प्रधानमंत्री को सेरावीक ग्लोबल एनर्जी और एंवायरमेंट लीडरशिप पुरस्कार से सम्मानित किया गया
प्रधानमंत्री ने इस पुरस्कार को भारत की परंपरा और लोगों को समर्पित किया
महात्मा गांधी पर्यावरण की चिंता करने वाले दुनिया के सबसे महान व्यक्ति थेः प्रधानमंत्री
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जंग में सबसे मज़बूत रास्ता लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना हैः प्रधानमंत्री
अब तार्किक शक्ति और पारिस्थितिकी को ध्यान में रखकर सोचने का समय आ गया है यह मेरे या आपके लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण पृथ्वी के बेहतर भविष्य के लिए ज़रूरी हैः प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को सेरावीक-2021 में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्य भाषण दिया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री को सेरावीक ग्लोबल एनर्जी और एंवायरमेंट लीडरशिप पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि, “मैं बहुत ही विनम्रता और सम्मान के साथ इस सेरावीक ग्लोबल एनर्जी और एंवायरमेंट पुरस्कार को स्वीकार करता हूं। मैं इस पुरस्कार को हमारी महान भारत माता के लोगों को समर्पित करता हूं। मैं इस पुरस्कार को हमारी मातृभूमि की गौरवशाली परंपरा को समर्पित करता हूं, जिसने हमें पर्यावरण की देखभाल और संरक्षण का रास्ता दिखाया है।” उन्होंने आगे कहा कि पर्यावरण संरक्षण और देखभाल के मामले में भारत के लोगों ने सदियों से पूरी दुनिया का नेतृत्व किया है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में प्रकृति और पूजा-पाठ का आपस में गहरा संबंध है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी पर्यावरण की चिंता करने वाले दुनिया के सबसे महान व्यक्ति रहे हैं। अगर हम उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलते, तो आज जिन चुनौतियों और परेशानियों का सामना हमें करना पड़ रहा है, उनका सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने लोगों से महात्मा गांधी के गृहनगर पोरबंदर की यात्रा करने का आग्रह किया। पोरबंदर वही जगह है, जहां वर्षा के जल का संचयन करने के लिए सालों पहले ही ज़मीन के अंदर पानी के टैंकों को निर्माण कर दिया गया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और आपदाओं से निपटने के केवल दो ही रास्ते हैं। एक नीतियों, कानूनों, नियमों और आदेशों के माध्यम से। प्रधानमंत्री ने इस संबंध में उदाहरण भी दिया। उन्होंने बताया भारत की वर्तमान बिजली क्षमता में गैर-जीवाश्म स्रोतों का हिस्सा 38 प्रतिशत तक बढ़ गया है। भारत ने अप्रैल 2020 से भारत-6 उत्सर्जन मानदंड को अपनाया है, जो यूरो - 6 ईंधन के बराबर हैं। भारत वर्ष 2030 तक प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने की दिशा में काम कर रहा है। एलएनजी को भी ईंधन के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने हाल ही में शुरू किए गए राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन और पीएम कुसुम योजना का भी उल्लेख किया, जो सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक न्यायसंगत और विकेंद्रीकृत मॉडल को बढ़ावा देता है। श्री मोदी ने कहा कि उपर्युक्त नियम और योजनाओं के अलावा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जो सबसे मज़बूर रास्ता है, वो है लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना। उन्होंने अपने व्यवहार में बदलाव लाने का आह्वान किया, ताकि ये दुनिया हमारे जीवन जीने के लिए एक बेहतर स्थान बन सके। उन्होंने कहा कि लोगों के व्यवहार में परिवर्तन की यह भावना पारंपरिक स्तर पर हमारी आदतों का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो हमें दान और करुणा की भावना के साथ प्रकृति का उपयोग करना सिखाती है। एक नासमझ और नादान संस्कृति कभी भी हमारे लोकाचार और जीवनशैली का हिस्सा नहीं रही है। उन्होंने भारतीय किसानों पर गर्व महसूस करते हुए कहा कि, हमारे किसान लगातार सिंचाई की आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मृदा स्वास्थ्य में सुधार और कीटनाशकों के उपयोग को कम करने के बारे में किसानों के बीच जागरूकता बढ़ रही है।

प्रधानमंत्री ने विशेषरूप से कहा कि आज दुनिया फिटनेस और वेलनेस पर ध्यान दे रही है। आज स्वस्थ और जैविक खाद्य पदार्थों की मांग लगातार बढ़ रही है। भारत अपने मसालों और आयुर्वेदिक उत्पादों के जरिए, दुनियाभर में हो रहे इन बदलावों का नेतृत्व कर इसका फायदा उठा सकता है। उन्होंने घोषणा करते हुए बताया कि सरकार देश में ईको-फ्रेंडली परिवहन व्यवस्था उपलब्ध कराने की दिशा में 27 नगर और शहरों में मेट्रो नेटवर्क पहुंचाने पर काम कर रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें बड़े पैमाने पर लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए, ऐसे समाधानों पर काम करने की ज़रूरत है, जो अभिनव और सस्ते होने के साथ-साथ लोगों की भागीदारी से संचालित होते हैं। इस संदर्भ में उन्होंने एलईडी बल्ब को बड़े पैमाने पर लोगों द्वारा अपनाया जाना, गिव इट अप मूवमेंट, एलपीजी के कवरेज में विस्तार, सस्ती परिवहन व्यवस्था उपलब्ध कराने की दिशा में उठाए गए कदम जैसे उदाहरणों की चर्चा की। उन्होंने पूरे भारत में इथेनॉल की बढ़ती स्वीकार्यता पर खुशी व्यक्त की।

प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि पिछले 7 वर्षों में, भारत के वन क्षेत्र में काफी वृद्धि हुई है। यहां शेरों, बाघों, तेंदुओं और पानी में रहने वाले पक्षियों की आबादी भी बढ़ी है। उन्होंने इसे व्यवहार परिवर्तन की दिशा में सकारात्मक संकेत का एक उदाहरण बताया।

श्री मोदी ने महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत के बारे में भी बात की। ट्रस्टीशिप के मूल में सामूहिकता, करुणा और ज़िम्मेदारी का भाव निहित है। ट्रस्टीशिप का मतलब उपलब्ध संसाधनों का ज़िम्मेदारी के साथ उपयोग करना भी है।

श्री मोदी ने अपनी बात को समाप्त करते हुए कहा कि, “तार्किक शक्ति और पारिस्थितिकी को ध्यान में रखकर सोचने का समय आ गया है। यह मेरे या आपके लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण पृथ्वी के बेहतर भविष्य के लिए ज़रूरी है।”

 

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प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के स्थापना दिवस पर इसके बहादुर कर्मियों को सलाम किया
January 19, 2025

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के बहादुर कर्मियों के साहस, समर्पण और निस्वार्थ सेवा की सराहना करते हुए आज बल के स्थापना दिवस के अवसर पर उन्हें शुभकामनाएं दीं।

उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा:

‘‘राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के स्थापना दिवस के इस विशेष अवसर पर, हम उन बहादुर कर्मियों के साहस, समर्पण और निस्वार्थ सेवा को सलाम करते हैं, जो विपत्ति के समय में एक ढाल की तरह काम करते हैं। जीवन बचाने, आपदाओं से निपटने और आपात स्थितियों के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता वास्तव में सराहनीय है। एनडीआरएफ ने आपदा मोचन और प्रबंधन में वैश्विक मानक भी स्थापित किए हैं।

@एनडीआरएफएचक्यू”