Text of PM’s address at the Indian Community Reception in South Korea

Published By : Admin | May 18, 2015 | 14:21 IST

नमस्‍ते,

चीन में और मंगोलिया में मैंने भारतीय समुदाय के दर्शन करने के बाद में मैंने विदाई ली थी, लेकिन कोरिया में मैंने आते ही पहले आप के दर्शन करना तय किया। सबसे पहले आपके दर्शन के बाद ही और काम करना इसलिए तय किया क्‍योंकि रवीन्‍द्रनाथ टैगोर ने कोरिया को Lamp of East कहा था। शायद जो दीर्घदृष्‍टा लोग होते हैं, जो मनीषी होते हैं, उनके मुंह से जो शब्‍द निकलते हैं, उनकी कलम से जो वाक्‍य निकलते हैं, उस समय कोई कल्‍पना नहीं कर सकता था। 1925-30 का कालखंड। और तब कोरिया, कोरिया की प्रगति, कोरिया की स्थिति आज जो है वैसे नहीं थी। तीस साल पहले का कोरिया कैसा था, कोरिया के लोग भी उसका बखूबी वर्णन करते हैं। लेकिन करीब-करीब 80-90 साल पहले रवीन्‍द्रनाथ टैगोर ने ये देखा था कि कोरिया, ये Lamp of East है। यह पूरब का प्रकाशमान एक तेजस्वी तारले के रूप में देखा था। और यहां की जनता ने, जो रवीन्‍द्रनाथ जी टैगोर को दिखाई देता था, इसको पुरूषार्थ करके पूरा करके दिखाया।

मेरी सरकार की नीति का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है, खासकर करके विदेश नीति का। . और वो है Act East Policy. पहले था Look East Policy. अब बहुत देख लिया। और हम देख रहे हैं कि यह भू- भाग, अड़ोस-पड़़ोस के सारे देश इस तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। भारत के संबंध में भी 21वीं सदी के प्रारंभ में वही बातें कही जाती थीं कि अब हिन्‍दुस्‍तान का सूर्य उदय हो चुका है, अब हिन्‍दुस्‍तान विश्‍व के अन्‍दर अपनी एक बहुत बड़ी अहम् भूमिका निभाएगा।



विश्‍व के अर्थवेत्‍ताओं ने, economists ने, एक नया शब्‍द दिया था दुनिया के सामने – BRICS. ब्राजील, रूस, इंडिया, चाइना, साउथ अफ्रीका – और उन्होंने कहा था कि ये जो BRICS देशों का समूह है, उसकी जो आर्थिक गतिविधि है, वो विश्व के आर्थिक जीवन को Drive करेगी, इसकी छाया बनी रहेगी। ये 20वीं सदी के आखिरी दिनों में और 21वीं सदी के प्रारंभ में कहा जाता था।

लेकिन पिछले 10 साल, 15 साल के भीतर-भीतर दुनिया के स्‍वर बदल गये हैं। आर्थिक विशेषज्ञों के स्‍वर बदल गये हैं और वो कहने लगे कि भई ये ब्रिक्‍स–ब्रिक्‍स हम जो कह रहे थे, जो सोच रहे थे। लेकिन लगता है कि BRICS में “I” तो लुढ़क रहा है, “I” तो नीचे जा रहा है, सब तरफ चिंता हो रही थी कि अगर जो सपना BRICS के रूप में पूरे विश्व की आर्थिक व्‍यवस्‍था के लिए देखा था वो अब लुढ़क रहा है। क्‍यों? क्‍योंकि “I” लुढ़क गया।

लेकिन पिछले एक वर्ष में दुनिया के स्‍वर बदले हैं, ऐसा नहीं, दुनिया का नज़रिया भी बदल गया है। दुनिया को अब लगने लगा है कि BRICS में “I” के बिना BRICS संभव नहीं होगा। जितनी Global Rating Institutions - है चाहे World bank हो, IMF हो, Rating Agency हों, Moody’s जैसी संस्थाएं हों – पिछले 2-3 महीने में, अलग-अलग जगह पर, अलग-अलग forum में, एक स्‍वर से कहा है कि भारत दुनिया की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली Economy है। Fastest Growing Economy of the World. एशिया की सदी है। तो लगता था कि एशिया की सदी में हम भी कहीं होंगे या नहीं होंगे? लेकिन आज एशिया को लगता है कि अब हिन्‍दुस्‍तान जिस प्रकार से उठ खड़ा हुआ है 21वीं सदी एशिया की सदी बनकर रहेगी।

एक बात निश्चित है कि आप हिन्‍दुस्‍तान से आए हैं, Professionals के रूप में आये हैं - कोई पांच साल पहले आया होगा, कोई दस साल पहले आया होगा - कोरिया में कोई भारतीय समुदाय की बहुत ज्‍यादा संख्‍या भी नहीं है। बहुत कम संख्‍या में हैं। ज्‍यादातर लोग तो एक-दूसरे को नाम से जानते होंगे, गांव से जानते होंगे, इतना निकट का छोटा सा परिवार है। लेकिन इस छोटे से परिवार का जो उत्‍साह में मैं देख रहा हूं, उससे मुझे लगता है कि आप आपने जो कोरिया में देखा है, आपने जो कोरिया में Technology का Revolution देखा है, आप भी चाहते हैं ना कि हिन्‍दुस्‍तान में वैसा ही हो? चाहते हैं कि नहीं चाहते? होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? आप के बिना कैसे होगा? आपका अनुभव, आपका ज्ञान, आपको जो यहां अवसर मिला है वो जितना भारत के साथ जुड़ेगा, भारत को आगे बढ़ने में सुविधा बढ़ जाएगी।

एक समय था जब लोग कहते थे - पता नहीं पिछले जन्‍म में क्‍या पाप किया है हिन्‍दुस्‍तान में पैदा हो गये, ये कोई देश है! ये कोई सरकार है! ये कोई लोग हैं! चलो छोड़ो, चले जाओ कहीं और। और लोग निकल पड़ते थे, कुछ वर्षों में हम ये भी देखते थे उ़द्योगजगत के लोग कहते थे कि अब तो यहां व्‍यापार नहीं करना चाहिए, अब यहां नहीं रहना है। और ज्‍यादातर लोगों ने तो एक पैर बाहर रख भी दिया था। मैं इसके कारणों में नहीं जाता हूँ। और न ही मैं कोई राजनीतिक टीका-टिप्‍पणी करना चाहता हूं। लेकिन यह धरती की सच्‍चाई है कि लोगों में एक निराशा थी, आक्रोश भी था। और मैं आज विश्‍वास से कह सकता हूं कि अलग-अलग जीवन क्षेत्रों के गणमान्‍य लोग, बड़े-बड़े Scientist क्यों न हों, विदेशों में कितनी ही कमाई क्‍यों न होती हो, उससे कम कमाई होती हो तो भी आज भारत वापस आने के लिए उत्‍सुक हो रहे हैं, आनंदित हो रहे हैं।

अभी तो मैं बोल रहा था तो वहां से आवाज आई थी कि हम आने को तैयार हैं। ये जो मूड बदला है, जो मिजाज़ बदला है। और आखिरकार देश होता क्‍या है जी! सरकार यानि देश नहीं होता, मोदी यानि देश नहीं होता है, सवा सौ करोड़ देशवासियों को ज़ज्‍बा ही तो होता है जो हिन्‍दुस्‍तान होता है। और आप कल्‍पना करिए, हम तो वो लोग हैं जो इसी पीढ़ी में हिन्‍दुस्‍तान से यहां आएं हैं। अभी भी हमारा परिवार वहां है। वो गांव, वो खेत, वो ‍खलियान, वो गलियां, वो Flat, वो University, वो यार, वो दोस्‍त- सब कुछ सामने हैं। आज भी Twitter, Facebook पर दोस्‍ती चलती है। लेकिन नाता कैसा होता है?

आप कल्‍पना कीजिए, सदियों पहले कोई कन्‍या अयोध्‍या से शादी करके कोरिया आई। सदियों बीत गयीं। सूर्यरतना की शादी यहाँ पर किम सुरो के साथ हुई। अयोध्‍या की राज घराने की बेटी विवाह करके आई, सदियों पहले आई। और आज भी कोरिया में बहुत से परिवार हैं, जो अपने नाम के साथ किम लिखवाते हैं। और वे सारे के सारे जिनकी तादाद भी लाखों में है, वो सारे के सारे, अपने आपको भारत के साथ नाता होने का गर्व करके जीते हैं। अगर सदियों पहले एक कन्‍या यहां आई, राजकुमारी आई शादी हुई, और वो सदियों में जो परिवार बढ़ता गया, बढ़ता, बढ़ता गया। और सदियों के बाद किम सरनेम से जुड़े हुए सारे लोग भारत के साथ अपनापन महसूस करते हैं। हम तो अभी-अभी आये हैं। और इसलिए हमारा भारत भक्ति का भाव, भारत की विकास की चिंता। भारत में कुछ भी बुरा हो, तो आप भी उतने ही चिंतित होते होंगे जितना कि वहां प्रत्‍यक्ष घटना को देखने वाला होता होगा। यही तो है जो ताकत होती है।

