब देश के करोड़ों नागरिकों को, बिना भेदभाव, पहली बार पक्का घर, शौचालय, नल से जल, बिजली और गैस कनेक्शन मिल रहा है, करोड़ों लोगों को पहली बार मुफ्त अनाज और मुफ्त इलाज मिल रहा है। पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास हो रहा है, तो पंडित दीन दयाल जी के विजन के साथ न्याय हो रहा है।

साथियों,

बीते दशक में करोड़ों भारतीयों ने गरीबी को परास्त किया है, गरीबी को हराया है। ये इसलिए संभव हुआ, क्योंकि भाजपा सरकार ने, जो पीछे छूट गया था, उसे प्राथमिकता दी, जो अंतिम पंक्ति में था, उसे प्राथमिकता दी।

साथियों,

2014 से पहले करीब 25 करोड़ देशवासी ऐसे थे, जो सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में थे, 25 करोड़। आज करीब 95 करोड़ भारतवासी, इस सुरक्षा कवच के दायरे में हैं। उत्तर प्रदेश में भी बड़ी संख्या में लोगों को इसका लाभ मिला है। मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं। जैसे बैंक खाते सिर्फ कुछ ही लोगों के होते थे, वैसे ही, बीमा भी कुछ ही संपन्न लोगों तक सीमित था। हमारी सरकार ने अंतिम व्यक्ति तक बीमा सुरक्षा पहुंचाने का बीड़ा उठाया। इसके लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना बनाई, इससे मामूली प्रीमियम पर दो लाख रुपए का बीमा सुनिश्चित हुआ। आज इस स्कीम से 25 करोड़ से ज्यादा गरीब जुड़े हैं। इसी तरह, दुर्घटना बीमा के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना चल रही है। इससे भी करीब 55 करोड़ गरीब जुड़े हैं। ये वो गरीब देशवासी हैं, जो पहले बीमा के बारे में सोच भी नहीं पाते थे।

साथियों,

आपको जानकार के हैरानी होगी, इन योजनाओं से करीब-करीब 25 हजार करोड़ रुपए का क्लेम, इन छोटे-छोटे परिवार के छोटे-छोटे जिंदगी के गुजारे करने वाले, मेरे सामान्य गरीब परिवारों तक 25 हजार करोड़ रूपयों का लाभ पहुंचा है। यानी संकट के समय ये पैसा गरीब परिवारों के काम आया है।

साथियों,

आज अटल जी की जयंती का ये दिन सुशासन के उत्सव का भी दिन है। लंबे समय तक, देश में गरीबी हटाओ जैसे नारों को ही गवर्नेंस मान लिया गया था। लेकिन अटल जी ने, सही मायने में सुशासन को ज़मीन पर उतारा। आज डिजिटल पहचान की इतनी चर्चा होती है, इसकी नींव बनाने का काम अटल जी की सरकार ने ही किया था। उस समय जिस विशेष कार्ड के लिए काम शुरु हुआ था, जो आज आधार के रूप में, विश्व विख्यात हो चुका है। भारत में टेलिकॉम क्रांति को गति देने का श्रेय भी अटल जी को ही जाता है। उनकी सरकार ने जो टेलिकॉम नीति बनाई, उससे घर-घर तक फोन और इंटरनेट पहुंचाना आसान हुआ, और आज भारत, दुनिया में सबसे अधिक मोबाइल और इंटरनेट यूज़र वाले देशों में से एक है।

साथियों,

आज अटल जी जहां होंगे, इस बात से प्रसन्न होंगे कि, बीते 11 वर्षों में भारत, दुनिया का दूसरा बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बन गया है। और जिस यूपी से वो सांसद रहे, वो यूपी आज भारत का नंबर वन मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग राज्य है।

साथियों,

कनेक्टिविटी को लेकर अटल जी के विजन ने, 21वीं सदी के भारत को शुरुआती मजबूती दी। अटल जी की सरकार के समय ही, गांव-गांव तक सड़कें पहुंचाने का अभियान शुरु किया गया था। उसी समय स्वर्णिम चतुर्भुज, यानी हाईवे के विस्तार पर काम शुरु हुआ था।

