विशाल संख्‍या में पधारे हुए सभी प्‍यारे भाईयों और बहनों और विशेष रूप से महाराष्‍ट्र से आये मित्रों को भी नमस्कार,

बोले सो निहाल..सत् श्री अकाल! शहीदों..अमर रहो! शहीदो..अमर रहो! शहीदों..अमर रहो!

आज मेरे लिए बड़ी प्रेरक घड़ी है। एक नई प्रेरणा जिनका नाम कानों पर पड़ते ही देश के हर नागरिक को मिलती है ऐसे सरदार भगत सिंह जी, सुखदेव, राजगुरू, बटूकेश्‍वर दत्‍त और भगत‍ सिंह जी की माता जी, जिस धरती पर एक वीर माता के साथ भारत माँ के प्‍यारे लाड़ले चार वीरों की समाधि को नमन करने का मुझे अवसर प्राप्‍त हुआ है। यह पंजाब की धरती की विशेषता है। इस धरती ने, आजादी के जंग में सबसे ज्‍यादा बलिदान दिया है। देश की रक्षा के लिए सीमा पर मोर्चा संभालते हुए अनेक वीर जवानों ने शहादत दी है।..और देश को आगे बढ़ाने के लिए यहां के किसानों ने अपना पसीना बहाकर के देश के अन्‍न भंडार भर दिये। यह ऐसी धरती है, जहां आजादी के पहले भी यहां के लोग देश के लिए जिए और आजादी के बाद भी देश के लिए जी रहे हैं। मैं इस धरती को, यहां के सभी वीरों को, यहां के सभी वीर माताओं को आदरपूर्वक नमन करता हूं।

अंग्रेजों ने.. उनको भगत सिंह का भय कितना रहता था.. तय तो यह हुआ था कि 24 मार्च को भगत सिंह जी को फांसी दे दी जाएगी। लेकिन घबराई हुई अंग्रेजी सल्‍तनत ने सारे नियमों का उल्‍लंघन करते हुए, सारी परंपराओं को तोड़ते हुए, चोरी छिपे से सरदार भगत सिंह जी को फांसी दी। और इतना ही नहीं, वो शरीर उनके परिवारजनों को देने की बजाय लाहौर जेल से लाकर के यहां पर किसी भी सम्‍मान के बिना मिट्टी के तेल में और अगल-बगल से कूड़ा कचरा इकट्ठा करके उनके शरीर को जला देने का काम उस सल्‍तनत ने किया। यही धरती है, यहां पर उनका शरीर विलीन हो गया। मैं आज भगत सिंह, सुखदेव राजगुरू.. उन वीरों की उस महान परंपरा को प्रणाम करने आया हूं।

भाईयों-बहनों आज हिंदुस्‍तान में किसी एक नाम को सुनते ही हिंदुस्‍तान के हर कोने में जवान, वृद्ध सबको चेतना जग जाती है, प्रेरणा मिल जाती है, वो नाम है सरदार भगत सिंह। उस नाम में वो ताकत है, जो आज भी देश के नौजवानों को देश के लिए जीने-मरने की प्रेरणा देता है। ऐसे महापुरूषों ने बलिदान दिया, तब जाकर के देश आजाद हुआ। उनके सपनों को पूरा करना.. और उन सपनों को पूरा करने के लिए जैसा भारत उन्‍होंने चाहा था वैसा भारत बनाने के लिए हम जितना करे उतना कम है।

हमारा गांव आबाद हो, हमारा किसान खुशहाल हो, हमारे नौजवान को रोजगार हो, दलित, पीडि़त, शोषित, वंचित, गांव, गरीब, शहर के मजदूर, उनके जीवन में बदलाव आए। जब तक हम देश में यह बदलाव नहीं लाते हैं, तब तक देश के लिए बलिदान देने वाले महापुरूषों को सच्‍ची श्रद्धांजलि अधूरी रहेगी।

भाईयों-बहनों हमारा सपना भी है, हमारा कर्तव्‍य भी है कि हम इस भारत मां को सुजलाम, सुफलाम बनाए। यह भारत मां, यहां के नौजवान अपनी आशा-आकांक्षा के अनुरूप जीवन में नई ऊंचाईयों को पार कर सके, हरेक को अवसर मिले विकास का, ऐसे देश को नई ऊंचाईयों पर ले जाने का प्रयास, हम सबका दायित्‍व बनता है। तब जाकर के इन महापुरूषों को सच्‍ची श्रद्धांजलि होगी।

हमने सपना देखा है – 2022! जब भारत की आजादी के 75 साल पूरे होंगे। हमारे देश में 75 साल एक अमृत पर्व होता है। इस अमृत पर्व का विशेष महत्‍व होता है। क्‍या हम 2022 में जब अमृत पर्व मनाएं तब इस देश में कोई भी परिवार ऐसा न हो, जिसके पास रहने के लिए अपना घर न हो।

भाईयों-बहनों आज भगत सिंह जी की समाधि पर मैं आया हूं। उस महापुरूष के बलिदान को याद करता हूं और मन करता है जी-जान से जुट जाएं देश के गरीब से गरीब व्‍यक्ति को भी.. जब आजादी का अमृत पर्व मनाएं तब उसका अपना घर मिल जाए। 2019! महात्‍मा गांधी के 150 साल पूरे होंगे। महात्‍मा गांधी के 150 साल कैसे मनाएं? क्‍या हमारे देश के महापुरूषों को हम स्‍वच्‍छ भारत नजराने के रूप में नहीं दे सकते? क्‍या यह भारत के सवा सौ करोड़ नागरिकों की जिम्‍मेवारी नहीं है कि हमारी भारत माता जिसके लिए इतने लोगों ने बलिदान दिये उसे हम स्‍वच्‍छ तो रखे, साफ-सुथरी रखें इस दायित्‍व को हम निभाएं और स्‍वच्‍छ भारत का सपना महात्‍मा गांधी के 150 साल पूरा होने के अवसर पर हम पूरा करें। हर गांव, हर गली, हर गली, हर परिवार, हर कोई अपने दायित्‍व को निभाएं।

और आज 23 मार्च ! राम मनोहर लोहिया जी का भी जन्‍म जयंती का अवसर है। राम मनोहर लोहिया जी एक ऐसे राजपुरूष थे, जब वो राजनीतिक आंदोलन चलाते थे, तो अपनी विचारधारा के साथ-साथ एक बात का ख्‍याल रखते थे। वे स्‍वच्‍छता का आंदोलन अपनी जवानी में चलाए करते थे। राम मनोहर लोहिया स्‍वच्‍छता का आंदोलन लगातार चलाया करते थे। आज उनकी भी जयंती है, भगत सिंह की शहादत का पर्व है और भारत माता के लिए जीने वाले इन लोगों को जब याद करते हैं तब हमारी भारत माता स्‍वच्‍छ हो, विकास की नई ऊंचाईयों को पार करने वाला हर नागरिक को अवसर हो। इस दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

मेरे किसान भाईयों-बहनों पंजाब ने देश को भूख से बचाया है। देश को अन्‍न देने का पुण्‍य का काम पंजाब के किसान ने किया है लेकिन आज पंजाब में पानी जमीन में गहरा होता जा रहा है। Danger रेखा से भी नीचे चला गया है। पानी परमात्‍मा का दिया हुआ प्रसाद है। पानी को बचाए बिना, हम न खेती बचा सकते हैं, न जीवन बचा सकते हैं और इसलिए मैं पंजाब के किसान भाईयो-बहनों से आग्रह करूंगा कि हम फसल पैदा करे, आधुनिक विज्ञान का प्रयोग करें। Per drop more crop, micro irrigation, टपक सिंचाई हो, स्प्रिंक्‍लर हो। बहुत सारी चींजें आज विज्ञान ने स्‍वीकार की है। कभी-कभी जब तक हमारा किसान, खेत पानी से लबालब भरा न हो तब तक उसकी आंखों को चैन नहीं पड़ता। उसको लगता है कि पूरा खेत पानी से पूरी तरह भरा होगा, तभी फसल होगी।

मेरे किसान भाईयों-बहनों मैं भी गरीब परिवार का.. मैंने इन सारी चीजों को निकट से देखा है और इसलिए मैं आपको कहता हूं कि विज्ञान बदल चुका है और इसलिए मैं आपको एक छोटी सी बात बताऊं। अगर कोई बालक घर में बीमार रहता है, वजन नहीं बढ़ता है, चेहरे पर मुस्‍कान नजर नहीं आती है, दुबला-पतला रहता है और मां-बाप की इच्‍छा रहती है कि बेटा तंदरूस्‍त हो, वजन बढ़े, दौड़े-कूदे। मां-बाप ऐसे में बादाम, केसर, पिस्‍ता यह डालकर के बाल्‍टी भर दूध रोज, बाल्‍टी भर दूध से उस बच्‍चे को अगर नहला दें तो वजन बढ़ेगा क्‍या? चेहरे पर मुस्‍कान आएगी क्‍या? तबियत ठीक होगी क्‍या? आप भी जानते हैं नहीं होगी। केसर, पिस्‍ता, बादाम वाला दूध हो, बाल्‍टी भर दूध हो, रोज दूध से नहलाते हो, लेकिन उसके शरीर में कुछ नहीं होगा। लेकिन अगर समझदार मां-बाप चम्‍मच से, एक चम्‍मच दूध पिलाएंगे, रोज 10 चम्‍मच, 15 चम्‍मच, 20 चम्‍मच पिलाना शुरू कर देंगे, तो बच्‍चे का वजन बढ़ने लगेगा। शरीर तंदरूस्‍त होगा। जो स्‍वभाव बच्‍चे का होता है, वही स्‍वभाव फसल का होता है और इसलिए फसल को ढेर सारा पानी देने से फसल अच्‍छी होती है, ऐसे पुराने विचारों को छोड़ना पड़ेगा। बूंद-बूंद पानी पिलाना से फसल ज्‍यादा होगी, अच्‍छी होगी, कम जमीन में भी ज्‍यादा पैदावार होगी और तब जाकर के पंजाब में जो पानी नीचे चला जा रहा है, वो पानी ऊपर आएगा। मेरे भाईयों बहनों बरसात का पानी, बूंद-बूंद पानी बचाएंगे, जमीन में उसको वापस डालेंगे, तभी जाकर के पंजाब की पानी की समस्‍या का समाधान कर पाएंगे।

हमारे पास नहरों का इतना बड़ा नेटवर्क है, लेकिन जितनी मात्रा में पानी जाना चाहिए उतना जा नहीं रहा है। शुरू के इलाके में तो पानी पहुंचता है लेकिन नहर का जहां आखिरी इलाका है, वहां पानी नहीं पहुंचता। हमने एक योजना बनाई है-‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’। इस योजना के तहत हमारा सपना है कि हिंदुस्‍तान के हर किसान के खेत तक पानी पहुंचाया जाए, नदियों को जोड़ा जाए, नहरों को ठीक किया जाए, नई नहरों को बनाया जाए। अगर किसान को पानी पहुंच गया तो मैं विश्‍वास दिलाता हूं मिट्टी में से सोना पैदा करने की ताकत मेरे किसान भाईयों-बहनों में हैं और वो हिंदुस्‍तान के आर्थिक स्थिति को बदल सकते हैं। उस काम की और हमें जाना है।

मुझे आज मेरे किसान भाईयों-बहनों को मेरी एक चिंता भी मुझे बतानी है और वो चिंता.. मैं देख रहा हूं कि ज्‍यादा फसल के मोह में आज हम ऐसी-ऐसी गलतियां कर रहे हैं कि जिसके कारण हमारी जमीन बर्बाद हो गई है। जमीन अपनी ताकत खो रही है। अगर धरती माता अपनी ताकत खो देगी तो इस धरती पर पलने वाले बच्‍चों का पालन-पोषण कैसे होगा। हम जिस प्रकार से Chemical Fertilizer का उपयोग करते हैं.. पंजाब का क्‍या हाल करके रखा है किसान भाईयों-बहनों हमने! कितनी मात्रा में, कौन सा खाद डालना चाहिए.. हम कैसी बड़ी गलती कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है, विज्ञान में सिद्ध हुआ है कि जितना पोटाश का उपयोग करते हैं उससे चार गुना से ज्‍यादा नाइट्रोजन का उपयोग फसल भी बर्बाद करता है, जमीन भी बर्बाद करता है। चार गुना से कम नाइट्रोजन उपयोग करना चाहिए लेकिन हमारे पंजाब में कितना उपयोग होता है, आपको मालूम है? 57 गुना! आप कल्‍पना कर सकते हैं जैसे परिवार में दवाई देनी है, लेकिन ज्‍यादा dose दे दें तो मौत भी हो जाती है वैसे नाइट्रोजन इतना गुना डालने के कारण हमारी फसल और हमारी जमीन सबको हम बर्बाद कर देते हैं। मैं पंजाब के किसानों से आग्रह करता हूं कि आप देश को दिशा दीजिए, आप देश का नेतृत्‍व कीजिए और तय कीजिए कि जितने अनुपात में Fertilizer चाहिए उससे ज्‍यादा डालने का पाप हम नहीं करेंगे, हम ऐसी गलती नहीं करेंगे। इतना ही नहीं पोटाश से फास्‍फोरस डब्‍बल से ज्‍यादा उपयोग नहीं करना चाहिए, वरना खेती बर्बाद हो जाती है। लेकिन हम क्‍या करते हैं, पंजाब के अंदर पोटास से फास्‍फोरस का उपयोग 13 गुना करते हैं। जबकि दो गुना से ज्‍यादा नहीं करना चाहिए। मुझे बताइये मेरे किसान बहनों-भाईयों कि पंजाब, पंजाब का गांव, पंजाब का किसान, पंजाब की फसल जिस पर पूरा हिंदुस्‍तान जी रहा है अगर वही बर्बाद हो जाएगा तो पूरा देश भूख मर जाएगा और इसलिए मेरे किसान भाईयों-बहनों मैं आपसे आग्रह करने आया हूं कि आप विज्ञान, आधुनिक यंत्र.. और जिसमें सरकार पूरी मदद करती है.. आप इसका सही उपयोग करें। इसका दुरूपयोग तत्‍काल तो हमें अच्‍छा लगता है, लेकिन लम्‍बे समय के लिए हमारा बहुत नुकसान करता है और इसलिए मेरे किसान भाईयों-बहनों इससे बचकर रहना चाहिए यह मैं विशेष रूप से आग्रह करना चाहता हूं।

सरकार ने किसानों के लिए एक महत्‍वपूर्ण योजना बनाई है। इस योजना को हमने लागू किया है और आप तक हम पहुंचाना चाहते हैं और वो है – Soil Health Card. जैसे नागरिक का Health Card होता है, उसका शरीर कैसा, Blood कैसा, तबियत कैसी है, कमियां क्‍या है, वो सब Health Card से पता चलता है। वैसा ही जैसे इंसान के शरीर का स्‍वभाव है, वैसा ही जमीन का भी स्‍वभाव है। जमीन को भी बीमारियां होती है, जमीन में भी कमियां होती हैं लेकिन हमें पता नहीं होता और उसके कारण हम.. जमीन का किसके लिए उपयोग करना चाहिए, नहीं कर पाते। इस बात को समझाने के लिए गांव-गांव किसानों को Soil Health Card देने की सरकार ने योजना बनाई है। आपकी जमीन कैसी है, आपकी जमीन की तबियत कैसी है, आपकी जमीन में कौन सी कमियां है, आपकी जमीन में कौन सी फसल अच्‍छी हो सकती है, आपको अगर दवाई डालनी है तो कौन सी दवाई की जरूरत है, आपको अगर Fertilizer डालना है तो कौन सा Fertilizer डालना है, कितना डालना है यह सारी बातें Soil Health Card से पता चलती हैं और यदि किसान Soil Health Card से योजना करके चलता है तो मैं विश्‍वास दिलाता हूं मेरे किसान बहनों-भाईयों छोटे किसान को भी साल का 40-50 रुपया, जो ज्ञान के अभाव के रूप में फालतू में खर्चा होता है, वो बच जाएगा। मेरे किसान को बहुत बड़ा फायदा होगा। इसलिए यह बहुत बडा काम पूरे देश में हमने चलाया है Soil Health Card का। और मुझे विश्‍वास है कि हमारे पंजाब के किसान भी इस बात की चिंता करेंगे।

मेरे किसान भाईयों बहनों एक तो पिछले साल बारिश कम हुई। हिंदुस्‍तान के कई राज्‍यों में कम बारिश के कारण किसानों को नुकसान हुआ, कहीं पर सूखा पड़ा गया और ऊपर से अभी-अभी ओले गिरे। मैं जानता हूं कि किसानों पर कितनी बड़ी आपत्ति आई होगी। मैंने भारत सरकार के अधिकारियों को, मंत्रियों को आदेश दिए हैं, सर्वे का काम शुरू हुआ है, राज्य सरकार और भारत सरकार मिलकर के आपके इस संकट की घड़ी में आपके साथ हैं। आपको जो नुकसान हुआ है.. हमारा किसान टिक सके.. जितनी भी मदद सरकार कर सकती है उसमें सरकार किसी भी हालत में पीछे नहीं रहेगी। यह मैं आपको विश्‍वास दिलाना चाहता हूं।

मेरे भाईयों-बहनों आज जब मैं सरदार भगत सिंह जी की शाहदत के इस पावन पर्व पर, इस पवित्र धरती पर आया हूं, तब मैं.. सरकार ने बजट में घोषणा की है.. क्‍योंकि पंजाब और किसान का अटूट नाता है और इसलिए अमृतसर में किसानों के लिए उपयोगी हो ऐसी Institute for Horticulture Education इसका आरंभ किया जाएगा और आज मैं जब यहां आया हूं तब इस नये Institute को हम सरदार भगत सिंह Post Graduate Institute for Horticulture Research and Education इस रूप में निर्माण करेंगे ताकि पंजाब किसान की जो नई पीढ़ी है उसके कारण उसको लाभ मिलेगा।

भाईयों बहनों भारत सरकार की यह सोच है कि अगर देश को आगे बढ़ाना है तो राज्‍यों को आगे बढ़ाना पड़ेगा। अगर हमारे राज्‍य मजबूत नहीं होंगे तो देश मजबूत नहीं होगा। अगर राज्‍य आगे नहीं बढ़ेंगें तो देश आगे नहीं बढ़ेगा और इसलिए हमारी सरकार की हर योजना राज्‍यों को मजबूत बनाने के लिए है। अभी इस बार 14th Finance Commission की रिपोर्ट के आधार पर अकेले पंजाब को कितना बड़ा लाभ होने वाला है। पंजाब इन रुपयों का सही इस्‍तेमाल करके कितना आगे बढ़ सकता है इसका मैं भली-भांति अंदाज कर सकता हूं और मुझे विश्‍वास है कि बादल साहब के नेतृत्‍व में प्रगतिशील निर्णयों के द्वारा पंजाब के जीवन को बदलने में यह रकम बहुत काम आने वाली है। पहले पिछली पंचवर्षीय योजना में भारत सरकार की तरफ से पंचवर्षीय योजना के तहत पंजाब को 20 हजार करोड़ रुपये मिले थे। भाईयों-बहनों आने वाले पांच साल के लिए यह रकम बढा़कर के 54 हजार करोड़ रुपये कर दी जाएगी, डबल से भी ज्‍यादा। इतना ही नहीं पंचायत और नगरपालिकाओं के लिए भारत सरकार ने पहले चार हजार करोड़ रुपया दिया था, इस बार हमने वो रकम बढा़कर के छह हजार करोड़ रुपये कर दी। जिसके कारण गांव के व्‍यक्ति को भी इसका फायदा पहुंचाने में काम आ जाएगी। इस बार भी पहले की तुलना में करीब-करीब चार हजार करोड़ रुपया ज्‍यादा, अतिरिक्‍त चार हजार रुपया पंजाब के विकास के लिए भारत सरकार की तिजोरी से आने वाला है।

स्थिति ऐसी हो गई है.. एक जमाना था कि दिल्‍ली के खजाने में देश की सभी तिजौरियों का करीब 60-65 प्रतिशत पैसा रहता था। राज्‍यों के पास 35-40 प्रतिशत रहता था। हमारे आने के बाद चित्र हमने बदल दिया है। अब राज्‍यों के पास करीब-करीब 60-62 प्रतिशत राशि रहेगी और केंद्र के पास सिर्फ 38% राशि रहेगी और राज्‍य मजबूत होंगे। राज्‍य विकास की नई ऊंचाईयों को पार करेंगे। उस दिशा में हम काम कर रहे हैं।

यहां पर रास्‍ते बनाने के लिए भारत सरकार की जो योजनाएं हैं.. रेल को बढ़ाने के लिए.. आज मेरे लिए खुशी की बात है कि अमृतसर से आनंदपुर साहब रेलवे की योजना का साकार रूप हमारे सामने खड़ा हुआ है। यह गर्व की बात है। आनंदपुर साहब यात्रियों के लिए एक मुख्‍य धाम है और किसी को भी हिमाचल में भी किसी जगह जाना है तो आनंदपुर साहब से ही जाते हैं। चिंतपुरणी जाना है, ज्‍वालाजी जाना है तो यहीं से जाते हैं। इस पूरे इलाके को इसका लाभ मिलने वाला है। एक प्रकार से विकास की नई ऊंचाईयों को पार करने की दिशा में हम लगातार प्रयासरत है।

..और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं, मेरे पंजाब के किसान भाईयों-बहनों, आपने कभी सोचा था.. किसान 60 साल के बाद.. उसको कभी पेंशन मिल सकता है। सरकारी मुलाजिम को तो पेंशन मिल जाता है। किसान को पेंशन मिल सकता है क्‍या? 60 साल के बाद हर महीना उसको चैक मिल सकता है क्‍या? मेरे किसान भाईयों-बहनों इस बार भारत सरकार ने एक योजना बनाई है जिसमें Public Private Partnership के modal पर.. किसान को.. 60 साल के बाद अगर वो इस योजना से जुड़ जाता है, तो उसको हर महीना पांच हजार रुपया पेंशन की राशि मिल सकती है। हमारे देश के किसान का बुढ़ापा भी सुख, शांति और गौरव से बीते उस दिशा में काम करने का एक अहम कदम इस बार हमने बजट में उठाया है।

भाईयों-बहनों इन दिनों किसान को गुमराह करने के लिए भांति-भांति के प्रयास हुए हैं। कल मैंने रेडियो पर मेरी “मन की बात” में, किसानों ने जितने सवाल पूछे थे, सारे सवालों के मैंने जवाब दिये और मैं किसानों को विश्‍वास दिलाता हूं कि अगर इस देश को आगे बढ़ना है तो किसान की रक्षा करनी होगी, गांव का भला करना होगा, लेकिन साथ-साथ किसान के बेटों के लिए भी चिंता करनी होगी। किसान के बेटे को रोजगार चाहिए। आज सेना में जितने जवान हैं वो कौन है? 80% से ज्‍यादा जवान किसान मां-बाप के बेटे हैं। किसान अपने बेटे को सेना में भर्ती करता है, युद्ध के लिए भेजता है। उसे मालूम है कि अगर परिवार में तीन बच्‍चे हैं तो तीनों का जीवन आज खेती से गुजरता नहीं है। हर किसान को पूछो कि भई आपके तीन बेटे हैं क्‍या चाहते हो? हर किसान कहता है – एक बेटा तो खेती करेगा लेकिन दो को तो कहीं भेजना चाहता हूं, कहीं नौकरी कर ले, रोजी-रोटी कमा ले, पढ़-लिख करके अपना करोबार चला ले। हर किसान की यह चिंता है। अगर विकास नहीं होगा तो किसान के बच्‍चों का क्‍या होगा? क्‍या मेरे किसान के बच्‍चे दिल्‍ली और मुंबई की झुग्‍गी-झोपड़ी में जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर होने चाहिए?

किसान के बच्‍चों को भी रोजगार चाहिए, किसान के बेटों का भी भला होना चाहिए और इसलिए मेरे भाईयों-बहनों हमारी सरकार किसान का तो भला चाहती है, गांव का भी भला चाहती है, किसान के बच्‍चों का भी भला चाहती है। इस तरह एक लम्‍बी सोच के साथ, देश के विकास की ओर आगे बढ़ने की दिशा में हमने प्रयास किया है। आज वीर सरदार भगत सिंह जी के आशीर्वाद मिले, सुखदेव-राजगुरू के आशीर्वाद मिले, भगत‍ सिंह जी की माता जी के आशीर्वाद मिले, हमारा देश विकास की नई ऊंचाईयों को पार करे और नई ऊंचाईयों को पार करते-करते हम आगे बढ़े।

भाईयों बहनों हमारे देश को भ्रष्‍टाचार ने तबाह कर दिया, बर्बाद कर दिया। कैसा-कैसा भ्रष्‍टाचार हुआ है! मैं आपको बताना चाहता हूं.. कोयला.. जब मैं यहां चुनाव में आया था और कोयले की चोरी की बात कर रहा था तो हमारे पुराने लोग जो सरकार में बैठे थे, वे गुस्‍सा हो जाते थे। सीएजी ने कहा था एक लाख 76 हजार करोड़ रुपया, अकेले कोयले में घोटाला हुआ है। यह आंकड़ा इतना बड़ा था कि लोगों के गले नहीं उतरता था। लोगों को यह तो लगता था कि भ्रष्‍टाचार तो किया होगा इनकी आदत है, लेकिन इतना नहीं हो सकता। ऐसा लोग सोचते थे। कुछ लोग तो ऐसे थे जो कहते थे - जीरो थ्‍योरी, जीरो थ्‍योरी। एक नये पैसे का घोटाला नहीं हुआ यह कहते थे। भाईयों बहनों 204 कोयले की खदान भ्रष्‍टाचार के कारण गुस्‍से में आकर के सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी। अब हमारे आते ही यह हुआ।

पाप उन्‍होंने किया था.. बिजली कारखाने बंद हो जाने की नौबत आ गई। कारखानों में कोयला नहीं जाएगा तो कारखाने बंद हो जाएंगे ऐसी स्थिति पैदा हो गई। लेकिन हमने ईमानदारी की, पारदर्शिता की, नीतियों की योजना की और हमने तय किया कि हम सार्वजनिक रूप से Auction करेंगे, नीलामी करेंगे। और जो भी लेना चाहता है वो नीलामी में बोले पैसा, जो ज्‍यादा पैसा देगा, उसको मिलेगा। भाईयों बहनों क्‍या हुआ! 204 में से अब तक सिर्फ 20 खदानों की नीलामी हुई है, अभी तो 180 खदानों की नीलामी बाकी है। 204 खदानों में एक लाख 76 हजार करोड़ के घोटाले की बात थी। लेकिन यह घोटाला तो उससे भी बड़ा निकला। 204 में से सिर्फ 20 की नीलामी हुई है और आपको जानकर के आनंद होगा कि दिल्‍ली में आपने ईमानदार सरकार बिठाई है। उसका परिणाम यह हुआ है कि अब तक करीब-करीब दो लाख करोड़ रुपया सरकारी खजाने में आना तय हो चुका है। 180 खदान बाकी हैं। सब खदाने जाएंगी तो कितना बड़ा भंडार मिलेगा, यह रुपया किसके काम आएगा? गांव के काम आएगा, गरीब के काम आएगा, किसान के काम आएगा। देश विकास की नई ऊंचाईयों पर जाएगा।

कोयला छोडि़ए, इन्‍होंने कोई जगह पाप करने के लिए छोड़ी नहीं भाईयों। सरदार भगत‍ सिंह जी आत्‍मा दुखी होती होगी इन लोगों के कारण। LED Bulb! बिजली बचाने के लिए LED Bulb लगाने की बात है। आपको मालूम है 2014 में सरकार ने LED Bulb कितने रुपये में खरीदे। करीब-करीब 300 रुपयों में एक बल्‍ब खरीदा। हमने उसमें गहराई से काम किया, Department को लगाया, व्‍यापक रूप से काम किया। कंपनियों को भी दबाया। कोई रुपया-पैसा देने की बात बंद करो, गरीब का भला करो और आपको जानकर के खुशी होगी कि जो LED का Bulb एक साल पहले कुछ सरकारों ने 300 रुपये में खरीदा था आज उसकी कीमत 80 रुपये में हमने लाकर के रख दी। एक बल्‍ब पर दो सौ-सवा दौ सौ रुपये, चोरी होते थे। करोड़ा बल्‍ब जाएंगे तो कितने रुपये जाते होंगे। भाईयों बहनों आपने हमें ईमानदारी के लिए बिठाया है, ईमानदारी से काम करने के लिए बिठाया है और उसका परिणाम है कि आज 300 रुपये में बिकने वाला बल्‍ब.. जो भ्रष्‍टाचार के कारण रुपये खाए जाते थे, हमने उसकी कीमत 80-85 रुपया लाकर के रख दी है। सरकार 80-85 रुपये में खरीदेगी और LED का Bulb पहुंचेगा और उसके कारण गरीब से गरीब के घर में बिजली की बचत होगी। किसी का 200 रुपये बचेगा, किसी का 400 रुपये बचेगा। गरीब का हमें आशीर्वाद मिलेगा।

भाईयों बहनों ईमानदारी, देशभक्ति, अगर काम करने का जज्‍बा लेकर के.. सिर्फ देश के लिए जीना, सिर्फ देश के लिए मरना इस संकल्‍प को लेकर के चलते हैं तो कितने उत्‍तम परिणाम आते हैं यह आपके सामने मौजूद है। मैं फिर एक बार.. बादल साहब ने जितने विषय रखे हैं उन सभी बातों पर भारत सरकार गंभीरता से सोचेगी, उनके साथ भी मैं विस्‍तार से बातें करूंगा और भारत सरकार पंजाब के लिए जितना ज्‍यादा कर सकती है करने में कभी पीछे नहीं रहेगी।

मेरा तो पंजाब से अनेक रूप से नाता है। एक तो मैं यहां कई वर्षों तक रहा हूं। एक प्रकार से मेरी शिक्षा-दीक्षा, राजनीतिक शिक्षा-दीक्षा का अवसर मुझे बादल साहब की उंगली पकड़कर के सीखने का मुझे अवसर मिला है। यह मेरा सौभाग्‍य रहा है। दूसरी बात, मेरा जन्‍म गुजरात में हुआ है और जो पहले पंच प्‍यारे थे, उन पहले पंच प्‍यारों में एक गुजरात के द्वारका का था और इसलिए मेरा तो आपके साथ खून का नाता है। इसलिए पंजाब के लिए मैं जो कुछ भी कर सकता हूं, मुझे करने में खुशी होगी। यह कर्ज चुकाने का अवसर मुझे मिला है। मैं उसे चुकाकर रहूंगा।

इसी एक बात के साथ फिर एक बार मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिये – शहीदो..अमर रहो! शहीदों..अमर रहो! शहीदो..अमर रहो! धन्यवाद।

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जब पारंपरिक ज्ञान का इस्तेमाल आधुनिक सोच के साथ किया जाता है, तो यह आर्थिक प्रगति का एक बड़ा माध्यम बन सकता है: पीएम मोदी

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | ‘मन की बात’ में आपका फिर से स्वागत है, अभिनंदन है | कुछ ही दिनों में साल 2026 दस्तक देने वाला है, और आज, जब मैं आपसे बात कर रहा हूँ, तो मन में पूरे एक साल की यादें घूम रही हैं - कई तस्वीरें, कई चर्चाएं, कई उपलब्धियां, जिन्होंने देश को एक साथ जोड़ दिया | 2025 ने हमें ऐसे कई पल दिए जिन पर हर भारतीय को गर्व हुआ | देश की सुरक्षा से लेकर खेल के मैदान तक, विज्ञान की प्रयोगशालाओं से लेकर दुनिया के बड़े मंचों तक | भारत ने हर जगह अपनी मजबूत छाप छोड़ी | इस साल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ हर भारतीय के लिए गर्व का प्रतीक बन गया | दुनिया ने साफ देखा आज का भारत अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करता | ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान देश के कोने-कोने से माँ भारती के प्रति प्रेम और समर्पण की तस्वीरें सामने आई | लोगों ने अपने-अपने तरीके से अपने भाव व्यक्त किये |

साथियो, यही जज्बा तब भी देखने को मिला, जब ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे हुए | मैंने आपसे आग्रह किया था कि ‘#VandeMataram150’ के साथ अपने संदेश और सुझाव भेजें | देशवासियों ने इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया |

साथियो, 2025 खेल के लिहाज़ से भी एक यादगार साल रहा | हमारी पुरुष Cricket team ने ICC Champions Trophy जीती | महिला Cricket team ने पहली बार विश्व कप अपने नाम किया | भारत की बेटियों ने Women's Blind T20 World Cup जीतकर इतिहास रच दिया | एशिया कप T20 में भी तिरंगा शान से लहराया | पैरा एथलीटों ने विश्व Championship में कई पदक जीतकर ये साबित किया कि कोई बाधा हौंसलों को नहीं रोक सकती | विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी भारत ने बड़ी छलांग लगाई | शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय बने, जो International Space Station तक पहुंचे | पर्यावरण संरक्षण और वन्य-जीवों की सुरक्षा से जुड़े कई प्रयास भी 2025 की पहचान बने | भारत में चीतों की संख्या भी अब 30 से ज्यादा हो गई है | 2025 में आस्था, संस्कृति और भारत की अद्वितीय विरासत सब एक साथ दिखाई दी | साल के शुरुआत में प्रयागराज महाकुंभ के आयोजन ने पूरी दुनिया को चकित किया | साल के अंत में अयोध्या में राम मंदिर पर ध्वजारोहण के कार्यक्रम ने हर भारतीय को गर्व से भर दिया | स्वदेशी को लेकर भी लोगों का उत्साह खूब दिखाई दिया | लोग वही सामान खरीद रहे हैं, जिसमें किसी भारतीय का पसीना लगा हो और जिसमें भारत की मिट्टी की सुगंध हो | आज हम गर्व से कह सकते हैं 2025 ने भारत को और अधिक आत्मविश्वास दिया है | ये बात भी सही है इस वर्ष प्राकृतिक आपदाएं हमें झेलनी पड़ी, अनेक क्षेत्रों में झेलनी पड़ी | अब देश 2026 में नई उम्मीदों, नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ने को तैयार है |

मेरे प्यारे देशवासियो, आज दुनिया भारत को बहुत आशा के साथ देख रही है | भारत से उम्मीद की सबसे बड़ी वजह है, हमारी युवा शक्ति | विज्ञान के क्षेत्र में हमारी उपलब्धियां, नए-नए innovation, technology का विस्तार इनसे दुनियाभर के देश बहुत प्रभावित हैं |

साथियो, भारत के युवाओं में हमेशा कुछ नया करने का जुनून है और वो उतने ही जागरूक भी हैं | मेरे युवा साथी कई बार मुझसे यह पूछते हैं कि nation building में वो अपना योगदान और कैसे बढ़ाएं ? वो कैसे अपने ideas share कर सकते हैं | कई साथी पूछते हैं कि मेरे सामने वो अपने ideas का presentation कैसे दे सकते हैं ? हमारे युवा साथियों की इस जिज्ञासा का समाधान है ‘Viksit Bharat Young Leaders Dialogue’ | पिछले साल इसका पहला edition हुआ था, अब कुछ दिन बाद उसका दूसरा edition होने वाला है । अगले महीने की 12 तारीख को स्वामी विवेकानंद जी की जयंती के अवसर पर ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ मनाया जाएगा | इसी दिन ‘Young Leaders Dialogue’ का भी आयोजन होगा और मैं भी इसमें जरूर शामिल होऊंगा | इसमें हमारे युवा Innovation, Fitness, Startup और Agriculture जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपने ideas share करेंगे । मैं इस कार्यक्रम को लेकर बहुत ही उत्सुक हूँ |

साथियो, मुझे ये देखकर अच्छा लगा कि इस कार्यक्रम में हमारे युवाओं की भागीदारी बढ़ रही है | कुछ दिनों पहले ही इससे जुड़ा एक quiz competition हुआ | इसमें 50 लाख से अधिक युवा शामिल हुए। एक निबंध प्रतियोगिता भी हुई, जिसमें students ने विभिन्न विषयों पर अपनी बातें रखीं | इस प्रतियोगिता में तमिलनाडु पहले और उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर रहा |

साथियो, आज देश के भीतर युवाओं को प्रतिभा दिखाने के नए- नए अवसर मिल रहे हैं | ऐसे बहुत से platforms विकसित हो रहे हैं, जहां युवा अपनी योग्यता और रुचि के अनुसार talent दिखा सकते हैं | ऐसा ही एक platform है- ‘Smart India Hackathon’ एक और ऐसा माध्यम जहां ideas, action में बदलते हैं |

साथियो, ‘Smart India Hackathon 2025’ का समापन इसी महीने हुआ है | इस Hackathon के दौरान 80 से अधिक सरकारी विभागों की 270 से ज्यादा समस्याओं पर students ने काम किया | Students ने ऐसे solution दिए, जो real life challenges से जुड़े थे | जैसे traffic की समस्या है | इसे लेकर युवाओं ने ‘Smart Traffic Management’ से जुड़े बहुत ही interesting perspective share किए | Financial Frauds और Digital Arrests जैसी चुनौतियों के समाधान पर भी युवाओं ने अपने ideas सामने रखे | गाँवों में digital banking के लिए Cyber Security Framework पर सुझाव दिया | कई युवा agriculture sector की चुनौतियों के समाधान में जुटे रहे | साथियो, पिछले 7-8 साल में ‘Smart India Hackathon’ में, 13 लाख से ज्यादा students और 6 हजार से ज्यादा Institutes हिस्सा ले चुके हैं | युवाओं ने सैंकड़ों problems के सटीक solutions भी दिए हैं | इस तरह के Hackathons का आयोजन समय-समय पर होता रहता है | मेरा अपने युवा साथियों से आग्रह है कि वे इन Hackathons का हिस्सा जरूर बनें |

साथियो, आज का जीवन Tech-Driven होता जा रहा है और जो परिवर्तन सदियों में आते थे वो बदलाव हम कुछ बरसों में होते देख रहे हैं | कई बार तो कुछ लोग चिंता जताते हैं कि Robots कहीं मनुष्यों को ही न Replace कर दें | ऐसे बदलते समय में Human Development के लिए अपनी जड़ों से जुड़े रहना बहुत जरूरी है | मुझे ये देखकर बहुत खुशी होती है कि हमारी अगली पीढ़ी अपनी संस्कृति की जड़ों को अच्छी तरह थाम रही है - नई सोच के साथ नए तरीकों के साथ |

साथियो, आपने Indian Institute of Science उसका नाम तो जरूर सुना होगा | Research और Innovation इस संस्थान की पहचान है | कुछ साल पहले वहाँ के कुछ छात्रों ने महसूस किया कि पढ़ाई और Research के बीच संगीत के लिए भी जगह होनी चाहिए | बस यहीं से एक छोटी-सी Music Class शुरू हुई | ना बड़ा मंच, ना कोई बड़ा बजट | धीरे-धीरे ये पहल बढ़ती गई और आज इसे हम ‘Geetanjali IISc’ के नाम से जानते हैं | यह अब सिर्फ एक Class नहीं, Campus का सांस्कृतिक केंद्र है | यहाँ हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत है, लोक परंपराएँ हैं, शास्त्रीय विधाएं हैं, छात्र यहाँ साथ बैठकर रियाज़ करते हैं | Professor साथ बैठते हैं, उनके परिवार भी जुड़ते हैं | आज दो-सौ से ज्यादा लोग इससे जुड़े हैं | और खास बात ये कि जो विदेश चले गए, वो भी Online जुड़कर इस Group की डोर थामे हुए हैं |

साथियो, अपनी जड़ों से जुड़े रहने के ये प्रयास सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है | दुनिया के अलग-अलग कोनों और वहाँ बसे भारतीय भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं | एक और उदाहरण जो हमें देश से बाहर ले जाता है - ये जगह है ‘दुबई’ | वहाँ रहने वाले कन्नड़ा परिवारों ने खुद से एक जरूरी सवाल पूछा – हमारे बच्चे Tech-World में आगे तो बढ़ रहें हैं, लेकिन कहीं वो अपनी भाषा से दूर तो नहीं हो रहे हैं? यहीं से जन्म हुआ ‘कन्नड़ा पाठशाले’ का | एक ऐसा प्रयास, जहां बच्चों को ‘कन्नड़ा’ पढ़ाना, सीखना, लिखना और बोलना सिखाया जाता है | आज इससे एक हजार से ज्यादा बच्चे जुड़े हैं | वाकई, कन्नड़ा नाडु, नुडी नम्मा हेम्मे | कन्नड़ा की भूमि और भाषा, हमारा गर्व है |

साथियो, एक पुरानी कहावत है ‘जहां चाह, वहाँ राह’ | इस कहावत को फिर से सच कर दिखाया है मणिपुर के एक युवा मोइरांगथेम सेठ जी ने | उनकी उम्र 40 साल से भी कम है | श्रीमान् मोइरांगथेम जी मणिपुर के जिस दूर-सुदूर क्षेत्र में रहते थे वहाँ बिजली की बड़ी समस्या थी | इस चुनौती से निपटने के लिए उन्होंने Local Solution पर जोर दिया और उन्हें ये Solution मिला Solar Power में | हमारे मणिपुर में वैसे भी Solar Energy पैदा करना आसान है | तो मोइरांगथेम जी ने Solar Panel लगाने का अभियान चलाया और इस अभियान की वजह से आज उनके क्षेत्र के सैकड़ों घरों में Solar Power पहुंच गई है | खास बात ये है कि उन्होंने Solar Power का उपयोग Health-Care और आजीविका को बेहतर बनाने के लिए किया है | आज उनके प्रयासों से मणिपुर में कई Health Centers को भी Solar Power मिल रही है | उनके इस काम से मणिपुर की नारी-शक्ति को भी बहुत लाभ मिला है | स्थानीय मछुआरों और कलाकारों को भी इससे मदद मिली है |

साथियो, आज सरकार ‘PM सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना’ के तहत हर लाभार्थी परिवार को Solar Panel लगाने के लिए करीब-करीब 75 से 80 हजार रुपए दे रही है | मोइरांगथेम जी के ये प्रयास यूं तो व्यक्तिगत प्रयास हैं, लेकिन Solar Power से जुड़े हर अभियान को नई गति दे रहे हैं | मैं ‘मन की बात’ के माध्यम से उन्हें अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ |

मेरे प्यारे देशवासियो, आइए अब जरा हम जम्मू-कश्मीर की तरफ चलते हैं | जम्मू-कश्मीर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत, उसकी एक ऐसी गाथा साझा करना चाहता हूँ, जो आपको गर्व से भर देगी | जम्मू-कश्मीर के बारामूला में, जेहनपोरा नाम की एक जगह है | वहां लोग बरसों से कुछ ऊंचे-ऊंचे टीले देखते आ रहे थे | साधारण से टीले किसी को नहीं पता था कि ये क्या है? फिर एक दिन Archaeologist की नज़र इन पर पड़ी | जब उन्होंने इस इलाके को ध्यान से देखना शुरू किया, तो ये टीले कुछ अलग लगे | इसके बाद इन टीलों का वैज्ञानिक अध्ययन शुरू किया गया | ड्रोन के ज़रिए ऊपर से तस्वीरें ली गईं, ज़मीन की Mapping की गई | और फिर कुछ हैरान करने वाली बातें सामने आने लगी | पता चला ये टीले प्राकृतिक नहीं हैं | ये इंसान द्वारा बनाई गई किसी बड़ी इमारत के अवशेष हैं | इसी दौरान एक और दिलचस्प कड़ी जुड़ी | कश्मीर से हजारों किलोमीटर दूर, फ़्रांस के एक Museum के Archives में एक पुराना, धुंधला सा चित्र मिला | बारामूला के उस चित्र में तीन बौद्ध स्तूप नजर आ रहे थे | यहीं से समय ने करवट ली और कश्मीर का एक गौरवशाली अतीत हमारे सामने आया | ये करीब दो हजार साल पुराना इतिहास है | कश्मीर के जेहनपोरा का ये बौद्ध परिसर हमें याद दिलाता है, कश्मीर का अतीत क्या था, उसकी पहचान कितनी समृद्ध थी |

मेरे प्यारे देशवासियो, अब मैं आपसे भारत से हजारों किलोमीटर दूर, एक ऐसे प्रयास की बात करना चाहता हूँ, जो दिल को छू लेने वाला है | Fiji में भारतीय भाषा और संस्कृति के प्रसार के लिए एक सराहनीय पहल हो रही है | वहाँ की नई पीढ़ी को तमिल भाषा से जोड़ने के लिए कई स्तरों पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं | पिछले महीने Fiji के राकी-राकी इलाके में वहाँ के एक स्कूल में पहली बार तमिल दिवस मनाया गया | उस दिन बच्चों को एक ऐसा मंच मिला, जहां उन्होंने अपनी भाषा पर खुले दिल से गौरव व्यक्त किया | बच्चों ने तमिल में कविताएँ सुनाई, भाषण दिए और अपनी संस्कृति को पूरे आत्मविश्वास के साथ मंच पर उतारा | साथियो, देश के भीतर भी तमिल भाषा के प्रचार के लिए लगातार काम हो रहा है | कुछ दिन पहले ही मेरे संसदीय क्षेत्र काशी में चौथा ‘काशी तमिल संगमम’ हुआ | अब मैं आपको एक audio clip सुनाने जा रहा हूँ | आप सुनिए और अंदाज़ा लगाइए तमिल बोलने की कोशिश कर रहे ये बच्चे कहां के हैं?

साथियो, अगले महीने हम देश का 77वाँ गणतंत्र दिवस मनाएंगे | जब भी ऐसे अवसर आते हैं, तो हमारा मन स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान निर्माताओं के प्रति कृतज्ञता के भाव से भर जाता है | हमारे देश ने आजादी पाने के लिए लंबा संघर्ष किया है | आजादी के आंदोलन में देश के हर हिस्से के लोगों ने अपना योगदान दिया है | लेकिन, दुर्भाग्य से आजादी के अनेकों नायक-नायिकाओं को वो सम्मान नहीं मिला, जो उन्हें मिलना चाहिए था | ऐसी ही एक स्वतंत्रता सेनानी हैं - ओडिशा की पार्वती गिरि जी | जनवरी 2026 में उनकी जन्म-शताब्दी मनाई जाएगी | उन्होंने 16 वर्ष की आयु में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में हिस्सा लिया था | साथियो, आजादी के आंदोलन के बाद पार्वती गिरि जी ने अपना जीवन समाज सेवा और जनजातीय कल्याण को समर्पित कर दिया था | उन्होंने कई अनाथालयों की स्थापना की | उनका प्रेरक जीवन हर पीढ़ी का मार्गदर्शन करता रहेगा |

“मूँ पार्वती गिरि जिंकु श्रद्धांजलि अर्पण करुछी |”
(मैं पार्वती गिरी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ)

साथियो, ये हमारा दायित्व है कि हम अपनी विरासत को ना भूलें| हम आजादी दिलाने वाले नायक-नायिकाओं की महान गाथा को अगली पीढ़ी तक पहुंचाएं | आपको याद होगा जब हमारी आजादी के 75 वर्ष हुए थे, तब सरकार ने एक विशेष website तैयार की थी | इसमें एक विभाग ‘Unsung Heroes’ को समर्पित किया गया था | आज भी आप इस website पर visit करके उन महान विभूतियों के बारे में जान सकते हैं जिनकी देश को आजादी दिलाने में बहुत बड़ी भूमिका रही है |

मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ के जरिए हमें समाज की भलाई से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करने का एक बहुत अच्छा अवसर मिलता है | आज मैं एक ऐसे मुद्दे पर बात करना चाहता हूँ, जो हम सभी के लिए चिंता का विषय बन गया है | ICMR यानि Indian Council of Medical Research ने हाल ही में एक report जारी की है | इसमें बताया गया है कि निमोनिया और UTI जैसी कई बीमारियों के खिलाफ antibiotic दवाएं कमजोर साबित हो रही हैं | हम सभी के लिए यह बहुत ही चिंताजनक है | report के मुताबिक इसका एक बड़ा कारण लोगों द्वारा बिना सोचे-समझे antibiotic दवाओं का सेवन है | antibiotic ऐसी दवाएं नहीं हैं, जिन्हें यूं ही ले लिया जाए | इनका इस्तेमाल Doctor की सलाह से ही करना चाहिए | आजकल लोग ये मानने लगे हैं कि बस एक गोली ले लो, हर तकलीफ दूर हो जाएगी | यही वजह है कि बीमारियाँ और संक्रमण इन antibiotic दवाओं पर भारी पड़ रहे हैं | मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि कृपया अपनी मनमर्जी से दवाओं का इस्तेमाल करने से बचें | Antibiotic दवाओं के मामले में तो इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है | मैं तो यही कहूँगा - Medicines के लिए Guidance और Antibiotics के लिए Doctors की जरूरत है | यह आदत आपकी सेहत को बेहतर बनाने में बहुत मददगार साबित होने वाली है |

मेरे प्यारे देशवासियो, हमारी पारंपरिक कलाएं समाज को सशक्त करने के साथ ही लोगों की आर्थिक प्रगति का भी बड़ा माध्यम बन रही हैं | आंध्र प्रदेश के नारसापुरम जिले की Lace Craft (लेस क्राफ्ट) की चर्चा अब पूरे देश में बढ़ रही है | ये Lace Craft (लेस क्राफ्ट) कई पीढ़ियों से महिलाओं के हाथों में रही है | बहुत धैर्य और बारीकी के साथ देश की नारी-शक्ति ने इसका संरक्षण किया है | आज इस परंपरा को एक नए रंग रूप के साथ आगे ले जाया जा रहा है | आंध्र प्रदेश सरकार और NABARD मिलकर कारीगरों को नए design सिखा रहे हैं, बेहतर skill training दे रहे हैं और नए बाजार से जोड़ रहे हैं | नारसापुरम Lace को GI Tag भी मिला है | आज इससे 500 से ज्यादा products बन रहे हैं और ढ़ाई-सौ से ज्यादा गांवों में करीब-करीब 1 लाख महिलाओं को इससे काम मिल रहा है |

साथियो ‘मन की बात’ ऐसे लोगों को सामने लाने का भी मंच है जो अपने परिश्रम से ना सिर्फ पारंपरिक कलाओं को आगे बढ़ा रहे हैं बल्कि इससे स्थानीय लोगों को सशक्त भी कर रहे हैं | मणिपुर के चुराचांदपुर में Margaret Ramtharsiem जी उनके प्रयास ऐसे ही हैं | उन्होंने मणिपुर के पारंपरिक उत्पादों को, वहाँ के handicraft को, बांस और लकड़ी से बनी चीजों को, एक बड़े vision के साथ देखा और इसी vision के कारण, वो एक handicraft artist से लोगों के जीवन को बदलने का माध्यम बन गईं | आज Margaret जी की unit उसमें 50 से ज्यादा artist काम कर रहे हैं और उन्होंने अपनी मेहनत से दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में, अपने products का एक market भी develop किया है |

साथियो, मणिपुर से ही एक और उदाहरण सेनापति जिले की रहने वाली चोखोने क्रिचेना जी का है | उनका पूरा परिवार परंपरागत खेती से जुड़ा रहा है | क्रिचेना ने इस पारंपरिक अनुभव को एक और विस्तार दिया | उन्होंने फूलों की खेती को अपना passion बनाया | आज वो इस काम से अलग-अलग markets को जोड़ रहीं हैं और अपने इलाके की local communities को भी Empower कर रही हैं | साथियो, ये उदाहरण इस बात का पर्याय है कि अगर पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक vision के साथ आगे बढ़ाएं तो ये आर्थिक प्रगति का बड़ा माध्यम बन जाता है | आपके आसपास भी ऐसी success stories हों, तो मुझे जरूर share करिए |

साथियो, हमारे देश की सबसे खूबसूरत बात ये है कि सालभर हर समय देश के किसी-ना-किसी हिस्से में उत्सव का माहौल रहता है | अलग-अलग पर्व-त्योहार तो हैं ही, साथ ही विभिन्न राज्यों के स्थानीय उत्सव भी आयोजित होते रहते हैं | यानि, अगर आप घूमने का मन बनाएं, तो हर समय, देश का कोई-ना-कोई कोना अपने unique उत्सव के साथ तैयार मिलेगा | ऐसा ही एक उत्सव इन दिनों कच्छ के रण में चल रहा है | इस साल कच्छ रणोत्सव का ये आयोजन 23 नवंबर से शुरू हुआ है, जो 20 फरवरी तक चलेगा | यहाँ कच्छ की लोक संस्कृति, लोक संगीत, नृत्य और हस्तशिल्प की विविधता दिखाई देती है | कच्छ के सफेद रण की भव्यता देखना अपने आप में एक सुखद अनुभव है | रात के समय जब सफेद रण के ऊपर चाँदनी फैलती है, वहाँ का दृश्य अपने आप में मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है | रण उत्सव का Tent City बहुत लोकप्रिय है | मुझे जानकारी मिली है कि पिछले एक महीने में अब तक 2 लाख से ज्यादा लोग रणोत्सव का हिस्सा बन चुके हैं और देश के कोने-कोने से आए हैं, विदेश से भी लोग आए हैं | आपको जब भी अवसर मिले, तो ऐसे उत्सवों में जरूर शामिल हों और भारत की विविधता का आनद उठाएं |

साथियो, 2025 में ‘मन की बात’ का ये आखिरी episode है, अब हम साल 2026 में ऐसे ही उमंग और उत्साह के साथ, अपनेपन के साथ अपने ‘मन की बातों’ को करने के लिए ‘मन की बात’ के कार्यक्रम में जरूर जुड़ेंगे | नई ऊर्जा, नए विषय और प्रेरणा से भर देने वाली देशवासियों की अनगिनित गाथाओं ‘मन की बात’ में हम सबको जोड़ती है | हर महीने मुझे ऐसे अनेक संदेश मिलते हैं, जिसमें ‘विकसित भारत’ को लेकर लोग अपना vision साझा करते हैं | लोगों से मिलने वाले सुझाव और इस दिशा में उनके प्रयासों को देखकर ये विश्वास और मजबूत होता है और जब ये सब बातें मेरे तक पहुँचती हैं, तो ‘विकसित भारत’ का संकल्प जरूर सिद्ध होगा | ये विश्वास दिनों दिन मजबूत होता जाता है | साल 2026 इस संकल्प सिद्धि की यात्रा में एक अहम पड़ाव साबित हो, आपका और आपके परिवार का जीवन खुशहाल हो, इसी कामना के साथ इस episode में विदाई लेने से पहले मैं जरूर कहूँगा, ‘Fit India Movement’ आप को भी fit रहना है | ठंडी का ये मौसम व्यायाम के लिए बहुत उपयुक्त होता है, व्यायाम जरूर करें | आप सभी को 2026 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं | धन्यवाद | वंदे मातरम् |