कभी-कभार बहुत सी चीजें ऐसी होती हैं, जो हम वहां रहते हमें नहीं दिखाई देती हैं। लेकिन आपको यहां से बराबर दिखाई देती है। हम क्रिकेट के स्‍टेडियम में बैठकर अगर मैच देखते हैं, तो बहुत ध्‍यान नहीं रहता है कि Ball किस तरफ गया, खिलाड़ी किस तरफ खड़ा है। लेकिन जो घर में बैठ करके टीवी पर देखते हैं उसको सब पता चलता है कि कौन कहां खड़ा है, Ball कहां गया, कैसे गया। तो आपको भी, हिंदुस्‍तान में क्‍या हो रहा है, कैसे हो रहा है, उसका दूर बैठे-बैठे भली-भांति हर चीज का पता होता है। और आज तो Communication world इतना बदल गया है कि आपको पल-पल की खबर रहती है, हर कोने की खबर रहती है। टेक्‍नोलॉजी ने युग बदल दिया है। भारत ने अपने विकास का रास्ता चुन लिया है। और हम ये मान के चलते हैं, आप लोग ने यहाँ आकर के देखा होगा कि आप जब हिन्दुस्तान में थे तब आपकी सोच, और कोरिया में आने के बाद आपकी सोच – बहुत बड़ा बदलाव आया होगा। वहां जब रहे होंगे, तो उन इश्यूज़ में उलझते होंगे, और यहाँ आकर के ध्यान में आया होगा – समस्याएं हर किसी को होती हैं। क्या ३० साल पहले कोरिया को समस्याएं नहीं थी क्या? क्या ३०-40 साल पहले जो देश आज़ाद हुए उनको समस्याएं नहीं थी क्या? समस्‍या हर किसी को थी लेकिन जब उस देश ने तय कर लिया, उन समस्‍याओं का समाधान खोज लिया और उस रास्‍ते पर हिम्‍मत से चल पड़े तो समस्‍याओं का समाधान भी हुआ और विकास की नयी ऊंचाइयों को भी प्राप्त कर पाए।

आज चीन इतनी तेज गति से आगे बढ़ा, कारण क्या है? 30 साल तक लगातार। उसका Growth करीब-करीब 10 प्रतिशत रहा, 9 प्रतिशत-10 प्रतिशत। इस विकास ने चीन के पूरे जीवन को, पूरी सोच को बदल दिया। कोरिया! 30-35 साल में एक बदला हुआ देश है। और इसलिए मेरा यह विश्‍वास है। मैं जानता हूं। सवां सौ करोड़ देशवासियों तक इस बात को पहुंचाना, इस काम के लिए हरेक को जोड़ना, वो काम कठिन तो है। लेकिन वैसे भी मैं उन लोगों में से नहीं हूं जो मक्‍खन पर लकीर खींचता हूं। मैं पत्‍थर पर लकीर करना जानता हूं।

इसकी जड़ी-बूटी मुझे नजर आ रही है, और जो जड़ी-बूटी लेकर मैं चल पड़ा हूं उस जड़ी-बूटी का नाम है- विकास। हमारी सारी समस्‍याओं का समाधान विकास है। गरीब से गरीब परिवार में शिक्षा पहुंचानी है, गरीब से गरीब परिवार में आरोग्य की सुविधायें पहुंचानी है, गरीब से गरीब को रहने के लिए पक्का घर देना है – तो ये विकास के बिना संभव नहीं होगा। और इसलिए विकास को ही हमने सर्वाधिक ध्‍यान केंद्र रखा है। और इसी का नतीजा है कि एक साल के भीतर-भीतर हम दुनिया की सबसे तेज़ विकास करने वाले देश के रूप में उभर कर खड़े हो गए। और विकास करना है मतलब सिर्फ बड़े-बड़े रोड बना दो, बिल्डिंग बना दो, ये मेरी सोच नहीं है। मुझे सामान्‍य मानव की जिंदगी बदलनी है - Quality of Life.