साथियों,

साल 2000 के बाद से प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत अब तक करीब 8 लाख किलोमीटर सड़कें गांवों में बनी हैं। और इनमें से करीब 4 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें पिछले 10-11 साल में बनी हैं।

और साथियों,

आज आप देखिए, आज हमारे देश में अभूतपूर्व गति से एक्सप्रेस-वे बनाने का काम कितनी तेजी से चल रहा है। हमारा यूपी भी एक्सप्रेस-वे स्टेट के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। वो अटल जी ही थे, जिन्होंने दिल्ली में मेट्रो की शुरुआत की थी। आज देश के 20 से ज्यादा शहरों में मेट्रो नेटवर्क, लाखों लोगों का जीवन आसान बना रहा है। भाजपा-NDA सरकार ने सुशासन की जो विरासत बनाई है, उसे आज भाजपा की केंद्र और राज्य की सरकारें, नए आयाम, नया विस्तार दे रही है।

साथियों,

डॉक्टर मुखर्जी, पंडित दीन दयाल जी, अटल जी, इन तीन महापुरुषों की प्रेरणा, उनके विजनरी कार्य, ये विशाल प्रतिमाएं, विकसित भारत का बहुत बड़ा आधार है। आज इनकी प्रतिमाएं, हमें नई ऊर्जा से भर रही हैं। लेकिन हमें ये नहीं भूलना है कि, आज़ादी के बाद, भारत में हुए हर अच्छे काम को कैसे एक ही परिवार से जोड़ने की प्रवृत्ति पनपी। किताबें हों, सरकारी योजनाएं हों, सरकारी संस्थान हों, गली, सड़क, चौराहे हों, एक ही परिवार का गौरवगान, एक ही परिवार के नाम, उनकी ही मूर्तियां, यही सब चला। भाजपा ने देश को एक परिवार की बंधक बनी इस पुरानी प्रवृत्ति से भी बाहर निकाला है। हमारी सरकार, मां भारती की सेवा करने वाली हर अमर संतान, हर किसी के योगदान को सम्मान दे रही है। मैं कुछ उदाहरण आपको देता हूं, आज नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा, दिल्ली के कर्तव्य पथ पर है। अंडमान में जिस द्वीप पर नेताजी ने तिरंगा फहराया, आज उसका नाम नेताजी के नाम पर है।

साथियों,

कोई नहीं भूल सकता कि कैसे बाबा साहेब आंबेडकर की विरासत को मिटाने का प्रयास हुआ, दिल्ली में कांग्रेस के शाही परिवार ने ये पाप किया, और यहां यूपी में सपा वालों ने भी यही दुस्साहस किया, लेकिन भाजपा ने बाबा साहेब की विरासत को मिटने नहीं दिया। आज दिल्ली से लेकर लंदन तक, बाबा साहेब आंबेडकर के पंचतीर्थ उनकी विरासत का जयघोष कर रहे हैं।

साथियों,

सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सैकड़ों रियासतों में बंटे हमारे देश को एक किया था, लेकिन आज़ादी के बाद, उनके काम और उनके कद, दोनों को छोटा करने का प्रयास किया गया। ये भाजपा है जिसने सरदार साहेब को वो मान-सम्मान दिया, जिसके वो हकदार थे। भाजपा ने ही सरदार पटेल की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई, एकता नगर के रूप में एक प्रेरणा स्थली का निर्माण किया। अब हर साल वहां 31 अक्टूबर को देश राष्ट्रीय एकता दिवस का मुख्य आयोजन करता है।

साथियों,

हमारे यहां दशकों तक आदिवासियों के योगदान को भी उचित स्थान नहीं दिया गया। हमारी सरकार ने ही भगवान बिरसा मुंडा का भव्य स्मारक बनाया, अभी कुछ सप्ताह पहले ही छत्तीसगढ़ में शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी म्यूजियम का लोकार्पण हुआ है।

साथियों,

देशभर में ऐसे अनेक उदाहरण हैं, यहीं उत्तर प्रदेश में ही देखें तो, महाराजा सुहेलदेव का स्मारक, तब बना जब भाजपा सरकार बनी। यहाँ निषादराज और प्रभु श्रीराम की मिलन स्थली को अब जाकर के मान-सम्मान मिला। राजा महेंद्र प्रताप सिंह से लेकर चौरी-चौरा के शहीदों तक, मां भारती के सपूतों के योगदान को भाजपा सरकार ने ही पूरी श्रद्धा और विन्रमता से याद किया है।

साथियों,

परिवारवाद की राजनीति की एक विशिष्ट पहचान होती है, ये असुरक्षा से भरी हुई होती है। इसलिए, परिवारवादियों के लिए, दूसरों की लकीर छोटी करना मजबूरी हो जाता है, ताकि उनके परिवार का कद बड़ा दिखे और उनकी दुकान चलती रहे। इसी सोच ने भारत में राजनीतिक छुआछूत का चलन शुरु किया। आप सोचिए, आज़ाद भारत में अनेक प्रधानमंत्री हुए, लेकिन राजधानी दिल्ली में जो म्यूजियम था, उसमें अनेक पूर्व प्रधानमंत्रियों को नजर अंदाज किया गया। इस स्थिति को भी भाजपा ने, एनडीए ने ही बदला है। आज आप दिल्ली जाते हैं, तो भव्य प्रधानमंत्री संग्रहालय आपका स्वागत करता है वहां आज़ाद भारत के हर प्रधानमंत्री, चाहे कार्यकाल कितना भी छोटा रहा हो, सबको उचित सम्मान और स्थान दिया गया है।

साथियों,

कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने राजनीतिक रूप से भाजपा को हमेशा अछूत बनाए रखा। लेकिन भाजपा के संस्कार हमें सबका सम्मान करना सिखाते हैं। बीते 11 वर्षों में भाजपा सरकार के दौरान, एनडीए सरकार के दौरान, नरसिम्हा राव जी और प्रणब बाबू को भारत रत्न दिया गया है। ये हमारी सरकार है जिसने मुलायम सिंह यादव जी और तरुण गोगोई जी जैसे अनेक नेताओं को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया है। कांग्रेस से, यहां समाजवादी पार्टी से कोई भी ऐसी उम्मीद तक नहीं कर सकता। इन लोगों के राज में तो भाजपा के नेताओं को सिर्फ अपमान ही मिलता था।

साथियों,

भाजपा की डबल इंजन सरकार का बहुत अधिक फायदा उत्तर प्रदेश को हो रहा है। उत्तर प्रदेश, 21वीं सदी के भारत में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। और मेरा सौभाग्य है कि मैं यूपी से सांसद हूं। आज मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं, कि उत्तर प्रदेश के मेहनतकश लोग एक नया भविष्य लिख रहे हैं। कभी यूपी की चर्चा खराब कानून व्यवस्था को लेकर होती थी, आज यूपी की चर्चा विकास के लिए होती है। आज यूपी देश के पर्यटन मानचित्र पर तेज़ी से उभर रहा है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर, काशी विश्वनाथ धाम, ये दुनिया में यूपी की नई पहचान के प्रतीक बन रहे हैं। और राष्ट्र प्रेरणा स्थल जैसे आधुनिक निर्माण, उत्तर प्रदेश की नई छवि को और अधिक रोशन बनाते हैं।

साथियों,

हमारा उत्तर प्रदेश, सुशासन, समृद्धि, सच्चे सामाजिक न्याय के मॉडल के रूप में और बुलंदी हासिल करे, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से राष्ट्र प्रेरणा स्थल की बधाई। मैं कहूंगा डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, आप कहेंगे अमर रहे, अमर रहे। मैं कहूं पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी, आप कहें अमर रहे, अमर रहे। मैं कहूं अटल बिहारी वाजपेयी जी, आप कहें अमर रहे, अमर रहे।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी - अमर रहे, अमर रहे।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी - अमर रहे, अमर रहे।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी - अमर रहे, अमर रहे।

पंडित दीनदयाल जी - अमर रहे, अमर रहे।

पंडित दीनदयाल जी - अमर रहे, अमर रहे।

पंडित दीनदयाल जी - अमर रहे, अमर रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी जी - अमर रहे, अमर रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी जी - अमर रहे, अमर रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी जी - अमर रहे, अमर रहे।

भारत माता की जय!

वन्दे मातरम्।

वन्दे मातरम्।

बहुत-बहुत धन्यवाद।