QuoteTo take India to newer heights, the role of infrastructure, railways and roads is very important: PM
QuoteOur focus is on timely completion. We will complete projects we begin: PM Modi
QuoteGood roads are a boon for tourism. With a tourist comes economic opportunity for the locals: PM

आप सब इतनी विशाल संख्या मैं हम सबको आशीर्वाद देने के लिए आये मै इसके लिए आप सबका ह्रदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ। पिछले दिनों बाढ़ के कारण देश के कुछ भागो  में काफी मुसीबत आई।कई लोगों को अपनी जान गवाँनी पड़ी। किसानो को भी काफी नुकसान हुआ।राजस्‍थान में भी कई स्थानो पर ये संकट आया। राज्य सरकार ने अपना एक प्रतिवेदन भारत सरकार को भेजा है।भारत सरकार की तरफ से भी एक उच्च स्तरीय समिति राजस्थान का दौरा कर चुकी है। मैं  राजस्‍थान के बाढ़ पीडि़त भाइयों-बहनों को, किसानो को विश्वास दिलाता हूँ कि संकट की घड़ी में भारत सरकार पूरी तरह आपके साथ खड़ी रहेगी और इस संकट से बाहर निकल कर एक नए विश्वास के साथ हम सब आगे बढ़े, इसके लिए  मिल जुल करके भरपूर प्रयास भी करेंगे। आज एक ही कार्यकर्म में पंद्रह हज़ार करोड़ रुपयों से ज्यादा लागत वालेविकास के कामों का शिलान्यास होना या लोकार्पण होना, ये अपने आप में राजस्थान के लिए एक ऐतिहासिक अद्भुत घटना है- योजनाओं की घोषणाएं करना। चुनाव के समय भांति भांति के वादे करना,अख़बारों में बहुतबड़ी बड़ी हेडलाइन छप जाना। आप भी भले हम भी भले। माला दो तुमको ड़ालु, माला दो तुमको ड़ालु।  ये सारे खेल देश भलीभांति देखता आया है सालो से यही चला आया है हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है इन पुरानी बुराइयों को ख़तम करने में इतनी ताकत लगती है जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते ऐसे हालात छोड़ कर गए है।  सारी व्यवस्था ऐसे चरमरा गई है बुराईयां इतनी प्रवेश कर चुकी है अगर कोई ढीला ढाला इंसान होता तो शायद उसको देखते ही डर जाता लेकिन हम जरा अलग मिट्टी के बने हुए है चुनोतियो को चुनने की भी आदत है और चुनोतियो को चुनौती देने की भी आदत है और चुनोतियो को स्‍वीकार करते हुए रास्ते खोजते हुए मंजिल की ओर देश को ले जाने के लिए जी जान से जुटने का  माजा भी रखते है अभी नितिन जी वर्णन कर रहे थे चंबल के उस ब्रिज का 2006 से  2017 तक11 साल और बजट कितना 300 करोड़ से भी कम।सरकार में फर्क क्या होता है? काम करने वाली सरकार किसको कहते है?यहसमझने के लिए ये घटना काफी है।

