e-NAM launch a turning point for agriculture sector: PM Modi

Published By : Admin | April 14, 2016 | 19:50 IST
PM Modi launches e-NAM - the e-trading platform for the National Agriculture Market
e-NAM initiative to be benefit farmers, usher in transparency in agriculture sector
e-NAM initiative a turning point in the history of agriculture sector, says Prime Minister Modi
Agriculture sector has to be seen holistically and that's when maximum benefit for the farmer can be ensured: PM

मैं देश के किसानों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, बधाई देता हूं कि इस प्रयास से किसानों की अर्थव्यवस्था में कितना बड़ा परिवर्तन आने वाला है। आज डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर की 125वीं जयंती है और मैंने करीब 1 महीने पहले सार्वजनिक रूप से कहा था कि ई NAM का प्रारंभ हम डॉ. बाबा साहेब की जयंती पर करेंगे और मुझे खुशी है कि आज समय सीमा में काम प्रारंभ हो रहा है। राधामोहन सिंह जी कह रहे थे इसको हम औऱ जल्दी भी कर सकते हैं लेकिन ये काम राज्यों के सहयोग के साथ जुड़ा हुआ है। अभी भी देश के कुछ राज्य ऐसे हैं कि जहां मंडी का कोई क़ानून ही नहीं है।

अब किसानों के लिए सुनते तो बहुत हैं लेकिन ऐसे भी राज्य हैं आज भी इस देश में जहां किसानों के लिए मंडी के लिए कोई नीति निर्धारण कानून नहीं है। उन राज्यों में किसानों का exploitation कितना हो सकता है, इसका आप अंदाज कर सकते हैं। मैं नाम नहीं देना चाहता हूं राज्यों का क्योंकि आजकल ऐसे विषय 24 घंटे विवादों में फंस जाते हैं तो मैं उससे बचना चाहता हूं लेकिन ऐसे सभी राज्यों से मेरा आग्रह होगा कि वे अपने यहां किसान मंडी कानून बनाएं। उसी प्रकार से जिन राज्यों में कानून है। उसमें भी अब नई Technology आई है, काफी व्यवस्थाएं पलटी हैं तो उसके अनुरूप कानून में सुधार करना आवश्यक है। मैं आशा करता हूं कि वे राज्य भी अपने-अपने यहां जो existing कानून हैं उसमें भारत सरकार ने जो सुझाव दिए हैं उसके अनुसार अगर amendment कर देंगे तो उन राज्यों में भी ई NAM का लाभ किसान को प्राप्त होगा और इसलिए मैं इन सभी राज्यों से आग्रह करता हूं कि इसको प्राथमिकता दें।

वैसे मुझे लगता है कि शायद आग्रह मुझे अब नहीं करना पड़ेगा क्योंकि जैसे ही ये 21 मंडियों की खबर आना शुरू हो जाएगा तो नीचे से ही pressure इतना पैदा होगा कि हर राज्य को लगेगा कि भई मेरा किसान तो रह गया चलो मैं भी इसमें आ जाऊं ताकि मेरे राज्य के किसान को लाभ मिले। हमारे देश में वर्षों से किसी न किसी कारण से कुछ नियम न रहें। एक राज्य में जो कृषि उत्पादन होता था वो दूसरे राज्य में ले नहीं जा सकते थे, ये भी बंधन रहते थे। कभी कानूनी तौर पर रहते थे, कभी गैर कानूनी तौर पर रहते थे क्योंकि लगता था कि भई अगर ये चला गया तो राज्य की economy को क्या होगा, राज्य की आवश्यकताओं का क्या होगा तो ये चलता रहता था और उसके कारण मैं नहीं मानता हूं, मैं इसको कोई बहुत बड़ा गुनाह के रूप में नहीं देखता हूं।

वहां की सरकारों को practical problem रहता था कि भई ये चीज मेरे यहां उत्पादन होती है। मेरे यहां से बाहर चली गई तो मेरे यहां तो लोगों को कुछ मिलेगा ही नहीं तो ये उसकी चिंता बड़ी स्वाभाविक थी लेकिन उसका परिणाम ये होता था कि किसान को protection नहीं मिलता था। किसान के लिए मजबूरी हो जाती थी कि अपने 12-15-20-25 किलोमीटर के area में जो market है, वो जो दाम तय करता था। उसको उसी दाम पर बेचना पड़ता था और उसी से अपनी रोजी-रोटी कमानी पड़ती थी। किसान की समस्या ये भी रहती थी कि उसको कोई choice नहीं रहता था। एक बार घर से बैलगाड़ी में माल लेकर गया मंडी में और मंडी वालों को लगा कि आज दाम गिरा दो। अब वो बेचारा सोचता है कि भई अब मैं वापस इसको कहां ले जाऊंगा, 25 किलोमीटर कहां उठाकर ले जाऊंगा तो वो मजबूरन उनके हाथ-पैर जोड़कर कहता था चलिए जी ले लीजिए, 5 रुपए कम दे दीजिए, ले लीजिए मैं कहाँ ले जाऊँगा । ये हाल किसान का हमारे यहां market में रहा।

ये योजना ऐसी है कि जिस योजना से किसान का तो भरपूर फायदा है लेकिन ये ऐसी योजना नहीं है जो सिर्फ किसान का फायदा करती है। ऐसी व्यवस्था है, जिस व्यवस्था की तरफ जो थोक व्यापारी है, उनकी भी सुविधा बढ़ने वाली है। इतना ही नहीं ये ऐसी योजना है, जिससे उपभोक्ता को भी उतना ही फायदा होने वाला है। यानि ऐसी market व्यवस्था बहुत rare होती है कि जिसमें उपभोक्ता को भी फायदा हो, consumer को भी फायदा हो, बिचौलिए जो बाजार व्यापार लेकर के बैठे हैं, माल लेते हैं और बेचते हैं, उनको भी फायदा हो और किसान को भी फायदा हो। होता क्या है आज दुर्भाग्य से हमारे देश में कृषि उत्पादन का real time data अभी भी नहीं होता है। कभी हमें लगे कि फलां राज्य में गेंहू की जरूरत है तो सरकार सोचती है अच्छा भई क्या करेंगे, इनको गेंहू की जरूरत है लेकिन उसे पता नहीं होता कि दूसरे राज्य में गेहूं surplus पड़े हैं।

कभी गेंहू surplus हैं और वहां पहुंचाने हैं लेकिन उस समय ट्रेन की व्यवस्था नहीं मिलती माल ले जाने के लिए और वहां consumer परेशान रहता है, यहां किसान परेशान होता है, माल बेचना है। ये क्यों... वो जो structure ऐसा बना हुआ था कि जिस structure में वो बंध गया था, उसके बाहर नहीं जा पाता था। आज ई NAM के कारण। अभी तो प्रारंभ में 25 कृषि उत्पादन चीजें इस ई NAM पर बिकेंगी, सौदा होगा और 21 मंडी में होगी लेकिन बहुत ही निकट भविष्य में शायद 250 तक तो पहुंच जाएगी क्योंकि कुछ राज्यों ने कानून में जो सुधार करना चाहिए, वो कर दिया है। Technology के लिए ये कोई बड़ा मुश्किल काम नहीं है। वहां एक लैब बनेगी, उस लैब के कारण quality of agro product ये तय होगा। अब व्यापारी हाथ में पकड़कर के तय करेगा, नहीं यार तेरा माल तो ठीक नहीं है और किसान कहेगा नहीं-नहीं साहब बहुत ठीक है पहले जैसा ही है और आखिरकार उस बेचारे को लगता था कि चलो बेच दो। आज laboratory कहेगी कि तुम्हारा जो product है A grade का है, B grade का है, C grade का है औऱ वो नेशनली certified मान्यता होगी उसको।

अगर मान लीजिए बंगाल से चावल खरीदना है और केरल को चावल की जरूरत है तो बंगाल का किसान online जाएगा और देखेगा कि केरल की कौन सी मंडी है जहां पर चावल इस quality का चाहिए, इतना दाम मिलने की संभावना है तो वो online ही कहेगा कि भई मेरे पास इतना माल है और मेरे पास ये certificate और मेरे ये माल ऐसा है, बताइए आपको चाहिए और अगर केरल के व्यापारी को लगेगा कि भई 6 लोगों में ये ठीक है तो उससे सौदा करेगा और अपना माल मंगवा देगा। कुछ व्यापारी क्या करेंगे बंगाल से माल खरीदेंगे, खरीदने वाला केरल से होगा लेकिन उसको बंगाल में market मिल जाए तो वहीं पर उसको बेच देगा। मेरा कहना का तात्पर्य ये है कि इतनी transparency होगी इस व्यवस्था के कारण कि जिसके कारण हमारा किसान ये तय कर पाएगा और माल, अपना product बैलगाड़ी में चढ़ाने से पहले या ट्रैक्टर में चढ़ाने से पहले तय कर पाएगा कि मेरे product का क्या होगा।

पहले तो क्या होता था सारी मेहनत करके 25 किलोमीटर दूर मंडी में गए उसके बाद तय होता था भविष्य क्या है। आज अपने घर में, अपने मोबइल फोन पर वो तय कर सकता है कि मैं कहां जाऊं, थोड़ा मैं मानता हूं हमारे देश का सामान्य से सामान्य व्यक्ति शायद वो साक्षर न हो लेकिन बुद्धिमान होता है। जैसे ही उसको पता चलेगा, वो monitor करेगा कि मंडी का trend क्या है, तीन दिन देखेगा बराबर और फिर trend के अनुसार तय करेगा कि हां अब लगता है कि market पक गया है तो तुरंत अंदर enter कर जाएगा और अपने माल बेचेगा। आज किसान निर्णायक होगा, किसान निर्णायक होगा। जो मंडी में बैठे हुए व्यापारी हैं, उन व्यापारियों के लिए भी ये सुविधाजनक होगा क्योंकि उसको लगता है कि भई जो जहां से पहले मैं खरीदता था तो वहां तो इस बार ये चावल पैदा ही नहीं हुई है तो सालभर क्या करूंगा, मैं तो चावल की व्यापारी हूं लेकिन अब उसको बैठे रहना नहीं पड़ेगा, वो हिंदुस्तान के किसी भी कोने से अपनी आवश्यकता के अनुसार चावल का ऑर्डर देकर के दूसरे व्यापारी से वो ले सकता है, दूसरे किसान से भी वो ले सकता है, अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है।

Consumer भी देख सकता है कि किस मंडी में किस रूप से बाजार चल रहा है और इसलिए अपने यहां कोई locally ही exploit करने जाता है तो कहता है, झूठ बोल रहे हो मैंने देखा है ई NAM पर तुमने तो माल लिया है थोडा बहुत तो ले सकतो हो लेकिन इतना क्यों ले रहे हो। यानि उत्पादन का balance use इसके लिए भी ई NAM portal एक बहुत बड़ी सुविधा बनने वाला है और मैं मानता हूं किसान का जैसे स्वाभाव है। एक बार उसको विश्वास पड़ गया तो वो उस भरोसे पर आगे बढ़ने चालू कर जाएगा। बहुत तेज गति से ई NAM पर लोग आएंगे, transparency आएगी। इस market में आने के कारण भारत सरकार बड़ी आसानी से, राज्य सरकारें भी monitor कर सकती हैं कि कहां पर क्या उत्पादन है, कितना ज्यादा मात्रा में है। इससे ये भी पता चलेगा transportation system कैसी होनी चाहिए, godown का उपयोग कैसे होना चाहिए, इस godown में माल shift करना है या उस godown में, यानि हर चीज एक portal के माध्यम से हम वैज्ञानिक तरीके से कर सकते हैं और इसलिए मैं मानता हूं कि कृषि जगत का एक बहुत बड़ा आर्थिक दृष्टि से आज की घटना एक turning point है।

एक मोड़ पर ले जा रही है हमें, जो पहले से कभी हम इंतजार कर रहे थे या हमारे सामने संभावना नजर नहीं आ रही थी। एक सप्ताह के भीतर-भीतर ये भी पता चलेगा कि जब इतनी बड़ी मात्रा में बाजार खुल जाता है तो competition बहुत बड़ा जाती है। खरीदने वाला ज्यादा दाम देकर के अच्छी quality खऱीदने की कोशिश करेगा। बेचने वाला कम पैसे में किस जगह से माल मिलता है, वो खोजेगा तो दूर-सुदूर भी जिसको market नहीं मिलता था, उसके लिए market सामने से invitation भेजेगा कि भई देखो तुम वहां बैठे हो सिलीगुड़ी में लेकिन तुम्हारी चीज कोई लेता नहीं, मैं यहां बैठा हूं अहमदाबाद में, मैं लेने के लिए तैयार हूं। ये इतनी बड़ी संभावना, हम कल्पना कर सकते हैं कि हमारे किसान को पहली बार ये तय करने का अवसर मिला है कि मेरे माल कैसे बिकेगा, कहां बिकेगा, कब बिकेगा, किस दाम से बिकेगा, ये फैसला अब हिंदुस्तान में किसान खुद करेगा।

अब वो किसी से आश्रित नहीं रहेगा, वो मोहताज नहीं रहेगा और जब ये पता औरों को चलेगा इतनी बड़ी competition शुरू हो गई है तो स्वाभाविक है कि बाकी राज्य जो अभी पीछे हैं, मुझे विश्वास है कि नीचे से ऐसा pressure पैदा होगा कि अब वो जल्दी कानून में भी सुधार करेंगे और ई NAM portal पर सारी मंडियां आएंगी और ये मेरा पूरा विश्वास है। मेरा आग्रह है और मैं मानता हूं कि कृषि को टुकड़ों में नहीं देखना चाहिए और इसलिए हमने हमारे मंत्रालय का नाम भी, इसके साथ किसान कल्याण जोड़ा है। हम उसको जब तक holistic approach नहीं होगा, हम किसानों की स्थिति में सुधार नहीं ला सकते हैं और holistic approach लेना है तो मान लीजिए जैसे आज solar revolution हो रहा है। किसान को तो लगता होगा कि ये तो कोई industry का काम चल रहा है, कोई उद्योगकारों का काम चल रहा है। कोई तो उसको समझाए ये solar revolution भी तेरे लिए है भाई।

अगर उसको पानी के लिए solar pump मिल गया, वो अपने ही खेत में solar panel लगा दिया तो उसको जो आज डीजल का खर्चा करना पड़ता है, नहीं करना पड़ेगा। आज solar revolution हो रहा है। जो बड़ा किसान हैं वो उच्च technology का उपयोग करता हैं। cutter लाते हैं, बाकी चीजें लाते हैं, वो बिजली से चलती हैं। जिस दिन उसको पता चलेगा, अब ये सारे जो साधन हैं, वो भी solar से चलने वाले आ गए हैं, उसका खर्चा कम हो जाएगा और साधन उसका सूर्य प्रकाश से चलने लग जाएगा। यानि जो technology का development हो रहा है। उसके साथ हमारे किसान की उपयोगी चीजों को कैसे जोड़ा जाए। अगर हमें ज्यादा उत्पादन करना है तो flood irrigation का जमाना चला गया है और अब ये विज्ञान ने सिद्ध कर दिया है कि flood irrigation से कोई अच्छी खेती होती नहीं लेकिन किसान का स्वभाव है कि जब-जब खेत, जब तक खेत पानी से लबालब भरा न हो, सारे पौधे डूबे हुए नजर न आए तो उसको लगता है, पौधा भूखा मर रहा है, वो खुद बेचारा परेशान हो जाता है क्योंकि उसकी भावना जुड़ी हुई है, वो अपने आप को रात को सो नहीं सकता है कि यार जितना पानी चाहिए था, उतना नहीं है, वो परेशान हो जाता है लेकिन अगर उसको विज्ञान का पता हो per drop, more crop.

हमारे उत्पादनों को पानी में डुबोए रखने की जरूरत नहीं है। हम सालों से मानकर के आए कि गन्ने की खेती करनी हो तो भरपूर पानी चाहिए। अब धीरे-धीरे अनुभव आ गया कि sprinkler से गन्ने की खेती बहुत अच्छी हो सकती है और sprinkler से गन्ने की खेती करें तो सामान्य गन्ने में जो sugar contain होता है, उससे sprinkler या drip से किए हुए गन्ने में sugar contain ज्यादा होता है, उसमें से ज्यादा चीनी निकलती है तो किसान को दाम भी ज्यादा मिलता है और आपने देखा होगा flood irrigation से गन्ने का जो डंडा होता है उसकी size और sprinkler से हुआ उसकी size देखते ही पता चलता है कि कितना बड़ा फर्क आया है। अब किसान को समझना होगा और मैं मानता हूं कि ये बात उन तक पहुंचाई जा सकती है और इसलिए मेरा मिशन है per drop, more crop एक-एक बूंद पानी से हम समृद्धि पैदा कर सकते हैं, हम भविष्य पैदा कर सकते हैं।

कभी-कभी मैं किसानों के साथ बैठना का स्वभाव रखता था तो काफी बातें करता था, जब गुजरात में था। मैं उनको कहता था और मैं आज उसको दुबारा कहना चाहूंगा, मैं उनको कहता था, मान लीजिए आपका बच्चा बीमार है और 3 साल की आय़ु हो गई, 5 साल की आयु हो गई, 7 साल की आय़ु हो गई लेकिन न वजन बढ़ रहा है, न चेहरे पर मुस्कान आ रही है, ऐसे ही दुबला-पतला, ऐसे ही पड़ा रहता है। अब आप सोचिए कि आपके बच्चे का ये हाल है और आप सोचें कि एक बाल्टी भर दूध लेंगे, उसमें केसर, बादाम, पिस्ता सब डालेंगे और रोज बच्चे को इस दूध से नहलाएंगे, उसकी तबीयत पर कोई फर्क पड़ेगा क्या, पड़ेगा क्या, मेरे किसान भाई पड़ेगा क्या लेकिन एक चम्मच में थोड़ा-थोड़ा दूध लेकर के 100 ग्राम, 100 ग्राम उसको शाम तक पिला दो, फर्क पड़ेगा कि नहीं पड़ेगा। जो बच्चा का है, वो ही पौधे का है। जो स्वभाव बच्चे का है, वो ही स्वभाव पौधे का है।

पौधे को भी अगर पानी से नहला दोगे तो पौधा मजबूत होगा, ऐसा नहीं है। एक-एक चम्मच से एक-एक बूंद पानी पिलाओगे तो आप देखते ही देखते देखोगे कि पौधा कितना ताकतवर बन जाता है और इसलिए हमने... बातें छोटी होती हैं लेकिन उनकी ताकत बड़ी होती है। हमने देखा है कि हमारे किसान का सबसे बड़ा नुकसान किससे हो रहा है। वो जो देखता है उसमें विश्वास करता है, जो सुनता है उस पर किसान कभी विश्वास नहीं करता। एक प्रकार से अच्छी चीज भी है। वो जब तक खुद अपनी आंखों से नहीं देखता है, भरोसा नहीं करता है लेकिन उसके कारण उसका misguide ऐसा हो जाता है कि अगर वाले खेत में किसी किसान ने लाल डिब्बे वाली दवा डाली तो वो भी सोचता है कि लाल डिब्बे वाली होती है तो वो भी जाकर के लाल डिब्बे वाली ले आता है। अगर उसने देखा बगल वाला दो बोरी fertilizer डालता है तो वो भी दो बोरी डाल देता है और उसको तो ज्यादा वो रंग से ही जानता है लाल डिब्बे वाली दवा, काले डिब्बे वाली दवा, लंबे डिब्बे वाली दवा या छोटे डिब्बे वाली उसी से वो उसका कारोबार चलता है जी, उसना अपना ये विज्ञान develop किया है।

ये गलती क्यों होती है। उसे पता नहीं है कि वो जिस जमीन पर काम कर रहा है, उसकी प्रकृति कैसी है। ये धरा हमारी मां है, ये भूमि हमारी मां है, कहीं बीमार तो नहीं हो गई है, हमने ज्यादा तो इसका शोषण नहीं किया है, उसका भी कोई ख्याल रखा है कि नहीं रखा है, ज्यादा अनुभव आता है कि हम धरा के साथ क्या करते हैं, फसल के संदर्भ में धरा के साथ जो करना होता है, करते हैं। धरा की तबीयत, चिंतन करनी चाहिए, इस भूमि की चिंता करनी चाहिए, इस पर हमारा ध्यान नहीं होता है और अगर बीमार धरा हो, कितना ही अच्छा बीज बोएं, इच्छित परिणाम नहीं मिलता है और इसलिए हमारे कृषि जगत को बदलना है तो हमारी धरा की तबीयत और उसके लिए अब सरल उपाय है Soil health card, laboratory में धऱा की test करवानी चाहिए और उसमें जो guidelines दें, उस प्रकार का पालन करना चाहिए। वरना कुछ लोग होते हैं कि डॉक्टर के पास जाएं, तबीयत दिखाएं। डॉक्टर कहे डायबीटीज है लेकिन घर में आकर के बताते ही नहीं हैं कि डायबीटीज है क्योंकि मिठाई खाने का शौक होता है तो फिर वो laboratory काम नहीं आती है।

अगर laboratory ने कहा कि डायबीटीज है तो फिर मिठाई छोड़नी पड़ती है। उसी प्रकार से धरा को check करने के बाद पता चला कि ये बीमारियां हैं, उस फसल के लिए आपकी धरा ठीक नहीं है, वो fertilizer आपकी धरा के लिए ठीक नहीं है, वो दवाई आपकी धरा को बर्बाद कर देगी तो मेरा किसानों से प्रार्थना होगी कि उसमें जो सुझाव देते हैं, उन सुझाव को religiously follow करना चाहिए। देखिए विज्ञान की बड़ी ताकत होती है, विज्ञान की बड़ी ताकत होती है। इन चीजों को अगर हमने ढंग से कर लिया तो आप देखना... कभी-कभार मैंने देखा है, हमारे पंजाब, हरियाणा में, इधर पश्चिम उत्तर प्रदेश में वो पुरानी पद्धति फसल निकालने के बाद बाद में जो रह जाता है उसको मुझे हिंदी शब्द तो मालूम नहीं है, उसको जला देते हैं। अब हमें मालूम नहीं है ये मूल्यवान fertilizer है, उसके छोटे-छोटे टुकड़े करके उसी जमीन में दबा दीजिए, वो आपकी जमीन के लिए, वो खुराक बन जाएगा लेकिन जल्दबाजी होती है, दुबारा फसल के लिए काम करना है, कौन करेगा इसलिए डालते नहीं हैं।

मैं समझता हूं जिस चीज के लिए जो नियम हैं, प्रकृति ने बनाए हैं, उसका अगर हम थोड़ा सा पालन करें तो पर्यावरण का जो नुकसान हो रहा है और दिल्ली वाले चिल्लाते हैं कि धुँआ बहुत हो गया है, वो बंद भी हो जाएगा और मेरे किसान को ये फायदा  होगा। मुझे स्मरण है जो केले की खेती करते हैं। केला पकने के बाद, वो केले का जो पेड़ रह जाता है, उसको निकालने के लिए वो पैसे देते हैं लोगों को कि भाई उसको जरा आप साफ करके दे दो और पहले ये एक-एक एकड़ पर 15-20 हजार रुपए खेत खाली करने पर ये उनका खर्च होता था। बाद में उनके ध्यान में आय़ा कि ये तो most valuable है और आपको हैरानी होगी केला पकने के बाद वो जो खड़ा रह गया, बाकी बचा हुआ पुर्जा है, उसको आप कहीं गाड़ दें और वहां पर कोई पौधा लगा दें 90 दिन तक पानी की जरूरत नहीं पड़ती, उसी से पानी मिल जाता है, इतनी ताकत होती है उसमें। जब ये पता चला तो उन्होंने फिर से उसे फिर जमीन में गाड़ दिया और उनकी जमीन इतनी गीली होने लगी कि बीच में वो एक extra फसल करने लगे जो 60-70 दिन में पैदा होने वाली होगी, उस फसल का उपयोग करने लगे, उनकी income में पहले से डेढ़ गुना-ढ़ाई गुना तक फर्क होने लगा क्यों, उनको समझ आय़ा कि भई इसका उपयोग है।

हम अगर उन छोटे-छोटे प्रयाग हैं। हमारे किसान इसको समझ भी सकता है, उसको कैसे पहुंचाए, हम उसके उत्पादन की ओर बढ़ें। हमारे देश का एक बहुत बड़ा दुर्भाग्य है किसी न किसी कारण से टोडर मल ने जमीनों को नापने का बहुत बड़ा काम किया था। उसके बाद उसके प्रति बड़ी उदासीनता रखी गई। सरकारों में नियम था कि 30 साल में एक बार जमीन नापने का काम regular होना चाहिए लेकिन शायद पिछले 100-150 साल में ये परंपरा dilute हो गई और उसके कारण exact पता नहीं है जमीन की स्थिति का। किसान conscious है कोई जमीन ले न जाए इसलिए वो क्या है बाड़ करता है। नाप का ठिकाना नहीं, कागज पर exact नाप नहीं है तो बाड़ लगाता है, वो बाड़ लगाने में एक मीटर जमीन इसकी खराब होती है, एक मीटर जमीन दूसरी वाली खराब होती है। हर खेत के border पर दो मीटर जमीन खराब होना यानि पूरे देश में देखें हम तो लाखों square meter जमीन इसी में बर्बाद होती होगी।

अगर हम उसका रास्ता निकालें। आज देश को टिम्बर import करना पड़ता है। अगर हम हमारे border पर बाड़ करने के बजाए टिम्बर के पेड़ लगा दें। बेटी पैदा हो, उस दिन अगर पेड़ लगाया तो शादी करने का पूरा खर्चा एक पेड़ दे देगा। वो पेड़, बेटी बड़ी होगी उसके साथ-साथ बड़ा होगा और जब वो टिम्बर बेचोगे। आज हिंदुस्तान फर्नीचर के लिए टिम्बर दुनिया से import करता है, मेरा किसान अपने border पर, बाड़ पर ये काम कर सकता है आराम से कमा सकता है। उसके कारण जो waste of land है, वो हमारा बचा जाएगा। solar हम खेती के साथ solar बिजली पैदा कर-करके बेच सकते हैं। मैंने ऐसे किसान देखें हैं जो अपनी cooperative society बना रहे हैं और पड़ोस के किसान मिलकर के कोने पर बिजली पैदा कर रहे हैं और राज्य सराकारों को बेच रहे हैं, ये सब संभव है। मैं हैरान हूं दुनिया भर में honey का बहुत बड़ा market है, बहुत बड़ा market है और honey एक ऐसी चीज है शहद, जो सालों तक घर में रहे, जितना पुराना हो तो ज्यादा पैसा मिलता है और किसान अगर अपने खेत में साथ-साथ शहद का भी काम करें तो जो मधुमक्खी है वो भी फसल को ताकत देती है, वो एक जगह से दूसरी जगह पर बैठती हैं तो फसल को नई ताकत देती हैं। simple चीजें हैं, जब मैं कहता हूं double income संभव है, मेरे दिमाग में बहुत साफ है क्या-क्या प्रयोग करने से income double हो सकती है।

चाहे Fisheries का काम हो, milk production का काम हो, पशु का रखरखाव हो, इन सारी चीजों में से income बढ़ सकती है और हम आधुनिक वैज्ञानिक तरीक से खेती करना शुरू करें तो हम देश की economy को भी बहुत बड़ा बल दे सकते हैं। मेरे देश के किसानों ने एक बार तय किया कि अब देश का पेट भरने के लिए बाहर से अन्न नहीं आएगा, हिंदुस्तान के किसानों ने कर दिया है। आज Pulses हमें बाहर से लाना पड़ता है दलहन, क्यों न हमारे किसानों को संदेश जाए कि जहां पर पानी बहुत कम है, वहां और प्रयोग मत करिए, आप दलहन पर चले जाइए ताकि आपकी भी गारंटी होगी और भारत सरकार उसमें आपकी मदद करेगी और भारत को अब दलहन बाहर से नहीं लाना चाहिए दाल क्यों बाहर से लानी पड़े, मूंग क्यों बाहर से लानी पड़े, चना क्यों बाहर से लाना पड़े, उड़द क्यों बाहर से लाना पड़े। हम ये अपने संकल्प कर लें तो मैं नहीं मानता हूं इस देश को... और अभी गया था सऊदी अरबिया, उसके पहले मैं गया था यूएई, वहां के लोगों ने जो बात कही, मैं समझता हूं कि मेरे देश के किसान इसको भलीभांति समझें, वो कह रहे हैं कि हमारे पास तो बारिश ही नहीं है, हमारे पास खेती योग्य जमीन नहीं है, हमारी जनसंख्या बढ़ रही है, पूरे गल्फ की countries में, हम भविष्य में हमारा पेट भरने के लिए अनाज पर भारत पर ही depend करेंगे, हमें वहीं से import करना पड़ेगा।

आज भी हमारा सबसे ज्याजा अच्छा चावल उन्हीं देशों में जाता है। इसका मतलब ये हुआ अगर हम quality product की तरफ जाएंगे तो गल्फ का एक बहुत बड़ा market, agriculture product के लिए हमारा इंतजार करके बैठा है। वे ware house के लिए cold storage के लिए तैयार है, वो गारंटी के साथ माल खऱीदने के लिए तैयार है यानि भारत की कृषि भी एक global requirement के संदर्भ में उसे हम एक नया मोड़ दे सकते हैं, हम उसमें बदलाव ला सकते हैं और उस बदलाव लाने की दिशा में हमें प्रयास करना चाहिए। अभी इस बजट में एक बड़ा महत्वपूर्ण निर्णय किया, उस निर्णय की चर्चा बहुत कम आई है क्योंकि कुछ चीजें ऐसी हैं, जिसे लोगों को समझते-समझते दो साल चले जाते हैं इसलिए वो बात शायद पब्लिक में आई ही नहीं।

भारत सरकार ने एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय़ किया कि Agro processing में हम 100 percent foreign direct investment को हम स्वागत करते हैं। अब कुछ लोगों का दिमाग शायद ऐसा है कि FDI का नाम आते ही उनको लगता है ये कुछ उद्योग वाला हो गया।

ये food processing की सारी process किसान को बहुत बड़ी ताकत देती है। अगर वो कोई ऐसी पैदावार करता है और उसका  technology solution से valuable addition होता है तो income बहुत बढ़ जाती है और उसके लिए पूंजी निवेश के लिए दुनिया से पैसे आते हैं तो किसान की ताकत बढ़ने वाली है। आप कच्चे आम बेचो तो कम पैसा आता है, पके हुए बेचो तो थोड़ा ज्यादा आता है। कच्चे आम बेचो लेकिन आचार बनाकर बेचो और पैसा आता है। आचार भी बढ़िया सी बोतल में pack करके बेचो तो और ज्यादा पैसा आता है और बोतल की advertisement कोई नट या नटी करती हो तो औऱ ज्यादा पैसा मिल जाता है। value addition कैसे होता है, food processing का value addition कैसे होता है और इसलिए अभी हमने कोका कोला कंपनी के साथ महाराष्ट्र government का एक agreement करवाया। मैंने इन सारी कंपनियों कहा है कि आप जो पेप्सी, कोका कोला ये सब पानी बेचते हो colorful होता है, tasty होता है लोगों को आदत हो गई है अरबों-खरबों का बाजार है। मैंने कहा मेरे देश के किसानों के लिए आप एक नियम बनाइए कि कम से कम 5 percent, कम से कम 5 percent natural fruit juice आप इस aerated water में mix करोगे।

आप देखिए एक तो जो पीता है उसको फायदा होगा, कम से कम 5 percent तो माल अच्छा जाएगा शरीर में लेकिन उसके कारण किसान जो फल पैदा करता है, उसको तुरंत market मिल जाएगा,  वरना संतरा कोई पैदा करेगा, एकाध दिन में तो संतरा खराब हो जाएगा लेकिन संतरे का जूस अगर उसमें मिलना शुरू हुआ तो संतरे को market मिलना शुरू हो जाएगा, Apple को market मिल जाएगा, केले को market मिल जाएगा और इसलिए वो चीजें जो हमारे किसान को ताकत दें, ऐसे कई initiative लिए हैं और उस initiative के परिणाम मैं कहता हूं कि आने वाले दिनों में किसानों का भविष्य उज्जवल बनाया जा सकता है, सोची-समझी व्यवस्था के तहत बनाया जाता है और अब ये मंडी के माध्यम से, ई NAM के माध्यम से जो प्रयास किया है इस ई NAM के माध्यम से, मैं विश्वास से कहता हूं कि मेरा किसान अब तय करेगा कि उसका माल कहां बिकेगा, कब बिकेगा, कितने दाम से बिकेगा इसका फैसला अब मेरा किसान करेगा और consumer को कभी कोई बोझ नहीं होगा, ये मेरा भरोसा है। consumer को कभी कोई मुसीबत नहीं होगी, ये मेरा पूरा भरोसा है। मैं देश के किसानों को आज 14 अप्रैल बाबा साहेब अंबेडकर की जन्म जयंती पर जिनका empowerment of poor people वाला हमेशा रहा था, मेरा किसान empower हो इसलिए एक महत्वपूर्ण project आज प्रारंभ हो रहा है, मैं कृषि मंत्रालय को मंत्री के विभाग के सभी साथियों को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं, मेरे देश के किसानों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। असम का आज नया वर्ष है, असम का नववर्ष है, उस बिहू के मौके पर भी मैं शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Today, new doors of opportunity are opening for every Jordanian business and investor in India: PM Modi during the India-Jordan Business Forum
December 16, 2025

His Majesty King Abdulla,
The Crown Prince,
Delegates from both countries,
Leaders from the business community,

Namaskar,

Friends,

Many countries across the world share borders, and many also share markets. However, the relationship between India and Jordan is one where historic trust and future economic opportunities converge.

This was also the essence of my discussion with His Majesty yesterday. We held detailed deliberations on how to transform geography into opportunity, and opportunity into growth.

Your Majesty,

Under your leadership, Jordan has emerged as a bridge that is greatly facilitating cooperation and alignment between different regions. During our meeting yesterday, you explained how Indian companies can access the markets of the United States, Canada, and other countries through Jordan. I would urge the Indian companies present here to fully leverage these opportunities.

Friends,

Today, India is Jordan’s third-largest trading partner. I am aware that numbers carry significance in the world of business. However, we are not here merely to count figures, we are here to build a long-term relationship.

There was a time when trade from Gujarat reached Europe via Petra. To ensure our future prosperity, we must revive those links once again and each one of you will play a vital role in making this vision a reality.

Friends,

As you are all aware, India is rapidly progressing toward becoming the world’s third-largest economy. India’s growth rate is over eight percent. This growth is the result of productivity-driven governance and innovation-driven policies.

Today, new avenues of opportunity are opening up in India for every business and every investor from Jordan. You can become partners in India’s rapid growth and secure strong returns on your investments.

Friends,

Today, the world needs new engines of growth. It needs trusted and resilient supply chains. Together, India and Jordan can play a significant role in meeting the needs of the global economy.

I would like to highlight a few key sectors for mutual cooperation with you, sectors where vision, viability, and velocity are all present.

First, Digital Public Infrastructure and IT. India’s experience in this domain can be of significant value to Jordan as well. India has transformed digital technology into a model for inclusion and efficiency. Frameworks such as UPI, Aadhaar, and Digi Locker have today become global benchmarks. His Majesty and I discussed the possibility of aligning these frameworks with Jordan’s systems. Together, our two countries can directly connect startups across sectors such as fintech, health-tech, and agri-tech. We can build a shared ecosystem, one that links ideas with capital, and innovation with scale.

Friends,

There are also significant opportunities in the pharma and medical devices sectors. Today, healthcare is not merely a sector, it is a strategic priority.

If Indian companies manufacture medicines and medical devices in Jordan, it will benefit the people of Jordan, while also enabling the country to emerge as a reliable hub for West Asia and Africa. Whether it is generics, vaccines, Ayurveda, or wellness, India brings trust, and Jordan brings reach.

Friends,

The next sector is agriculture. India has extensive experience in farming under dry climatic conditions, and this experience can make a real difference in Jordan. We can collaborate on solutions such as precision farming and micro-irrigation. We can also work together to develop cold chains, food parks, and storage facilities. Just as we are undertaking joint ventures in fertilizers, we can move forward together in other areas as well.

Friends,

Infrastructure and construction are essential for rapid growth. Collaboration in these areas will provide us with both speed and scale.

His Majesty has shared his vision for developing railways and next-generation infrastructure in Jordan. I would like to assure him that our companies are both capable of, and eager to, partner in turning this vision into reality.

During our meeting yesterday, His Majesty also highlighted the infrastructure reconstruction needs in Syria. Indian and Jordanian companies can collaborate to address these requirements together.

Friends,

The world today cannot progress without green growth. Clean energy is no longer just an option; it has become a need. India is already playing a significant role as an investor in solar, wind, green hydrogen, and energy storage. Jordan also possesses immense potential in this domain, which we can work together to unlock.

Similarly, the automobile and mobility sector holds great potential. Today, India ranks among the world’s top countries in affordable EVs, two-wheelers, and CNG mobility solutions. In this sector as well, we should collaborate extensively.

Friends,

Both India and Jordan take great pride in their culture and heritage. There is significant scope for heritage and cultural tourism between our countries. I believe that investors from both nations should actively explore opportunities in this domain.

In India, a large number of films are produced every year. Opportunities can be created for shooting these films in Jordan, and for holding joint film festivals, with the necessary encouragement to support them. We also look forward to a large delegation from Jordan at the upcoming WAVES Summit in India.

Friends,

Geography is Jordan’s strength. India possesses both skill and scale. When these strengths come together, they will create new opportunities for the youth of both countries.

The vision of both our governments is perfectly clear. It is now up to all of you in the business community to translate this vision into reality through your imagination, innovation, and entrepreneurship.

In conclusion, I would like to say once again:

Come…
Let us invest together
Innovate Together
And Grow Together

Your Majesty,

Once again, I would like to express my heartfelt gratitude to you, the Government of Jordan, and all the distinguished dignitaries present at this event.

Shukran.

Thank you very much.