आतंकियों ने मुंबई समेत पूरे देश को थर्रा कर रख दिया था, लेकिन ये भारत का सामर्थ्य है कि हम उस हमले से उबरे और अब पूरे हौसले के साथ आतंक को कुचल भी रहे हैं: पीएम मोदी
26 नवंबर का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। 1949 में आज ही के दिन संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था: पीएम मोदी
जब राष्ट्र निर्माण में 'सबका साथ' होता है, तभी 'सबका विकास' होता है: पीएम मोदी
आज भारत में 140 करोड़ लोग अनेक परिवर्तन ला रहे हैं: मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी
'वोकल फॉर लोकल' की सफलता विकसित भारत के द्वार खोल रही है: पीएम मोदी
यह लगातार दूसरा साल है जब दीपावली पर कैश देकर सामान खरीदने का प्रचलन धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। लोग ज्यादा से ज्यादा डिजिटल पेमेंट कर रहे हैं: पीएम मोदी
10 वर्ष पहले के आंकड़ों से तुलना में अब हमारे पेटेंट को दस गुना अधिक दर पर मंजूरी मिल रही है: पीएम मोदी
21वीं सदी की बहुत बड़ी चुनौतियों में से एक है – ‘जल सुरक्षा’। जल का संरक्षण करना, जीवन को बचाने से कम नहीं हैं : पीएम मोदी

मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार, ‘मन की बात’ में आपका स्वागत है |

लेकिन आज 26 नवंबर हम कभी भी भूल नहीं सकते हैं | आज के ही दिन देश पर सबसे जघन्य आतंकी हमला हुआ था | आतंकियों ने, मुंबई को, पूरे देश को, थर्रा कर रख दिया था | लेकिन ये भारत का सामर्थ्य है कि हम उस हमले से उबरे और अब पूरे हौसले के साथ आतंक को कुचल भी रहे हैं | मुंबई हमले में अपना जीवन गंवाने वाले सभी लोगों को मैं श्रद्धांजलि देता हूँ | इस हमले में हमारे जो जांबांज वीरगति को प्राप्त हुए, देश आज उन्हें याद कर रहा है |

मेरे परिवारजनो, 26 नवंबर का आज का ये दिन एक और वजह से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है | 1949 में आज ही के दिन संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था | मुझे याद है, जब साल 2015 में हम बाबा साहेब आंबेडकर की 125वीं जन्मजयन्ती मना रहे थे, उसी समय ये विचार आया था कि 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के तौर पर मनाया जाए | और तब से हर साल आज के इस दिन को हम संविधान दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं | मैं सभी देशवासियों को संविधान दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ | और हम सब मिलकर के, नागरिकों के कर्तव्य को प्राथमिकता देते हुए, विकसित भारत के संकल्प को जरुर पूरा करेंगे |

साथियो, हम सभी जानते हैं कि संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन का समय लगा था | श्री सच्चिदानंद सिन्हा जी संविधान सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य थे | 60 से ज्यादा देशों के संविधान का अध्ययन और लंबी चर्चा के बाद हमारे संविधान का Draft तैयार हुआ था | Draft तैयार होने के बाद उसे अंतिम रूप देने से पहले उसमें 2 हजार से अधिक संशोधन फिर किए गए थे | 1950 में संविधान लागू होने के बाद भी अब तक कुल 106 बार संविधान संशोधन किया जा चुका है | समय, परिस्थिति, देश की आवश्यकता को देखते हुए अलग-अलग सरकारों ने अलग-अलग समय पर संशोधन किए | लेकिन ये भी दुर्भाग्य रहा कि संविधान का पहला संशोधन, Freedom of Speech और Freedom of Expression के अधिकारों में कटौती करने के लिए हुआ था | वहीँ संविधान के 44 वें संशोधन के माध्यम से, Emergency के दौरान की गई गलतियों को सुधारा गया था |

साथियो, यह भी बहुत प्रेरक है कि संविधान सभा के कुछ सदस्य मनोनीत किए गए थे, जिनमें से 15 महिलाएं थी | ऐसी ही एक सदस्य हंसा मेहता जी ने महिलाओं के अधिकार और न्याय की आवाज बुलंद की थी | उस दौर में भारत उन कुछ देशों में था जहां महिलाओं को संविधान से Voting का अधिकार दिया | राष्ट्र निर्माण में जब सबका साथ होता है, तभी सबका विकास भी हो पाता है | मुझे संतोष है कि संविधान निर्माताओं के उसी दूरदृष्टि का पालन करते हुए, अब भारत की संसद ने ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ को पास किया है | ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ हमारे लोकतंत्र की संकल्प शक्ति का उदाहरण है | ये विकसित भारत के हमारे संकल्प को गति देने के लिए भी उतना ही सहायक होगा |

मेरे परिवारजनों, राष्ट्र निर्माण की कमान जब जनता-जनार्दन संभाल लेती है, तो दुनिया की कोई भी ताकत उस देश को आगे बढ़ने से नहीं रोक पाती | आज भारत में भी स्पष्ट दिख रहा है कि कई परिवर्तनों का नेतृत्व देश की 140 करोड़ जनता ही कर रही है | इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण हमने त्योहारों के इस समय में देखा है | पिछले महीने ‘मन की बात’ में मैंने Vocal For Local यानी स्थानीय उत्पादों को खरीदने पर जोर दिया था | बीते कुछ दिनों के भीतर ही दिवाली, भैया दूज और छठ पर देश में चार लाख करोड़ से ज्यादा का कारोबार हुआ है | और इस दौरान भारत में बने उत्पादों को खरीदने का जबरदस्त उत्साह लोगों में देखा गया | अब तो घर के बच्चे भी दुकान पर कुछ खरीदते समय यह देखने लगे हैं कि उसमें Made In India लिखा है या नहीं लिखा है | इतना ही नहीं Online सामान खरीदते समय अब लोग Country of Origin इसे भी देखना नहीं भूलते हैं |

साथियो, जैसे ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की सफलता ही उसकी प्रेरणा बन रही है वैसे ही Vocal For Local की सफलता, विकसित भारत - समृद्ध भारत के द्वार खोल रही है | Vocal For Local का ये अभियान पूरे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है | Vocal For Local अभियान रोजगार की गारंटी है | यह विकास की गारंटी है, ये देश के संतुलित विकास की गारंटी है | इससे शहरी और ग्रामीण, दोनों को समान अवसर मिलते हैं | इससे स्थानीय उत्पादों में Value Edition का भी मार्ग बनता है, और अगर कभी, वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव आता है, तो Vocal For Local का मंत्र, हमारी अर्थव्यवस्था को संरक्षित भी करता है |

साथियो, भारतीय उत्पादों के प्रति यह भावना केवल त्योहारों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए | अभी शादियों का मौसम भी शुरू हो चुका है | कुछ व्यापार संगठनों का अनुमान है कि शादियों के इस season में करीब 5 लाख करोड़ रुपए का कारोबार हो सकता है | शादियों से जुड़ी खरीदारी में भी आप सभी भारत में बने उत्पादों को ही महत्व दें | और हाँ, जब शादी की बात निकली है, तो एक बात मुझे लम्बे अरसे से कभी-कभी बहुत पीड़ा देती है और मेरे मन की पीड़ा, मैं, मेरे परिवारजनों को नहीं कहूँगा तो किसको कहूँगा ? आप सोचिये, इन दिनों ये जो कुछ परिवारों में विदेशों में जाकर के शादी करने का जो एक नया ही वातावरण बनता जा रहा है | क्या, ये जरूरी है क्या ? भारत की मिट्टी में, भारत के लोगों के बीच, अगर हम शादी ब्याह मनाएं, तो देश का पैसा, देश में रहेगा | देश के लोगों को आपकी शादी में कुछ-न-कुछ सेवा करने का अवसर मिलेगा, छोटे -छोटे गरीब लोग भी अपने बच्चों को आपकी शादी की बातें बताएँगे | क्या आप vocal for local के इस mission को विस्तार दे सकते हैं ? क्यों न हम शादी ब्याह ऐसे समारोह अपने ही देश में करें ? हो सकता है, आपको चाहिए वैसी व्यवस्था आज नहीं होगी लेकिन अगर हम इस प्रकार के आयोजन करेंगे तो व्यवस्थाएं भी विकसित होंगी | ये बहुत बड़े परिवारों से जुड़ा हुआ विषय है | मैं आशा करता हूँ मेरी ये पीड़ा उन बड़े-बड़े परिवारों तक जरूर पहुँचेगी |

मेरे परिवारजनो, त्योहारों के इस मौसम में एक और बड़ा trend देखने को मिला है | ये लगातार दूसरा साल है जब दीपावली के अवसर में cash देकर कुछ सामान खरीदने का प्रचलन धीरे-धीरे-धीरे कम होता जा रहा है | यानी, अब लोग ज्यादा से ज्यादा Digital Payment कर रहे हैं | ये भी बहुत उत्साह बढ़ाने वाला है | आप एक और काम कर सकते हैं | आप तय करिए कि एक महीने तक आप UPI से या किसी Digital माध्यम से ही Payment करेंगे, Cash Payment नहीं करेंगे | भारत में Digital क्रांति की सफलता ने इसे बिल्कुल संभव बना दिया है | और जब एक महीना हो जाए, तो आप मुझे अपने अनुभव, अपनी फोटो जरूर Share करियेगा | मैं अभी से आपको advance में अपनी शुभकामनाएं देता हूँ |

मेरे परिवारजनों, हमारे युवा साथियों ने देश को एक और बड़ी खुशखबरी दी है, जो हम सभी को गौरव से भर देने वाली है | Intelligence, Idea और Innovation - आज भारतीय युवाओं की पहचान है | इसमें Technology के Combination से उनकी Intellectual Properties में निरंतर बढ़ोतरी हो, ये अपने आप में देश के सामर्थ्य को बढ़ाने वाली महत्वपूर्ण प्रगति है | आपको ये जानकर अच्छा लगेगा कि 2022 में भारतीयों के Patent आवेदन में 31 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है | World Intellectual Property Organisation ने एक बड़ी ही दिलचस्प Report जारी की है | ये Report बताती है कि Patent File करने में सबसे आगे रहने वाले Top-10 देशों में भी ऐसा पहले कभी नहीं हुआ | इस शानदार उपलब्धि के लिए मैं अपने युवा साथियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ | मैं अपने युवा-मित्रों को विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि देश हर कदम पर आपके साथ है | सरकार ने जो प्रशासनिक और कानूनी सुधार किये हैं, उसके बाद आज हमारे युवा एक नई ऊर्जा के साथ बड़े पैमाने पर Innovation के काम में जुटे हैं | 10 वर्ष पहले के आंकड़ों से तुलना करें, तो आज, हमारे patent को 10 गुना ज्यादा मंजूरी मिल रही है | हम सभी जानते हैं कि patent से ना सिर्फ देश की Intellectual Property बढ़ती है, बल्कि इससे नए-नए अवसरों के भी द्वार खुलते हैं | इतना ही नहीं, ये हमारे start-ups की ताकत और क्षमता को भी बढ़ाते हैं | आज हमारे स्कूली बच्चों में भी Innovation की भावना को बढ़ावा मिल रहा है | Atal tinkering lab, Atal innovation mission, कॉलेजों में Incubation Centers, start-up India अभियान, ऐसे निरंतर प्रयासों के नतीजे देशवासियों के सामने हैं | ये भी भारत की युवाशक्ति, भारत की innovative power का प्रत्यक्ष उदाहरण है | इसी जोश के साथ आगे चलते हुए ही, हम, विकसित भारत के संकल्प को भी प्राप्त करके दिखाएँगे और इसीलिए मैं बार बार कहता हूँ ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसन्धान’ |

मेरे प्यारे देशवासियो, आपको याद होगा कि कुछ समय पहले ‘मन की बात’ में मैनें भारत में बड़ी संख्या में लगने वाले मेलों की चर्चा की थी | तब एक ऐसी प्रतियोगिता का भी विचार आया था जिसमें लोग मेलों से जुड़ी फोटो साझा करें | संस्कृति मंत्रालय ने इसी को लेकर Mela Moments Contest का आयोजन किया था | आपको ये जानकार अच्छा लगेगा कि इसमें हज़ारों लोगों ने हिस्सा लिया और बहुत लोगों ने पुरस्कार भी जीते | कोलकाता के रहने वाले राजेश धर जी ने “चरक मेला” में गुब्बारे और खिलौने बेचने वाले की अद्भुत फोटो के लिए पुरस्कार जीता | ये मेला ग्रामीण बंगाल में काफी लोकप्रिय है | वाराणसी की होली को showcase करने के लिए अनुपम सिंह जी को Mela portraits का पुरस्कार मिला | अरुण कुमार नलिमेला जी, ‘कुलसाई दशहरा’ से जुड़ा एक आकर्षक पहलू को दिखाने के लिए पुरस्कृत किये गए | वैसे ही, पंढरपुर की भक्ति को दिखाने वाली Photo, सबसे ज्यादा पसंद की गई Photo में शामिल रही, जिसे महाराष्ट्र के ही एक सज्जन श्रीमान् राहुल जी ने भेजा था | इस प्रतियोगिता में बहुत सारी तस्वीरें, मेलों के दौरान मिलने वाले स्थानीय व्यंजनों की भी थी | इसमें पुरलिया के रहने वाले आलोक अविनाश जी की तस्वीर ने पुरस्कार जीता | उन्होंने एक मेले के दौरान बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र के खानपान को दिखाया था | प्रनब बसाक जी की वो तस्वीर भी पुरस्कृत हुई, जिसमें भगोरिया महोत्सव के दौरान महिलाएँ कुल्फी का आनंद ले रही हैं | रूमेला जी ने छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में एक गाँव के मेले में भजिया का स्वाद लेती महिलाओं की photo भेजी थी - इसे भी पुरस्कृत किया गया |

साथियो, ‘मन की बात’ के माध्यम से आज हर गाँव, हर स्कूल, हर पंचायत को, ये आग्रह है कि निरंतर इस तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन करें | आज कल तो social media की इतनी ताकत है, Technology और Mobile घर-घर पहुंचे हुए हैं | आपके लोकल पर्व हों या product, उन्हें आप ऐसा करके भी global बना सकते हैं |

साथियो, गाँव-गाँव में लगने वाले मेलों की तरह ही हमारे यहां विभिन्न नृत्यों की भी अपनी ही विरासत है | झारखण्ड, ओडिशा और बंगाल के जन-जातीय इलाकों में एक बहुत प्रसिद्ध नृत्य है जिसे ‘छऊ’ के नाम से बुलाते हैं | 15 से 17 नवम्बर तक एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना के साथ श्रीनगर में ‘छऊ’ पर्व का आयोजन किया गया | इस कार्यक्रम में सबने ‘छऊ’ नृत्य का आनंद उठाया | श्रीनगर के नौजवानों को ‘छऊ’ नृत्य की training देने के लिए एक workshop का भी आयोजन हुआ | इसी प्रकार, कुछ सप्ताह पहले ही कठुआ जिले में ‘बसोहली उत्सव’ आयोजित किया गया | ये जगह जम्मू से 150 किलोमीटर दूर है | इस उत्सव में स्थानीय कला, लोक नृत्य और पारंपरिक रामलीला का आयोजन हुआ |

साथियो, भारतीय संस्कृति की सुंदरता को सऊदी अरब में भी महसूस किया गया | इसी महीने सऊदी अरब में ‘संस्कृत उत्सव’ नाम का एक आयोजन हुआ | यह अपने आप में बहुत अनूठा था, क्योंकि ये पूरा कार्यक्रम ही संस्कृत में था | संवाद, संगीत, नृत्य सब कुछ संस्कृत में, इसमें, वहाँ के स्थानीय लोगों की भागीदारी भी देखी गयी |

मेरे परिवारजनो, ‘स्वच्छ भारत’ अब तो पूरे देश का प्रिय विषय बन गया है मेरा तो प्रिय विषय है ही है और जैसे ही मुझे इससे जुडी कोई खबर मिलती है, मेरा मन उस तरफ चला ही जाता है, और स्वाभाविक है, फिर तो उसको ‘मन की बात’ में जगह मिल ही जाती है | स्वच्छ भारत अभियान ने साफ-सफाई और सार्वजनिक स्वच्छता को लेकर लोगों की सोच बदल दी है | ये पहल आज राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बन चुकी है, जिसने करोड़ों देशवासियों के जीवन को बेहतर बनाया है | इस अभियान ने अलग-अलग क्षेत्र के लोगों, विशेषकर युवाओं को सामूहिक भागीदारी के लिए भी प्रेरित किया है | ऐसा ही एक सराहनीय प्रयास सूरत में देखने को मिला है | युवाओं की एक टीम ने यहाँ ‘Project Surat’ इसकी शुरुआत की है | इसका लक्ष्य सूरत को एक ऐसा model शहर बनाना है, जो सफाई और sustainable development की बेहतरीन मिसाल बने | ‘Safai Sunday’ के नाम से शुरू हुए इस प्रयास के तहत सूरत के युवा पहले सार्वजानिक जगहों और Dumas Beach की सफाई करते थे | बाद में ये लोग तापी नदी के किनारों की सफाई में भी जी-जान से जुट गए और आपको जान करके खुशी होगी, देखते-ही-देखते इससे जुड़े लोगों की संख्या, 50 हजार से ज्यादा हो गई है | लोगों से मिले समर्थन से टीम का आत्मविश्वास बढ़ा, जिसके बाद उन्होंने कचरा इकट्ठा करने का काम भी शुरू किया | आपको जानकर हैरानी होगी कि इस टीम ने लाखों किलो कचरा हटाया है | जमीनी स्तर पर किए गए ऐसे प्रयास, बहुत बड़े बदलाव लाने वाले होते हैं |

साथियो, गुजरात से ही एक और जानकारी आई है | कुछ सप्ताह पहले वहां अंबाजी में ‘भादरवी पूनम मेले’ का आयोजन किया गया था इस मेले में 50 लाख से ज्यादा लोग आए | ये मेला प्रतिवर्ष होता है | इसकी सबसे ख़ास बात ये रही कि मेले में आये लोगों ने गब्बर हिल के एक बड़े हिस्से में सफाई अभियान चलाया | मंदिरों के आसपास के पूरे क्षेत्र को स्वच्छ रखने का ये अभियान बहुत प्रेरणादायी है |

साथियो, मैं हमेशा कहता हूँ कि स्वच्छता कोई एक दिन या एक सप्ताह का अभियान नहीं है बल्कि ये तो जीवन में उतारने वाला काम है | हम अपने आसपास ऐसे लोग देखते भी हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन, स्वच्छता से जुड़े विषयों पर ही लगा दिया | तमिलनाडु के कोयम्बटूर में रहने वाले लोगानाथन जी भी बेमिसाल हैं | बचपन में गरीब बच्चों के फटे कपड़ों को देखकर वे अक्सर परेशान हो जाते थे | इसके बाद उन्होंने ऐसे बच्चों की मदद का प्रण लिया और अपनी कमाई का एक हिस्सा इन्हें दान देना शुरू कर दिया | जब पैसे की कमी पड़ी तो लोगानाथन जी ने Toilets तक साफ़ किये ताकि जरूरतमंद बच्चों की मदद हो सके | वे पिछले 25 सालों से पूरी तरह समर्पित भाव से अपने इस काम में जुटे हैं और अब तक 1500 से अधिक बच्चों की मदद कर चुके हैं | मैं एक बार फिर ऐसे प्रयासों की सराहना करता हूँ | देशभर में हो रहे इस तरह के अनेकों प्रयास ना सिर्फ हमें प्रेरणा देते हैं बल्कि कुछ नया कर गुजरने की इच्छाशक्ति भी जगाते हैं |

मेरे परिवारजनों, 21वीं सदी की बहुत बड़ी चुनौतियों में से एक है – ‘जल सुरक्षा’ | जल का संरक्षण करना, जीवन को बचाने से कम नहीं हैं | जब हम सामूहिकता की इस भावना से कोई काम करते हैं तो सफलता भी मिलती है | इसका एक उदाहरण देश के हर जिले में बन रहे ‘अमृत सरोवर’ भी है | ‘अमृत महोत्सव’ के दौरान भारत ने जो 65 हजार से ज्यादा ‘अमृत सरोवर’ बनाए हैं, वो आने वाली पीढ़ियों को लाभ देंगे | अब हमारा ये भी दायित्व है कि जहां-जहां ‘अमृत सरोवर’ बने हैं, उनकी निरंतर देखभाल हो, वो जल संरक्षण के प्रमुख स्त्रोत बने रहें |

साथियो, जल संरक्षण की ऐसी ही चर्चाओं के बीच मुझे गुजरात के अमरेली में हुए ‘जल उत्सव’ का भी पता चला | गुजरात में बारहमास बहने वाली नदियों का भी अभाव है, इसलिए लोगों को ज्यादातर बारिश के पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता है | पिछले 20-25 साल में सरकार और सामाजिक संगठनों के प्रयास के बाद वहां की स्थिति में बदलाव जरूर आया है | और इसलिए वहां ‘जल उत्सव’ की बड़ी भूमिका है | अमरेली में हुए ‘जल उत्सव’ के दौरान ‘जल सरंक्षण’ और झीलों के संरक्षण को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाई गयी | इसमें Water Sports को भी बढ़ावा दिया गया, Water Security के जानकारों के साथ मंथन भी किया गया | कार्यक्रम में शामिल लोगों को तिरंगे वाला Water fountain बहुत पसंद आया | इस जल उत्सव का आयोजन सूरत के Diamond Business में नाम कमाने वाले सावजी भाई ढोलकिया के foundation ने किया | मैं इस शामिल प्रत्येक व्यक्ति को बधाई देता हूँ, जल संरक्षण के लिए ऐसे ही काम करने की शुभकामनाएँ देता हूँ |

मेरे परिवारजनों, आज दुनिया भर में skill development के महत्व को स्वीकार्यता मिल रही है | जब हम किसी को कोई Skill सिखाते हैं, तो उसे सिर्फ हुनर ही नहीं देते बल्कि उसे आय का एक जरिया भी देते हैं | और जब मुझे पता चला एक संस्था पिछले चार दशक से Skill Development के काम में जुटी है, तो मुझे और भी अच्छा लगा | ये संस्था, आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में है और इसका नाम ‘बेल्जिपुरम Youth club’ है | Skill development पर focus कर ‘बेल्जिपुरम Youth club’ ने करीब 7000 महिलाओं को सशक्त बनाया है | इनमें से अधिकांश महिलाएं आज अपने दम पर अपना कुछ काम कर रही हैं | इस संस्था ने बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को भी कोई ना कोई हुनर सिखाकर उन्हें उस दुष्चक्र से बाहर निकालने में मदद की है | ‘बेल्जिपुरम Youth club’ की टीम ने किसान उत्पाद संघ यानि FPOs से जुड़े किसानों को भी नई Skill सिखाई जिससे बड़ी संख्या में किसान सशक्त हुए हैं | स्वच्छता को लेकर भी ये Youth club गांव–गांव में जागरूकता फैला रहा है | इसने अनेक शौचालयों का निर्माण की भी मदद की है | मैं Skill development के लिए इस संस्था से जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ उनकी सराहना करता हूँ | आज, देश के गाँव-गाँव में Skill development के लिए ऐसे ही सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है |

साथियो, जब किसी एक लक्ष्य के लिए सामूहिक प्रयास होता है तो सफलता की ऊंचाई भी और ज्यादा हो जाती है | मैं आप सभी से लद्दाख का एक प्रेरक उदाहरण साझा करना चाहता हूँ | आपने पश्मीना शाल के बारे में तो जरुर सुना होगा | पिछले कुछ समय से लद्दाखी पश्मीना की भी बहुत चर्चा हो रही है | लद्दाखी पश्मीना Looms of Laddakh के नाम से दुनियाभर के बाजारों में पहुँच रहा है | आप ये जानकार हैरान रह जाएंगे कि इसे तैयार करने में 15 गाँवों की 450 से अधिक महिलाएं शामिल हैं | पहले वे अपने उत्पाद वहां आने वाले पर्यटकों को ही बेचती थीं | लेकिन अब Digital भारत के इस दौर में उनकी बनाई चीजें, देश-दुनिया के अलग-अलग बाजारों में पहुँचने लगी हैं | यानि हमारा local अब global हो रहा है और इससे इन महिलाओं की कमाई भी बढ़ी है |

साथियो, नारी-शक्ति की ऐसी सफलताएं देश के कोने-कोने में मौजूद हैं | जरुरत ऐसी बातों को ज्यादा से ज्यादा सामने लाने की है | और ये बताने के लिए ‘मन की बात’ से बेहतर और क्या होगा ? तो आप भी ऐसे उदाहरणों को मेरे साथ ज्यादा से ज्यादा share करें | मैं भी पूरा प्रयास करूंगा कि उन्हें आपके बीच ला सकूँ |

मेरे परिवारजनों, ‘मन की बात’ में हम ऐसे सामूहिक प्रयासों की चर्चा करते रहे हैं, जिनसे समाज में बड़े-बड़े बदलाव आए हैं | ‘मन की बात’ की एक और उपलब्धि ये भी है कि इसने घर-घर में रेडियो को और अधिक लोकप्रिय बना दिया है | MyGOV पर मुझे उत्तर प्रदेश में अमरोहा के राम सिंह बौद्ध जी का एक पत्र मिला है | राम सिंह जी पिछले कई दशकों से रेडियो संग्रह करने के काम में जुटे हैं | उनका कहना है कि ‘मन की बात’ के बाद से, उनके Radio Museum के प्रति लोगों की उत्सुकता और बढ़ गई है | ऐसे ही ‘मन की बात’ से प्रेरित होकर अहमदाबाद के पास तीर्थधाम प्रेरणा तीर्थ ने एक दिलचस्प प्रदर्शनी लगाई है | इसमें देश-विदेश के 100 से ज्यादा Antique radio रखे गए हैं | यहाँ ‘मन की बात’ के अब तक के सारे Episodes को सुना जा सकता है | कई और उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि कैसे लोगों ने ‘मन की बात’ से प्रेरित होकर अपना खुद का काम शुरू किया | ऐसा ही एक उदाहरण कर्नाटक के चामराजनगर की वर्षा जी का है, जिन्हें ‘मन की बात’ ने अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रेरित किया | इस कार्यक्रम के एक Episode से प्रेरित होकर उन्होंने केले से जैविक खाद बनाने का काम शुरू किया | प्रकृति से बहुत लगाव रखने वाली वर्षा जी की ये पहल, दूसरे लोगों के लिए भी रोज़गार के मौके लेकर आई है |

मेरे परिवारजनों, कल 27 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा का पर्व है | इसी दिन ‘देव दीपावली’ भी मनाई जाती है | और मेरा तो मन रहता है कि मैं काशी की ‘देव दीपावली’ जरुर देखूं | इस बार मैं काशी तो नहीं जा पा रहा हूँ लेकिन ‘मन की बात’ के माध्यम से बनारस के लोगों को अपनी शुभकामनाएं जरूर भेज रहा हूँ | इस बार भी काशी के घाटों पर लाखों दिये जलाये जाएंगे, भव्य आरती होगी, Laser Show होगा, लाखों की संख्या में देश-विदेश से आए लोग ‘देव दीपावली’ का आनंद लेंगे |

साथियो, कल, पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक देव जी का भी प्रकाश पर्व है | गुरु नानक जी के अनमोल संदेश भारत ही नहीं, दुनिया भर के लिए आज भी प्रेरक और प्रासंगिक हैं | ये हमें सादगी, सद्भाव और दूसरों के प्रति समर्पित होने के लिए प्रेरित करते हैं | गुरु नानक देव जी ने सेवा भावना, सेवा कार्यों की जो सीख दी, उसका पालन, हमारे सिख भाई-बहन, पूरे विश्व में करते नज़र आते हैं| मैं ‘मन की बात’ के सभी श्रोताओं को गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनायें देता हूँ |

मेरे परिवारजनों, ‘मन की बात’ में इस बार मेरे साथ इतना ही | देखते ही देखते 2023 समाप्ति की तरफ बढ़ रहा है | और हर बार की तरह हम-आप ये भी सोच रहे हैं कि अरे...इतनी जल्दी ये साल बीत गया | लेकिन ये भी सच है कि ये साल भारत के लिए असीम उपलब्धियों वाला साल रहा है, और भारत की उपलब्धियां, हर भारतीय की उपलब्धि है | मुझे ख़ुशी है कि ‘मन की बात’, भारतीयों की ऐसे उपलब्धियों को सामने लाने का एक सशक्त माध्यम बना है | अगली बार देशवासियों की ढ़ेर सारी सफलताओं पर फिर आपसे बात होगी | तब तक के लिए मुझे विदा दीजिए | बहुत-बहुत धन्यवाद | नमस्कार |

 

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भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है: पीएम मोदी
December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।