एक छोटा सा ब्रिज, 300 करोड़ रूपएकी लगत का, ब्रिज साल- डेढ़ साल में बन जाये,सामान्य पद्धति से बनाये तो साल डेढ़ साल में बन जाये।11 साल बीत गए और आज  पांच हजारछह सौ करोड़ के वो प्रोजेक्ट।जरा पत्रकार मित्र हिसाब देखेंतोदिमाग में 300 करोड़ का प्रोजेक्ट 11 साल पांच हज़ार छह सौ करोड़ के काम।2014 मेंदिल्ली में हमारी सरकार बनने के बाद विचार आया,योजना शुरू हुई, कार्यकर्म बना और आज तीन साल के भीतर-भीतर पांच हजारछह सौ करोड़ के कामों का लोकार्पण हो रहा है। हमने उस संस्कृति को लेनेका प्रयास किया है जिस काम का हम आरम्भ करेंगे उसे पूरा करने का प्रयास भी हम ही करेंगे और जब कोई योजना विलम्बित हो जाती है एकाध चुनाव में  राजनीतिक लाभ तो शायद  मिल जाता होगा। पत्थर गाड़ दिया फूल माला पहन ली फोटो निकलवा दी अखबार में छपवा दी एकाध बार चुनाव तो निकल जाएगा। लेकिन बाद में अगर वो योजना अटकी पड़ी है,हज़ारो करोड़ रुपयों की लागत बढ़ती जाती है। काम न होने के कारण जो नुकसान हुआ है, वो अलग। काम अटकने के कारण जो नुकसान हुआ है वोअलग। और देश का पूरा अर्थतंत्र एक गढ्ढे में पड़ी हुई ये योजनाए खा जाती हैं। ऐसेगढ्ढे में पड़ी इतनी योजनाओं को मुझे बाहर निकालने में इतनी ताकत लग रही है जैसे किये ब्रिज आपने देखा बंद पड़ा था काम। कोर्ट कचहरी में उलझ रहा था। हिम्मत के साथ, ईमानदारी के साथ फैसले लेते हैं, निर्णय करते हैंतो परिणाम भी मिलता है। और आज वो परिणाम आपके सामने है,आने वाले दिनों में नौ हजार करोड़ से भी ज्यादा केनए काम अकेले राजस्थान में होंगे। इनमें प्रमुखतया रोड सेक्टर के काम हैं, कहीं रोड की चौड़ाई, कहीं नई पुलिया, कहीं नया रोड, कही रोड का आधुनिकीकरण। एक साथ नौ हजार करोड़ से ज्यादा रुपयों के काम को शुरू करना।अगर यही काम 500 करोड़ के आज करते,500 करोड़ के पांच दिन बाद करते, फिर 500करोड़ के एक महीने बाद करते, तो राजस्थान के अगले चुनाव तक हम राजनीति की रोटियां सेकते रहते।लेकिन वो रास्ता हमें मंजूर नहीं है। हमें काम करना है, समय सीमा में काम करना है और इसलिए एक साथ योजना बना करके, नौ हज़ार करोड़ रूपयोंसे ज्‍यादालागत से नए कामों का आज शिलान्यास हो रहा है। और जब इतनी बड़ी जिम्‍मेदारी के साथ कार्यक्रमों की बात करते हैं, तो पूरा करने के संकल्‍पके साथ करते हैं। और मैंराजस्थान की धरती को विश्वास दिलाता हूँ कि ये करके रहेंगे और राजस्थान की काया पलट हो कर रहेगी। देश के विकास में इंफ्रास्ट्रक्चर का बहुत महत्व होता है। ये ज्यादा लागत वाले होते हैं, समय लम्बा लेने वाले काम होते है।राजनीतिक दृष्टि से लोगों का धैर्य खो भी जाता है और इसलिए सरकारें, राजनेता लम्बे समय की योजनाएं,लम्बे समय के बड़े काम, इनसे भागते रहते थे, पुराने ज़माने में। यह हम भली-भांति जानते है किदेश को अगर नई ऊँचाइयों पर ले जाना है, तो हमें हमारी वयवस्थाओं को भी आधुनिक बनाना पड़ेगा। रेल हो, रोड हो, पानी की व्यवस्था हो, बिजली की व्यवस्था हो, ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क हो, वाटर वेज़ हो, कोस्टल कनेक्टिविटी का रास्ता हो, हर प्रकार से आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए अब विलम्ब करना भारत के लिए फायदेमंद नहीं होगा। और एक बार इस प्रकार की आधुनिक व्यवस्थाये विकसित होती हैं, तो सिर्फ जमीन पर एक बड़ी काली लम्बी लकीर दिखती है ऐसा नहीं है। वो लम्बी काली पट्टी जो रोड है, वो काले रंग वाला रोड आपके जीवन में रोशनी भरने का काम कर देता है। आप विचार कीजिए कि नौ हजार करोड़ रूपयों के लागत से बनने वाले रोड से किसान को कितना फायदा होगा। वे अपनी फसल, अपने फल फूल, सब्‍जी आसानी से ले जा सकेंगे-जब अटल बिहारी वाजपेइ जी ने गोल्‍डेन चतुस्‍क बनाया तो शुरू में लोगों को लगता था,वाह! क्‍या बढिया रोड बन गया!  पहले ऐसा रोड नहीं था।आनंद आता था, गाड़ी तेज चलती थी। बात वहॉं नहीं हो सकती थी।

मुझे बराबर याद है राजस्‍थान के इसी इलाके से सटा हुआ गुजरात का हिस्‍सा चाहे साबरकाठा हो, चाहे अहमदाबाद जिले के कुछ किसान वहॉं हो फल, फूल, सब्‍जी और दूध ये अच्‍छा रोड बनने के कारण,एक दिन में दिल्‍ली के बाजार में जा करके बिकते थे।और वहॉं गाँव के किसान की आय में आमूल-चूल परिवर्तन आया है। एक बार अच्‍छे रोड बन जाते हैं तो मेरा किसान जिसको अपनी फसल शहर तक ले जाने में दिक्‍कत होती है फल-फूल, सब्‍जी दूधदो- दो दिन अगर विलंब हो जाता है तो इनका20 से 30 प्रतिशत तबाह हो जाता है। खरीददार लेने को तैयार नहीं होता है।जब अच्‍छे रोड का Network बनता है तो देश की Economy में भी गति आती है।दूर-सुदूर गॉंव में बैठे किसानों को अपने पसंदीदा बाज़ार में पहुँचन के लिए एक अवसर मिलता है जब रोड़ बन जाते हैं Infrastructure बन जाता है। गॉंव की गरीब मॉं प्रसूता से पीडि़त है, दवाखाना दूर है, 25-30 किलोमीटर दूर जाना है, अगर अच्‍छे रोड हैं तो मॉं और बच्‍चे की जिंदगी बच जाती है। लेकिन अगर रोड ठीक  नहीं है तो उस मॉं  को जिंदगी से हाथ धो देना पड़ता है- रोड से ये काम होता है। राजस्‍थान में तो राजस्‍थान  का रोड तो पैसे उगलने की ताकत रखता है-पैसे उगलने की। शायद हिंदुस्‍तान के और  भागों को रोड से जितना फायदा मिलता है उससे पॉंच गुना लाभ राजस्‍थान  को मिलता है क्‍योंकि राजस्‍थान में दूरियॉं बहुत हैं। भू-भाग बहुत बड़ा है और राजस्‍थानके जीवन में Tourism की बहुत बड़ी ताकत है विश्‍व भर का Tourist राजस्‍थान से परिचित है।दुनिया भरके Tourist को पुष्‍कर के मेले में आने का मन करता है, दुनिया के Tourist को झील की नगरी उदयपुर में आकर समय बिताने का मन करता है।