अब जैसे मैं बराबर पीछे पड़ा हूं कि भाई हर घर में Toilet होना चाहिए। क्या कारण है कि २१वीं सदी में हमारी माताओं-बहनों को खुले में जाना पढ़े शौच के लिए? क्या यह शोभा देता है? तो मैं लगा हूं इसके पीछे, कोशिश कर रहा हूं, सबको समझा रहा हूं, हरेक को आग्रह करता हूं कि आपके घर में Toilet होना चाहिए और देशवासी समझ रहें हैं। देशवासी लगेंगे। लेकिन काम कठिन है कि नहीं भई! जो काम सदियों से नहीं हुआ, वो काम करना मुश्किल तो है, कि नहीं है? लेकिन करना चाहिए कि नहीं चाहिए? करना चाहिए कि नहीं चाहिए? 100 प्रतिशत हो या नहीं हो, करना चाहिए कि नहीं चाहिए? बस इस मंत्र को ले करके चला हूं दोस्‍तों।

हमें काम बहुत बड़ा है, मुश्किल है, राजनीतिक लाभ नहीं मिल सकता, इसलिए नहीं करना, वो दिन अब देश सहन नहीं कर सकता। देश का नौजवान ये चीजें सहन करने को तैयार नहीं है। वो कहता है कि राजनीति को बाजू में रखो और कुछ परिवर्तन करके लाओ, ये देश चाहता है और हम उस दिशा में लगे हुए हैं। हर क्षेत्र में हमें विकास की नई ऊंचाईयों को पार करना है, नीतिगत निर्णय भी करने हैं, व्‍यवस्‍थाओं को भी सुधारना है। कुछ चीजों में तो हम लोगों की आदत इतनी खराब हो गई है। उसमें किसी सरकार का दोष मैं नहीं देखता। हम सब, हम सवा सौ करोड़ देशवासी Including नरेंद्र मोदी, हम सब जिम्‍मेवार हैं। कभी हम कार्यक्रम देर से शुरू करें तो कहा जाता है – ये तो Indian Time है। क्‍या भई, अपने देश के लिए ऐसा बोलते हैं क्‍या? ये हमें पता भी नहीं है, आदत हो गई है। सरकारी दफ्तर में Late आना। नहीं इसमें क्‍या है, Late आना है। मैं हैरान था, जब मैं प्रधानमंत्री बना तो खबरें ये नहीं आती थीं कि मोदी क्‍या कर रहा है, खबरें ये आ रहीं थीं कि सब लोग दफ्तर में समय पर जाने लगें हैं। दफ्तर समय से खुल रहे हैं। अफसर दफ्तर में समय से जा रहे हैं। ये खबरें पढ़ करके पल भर के लिए लगता है कि चलो, सरकार बदली तो नजरिया भी बदला, माहौल भी बदला, लेकिन मुझे ये खबर पढ़ करके पीड़ा होती थी। क्‍या सरकारी मुलाजिम को समय पर दफ्तर जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए? अब ये कोई खबर की बात है? आज दोपहर को घर जाएं और मां समय पर खाना खिला दे, बढि़या खाना खिलाये तो ट्वीट करते हैं क्‍या कि मां ने बढि़या खाना खिलाया! ये सहज है। ये सहजता हम खो चुके हैं।

हमने कोशिश की है कि हमारे हर कदम से देश हित है कि नहीं है, मैं देश के काम आ रहा हूं, या नहीं आ रहा हूं। मैं एक कूड़ा-कचरा भी कहीं फेंक देता हूं, मतलब मैं देश की इच्‍छा के विरुद्ध काम करता हूं। यहां तक मेरी भक्ति जगती है कि नहीं जगती है। सवा सौ करोड़ देशवासियों में ये भक्ति जगाने की मेरी कोशिश है। अगर ये हम कर लेते हैं तो फिर सरकार कोई भी हो, कैसी भी हो, हिंदुस्‍तान को आगे जाने से कोई रोक नहीं सकता, दोस्तों। भारत का अपना एक वैश्विक दायित्‍व है। मानव जाति जो आज संकटों से घिरी हुई है, उसको रास्‍ता दिखाने का सामर्थ्‍य भारत के चिंतन में है, भारत की सोच में है, भारत के संस्‍कार में है, भारत की संस्‍कृति में है, आवश्‍यकता है भारतीयों का उसके प्रति भरोसा हो।

