2450 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया
लगभग 1950 करोड़ रुपये की पीएमएवाई (ग्रामीण और शहरी) परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया
लगभग 19,000 घरों के गृह प्रवेश में हिस्सा लिया और लाभार्थियों को उनके घरों की चाबियां सौंपी
“प्रधानमंत्री-आवास योजना ने आवास क्षेत्र को रूपांतरित दिया है। इससे विशेष रूप से गरीब और मध्यम वर्ग को लाभ हुआ है”
“गुजरात की डबल इंजन सरकार दोगुनी गति से काम कर रही है”
"हमारे लिए देश का विकास, एक दृढ़ विश्वास और एक प्रतिबद्धता है"
"धर्मनिरपेक्षता का सही अर्थ किसी तरह के भेदभाव का न होना है"
"हमने आवास को गरीबी के खिलाफ संघर्ष का एक मजबूत आधार, गरीबों के सशक्तिकरण और सम्मान का एक उपकरण बनाया है"
"पीएमएवाई आवास कई योजनाओं का एक पैकेज है"
"आज हम शहरी नियोजन में जीवन जीने में सुगमता और जीवन की गुणवत्ता पर समान रूप से जोर दे रहे हैं"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात के गांधीनगर में लगभग 4400 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। इनमें शहरी विकास विभाग, जल आपूर्ति विभाग, सड़क व परिवहन विभाग और खान व खनिज विभाग से संबंधित 2,450 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन शामिल है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने लगभग 1950 करोड़ रुपये की पीएम- आवास योजना (ग्रामीण और शहरी) परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया साथ ही, इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने योजना के लाभार्थियों को चाबियां सौंपकर योजना के तहत निर्मित लगभग 19,000 घरों के गृह प्रवेश में हिस्सा लिया। वहीं, उन्होंने वीडियो लिंक के जरिए लाभार्थियों से बातचीत भी की।

 

इस अवसर पर उन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया और लाभार्थियों को बधाई दी। उन्होंने बताया कि उनके लिए राष्ट्र निर्माण निरंतर चलने वाला एक 'महायज्ञ' है। उन्होंने हालिया चुनाव के बाद सत्तारूढ़ सरकार के अधीन गुजरात में विकास की गति पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने हाल ही में 3 लाख करोड़ के गरीब समर्थक गुजरात के बजट का उल्लेख किया। उन्होंने 'वंचितों को प्राथमिकता देने’ की भावना को आगे बढ़ाने के लिए राज्य की सराहना की।

प्रधानमंत्री ने राज्य में 25 लाख आयुष्मान कार्ड, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना से 2 लाख माताओं को सहायता, 4 नए मेडिकल कॉलेज और आधुनिक बुनियादी ढांचे के लिए हजारों करोड़ रुपये के कार्यों जैसी कुछ हालिया पहलों का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे पता चलता है कि गुजरात की डबल इंजन सरकार दोगुनी गति से काम कर रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 9 वर्षों में लोगों ने अभूतपूर्व विकास को देखा है। उन्होंने उस समय को याद किया जब नागरिकों के लिए बुनियादी सुविधाएं भी दुर्लभ थीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश उस निराशा से बाहर आ रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि हर व्यक्ति तक योजनाओं का सौ फीसदी लाभ पहुंचाया जा सके। प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारे लिए, देश का विकास एक दृढ़ विश्वास और एक प्रतिबद्धता है।" उन्होंने आगे रेखांकित किया कि सरकार सभी सरकारी योजनाओं की संतृप्ति के लिए प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के इस दृष्टिकोण ने भ्रष्टाचार और भेदभाव को समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा, "धर्मनिरपेक्षता का सही अर्थ किसी भी तरह का भेदभाव न होने से है।" उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय तब होता है, जब सरकार समाज में सभी के लाभ के लिए काम करती है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष लगभग 32,000 घरों का निर्माण पूरा करने के साथ लाभार्थियों को सौंप दिया गया है। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि गरीबों के आत्मविश्वास में काफी बढ़ोतरी होती है, जब वे जीवन की बुनियादी जरूरतों के बारे में कम से कम चिंतित होते हैं।

उन्होंने कहा, “देश विफल नीतियों के रास्ते पर आगे बढ़ कर अपना भाग्य नहीं बदल सकता और एक विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता” उन्होंने आगे मौजूदा सरकार और पिछली सरकारों की कार्य संस्कृति के बीच अंतर को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने पिछले दशक के आंकड़ों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पहले से नीतियां होने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 75 फीसदी घरों में शौचालय की सुविधा नहीं थी। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि साल 2014 के बाद सरकार ने केवल गरीबों को छत प्रदान करने तक ही खुद को सीमित नहीं किया बल्कि, आवासों को गरीबी से निपटने का आधार और उनकी गरिमा को सुदृढ़ करने का माध्यम बना दिया। प्रधानमंत्री ने इस योजना के तहत निर्मित आवासों की जियोटैगिंग का उल्लेख किया उन्होंने कहा, "पीएमएवाई के तहत लाभार्थियों को अपने घरों के निर्माण का अधिकार दिया गया है, जहां सरकार वित्तीय सहायता को सीधे उनके बैंक खातों में स्थानांतरित करती है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएमएवाई के तहत निर्माणाधीन आवास कई योजनाओं का पैकेज है। उन्होंने कहा कि इसमें स्वच्छ भारत अभियान के तहत एक शौचालय, सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन, उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त एलपीजी कनेक्शन, जल जीवन मिशन के तहत नल कनेक्शन शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि इन चीजों के अलावा नि:शुल्क उपचार और राशन भी गरीबों के लिए सुरक्षा कवच का काम कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने पीएमएवाई के तहत महिला सशक्तिकरण का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि पिछले 9 साल में लगभग 4 करोड़ घर गरीब परिवारों को सौंपे गए हैं। इनमें से 70 फीसदी महिलाओं के नाम दर्ज हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएमएवाई के तहत घरों के निर्माण की लागत कई लाख होती है, इसे देखते हुए करोड़ों महिला लाभार्थी अब लखपति बन गई हैं। इन करोड़ों महिलाओं के पास पहली बार कोई संपत्ति है। उन्होंने लखपति दीदियों को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार भविष्य की चुनौतियों और देश में बढ़ते शहरीकरण को ध्यान में रखकर काम कर रही है। उन्होंने उल्लेख किया कि राजकोट में एक हजार से अधिक घरों का निर्माण आधुनिक तकनीक का उपयोग करके किया गया है, जिसमें समय व पैसा कम लगता है और वे समान रूप से सुरक्षित हैं। उन्होंने बताया कि लाइट हाउस परियोजना के तहत यह प्रयोग देश के 6 शहरों में किया गया है, जहां तकनीक से सस्ते और आधुनिक घर बनाने में सहायता मिली है। इसके अलावा उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि आने वाले समय में ऐसे आवास गरीबों को भी उपलब्ध होने वाले हैं।

प्रधानमंत्री ने रियल एस्टेट क्षेत्र में गलत गतिविधियों और धोखाधड़ी को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी विस्तार से बताया, जिसके कारण गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए बहुत मुश्किलें उत्पन्न हुई थीं। रेरा अधिनियम ने मध्यमवर्गीय परिवारों को घर खरीदते समय वादा की गई सुविधाएं प्राप्त करने के लिए कानूनी सुरक्षा प्रदान की है। इसके अलावा उन्होंने मध्यमवर्गीय परिवारों की ओर से आवास ऋण लेने को लेकर अभूतपूर्व बजट सब्सिडी की भी जानकारी दी। इसके तहत गुजरात में 5 लाख परिवारों को 11,000 करोड़ की सहायता प्राप्त हुई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत काल के 25 वर्षों के दौरान विशेष रूप से टियर-2 और टियर-3 शहर अर्थव्यवस्था को गति देंगे। उन्होंने बताया कि गुजरात के कई शहरों में भविष्य की जरूरतों के हिसाब से प्रणालियों को अपग्रेड किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अमृत मिशन के तहत देश के 500 शहरों में पहले से अधिक बुनियादी सुविधाएं दी रही हैं और 100 शहरों को स्मार्ट सुविधाएं मिल रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, "आज हम शहरी नियोजन में जीवन जीने की सुगमता और जीवन की गुणवत्ता पर समान रूप से जोर दे रहे हैं।" उन्होंने आगे रेखांकित किया कि देश में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार इस सोच के साथ किया जा रहा है कि लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाने में ज्यादा समय न देना पड़े। प्रधानमंत्री ने बताया कि देश के 20 शहरों में मेट्रो संचालित हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि देश में मेट्रो नेटवर्क साल 2014 से पहले के 250 किलोमीटर से पिछले 9 वर्षों में 600 किलोमीटर पहुंच गया। प्रधानमंत्री ने कहा, “अहमदाबाद- गांधीनगर जैसे जुड़वां शहर भी आज वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों से आपस में जुड़ रहे हैं और गुजरात के कई शहरों में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या भी बढ़ रही है।”

नगरपालिकाओं में उत्पन्न होने वाले कई टन कचरे को लेकर गंभीरता की कमी पर प्रधानमंत्री ने बताया कि देश में अपशिष्ट प्रसंस्करण 2014 के 14-15 फीसदी से बढ़कर आज 75 फीसदी हो गया है। श्री मोदी ने कहा, “अगर ऐसा पहले होता तो आज हमारे शहरों में कूड़े के पहाड़ खड़े नहीं होते।” उन्होंने आगे बताया कि यह सरकार हमारे शहरों में कचरे के ढेर को समाप्त करने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, "हमारे शहरों में जीवन की गुणवत्ता तभी संभव है, जब हमें स्वच्छ वातावरण और शुद्ध हवा मिले।"

प्रधानमंत्री ने गुजरात के जल प्रबंधन और जलापूर्ति मॉडल की सराहना की। उन्होंने 15 हजार गांवों और 250 शहरी क्षेत्रों में जल पहुंचाने वाली 3,000 किलोमीटर लंबी मुख्य लाइनों और 1.25 लाख किलोमीटर वितरण लाइनों का उल्लेख किया। उन्होंने गुजरात में अमृत सरोवर को लेकर लोगों के उत्साह की प्रशंसा की।

अपने संबोधन के समापन में प्रधानमंत्री ने सभी से विकास की इस गति को बनाए रखने का अनुरोध किया। श्री मोदी ने अंत में कहा, "सबका प्रयास से अमृत काल के हमारे संकल्प पूरे होंगे।"

इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल, सांसद श्री सी आर पाटिल और गुजरात सरकार के अन्य मंत्री भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने आज जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया, उनमें बनासकांठा जिले में बहु-ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाओं का संवर्द्धन, अहमदाबाद में एक नदी ओवरब्रिज, नरोदा जीआईडीसी में जल निकासी संग्रह नेटवर्क, मेहसाणा व अहमदाबाद में अपशिष्ट उपचार संयंत्र और दहेगाम में एक सभागार आदि शामिल हैं। वहीं, जिन परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया, उनमें जूनागढ़ जिले में विस्तृत पाइपलाइन परियोजनाएं, गांधीनगर जिले में जलापूर्ति योजनाओं का संवर्द्धन, फ्लाईओवर पुलों का निर्माण, नया जल वितरण स्टेशन और विभिन्न टाउन प्लानिंग सड़कें आदि शामिल हैं।

इसके अलावा प्रधानमंत्री ने पीएमएवाई (ग्रामीण और शहरी) परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया और इस योजना के तहत निर्मित लगभग 19,000 घरों के गृह प्रवेश में हिस्सा भी लिया। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान योजना के लाभार्थियों को उनके घरों की चाबियां भी सौंपी। इन परियोजनाओं का कुल लागत लगभग 1950 करोड़ रुपये है।

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दिल्ली में डब्ल्यूएचओ के साउथ-ईस्ट एशिया रिजनल ऑफिस का उद्घाटन एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। ये एक ऐसा ग्लोबल हब है, जहां से रिसर्च, रेगुलेशन और कैपेसिटी बिल्डिंग को बढ़ावा मिलेगा: प्रधानमंत्री
Ayurveda teaches that balance is the very essence of health, only when the body sustains this equilibrium can one be considered truly healthy: PM
‘Restoring Balance, आज ये केवल एक ग्लोबल कॉज ही नहीं है, बल्कि, ये एक ग्लोबल अर्जेंसी भी है। इसे एड्रैस करने के लिए हमें और तेज गति से कदम उठाने होंगे: प्रधानमंत्री
The growing ease of resources and facilities without physical exertion is giving rise to unexpected challenges for human health: PM
Traditional healthcare must look beyond immediate needs, it is our collective responsibility to prepare for the future as well: PM

WHO के डायरेक्टर जनरल हमारे तुलसी भाई, डॉक्टर टेड्रोस़, केंद्रीय स्वास्थ्य में मेरे साथी मंत्री जे.पी. नड्डा जी, आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव जी, इस आयोजन से जुड़े अन्य देशों के सभी मंत्रीगण, विभिन्न देशों के राजदूत, सभी सम्मानित प्रतिनिधि, Traditional Medicine क्षेत्र में काम करने वाले सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों !

आज दूसरी WHO Global Summit on Traditional Medicine का समापन दिन है। पिछले तीन दिनों में यहां पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े दुनिया भर के एक्सपर्ट्स ने गंभीर और सार्थक चर्चा की है। मुझे खुशी है कि भारत इसके लिए एक मजबूत प्लेटफार्म का काम कर रहा है। और इसमें WHO की भी सक्रिय भूमिका रही है। मैं इस सफल आयोजन के लिए WHO का, भारत सरकार के आयुष मंत्रालय का और यहां उपस्थित सभी प्रतिभागियों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

ये हमारा सौभाग्य है और भारत के लिए गौरव की बात है कि WHO Global Centre for Traditional Medicine भारत के जामनगर में स्थापित हुआ है। 2022 में Traditional Medicine की पहली समिट में विश्व ने बड़े भरोसे के साथ हमें ये दायित्व सौंपा था। हम सभी के लिए खुशी की बात है कि इस ग्लोबल सेंटर का यश और प्रभाव locally से लेकर के globally expand कर रहा है। इस समिट की सफलता इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इस समिट में Traditional knowledge और modern practices का कॉन्फ्लूएंस हो रहा है। यहां कई नए initiatives भी शुरू हुए हैं, जो medical science और holistic health के future को transform कर सकते हैं। समिट में विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों और प्रतिनिधियों के बीच विस्तार से संवाद भी हुआ है। इस संवाद ने ज्वाइंट रिसर्च को बढ़ावा देने, नियमों को सरल बनाने और ट्रेनिंग और नॉलेज शेयरिंग के लिए नए रास्ते खोले हैं। ये सहयोग आगे चलकर Traditional Medicine को अधिक सुरक्षित, अधिक भरोसेमंद बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

साथियों,

इस समिट में कई अहम विषयों पर सहमति बनना हमारी मजबूत साझेदारी का प्रतिबिंब है। रिसर्च को मजबूत करना, Traditional Medicine के क्षेत्र में डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाना, ऐसे रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करना जिन पर पूरी दुनिया भरोसा कर सके। ऐसे मुद्दे Traditional Medicine को बहुत सशक्त करेंगे। यहां आयोजित Expo में डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजी, AI आधारित टूल्स, रिसर्च इनोवेशन, और आधुनिक वेलनेस इंफ्रास्ट्रक्चर, इन सबके जरिए हमें ट्रेडिशन और टेक्नोलॉजी का एक नया collaboration भी देखने को मिला है। जब ये साथ आती हैं, तो ग्लोबल हेल्थ को अधिक प्रभावी बनाने की क्षमता और बढ़ जाती है। इसलिए, इस समिट की सफलता ग्लोबल दृष्टि से बहुत ही अहम है।

साथियों,

पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली का एक अहम हिस्सा योग भी है। योग ने पूरी दुनिया को स्वास्थ्य, संतुलन और सामंजस्य का रास्ता दिखाया है। भारत के प्रयासों और 175 से ज्यादा देशों के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को योग दिवस घोषित किया गया था। बीते वर्षों में हमने योग को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचते देखा है। मैं योग के प्रचार और विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले हर व्यक्ति की सराहना करता हूं। आज ऐसे कुछ चुनींदा महानुभावों को पीएम पुरस्कार दिया गया है। प्रतिष्ठित जूरी सदस्यों ने एक गहन चयन प्रक्रिया के माध्यम से इन पुरस्कार विजेताओं का चयन किया है। ये सभी विजेता योग के प्रति समर्पण, अनुशासन और आजीवन प्रतिबद्धता के प्रतीक हैं। उनका जीवन हर किसी के लिए प्रेरणा है। मैं सभी सम्मानित विजेताओं को हार्दिक बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

मुझे ये जानकर भी अच्छा लगा कि इस समिट के आउटकम को स्थायी रूप देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया हैं। Traditional Medicine Global Library के रूप में एक ऐसा ग्लोबल प्लेटफॉर्म शुरू किया गया है, जो ट्रेडिशनल मेडिसिन से जुड़े वैज्ञानिक डेटा और पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स को एक जगह सुरक्षित करेगा। इससे उपयोगी जानकारी हर देश तक समान रूप से पहुंचने का रास्ता आसान होगा। इस Library की घोषणा भारत की G20 Presidency के दौरान पहली WHO Global Summit में की गई थी। आज ये संकल्प साकार हो गया है।

साथियों,

यहां अलग-अलग देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने ग्लोबल पार्टनरशिप का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। एक साझेदार के रूप में आपने Standards, safety, investment जैसे मुद्दों पर चर्चा की है। इस संवाद से जो Delhi Declaration इसका रास्ता बना है, वो आने वाले वर्षों के लिए एक साझा रोडमैप की तरह काम करेगा। मैं इस joint effort के लिए विभिन्न देशों के माननीय मंत्रियों की सराहना करता हूं, उनके सहयोग के लिए मैं आभार जताता हूं।

साथियों,

आज दिल्ली में WHO के South-East Asia Regional Office का उद्घाटन भी किया गया है। ये भारत की तरफ से एक विनम्र उपहार है। ये एक ऐसा ग्लोबल हब है, जहां से रिसर्च, रेगुलेशन और कैपेसिटी बिल्डिंग को बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

भारत दुनिया भर में partnerships of healing पर भी जोर दे रहा है। मैं आपके साथ दो महत्वपूर्ण सहयोग साझा करना चाहता हूं। पहला, हम बिमस्टेक देशों, यानी दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में हमारे पड़ोसी देशों के लिए एक Centre of Excellence स्थापित कर रहे हैं। दूसरा, हमने जापान के साथ एक collaboration शुरू किया है। ये विज्ञान, पारंपरिक पद्धितियों और स्वास्थ्य को एक साथ जोड़ने का प्रयास है।

साथियों,

इस बार इस समिट की थीम है- ‘Restoring Balance: The Science and Practice of Health and Well-being’, Restoring Balance, ये holistic health का फाउंडेशनल थॉट रहा है। आप सब एक्स्पर्ट्स अच्छी तरह जानते हैं, आयुर्वेद में बैलेन्स, अर्थात् संतुलन को स्वास्थ्य का पर्याय कहा गया है। जिसके शरीर में ये बैलेन्स बना रहता है, वही स्वस्थ है, वही हेल्दी है। आजकल हम देख रहे हैं, डायबिटीज़, हार्ट अटैक, डिप्रेशन से लेकर कैंसर तक अधिकांश बीमारियों के background में lifestyle और imbalances एक प्रमुख कारण नजर आ रहा है। Work-life imbalance, Diet imbalance, Sleep imbalance, Gut Microbiome Imbalance, Calorie imbalance, Emotional Imbalance, आज कितने ही global health challenges, इन्हीं imbalances से पैदा हो रहे हैं। स्टडीज़ भी यही प्रूव कर रही हैं, डेटा भी यही बता रहा है कि आप सब हेल्थ एक्स्पर्ट्स कहीं बेहतर इन बातों को समझते हैं। लेकिन, मैं इस बात पर जरूर ज़ोर दूँगा कि ‘Restoring Balance, आज ये केवल एक ग्लोबल कॉज़ ही नहीं है, बल्कि, ये एक ग्लोबल अर्जेंसी भी है। इसे एड्रैस करने के लिए हमें और तेज गति से कदम उठाने होंगे।

साथियों,

21वीं सदी के इस कालखंड में जीवन के संतुलन को बनाए रखने की चुनौती और भी बड़ी होने वाली है। टेक्नोलॉजी के नए युग की दस्तक AI और Robotics के रूप में ह्यूमन हिस्ट्री का सबसे बड़ा बदलाव आने वाले वर्षों में जिंदगी जीने के हमारे तरीके, अभूतपूर्व तरीके से बदलने वाले हैं। इसलिए हमें ये भी ध्यान रखना होगा, जीवनशैली में अचानक से आ रहे इतने बड़े बदलाव शारीरिक श्रम के बिना संसाधनों और सुविधाओं की सहूलियत, इससे human bodies के लिए अप्रत्याशित चुनौतियां पैदा होने जा रही हैं। इसलिए, traditional healthcare में हमें केवल वर्तमान की जरूरतों पर ही फोकस नहीं करना है। हमारी साझा responsibility आने वाले future को लेकर के भी है।

साथियों,

जब पारंपरिक चिकित्सा की बात होती है, तो एक सवाल स्वाभाविक रूप से सामने आता है। ये सवाल सुरक्षा और प्रमाण से जुड़ा है। भारत आज इस दिशा में भी लगातार काम कर रहा है। यहां इस समिट में आप सभी ने अश्वगंधा का उदाहरण देखा है। सदियों से इसका उपयोग हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में होता रहा है। COVID-19 के दौरान इसकी ग्लोबल डिमांड तेजी से बढ़ी और कई देशों में इसका उपयोग होने लगा। भारत अपनी रिसर्च और evidence-based validation के माध्यम से अश्वगंधा को प्रमाणिक रूप से आगे बढ़ा रहा है। इस समिट के दौरान भी अश्वगंधा पर एक विशेष ग्लोबल डिस्कशन का आयोजन किया गया। इसमें international experts ने इसकी सुरक्षा, गुणवत्ता और उपयोग पर गहराई से चर्चा की। भारत ऐसी time-tested herbs को global public health का हिस्सा बनाने के लिए पूरी तरह कमिटेड होकर काम कर रहा है।

साथियों,

ट्रेडिशनल मेडिसिन को लेकर एक धारणा थी कि इसकी भूमिका केवल वेलनेस या जीवन-शैली तक सीमित है। लेकिन आज ये धारणा तेजी से बदल रही है। क्रिटिकल सिचुएशन में भी ट्रेडिशनल मेडिसिन प्रभावी भूमिका निभा सकती है। इसी सोच के साथ भारत इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि आयुष मंत्रालय और WHO-Traditional Medicine Center ने नई पहल की है। दोनों ने, भारत में integrative cancer care को मजबूत करने के लिए एक joint effort किया है। इसके तहत पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को आधुनिक कैंसर उपचार के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। इस पहल से evidence-based guidelines तैयार करने में भी मदद मिलेगी। भारत में कई अहम संस्थान स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे ही गंभीर विषयों पर क्लिनिकल स्टडीज़ कर रहे हैं। इनमें अनीमिया, आर्थराइटिस और डायबिटीज़ जैसे विषय भी शामिल हैं। भारत में कई सारे स्टार्ट-अप्स भी इस क्षेत्र में आगे आए हैं। प्राचीन परंपरा के साथ युवाशक्ति जुड़ रही है। इन सभी प्रयासों से ट्रेडिशनल मेडिसिन एक नई ऊंचाई की तरफ बढ़ती दिख रही है।

साथियों,

आज पारंपरिक चिकित्सा एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है। दुनिया की बड़ी आबादी लंबे समय से इसका सहयोग लेती आई है। लेकिन फिर भी पारंपरिक चिकित्सा को वो स्थान नहीं मिल पाया था, जितना उसमें सामर्थ्य है। इसलिए, हमें विज्ञान के माध्यम से भरोसा जीतना होगा। हमें इसकी पहुंच को और व्यापक बनाना होगा। ये जिम्मेदारी किसी एक देश की नहीं है, ये हम सबका साझा दायित्व है। पिछले तीन दिनों में इस समिट में जो सहभागिता, जो संवाद और जो प्रतिबद्धता देखने को मिली है, उससे ये विश्वास गहरा हुआ है कि दुनिया इस दिशा में एक साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार है। आइए, हम संकल्प लें कि पारंपरिक चिकित्सा को विश्वास, सम्मान और जिम्मेदारी के साथ मिलकर के आगे बढ़ाएंगे। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।