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दुनिया भर के Tourist को जैसलमेर के पास मरूभूमि में जाकरके एक नई जिंदगी काएहसास करने का मन करता है।किसी को श्रीनाथ जाना है, किसी को एकलिंग जाना, अनगिनत जगहें हैं राजस्‍थान  के हर कोने में Tourism को आकर्षित करने की- Inherent ताकत पड़ी है। एक ऐसी Magnetic Power है जो कि न सिर्फहिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने मेंदुनिया भर से यात्रियों को खींचने की ताकत रखती है। और जब Touristआता  है न, वो  जेव खाली करने के लिए आता है और यहॉं के लोगों का जेब भरने के लिए आता है। और Tourism एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें कम  से  कम पूंजी निवेश से ज्‍यादा ज्‍यादा से लोगों को रोजगार मिलता है।हर कोई कमाता है। फूल बेचने वाला कमाएगा, प्रसाद बेचने वाला कमाएगा, पूजा का सामान बेचने वाला कमाएगा,Auto Rikshaw वाला कमाएगा,Taxi वाला कमाएगा, गेस्‍ट हाउस वाला कमाएगा, Handicraft बेचने वाला कमाएगा, चाय बेचने वाला भी कमाएगा। ये ताकत जिस  राज्‍य  में है, लेकिन अगर ट्राफिक जाम रहता है, रास्‍ते  टूटे फूटे हैं, गढ्ढे से भरे हुए हैं कोई  Proper signage नहीं है,कोई Parking की व्‍यवस्‍था नहीं है, सही से स्‍थान-स्‍थान पर पेट्रोल पंप की सुविधा नहीं है तो Tourist एकाध बार तो आएगा लेकिन जल्‍दीजल्‍दी  वापस जाने के लिए सोचता रहेगा। ये 15000 करोड़ रूपए के प्रोजेक्‍ट  सिर्फ जमीन पर रास्‍ते नहीं बना रहे हैं। वो राजस्‍थान के भाग्‍य के रास्‍ते खोल रहे हैं। ये मैं साफ देख रहा हॅूं और इसलिए ये जो Infrastructure Project पर बल दिया जा रहा है, भारत सरकार इसके पीछे पूरी तरह खर्च करने पर लगी हुई है। इसलिए कि हिन्‍दुस्‍तान में Infrastructure को एक आधुनिक स्‍थान पर ले जाना है। Optical Fibre Network-दूर-सुदूर गॉंव के बच्‍चों को Quality Education कैसे मिले, दूर-सुदूर गरीब के बच्‍चे को भी जैसी शिक्षा उदयपुर के अच्छे से अच्छे स्‍कूल में मिलती हो, अजमेर के अच्छे से अच्‍छे स्‍कूल में मिलती हो वैसी ही शिक्षा दूर-सुदूर बॉंसवाड़ा के जंगल में रहने वाले मेरे आदिवासी भाई को कैसे मिले। ये Digital Network के द्वारा,Optical Fibre Network के द्वारा,Long distance Education के द्वारा, नई पीढ़ी को नई शिक्षा के द्वारा, नई Technology के माध्‍यम से शिक्षा के द्वारा शिक्षा देने का एक बड़ा अभियान।और उसी के तहत लाखों किलोमीटर Optical Fibre Network लगाया जा रहा है। अब ये Optical Fibre Network लगता है तो करोड़ों रूपए की लागत लगती है, अरबो, खरबों की लागत लगती है।लेकिन वहॉं जहॉं से गुजरती है, किसी को दिखता नहीं है। लेकिन इसमें मेरा क्‍या ?हमारे लिए क्‍या हो रहा है, ध्‍यान में ही नहीं आता है। लेकिन जब वह लग जाएगी, बच्‍चों की पढ़ाई का काम होता होगा, बीमार मरीजों को टेलिमेडिसिन से दवाइयों की अच्‍छी सुविधा प्राप्‍त हो जाएगी, उसके उपचार के रास्‍ते तय हो जाएंगे,गॉव के लोगों को भी शहर की सुविधाएं उपलब्‍ध हो जाएगीं। आप कल्‍पना कर  सकते हैं कि हिन्‍दुस्‍तान के गॉंव में कितना बड़ा परिवर्तन आएगा? हम उस Infrastructure को बल देते हुए काम को आगे बढ़ा रहे हैं।

अभी मुख्‍यमंत्री जी बता रही थीं उज्‍ज्‍वला योजना के बारे में। लाखों की तादाद में गरीब मॉं-बहनों के पास आज गैस का चूल्‍हापहुँच गया।एक मॉं जब लकड़ी के चूल्‍हे से धुँए में खाना पकाती है तब 400 सिगरेट का धुँआ उसके शरीर में जाता है। उन मॉ-बहनों के उन बच्‍चों की जो खेलते हैं,उनके स्‍वास्‍थ्‍य की कौन चिंता करेगा?  और एक जमाना था] गैस का सिलेंडर लेने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते थे। कितनी कठिनाइयॉं थीं, कितने नेताओं से चिट्टी चौपाई करनी पड़ती थी। ये ऐसी सरकार है जो गरीब के घर जा करके उसको गैसा का चूल्‍हादेने का अभियान चला रही है और लाखों परिवारों को दे चुकी है।

पहले रोड बनते थे-उससे आज दोगुना रोड बन रहे हैं। पहले रेल बनती थी- उससे आज दोगुना रेल बन रही है। चाहे पानी पहुँचाना हो, चाहे Optical Fibre Network पहुँचाना है- हमने गति भी बढ़ा दी है, काम का स्‍केल बढ़ा दिया है,स्‍कोप भी बढ़ा दिया है और स्‍कील में भी हमने सुधार करके चीजों को आधुनिक बनाने में सफलता प्राप्‍त की है।

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अभी जीएसटी आया-शुरू में लोगों को लग रहा था लेकिन दुनिया के लिए अजूबा है,सवा सौ करोड़़ का इतना बड़ा देश- रातों रात एक व्‍यवस्‍था बदल जाए और देश के सवा सौ करोड़ नागरिक नई व्‍यवस्‍था से अपने आप को Adjust करलें। ये हिन्‍दुस्‍तान की ताकत का परिचय करवाता है-दोस्‍तों।हरकिसी को गर्व होगा कि मेरे देश के अन्‍दर गॉंव में भी बैठे छोटे व्‍यापारी को भी Technology के द्वारा आधुनिक कैसे बनना उसके मन में एक इच्‍छा जगी है और मैं चाहूँगा, मैं राजस्‍थान के अफसरों से खास आग्रह करूंगा कि एक अभियान चलाइए। 15 दिन का-गॉंव-गॉव हर व्‍यापारी छोटा हो तो भी 20 लाख की सीमा से नीचे हो तब भी,10 लाख  की सीमा से  नीचे हो तब भी, उसको भी जीएसटी में जोडि़ए ताकि इस जीएसटी का लाभ उस गरीब व्‍यापारी को भी मिले और छोटे व्‍यापारी को भी मिलना चाहिए।अगर वह जुड़ेगा नहीं तो गाड़ी कहीं अटक जाएगी, वहींरूक जाएगी, नीचे तक लाभ पहुँचेगा नहीं, एक अभियान के स्‍वरूप में काम उठाना चाहिए। आप देखिए राजस्‍थान की आय में भी आप ने कल्‍पना नहीं की होगी किइतना परिवर्तन आएगा, इतना बढ़ावा होगा और उसका परिणाम ये होगा कि राजस्‍था  के गरीबों की भलाई के लिए अनेक नई योजनाएं सरकार अपने हाथ में ले सकती है। जीएसटी के कारण अकेले Transportation में,जो Department भी हमारे नितिन जी देखते हैं-पहले Driver घर से निकलता था अगर उसको समुद्री तट बंदर पर सामान पहुँचाना हो  तो  अगर हम किलोमीटर की गिनती करें, ट्रक के स्‍पीड  की गिनती करें, तो तीन दिन में पहॅुच सकता है।लेकिन पहले हर जगह पर चुँगी,हर प्रकार के चुँगी नाका।और नाकों पर क्‍या क्‍या होता थ, वो सब जानते हैं कि दुनिया कैसी चलती थी।वो बेचारा पॉंच दिन में पहुँचता था।दो दिन ट्रक एक सप्‍ताह में अगरदो दिन ट्रक पड़ी रहती है तो देश की Economy को 25 प्रतिशत से ज्‍यादा नुकसान होता हैTransportation में।ये जीएसटी के बाद सारे चॅुगी नाके गए, ट्रक के Driver को खड़े रहना जो लाल पास , नीला पास को जो चक्‍कर था सब बंद हो गय। और वो पहले पॉंच दिन लगते थे अब तीन दिन में पहॅुच रहा है। दो दिन ज्‍यादा माल ढो करके आगे बढ़ रहा है। उसके कारण माल ढोने के खर्च कम हुए।Transport वालों की आय बढ़ी और मैं तो नितिन जी  से कह रहा हॅू कि प्रतिदिन नए Transport के कानून भी बदलने चाहिए।

आज हमारे देश  में  क्‍या  है एक ट्रक के अंदर माल ले कर जाते,पूरा उसी के अंदर ढो कर ले जाते हैं। अब  समय  की मॉंग है-ट्रक और ट्राली।जैसे ट्रैक्‍टर में होता है वो अलग कर दी जाए।ट्राली के अंदर सामान भरा हो, जयपुर में ट्राली छोड़ दो,ट्रक ले कर चले जाओं,दूसरी ट्राली लगा लो- आगे बढ़ जाओं। ऐसी व्‍यवस्‍था होनी चाहिए कि ड्राइवर रात को अपने घर पहुँच सके। परिवार में बच्‍चो  के साथ रह सके। मैं ऐसी ट्रांसपोर्ट की व्‍यवस्‍था में Transport Transformation लाने का हमारा काम है। और Transformation देश में लाना है तो Transportपद्धति से भी बहुत तेजी से लाया जा सकता है और एक व्‍यापक योजना के साथ विकास की नई ऊँचाइयों को पार करने की दिशा में हम चल रहे हैं।

मैं फिर एक बार स्‍वागत सम्‍मान के लिए, आपके प्‍यार के लिए, आपके आशीर्वाद के लिए, आपका हृदय से बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूँ।

बहुत बहुत  धन्‍यवाद!

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India is going to open doors of new possibilities of space for the world: PM Modi
June 28, 2025
QuoteI extend my heartiest congratulations and best wishes to you for hoisting the flag of India in space: PM
QuoteScience and Spirituality, both are our Nation’s strength: PM
QuoteThe success of Chandrayaan mission and your historic journey renew interest in science among the children and youth of the country: PM
QuoteWe have to take Mission Gaganyaan forward, we have to build our own space station and also land Indian astronauts on the Moon: PM
QuoteYour historic journey is the first chapter of success of India's Gaganyaan mission and will give speed and new vigour to our journey of Viksit Bharat: PM
QuoteIndia is going to open doors of new possibilities of space for the world: PM

प्रधानमंत्रीशुभांशु नमस्कार!

शुभांशु शुक्लानमस्कार!

प्रधानमंत्रीआप आज मातृभूमि से, भारत भूमि से, सबसे दूर हैं, लेकिन भारतवासियों के दिलों के सबसे करीब हैं। आपके नाम में भी शुभ है और आपकी यात्रा नए युग का शुभारंभ भी है। इस समय बात हम दोनों कर रहे हैं, लेकिन मेरे साथ 140 करोड़ भारतवासियों की भावनाएं भी हैं। मेरी आवाज में सभी भारतीयों का उत्साह और उमंग शामिल है। अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने के लिए मैं आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। मैं ज्यादा समय नहीं ले रहा हूं, तो सबसे पहले तो यह बताइए वहां सब कुशल मंगल है? आपकी तबीयत ठीक है?

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शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! बहुत-बहुत धन्यवाद, आपकी wishes का और 140 करोड़ मेरे देशवासियों के wishes का, मैं यहां बिल्कुल ठीक हूं, सुरक्षित हूं। आप सबके आशीर्वाद और प्यार की वजह से… बहुत अच्छा लग रहा है। बहुत नया एक्सपीरियंस है यह और कहीं ना कहीं बहुत सारी चीजें ऐसी हो रही हैं, जो दर्शाती है कि मैं और मेरे जैसे बहुत सारे लोग हमारे देश में और हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है। यह जो मेरी यात्रा है, यह पृथ्वी से ऑर्बिट की 400 किलोमीटर तक की जो छोटे सी यात्रा है, यह सिर्फ मेरी नहीं है। मुझे लगता है कहीं ना कहीं यह हमारे देश के भी यात्रा है because जब मैं छोटा था, मैं कभी सोच नहीं पाया कि मैं एस्ट्रोनॉट बन सकता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि आपके नेतृत्व में आज का भारत यह मौका देता है और उन सपनों को साकार करने का भी मौका देता है। तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि है मेरे लिए और मैं बहुत गर्व feel कर रहा हूं कि मैं यहां पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूं। धन्यवाद प्रधानमंत्री जी!

प्रधानमंत्रीशुभ, आप दूर अंतरिक्ष में हैं, जहां ग्रेविटी ना के बराबर है, पर हर भारतीय देख रहा है कि आप कितने डाउन टू अर्थ हैं। आप जो गाजर का हलवा ले गए हैं, क्या उसे अपने साथियों को खिलाया?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! यह कुछ चीजें मैं अपने देश की खाने की लेकर आया था, जैसे गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस और मैं चाहता था कि यह बाकी भी जो मेरे साथी हैं, बाकी देशों से जो आए हैं, वह भी इसका स्वाद लें और चखें, जो भारत का जो rich culinary हमारा जो हेरिटेज है, उसका एक्सपीरियंस लें, तो हम सभी ने बैठकर इसका स्वाद लिया साथ में और सबको बहुत पसंद आया। कुछ लोग कहे कि कब वह नीचे आएंगे और हमारे देश आएं और इनका स्वाद ले सकें हमारे साथ…

प्रधानमंत्री: शुभ, परिक्रमा करना भारत की सदियों पुरानी परंपरा है। आपको तो पृथ्वी माता की परिक्रमा का सौभाग्य मिला है। अभी आप पृथ्वी के किस भाग के ऊपर से गुजर रहे होंगे?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! इस समय तो मेरे पास यह इनफॉरमेशन उपलब्ध नहीं है, लेकिन थोड़ी देर पहले मैं खिड़की से, विंडो से बाहर देख रहा था, तो हम लोग हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे और हम दिन में 16 बार परिक्रमा करते हैं। 16 सूर्य उदय और 16 सनराइज और सनसेट हम देखते हैं ऑर्बिट से और बहुत ही अचंभित कर देने वाला यह पूरा प्रोसेस है। इस परिक्रमा में, इस तेज गति में जिस हम इस समय करीब 28000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे हैं आपसे बात करते वक्त और यह गति पता नहीं चलती क्योंकि हम तो अंदर हैं, लेकिन कहीं ना कहीं यह गति जरूर दिखाती है कि हमारा देश कितनी गति से आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्रीवाह!

शुभांशु शुक्ला: इस समय हम यहां पहुंचे हैं और अब यहां से और आगे जाना है।

प्रधानमंत्री: अच्छा शुभ अंतरिक्ष की विशालता देखकर सबसे पहले विचार क्या आया आपको?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, सच में बोलूं तो जब पहली बार हम लोग ऑर्बिट में पहुंचे, अंतरिक्ष में पहुंचे, तो पहला जो व्यू था, वह पृथ्वी का था और पृथ्वी को बाहर से देख के जो पहला ख्याल, वो पहला जो thought मन में आया, वह ये था कि पृथ्वी बिल्कुल एक दिखती है, मतलब बाहर से कोई सीमा रेखा नहीं दिखाई देती, कोई बॉर्डर नहीं दिखाई देता। और दूसरी चीज जो बहुत noticeable थी, जब पहली बार भारत को देखा, तो जब हम मैप पर पढ़ते हैं भारत को, हम देखते हैं बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है, हमारा आकार कैसा है, वह मैप पर देखते हैं, लेकिन वह सही नहीं होता है क्योंकि वह एक हम 3D ऑब्जेक्ट को 2D यानी पेपर पर हम उतारते हैं। भारत सच में बहुत भव्य दिखता है, बहुत बड़ा दिखता है। जितना हम मैप पर देखते हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ा और जो oneness की फीलिंग है, पृथ्वी की oneness की फीलिंग है, जो हमारा भी मोटो है कि अनेकता में एकता, वह बिल्कुल उसका महत्व ऐसा समझ में आता है बाहर से देखने में कि लगता है कि कोई बॉर्डर एक्जिस्ट ही नहीं करता, कोई राज्य ही नहीं एक्जिस्ट करता, कंट्रीज़ नहीं एक्जिस्ट करती, फाइनली हम सब ह्यूमैनिटी का पार्ट हैं और अर्थ हमारा एक घर है और हम सबके सब उसके सिटीजंस हैं।

प्रधानमंत्रीशुभांशु स्पेस स्टेशन पर जाने वाले आप पहले भारतीय हैं। आपने जबरदस्त मेहनत की है। लंबी ट्रेनिंग करके गए हैं। अब आप रियल सिचुएशन में हैं, सच में अंतरिक्ष में हैं, वहां की परिस्थितियां कितनी अलग हैं? कैसे अडॉप्ट कर रहे हैं?

शुभांशु शुक्ला: यहां पर तो सब कुछ ही अलग है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग की हमने पिछले पूरे 1 साल में, सारे systems के बारे में मुझे पता था, सारे प्रोसेस के बारे में मुझे पता था, एक्सपेरिमेंट्स के बारे में मुझे पता था। लेकिन यहां आते ही suddenly सब चेंज हो गया, because हमारे शरीर को ग्रेविटी में रहने की इतनी आदत हो जाती है कि हर एक चीज उससे डिसाइड होती है, पर यहां आने के बाद चूंकि ग्रेविटी माइक्रोग्रेविटी है absent है, तो छोटी-छोटी चीजें भी बहुत मुश्किल हो जाती हैं। अभी आपसे बात करते वक्त मैंने अपने पैरों को बांध रखा है, नहीं तो मैं ऊपर चला जाऊंगा और माइक को भी ऐसे जैसे यह छोटी-छोटी चीजें हैं, यानी ऐसे छोड़ भी दूं, तो भी यह ऐसे float करता रहा है। पानी पीना, पैदल चलना, सोना बहुत बड़ा चैलेंज है, आप छत पर सो सकते हैं, आप दीवारों पर सो सकते हैं, आप जमीन पर सो सकते हैं। तो पता सब कुछ होता है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग अच्छी है, लेकिन वातावरण चेंज होता है, तो थोड़ा सा used to होने में एक-दो दिन लगते हैं but फिर ठीक हो जाता है, फिर normal हो जाता है।

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प्रधानमंत्री: शुभ भारत की ताकत साइंस और स्पिरिचुअलिटी दोनों हैं। आप अंतरिक्ष यात्रा पर हैं, लेकिन भारत की यात्रा भी चल रही होगी। भीतर में भारत दौड़ता होगा। क्या उस माहौल में मेडिटेशन और माइंडफूलनेस का लाभ भी मिलता है क्या?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बिल्कुल सहमत हूं। मैं कहीं ना कहीं यह मानता हूं कि भारत already दौड़ रहा है और यह मिशन तो केवल एक पहली सीढ़ी है उस एक बड़ी दौड़ का और हम जरूर आगे पहुंच रहे हैं और अंतरिक्ष में हमारे खुद के स्टेशन भी होंगे और बहुत सारे लोग पहुंचेंगे और माइंडफूलनेस का भी बहुत फर्क पड़ता है। बहुत सारी सिचुएशंस ऐसी होती हैं नॉर्मल ट्रेनिंग के दौरान भी या फिर लॉन्च के दौरान भी, जो बहुत स्ट्रेसफुल होती हैं और माइंडफूलनेस से आप अपने आप को उन सिचुएशंस में शांत रख पाते हैं और अपने आप को calm रखते हैं, अपने आप को शांत रखते हैं, तो आप अच्छे डिसीजंस ले पाते हैं। कहते हैं कि दौड़ते हो भोजन कोई भी नहीं कर सकता, तो जितना आप शांत रहेंगे उतना ही आप अच्छे से आप डिसीजन ले पाएंगे। तो I think माइंडफूलनेस का बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल होता है इन चीजों में, तो दोनों चीजें अगर साथ में एक प्रैक्टिस की जाएं, तो ऐसे एक चैलेंजिंग एनवायरमेंट में या चैलेंजिंग वातावरण में मुझे लगता है यह बहुत ही यूज़फुल होंगी और बहुत जल्दी लोगों को adapt करने में मदद करेंगी।

प्रधानमंत्री: आप अंतरिक्ष में कई एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। क्या कोई ऐसा एक्सपेरिमेंट है, जो आने वाले समय में एग्रीकल्चर या हेल्थ सेक्टर को फायदा पहुंचाएगा?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं कि पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने 7 यूनिक एक्सपेरिमेंट्स डिजाइन किए हैं, जो कि मैं अपने साथ स्टेशन पर लेकर आया हूं और पहला एक्सपेरिमेंट जो मैं करने वाला हूं, जो कि आज ही के दिन में शेड्यूल्ड है, वह है Stem Cells के ऊपर, so अंतरिक्ष में आने से क्या होता है कि ग्रेविटी क्योंकि एब्सेंट होती है, तो लोड खत्म हो जाता है, तो मसल लॉस होता है, तो जो मेरा एक्सपेरिमेंट है, वह यह देख रहा है कि क्या कोई सप्लीमेंट देकर हम इस मसल लॉस को रोक सकते हैं या फिर डिले कर सकते हैं। इसका डायरेक्ट इंप्लीकेशन धरती पर भी है कि जिन लोगों का मसल लॉस होता है, ओल्ड एज की वजह से, उनके ऊपर यह सप्लीमेंट्स यूज़ किए जा सकते हैं। तो मुझे लगता है कि यह डेफिनेटली वहां यूज़ हो सकता है। साथ ही साथ जो दूसरा एक्सपेरिमेंट है, वह Microalgae की ग्रोथ के ऊपर। यह Microalgae बहुत छोटे होते हैं, लेकिन बहुत Nutritious होते हैं, तो अगर हम इनकी ग्रोथ देख सकते हैं यहां पर और ऐसा प्रोसेस ईजाद करें कि यह ज्यादा तादाद में हम इन्हें उगा सके और न्यूट्रिशन हम प्रोवाइड कर सकें, तो कहीं ना कहीं यह फूड सिक्योरिटी के लिए भी बहुत काम आएगा धरती के ऊपर। सबसे बड़ा एडवांटेज जो है स्पेस का, वह यह है कि यह जो प्रोसेस है यहां पर, यह बहुत जल्दी होते हैं। तो हमें महीनों तक या सालों तक वेट करने की जरूरत नहीं होती, तो जो यहां के जो रिजल्‍ट्स होते हैं वो हम और…

प्रधानमंत्री: शुभांशु चंद्रयान की सफलता के बाद देश के बच्चों में, युवाओं में विज्ञान को लेकर एक नई रूचि पैदा हुई, अंतरिक्ष को explore करने का जज्बा बढ़ा। अब आपकी ये ऐतिहासिक यात्रा उस संकल्प को और मजबूती दे रही है। आज बच्चे सिर्फ आसमान नहीं देखते, वो यह सोचते हैं, मैं भी वहां पहुंच सकता हूं। यही सोच, यही भावना हमारे भविष्य के स्पेस मिशंस की असली बुनियाद है। आप भारत की युवा पीढ़ी को क्या मैसेज देंगे?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, मैं अगर मैं अपनी युवा पीढ़ी को आज कोई मैसेज देना चाहूंगा, तो पहले यह बताऊंगा कि भारत जिस दिशा में जा रहा है, हमने बहुत बोल्ड और बहुत ऊंचे सपने देखे हैं और उन सपनों को पूरा करने के लिए, हमें आप सबकी जरूरत है, तो उस जरूरत को पूरा करने के लिए, मैं ये कहूंगा कि सक्सेस का कोई एक रास्ता नहीं होता कि आप कभी कोई एक रास्ता लेता है, कोई दूसरा रास्ता लेता है, लेकिन एक चीज जो हर रास्ते में कॉमन होती है, वो ये होती है कि आप कभी कोशिश मत छोड़िए, Never Stop Trying. अगर आपने ये मूल मंत्र अपना लिया कि आप किसी भी रास्ते पर हों, कहीं पर भी हों, लेकिन आप कभी गिव अप नहीं करेंगे, तो सक्सेस चाहे आज आए या कल आए, पर आएगी जरूर।

प्रधानमंत्री: मुझे पक्का विश्वास है कि आपकी ये बातें देश के युवाओं को बहुत ही अच्छी लगेंगी और आप तो मुझे भली-भांति जानते हैं, जब भी किसी से बात होती हैं, तो मैं होमवर्क जरूर देता हूं। हमें मिशन गगनयान को आगे बढ़ाना है, हमें अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना है, और चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रोनॉट की लैंडिंग भी करानी है। इन सारे मिशंस में आपके अनुभव बहुत काम आने वाले हैं। मुझे विश्वास है, आप वहां अपने अनुभवों को जरूर रिकॉर्ड कर रहे होंगे।

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, बिल्कुल ये पूरे मिशन की ट्रेनिंग लेने के दौरान और एक्सपीरियंस करने के दौरान, जो मुझे lessons मिले हैं, जो मेरी मुझे सीख मिली है, वो सब एक स्पंज की तरह में absorb कर रहा हूं और मुझे यकीन है कि यह सारी चीजें बहुत वैल्युएबल प्रूव होंगी, बहुत इंपॉर्टेंट होगी हमारे लिए जब मैं वापस आऊंगा और हम इन्हें इफेक्टिवली अपने मिशंस में, इनके lessons अप्लाई कर सकेंगे और जल्दी से जल्दी उन्हें पूरा कर सकेंगे। Because मेरे साथी जो मेरे साथ आए थे, कहीं ना कहीं उन्होंने भी मुझसे पूछा कि हम कब गगनयान पर जा सकते हैं, जो सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने बोला कि जल्द ही। तो मुझे लगता है कि यह सपना बहुत जल्दी पूरा होगा और मेरी तो सीख मुझे यहां मिल रही है, वह मैं वापस आकर, उसको अपने मिशन में पूरी तरह से 100 परसेंट अप्लाई करके उनको जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश करेंगे।

प्रधानमंत्री: शुभांशु, मुझे पक्का विश्वास है कि आपका ये संदेश एक प्रेरणा देगा और जब हम आपके जाने से पहले मिले थे, आपके परिवारजन के भी दर्शन करने का अवसर मिला था और मैं देख रहा हूं कि आपके परिवारजन भी सभी उतने ही भावुक हैं, उत्साह से भरे हुए हैं। शुभांशु आज मुझे आपसे बात करके बहुत आनंद आया, मैं जानता हूं आपकी जिम्मे बहुत काम है और 28000 किलोमीटर की स्पीड से काम करने हैं आपको, तो मैं ज्यादा समय आपका नहीं लूंगा। आज मैं विश्वास से कह सकता हूं कि ये भारत के गगनयान मिशन की सफलता का पहला अध्याय है। आपकी यह ऐतिहासिक यात्रा सिर्फ अंतरिक्ष तक सीमित नहीं है, ये हमारी विकसित भारत की यात्रा को तेज गति और नई मजबूती देगी। भारत दुनिया के लिए स्पेस की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। अब भारत सिर्फ उड़ान नहीं भरेगा, भविष्य में नई उड़ानों के लिए मंच तैयार करेगा। मैं चाहता हूं, कुछ और भी सुनने की इच्छा है, आपके मन में क्योंकि मैं सवाल नहीं पूछना चाहता, आपके मन में जो भाव है, अगर वो आप प्रकट करेंगे, देशवासी सुनेंगे, देश की युवा पीढ़ी सुनेगी, तो मैं भी खुद बहुत आतुर हूं, कुछ और बातें आपसे सुनने के लिए।

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शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी! यहां यह पूरी जर्नी जो है, यह अंतरिक्ष तक आने की और यहां ट्रेनिंग की और यहां तक पहुंचने की, इसमें बहुत कुछ सीखा है प्रधानमंत्री जी मैंने लेकिन यहां पहुंचने के बाद मुझे पर्सनल accomplishment तो एक है ही, लेकिन कहीं ना कहीं मुझे ये लगता है कि यह हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा कलेक्टिव अचीवमेंट है। और मैं हर एक बच्चे को जो यह देख रहा है, हर एक युवा को जो यह देख रहा है, एक मैसेज देना चाहता हूं और वो यह है कि अगर आप कोशिश करते हैं और आप अपना भविष्य बनाते हैं अच्छे से, तो आपका भविष्य अच्छा बनेगा और हमारे देश का भविष्य अच्छा बनेगा और केवल एक बात अपने मन में रखिए, that sky has never the limits ना आपके लिए, ना मेरे लिए और ना भारत के लिए और यह बात हमेशा अगर अपने मन में रखी, तो आप आगे बढ़ेंगे, आप अपना भविष्य उजागर करेंगे और आप हमारे देश का भविष्य उजागर करेंगे और बस मेरा यही मैसेज है प्रधानमंत्री जी और मैं बहुत-बहुत ही भावुक और बहुत ही खुश हूं कि मुझे मौका मिला आज आपसे बात करने का और आप के थ्रू 140 करोड़ देशवासियों से बात करने का, जो यह देख पा रहे हैं, यह जो तिरंगा आप मेरे पीछे देख रहे हैं, यह यहां नहीं था, कल के पहले जब मैं यहां पर आया हूं, तब हमने यह यहां पर पहली बार लगाया है। तो यह बहुत भावुक करता है मुझे और बहुत अच्छा लगता है देखकर कि भारत आज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच चुका है।

प्रधानमंत्रीशुभांशु, मैं आपको और आपके सभी साथियों को आपके मिशन की सफलता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। शुभांशु, हम सबको आपकी वापसी का इंतजार है। अपना ध्यान रखिए, मां भारती का सम्मान बढ़ाते रहिए। अनेक-अनेक शुभकामनाएं, 140 करोड़ देशवासियों की शुभकामनाएं और आपको इस कठोर परिश्रम करके, इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। भारत माता की जय!

शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी, धन्यवाद और सारे 140 करोड़ देशवासियों को धन्यवाद और स्पेस से सबके लिए भारत माता की जय!