कोई भी देश, उसके पड़ोसियों के साथ किस प्रकार से अपना व्‍यवहार करता है, पड़ोसियों के साथ संबंध कैसे हैं, ये सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण होता है। हमारे यहां विदेश नीति की जब चर्चाएं होती हैं तो पहले क्‍या होती है? किसी समय वो डिप्‍लोमेटिक रिलेशन और वो बड़े-बड़े शब्‍द हुआ करते थे। फिर trade and commerce यही चीजें आती रही। भाईयों और बहनों हम एक नया रास्‍ता चुन रहे हैं। और जो रास्‍ता भारत की सच्‍ची पहचान है, हमने नया कुछ नहीं किया, और वो रास्‍ता है – मानवता का। मानवता को केंद्र बिंदु में रख करके, मानवीय मूल्‍यों को केंद्र बिंदु में रख करके क्‍या विश्‍व के साथ हम अपने को जोड़ सकते हैं क्‍या? इन दिनों सार्क देशों के Revival की चर्चा हो रही है, सार्क Concept में प्राण आ रहा है, उसकी चर्चा हो रही है। और भारत अपना दायित्‍व निभा रहा है। इन सार्क देशों में कौन-कौन हैं – बांग्‍लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, पाकिस्‍तान, मालदीव, भारत - ये देश हैं। हमने मानवता के आधार पर इन देशों को जोड़ा है। संवेदनाओं को प्राथमिकता दी है।

श्रीलंका के अंदर हिंदुस्‍तान के पांच मछुआरों को फांसी की सजा हुई। भारत सरकार ने अपने जो भी राज-द्वारी संबंध थे, उनका भरपूर उपयोग किया और मानवता के मुद्दे के आधार पर किया और पांचों मछुआरों को जीवित वापस लाया गया। श्रीलंका एक स्‍वतंत्र देश है, वो फांसी पर लटका सकते थे, उनके कानून ने निर्णय किया था। लेकिन कभी-कभार मानवता की भी एक ताकत होती है।

मालदीव। सार्क में हमारा पड़ोसी देश है। वहां पर पीने के पानी का संकट रहता है तो टेक्‍नोलॉजी से water purification करके पानी पिया जाता है। पूरे देश में एक दिन पूरा उनके पीने के पानी के plant संकट में पड़ गये, बहुत बड़ा नुकसान हो गया। एक देश के नागरिकों के पास पीने का पानी नहीं था। मालदीव के राष्‍ट्रपति जी ने हमें संदेश दिया साहब, कि खासी तकलीफ है। हमने कहा कि आप चिंता मत कीजिए। विमान के द्वारा उस देश को पानी भिजवाया, दूसरे दिन स्‍टीमर चालू कर दिए और जब तक उनका plant शुरू नहीं हुआ, मालदीव के एक भी नागरिक को प्‍यासा नहीं रहने दिया।

हमारी प्रेरणा राज द्वारी संबंधों के केंद्र में मानवता थी। हम मानवता को केंद्र में रखकर चले हैं। अफगानिस्‍तान में हिंदुस्‍तान का एक नौजवान ईसाई संप्रदाय के पादरी के रूप में काम कर रहा था। करीब-करीब एक साल से आतंकवादी उसको उठाकर ले गये, तालिबान के कब्‍जे में था। जिंदा है या मर गया, कुछ पता नहीं चला। लेकिन हम लगे रहे थे, मानवता का काम था। Father Prem, जिसको तालिबान के लोगों ने उठा लिया था, उसको वापस लाना है। अफगानिस्‍तान और भारत के राज द्वारी संबंधों में मानवता का वो तत्‍व था। एक साल के बाद तालिबान के हाथ में से उस फादर प्रेम को वापस लाये और उसके मां-बाप को सुपुर्द कर दिया।

बांग्‍लादेश। जिस दिन से बांग्‍लादेश का जन्‍म हुआ, एक सीमा विवाद का भी जन्‍म हो गया। 41 साल से उस समस्‍या का समाधान नहीं हो रहा था। आशंकाओं के बीज बोये जाते थे, सरकारें बदलती रहती थीं, समस्‍या खड़ी रहती थी, हमने एक साल के भीतर-भीतर बांग्‍लादेश और भारत के सीमा-विवाद को समाप्‍त कर दिया। और मैं देश के सभी राजनीतिक दलों का अभिनंदन करता हूं, सभी राजनीतिक दलों का! पहली बार हिंदुस्‍तान की lower house और upper house दोनों ने... अगले कार्यक्रम के लिए सूचना आ गई है। Lower house और upper house दोनों ने संपूर्ण सहमति से... एक भी वोट against में नहीं गया... पूर्ण बहुमत से निर्णय किया, संपूर्ण बहुमत से, सर्वसम्मति से। केंद्र बिंदु? मानवता।

अभी नेपाल में भूकंप आया और नेपाल के प्रधानमंत्री ने publicly कहा। और मैं उनका बड़पन्‍न मानता हूं, उन्‍होंने publicly कहा... नेपाल के प्रधान मंत्री publicly कहे कि नेपाल में भूकंप आया, ये मुझे मोदी के टि्वटर से पता चला। ये उन्‍होंने publicly कहा और जिस तेज गति से भारत नेपाल के आंसू पोंछने के लिए दौड़ पड़ा। और नेपाल पे संकट बहुत बड़ा आया है। मैं गुजरात में जन्‍मा हूं, मैंने गुजरात के भूकंप को देखा है, मुझे मालूम है कि भूकंप की त्रासदी कितनी भयंकर होती है। लेकिन भारत नेपाल के साथ कंधे से कंधा मिला करके खड़ा हो गया है। हमारे राज द्वारी संबंधों के केंद्र बिंदु में है मानवता।

यमन में हमारे चार हजार भारतीय फंसे हुए थे, बमबारी हो रही थी, चारों तरफ मौत का साया था, हिंदुस्‍तान के नागरिक बच पाएंगे या नहीं ये सबकी शंका थी। हमने साहस किया, राज द्वारी संबंधों का उपयोग किया, बमबारी के बीच में दो घंटे बमबारी रोकने के लिए हम समझा पाये और इतने में हम विमान ले ले करके चार हजार लोगों को बाहर लाये। चार हजार लोगों को लाये, उसमें 48 देशों के लोगों को लाये थे। अमेरिका ने अपने नागरिकों को सूचना दी थी कि आप फंस गये हो तो आप भारत सरकार से संपर्क करो, वो बचा पाएगी आपको।

नेपाल में 50 से अधिक देशों के लोग फंसे हुए थे, दुनिया के सभी देशों ने दिल्‍ली में भारत सरकार से संपर्क किया और भाईयों और बहनों नेपाल से भी 50 से अधिक देशों के नागरिकों को बचा करके बाहर निकालने का काम हमने किया। हमने यमन में से पाकिस्‍तान के नागरिकों को भी बचाया और पाकिस्‍तान ने भी 12 भारतीय नागरिकों को बचाया। बचाया, इतना ही नहीं, special plane से पाकिस्‍तान ने उन नागरिकों को हिंदुस्‍तान छोड़ने की व्‍यवस्‍था भी की। इन सबके केंद्र में, हमारे पड़ोसी देशों के साथ मानवता के अधिष्‍ठान पर हम दुनिया को अपनेआप जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

दूसरी तरफ है टेक्‍नोलॉजी। कोरिया जानता है कि टेक्‍नोलॉजी के द्वारा विकास को कितनी नई ऊंचाईयों पर ले जाया जा सकता है। हमारी कोशिश है भारत manufacturing hub बने। हमारी कोशिश है दुनिया के पास जो टेक्‍नोलॉजी है वो टेक्‍नोलॉजी भारत में भी हो और भारत के पास जो Talent है, उसमें नया innovation और research हो ताकि दुनिया को हम कुछ दे सकें। और इसलिए मेक इन इंडिया का मंत्र ले करके मैं पूरे विश्‍व को निमंत्रित कर रहा हूं।

आप वो नौजवान हैं जो टेक्‍नोलॉजी से जुड़े हुए हैं, जो आधुनिक विज्ञान से जुड़े हुए हैं। आपके पास एक अवसर है, अनुभव पाने का। आप यहां आएं हैं। जितना ज्‍यादा सीख सकते हैं सीखे, जितना ज्‍यादा जान सकते हैं जानिए,आखिर वो किस काम आएगा, मुझे मालूम है! और इसलिए मैं आप सबको, आप सबको विकास के लिए नई ऊचाईयों को पाने के लिए दूर भारत के बाहर रहते हुए भी अपने जीवन को नई ऊचाईयों पर ले जाइये, ये शुभकामना देने आया हूं और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं। हिन्‍दुस्‍तान - उस पर जितना अधिकार नरेन्‍द्र मोदी का है - उतना ही अधिकार आप सबका है। संकट की घड़ी में हिन्‍दुस्‍तान पासपोर्ट के कलर नहीं देखता है। हमारा खून का रिश्‍ता काफी होता है और इसलिए हिन्‍दुस्‍तान से भले ही आप दूर हों लेकिन वह भारत मां के आर्शीवाद सदा सर्वदा पर बने रहें। ये मैं आपको शुभकामनाएं देता हूं और मैं चाहता हूं आपकी प्रगति, आपका जीवन, आपका आचार-विचार कोरिया में भी भारत के प्रति गौरव बढ़ाने वाला रहेगा और आज मैं।

मैं अनुभव करता हूं दुनिया में भारत सरकार की कचहरी में बैठे हुए अफसरों से ज्‍यादा, भारत के नागरिक हिन्‍दुस्‍तान का झंडा ऊंचा कर देते हैं। एम्बेसी में बैठे हुए लोगों की संख्‍या तो पांच, दस, पंद्रह, बीस, पचास होती है, लेकिन आप हजारों की तादाद में होते हैं। और आज मैं पहली बार देख रहा हूं कि एम्बेसी और भारतीय समाज कंधे से कंधा मिलाकर काम करने लग गये हैं। ये बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। बहुत बड़ा परिवर्तन आया है।

और इसलिए मैं आपको फिर से एक बार कोरिया की धरती पर आपके उत्‍साह और उमंग के लिए बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं, आपने जो मेरा सम्‍मान किया, स्‍वागत किया, ये सम्‍मान स्‍वागत मोदी नाम के एक व्‍यक्ति का नहीं है सवा सौ करोड़ देशवासियों का सम्‍मान है। मैं फिर एक बार आप सबको बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं।

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय।

धन्यवाद।

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Prime Minister Welcomes Release of Commemorative Stamp Honouring Emperor Perumbidugu Mutharaiyar II
December 14, 2025

Prime Minister Shri Narendra Modi expressed delight at the release of a commemorative postal stamp in honour of Emperor Perumbidugu Mutharaiyar II (Suvaran Maran) by the Vice President of India, Thiru C.P. Radhakrishnan today.

Shri Modi noted that Emperor Perumbidugu Mutharaiyar II was a formidable administrator endowed with remarkable vision, foresight and strategic brilliance. He highlighted the Emperor’s unwavering commitment to justice and his distinguished role as a great patron of Tamil culture.

The Prime Minister called upon the nation—especially the youth—to learn more about the extraordinary life and legacy of the revered Emperor, whose contributions continue to inspire generations.

In separate posts on X, Shri Modi stated:

“Glad that the Vice President, Thiru CP Radhakrishnan Ji, released a stamp in honour of Emperor Perumbidugu Mutharaiyar II (Suvaran Maran). He was a formidable administrator blessed with remarkable vision, foresight and strategic brilliance. He was known for his commitment to justice. He was a great patron of Tamil culture as well. I call upon more youngsters to read about his extraordinary life.

@VPIndia

@CPR_VP”

“பேரரசர் இரண்டாம் பெரும்பிடுகு முத்தரையரை (சுவரன் மாறன்) கௌரவிக்கும் வகையில் சிறப்பு அஞ்சல் தலையைக் குடியரசு துணைத்தலைவர் திரு சி.பி. ராதாகிருஷ்ணன் அவர்கள் வெளியிட்டது மகிழ்ச்சி அளிக்கிறது. ஆற்றல்மிக்க நிர்வாகியான அவருக்குப் போற்றத்தக்க தொலைநோக்குப் பார்வையும், முன்னுணரும் திறனும், போர்த்தந்திர ஞானமும் இருந்தன. நீதியை நிலைநாட்டுவதில் அவர் உறுதியுடன் செயல்பட்டவர். அதேபோல் தமிழ் கலாச்சாரத்திற்கும் அவர் ஒரு மகத்தான பாதுகாவலராக இருந்தார். அவரது அசாதாரண வாழ்க்கையைப் பற்றி அதிகமான இளைஞர்கள் படிக்க வேண்டும் என்று நான் கேட்டுக்கொள்கிறேன்.

@VPIndia

@CPR_VP”