स्वच्छ भारत अभियान

Published By : Admin | May 26, 2015 | 11:54 IST

श्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में राजपथ पर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत करते हुते कहा, “2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर भारत उन्हें स्वच्छ भारत के रूप में सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि दे सकता है।” दो अक्टूबर 2014 को देश भर में एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई।



स्वच्छा के जनआंदोलन की अगुवाई करते हुए प्रधानमंत्री ने लोगों से आह्वान किया कि वो एक साफ और स्वच्छ भारत के महात्मा गांधी के सपने को पूरा करें। श्री नरेंद्र मोदी ने खुद मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन के पास सफाई अभियान शुरू किया। प्रधानमंत्री द्वारा गंदगी साफ करने के लिए झाडू पकड़ने के कारण स्वच्छ भारत अभियान देश भर में एक जन आंदोलन बन गया। उन्होंने कहा कि लोगों का ना गंदगी करनी चाहिए और ना दूसरों को करने देनी चाहिए। उन्होंने ‘ना गंदगी करेंगे, ना करने देंगे’ का मंत्र दिया। श्री मोदी ने स्वच्छता अभियान में शामिल होने के लिए नौ लोगों को आमंत्रित भी किया और उनसे अनुरोध किया कि वो नौ अन्य लोगों को इस पहल से जोड़ें।

इस अभियान में शामिल होने के लिए लोगों को आमंत्रित करने के कारण स्वच्छता अभियान एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया। स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से लोगों में जिम्मेदारी की भावना आई। देश भर में लोग सक्रिय रूप से स्वच्छ भारत अभियान में शामिल हो रहे हैं और महात्मा गांधी का स्वच्छ भारत का सपना अब साकार होने लगा है।



प्रधानमंत्री ने अपने शब्दों और कार्यों के माध्यम से लोगों के बीच स्वच्छ भारत के संदेश को फैलाने में मदद की। उन्होंने वाराणसी में भी सफाई अभियान चलाया। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन के तहत वाराणसी के अस्सी घाट में गंगा नदी के पास कुदाल चलाई। उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान में सहयोग करने वाले स्थानीय लोगों के एक बड़े समूह के साथ शिरकत की। साफ-सफाई के महत्व को समझते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने साथ ही भारतीय परिवारों एक स्वास्थ्य संबंधी समस्या का समाधान भी किया, जो घर में समुचित शौचालयों के अभाव को दूर करने के उपाए तेजी से प्रारंभ किए गए।

समाज के विभिन्न वर्गों के लोग आगे आए और सफाई के इन जन आंदोलन में शामिल हुए। सरकारी अधिकारियों से लेकर जवानों तक, बालीवुड अभिनेताओं से लेकर खिलाड़ियों तक, उद्योगपतियों से लेकर आध्यात्मिक गुरुओं तक, सभी इस पवित्र कार्य के साथ जुड़ गए। देश भर में लाखों लोग दिन प्रति दिन सरकारी विभागों, एनजीओ और स्थानीय सामुदायिक केंद्रों के स्वच्छता कार्यक्रमों से जुड़ रहे हैं। लगातार सफाई अभियान आयोजित होने से लोगों में सफाई को लेकर जागरुकता आई। देश भर में नाटकों और संगीत के माध्यम से स्वच्छ भारत का संदेश फैलाया गया।

प्रधानमंत्री ने स्वयं स्वच्छ भारत मिशन में शामिल होने के लिए लोगों, विभिन्न विभागों और संगठनों की प्रशंसा की। श्री मोदी ने हमेशा सोशल मीडिया के जरिए स्वच्छ भारत के लिए योगदान करने वालों की खुलकर प्रशंसा की। स्वच्छ भारत अभियान के तहत ‘#MyCleanIndia’ को भी लांच किया गया, ताकि देश भर में सफाई कार्य करने वाले नागरिक अपने कार्यों को हाइलाइट कर सकें।



स्वच्छ भारत अभियान लोगों का जोरदार समर्थन पाकर ‘जन आंदोलन’ बन गया। आम नागरिक भी बड़ी संख्या में आगे आए और उन्होंने एक साफ-सुथरे भारत का प्रण लिया। स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत के बाद सड़कों की सफाई के लिए हाथों में झाडू थामना, सफाई पर फोकस और एक स्वच्छ माहौल बनाने की कोशिश लोगों की आदत में शामिल हो गई। लोग इस अभियान में शामिल होने लगे और वो इस संदेश को फैलाने में मदद कर रहे हैं कि ‘स्वच्छता ईश्वर की भक्ति के सबसे समीप है।‘


प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें

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जल जीवन मिशन के 6 साल: हर नल से बदलती ज़िंदगी
August 14, 2025
"हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन, एक प्रमुख डेवलपमेंट पैरामीटर बन गया है।" - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

पीढ़ियों तक, ग्रामीण भारत में सिर पर पानी के मटके ढोती महिलाओं का दृश्य रोज़मर्रा की बात थी। यह सिर्फ़ एक काम नहीं था, बल्कि एक ज़रूरत थी, जो उनके दैनिक जीवन का अहम हिस्सा थी। पानी अक्सर एक या दो मटकों में लाया जाता, जिसे पीने, खाना बनाने, सफ़ाई और कपड़े धोने इत्यादि के लिए बचा-बचाकर इस्तेमाल करना पड़ता था। यह दिनचर्या आराम, पढ़ाई या कमाई के काम के लिए बहुत कम समय छोड़ती थी, और इसका बोझ सबसे ज़्यादा महिलाओं पर पड़ता था।

2014 से पहले, पानी की कमी, जो भारत की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक थी; को न तो गंभीरता से लिया गया और न ही दूरदृष्टि के साथ हल किया गया। सुरक्षित पीने के पानी तक पहुँच बिखरी हुई थी, गाँव दूर-दराज़ के स्रोतों पर निर्भर थे, और पूरे देश में हर घर तक नल का पानी पहुँचाना असंभव-सा माना जाता था।

यह स्थिति 2019 में बदलनी शुरू हुई, जब भारत सरकार ने जल जीवन मिशन (JJM) शुरू किया। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य हर ग्रामीण घर तक सक्रिय घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) पहुँचाना है। उस समय केवल 3.2 करोड़ ग्रामीण घरों में, जो कुल संख्या का महज़ 16.7% था, नल का पानी उपलब्ध था। बाकी लोग अब भी सामुदायिक स्रोतों पर निर्भर थे, जो अक्सर घर से काफी दूर होते थे।

जुलाई 2025 तक, हर घर जल कार्यक्रम के अंतर्गत प्रगति असाधारण रही है, 12.5 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को जोड़ा गया है, जिससे कुल संख्या 15.7 करोड़ से अधिक हो गई है। इस कार्यक्रम ने 200 जिलों और 2.6 लाख से अधिक गांवों में 100% नल जल कवरेज हासिल किया है, जिसमें 8 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश अब पूरी तरह से कवर किए गए हैं। लाखों लोगों के लिए, इसका मतलब न केवल घर पर पानी की पहुंच है, बल्कि समय की बचत, स्वास्थ्य में सुधार और सम्मान की बहाली है। 112 आकांक्षी जिलों में लगभग 80% नल जल कवरेज हासिल किया गया है, जो 8% से कम से उल्लेखनीय वृद्धि है। इसके अतिरिक्त, वामपंथी उग्रवाद जिलों के 59 लाख घरों में नल के कनेक्शन किए गए, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि विकास हर कोने तक पहुंचे। महत्वपूर्ण प्रगति और आगे की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय बजट 2025–26 में इस कार्यक्रम को 2028 तक बढ़ाने और बजट में वृद्धि की घोषणा की गई है।

2019 में राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किए गए जल जीवन मिशन की शुरुआत गुजरात से हुई है, जहाँ श्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री के रूप में सुजलाम सुफलाम पहल के माध्यम से इस शुष्क राज्य में पानी की कमी से निपटने के लिए काम किया था। इस प्रयास ने एक ऐसे मिशन की रूपरेखा तैयार की जिसका लक्ष्य भारत के हर ग्रामीण घर में नल का पानी पहुँचाना था।

हालाँकि पेयजल राज्य का विषय है, फिर भी भारत सरकार ने एक प्रतिबद्ध भागीदार की भूमिका निभाई है, तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए राज्यों को स्थानीय समाधानों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार दिया है। मिशन को पटरी पर बनाए रखने के लिए, एक मज़बूत निगरानी प्रणाली लक्ष्यीकरण के लिए आधार को जोड़ती है, परिसंपत्तियों को जियो-टैग करती है, तृतीय-पक्ष निरीक्षण करती है, और गाँव के जल प्रवाह पर नज़र रखने के लिए IoT उपकरणों का उपयोग करती है।

जल जीवन मिशन के उद्देश्य जितने पाइपों से संबंधित हैं, उतने ही लोगों से भी संबंधित हैं। वंचित और जल संकटग्रस्त क्षेत्रों को प्राथमिकता देकर, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य केंद्रों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करके, और स्थानीय समुदायों को योगदान या श्रमदान के माध्यम से स्वामित्व लेने के लिए प्रोत्साहित करके, इस मिशन का उद्देश्य सुरक्षित जल को सभी की ज़िम्मेदारी बनाना है।

इसका प्रभाव सुविधा से कहीं आगे तक जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि JJM के लक्ष्यों को प्राप्त करने से प्रतिदिन 5.5 करोड़ घंटे से अधिक की बचत हो सकती है, यह समय अब शिक्षा, काम या परिवार पर खर्च किया जा सकता है। 9 करोड़ महिलाओं को अब बाहर से पानी लाने की ज़रूरत नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी अनुमान है कि सभी के लिए सुरक्षित जल, दस्त से होने वाली लगभग 4 लाख मौतों को रोक सकता है और स्वास्थ्य लागत में 8.2 लाख करोड़ रुपये की बचत कर सकता है। इसके अतिरिक्त, आईआईएम बैंगलोर और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, JJM ने अपने निर्माण के दौरान लगभग 3 करोड़ व्यक्ति-वर्ष का रोजगार सृजित किया है, और लगभग 25 लाख महिलाओं को फील्ड टेस्टिंग किट का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया गया है।

रसोई में एक माँ का साफ़ पानी से गिलास भरते समय मिलने वाला सुकून हो, या उस स्कूल का भरोसा जहाँ बच्चे बेफ़िक्र होकर पानी पी सकते हैं; जल जीवन मिशन, ग्रामीण भारत में जीवन जीने के मायने बदल रहा है।