भूपेन दा के संगीत ने भारत को एकजुट किया और पीढ़ियों को प्रेरित कर रहा है: प्रधानमंत्री
भूपेन दा का जीवन 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना को प्रतिबिम्बित करता था: प्रधानमंत्री
भूपेन दा ने हमेशा भारत की एकता को स्वर दिया: प्रधानमंत्री
भूपेन दा को भारत रत्न प्रदान करना पूर्वोत्तर के प्रति हमारी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है: प्रधानमंत्री
सांस्कृतिक संपर्क राष्ट्रीय एकता के लिए महत्वपूर्ण है: प्रधानमंत्री
नया भारत अपनी सुरक्षा या सम्मान से कभी समझौता नहीं करेगा: प्रधानमंत्री
आइए हम 'वोकल फॉर लोकल' के ब्रांड एंबेसडर बनें, आइए हम अपने स्वदेशी उत्पादों पर गर्व करें: प्रधानमंत्री

मैं कहूंगा भूपेन दा! आप कहिए अमर रहे! अमर रहे! भूपेन दा, अमर रहे! अमर रहे! भूपेन दा, रहे! अमर रहे! भूपेन दा, अमर रहे! अमर रहे! असम के राज्यपाल लक्ष्‍मण प्रसाद आचार्य जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री हिमंत बिश्व शर्मा जी, अरुणाचल प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पेमा खांडू जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे साथी सर्बानंद सोनोवाल जी, मंच पर उपस्थित भूपेन हजारिका जी के भाई श्री समर हजारिका जी, भूपेन हजारिका जी की बहन श्रीमती कविता बरुआ जी, भूपेन दा के पुत्र श्री तेज हजारिका जी, तेज को मैं कहूंगा, केम छो! उपस्थित अन्य महानुभाव और असम के मेरे भाइयों और बहनों!

आज का दिन अद्भुत है और यह पल अनमोल है। जो दृश्य यहां मैंने देखा, जो उत्साह, जो तालमेल मुझे दिखा, भूपेन संगीत की जो लय दिखी, अगर मैं भूपेन दा के ही शब्दों में कहूं, तो मन में बार-बार आ रहा था, समय ओ धीरे चलो! समय ओ धीरे चलो! मन कर रहा था, भूपेन संगीत की यह लहर ऐसे ही हर तरफ बहती रहे, बहती ही रहे। मैं इस आयोजन में हिस्सा लेने वाले सभी कलाकारों की बहुत-बहुत सराहना करता हूं। असम का मिजाज ही कुछ ऐसा है कि हर ऐसे आयोजन में नया रिकॉर्ड बन जाता है। आज भी आपकी परफॉर्मेंस की जबरदस्त तैयारी दिख रही थी। आप सबका अभिनंदन, आप सबको बधाई।

साथियों,

अभी कुछ दिन पूर्व ही आठ सितंबर को भूपेन हजारिका जी का जन्मदिवस बीता है। उस दिन मैंने भूपेन दा को समर्पित एक लेख में अपनी भावनाएं व्यक्त की थीं। मेरा सौभाग्य है कि उनके जन्‍म शताब्‍दी वर्ष के इस आयोजन में मुझे हिस्सा लेने का अवसर मिला है। अभी हिमंता कह रहे थे कि मैंने आकर के कुछ कृपा की है, उल्टा है! ऐसे पवित्र अवसर पर आना, यह मेरा सौभाग्य है। भूपेन दा को हम सभी प्यार से शुधा कॉन्ठो कहते थे। यह उन शुधा कॉन्ठो का जन्‍म शताब्‍दी वर्ष है, जिन्होंने भारत की भावनाओं को आवाज दी, जिन्होंने संगीत को संवेदना से जोड़ा, जिन्होंने संगीत में भारत के सपनों को संजोया और जिन्होंने मां गंगा से मां भारती की करुणा को कह सुनाया। गंगा बहती हो क्यों, गंगा बहती हो क्यों?

साथियों,

भूपेन दा ने ऐसी अमर रचनाएं रची, जो अपने स्‍वरों से भारत को जोड़ती रही, जो भारत की पीढ़ियों को झकझोरती रही।

भाइयों-बहनों!

भूपेन दा सशरीर हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनके गीत, उनके स्‍वर आज भी भारत की विकास यात्रा के साक्षी बन रहे हैं, उसे ऊर्जा दे रहे हैं। हमारी सरकार बहुत गर्व से भूपेन दा के जन्‍म शताब्‍दी वर्ष को सेलिब्रेट कर रही है। हम भूपेन हजारिका जी के गीतों को, उनके संदेशों को और उनकी जीवन यात्रा को घर-घर ले जा रहे हैं। आज यहां उनकी बायोग्राफी भी रिलीज की गयी है। मैं इस अवसर पर डॉक्टर भूपेन हजारिका जी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। मैं असम के भाई-बहनों के साथ ही हर भारतवासी को भूपेन दा के इस जन्‍म शताब्‍दी वर्ष पर बधाई देता हूं।

साथियों,

भूपेन हजारिका जी ने जीवनपर्यंत संगीत की सेवा की। संगीत जब साधना बनता है, तो वो हमारी आत्मा को छूता है और संगीत जब संकल्प बनता है, तो वो समाज को नई दिशा दिखाने का माध्यम बन जाता है। भूपेन दा का संगीत इसलिए ही इतना विशेष था। उन्होंने जिन आदर्शों को जिया, जो अनुभव किया, वही अपने गीतों में भी गाया। हम उनके गीतों में मां भारती के लिए इतना प्रेम इसलिए देखते हैं, क्योंकि वो एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को जीते थे। आप देखिए, पूर्वोत्तर में उनका जन्म हुआ, ब्रह्मपुत्र की पावन लहरों ने उन्हें संगीत की शिक्षा दी। फिर वो ग्रेजुएशन के लिए काशी गए, ब्रह्मपुत्र की लहरों से शुरू हुई भूपेन दा की संगीत साधना गंगा की कल-कल से सिद्धि में बदल गई। काशी की गतिशीलता ने उनके जीवन को एक अविरल प्रवाह दिया। वो एक यायावर यात्री बन गए, उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया। फिर पीएचडी करने अमेरिका तक गए! लेकिन, जीवन के हर पड़ाव पर वो असम की धरती से एक सच्चे बेटे की तरह जुड़े रहे और इसीलिए, वो फिर वापस भारत लौटे! यहाँ आकर फिल्मों में वो सामान्य मानवी की आवाज़ बने, उनके जीवन की पीड़ा को स्वर दिया। वो आवाज़ आज भी हमें झकझोरती है, उनका गीत मानुहे मानुहोर बाबे, जोदिहे ऑकोनु नाभाबे, ऑकोनि होहानुभूतिरे, भाबिबो कोनेनु कुआ? अर्थात अगर मनुष्य ही मनुष्य के सुख-दुख, दर्द-तकलीफ के बारे में नहीं सोचेगा, तो फिर कौन इस दुनिया में एक दूसरे की चिंता करेगा? सोचिए, यह बात हमें कितनी प्रेरणा देती है। इसी विचार को लेकर आज भारत, गाँव, गरीब, दलित, वंचित, आदिवासी के जीवन को बेहतर बनाने में लगा है।

साथियों,

भूपेन दा, भारत की एकता और अखंडता के महान नायक थे। दशकों पहले, जब नॉर्थ ईस्ट उपेक्षा का शिकार था, नॉर्थ ईस्ट को हिंसा और अलगाववाद की आग में जलने के लिए छोड़ दिया गया था, तब भूपेन दा उस मुश्किल समय में भी भारत की एकता को ही आवाज़ देते रहे। उन्होंने समृद्ध पूर्वोत्तर का सपना देखा था। उन्होंने प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य में बसे पूर्वोत्तर के लिए गीत गाये थे। उन्होंने असम के लिए गीत गाया था- "नाना जाती-उपोजाती, रहोनीया कृष्टि, आकुवाली लोई होइशिल सृष्टि, एई मोर ऑहोम देश’ जब हम ये गीत गुनगुनाते हैं, तो हमें हमारे असम की विविधता पर गर्व होता है। हमें असम की सामर्थ्य और क्षमता पर गर्व होता है।

साथियों,

अरुणाचल से भी उन्हें उतना ही प्रेम था और इसीलिए अरुणाचल के मुख्यमंत्री आज विशेष रूप से आए हैं। भूपेन दा ने लिखा, अरुण किरण शीश भूषण भूमि सुरमयी सुंदरा, अरुणाचल हमारा, अरुणाचल हमारा।

साथियों,

एक सच्चे राष्ट्रभक्त के हृदय से निकली आवाज़ कभी निष्फल नहीं होती। आज नॉर्थ ईस्ट को लेकर उनके सपनों को साकार करने के लिए हम दिन-रात काम कर रहे हैं। हमारी सरकार ने भूपेन दा को भारत रत्न देकर, पूर्वोत्तर के सपनों और स्वाभिमान का सम्मान किया और पूर्वोत्तर को देश की प्राथमिकता भी बनाया। हमने देश के सबसे लंबे ब्रिजेज में से एक, असम और अरुणाचल को जोड़ने वाला ब्रिज बनाया, तो उसका नाम भूपेन हजारिका ब्रिज रखा। आज असम और पूरा पूर्वोत्तर तेज गति से आगे बढ़ रहा है। विकास के हर आयाम में नए रिकॉर्ड बनाए जा रहे हैं। विकास की ये सिद्धियाँ, देश की ओर से भूपेन दा को सच्ची श्रद्धांजलि हैं।

साथियों,

हमारे असम ने, हमारे पूर्वोत्तर ने भारत की सांस्कृतिक विविधता में हमेशा बड़ा योगदान दिया है। इस धरती का इतिहास, यहाँ के पर्व, यहां के उत्सव, यहाँ की कला, संस्कृति, यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, इसकी दैवीय आभा और इस सबके साथ, भारत माता की आन-बान-शान और रक्षा के लिए यहाँ के लोगों द्वारा दिये गए बलिदान, इसके बिना हम अपने महान भारत की कल्पना नहीं कर सकते। हमारा पूर्वोत्तर तो देश के लिए नए प्रकाश, नई रोशनी की धरती है। देश की पहली सुबह भी यहीं तो होती है। भूपेन दा ने इसी भाव को अपने गीत में स्वर दिया था, ऑहोम आमार रूपोही, गुनोरू नाई हेष, भारोतोरे पूरबो दिखॉर, हूर्जो उठा देश!

इसलिए भाइयों-बहनों,

जब हम असम के इतिहास को सेलिब्रेट करते हैं, तभी भारत का इतिहास पूरा होता है, तभी भारत का उल्लास पूरा होता है और हमें इस पर गर्व करते हुए ही आगे बढ़ते रहना है।

साथियों,

जब हम कनेक्टिविटी की बात करते हैं, तो अक्सर लोगों को रेल-रोड या एयर कनेक्टिविटी की याद आती है। लेकिन देश की एकता के लिए एक और कनेक्टिविटी बहुत जरूरी है और वो है कल्चरल कनेक्टिविटी। बीते 11 वर्षों में देश ने नॉर्थ ईस्ट के विकास के साथ-साथ कल्चरल कनेक्टिविटी को भी बड़ी अहमियत दी है। ये एक अभियान है, जो अनवरत जारी है। आज इस आयोजन में हम इसी अभियान की झलक देख रहे हैं। कुछ ही समय पहले, हमने वीर लसित बोरफुकन की 400वीं जयंती भी राष्ट्रीय स्तर पर मनाई है। आज़ादी की लड़ाई में भी, असम और पूर्वोत्तर के कितने ही सेनानियों ने अभूतपूर्व बलिदान दिए! हमने आज़ादी के अमृत महोत्सव के दौरान, पूर्वोत्तर के सेनानियों को, यहाँ के इतिहास को फिर से जीवंत किया। आज पूरा देश हमारे असम के इतिहास और योगदान से परिचित हो रहा है। कुछ समय पहले हमने दिल्ली में अष्टलक्ष्मी महोत्सव का भी आयोजन किया। इस आयोजन में भी असम का सामर्थ्य दिखा, असम का कौशल दिखा।

साथियों,

परिस्थितियां कोई भी हों, असम ने हमेशा देश के स्वाभिमान को स्वर दिया है। यही स्वर हमें भूपेन दा के गीतों में भी सुनाई देते हैं। जब 1962 का युद्ध हुआ, तो असम उस लड़ाई को प्रत्यक्ष देख रहा था, तब भूपेन दा ने देश की प्रतिज्ञा को बुलंद किया था, उन्होंने उस समय गाया था, प्रोति जोबान रक्तॉरे बिंदु हाहाहॉर अनंत हिंधु, सेइ हाहाहॉर दुर्जेोय लहरे, जाशिले प्रोतिज्ञा जयरे उस प्रतिज्ञा ने देशवासियों में नया जोश भर दिया था।

साथियों,

वो भावना, वो जज्बा देशवासियों के दिलों में आज भी चट्टान की तरह बना हुआ है। ये हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी देखा है। पाकिस्तान के आतंकी मंसूबों को देश ने ऐसा जवाब दिया कि भारत की ताकत की गूंज पूरी दुनिया तक गई है। हमने दिखा दिया, भारत का दुश्मन किसी भी कोने में सुरक्षित नहीं रहेगा। नया भारत, किसी भी कीमत पर अपनी सुरक्षा और स्वाभिमान से समझौता नहीं करेगा।

साथियों,

असम की संस्कृति का हर आयाम अद्भुत है, असाधारण है और इसलिए मैं कई बार कहता था कि वो दिन दूर नहीं कि जब देश के बच्चे पढ़ेंगे A for Assam. यहाँ की संस्कृति, सम्मान और स्वाभिमान के साथ-साथ असीम संभावनाओं की स्रोत भी है। असम के परिधान, यहाँ का खान-पान, असम का पर्यटन, यहाँ के प्रॉडक्ट्स, हमें इसे देश ही नहीं, पूरी दुनिया में पहचान दिलानी है। आप सब जानते हैं, असम के गमोशा की ब्रांडिंग तो मैं खुद ही बहुत गर्व से करता रहता हूं, ऐसे ही हमें असम के हर उत्पाद को दुनिया के कोने-कोने में ले जाना है।

साथियों,

भूपेन दा का पूरा जीवन, देश के लक्ष्यों के प्रति समर्पित रहा। आज भूपेन दा के जन्म शताब्दी वर्ष के इस अवसर पर हमें देश के लिए आत्मनिर्भरता का संकल्प लेना है। मैं असम के मेरे भाई-बहनों से अपील करूंगा, हमें वोकल फॉर लोकल का ब्रैंड एंबेसडर बनना है। हमें स्वदेशी चीजों पर गर्व करना है। हम स्वदेशी ही खरीदें और स्वदेशी ही बेचें। हम इन अभियानों को जितनी गति देंगे, विकसित भारत का सपना उतनी ही तेज गति से पूरा होगा।

साथियों,

भूपेन दा ने 13 साल की उम्र में गीत लिखा था, अग्निजुगोर फिरिंगोति मोय, नोतुन भारत गॉढ़िम्, हर्बोहारार हर्बोश्वो पुनॉर फिराय आनिम, नोतुन भारत गॉढ़िम्।

साथियों,

इस गीत में उन्होंने खुद को अग्नि की चिंगारी मानकर ये संकल्प लिया था कि नया भारत बनाएंगे। एक ऐसा नया भारत, जहां हर पीड़ित और वंचित को उनका अधिकार वापस मिले।

मेरे भाइयों और बहनों,

नूतन भारत का जो सपना भूपेन दा ने तब देखा था, आज वो देश का संकल्प बन चुका है। हमें इस संकल्प से खुद को जोड़ना है। आज समय है, हम अपने हर प्रयास हर संकल्प के केंद्र में 2047 के विकसित भारत को रखें। इसकी प्रेरणा हमें भूपेन दा के गीतों से मिलेगी, उनके जीवन से मिलेगी। हमारे ये संकल्प ही भूपेन हजारिका जी के सपनों को साकार करेंगे। इसी भाव के साथ, मैं एक बार फिर सभी देशवासियों को भूपेन दा के जन्म शताब्दी वर्ष की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मेरी आप सबसे प्रार्थना है, अपना मोबाइल फोन निकालिए और मोबाइल फोन की फ्लैश लाइट चालू करके भूपेन दा को श्रद्धांजलि दीजिए। हजारों-हजारों ये द्वीप भूपेन दा की अमर आत्मा को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। उनके स्वर को आज की पीढ़ी रोशनी से सजा रही है। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

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भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है: रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान पीएम मोदी
December 05, 2025

Your Excellency, My Friend, राष्ट्रपति पुतिन,
दोनों देशों के delegates,
मीडिया के साथियों,
नमस्कार!
"दोबरी देन"!

आज भारत और रूस के तेईसवें शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। उनकी यात्रा ऐसे समय हो रही है जब हमारे द्विपक्षीय संबंध कई ऐतिहासिक milestones के दौर से गुजर रहे हैं। ठीक 25 वर्ष पहले राष्ट्रपति पुतिन ने हमारी Strategic Partnership की नींव रखी थी। 15 वर्ष पहले 2010 में हमारी साझेदारी को "Special and Privileged Strategic Partnership” का दर्जा मिला।

पिछले ढाई दशक से उन्होंने अपने नेतृत्व और दूरदृष्टि से इन संबंधों को निरंतर सींचा है। हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने आपसी संबंधों को नई ऊंचाई दी है। भारत के प्रति इस गहरी मित्रता और अटूट प्रतिबद्धता के लिए मैं राष्ट्रपति पुतिन का, मेरे मित्र का, हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

Friends,

पिछले आठ दशकों में विश्व में अनेक उतार चढ़ाव आए हैं। मानवता को अनेक चुनौतियों और संकटों से गुज़रना पड़ा है। और इन सबके बीच भी भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है।परस्पर सम्मान और गहरे विश्वास पर टिके ये संबंध समय की हर कसौटी पर हमेशा खरे उतरे हैं। आज हमने इस नींव को और मजबूत करने के लिए सहयोग के सभी पहलुओं पर चर्चा की। आर्थिक सहयोग को नई ऊँचाइयों पर ले जाना हमारी साझा प्राथमिकता है। इसे साकार करने के लिए आज हमने 2030 तक के लिए एक Economic Cooperation प्रोग्राम पर सहमति बनाई है। इससे हमारा व्यापार और निवेश diversified, balanced, और sustainable बनेगा, और सहयोग के क्षेत्रों में नए आयाम भी जुड़ेंगे।

आज राष्ट्रपति पुतिन और मुझे India–Russia Business Forum में शामिल होने का अवसर मिलेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि ये मंच हमारे business संबंधों को नई ताकत देगा। इससे export, co-production और co-innovation के नए दरवाजे भी खुलेंगे।

दोनों पक्ष यूरेशियन इकॉनॉमिक यूनियन के साथ FTA के शीघ्र समापन के लिए प्रयास कर रहे हैं। कृषि और Fertilisers के क्षेत्र में हमारा करीबी सहयोग,food सिक्युरिटी और किसान कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। मुझे खुशी है कि इसे आगे बढ़ाते हुए अब दोनों पक्ष साथ मिलकर यूरिया उत्पादन के प्रयास कर रहे हैं।

Friends,

दोनों देशों के बीच connectivity बढ़ाना हमारी मुख्य प्राथमिकता है। हम INSTC, Northern Sea Route, चेन्नई - व्लादिवोस्टोक Corridors पर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेंगे। मुजे खुशी है कि अब हम भारत के seafarersकी polar waters में ट्रेनिंग के लिए सहयोग करेंगे। यह आर्कटिक में हमारे सहयोग को नई ताकत तो देगा ही, साथ ही इससे भारत के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर बनेंगे।

उसी प्रकार से Shipbuilding में हमारा गहरा सहयोग Make in India को सशक्त बनाने का सामर्थ्य रखता है। यह हमारेwin-win सहयोग का एक और उत्तम उदाहरण है, जिससे jobs, skills और regional connectivity – सभी को बल मिलेगा।

ऊर्जा सुरक्षा भारत–रूस साझेदारी का मजबूत और महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है। Civil Nuclear Energy के क्षेत्र में हमारा दशकों पुराना सहयोग, Clean Energy की हमारी साझा प्राथमिकताओं को सार्थक बनाने में महत्वपूर्ण रहा है। हम इस win-win सहयोग को जारी रखेंगे।

Critical Minerals में हमारा सहयोग पूरे विश्व में secure और diversified supply chains सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे clean energy, high-tech manufacturing और new age industries में हमारी साझेदारी को ठोस समर्थन मिलेगा।

Friends,

भारत और रूस के संबंधों में हमारे सांस्कृतिक सहयोग और people-to-people ties का विशेष महत्व रहा है। दशकों से दोनों देशों के लोगों में एक-दूसरे के प्रति स्नेह, सम्मान, और आत्मीयताका भाव रहा है। इन संबंधों को और मजबूत करने के लिए हमने कई नए कदम उठाए हैं।

हाल ही में रूस में भारत के दो नए Consulates खोले गए हैं। इससे दोनों देशों के नागरिकों के बीच संपर्क और सुगम होगा, और आपसी नज़दीकियाँ बढ़ेंगी। इस वर्ष अक्टूबर में लाखों श्रद्धालुओं को "काल्मिकिया” में International Buddhist Forum मे भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का आशीर्वाद मिला।

मुझे खुशी है कि शीघ्र ही हम रूसी नागरिकों के लिए निशुल्क 30 day e-tourist visa और 30-day Group Tourist Visa की शुरुआत करने जा रहे हैं।

Manpower Mobility हमारे लोगों को जोड़ने के साथ-साथ दोनों देशों के लिए नई ताकत और नए अवसर create करेगी। मुझे खुशी है इसे बढ़ावा देने के लिए आज दो समझौतेकिए गए हैं। हम मिलकर vocational education, skilling और training पर भी काम करेंगे। हम दोनों देशों के students, scholars और खिलाड़ियों का आदान-प्रदान भी बढ़ाएंगे।

Friends,

आज हमने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की। यूक्रेन के संबंध में भारत ने शुरुआत से शांति का पक्ष रखा है। हम इस विषय के शांतिपूर्ण और स्थाई समाधान के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। भारत सदैव अपना योगदान देने के लिए तैयार रहा है और आगे भी रहेगा।

आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में भारत और रूस ने लंबे समय से कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया है। पहलगाम में हुआ आतंकी हमला हो या क्रोकस City Hall पर किया गया कायरतापूर्ण आघात — इन सभी घटनाओं की जड़ एक ही है। भारत का अटल विश्वास है कि आतंकवाद मानवता के मूल्यों पर सीधा प्रहार है और इसके विरुद्ध वैश्विक एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है।

भारत और रूस के बीच UN, G20, BRICS, SCO तथा अन्य मंचों पर करीबी सहयोग रहा है। करीबी तालमेल के साथ आगे बढ़ते हुए, हम इन सभी मंचों पर अपना संवाद और सहयोग जारी रखेंगे।

Excellency,

मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में हमारी मित्रता हमें global challenges का सामना करने की शक्ति देगी — और यही भरोसा हमारे साझा भविष्य को और समृद्ध करेगा।

मैं एक बार फिर आपको और आपके पूरे delegation को भारत यात्रा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ।