भारत की विरासत, संस्कृति और शक्ति को समृद्ध करने में लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर का महत्वपूर्ण योगदान है। अपने लोक कल्याणकारी कदमों की वजह से वे 18वीं सदी की महान विभूति के रूप में जानी जाती हैं। हालांकि, आधुनिक समय में गिने-चुने लोगों ने ही देवी अहिल्याबाई के सनातन धर्म के दर्शन व परंपरा के मार्ग पर चलने का साहस किया। इनमें प्रधानमंत्री मोदी का नाम सर्वोपरि है। इतिहासकार जॉन केय ने जिस प्रकार अहिल्याबाई होल्कर को फिलॉसफर क्वीन कहा था, उसी प्रकार कई लोगों ने मोदी के शासन की तुलना उनके प्रभावशाली, मजबूत व जनकल्याणकारी शासन के साथ की है। परंतु सच्चाई यह है कि दोनों के शासन में उससे भी कहीं अधिक समानताएं दिखाई देती हैं।
देवी अहिल्याबाई ने अपने जीवनकाल में कई मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया, जो आक्रांताओं और अंग्रेजी शासकों के अत्याचारों के शिकार हुए थे। उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुननिर्माण कराया। ध्वस्त हो चुके सोमनाथ मंदिर के समीप दो मंजिला मंदिर बनवाया। मंदिरों के पुनरोद्धार को लेकर ठीक वैसी ही समानताएं मौजूदा समय में मोदी के प्रयासों में देखी जा सकती हैं। अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर का भूमि पूजन विराट सफलता है, मोदी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण करवा रहे हैं। चार धाम परियोजना के साथ- साथ केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर परिसरों का कायाकल्प भी हो रहा है।
लोकमाता की ही तरह मोदी सरकार ने कई देशों में फैली सांस्कृतिक विरासत को फिर हासिल कर संरक्षित करने के प्रयास किए हैं। मोदी ने बहरीन की राजधानी में 200 साल पुराने श्रीनाथजी मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य का उद्घाटन किया। उनके प्रयासों से यूएई ने अबू धाबी में स्वामीनारायण मंदिर के तौर पर पहले परंपरागत हिंदू मंदिर निर्माण की अनुमति दी। सरकार ने पिछले पांच वर्षों में विदेशों से रिकॉर्ड कलाकृतियां हासिल कीं। भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, जर्मनी, कनाडा व इंग्लैंड से चुराई गई 44 कलाकृतियां हासिल की थीं। 119 अन्य कलाकृतियां जल्द आएंगी।
अहिल्याबाई होल्कर स्वयं मालवा स्टेट में सती प्रथा के खिलाफ खड़ी हुई थीं। कुप्रथाओं को तोड़ते हुए उन्होंने लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने का साहसिक कार्य किया। विधवाओं को संपत्ति में हक दिलाया। लोकमाता सक्षम तीरंदाज थीं। उन्होंने ही मालवा आर्मी में महिलाओं की अलग इकाई स्थापित की। मोदी ने ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का आह्वान किया। कन्या शिशु का लिंगानुपात 2014-15 के 918 के मुकाबले 2018-19 में 931 हो गया, जो महत्वपूर्ण सुधार था। लोकमाता ने यह सुनिश्चित किया कि महिलाएं सेना का हिस्सा बनें, मोदी ने भी कुछ वैसा ही किया। सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन अब सच्चाई बन चुका है। ठीक उसी तरह से तीन तलाक की कुप्रथा को खत्म कर मोदी ने लाखों महिलाओं को सम्मान दिलाया।
अहिल्याबाई ने भूमि राजस्व प्रबंधन की प्रक्रियाएं सरल बनाई थीं, मोदी सरकार भी भू-प्रबंधन के सरलीकरण में जुटी है। स्वामित्व योजना के जरिए जमीन के रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण कार्य हो रहे हैं। अहिल्याबाई ने महेश्वर में स्थानीय हथकरघा उद्योग का विकास कर दुनिया को महेश्वर साड़ी की सौगात दी। मोदी भी ‘वोकल फॉर लोकल’ के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। लोकमाता के शासन काल में सड़क निर्माण व जल संरक्षण के बुनियादी ढांचे पर जोर दिया गया। मोदी सरकार भी आज रिकॉर्ड गति से हाइवे निर्माण कर रही है और युद्ध स्तर पर जल संरक्षण को बढ़ावा दे रही है।
प्रधानमंत्री ने विश्व में भारत की साख को पुनर्स्थापित करने की बात कही है। उस दिशा में वे महारानी अहिल्याबाई होल्कर के मार्ग पर चल रहे हैं।