जनजातीय गौरव दिवस के माध्यम से देश की आदिवासी विरासत पर गर्व व्यक्त करना और आदिवासी समुदाय के विकास के लिए संकल्प 'पंच प्राण' की ऊर्जा का हिस्सा है"
"भगवान बिरसा मुंडा न केवल हमारे स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे बल्कि हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ऊर्जा के संवाहक भी थे"
“भारत को भव्य आदिवासी विरासत से सीखकर अपने भविष्य को आकार देना है; मुझे विश्वास है कि जनजातीय गौरव दिवस इसके लिए एक अवसर और माध्यम बनेगा

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भगवान बिरसा मुंडा और करोड़ों जनजातीय वीरों के सपनों को साकार करने के लिए राष्ट्र 'पंच प्राण' की ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस के माध्यम से देश की आदिवासी विरासत पर गर्व व्यक्त करना और आदिवासी समुदाय के विकास का संकल्प इसी ऊर्जा का हिस्सा है।" प्रधानमंत्री ने आज जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर एक वीडियो संदेश के माध्यम से राष्ट्र को अपनी शुभकामनाऐं दीं।

प्रधानमंत्री ने भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि 15 नवंबर आदिवासी परंपरा को मनाने का दिन है क्योंकि भगवान बिरसा मुंडा न केवल हमारे स्वतंत्रता संग्राम के नायक थे, बल्कि वह हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ऊर्जा के संवाहक थे।

प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदाय के योगदान को नमन करते हुए प्रमुख आदिवासी आंदोलनों और स्वतंत्रता के लिए लड़े गए युद्धों का स्मरण किया। उन्होंने तिलक मांझी के नेतृत्व में दामिन संग्राम, बुद्ध भगत के नेतृत्व में लरका आंदोलन, सिद्धू-कान्हू क्रांति, ताना भगत आंदोलन, वेगड़ा भील आंदोलन, नायकड़ा आंदोलन, संत जोरिया परमेश्वर और रूप सिंह नायक, लिम्दी दाहोद युद्ध, अल्लूरी सीताराम राजू के नेतृत्व में मानगढ़ और रंपा आंदोलन के गोविंद गुरु जी को भी याद किया।

प्रधानमंत्री ने जनजातीय योगदान को स्वीकार करने और उत्सव मनाने के कदमों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में जनजातीय संग्रहालयों और जन धन, गोवर्धन, वन धन, स्वयं सहायता समूहों, स्वच्छ भारत, पीएम आवास योजना, मातृत्व वंदना योजना, ग्रामीण सड़क योजना, मोबाइल कनेक्टिविटी, एकलव्य स्कूल, वन उत्पादों के लिए 90 प्रतिशत तक एमएसपी, सिकल सेल एनीमिया, जनजातीय अनुसंधान संस्थान, निःशुल्क कोरोना वैक्सीन और मिशन इंद्रधनुष जैसी योजनाओं के संदर्भ में भी अपने विचार व्यक्त किए जिनसे जनजातीय समुदाय को बहुत लाभ मिला है।

प्रधानमंत्री ने आदिवासी समाज की वीरता, सामुदायिक जीवन और समावेश का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि “भारत को इस भव्य विरासत से सीखकर अपने भविष्य को आकार देना है। मुझे विश्वास है कि जनजातीय गौरव दिवस इसके लिए एक अवसर और माध्यम बनेगा।”

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प्रधानमंत्री 20-21 दिसंबर को असम का दौरा करेंगे
December 19, 2025
प्रधानमंत्री असम में लगभग 15,600 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और आधारशिला रखेंगे
प्रधानमंत्री गुवाहाटी में लोकप्रिय गोपीनाथ बरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन करेंगे
लगभग 1.4 लाख वर्ग मीटर में विस्तारित यह नया टर्मिनल भवन प्रति वर्ष 1.3 करोड़ यात्रियों को संभालने की क्षमता रखता है
नए टर्मिनल भवन की प्रेरणा "बांस के उद्यान" विषय के अंतर्गत असम की जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत से ली गई है
प्रधानमंत्री डिब्रूगढ़ के नामरूप में असम वैली फर्टिलाइजर एंड केमिकल कंपनी लिमिटेड की अमोनिया-यूरिया उर्वरक परियोजना के लिए भूमिपूजन करेंगे
इस परियोजना का निर्माण 10,600 करोड़ रुपये से अधिक के अनुमानित निवेश से किया जाएगा और यह असम तथा पड़ोसी राज्यों की उर्वरक आवश्यकताओं को पूरा करने और आयात पर निर्भरता कम करने में सहायता प्रदान करेगी
प्रधानमंत्री गुवाहाटी के बोरागांव स्थित शहीद स्मारक क्षेत्र में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 20-21 दिसंबर को असम की यात्रा पर रहेंगे। 20 दिसंबर को दोपहर लगभग 3 बजे प्रधानमंत्री गुवाहाटी पहुंचकर लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नए टर्मिनल भवन का निरीक्षण और इसका उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर वे एक जनसभा को संबोधित करेंगे।

21 दिसंबर को सुबह लगभग 9:45 बजे, प्रधानमंत्री गुवाहाटी के बोरागांव स्थित शहीद स्मारक क्षेत्र में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद, वे असम के डिब्रूगढ़ जिले के नामरूप जाएंगे, जहां वे असम वैली फर्टिलाइजर एंड केमिकल कंपनी लिमिटेड की अमोनिया-यूरिया परियोजना के लिए भूमि पूजन करेंगे। वे इस अवसर पर एक सभा को संबोधित भी करेंगे।

20 दिसंबर को प्रधानमंत्री गुवाहाटी में लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन करेंगे, यह असम की कनेक्टिविटी, आर्थिक विस्तार और वैश्विक जुड़ाव में एक परिवर्तनकारी उपलब्धि सिद्ध होगा।

लगभग 1.4 लाख वर्ग मीटर में विस्तारित नवनिर्मित एकीकृत नया टर्मिनल भवन, रनवे, एयरफील्ड सिस्टम, एप्रन और टैक्सीवे में किए गए बड़े उन्नयन के समर्थन से, प्रति वर्ष 1.3 करोड़ यात्रियों को संभालने की क्षमता के साथ तैयार किया गया है।

भारत का पहला प्रकृति-विषय से जुड़ा यह हवाई अड्डा टर्मिनल, असम की जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत से प्रेरित है, जिसका विषय "बांस के उद्यान" है। टर्मिनल में पूर्वोत्तर से प्राप्त लगभग 140 मीट्रिक टन बांस का अभूतपूर्व उपयोग किया गया है, जो काजीरंगा से प्रेरित हरे-भरे परिदृश्य, जापी आकृतियां, प्रतिष्ठित गैंडे का प्रतीक और कोपो फूल को प्रतिबिंबित करने वाले 57 बाग-विषय वाले स्तंभों से पूरित है। एक अनूठा "आकाश वन", जिसमें लगभग एक लाख स्थानीय प्रजातियों के पौधे हैं और यह यहां आने वाले यात्रियों को वन जैसा अनुभव प्रदान करता है।

यह टर्मिनल यात्रियों की सुविधा और डिजिटल नवाचार के क्षेत्र में नए मानक स्थापित करता है। तेज़ और सहज सुरक्षा जांच के लिए फुल-बॉडी स्कैनर, डिजियात्रा-सक्षम संपर्क रहित यात्रा, स्वचालित सामान प्रबंधन, त्वरित आव्रजन और एआई-संचालित हवाई अड्डा संचालन जैसी सुविधाएं निर्बाध, सुरक्षित और कुशल यात्रा सुनिश्चित करती हैं।

21 दिसंबर की सुबह नामरूप जाने से पहले, प्रधानमंत्री शहीद स्मारक क्षेत्र का दौरा करेंगे और ऐतिहासिक असम आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। यह छह वर्ष लंबा जन आंदोलन था जिसने विदेशियों से मुक्त असम और राज्य की पहचान की रक्षा के लिए सामूहिक संकल्प को मूर्त रूप दिया।

बाद में दिन में, प्रधानमंत्री असम के डिब्रूगढ़ जिले के नामरूप में ब्रह्मपुत्र घाटी उर्वरक निगम लिमिटेड (बीवीएफसीएल) के वर्तमान परिसर के भीतर स्थित नई ब्राउनफील्ड अमोनिया-यूरिया उर्वरक परियोजना का भूमिपूजन करेंगे।

प्रधानमंत्री के किसान कल्याण के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, 10,600 करोड़ रुपये से अधिक के अनुमानित निवेश वाली यह परियोजना असम और पड़ोसी राज्यों की उर्वरक आवश्यकताओं को पूर्ण करेगी, आयात पर निर्भरता कम करने के साथ-साथ पर्याप्त रोजगार सृजित करेगी और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को गति प्रदान करेगी। यह औद्योगिक पुनरुद्धार और किसान कल्याण की आधारशिला है।