आर्य समाज की 150वीं वर्षगांठ पूरे राष्ट्र की वैदिक पहचान से गहराई से जुड़ा उत्सव है: पीएम मोदी
आर्य समाज ने निर्भीक होकर भारतीयता के सार को कायम रखा और बढ़ावा दिया है: प्रधानमंत्री
स्वामी दयानंद जी एक दूरदर्शी और महान व्यक्ति थे: प्रधानमंत्री
आज भारत सतत विकास की दिशा में एक अग्रणी वैश्विक आवाज के रूप में उभरा है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के रोहिणी में अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन 2025 को संबोधित किया। इस अवसर पर बोलते हुए श्री मोदी ने कहा कि अभी सुने गए मंत्रों की ऊर्जा अभी भी हर कोई महसूस कर रहा है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि जब भी वे इस समूह के बीच आते हैं, तो उन्हें एक दिव्य और असाधारण अनुभूति होती है। उन्होंने इस अनुभूति का श्रेय स्वामी दयानंद जी के आशीर्वाद को दिया। प्रधानमंत्री ने स्वामी दयानंद जी के आदर्शों के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा व्यक्त की। उन्होंने उपस्थित सभी विचारकों के साथ अपने दशकों पुराने जुड़ाव का उल्लेख किया, जिसके कारण उन्हें बार-बार उनके बीच आने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि जब भी वे उनसे मिलते हैं और बातचीत करते हैं, तो वे एक विशिष्ट ऊर्जा और अनूठी प्रेरणा से भर जाते हैं।

श्री मोदी ने याद दिलाया कि पिछले वर्ष गुजरात में महर्षि दयानंद सरस्वती जी की जन्मस्थली पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें उन्होंने एक वीडियो संदेश के माध्यम से भाग लिया था। इससे पहले, उन्हें दिल्ली में महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती समारोह का उद्घाटन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। उन्होंने कहा कि वैदिक वेदमंत्रों के उच्चारण की ऊर्जा, वो हवन अनुष्ठान, ऐसा लगता है जैसे अभी वो सब कल की ही बात हो।

प्रधानमंत्री ने यह भी स्मरण किया कि पिछले आयोजन में, सभी प्रतिभागियों ने महर्षि दयानंद सरस्वती जी की द्विशताब्दी समारोह को दो वर्षों तक एक 'विचार यज्ञ' के रूप में जारी रखने का संकल्प लिया था। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि यह निर्बाध बौद्धिक आयोजन पूरी अवधि तक जारी रहा। श्री मोदी ने कहा कि उन्हें इस अवधि के दौरान किए गए प्रयासों और कार्यक्रमों के बारे में नियमित रूप से जानकारी दी जाती रही है। उन्होंने कहा कि आज, एक बार फिर, उन्हें आर्य समाज के 150वें स्थापना वर्ष समारोह में अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिला है। उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती जी के चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित किए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के लिए अपनी शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने यह भी कहा कि इस अवसर पर स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी करना उनके लिए सौभाग्य की बात है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “आर्य समाज की 150वीं वर्षगांठ केवल किसी विशेष समुदाय या संप्रदाय का अवसर नहीं है—यह पूरे राष्ट्र की वैदिक पहचान से गहराई से जुड़ा उत्सव है।” उन्होंने कहा कि यह भारतीय दार्शनिक परंपरा से जुड़ा है, जिसमें गंगा के प्रवाह की तरह आत्म-शुद्धि की शक्ति है। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह अवसर सामाजिक सुधार की उस महान विरासत में निहित है जिसे आर्य समाज ने निरंतर आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन ने असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों को वैचारिक शक्ति प्रदान की। उन्होंने लाला लाजपत राय और शहीद रामप्रसाद बिस्मिल जैसे कई क्रांतिकारियों का उदाहरण दिया, जिन्होंने आर्य समाज से प्रेरणा ली और स्वतंत्रता संग्राम के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया। प्रधानमंत्री ने खेद व्यक्त किया कि राजनीतिक कारणों से, स्वतंत्रता आंदोलन में आर्य समाज की महत्वपूर्ण भूमिका को वह मान्यता नहीं मिली जिसका वह वास्तव में हकदार था।

यह उल्लेख करते हुए कि अपनी स्थापना के समय से ही आर्य समाज निष्ठावान देशभक्तों की संस्था रही है, श्री मोदी ने जोर देकर कहा, "आर्य समाज ने निडरता से भारतीयता के सार को कायम रखा है और उसका प्रचार-प्रसार किया है।" उन्होंने कहा कि चाहे भारत-विरोधी विचारधाराएँ हों, विदेशी सिद्धांतों को थोपने के प्रयास हों, विभाजनकारी मानसिकताएँ हों या सांस्कृतिक ताने-बाने को दूषित करने के प्रयास हों, आर्य समाज ने हमेशा उनका डटकर सामना किया है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि आर्य समाज के 150वें वर्ष के उपलक्ष्य में समाज और राष्ट्र, दयानंद सरस्वती जी के महान आदर्शों को इतने भव्य और सार्थक तरीके से श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

धार्मिक जागरण के माध्यम से इतिहास को नई दिशा देने वाले स्वामी श्रद्धानंद जैसे आर्य समाज के अनेक विद्वानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस ऐतिहासिक क्षण में ऐसी महान आत्माओं की ऊर्जा और आशीर्वाद मौजूद है। मंच से उन्होंने इन असंख्य महान आत्माओं और उनकी स्मृति को नमन किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत कई मायनों में अद्वितीय है—भारत भूमि, इसकी सभ्यता और इसकी वैदिक परंपरा युगों-युगों से शाश्वत रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब भी नई चुनौतियाँ आती हैं और समय नए प्रश्न उठाता है, तो कोई न कोई महापुरुष उत्तर लेकर समाज के सामने आता है। उन्होंने कहा कि समाज का मार्गदर्शन करने के लिए सदैव कोई न कोई ऋषि, द्रष्टा या विद्वान आगे आते हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी इस महान परंपरा के ऐसे ही एक महर्षि थे। श्री मोदी ने स्मरण किया कि स्वामी दयानंद जी का जन्म औपनिवेशिक दासता के काल में हुआ था, जब सदियों की गुलामी ने राष्ट्र और समाज को तहस-नहस कर दिया था। उन्होंने कहा कि अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियों ने विचार और चिंतन का स्थान ले लिया था और अंग्रेजों ने औपनिवेशिक शासन को उचित ठहराने के लिए भारतीय परंपराओं और मान्यताओं का अपमान किया था। ऐसी परिस्थितियों में, समाज नए, मौलिक विचारों को व्यक्त करने का साहस खो चुका था। ऐसे ही कठिन समय में एक युवा तपस्वी का उदय हुआ, जिसने हिमालय के दुर्गम और कठोर भूभागों में गहन साधना की, कठोर तपस्या से स्वयं को परखा। लौटकर, उसने हीनता में जकड़े भारतीय समाज को झकझोर दिया। ऐसे समय में जब समूचा ब्रिटिश शासन भारतीय पहचान को कमतर आंकने में लगा हुआ था और सामाजिक आदर्शों एवं नैतिकता के पतन को आधुनिकीकरण के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा था, इस आत्मविश्वासी ऋषि ने अपने समाज का आह्वान किया - "वेदों की ओर लौटो!" प्रधानमंत्री ने स्वामी दयानंद जी को एक असाधारण व्यक्तित्व बताया जिन्होंने औपनिवेशिक शासन के दौरान दबी हुई राष्ट्रीय चेतना को पुनर्जीवित किया।

श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी समझते थे कि भारत की प्रगति के लिए, केवल औपनिवेशिक शासन की बेड़ियाँ तोड़ना ही पर्याप्त नहीं है—भारत को अपने समाज के इन जकड़े हुए बंधनों को भी तोड़ना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वामी दयानंद जी ने जाति-आधारित भेदभाव और छुआछूत को नकारा। उन्होंने निरक्षरता के विरुद्ध अभियान चलाया और वेदों व शास्त्रों की व्याख्याओं को विकृत और मिलावटी बनाने वालों को चुनौती दी। उन्होंने विदेशी आख्यानों का सामना किया और शास्त्रार्थ की पारंपरिक पद्धति के माध्यम से सत्य को कायम रखा। प्रधानमंत्री ने स्वामी दयानंद जी को एक दूरदर्शी संत बताया, जिन्होंने व्यक्तिगत और सामाजिक विकास, दोनों में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचाना और उस मानसिकता को चुनौती दी जो महिलाओं को घर की चारदीवारी तक सीमित रखती थी। उनकी प्रेरणा से, आर्य समाज स्कूलों ने लड़कियों को शिक्षित करना शुरू किया और जालंधर में शुरू हुआ बालिका विद्यालय जल्द ही एक पूर्ण महिला महाविद्यालय के रूप में विकसित हो गया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ऐसे आर्य समाज संस्थानों में शिक्षित लाखों बेटियाँ अब राष्ट्र की नींव को मजबूत कर रही हैं।

मंच पर दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता की उपस्थिति का आभार व्यक्त करते हुए, श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अभी दो दिन पहले ही, भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने स्क्वाड्रन लीडर शिवांगी सिंह के साथ राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरी थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत की बेटियाँ लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं और "ड्रोन दीदी" के रूप में आधुनिक कृषि को बढ़ावा दे रही हैं। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि भारत में अब दुनिया में सबसे अधिक महिला एसटीईएम स्नातक हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाएँ तेजी से नेतृत्वकारी भूमिकाएँ निभा रही हैं। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के प्रमुख शोध संस्थानों में महिला वैज्ञानिक मंगलयान, चंद्रयान और गगनयान जैसे अंतरिक्ष अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि ये परिवर्तनकारी प्रगति इस बात का संकेत हैं कि देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है और स्वामी दयानंद जी के सपनों को साकार कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि वह अक्सर स्वामी दयानंद जी के एक विशेष विचारों पर चिंतन करते हैं, जिसे वे अक्सर दूसरों तक भी पहुँचाते हैं। स्वामी जी ने कहा था, "जो व्यक्ति कम से कम उपभोग करता है और सबसे अधिक योगदान देता है, वही सच्चा परिपक्व है।" उन्होंने कहा कि इन चंद शब्दों में इतना गहरा ज्ञान छिपा है कि शायद उनकी व्याख्या करने के लिए पूरी किताबें लिखी जा सकती हैं। इस बात पर जोर देते हुए कि किसी विचार की असली ताकत सिर्फ उसके अर्थ में नहीं, बल्कि इस बात में निहित है कि वह कितने समय तक टिकता है और कितने जीवन बदल देता है, श्री मोदी ने कहा कि जब हम इस कसौटी पर महर्षि दयानंद जी के विचारों का मूल्यांकन करते हैं और आर्य समाज के समर्पित अनुयायियों का अवलोकन करते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि उनके विचार समय के साथ और भी अधिक प्रखर हुए हैं।

प्रधानमंत्री ने स्वामी दयानंद सरस्वती जी द्वारा अपने जीवनकाल में परोपकारिणी सभा की स्थापना का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वामी जी द्वारा बोया गया बीज आज एक विशाल वृक्ष बन गया है जिसकी अनेक शाखाएँ हैं, जिनमें गुरुकुल कांगड़ी, गुरुकुल कुरुक्षेत्र, डीएवी और अन्य शैक्षणिक केंद्र शामिल हैं। ये सभी अपने-अपने क्षेत्रों में लगन से काम कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि जब भी राष्ट्र पर संकट आया है, आर्य समाज के सदस्यों ने निस्वार्थ भाव से अपने साथी नागरिकों की सेवा में खुद को समर्पित कर दिया है। श्री मोदी ने विभाजन की विभीषिका के दौरान अपना सब कुछ खोकर भारत आए शरणार्थियों की सहायता, पुनर्वास और शिक्षा में आर्य समाज की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया - एक ऐसा योगदान जो इतिहास में दर्ज है। उन्होंने कहा कि आज भी, आर्य समाज प्राकृतिक आपदाओं के दौरान पीड़ितों की सेवा में सबसे आगे रहता है।

आर्य समाज के अनेक योगदानों में से एक, भारत की गुरुकुल परंपरा के संरक्षण में उसकी भूमिका को सबसे महत्वपूर्ण बताते हुए, श्री मोदी ने स्मरण किया कि गुरुकुलों की शक्ति के कारण ही भारत ज्ञान और विज्ञान के शिखर पर था। औपनिवेशिक शासन के दौरान, इस व्यवस्था पर जानबूझकर प्रहार किए गए, जिससे ज्ञान का विनाश हुआ, मूल्यों का क्षरण हुआ और नई पीढ़ी कमजोर हुई। आर्य समाज ने ढहती गुरुकुल परंपरा को बचाने के लिए आगे कदम बढ़ाया। इसने न केवल परंपरा का संरक्षण किया, बल्कि आधुनिक शिक्षा को एकीकृत करके समय के साथ इसे परिष्कृत भी किया। प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि देश अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षा को मूल्यों और चरित्र-निर्माण से जोड़ रहा है, वह भारत की ज्ञान की पवित्र परंपरा की रक्षा के लिए आर्य समाज के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

वैदिक श्लोक "कृण्वन्तो विश्वमार्यम्", जिसका अर्थ है "आइए हम संपूर्ण विश्व को श्रेष्ठ बनाएँ और उसे श्रेष्ठ विचारों की ओर लेकर के जाएँ", का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि स्वामी दयानंद जी ने इस श्लोक को आर्य समाज के मार्गदर्शक आदर्श वाक्य के रूप में अपनाया था। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि यही श्लोक अब भारत की विकास यात्रा का आधार मंत्र है—जहाँ भारत की प्रगति वैश्विक कल्याण में योगदान देती है और उसकी समृद्धि मानवता की सेवा करती है। उन्होंने कहा कि सतत विकास के क्षेत्र में भारत एक अग्रणी वैश्विक आवाज बन गया है। स्वामी जी के वेदों की ओर लौटने के आह्वान के साथ तुलना करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत अब वैश्विक मंच पर वैदिक आदर्शों और जीवनशैली की वकालत कर रहा है। उन्होंने मिशन लाइफ़ के शुभारंभ का उल्लेख किया, जिसे वैश्विक समर्थन प्राप्त हुआ है। "एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड" के दृष्टिकोण के माध्यम से, भारत स्वच्छ ऊर्जा को एक वैश्विक आंदोलन में बदल रहा है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से योग 190 से अधिक देशों तक पहुँच गया है, जो योगिक जीवन शैली और पर्यावरण चेतना को बढ़ावा दे रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मिशन लाइफ जैसी वैश्विक पहल, जो अब दुनिया भर में रुचि प्राप्त कर रही है, लंबे समय से आर्य समाज के सदस्यों के अनुशासित जीवन का अभिन्न अंग रही है। उन्होंने सादा जीवन, सेवा-उन्मुख मूल्यों, पारंपरिक भारतीय परिधानों के प्रति प्राथमिकता, पर्यावरण संरक्षण और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत "सर्वे भवन्तु सुखिनः" के आदर्श के साथ वैश्विक कल्याण को आगे बढ़ा रहा है और एक वैश्विक बंधु के रूप में अपनी भूमिका को सुदृढ़ कर रहा है, आर्य समाज का प्रत्येक सदस्य स्वाभाविक रूप से इस मिशन से जुड़ता है। प्रधानमंत्री ने उनके योगदान की सराहना की।

इस बात पर जोर देते हुए कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी द्वारा प्रज्वलित मशाल पिछले 150 वर्षों से आर्य समाज के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन कर रही है, प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी जी ने हम सभी में जिम्मेदारी की गहरी भावना पैदा की है—नए विचारों को आगे बढ़ाने और प्रगति में बाधक रूढ़िवादिता को तोड़ने की जिम्मेदारी दी है। उन्होंने आर्य समाज समुदाय से मिले स्नेह और समर्थन की सराहना की और कहा कि वे न केवल इसमें भाग लेने आए हैं, बल्कि कुछ अनुरोध भी करने आए हैं।

श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि आर्य समाज ने राष्ट्र निर्माण में पहले ही बहुत बड़ा योगदान दिया है और वे देश की कुछ वर्तमान प्राथमिकताओं पर भी जोर देना चाहते हैं। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन पर प्रकाश डाला और आर्य समाज के साथ इसके ऐतिहासिक जुड़ाव का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस मिशन में आर्य समाज की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। प्रधानमंत्री ने कहा की राष्ट्र एक बार फिर स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने और स्थानीय वस्तुओं के लिए मुखर होने की ज़िम्मेदारी उठा रहा है।

भारत की प्राचीन पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण और संरक्षण के उद्देश्य से हाल ही में शुरू किए गए ज्ञान भारतम मिशन का स्मरण करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ज्ञान के इस विशाल भंडार को सही मायने में तभी सुरक्षित रखा जा सकता है जब युवा पीढ़ी इससे जुड़े और इसके महत्व को समझे। श्री मोदी ने आर्य समाज से इस मिशन में सक्रिय रूप से भाग लेने का आह्वान किया और कहा कि पिछले 150 वर्षों से आर्य समाज भारत के पवित्र प्राचीन ग्रंथों की खोज और संरक्षण में लगा हुआ है। उन्होंने इन ग्रंथों की मौलिकता को बनाए रखने में आर्य समाज के सदस्यों के बहु-पीढ़ी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि ज्ञान भारतम मिशन अब इस प्रयास को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाएगा और आर्य समाज से इसे अपना अभियान मानने का आग्रह किया। उन्होंने आर्य समाज को अपने गुरुकुलों और संस्थानों के माध्यम से पांडुलिपियों के अध्ययन और शोध में युवाओं को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने यह भी स्मरण किया कि महर्षि दयानंद जी की 200वीं जयंती के अवसर पर उन्होंने यज्ञों में प्रयुक्त होने वाले अनाजों के बारे में बात की थी। उन्होंने यज्ञों में पारंपरिक रूप से प्रयुक्त होने वाले मोटे अनाज "श्री अन्न" के पवित्र महत्व पर ज़ोर दिया और भारत की प्राचीन श्री अन्न परंपरा को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इन अनाजों की एक प्रमुख विशेषता यह है कि ये प्राकृतिक रूप से उगाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती कभी भारत की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख आधार थी और अब दुनिया एक बार फिर इसके महत्व को समझने लगी है। प्रधानमंत्री ने आर्य समाज से प्राकृतिक खेती के आर्थिक और आध्यात्मिक, दोनों पहलुओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने का आग्रह किया।

जल संरक्षण के मुद्दे पर बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि देश जल जीवन मिशन के माध्यम से हर गाँव तक स्वच्छ पेयजल पहुँचाने के लिए काम कर रहा है और इसे दुनिया के सबसे अनोखे अभियानों में से एक बताया। हालाँकि, उन्होंने आगाह किया कि जल वितरण प्रणालियाँ तभी प्रभावी होंगी जब आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्याप्त जल संरक्षित किया जाएगा। इस उद्देश्य से, सरकार ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा दे रही है और 60,000 से ज़्यादा अमृत सरोवरों का निर्माण शुरू कर चुकी है। प्रधानमंत्री ने समाज से सरकार के साथ-साथ इन प्रयासों में सक्रिय रूप से सहयोग करने का आह्वान किया।

गाँव में तालाबों, झीलों, कुओं और बावड़ियों की पारंपरिक उपस्थिति का उल्लेख करते हुए, जो समय के साथ उपेक्षित होकर सूख गए हैं, श्री मोदी ने इन प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए निरंतर जन जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने "एक पेड़ माँ के नाम" अभियान की सफलता पर भी प्रकाश डाला और कहा कि यह कोई अल्पकालिक पहल नहीं, बल्कि वनीकरण के लिए एक सतत आंदोलन है। उन्होंने आर्य समाज के सदस्यों को इस अभियान से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

प्रधानमंत्री ने वैदिक श्लोक "संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्" का उद्धरण दिया, जो हमें एक साथ चलने, एक साथ बोलने और एक-दूसरे के मन को समझने की शिक्षा देता है - एक-दूसरे के विचारों के प्रति पारस्परिक सम्मान पर बल देता है। उन्होंने कहा कि इस वैदिक आह्वान को एक राष्ट्रीय आह्वान के रूप में भी देखा जाना चाहिए। श्री मोदी ने सभी से राष्ट्र के संकल्पों को अपना संकल्प मानने और जनभागीदारी की भावना से सामूहिक प्रयासों को आगे बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आर्य समाज ने पिछले 150 वर्षों से निरंतर इसी भावना को अपनाया है और इसे निरंतर मजबूत बनाने का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री ने यह विश्वास व्यक्त करते हुए समापन किया कि महर्षि दयानंद सरस्वती जी के विचार मानव कल्याण के मार्ग को प्रकाशित करते रहेंगे। उन्होंने एक बार फिर आर्य समाज के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ दीं।

इस कार्यक्रम में गुजरात और महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

अंतर्राष्ट्रीय आर्य शिखर सम्मेलन 2025 कार्यक्रम महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती और आर्य समाज की समाज सेवा के 150 वर्षों के उपलक्ष्य में आयोजित ज्ञान ज्योति महोत्सव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

यह शिखर सम्मेलन भारत और विदेशों में आर्य समाज की इकाइयों के प्रतिनिधियों को एक साथ लाएगा, जो महर्षि दयानंद के सुधारवादी आदर्शों और संगठन की वैश्विक पहुंच की सार्वभौमिक प्रासंगिकता को दर्शाता है। इसमें "सेवा के 150 स्वर्णिम वर्ष" शीर्षक से एक प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी, जो शिक्षा, सामाजिक सुधार और आध्यात्मिक उत्थान में आर्य समाज के योगदान के माध्यम से उसकी परिवर्तनकारी यात्रा को प्रदर्शित करेगी।

शिखर सम्मेलन का उद्देश्य महर्षि दयानंद सरस्वती की सुधारवादी और शैक्षिक विरासत का सम्मान करना, शिक्षा, सामाजिक सुधार और राष्ट्र निर्माण में आर्य समाज की 150 वर्षों की सेवा का उत्सव मनाना और विकसित भारत 2047 के अनुरूप वैदिक सिद्धांतों और स्वदेशी मूल्यों के बारे में वैश्विक जागरूकता को प्रेरित करना है।

पूरा भाषण पढ़ने के लिए यहां क्लिक कीजिए

Explore More
आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी
Exclusive: Just two friends in a car, says Putin on viral carpool with PM Modi

Media Coverage

Exclusive: Just two friends in a car, says Putin on viral carpool with PM Modi
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है: रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान पीएम मोदी
December 05, 2025

Your Excellency, My Friend, राष्ट्रपति पुतिन,
दोनों देशों के delegates,
मीडिया के साथियों,
नमस्कार!
"दोबरी देन"!

आज भारत और रूस के तेईसवें शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। उनकी यात्रा ऐसे समय हो रही है जब हमारे द्विपक्षीय संबंध कई ऐतिहासिक milestones के दौर से गुजर रहे हैं। ठीक 25 वर्ष पहले राष्ट्रपति पुतिन ने हमारी Strategic Partnership की नींव रखी थी। 15 वर्ष पहले 2010 में हमारी साझेदारी को "Special and Privileged Strategic Partnership” का दर्जा मिला।

पिछले ढाई दशक से उन्होंने अपने नेतृत्व और दूरदृष्टि से इन संबंधों को निरंतर सींचा है। हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने आपसी संबंधों को नई ऊंचाई दी है। भारत के प्रति इस गहरी मित्रता और अटूट प्रतिबद्धता के लिए मैं राष्ट्रपति पुतिन का, मेरे मित्र का, हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

Friends,

पिछले आठ दशकों में विश्व में अनेक उतार चढ़ाव आए हैं। मानवता को अनेक चुनौतियों और संकटों से गुज़रना पड़ा है। और इन सबके बीच भी भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है।परस्पर सम्मान और गहरे विश्वास पर टिके ये संबंध समय की हर कसौटी पर हमेशा खरे उतरे हैं। आज हमने इस नींव को और मजबूत करने के लिए सहयोग के सभी पहलुओं पर चर्चा की। आर्थिक सहयोग को नई ऊँचाइयों पर ले जाना हमारी साझा प्राथमिकता है। इसे साकार करने के लिए आज हमने 2030 तक के लिए एक Economic Cooperation प्रोग्राम पर सहमति बनाई है। इससे हमारा व्यापार और निवेश diversified, balanced, और sustainable बनेगा, और सहयोग के क्षेत्रों में नए आयाम भी जुड़ेंगे।

आज राष्ट्रपति पुतिन और मुझे India–Russia Business Forum में शामिल होने का अवसर मिलेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि ये मंच हमारे business संबंधों को नई ताकत देगा। इससे export, co-production और co-innovation के नए दरवाजे भी खुलेंगे।

दोनों पक्ष यूरेशियन इकॉनॉमिक यूनियन के साथ FTA के शीघ्र समापन के लिए प्रयास कर रहे हैं। कृषि और Fertilisers के क्षेत्र में हमारा करीबी सहयोग,food सिक्युरिटी और किसान कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। मुझे खुशी है कि इसे आगे बढ़ाते हुए अब दोनों पक्ष साथ मिलकर यूरिया उत्पादन के प्रयास कर रहे हैं।

Friends,

दोनों देशों के बीच connectivity बढ़ाना हमारी मुख्य प्राथमिकता है। हम INSTC, Northern Sea Route, चेन्नई - व्लादिवोस्टोक Corridors पर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेंगे। मुजे खुशी है कि अब हम भारत के seafarersकी polar waters में ट्रेनिंग के लिए सहयोग करेंगे। यह आर्कटिक में हमारे सहयोग को नई ताकत तो देगा ही, साथ ही इससे भारत के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर बनेंगे।

उसी प्रकार से Shipbuilding में हमारा गहरा सहयोग Make in India को सशक्त बनाने का सामर्थ्य रखता है। यह हमारेwin-win सहयोग का एक और उत्तम उदाहरण है, जिससे jobs, skills और regional connectivity – सभी को बल मिलेगा।

ऊर्जा सुरक्षा भारत–रूस साझेदारी का मजबूत और महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है। Civil Nuclear Energy के क्षेत्र में हमारा दशकों पुराना सहयोग, Clean Energy की हमारी साझा प्राथमिकताओं को सार्थक बनाने में महत्वपूर्ण रहा है। हम इस win-win सहयोग को जारी रखेंगे।

Critical Minerals में हमारा सहयोग पूरे विश्व में secure और diversified supply chains सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे clean energy, high-tech manufacturing और new age industries में हमारी साझेदारी को ठोस समर्थन मिलेगा।

Friends,

भारत और रूस के संबंधों में हमारे सांस्कृतिक सहयोग और people-to-people ties का विशेष महत्व रहा है। दशकों से दोनों देशों के लोगों में एक-दूसरे के प्रति स्नेह, सम्मान, और आत्मीयताका भाव रहा है। इन संबंधों को और मजबूत करने के लिए हमने कई नए कदम उठाए हैं।

हाल ही में रूस में भारत के दो नए Consulates खोले गए हैं। इससे दोनों देशों के नागरिकों के बीच संपर्क और सुगम होगा, और आपसी नज़दीकियाँ बढ़ेंगी। इस वर्ष अक्टूबर में लाखों श्रद्धालुओं को "काल्मिकिया” में International Buddhist Forum मे भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का आशीर्वाद मिला।

मुझे खुशी है कि शीघ्र ही हम रूसी नागरिकों के लिए निशुल्क 30 day e-tourist visa और 30-day Group Tourist Visa की शुरुआत करने जा रहे हैं।

Manpower Mobility हमारे लोगों को जोड़ने के साथ-साथ दोनों देशों के लिए नई ताकत और नए अवसर create करेगी। मुझे खुशी है इसे बढ़ावा देने के लिए आज दो समझौतेकिए गए हैं। हम मिलकर vocational education, skilling और training पर भी काम करेंगे। हम दोनों देशों के students, scholars और खिलाड़ियों का आदान-प्रदान भी बढ़ाएंगे।

Friends,

आज हमने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की। यूक्रेन के संबंध में भारत ने शुरुआत से शांति का पक्ष रखा है। हम इस विषय के शांतिपूर्ण और स्थाई समाधान के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। भारत सदैव अपना योगदान देने के लिए तैयार रहा है और आगे भी रहेगा।

आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में भारत और रूस ने लंबे समय से कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया है। पहलगाम में हुआ आतंकी हमला हो या क्रोकस City Hall पर किया गया कायरतापूर्ण आघात — इन सभी घटनाओं की जड़ एक ही है। भारत का अटल विश्वास है कि आतंकवाद मानवता के मूल्यों पर सीधा प्रहार है और इसके विरुद्ध वैश्विक एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है।

भारत और रूस के बीच UN, G20, BRICS, SCO तथा अन्य मंचों पर करीबी सहयोग रहा है। करीबी तालमेल के साथ आगे बढ़ते हुए, हम इन सभी मंचों पर अपना संवाद और सहयोग जारी रखेंगे।

Excellency,

मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में हमारी मित्रता हमें global challenges का सामना करने की शक्ति देगी — और यही भरोसा हमारे साझा भविष्य को और समृद्ध करेगा।

मैं एक बार फिर आपको और आपके पूरे delegation को भारत यात्रा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ।