Quoteसरकार एक स्वस्थ भारत की दिशा में चार मोर्चों पर एक साथ काम कर रही है : प्रधानमंत्री
Quoteआज पूरे विश्व में भारत के हेल्थ सेक्टर की प्रतिष्ठा और भारत के हेल्थ सेक्टर पर भरोसा, नए स्तर पर है: प्रधानमंत्री
Quoteभारत को दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन के लिए कच्चे माल के आयात को कम करने की दिशा में काम करना चाहिए : प्रधानमंत्री

नमस्कार।

ये जो कार्यक्रम थोड़ा आपको विशेष लगता होगा, इस बार बजट के बाद हमने तय किया कि बजट में जो चीजें तय की गई हैं उन्हीं चीजों को ले करके अलग-अलग सेक्‍टर जिनका इस बजट के प्रावधानों से सीधा संबंध है, उनसे विस्‍तार से बात करें और एक अप्रैल से जब नया बजट लागू हो तो उसी दिन से सारी योजनाएं भी लागू हों, सारी योजनाएं आगे बढ़ें और फरवरी और मार्च, इसका भरपूर उपयोग इस तैयारी के लिए किया जाए।

बजट जब हमने पहले की तुलना में करीब एक महीना prepone किया हुआ है तो हमारे पास दो महीने का समय है। उसका maximum लाभ हम कैसे लें और इसलिए लगातार अलग-अलग क्षेत्र के लोगों से बात हो रही है। कभी infrastructure के संबंधित सबसे बात हुई, कभी defence sector से सं‍बंधित सबसे बात हुई। आज मुझे हेल्‍थ सेक्‍टर के लोगों से बात करने का मौका मिला है।

इस वर्ष के बजट में हेल्थ सेक्टर को जितना बजट आवंटित किया गया है, वो अभूतपूर्व है। ये हर देशवासी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। बीता वर्ष एक तरह से देश के लिए, दुनिया के लिए, पूरी मानवजाति के लिए और खास करके हेल्थ सेक्टर के लिए एक प्रकार से अग्निपरीक्षा की तरह था।

मुझे खुशी है कि आप सभी, देश का हेल्थ सेक्टर, इस अग्निपरीक्षा में हम सफल हुए हैं। अनेकों की जिंदगी बचाने में हम कामयाब रहे हैं। कुछ महीनों के भीतर ही जिस तरह देश ने करीब ढाई हज़ार लैब्स का नेटवर्क खड़ा किया, कुछ दर्जन टेस्ट से हम आज करीब 21 करोड़ टेस्ट के पड़ाव तक पहुंच पाए, ये सब सरकार और प्राइवेट सेक्टर के साथ मिलकर काम करने से ही संभव हुआ है।

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साथियों,

कोरोना ने हमें ये सबक दिया है कि हमें सिर्फ आज ही महामारी से नहीं लड़ना है बल्कि भविष्य में आने वाली ऐसी किसी भी स्थिति के लिए भी देश को तैयार करना है। इसलिए हेल्थकेयर से जुड़े हर क्षेत्र को मजबूत करना भी उतना ही आवश्यक है। Medical equipment से लेकर medicines तक, Ventilators से लेकर vaccines तक, Scientific research से लेकर surveillance infrastructure तक, Doctors से लेकर एपीडेमयोलोजिस्ट तक, हमें सभी पर ध्यान देना है ताकि देश में भविष्य में किसी भी स्वास्थ्य आपदा के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहे।

पीएम- आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के पीछे मूलत: यही प्रेरणा है। इस योजना के तहत रिसर्च से लेकर Testing और Treatment तक देश में ही एक आधुनिक इकोसिस्टम विकसित करना तय किया गया है। PM आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना, हर spectrum में हमारी क्षमताओं में वृद्धि करेगी। 15वें वित्त आयोग, इसकी सिफारिशे स्वीकार करने के बाद हमारी जो लोकल बॉडीज हैं उनको स्वास्थ्य सेवाओं की व्‍यवस्‍थाओं के लिए 70 हजार करोड़ रुपए से अधिक अतिरिक्त मिलने वाला है। यानि सरकार का जोर सिर्फ हेल्थ केयर में निवेश पर ही नहीं है बल्कि देश के दूर-दराज वाले इलाकों तक हेल्थ केयर को पहुंचाने का भी है। हमें ये भी ध्यान रखना है कि हेल्थ सेक्टर में किया गया निवेश, स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ाता है।

साथियों,

कोरोना के दौरान भारत के हेल्थ सेक्टर ने जो मजबूती दिखाई है, अपने जिस अनुभव औऱ अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है, उसे दुनिया ने बहुत बारीकी से नोट किया है। आज पूरे विश्व में भारत के हेल्थ सेक्टर की प्रतिष्ठा और भारत के हेल्थ सेक्टर पर भरोसा, एक नए स्तर पर पहुंचा है। हमें इस भरोसे को ध्यान में रखते हुए भी अपनी तैयारियां करनी हैं। आने वाले समय में भारतीय डॉक्टरों की डिमांड विश्व में और ज्यादा बढ़ने वाली है और कारण है ये भरोसा। आने वाले समय में भारतीय नर्सेस, भारतीय पैरा मेडिकल स्टाफ की डिमांड पूरी दुनिया में बढ़ेगी, आप लिख करके रखिए। इस दौरान भारतीय दवाइयों और भारतीय वैक्सीनों ने एक नया भरोसा हासिल किया है। इनकी बढ़ती डिमांड के लिए भी हमें अपनी तैयारी करनी होगी। हमारे मेडिकल एजुकेशन सिस्टम पर भी स्‍वाभाविक रूप से लोगों का ध्‍यान जाएगा, उस पर भरोसा बढ़ेगा। आने वाले दिनों में दुनिया के और देशों से भी मेडिकल एजुकेशन के लिए, भारत में पढ़ाई करने के लिए विद्यार्थियों के आने की संभावना भी बढ़ने वाली है। और हमें इसे प्रोत्‍साहित भी करना चाहिए।

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कोरोना के दौरान हमने वेंटिलेटर और अन्य सामान बनाने में भी महारत हासिल कर ली है। इसकी वैश्विक डिमांड पूरी करने के लिए भी भारत को तेजी से काम करना होगा। क्‍या भारत ये सपना देख सकता है कि दुनिया को जिस-जिस आधुनिक medical equipment की आवश्‍यकता है वो cost effective कैसे बने? भारत ग्‍लोबल सप्‍लायर कैसे बने? और affordable व्‍यवस्‍था होगी, sustainable व्‍यवस्‍था होगी, user friendly technology होगी; मैं पक्‍का मानता हूं दुनिया की नजर भारत की तरफ जाएगी और health sector में जरूर जाएगी।

साथियों,

सरकार का बजट निश्चित तौर पर एक कैटेलेटिक एजेंट होता है। लेकिन बात तभी बनेगी, जब हम सब मिल करके काम करेंगे।

साथियों,

स्वास्थ्य को लेकर हमारी सरकार की अप्रोच, पहले की सरकारों की सोच से जरा अलग है। इस बजट के बाद आप भी ये सवाल देख रहे होंगे जिसमें स्‍वच्‍छता की बात होगी, पोषण की बात होगी, वेलनेस की बात होगी, आयुष का हेल्थ प्लानिंग होगा। ये सारी चीजें एक holistic approach के साथ हम आगे बढ़ा रहे हैं। यही वो सोच है जिसकी वजह से पहले हेल्थ सेक्टर को आमतौर पर टुकड़ों में देखा जाता था और टुकड़ों में ही उसको हैंडल किया जाता था।

हमारी सरकार Health Issues को टुकड़ों के बजाय Holistic तरीके से, एक integrated approach की तरह से और एक focus तरीके से देखने का प्रयास कर रही है। इसलिए हमने देश में सिर्फ Treatment ही नहीं Wellness पर फोकस करना शुरु किया है। हमने Prevention से लेकर Cure तक एक Integrated अप्रोच अपनाई है। भारत को स्वस्थ रखने के लिए हम 4 मोर्चों पर एक साथ काम कर रहे हैं।

पहला मोर्चा है, बीमारियों को रोकने का, मतलब कि Prevention of illness और Promotion of Wellness. स्वच्छ भारत अभियान हो, योग पर फोकस हो, पोषण से लेकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को समय पर सही केयर और ट्रीटमेंट हो, शुद्ध पीने का पानी पहुंचाने का प्रयास हो, ऐसे हर उपाय इसका हिस्सा हैं।

दूसरा मोर्चा, गरीब से गरीब को सस्ता और प्रभावी इलाज देने का है। आयुष्मान भारत योजना और प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र जैसी योजनाएं यही काम कर रही हैं।

तीसरा मोर्चा है, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स की Quantity और Quality में बढ़ोतरी करना। बीते 6 साल से AIIMS और इस स्तर के दूसरे संस्थानों का विस्तार देश के दूर-सुदूर के राज्यों तक किया जा रहा है। देश में ज्यादा से ज्यादा मेडिकल कॉलेज बनाने के पीछे भी यही सोच है।

चौथा मोर्चा है, समस्याओं से पार पाने के लिए मिशन मोड पर, focus तौर पर और समय सीमा में हमें काम करना है। मिशन इंद्रधनुष का विस्तार देश के आदिवासी और दूर-दराज के इलाकों तक किया गया है।

देश से टीबी के खिलाफ जंग और टीबी को खत्म करने के लिए दुनिया ने 2030 का टारगेट रखा है, भारत ने 2025 तक का लक्ष्य रखा है। और मैं टीबी की तरफ इस समय विशेष ध्‍यान देने के लिए इसलिए कहूंगा कि टीबी भी infected person के droplets से ही फैलती है। टीबी की रोकथाम में भी मास्क पहनना, Early diagnosis और treatment, ये सारी बातें अहम हैं।

ऐसे में कोरोना काल में जो हमें अनुभव मिला है, जो एक प्रकार से हिन्‍दुस्‍तान के common man तक पहुंच चुका है, अब उसी हमारी practices को हम टीबी के क्षेत्र में भी उसी मोड में काम करेंगे तो टीबी से जो हमें लड़ाई लड़नी है, बहुत आसानी से हम जीत सकेंगे। और इसलिए कोरोना का experience, कोरोना के कारण जन-सामान्‍य में जो जागृति आई है वो, बीमारी से बचने में भारत के सामान्‍य नागरिक ने जो योगदान दिया है, उन सारी चीजों को देख करके लगता है कि इसी मॉडल को आवश्‍यक सुधार के साथ, addition-alternation के साथ अगर हम टीबी पर भी लागू करेंगे तो 2025 का टीबी मुक्‍त भारत का सपना हम पूरा कर सकते हैं।

इसी तरह आपको याद होगा, हमारे यहां खास करके उत्‍तर प्रदेश में गोरखपुर वगैरह जो क्षेत्र हैं जिसे पूर्वांचल भी कहते हैं, उस पूर्वांचल में दिमागी बुखार से हर वर्ष हजारों की तादाद में बच्चों की दुखद मृत्यु हो जाती थी। संसद में भी उसकी चर्चा होती थी। एक बार तो इस विषय पर चर्चा करते हुए हमारे वर्तमान उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगीजी बहुत रो पड़े थे, उन बच्‍चों की मरने की स्थिति देख करके। लेकिन जब से वो वहां के मुख्‍यमंत्री बने, उन्‍होंने एक प्रकार से focus activity की। पूरी तरह जोर लगाया। आज हमें बहुत आशास्‍पद परिणाम मिल रहे हैं। हमने दिमागी बुखार को फैलने से रोकने पर जोर दिया, इलाज की सुविधाएं बढ़ाईं तो इसका अब असर भी दिख रहा है।

साथियों,

कोरोना काल में आयुष से जुड़े हमारे नेटवर्क ने भी बेहतरीन काम किया है। ना सिर्फ human resource को लेकर बल्कि immunity और scientific research को लेकर भी हमारा आयुष का infrastructure देश के बहुत काम आया है।

भारत की दवाओं और भारत की वैक्‍सीन के साथ-साथ हमारे मसालों, हमारे काढ़े का भी कितना बड़ा योगदान है, ये दुनिया आज अनुभव कर रही है। हमारी traditional medicine ने भी विश्‍व मन पर अपनी एक जगह बनाई है। जो traditional medicine से जुड़े हुए लोग हैं, जो उसके उत्‍पादन के साथ जुड़े हुए लोग हैं, जो आयुर्वेदिक परम्‍पराओं से परिचित लोग हैं; हमारा फोकस भी ग्‍लोबल रहना चाहिए।

विश्‍व जिस प्रकार से योग को आसानी से स्‍वीकार कर रहा है, वैसे ही विश्‍व holistic health care की तरफ गया है। साइड इफेक्‍ट से मुक्‍त health care की तरफ विश्‍व का ध्‍यान गया है। उसमें भारत की traditional medicine बहुत काम आ सकती है। भारत की जो traditional medicine है, वो मुख्‍यत: herbal based हैं और उसके कारण विश्‍व में उसका आकर्षण बहुत तेजी से बढ़ सकता है। Harm के संबंध में लोग निश्चिन्त होते हैं कि इसमें कुछ harmfull नहीं है। क्‍या हम उसको भी जोर लगा सकते हैं? हमारे हेल्‍थ के बजट को और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग मिलकर कुछ कर सकते हैं?

कोरोना के दौरान हमारी परंपरागत औषधियों की ताकत देखने के बाद हमारे लिए खुशी का विषय है और आयुर्वेद में traditional medicine में विश्‍वास करने वाले भी सभी और उससे अलग हमारे medical profession से जुड़े हुए लोगों के लिए गर्व की बात है कि विश्व स्वास्थ्य सेंटर- WHO, भारत में अपना Global Centre of Traditional Medicine भी शुरू करने जा रहा है। Already उन्होंने announcement कर दिया है। भारत सरकार उसकी प्रक्रिया भी कर रही है। ये जो मान-सम्‍मान मिला है इसको दुनिया तक पहुंचाना हमारा दायित्‍व बनता है।

साथियों,

Accessibility और Affordability को अब नेक्स्ट लेवल पर ले जाने का समय है। इसलिए अब हेल्थ सेक्टर में आधुनिक टेक्नॉलॉजी का उपयोग बढ़ाया जा रहा है। डिजिटल हेल्थ मिशन, देश के सामान्य नागरिकों को समय पर, सुविधा के अनुसार, प्रभावी इलाज देने में बहुत मदद करेगा।

साथियों,

बीते सालों की एक और अप्रोच को बदलने का काम तेज़ी से किया गया है। ये बदलाव आत्मनिर्भर भारत के लिए बहुत ज़रूरी है। आज हम Pharmacy of the World, इस बात पर गर्व करते हैं, लेकिन आज भी कई बातों के लिए जो Raw Material है उसके लिए हम विदेशों पर निर्भर हैं।

दवाओं और Medical Devices के Raw Material के लिए देश की विदेशों पर निर्भरता, विदेशों पर गुजारा करना हमारी इंडस्ट्री के लिए कितना बुरा अनुभव रहा है, ये हम देख चुके हैं। ये सही नहीं है। इसलिए गरीबों को सस्ती दवाएं और उपकरण देने में भी ये बहुत बड़ी कठिनाई पैदा करते हैं। हमें इसका रास्‍ता खोजना ही होगा। भारत को हमें इन क्षेत्रों में आत्‍मनिर्भर बनाना ही होगा। इसके लिए चार विशेष योजनाएं इन दिनों शुरू की गई हैं। बजट में भी उसका उल्‍लेख है, आपने भी अध्‍ययन किया होगा।

इसके तहत देश में ही दवाओं और मेडिकल उपकरणों के Raw Material के उत्पादन के लिए Production Linked Incentives दिए जा रहे हैं। इसी तरह, दवाएं और Medical Devices बनाने के लिए मेगा पार्क्स के निर्माण को भी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।

साथियों,

देश को सिर्फ last mile health access ही नहीं चाहिए बल्कि हमें हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में, दूर-दराज के क्षेत्रों में...जैसे हमारे यहां जब इलेक्‍शन होता है तो रिपोर्ट आती है, एक मतदाता था वहां भी पोलिंग बूथ लगा; मुझे लगता है कि हेल्‍थ सेक्‍टर में भी और एजुकेशन दो विषय हैं कि जहां एक नागरिक होगा, तो भी हम पहुंचेंगे। ये हमारा मिजाज होना चाहिए और हमें इस पर जोर देना है। उस पर हमें पूरी कोशिश करनी है। और इसलिए सभी क्षेत्रों में health excess पर भी हमें जोर देना है। देश को wellness centres चाहिए, देश को district hospitals चाहिए, देश को critical care units चाहिए, देश को health surveillance infrastructure चाहिए, देश को आधुनिक labs चाहिए, देश को telemedicine चाहिए, हमें हर स्तर पर काम करना है, हर स्तर को बढ़ावा देना है।

हमें ये सुनिश्चित करना है कि देश के लोग, चाहे वो गरीब से गरीब हों, चाहे वो सुदूर इलाकों में रहते हों, उन्हें best possible treatment मिले और समय पर मिले। और इन सभी के लिए जब केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय और देश का प्राइवेट सेक्टर, मिलकर काम करेंगे, तो बेहतर नतीजे भी मिलेंगे।

प्राइवेट सेक्टर, PM-JAY में हिस्सेदारी के साथ-साथ public health laboratories का नेटवर्क बनाने में PPP मॉडल्स को भी सपोर्ट कर सकता है। नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन, नागरिकों के डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड और दूसरी Cutting Edge Technology को लेकर भी साझेदारी हो सकती है।

मुझे विश्वास है कि हम सभी मिलकर एक मजबूत साझेदारी के रास्ते निकाल पाएंगे, स्वस्थ और समर्थ भारत के लिए आत्मनिर्भर समाधान तलाश कर पाएंगे। मेरा आप सबसे आग्रह है कि हम जो stake holders के साथ, इस विषय के जो ज्ञाता लोग हैं उनके साथ चर्चा कर रहे हैं...बजट जो आना था वो आ गया। बहुत सी आपकी अपेक्षाएं होंगी, वो शायद इसमें नहीं होगा। लेकिन उसके लिए ये कोई आखिरी बजट नहीं है...अगले बजट में देखेंगे। आज तो जो बजट आया है इसका तेज गति से ज्‍यादा से ज्‍यादा और जल्‍दी से जल्‍दी हम सब मिलकर implementation कैसे करें, व्‍यवस्‍थाएं कैसे विकसित करें, सामान्‍य मानवी तक पहुंचने में हम तेजी कैसे लाएं। मैं चाहूंगा कि आप सबका अनुभव, आपकी बातें आज भारत सरकार को बजट के बाद...हम पार्लियामेंट में तो चर्चा करते हैं। पहली बार बजट की चर्चा संबंधित लोगों से हम कर रहे हैं। बजट की पूर्व चर्चा करते हैं तब सुझाव की होती हैं...बजट के बाद चर्चा करते हैं तब समाधान की होती हैं।

और इसलिए आइए हम मिल करके समाधान निकालें, हम मिल करके बहुत तेज गति से आगे बढ़ें और हम सब मिल करके चलें। सरकार और आप अलग नहीं हैं। सरकार भी आप ही की है और आप भी देश के लिए ही हैं। हम सब मिल करके देश के गरीब से गरीब व्‍यक्ति को ध्‍यान में रखते हुए हेल्‍थ सेक्‍टर का उज्‍ज्‍वल भविष्‍य, तंदुरूस्‍त भारत के लिए हम सब इस बात को आगे बढ़ाएंगे। आप सबने समय निकाला है। आपका मार्गदर्शन बहुत काम आएगा। आप की सक्रिय भागीदारी बहुत काम आएगी।

मैं फिर एक बार...आपने समय निकाला, इसके लिए आपका आभार व्‍यक्‍त करता हूं और आपके मूल्‍यवान सुझाव हमें आगे ले जाने में बहुत काम आएंगे। आप सुझाव भी देंगे, साझेदारी भी करेंगे। आप अपेक्षाएं भी करेंगे, जिम्‍मेदारी भी उठाएंगे। इसी विश्‍वास के साथ...

बहुत-बहुत धन्यवाद !

  • krishangopal sharma Bjp March 04, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp March 04, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp March 04, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp March 04, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp March 04, 2025

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  • Devendra Kunwar October 17, 2024

    BJP
  • Laxman singh Rana September 08, 2022

    नमो नमो 🇮🇳🌹🌹
  • Laxman singh Rana September 08, 2022

    नमो नमो 🇮🇳🌹
  • Laxman singh Rana September 08, 2022

    नमो नमो 🇮🇳
  • G.shankar Srivastav June 20, 2022

    नमस्ते
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हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी

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International Yoga Day 2025: 17 world records that show Yoga's global rise

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आइए, हम सब योग को एक जन-आंदोलन बनाएं; जो विश्व को शांति, स्वास्थ्य और समरसता की ओर ले जाए: पीएम मोदी
June 21, 2025
Quoteयोग ने समस्‍त विश्व को एकजुट किया है: प्रधानमंत्री
Quoteयोग सब के लिए है, सीमाओं से, पृष्ठभूमि से, उम्र या क्षमता से परे है: प्रधानमंत्री
Quoteयोग हमें विश्व के साथ एकरूपता की दिशा में ले जाता है, यह हमें सिखाता है कि हम अलग-थलग नहीं, बल्कि प्रकृति का ही हिस्सा हैं: प्रधानमंत्री
Quoteयोग एक ऐसी प्रणाली है जो हमें 'मैं' से 'हम' की ओर ले जाती है: प्रधानमंत्री
Quoteयोग मानवता के लिए सांस लेने, संतुलन बनाए रखने और फिर से संपूर्ण बनने के लिए आवश्यक पौज बटन है: प्रधानमंत्री
Quoteआइए, इस योग दिवस को मानवता के लिए योग 2.0 के आरंभ के रूप में मनाएं, जहां आंतरिक शांति वैश्विक नीति बन जाती है: प्रधानमंत्री

आंध्र प्रदेश के राज्यपाल सैयद अब्दुल नजीर जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री, मेरे परम मित्र चंद्रबाबू नायडू गारू, केंद्रीय कैबिनेट के मेरे सहयोगी, के. राममोहन नायडू जी, प्रतापराव जाधव जी, चंद्रशेखर जी, भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा जी, राज्य के डिप्टी सीएम पवन कल्याण गारू, अन्य महानुभाव और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों! आप सबको नमस्कार!

देश और दुनियाभर के सभी लोगों को इंटरनेशनल योग डे की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज 11वीं बार पूरा विश्व 21 जून को एक साथ योग कर रहा है। योग का सीधा-साधा अर्थ होता है जुड़ना और ये देखना सुखद है कि कैसे योग ने पूरे विश्व को जोड़ा है। मैं बीते एक दशक में योग की यात्रा को जब देखता हूं, तो बहुत कुछ याद आता है। वो दिन जब संयुक्त राष्ट्र में भारत ने प्रस्ताव रखा कि 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता मिले और तब कम से कम समय में दुनिया के 175 देश हमारे इस प्रस्ताव के साथ खड़े हुए। आज की दुनिया में ऐसी एकजुटता, ऐसा समर्थन सामान्य घटना नहीं है। ये सिर्फ एक प्रस्ताव का समर्थन भर नहीं था, ये मानवता के भले के लिए दुनिया का सामूहिक प्रयास था। आज 11 साल बाद, हम देख रहे हैं कि योग दुनियाभर में करोड़ों लोगों की जीवन शैली का हिस्सा बन चुका है। मुझे गर्व होता है, जब मैं देखता हूँ कि हमारे दिव्यांग साथी ब्रेल में योग शास्त्र पढ़ते हैं, वैज्ञानिक अंतरिक्ष में योग करते हैं, गांव-गांव में युवा साथी योग ओलंपियाड में भाग लेते हैं। यहां सामने देखिये, ये नेवी के सभी जहाजों में भी अभी बहुत शानदार योगा कार्यक्रम चल रहा है। चाहे सिडनी ओपेरा हाउस की सीढ़ियाँ हों, या एवरेस्ट की चोटी हो, या फिर समंदर का विस्तार हो, हर जगह से एक ही संदेश आता है— योग सभी का है, और सभी के लिए है। Yoga is for Everyone, Beyond Boundaries, Beyond Backgrounds, Beyond age or ability.

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साथियों,

आज मुझे इस बात की खुशी है कि हम सभी विशाखापट्टनम में हैं। ये शहर प्रकृति और प्रगति, दोनों की संगम स्थली है। यहां के लोगों ने इतना अच्छा आयोजन किया है। मैं चंद्रबाबू नायडू गारु और पवन कल्याण गारू को बधाई देता हूं, आपके नेतृत्व में आंध्र प्रदेश ने योगांध्रा अभियान का एक शानदार initiative लिया। मैं विशेष तौर पर नारा लोकेश गारू के प्रयासों की भी विशेष प्रशंसा करना चाहता हूं। योग का सोशल सेलिब्रेशन कैसे होना चाहिए, समाज के हर वर्ग को कैसे जोड़ना चाहिए, ये उन्होंने बीते एक डेढ़ महीने के इस योगांध्रा अभियान में करके दिखाया है, और इसके लिए भाई लोकेश अनेक अनेक बधाई के पात्र हैं। और मैं तो देशवासियों को भी कहूंगा कि ऐसे अवसरों को आप किस प्रकार से सामाजिक स्तर पर गहराई से ले जाया जा सकता है, भाई लोकेश ने जो काम किया है, उसको एक नमूने के रूप में देखना चाहिए।

साथियों,

मुझे बताया गया है कि योगांध्रा अभियान से दो करोड़ से ज्यादा लोग जुड़े हैं। पब्लिक पार्टिसिपेशन की यही वो स्पिरिट है, जो विकसित भारत का मुख्य आधार है। जब जनता खुद आगे बढ़कर किसी मुहिम को थाम लेती है, किसी लक्ष्य को Own कर लेती है, तो उस लक्ष्य की प्राप्ति से हमें कोई रोक नहीं पाता। जनता-जनार्दन की ये सद-इच्छा औऱ आपके प्रयास यहां इस आयोजन में हर तरफ नजर आ रहे हैं।

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Friends,

The theme of this year’s International Day of Yoga is ‘Yoga for One Earth, One Health’. This theme reflects a deep truth. The health of every entity on Earth is interconnected. Human well-being depends on the health of the soil that grows our food, on the rivers that give us water, on the health of the animals that share our eco-systems, on the plants that nourish us. Yoga awakens us to this inter-connected-ness. Yoga leads us on a journey towards oneness with the world. It teaches us that we are not isolated individuals but part of nature. Initially we learn to take good care of our own health and wellness. Gradually, our care and concern extends to our environment, society and planet. Yoga is a great personal discipline . At the same time, it is a system that takes us from Me to We.

साथियों,

Me to We’ का ये भाव ही भारत की आत्मा का सार है। जब व्यक्ति अपने हित से ऊपर उठकर समाज की सोचता है, तभी पूरी मानवता का हित होता है। भारत की संस्कृति हमें सिखाती है, सर्वे भवन्तु सुखिनः, यानी सभी का कल्याण ही मेरा कर्तव्य है। ‘मैं’ से ‘हम’ की ये यात्रा ही सेवा, समर्पण और सह-अस्तित्व का आधार है। यही सोच सामाजिक समरसता को बढ़ावा देती है।

साथियों,

दुर्भाग्य से आज पूरी दुनिया किसी न किसी तनाव से गुजर रही है। कितने ही क्षेत्रों में अशांति और अस्थिरता बढ़ रही है। ऐसे में योग से हमें शांति की दिशा मिलती है। Yoga is the pause button that humanity needs to breathe to balance to become whole gain.

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मैं विश्व समुदाय से आज के इस महत्वपूर्ण अवसर पर एक आग्रह करूंगा। Let this Yoga Day mark the beginning of Yoga for Humanity 2.O, where Inner Peace becomes Global Policy. जहां योग सिर्फ personal practice न रहे, बल्कि global partnership का माध्यम बने। जहां हर देश, हर समाज, योग को जीवनशैली और लोकनीति का हिस्सा बनाए। जहां हम मिलकर एक शांत, संतुलित और sustainable विश्व को गति दें। जहां योग, विश्व को टकराव से सहयोग, और तनाव से समाधान की ओर ले जाए।

साथियों,

विश्व में योग के प्रसार के लिए भारत, योग की साइंस को आधुनिक रिसर्च से और अधिक सशक्त कर रहा है। देश के बड़े-बड़े मेडिकल संस्थान योग पर रिसर्च में जुटे हैं। योग की वैज्ञानिकता को आधुनिक चिकित्सा पद्धति में स्थान मिले, ये हमारा प्रयास है। हम देश के मेडिकल और रिसर्च इंस्टीट्यूशन्स में, योगा के क्षेत्र में एविडेंस बेस्ड थेरेपी को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस दिशा में दिल्ली के एम्स ने भी बहुत अच्छा काम करके दिखाया है। एम्स की रिसर्च में सामने आया है कि योग की Cardiac और न्यूरोलॉजी डिस्ऑर्डर्स के उपचार और वूमन हेल्थ और Mental Well-being में अहम भूमिका है।

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साथियों,

National Ayush Mission के ज़रिए भी योग और वेलनेस के मंत्र को आगे बढ़ाया जा रहा है। डिजिटल टेक्नोलॉजी ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई है। Yoga Portal और YogAndhra Portal के ज़रिए, देशभर में 10 लाख से अधिक इवेंट्स का रजिस्ट्रेशन हुआ है। आज देश के कोने-कोने में इतनी सारी जगहों पर आयोजन हो रहे हैं। ये भी दिखाता है कि योग का दायरा कितना ज्यादा बढ़ रहा है।

साथियों,

हम सभी जानते हैं, आज हील इन इंडिया का मंत्र भी दुनिया में काफी पॉपुलर हो रहा है। भारत-दुनिया के लिए हीलिंग का बेस्ट डेस्टिनेशन बन रहा है। योग की इसमें भी बड़ी भूमिका है। मुझे खुशी है कि योग के लिए Common Yoga Protocol बनाया गया है। Yoga Certification Board के साढ़े छह लाख से अधिक trained वॉलंटियर्स, करीब 130 मान्यता प्राप्त संस्थान और मेडिकल कॉलेजों में 10 दिन का योग मॉड्यूल, ऐसे अनेक प्रयास, एक होलिस्टिक इकोसिस्टम तैयार कर रहे हैं। देशभर में हमारे जो आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं, वहां trained योग टीचर तैनात किए जा रहे हैं। दुनियाभर के लोगों को भारत के इस वेलनेस इकोसिस्टम का फायदा मिले, इसलिए विशेष ई-आयुष वीज़ा दिए जा रहे हैं।

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साथियों,

आज योग दिवस पर मैं ओबेसिटी की तरफ भी फिर से सभी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। बढ़ती ओबेसिटी पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा चैलेंज है। मैंने मन की बात कार्यक्रम में भी, इस पर विस्तार से चर्चा की थी। इसके लिए अपने खान-पान में 10 परसेंट ऑयल कम करने का चैलेंज भी शुरु किया था। मैं एक बार फिर देशवासियों से, दुनियाभर के लोगों को इस चैलेंज से जुड़ने का आह्वान करता हूं। अपने खाने में कैसे हम कम से कम 10 परसेंट ऑयल कंजम्शन कम करें, इसके लिए जागरूकता फैलानी है। ऑयल की खपत कम करना, unhealthy diet से बचना और योग करना, ये बेहतर फिटनेस की जड़ी बूटी है।

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साथियों,

आइए, हम सब मिलकर योग को एक जन आंदोलन दोलन बनाएं। एक ऐसा आंदोलन, जो विश्व को शांति, स्वास्थ्य और समरसता की ओर ले जाए। जहां हर व्यक्ति दिन की शुरुआत योग से करे और जीवन में संतुलन पाए। जहां हर समाज योग से जुड़े और तनाव से मुक्त हो। जहां योग मानवता को एक सूत्र में पिरोने का माध्यम बने। और जहां ‘Yoga for One Earth, One Health’ एक वैश्विक संकल्प बन जाए। एक बार फिर आंध्र के नेतृत्व को बधाई देते हुए, आंध्र के लोगों को बधाई देते हुए और विश्वभर में फैले हुए योग practitioners और योग प्रेमियों को बधाई देते हुए, आप सबको अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। धन्यवाद!