Published By : Admin |
November 16, 2014 | 17:04 IST
Share
उपस्थित सभी महानुभाव,
अभी दो घंटे पहले G -20 का समापन हुआ और अब मेरा विधिवत ऑस्ट्रेलिया के साथ Bilateral मीटिंग का कार्यक्रम शुरू हुआ और प्रारंभ पूज्य बापू के Statue के अनावरण के साथ-साथ उनको नमन कर करके हो रहा है। यह मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है।
मैं, इसके जो traditional owner है इस धरती के, उनको विशेष रूप से अभिनंदन करता हूं। इस कार्य के लिए और मैं आभार भी व्यक्त करता हूं। मैं ब्रिसबेन के मेयर का भी बहुत आभार व्यक्त करता हूं कि इस काम के लिए उन्होंने हमें सहयोग दिया और हर भारतीय की भावना का आदर किया। इसके लिए मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूं। इन दिनों भारत में मेरे विषय को लेकर के एक चर्चा चलती है और मैं भी सुनकर के कभी-कभी हैरान होता हूं। कुछ लोग यह कहते हैं कि मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद बार-बार गांधी का नाम लेते हैं और हर चीज में गांधी को लाते हैं। लेकिन आज हेमंत भाई ने जो घटना सुनाई उसके बाद में समझता हूं इस प्रकार की चर्चा करने वालों को जवाब मिला होगा कि जब मैं मुख्यमंत्री भी नहीं था और ब्रिसबेन भी जाता हूं, तब भी यहां के लोगों से गांधी की बात करता हूं। मेरा यह Commitment है मेरा यह समर्पण है, यह मेरा उनके प्रति श्रद्धा के भाव की अभिव्यक्ति है।
हमारे शर्मा जी का परिवार यहां बैठा है। उस समय जो मुझे, मेरी खातिरदारी करते थे, जब मैं यहां आया। पुराने लोगों को मैं देख रहा हूं। काफी परिचित चेहरे मुझे नजर आ रहे हैं, लेकिन बड़े लम्बे अरसे के बाद आज मेरा आप सब के बीच आना हुआ है। लेकिन एक अच्छे अवसर पर मुझे आने का सौभाग्य मिला है।
2 अक्तूबर को पोरबंदर की धरती पर किसी इंसान का जन्म नहीं हुआ था बल्कि 2 अक्तूबर को पोरबंदर की धरती पर एक युग का जन्म हुआ था। और मैं मानता हूं कि महात्मा गांधी आज भी दुनिया के लिए उतने ही relevant है, जितने कि वे अपने जीवनकाल में थे।
आज विश्व दो बड़े संकटों से गुजर रहा है और पूरे विश्व को उसकी चिंता है, चर्चा है। हमारी जी-20 Summit में भी इन दोनों बातों की चर्चा में काफी समय भी गया है और हमें उन दो बातों का जवाब महात्मा गांधी के जीवन में से मिलता है। महात्मा गांधी के जीवन की बातों को अगर हम देखेंगे, तो आज विश्व जिन समस्याओं से जूझ रहा है। उसका जवाब ढूंढने में हमें कोई दिक्कत नहीं होगी। आज दुनिया को एक चिंता है Global Warming की और दुनिया को दूसरी चिंता है Terrorism की, आतंकवाद की।
Global Warming के मूल में मुनष्य की जो प्रकृति का शोषण करने का स्वभाव रहा। सदियों से हमने प्रकृति का शोषण किया, प्रकृति का विनाश किया और उसी ने आज ग्लो्बल वार्मिंग का हमारे लिए संकट पैदा किया है। महात्मा गांधी हमेशा प्रकृति से प्रेम करने का संदेश देते थे। उनकी पूरी जीवनचर्या में Exploitation of the nature, उसका विरोध करते थे। मनुष्य को एक सीमा तक ही milking of the nature का ही अधिकार है। उससे ज्यादा प्रकृति से लेने का अधिकार नहीं है। यह बात महात्मा गांधी जी ने जीवन मे करके दिखाई थी।
अगर हमने प्रकृति का शोषण न किया होता, मुनष्य की आवश्यकता के अनुसार बस milking of nature किया होता, तो आज जो पूरे विश्व को जिस प्रकार के संकटों को झेलना पड़ रहा है, शायद हमें जूझना न पड़ता।
महात्मा गांधी जब 25 के कालखंड में, 20- 25 के कालखंड में, 1925– 1930 में साबरमती आश्रम में रहते थे। 1930 में दांडी यात्रा के लिए वो चल पड़े थे, उसके बाद वापस कभी साबरमती आश्रम नहीं आए थे और साबरमती नदी के किनारे पर रहते थे। उस समय साबरमती नदी लबालब पानी से भारी हुई रहती थी। 1920-25 के कालखंड में पानी की कोई कमी नहीं थी लेकिन उस समय भी अगर गांधी को पानी कोई देता था और ज्यादा पानी देता था तो गांधी उसको डांटते थे कि पानी क्यों बरबाद कर रहे हो, पानी आधा ग्लिास दो जरूरत पड़ी तो कोई दूसरी बार मांगेगा। गांधी इतने आग्रही रहते थे। अपने पास आए हुए लिफाफे के पीछे वो लिखते थे, क्योंकि उनको मालूम था कि मैं ज्यादा कागज उपयोग करूंगा, तो ज्यादा वृक्ष कटेंगे और तब जाकर के कागज बनेगा और वो भी मैं नहीं करूंगा। यहां तक उनका आग्रह रहता था। हम कल्पना कर सकते हैं गांधी के जीवन की हर बात में कि वो प्रकृति की रक्षा के संबंध में कितने सजग थे और अपने जीवन आचरण के माध्यम से प्रकृति की रक्षा का संदेश कितना देते थे और वही जीवन अगर हम जीते या आज भी अगर उस जीवन को हम स्वीकार करे तो हम Global Warming की दुनिया की जो चिंता है, उस दुनिया को बचाने में हमारी तरफ से भी कुछ न कुछ योगदान दे सकते हैं। महात्मा गांधी ने हमें अहिंसा का मार्ग सिखाया, यह अहिंसा का शस्त्र, यह सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने का साधन था, ऐसा नहीं है। अंहिसा, यह Article of faith महात्मा गांधी का यह विश्वास था कि हम शब्द् से भी किसी की हिंसा नहीं कर सकते। शस्त्र से तो हिंसा की बात बहुत दूर की है और अगर आज विश्व ने गांधी के उस अंहिसा के संदेश को पचाया होता, समझने की कोशिश की होती; "Holier-than-thou" मैं तुमसे बड़ा हूं; मैं तुमसे से ताकतवर हूं; मैं तुमसे अच्छा हूं; मेरा रास्ता ही से सही है इस प्रकार के जो विवादों के अंदर जो दुनिया फंसी हुई है और जिसको अपनी बात को सिद्ध करने के लिए शस्त्र का सहारा लिया जा रहा है और निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया जा रहा है; महात्मा गांधी का संदेश उस रास्तें से हमें भटकने से बचा सकता था।
आज भी विश्व के लिए सबके प्रति आदर का भाव, सबके प्रति समानता का भाव, यही हमें विश्व से बचने का रास्ता हो सकता है। कोई किसी से बड़ा है और इसलिए अगर मैं उसको चुनौती दूं, उसको खत्म करूं। यह रास्ता विश्व को मंजूर नहीं है। जगत बदल चुका है। और महात्मा गांधी ने जो सपना देखा था उस सपने की ताकत कितनी है वो आज दुनिया को समझ में आना शुरू हुआ है।
मैं विशेष रूप से उन परिवारों का भी आभार व्यक्त करता हूं। जब मैं आया और ऐसी बातें की और उस पर वो लगे रहे। हेमंत और उनके सारे दोस्तों से मैं पूछ रहा था कि हेमंत, तुम्हारे बाल कहां चले गए तो कल्पना ने मुझको कहा कि मैं तो उसको ठीक खिला रही हूं। आपके दोस्त को मैं खिला रही हूं आप चिंता मत कीजिए। ऐसा एक पारिवारिक वातारण इतने पुराने साथियों बातों-बातों में मन से जो बात निकली मैंने भी कभी सोचा नहीं था कि ये लोग यह काम तो करेंगे ही, लेकिन वो सौभाग्य मेरे नसीब में होगा, शायद कोई ईश्वरीय संकेत है कि इस काम के लिए मुझे अवसर मिला।
जो लोग बाहर हैं, यहां पहुंच नहीं पाएं हैं, उनका भी मैं सम्मान पूर्वक आदर करता हूं। और उनका गौरव करता हूं आप सबका भी मैं आभार व्यक्त करता हूं। फिर एक बार मैं सबका अभिनंदन करता हूं। यह महान काम करने के लिए बहुत बहुत धन्यावाद और पूज्य बापू को हम सब प्रणाम करते हुए उनसे प्रेरणा लेकर के मानवजाति के कल्याण के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं करने का हम प्रयास करें। बहुत बहुत शुभकामनाएं।
Text of PM’s address at the inauguration of Ashtalakshmi Mahotsav in New Delhi
December 06, 2024
Share
PM unveils a commemorative postage stamp on the occasion
Northeast is the 'Ashtalakshmi' of India: PM
Ashtalakshmi Mahotsav is a celebration of the brighter future of the Northeast. It is a festival of a new dawn of development, propelling the mission of a Viksit Bharat forward: PM
We are connecting the Northeast with the trinity of Emotion, Economy and Ecology: PM
असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंता बिस्वा सरमा जी, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा जी, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा जी, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, सुकांता मजूमदार जी, अरुणाचल प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री, मिजोरम और नागालैंड की सरकार के मंत्रीगण, अन्य जनप्रतिनिधि, नॉर्थ ईस्ट से आए सभी भाई और बहनों, देवियों और सज्जनों।
साथियों,
आज संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस है। बाबा साहेब का बनाया संविधान, संविधान के 75 वर्ष के अनुभव...हर देशवासी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है। मैं सभी देशवासियों की तरफ से बाबा साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, उन्हें नमन करता हूं।
साथियों,
हमारा ये भारत मंडपम, बीते 2 वर्षों में अनेक राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों का साक्षी रहा है। यहां हमने G-20 का इतना बड़ा और सफल आयोजन देखा। लेकिन आज का आयोजन और भी विशेष है। आज दिल्ली पूर्वोत्तरमय हो गई है। पूर्वोत्तर के विविधता भरे रंग आज राजधानी में एक सुंदर सा इंद्रधनुष बना रहे हैं। आज हम यहां पर पहला अष्टलक्ष्मी महोत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आने वाले तीन दिन तक, ये महोत्सव हमारे नॉर्थ-ईस्ट का सामर्थ्य पूरे देश को दिखाएगा, पूरे विश्व को दिखाएगा। यहां व्यापार-कारोबार से जुड़े समझौते होंगे, नॉर्थ ईस्ट के उत्पादों से दुनिया परिचित होगी, नॉर्थ ईस्ट का कल्चर, वहां की कुज़ीन आकर्षण का केंद्र होगा। नॉर्थ ईस्ट के जो हमारे अचीवर्स हैं, जिनमें से अनेक पद्म पुरस्कार विजेता यहां मौजूद हैं...इन सभी की प्रेरणा के रंग बिखरेंगे। ये पहला और अनोखा आयोजन है, जब इतने बड़े स्तर पर नॉर्थ ईस्ट में निवेश के द्वार खुल रहे हैं। ये नॉर्थ ईस्ट के किसानों, कारीगरों, शिल्पकारों के साथ-साथ दुनियाभर के निवेशकों के लिए भी एक बेहतरीन अवसर है। नॉर्थ ईस्ट का पोटेंशियल क्या है, ये हम यहां जो प्रदर्शनी लगी है, यहां जो हाट-बाज़ार में भी अगर जाएंगे तो हम अनुभव कर सकते हैं, उसकी विविधता, उसके सामर्थ्य को। मैं अष्टलक्ष्मी महोत्सव के आयोजकों को, नॉर्थ ईस्ट के सभी राज्यों के निवासियों को, यहां आए सभी निवेशकों को, यहां आने वाले सभी अतिथियों को बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूं।
साथियों,
बीते सौ-दो सौ साल के कालखंड को देखें...तो हमने पश्चिम की दुनिया का, वेस्टर्न वर्ल्ड का एक उभार देखा है। आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक हर स्तर पर दुनिया में पश्चिमी क्षेत्र की एक छाप रही है। और संयोग से, भारत में भी हमने देखा है कि जो हमारे देश को अगर हम देखें नक्शा पूरा तो वो पश्चिमी क्षेत्र ने भारत की ग्रोथ स्टोरी में बड़ी भूमिका निभाई है। इस वेस्ट सेंट्रिक कालखंड के बाद अब कहा जाता है कि 21वीं सदी ईस्ट की है, एशिया की है, पूर्व की है, भारत की है। ऐसे में, मेरा ये दृढ़ विश्वास है कि भारत में भी आने वाला समय पूर्वी भारत का है, हमारे पूर्वोत्तर का है। बीते दशकों में हमने मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद...ऐसे बड़े शहरों को उभरते देखा है। आने वाले दशकों में हम गुवाहाटी, अगरतला, इंफाल, ईटानगर, गंगटोक, कोहिमा, शिलॉन्ग और आइजॉल जैसे शहरों का नया सामर्थ्य देखने वाले हैं। और उसमें अष्टलक्ष्मी जैसे इन आयोजनों की बहुत बड़ी भूमिका होगी।
साथियों,
हमारी परंपरा में मां लक्ष्मी को सुख, आरोग्य और समृद्धि की देवी कहा जाता है। जब भी लक्ष्मी जी की पूजा होती है, तो हम उनके आठ रूपों को पूजते हैं। आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी और विद्यालक्ष्मी इसी तरह भारत के पूर्वोत्तर में आठ राज्यों की अष्टलक्ष्मी विराजमान हैं...असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम। नॉर्थ ईस्ट के इन आठों राज्यों में अष्टलक्ष्मी के दर्शन होते हैं। अब जैसे पहला रूप है आदि लक्ष्मी। हमारे नॉर्थ ईस्ट के हर राज्य में आदि संस्कृति का सशक्त विस्तार है। नॉर्थ ईस्ट के हर राज्य में, अपनी परंपरा, अपनी संस्कृति का उत्सव मनाया जाता है। मेघालय का चेरी ब्लॉसम फेस्टिवल, नागालैंड का हॉर्नबील फेस्टिवल, अरुणाचल का ऑरेंज फेस्टिवल, मिज़ोरम का चपचार कुट फेस्टिवल, असम का बीहू, मणिपुरी नृत्य...कितना कुछ है नॉर्थ ईस्ट में।
साथियों,
दूसरी लक्ष्मी…धन लक्ष्मी, यानि प्राकृतिक संसाधन का भी नॉर्थ ईस्ट पर भरपूर आशीर्वाद है। आप भी जानते हैं...नॉर्थ ईस्ट में खनिज, तेल, चाय के बागान और बायो-डायवर्सिटी का अद्भुत संगम है। वहां रीन्युएबल एनर्जी का बहुत बड़ा पोटेंशियल है। "धन लक्ष्मी" का ये आशीर्वाद, पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए वरदान है।
साथियों,
तीसरी लक्ष्मी…धान्य लक्ष्मी की भी नॉर्थ ईस्ट पर भरपूर कृपा है। हमारा नॉर्थ ईस्ट, नैचुरल फार्मिंग के लिए, जैविक खेती के लिए, मिलेट्स के लिए प्रसिद्ध है। हमें गर्व है कि सिक्किम भारत का पहला पूर्ण जैविक राज्य है। नॉर्थ ईस्ट में पैदा होने वाले चावल, बांस, मसाले और औषधीय पौधे...वहां कृषि की शक्ति को दिखाते हैं। आज का भारत, दुनिया को हेल्दी लाइफ स्टाइल से जुड़े हुए, न्युट्रिशन से जुड़े हुए, जो सोल्यूशन देना चाहता है...उसमें नॉर्थ ईस्ट की बड़ी भूमिका है।
साथियों,
अष्टलक्ष्मी की चौथी लक्ष्मी हैं...गज लक्ष्मी। गज लक्ष्मी कमल पर विराजमान हैं और उनके आसपास हाथी हैं। हमारे नॉर्थ ईस्ट में विशाल जंगल हैं, काजीरंगा, मानस-मेहाओ जैसे नेशनल पार्क और वाइल्ड लाइफ सेंचुरी हैं, वहां अद्भुत गुफाएं हैं, आकर्षक झीलें हैं। गजलक्ष्मी का आशीर्वाद नॉर्थ ईस्ट को दुनिया का सबसे शानदार टूरिज्म डेस्टिनेशन बनाने का सामर्थ्य रखता है।
साथियों,
पांचवीं लक्ष्मी हैं...संतान लक्ष्मी यानि उत्पादकता की, क्रिएटिविटी की प्रतीक। नॉर्थ ईस्ट, क्रिएटिविटी के लिए, स्किल के लिए जाना जाता है। जो लोग यहां एग्ज़ीबिशन में जाएंगे, हाट-बाज़ार में जाएंगे..उन्हें नॉर्थ ईस्ट की क्रिएटिविटी दिखेगी। हैंडलूम्स का, हैंडीक्राफ्ट्स का ये हुनर सबका दिल जीत लेता है। असम का मुगा सिल्क, मणिपुर का मोइरांग फी, वांखेई फी, नागालैंड की चाखेशांग शॉल...ऐसे दर्जनों GI tagged products हैं, जो नॉर्थ ईस्ट की क्राफ्ट को, क्रिएटिविटी को दिखाते हैं।
साथियों,
अष्टलक्ष्मी की छठी लक्ष्मी हैं…वीर लक्ष्मी। वीर लक्ष्मी यानि साहस और शक्ति का संगम। नॉर्थ ईस्ट, नारी-शक्ति के सामर्थ्य का प्रतीक है। मणिपुर का नुपी लान आंदोलन, महिला-शक्ति का उदाहरण है। नॉर्थ ईस्ट की महिलाओं ने कैसे गुलामी के विरुद्ध बिगुल फूंका था, ये हमेशा भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से दर्ज रहेगा। रानी गाइदिन्ल्यु, कनकलता बरुआ, रानी इंदिरा देवी, ललनु रोपिलियानी लोक-गाथाओं से लेकर हमारी आज़ादी की लड़ाई तक...नॉर्थ ईस्ट की नारीशक्ति ने पूरे देश को प्रेरणा दी है। आज भी इस परंपरा को नॉर्थ ईस्ट की हमारी बेटियां समृद्ध कर रही हैं। यहां आने से पहले मैं जिन स्टॉल्स में गया, वहां भी अधिकतर महिलाएं ही थीं। नॉर्थ ईस्ट की महिलाओं की इस उद्यमशीलता से पूरे नॉर्थ ईस्ट को एक ऐसी मजबूती मिलती है, जिसका कोई मुकाबला नहीं।
साथियों,
अष्टलक्ष्मी की सातवीं लक्ष्मी हैं....जय लक्ष्मी। यानि ये यश और कीर्ति देने वाली हैं। आज पूरे विश्व में भारत प्रति जो उम्मीदें हैं, उसमें हमारे नॉर्थ ईस्ट की अहम भूमिका है। आज जब भारत, अपने कल्चर, अपने ट्रेड की ग्लोबल कनेक्टिविटी पर फोकस कर रहा है...तब नॉर्थ ईस्ट, भारत को साउथ एशिया और ईस्ट एशिया के असीम अवसरों से जोड़ता है।
साथियों,
अष्टलक्ष्मी की आठवीं लक्ष्मी हैं...विद्या लक्ष्मी यानि ज्ञान और शिक्षा। आधुनिक भारत के निर्माण में शिक्षा के जितने भी बड़े केंद्र हैं, उनमें से अनेक नॉर्थ ईस्ट में हैं। IIT गुवाहाटी, NIT सिल्चर, NIT मेघालय, NIT अगरतला, और IIM शिलॉन्ग...ऐसे अनेक बड़े एजुकेशन सेंटर्स नॉर्थ ईस्ट में हैं। नॉर्थ ईस्ट को अपना पहला एम्स मिल चुका है। देश की पहली नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी भी मणिपुर में ही बन रही है। मैरी कॉम, बाइचुंग भूटिया, मीराबाई चानू, लोवलीना, सरिता देवी...ऐसे कितने ही स्पोर्ट्स पर्सन नॉर्थ ईस्ट ने देश को दिए हैं। आज नॉर्थ ईस्ट टेक्नोलॉजी से जुड़े स्टार्ट अप्स, सर्विस सेंटर्स और सेमीकंडक्टर जैसे उद्योगों में भी आगे आने लगा है। इनमें हज़ारों नौजवान काम कर रहे हैं। यानि "विद्या लक्ष्मी" के रूप में ये रीजन, युवाओं के लिए शिक्षा और कौशल का बड़ा केंद्र बन रहा है।
साथियों,
अष्टलक्ष्मी महोत्सव...नॉर्थ ईस्ट के बेहतर भविष्य का उत्सव है। ये विकास के नूतन सूर्योदय का उत्सव है...जो विकसित भारत के मिशन को गति देने वाला है। आज नॉर्थ ईस्ट में इन्वेस्टमेंट के लिए इतना उत्साह है। बीते एक दशक में हम सब ने North East Region के विकास की एक अद्भुत यात्रा देखी है। लेकिन यहां तक पहुंचना सरल नहीं था। नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को भारत की ग्रोथ स्टोरी के साथ जोड़ने के लिए हमने हर संभव कदम उठाए हैं। लंबे समय तक हमने देखा है कि विकास को भी कैसे वोटों की संख्या से तौला गया। नॉर्थ ईस्ट के राज्यों के पास वोट कम थे, सीटें कम थीं। इसलिए, पहले की सरकारों द्वारा वहां के विकास पर भी ध्यान नहीं दिया गया। ये अटल जी की सरकार थी जिसने नॉर्थ ईस्ट के विकास के लिए पहली बार अलग मंत्रालय बनाया।
साथियों,
बीते दशक में हमने मन से प्रयास किया कि दिल्ली और दिल इससे दूरी का जो भाव है...वो कम होना चाहिए। केंद्र सरकार के मंत्री 700 से अधिक बार नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में गए हैं, लोगों के साथ वहां लंबा समय गुजारा है। इससे सरकार का नॉर्थ ईस्ट के साथ, उसके विकास के साथ एक इमोशनल कनेक्ट भी बना है। इससे वहां के विकास को अद्भुत गति मिली है। मैं एक आंकड़ा देता हूं। नॉर्थ ईस्ट के विकास को गति देने के लिए 90 के दशक में एक पॉलिसी बनाई गई। इसके तहत केंद्र सरकार के 50 से ज्यादा मंत्रालयों को अपने बजट का 10 परसेंट नॉर्थ ईस्ट में निवेश करना पड़ता था। इस नीति के बनने के बाद से लेकर साल 2014 तक जितना बजट नॉर्थ ईस्ट को मिला है...उससे कहीं अधिक हमने सिर्फ बीते 10 सालों में दिया है। बीते दशक में इस एक स्कीम के तहत ही, 5 लाख करोड़ रुपए से अधिक नॉर्थ ईस्ट में खर्च किया गया है। ये नॉर्थ ईस्ट को लेकर वर्तमान सरकार की प्राथमिकता दिखाता है।
साथियों,
इस स्कीम के अलावा भी, हमने कई बड़ी स्पेशल योजनाएं नॉर्थ ईस्ट के लिए शुरु की हैं। PM-डिवाइन, Special Infrastructure Development Scheme और North East Venture Fund...इन स्कीम्स से रोजगार के, अनेक नए अवसर बने हैं। हमने नॉर्थ ईस्ट के इंडस्ट्रियल पोटेंशियल को बढ़ावा देने के लिए उन्नति स्कीम भी शुरु की है। नए उद्योगों के लिए बेहतर माहौल बनेगा, तो नए रोजगार भी बनेंगे। अब जैसे सेमीकंक्टर का सेक्टर भारत के लिए भी नया है। इस नए सेक्टर को गति देने के लिए भी हमने नॉर्थ ईस्ट को, असम को चुना है। नॉर्थ ईस्ट में जब इस प्रकार की नई इंडस्ट्री लगेगी, तो देश और दुनिया के निवेशक वहां नई संभावनाएं तलाशेंगे।
साथियों,
नॉर्थ ईस्ट को हम, emotion, economy और ecology- इस त्रिवेणी से जोड़ रहे हैं। नॉर्थ ईस्ट में हम सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं बना रहे, बल्कि भविष्य कि एक सशक्त नींव तैयार कर रहे हैं। बीते दशकों में नॉर्थ ईस्ट की बहुत बड़ी चुनौती रही थी...कनेक्टिविटी। दूर-सुदूर के शहरों में पहुंचने के लिए कई-कई दिन और हफ्ते लग जाते थे। हालत ये थी कि ट्रेन की सुविधा तक कई राज्यों में नहीं थी। इसलिए 2014 के बाद हमारी सरकार ने फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी बहुत ज्यादा फोकस किया। इससे नॉर्थ ईस्ट में इंफ्रास्ट्रक्चर की क्वालिटी और लोगों के जीवन की क्वालिटी...दोनों में जबरदस्त सुधार हुआ। हमने प्रोजेक्ट्स के इंप्लीमेंटेशन को भी तेज किया। कई वर्षों से चल रहे प्रोजेक्ट्स पूरे किए गए। आप बोगी-बील ब्रिज का ही उदाहरण लीजिए। कई सालों से लटके इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से पहले, धेमाजी से डिब्रूगढ़ तक की यात्रा में पूरा एक दिन लगता था। आज, एक-आध घंटे में ही ये सफर पूरा हो जाता है। ऐसे कई उदाहरण मैं दे सकता हूं।
साथियों,
बीते 10 सालों में करीब 5 हज़ार किलोमीटर के नेशनल हाईवे वो प्रोजेक्ट्स पूरे हो चुके हैं। अरुणाचल प्रेदश में सेला टनल हो, भारत-म्यांमार-थायलैंड ट्रायलेटरल हाईवे हो, नागालैंड, मणिपुर और मिज़ोरम में बॉर्डर रोड्स हों...इससे एक सशक्त रोड कनेक्टिविटी का विस्तार हो रहा है। पिछले साल जी-20 के दौरान भारत ने आई-मैक का विजन दुनिया के सामने रखा है। आई-मैक यानि भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर, भारत के नॉर्थ ईस्ट को दुनिया से जोड़ेगा।
साथियों,
नॉर्थ ईस्ट की रेल कनेक्टिविटी में कई गुणा वृद्धि हुई है। अब नॉर्थ ईस्ट के राज्यों की सभी राजधानियों को रेल से कनेक्ट करने का काम पूरा होने वाला है। नॉर्थ ईस्ट में पहली वंदे भारत ट्रेन भी चलने लगी है। बीते दस वर्षों में नॉर्थ ईस्ट में एयरपोर्ट्स और फ्लाइट्स की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों पर वॉटर-वे बनाने का काम चल रहा है। सबरूम लैंडपोर्ट से भी वॉटर कनेक्टिविटी बेहतर हो रही है।
साथियों,
मोबाइल और गैस पाइप-लाइन कनेक्टिविटी को लेकर भी तेजी गति से काम हो रहा है। नॉर्थ ईस्ट के हर राज्य को नॉर्थ ईस्ट गैस ग्रिड से जोड़ा जा रहा है। वहां 1600 किलोमीटर से अधिक लंबी गैस पाइप-लाइन बिछाई जा रही है। इंटरनेट कनेक्टिविटी पर भी हमारा जोर है। नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में 2600 से अधिक मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं। 13 हज़ार किलोमीटर से अधिक का ऑप्टिकल फाइबर नॉर्थ ईस्ट में बिछाया गया है। मुझे खुशी है कि नॉर्थ ईस्ट के सभी राज्यों तक 5G कनेक्टिविटी पहुंच चुकी है।
साथियों,
नॉर्थ ईस्ट में सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर में भी अभूतपूर्व काम हुआ है। नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में मेडिकल कॉलेज का काफी विस्तार हुआ है। कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज के लिए भी अब वहीं पर आधुनिक सुविधाएं बन रही हैं। आयुष्मान भारत योजना के तहत, नॉर्थ ईस्ट के लाखों मरीज़ों को मुफ्त इलाज की सुविधा मिली है। चुनाव के समय मैंने आपको गारंटी दी थी कि 70 वर्ष की आयु के ऊपर के बुजुर्गों को मुफ्त इलाज मिलेगा। आयुष्मान वय वंदना कार्ड से सरकार ने अपनी ये गारंटी भी पूरी कर दी है।
साथियों,
नॉर्थ ईस्ट की कनेक्टिविटी के अलावा हमने वहां के ट्रेडिशन, टेक्सटाइल और टूरिज्म पर भी बल दिया है। इसका फायदा ये हुआ कि देशवासी अब नॉर्थ ईस्ट को एक्सप्लोर करने के लिए बड़ी संख्या में आगे आ रहे हैं। बीते दशक में नॉर्थ ईस्ट जाने वाले पर्यटकों की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो चुकी है। निवेश और पर्यटन बढ़ने से वहां नए बिजनेस बने हैं, नए अवसर बने हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर से इंटीग्रेशन, कनेक्टिविटी से क्लोज़नेस, इक्नॉमिक से इमोशनल...इस पूरी यात्रा ने नॉर्थ ईस्ट के विकास को, अष्टलक्ष्मी के विकास को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।
साथियों,
आज भारत सरकार की बहुत बड़ी प्राथमिकता अष्टलक्ष्मी राज्यों के युवा हैं। नॉर्थ ईस्ट का नौजवान हमेशा से विकास चाहता है। बीते 10 वर्षों से नॉर्थ ईस्ट के हर राज्य में स्थाई शांति के प्रति, एक अभूतपूर्व जन-समर्थन दिख रहा है। केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों से हज़ारों नौजवानों ने हिंसा का रास्ता छोड़ा है...और विकास का नया रास्ता अपनाया है। बीते दशक में नॉर्थ ईस्ट में अनेक ऐतिहासिक शांति समझौते हुए हैं। राज्यों के बीच भी जो सीमा विवाद थे, उनमें भी काफी सौहार्दपूर्ण ढंग से प्रगति हुई है। इससे नॉर्थ ईस्ट में हिंसा के मामलों में बहुत कमी आई है। अनेक जिलों में से AFSPA को हटाया जा चुका है। हमें मिलकर अष्टलक्ष्मी का नया भविष्य लिखना है और इसके लिए सरकार हर कदम उठा रही है।
साथियों,
हम सभी की ये आकांक्षा है कि नॉर्थ ईस्ट के प्रोडक्ट्स, दुनिया के हर बाज़ार तक पहुंचने चाहिए। इसलिए हर जिले के प्रोडक्ट्स को, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट अभियान के तहत प्रमोट किया जा रहा है। नॉर्थ ईस्ट के अनेक उत्पादों को हम यहां लगी प्रदर्शनियों में, ग्रामीण हाट बाजार में देख सकते हैं, खरीद सकते हैं। मैं नॉर्थ ईस्ट के प्रोडक्ट्स के लिए वोकल फॉर लोकल के मंत्र को बढ़ावा देता हूं। मेरा प्रयास रहता है वहां के उत्पादों को अपने विदेशी मेहमानों को भेंट करुं। इससे आपकी इस अद्भुत कला, आपके क्राफ्ट को इंटरनेशनल स्तर पर पहचान मिलती है। मैं देशवासियों से, दिल्ली वासियों से भी आग्रह करुंगा कि नॉर्थ ईस्ट के प्रोडक्ट्स को अपनी लाइफ-स्टाइल का हिस्सा बनाएं।
साथियों,
आज मैं आप सभी को वैसे कितने कुछ सालों से लगातार हमारे नॉर्थ ईस्ट के भाई-बहन वहां जरूर जाते हैं। आपको पता है गुजरात के पोरबंदर में, पोरबंदर के पास माधवपुर वहां एक मेला होता है। उस माधवपुर मेले का मैं अग्रिम निमंत्रण देता हूं। माधवपुर मेला, भगवान कृष्ण और देवी रुक्मिणी के विवाह का उत्सव है। और देवी रुक्मिणी तो नॉर्थ ईस्ट की ही बेटी हैं। मैं पूर्वोत्तर के अपने सभी परिवारजनों को अगले वर्ष होने वाले, मार्च-अप्रैल में होता है रामनवमी के साथ, उस मेले में शामिल होने का भी आग्रह करूंगा। और मैं चाहूंगा उस समय भी ऐसा ही एक हॉट गुजरात में लगाया जाए ताकि वहां भी बहुत बड़ा मार्केट मिले, और हमारे नॉर्थ ईस्ट के भाई-बहन जो चीजें बनाते हैं उनको कमाई भी हो। भगवान कृष्ण और अष्टलक्ष्मी के आशीर्वाद से हम जरूर नॉर्थ ईस्ट को 21वीं सदी में विकास का एक नया प्रतिमान स्थापित करते हुए देंखेंगे। इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। मैं इसको बड़ी सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं।