प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी कल यानी 28 जनवरी, 2020 को रिमोट वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए गांधीनगर, गुजरात में तीसरे विश्‍व आलू सम्‍मेलन को संबोधित करेंगे।

प्रधानमंत्री द्वारा आलू अनुसंधान, व्‍यापार और उद्योग, तथा मूल्‍य श्रृंखला प्रबंधन के क्षेत्र में संपूर्ण उपलब्धियों और अवसरों की समीक्षा करने की उम्‍मीद है और वे दशक के लिए एक रोडमैप तय करेंगे।

वर्तमान सम्‍मेलन इस श्रृंखला का तीसरा सम्‍मेलन है। प्रत्‍येक 10 वर्ष के अंतराल में यह आवश्‍यक है कि आलू के क्षेत्र में उपलब्धियों की जानकारी ली जाए और आने वाले दशक के लिए एक रोडमैप तय किया जाए। पिछले दो दशकों में 1999 और 2008 के दौरान 10 विश्‍व आलू सम्‍मेलनों का आयोजन किया जा चुका है।

यह सम्‍मेलन सभी साझेदारों को एक साझा मंच प्रदान करने के लिए अवसर प्रदान करेगा, ताकि आलू क्षेत्र से जुड़े प्रत्‍येक व्‍यक्ति को शामिल कर सभी मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा सके और भविष्‍य की योजना तय की जा सके। आलू अनुसंधान में अग्रिम जानकारी रखने वालों और नवोन्‍मेष करने वाले देश के विभिन्‍न साझेदारों को बाहर लाने का यह एक अनोखा अवसर है।

गुजरात देश में आलू का एक प्रमुख उत्‍पादक है। भारत में आलू के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में 19 प्रतिशत वृद्धि हुई है, अकेले पिछले 11 वर्षों में गुजरात में करीब 170 प्रतिशत क्षेत्र बढ़ा है (2006-07 में 49.7 हजार हेक्‍टेयर से 2017-18 में 133 हजार हेक्‍टेयर) 30 टन/हेक्‍टेयर से अधिक उत्‍पादकता के साथ गुजरात ने पिछले एक दशक से भारत में पहला स्‍थान बना रखा है। यह राज्‍य खेती के लिए आधुनिक तरीकों जैसे पानी का छिडकाव करने वाले और ड्रीप सिंचाई यंत्रों का इस्‍तेमाल करता है।

राज्‍य में सर्वश्रेष्‍ठ शीत भंडारण सुविधाएं और लिंकेज हैं और यह देश में प्रमुख आलू प्रसंस्‍करण उद्योगों का एक केन्‍द्र है।

इसके अलावा आलू का अधिकतर निर्यात गुजरात आधारित है। इससे यह राज्‍य देश में प्रमुख आलू केन्‍द्र के रूप में उभरा है। इसी को देखते हुए तीसरा विश्‍व आलू सम्‍मेलन गुजरात में हो रहा है।

सम्‍मेलन का आयोजन भारतीय आलू एसोसिएशन (आईपीए) ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्‍ली और आईसीएआर-केन्‍द्र आलू अनुसंधान संस्‍थान, शिमला और अंतर्राष्‍ट्रीय आलू केन्‍द्र (सीआईपी), लीमा, पेरू के सहयोग से किया है।

इस कार्यक्रम के तीन प्रमुख हिस्‍से हैं– (i) आलू सम्‍मेलन (ii) कृषि निर्यात और (iii) आलू की खेती का दिन।

आलू सम्‍मेलन तीन दिन तक चलेगा। इसके 10 विषय होंगे। 10 में से 8 विषय वस्‍तुएं व्‍यावहारिक और प्रायोगिक अनुसंधान पर आधारित होगी। शेष दो विषय वस्‍तुओं में आलू व्‍यापार, मूल्‍य श्रृंखला प्रबंधन और नीतिगत वस्‍तुओं पर विशेष जोर दिया जाएगा।

एग्रीएक्‍सपो का आयोजन 28 से 30 जनवरी, 2020 के दौरान किया जाएगा। इसमें आलू आधारित उद्योगों और व्‍यापार की स्थिति, प्रसंस्‍करण, बीज वाले आलू का उत्‍पादन, जैव प्रौद्योगिकी, प्रौद्योगिकी हस्‍तांतरण में सार्वजनिक-निजी भागीदारी तथा किसान संबंधी उत्‍पादों को प्रदर्शित किया जाएगा।

आलू की खेती के दिन का आयोजन 31 जनवरी, 2020 को किया जाएगा। इसमें आलू के मशीनीकरण की दिशा में बढ़ने, आलू की किस्‍मों और नवीनतम प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन शामिल है।

इसमें जो प्रमुख मुद्द उठेंगे, उनमें पौधा रोपण सामग्री, आपूर्ति श्रृंखलाओं की कमी, खेती के बाद होने वाले नुकसान, प्रसंस्‍करण को बढ़ाने की आवश्‍यकता, निर्यात और विविध उपयोग तथा आवश्‍यक नीतिगत सहायता – यानी लम्‍बी दूरी के परिवहन और निर्यात संवर्धन के लिए उत्‍पादन तथा प्रमाणित बीजों का इस्‍तेमाल शामिल है।

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प्रधानमंत्री ने दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में शामिल किए जाने का स्वागत किया
December 10, 2025
दीपावली हमारी संस्कृति और लोकाचार से बहुत गहराई से जुड़ी है, यह हमारी सभ्यता की आत्मा है और प्रकाश एवं धार्मिकता का प्रतीक है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दीपावली को आज यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में शामिल किये जाने पर प्रसन्नता और गर्व व्यक्त किया।

यूनेस्को के हैंडल एक्स पर एक पोस्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्री मोदी ने कहा:

‘‘भारत और दुनिया भर के लोग रोमांचित हैं।

हमारे लिए, दीपावली हमारी संस्कृति और लोकाचार से बहुत गहराई से जुड़ी हुई है। यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। यह प्रकाश और धार्मिकता का प्रतीक है। दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में शामिल करने से इस पर्व की वैश्विक लोकप्रियता और भी बढ़ेगी।

प्रभु श्री राम के आदर्श हमारा शाश्वत रूप से मार्गदर्शन करते रहें।

@UNESCO”