भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में बुनियादी ढांचा, रेलवे और सड़कों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है: प्रधानमंत्री मोदी 
हमारा फोकस है - परियोजनाएं समय पर पूरी हों, हमने जो परियोजनाएं शुरू की हैं, हम उन्हें पूरा करेंगे: पीएम मोदी 
अच्छी सड़कें पर्यटन के लिए एक वरदान है, पर्यटकों के आने से स्थानीय लोगों के लिए आर्थिक अवसर खुल जाते हैं: प्रधानमंत्री

आप सब इतनी विशाल संख्या मैं हम सबको आशीर्वाद देने के लिए आये मै इसके लिए आप सबका ह्रदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ। पिछले दिनों बाढ़ के कारण देश के कुछ भागो  में काफी मुसीबत आई।कई लोगों को अपनी जान गवाँनी पड़ी। किसानो को भी काफी नुकसान हुआ।राजस्‍थान में भी कई स्थानो पर ये संकट आया। राज्य सरकार ने अपना एक प्रतिवेदन भारत सरकार को भेजा है।भारत सरकार की तरफ से भी एक उच्च स्तरीय समिति राजस्थान का दौरा कर चुकी है। मैं  राजस्‍थान के बाढ़ पीडि़त भाइयों-बहनों को, किसानो को विश्वास दिलाता हूँ कि संकट की घड़ी में भारत सरकार पूरी तरह आपके साथ खड़ी रहेगी और इस संकट से बाहर निकल कर एक नए विश्वास के साथ हम सब आगे बढ़े, इसके लिए  मिल जुल करके भरपूर प्रयास भी करेंगे। आज एक ही कार्यकर्म में पंद्रह हज़ार करोड़ रुपयों से ज्यादा लागत वालेविकास के कामों का शिलान्यास होना या लोकार्पण होना, ये अपने आप में राजस्थान के लिए एक ऐतिहासिक अद्भुत घटना है- योजनाओं की घोषणाएं करना। चुनाव के समय भांति भांति के वादे करना,अख़बारों में बहुतबड़ी बड़ी हेडलाइन छप जाना। आप भी भले हम भी भले। माला दो तुमको ड़ालु, माला दो तुमको ड़ालु।  ये सारे खेल देश भलीभांति देखता आया है सालो से यही चला आया है हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है इन पुरानी बुराइयों को ख़तम करने में इतनी ताकत लगती है जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते ऐसे हालात छोड़ कर गए है।  सारी व्यवस्था ऐसे चरमरा गई है बुराईयां इतनी प्रवेश कर चुकी है अगर कोई ढीला ढाला इंसान होता तो शायद उसको देखते ही डर जाता लेकिन हम जरा अलग मिट्टी के बने हुए है चुनोतियो को चुनने की भी आदत है और चुनोतियो को चुनौती देने की भी आदत है और चुनोतियो को स्‍वीकार करते हुए रास्ते खोजते हुए मंजिल की ओर देश को ले जाने के लिए जी जान से जुटने का  माजा भी रखते है अभी नितिन जी वर्णन कर रहे थे चंबल के उस ब्रिज का 2006 से  2017 तक11 साल और बजट कितना 300 करोड़ से भी कम।सरकार में फर्क क्या होता है? काम करने वाली सरकार किसको कहते है?यहसमझने के लिए ये घटना काफी है।

एक छोटा सा ब्रिज, 300 करोड़ रूपएकी लगत का, ब्रिज साल- डेढ़ साल में बन जाये,सामान्य पद्धति से बनाये तो साल डेढ़ साल में बन जाये।11 साल बीत गए और आज  पांच हजारछह सौ करोड़ के वो प्रोजेक्ट।जरा पत्रकार मित्र हिसाब देखेंतोदिमाग में 300 करोड़ का प्रोजेक्ट 11 साल पांच हज़ार छह सौ करोड़ के काम।2014 मेंदिल्ली में हमारी सरकार बनने के बाद विचार आया,योजना शुरू हुई, कार्यकर्म बना और आज तीन साल के भीतर-भीतर पांच हजारछह सौ करोड़ के कामों का लोकार्पण हो रहा है। हमने उस संस्कृति को लेनेका प्रयास किया है जिस काम का हम आरम्भ करेंगे उसे पूरा करने का प्रयास भी हम ही करेंगे और जब कोई योजना विलम्बित हो जाती है एकाध चुनाव में  राजनीतिक लाभ तो शायद  मिल जाता होगा। पत्थर गाड़ दिया फूल माला पहन ली फोटो निकलवा दी अखबार में छपवा दी एकाध बार चुनाव तो निकल जाएगा। लेकिन बाद में अगर वो योजना अटकी पड़ी है,हज़ारो करोड़ रुपयों की लागत बढ़ती जाती है। काम न होने के कारण जो नुकसान हुआ है, वो अलग। काम अटकने के कारण जो नुकसान हुआ है वोअलग। और देश का पूरा अर्थतंत्र एक गढ्ढे में पड़ी हुई ये योजनाए खा जाती हैं। ऐसेगढ्ढे में पड़ी इतनी योजनाओं को मुझे बाहर निकालने में इतनी ताकत लग रही है जैसे किये ब्रिज आपने देखा बंद पड़ा था काम। कोर्ट कचहरी में उलझ रहा था। हिम्मत के साथ, ईमानदारी के साथ फैसले लेते हैं, निर्णय करते हैंतो परिणाम भी मिलता है। और आज वो परिणाम आपके सामने है,आने वाले दिनों में नौ हजार करोड़ से भी ज्यादा केनए काम अकेले राजस्थान में होंगे। इनमें प्रमुखतया रोड सेक्टर के काम हैं, कहीं रोड की चौड़ाई, कहीं नई पुलिया, कहीं नया रोड, कही रोड का आधुनिकीकरण। एक साथ नौ हजार करोड़ से ज्यादा रुपयों के काम को शुरू करना।अगर यही काम 500 करोड़ के आज करते,500 करोड़ के पांच दिन बाद करते, फिर 500करोड़ के एक महीने बाद करते, तो राजस्थान के अगले चुनाव तक हम राजनीति की रोटियां सेकते रहते।लेकिन वो रास्ता हमें मंजूर नहीं है। हमें काम करना है, समय सीमा में काम करना है और इसलिए एक साथ योजना बना करके, नौ हज़ार करोड़ रूपयोंसे ज्‍यादालागत से नए कामों का आज शिलान्यास हो रहा है। और जब इतनी बड़ी जिम्‍मेदारी के साथ कार्यक्रमों की बात करते हैं, तो पूरा करने के संकल्‍पके साथ करते हैं। और मैंराजस्थान की धरती को विश्वास दिलाता हूँ कि ये करके रहेंगे और राजस्थान की काया पलट हो कर रहेगी। देश के विकास में इंफ्रास्ट्रक्चर का बहुत महत्व होता है। ये ज्यादा लागत वाले होते हैं, समय लम्बा लेने वाले काम होते है।राजनीतिक दृष्टि से लोगों का धैर्य खो भी जाता है और इसलिए सरकारें, राजनेता लम्बे समय की योजनाएं,लम्बे समय के बड़े काम, इनसे भागते रहते थे, पुराने ज़माने में। यह हम भली-भांति जानते है किदेश को अगर नई ऊँचाइयों पर ले जाना है, तो हमें हमारी वयवस्थाओं को भी आधुनिक बनाना पड़ेगा। रेल हो, रोड हो, पानी की व्यवस्था हो, बिजली की व्यवस्था हो, ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क हो, वाटर वेज़ हो, कोस्टल कनेक्टिविटी का रास्ता हो, हर प्रकार से आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए अब विलम्ब करना भारत के लिए फायदेमंद नहीं होगा। और एक बार इस प्रकार की आधुनिक व्यवस्थाये विकसित होती हैं, तो सिर्फ जमीन पर एक बड़ी काली लम्बी लकीर दिखती है ऐसा नहीं है। वो लम्बी काली पट्टी जो रोड है, वो काले रंग वाला रोड आपके जीवन में रोशनी भरने का काम कर देता है। आप विचार कीजिए कि नौ हजार करोड़ रूपयों के लागत से बनने वाले रोड से किसान को कितना फायदा होगा। वे अपनी फसल, अपने फल फूल, सब्‍जी आसानी से ले जा सकेंगे-जब अटल बिहारी वाजपेइ जी ने गोल्‍डेन चतुस्‍क बनाया तो शुरू में लोगों को लगता था,वाह! क्‍या बढिया रोड बन गया!  पहले ऐसा रोड नहीं था।आनंद आता था, गाड़ी तेज चलती थी। बात वहॉं नहीं हो सकती थी।

मुझे बराबर याद है राजस्‍थान के इसी इलाके से सटा हुआ गुजरात का हिस्‍सा चाहे साबरकाठा हो, चाहे अहमदाबाद जिले के कुछ किसान वहॉं हो फल, फूल, सब्‍जी और दूध ये अच्‍छा रोड बनने के कारण,एक दिन में दिल्‍ली के बाजार में जा करके बिकते थे।और वहॉं गाँव के किसान की आय में आमूल-चूल परिवर्तन आया है। एक बार अच्‍छे रोड बन जाते हैं तो मेरा किसान जिसको अपनी फसल शहर तक ले जाने में दिक्‍कत होती है फल-फूल, सब्‍जी दूधदो- दो दिन अगर विलंब हो जाता है तो इनका20 से 30 प्रतिशत तबाह हो जाता है। खरीददार लेने को तैयार नहीं होता है।जब अच्‍छे रोड का Network बनता है तो देश की Economy में भी गति आती है।दूर-सुदूर गॉंव में बैठे किसानों को अपने पसंदीदा बाज़ार में पहुँचन के लिए एक अवसर मिलता है जब रोड़ बन जाते हैं Infrastructure बन जाता है। गॉंव की गरीब मॉं प्रसूता से पीडि़त है, दवाखाना दूर है, 25-30 किलोमीटर दूर जाना है, अगर अच्‍छे रोड हैं तो मॉं और बच्‍चे की जिंदगी बच जाती है। लेकिन अगर रोड ठीक  नहीं है तो उस मॉं  को जिंदगी से हाथ धो देना पड़ता है- रोड से ये काम होता है। राजस्‍थान में तो राजस्‍थान  का रोड तो पैसे उगलने की ताकत रखता है-पैसे उगलने की। शायद हिंदुस्‍तान के और  भागों को रोड से जितना फायदा मिलता है उससे पॉंच गुना लाभ राजस्‍थान  को मिलता है क्‍योंकि राजस्‍थान में दूरियॉं बहुत हैं। भू-भाग बहुत बड़ा है और राजस्‍थानके जीवन में Tourism की बहुत बड़ी ताकत है विश्‍व भर का Tourist राजस्‍थान से परिचित है।दुनिया भरके Tourist को पुष्‍कर के मेले में आने का मन करता है, दुनिया के Tourist को झील की नगरी उदयपुर में आकर समय बिताने का मन करता है।

दुनिया भर के Tourist को जैसलमेर के पास मरूभूमि में जाकरके एक नई जिंदगी काएहसास करने का मन करता है।किसी को श्रीनाथ जाना है, किसी को एकलिंग जाना, अनगिनत जगहें हैं राजस्‍थान  के हर कोने में Tourism को आकर्षित करने की- Inherent ताकत पड़ी है। एक ऐसी Magnetic Power है जो कि न सिर्फहिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने मेंदुनिया भर से यात्रियों को खींचने की ताकत रखती है। और जब Touristआता  है न, वो  जेव खाली करने के लिए आता है और यहॉं के लोगों का जेब भरने के लिए आता है। और Tourism एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें कम  से  कम पूंजी निवेश से ज्‍यादा ज्‍यादा से लोगों को रोजगार मिलता है।हर कोई कमाता है। फूल बेचने वाला कमाएगा, प्रसाद बेचने वाला कमाएगा, पूजा का सामान बेचने वाला कमाएगा,Auto Rikshaw वाला कमाएगा,Taxi वाला कमाएगा, गेस्‍ट हाउस वाला कमाएगा, Handicraft बेचने वाला कमाएगा, चाय बेचने वाला भी कमाएगा। ये ताकत जिस  राज्‍य  में है, लेकिन अगर ट्राफिक जाम रहता है, रास्‍ते  टूटे फूटे हैं, गढ्ढे से भरे हुए हैं कोई  Proper signage नहीं है,कोई Parking की व्‍यवस्‍था नहीं है, सही से स्‍थान-स्‍थान पर पेट्रोल पंप की सुविधा नहीं है तो Tourist एकाध बार तो आएगा लेकिन जल्‍दीजल्‍दी  वापस जाने के लिए सोचता रहेगा। ये 15000 करोड़ रूपए के प्रोजेक्‍ट  सिर्फ जमीन पर रास्‍ते नहीं बना रहे हैं। वो राजस्‍थान के भाग्‍य के रास्‍ते खोल रहे हैं। ये मैं साफ देख रहा हॅूं और इसलिए ये जो Infrastructure Project पर बल दिया जा रहा है, भारत सरकार इसके पीछे पूरी तरह खर्च करने पर लगी हुई है। इसलिए कि हिन्‍दुस्‍तान में Infrastructure को एक आधुनिक स्‍थान पर ले जाना है। Optical Fibre Network-दूर-सुदूर गॉंव के बच्‍चों को Quality Education कैसे मिले, दूर-सुदूर गरीब के बच्‍चे को भी जैसी शिक्षा उदयपुर के अच्छे से अच्छे स्‍कूल में मिलती हो, अजमेर के अच्छे से अच्‍छे स्‍कूल में मिलती हो वैसी ही शिक्षा दूर-सुदूर बॉंसवाड़ा के जंगल में रहने वाले मेरे आदिवासी भाई को कैसे मिले। ये Digital Network के द्वारा,Optical Fibre Network के द्वारा,Long distance Education के द्वारा, नई पीढ़ी को नई शिक्षा के द्वारा, नई Technology के माध्‍यम से शिक्षा के द्वारा शिक्षा देने का एक बड़ा अभियान।और उसी के तहत लाखों किलोमीटर Optical Fibre Network लगाया जा रहा है। अब ये Optical Fibre Network लगता है तो करोड़ों रूपए की लागत लगती है, अरबो, खरबों की लागत लगती है।लेकिन वहॉं जहॉं से गुजरती है, किसी को दिखता नहीं है। लेकिन इसमें मेरा क्‍या ?हमारे लिए क्‍या हो रहा है, ध्‍यान में ही नहीं आता है। लेकिन जब वह लग जाएगी, बच्‍चों की पढ़ाई का काम होता होगा, बीमार मरीजों को टेलिमेडिसिन से दवाइयों की अच्‍छी सुविधा प्राप्‍त हो जाएगी, उसके उपचार के रास्‍ते तय हो जाएंगे,गॉव के लोगों को भी शहर की सुविधाएं उपलब्‍ध हो जाएगीं। आप कल्‍पना कर  सकते हैं कि हिन्‍दुस्‍तान के गॉंव में कितना बड़ा परिवर्तन आएगा? हम उस Infrastructure को बल देते हुए काम को आगे बढ़ा रहे हैं।

अभी मुख्‍यमंत्री जी बता रही थीं उज्‍ज्‍वला योजना के बारे में। लाखों की तादाद में गरीब मॉं-बहनों के पास आज गैस का चूल्‍हापहुँच गया।एक मॉं जब लकड़ी के चूल्‍हे से धुँए में खाना पकाती है तब 400 सिगरेट का धुँआ उसके शरीर में जाता है। उन मॉ-बहनों के उन बच्‍चों की जो खेलते हैं,उनके स्‍वास्‍थ्‍य की कौन चिंता करेगा?  और एक जमाना था] गैस का सिलेंडर लेने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते थे। कितनी कठिनाइयॉं थीं, कितने नेताओं से चिट्टी चौपाई करनी पड़ती थी। ये ऐसी सरकार है जो गरीब के घर जा करके उसको गैसा का चूल्‍हादेने का अभियान चला रही है और लाखों परिवारों को दे चुकी है।

पहले रोड बनते थे-उससे आज दोगुना रोड बन रहे हैं। पहले रेल बनती थी- उससे आज दोगुना रेल बन रही है। चाहे पानी पहुँचाना हो, चाहे Optical Fibre Network पहुँचाना है- हमने गति भी बढ़ा दी है, काम का स्‍केल बढ़ा दिया है,स्‍कोप भी बढ़ा दिया है और स्‍कील में भी हमने सुधार करके चीजों को आधुनिक बनाने में सफलता प्राप्‍त की है।

अभी जीएसटी आया-शुरू में लोगों को लग रहा था लेकिन दुनिया के लिए अजूबा है,सवा सौ करोड़़ का इतना बड़ा देश- रातों रात एक व्‍यवस्‍था बदल जाए और देश के सवा सौ करोड़ नागरिक नई व्‍यवस्‍था से अपने आप को Adjust करलें। ये हिन्‍दुस्‍तान की ताकत का परिचय करवाता है-दोस्‍तों।हरकिसी को गर्व होगा कि मेरे देश के अन्‍दर गॉंव में भी बैठे छोटे व्‍यापारी को भी Technology के द्वारा आधुनिक कैसे बनना उसके मन में एक इच्‍छा जगी है और मैं चाहूँगा, मैं राजस्‍थान के अफसरों से खास आग्रह करूंगा कि एक अभियान चलाइए। 15 दिन का-गॉंव-गॉव हर व्‍यापारी छोटा हो तो भी 20 लाख की सीमा से नीचे हो तब भी,10 लाख  की सीमा से  नीचे हो तब भी, उसको भी जीएसटी में जोडि़ए ताकि इस जीएसटी का लाभ उस गरीब व्‍यापारी को भी मिले और छोटे व्‍यापारी को भी मिलना चाहिए।अगर वह जुड़ेगा नहीं तो गाड़ी कहीं अटक जाएगी, वहींरूक जाएगी, नीचे तक लाभ पहुँचेगा नहीं, एक अभियान के स्‍वरूप में काम उठाना चाहिए। आप देखिए राजस्‍थान की आय में भी आप ने कल्‍पना नहीं की होगी किइतना परिवर्तन आएगा, इतना बढ़ावा होगा और उसका परिणाम ये होगा कि राजस्‍था  के गरीबों की भलाई के लिए अनेक नई योजनाएं सरकार अपने हाथ में ले सकती है। जीएसटी के कारण अकेले Transportation में,जो Department भी हमारे नितिन जी देखते हैं-पहले Driver घर से निकलता था अगर उसको समुद्री तट बंदर पर सामान पहुँचाना हो  तो  अगर हम किलोमीटर की गिनती करें, ट्रक के स्‍पीड  की गिनती करें, तो तीन दिन में पहॅुच सकता है।लेकिन पहले हर जगह पर चुँगी,हर प्रकार के चुँगी नाका।और नाकों पर क्‍या क्‍या होता थ, वो सब जानते हैं कि दुनिया कैसी चलती थी।वो बेचारा पॉंच दिन में पहुँचता था।दो दिन ट्रक एक सप्‍ताह में अगरदो दिन ट्रक पड़ी रहती है तो देश की Economy को 25 प्रतिशत से ज्‍यादा नुकसान होता हैTransportation में।ये जीएसटी के बाद सारे चॅुगी नाके गए, ट्रक के Driver को खड़े रहना जो लाल पास , नीला पास को जो चक्‍कर था सब बंद हो गय। और वो पहले पॉंच दिन लगते थे अब तीन दिन में पहॅुच रहा है। दो दिन ज्‍यादा माल ढो करके आगे बढ़ रहा है। उसके कारण माल ढोने के खर्च कम हुए।Transport वालों की आय बढ़ी और मैं तो नितिन जी  से कह रहा हॅू कि प्रतिदिन नए Transport के कानून भी बदलने चाहिए।

आज हमारे देश  में  क्‍या  है एक ट्रक के अंदर माल ले कर जाते,पूरा उसी के अंदर ढो कर ले जाते हैं। अब  समय  की मॉंग है-ट्रक और ट्राली।जैसे ट्रैक्‍टर में होता है वो अलग कर दी जाए।ट्राली के अंदर सामान भरा हो, जयपुर में ट्राली छोड़ दो,ट्रक ले कर चले जाओं,दूसरी ट्राली लगा लो- आगे बढ़ जाओं। ऐसी व्‍यवस्‍था होनी चाहिए कि ड्राइवर रात को अपने घर पहुँच सके। परिवार में बच्‍चो  के साथ रह सके। मैं ऐसी ट्रांसपोर्ट की व्‍यवस्‍था में Transport Transformation लाने का हमारा काम है। और Transformation देश में लाना है तो Transportपद्धति से भी बहुत तेजी से लाया जा सकता है और एक व्‍यापक योजना के साथ विकास की नई ऊँचाइयों को पार करने की दिशा में हम चल रहे हैं।

मैं फिर एक बार स्‍वागत सम्‍मान के लिए, आपके प्‍यार के लिए, आपके आशीर्वाद के लिए, आपका हृदय से बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूँ।

बहुत बहुत  धन्‍यवाद!

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PM Modi hails the commencement of 20th Session of UNESCO’s Committee on Intangible Cultural Heritage in India
December 08, 2025

The Prime Minister has expressed immense joy on the commencement of the 20th Session of the Committee on Intangible Cultural Heritage of UNESCO in India. He said that the forum has brought together delegates from over 150 nations with a shared vision to protect and popularise living traditions across the world.

The Prime Minister stated that India is glad to host this important gathering, especially at the historic Red Fort. He added that the occasion reflects India’s commitment to harnessing the power of culture to connect societies and generations.

The Prime Minister wrote on X;

“It is a matter of immense joy that the 20th Session of UNESCO’s Committee on Intangible Cultural Heritage has commenced in India. This forum has brought together delegates from over 150 nations with a vision to protect and popularise our shared living traditions. India is glad to host this gathering, and that too at the Red Fort. It also reflects our commitment to harnessing the power of culture to connect societies and generations.

@UNESCO”