"पहले सौ दिनों में ही हमारी प्राथमिकताएं स्पष्ट रूप से परिलक्षित हैं, यह हमारी गति और पैमाने का भी प्रतिबिंब है"
"वैश्विक अनुप्रयोग के लिए भारतीय समाधान"
"भारत 21वीं सदी का सर्वश्रेष्ठ दावेदार है"
"हरित भविष्य और नेट जीरो भारत की प्रतिबद्धता है"
"पेरिस में निर्धारित जलवायु प्रतिबद्धताओं को समय सीमा से 9 वर्ष पूर्व अर्जित करने वाला भारत जी-20 में पहला देश है"
"पीएम सूर्य घर नि:शुल्‍क विद्युत योजना के साथ, भारत का हर घर बिजली उत्पादक बनने के लिए तैयार है"
"सरकार धरा के प्रति समर्पित लोगों के सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात के गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में चौथे वैश्विक अक्षय ऊर्जा निवेशक सम्मेलन एवं प्रदर्शनी (री-इन्वेस्ट) का उद्घाटन किया। इस तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान भारत की 200 गीगावाट से अधिक स्थापित गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता की उल्लेखनीय उपलब्धि में महत्वपूर्ण रूप से योगदान करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया। श्री मोदी ने सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों, स्टार्ट-अप्स और प्रमुख उद्यमियों के अत्याधुनिक नवाचारों को दर्शाने वाली प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।

इस असर पर एक जन सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने चौथे री-इन्वेस्ट सम्मेलन में आए सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए विश्वास जताया कि अगले तीन दिनों में ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और नीतियों के भविष्य पर गंभीर चर्चा की जाएगी। श्री मोदी ने कहा कि इस सम्मेलन में हुई चर्चाओं और सीखों से पूरी मानवता को लाभ होगा। प्रधानमंत्री ने सफल विचार-विमर्शों के लिए अपनी शुभकामनाएं भी दीं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के लोगों द्वारा साठ वर्षों के बाद तीसरी बार एक ही सरकार को चुनने के जनादेश का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत की आकांक्षाएं ही तीसरी बार सरकार के फिर से चुने जाने का कारण हैं। उन्होंने 140 करोड़ नागरिकों, युवाओं और महिलाओं के भरोसे और विश्वास की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी आकांक्षाएं इस तीसरे कार्यकाल में नई उड़ान भरेंगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीब, दलित और वंचितों का मानना ​​है कि सरकार का तीसरा कार्यकाल उनके लिए सम्मानजनक जीवन की गारंटी बनेगा। उन्होंने कहा कि भारत के 140 करोड़ नागरिक देश को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के संकल्प के साथ कार्य कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि आज का कार्यक्रम इस दिशा में एकमात्र कार्यक्रम नहीं है, बल्कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के बड़े विजन, मिशन और कार्ययोजना का एक अंग है। प्रधानमंत्री ने सरकार के कार्यकाल के पहले 100 दिनों में सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों की भी जानकारी दी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पहले 100 दिनों में सरकार के काम ने अपनी प्राथमिकताओं को स्पष्ट करते हुए इसकी गति और पैमाने को प्रतिबिंबित किया है। उन्होंने कहा कि भारत के त्वरित विकास के लिए आवश्यक सभी क्षेत्रों पर बल दिया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन 100 दिनों में राष्ट्र के भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे का विस्तार करने के लिए कई निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि भारत 7 करोड़ घरों के निर्माण के पथ पर अग्रसर है, जो कई देशों की आबादी से भी अधिक है, जबकि पिछले दो कार्यकालों में लोगों को 4 करोड़ घर सौंपे गए हैं। उन्होंने कहा कि 12 नए औद्योगिक शहर बनाने का फैसला, 8 हाई-स्पीड रोड कॉरिडोर परियोजनाओं को मंजूरी, 15 से अधिक सेमी-हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेनों का शुभारंभ, अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक ट्रिलियन रुपये के शोध कोष की स्थापना, ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलों की घोषणा, उच्च प्रदर्शन वाले जैव-विनिर्माण को बढ़ावा देना और इसके साथ ही बायो ई3 नीति को मंजूरी देना सरकार की उपलब्धियों में शामिल हैं।

पिछले 100 दिनों में हरित ऊर्जा क्षेत्र में हुए विकास का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 7000 करोड़ रुपये से अधिक की व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण योजना के शुभारंभ की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारत आने वाले समय में 12,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 31,000 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन की दिशा में काम कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की विविधता, पैमाने, क्षमता, संभावना और प्रदर्शन सभी असाधारण हैं और वैश्विक अनुप्रयोगों के लिए भारतीय समाधानों का मार्ग प्रशस्त करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व का यह मानना ​​है कि भारत 21वीं सदी का सबसे बेहतर दावेदार है। पिछले एक महीने में भारत द्वारा आयोजित वैश्विक कार्यक्रमों का स्मरण करते हुए श्री मोदी ने कहा कि इस महीने की शुरुआत में ग्लोबल फिनटेक फेस्ट का आयोजन किया गया, विश्व भर के लोगों ने पहले अंतरराष्ट्रीय सौर महोत्सव, ग्लोबल सेमीकंडक्टर शिखर सम्मेलन में भाग लिया, भारत ने दूसरे एशिया-प्रशांत नागरिक विमानन मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की भी मेजबानी की और आज भारत हरित ऊर्जा के सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।

श्री मोदी ने कहा कि यह एक सुखद संयोग है कि गुजरात जिस श्वेत क्रांति, मधुर (शहद) क्रांति, सौर क्रांति की शुरुआत का साक्षी रहा है, वह अब चौथे वैश्विक अक्षय ऊर्जा निवेशक सम्मेलन और एक्सपो का आयोजन में भागीदारी कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात भारत का पहला राज्य था जिसने अपनी सौर नीति बनाई। उन्होंने कहा कि इसके बाद सौर ऊर्जा पर राष्ट्रीय नीतियां बनाई गईं। श्री मोदी ने कहा कि जलवायु मामलों से संबंधित मंत्रालय स्थापित करने में गुजरात विश्व भर में अग्रणी राज्यों में से एक है। उन्होंने बताया कि गुजरात ने तब से सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करना शुरू कर दिया था, जब दुनिया ने इसके बारे में सोचा भी नहीं था।

आयोजन स्थल के नाम महात्मा मंदिर का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि इसका नाम महात्मा गांधी के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने जलवायु चुनौती का विषय सामने आने से पहले ही दुनिया को सचेत कर दिया था। महात्मा को उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "पृथ्वी के पास हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन हमारी लालसा को पूरा करने के लिए नहीं।" उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का यह दृष्टिकोण भारत की महान परंपरा से प्रेरित है। श्री मोदी ने कहा कि हरित भविष्य, नेट ज़ीरो जैसे शब्द दिखावटी शब्द नहीं हैं, बल्कि ये भारत की केंद्र और हर राज्य सरकार की ज़रूरतें और प्रतिबद्धताएं हैं।

प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि विकासशील अर्थव्यवस्था के रूप में भारत के पास इन प्रतिबद्धताओं से बाहर दूर रहने का एक वैध बहाना था, लेकिन उसमें यह मार्ग नहीं चुना। उन्होंने कहा कि आज का भारत न केवल आज के लिए बल्कि अगले हजार वर्षों के लिए एक आधार तैयार कर रहा है। श्री मोदी ने कहा कि भारत का लक्ष्य केवल शीर्ष पर पहुंचना नहीं है, बल्कि शीर्ष पर बने रहने के लिए स्वयं को तैयार करना है। उन्होंने कहा कि भारत 2047 तक स्वयं को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए अपनी ऊर्जा जरूरतों और आवश्यकताओं से अच्छी तरह परिचित है। श्री मोदी ने स्मरण दिलाया कि भारत ने तेल-गैस के भंडार की कमी को ध्यान में रखते हुए सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, परमाणु और जल विद्युत जैसे नवीकरणीय ऊर्जा के आधार पर अपना भविष्य बनाने का फैसला किया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पेरिस में तय जलवायु प्रतिबद्धताओं को निर्धारित समय-सीमा से 9 वर्ष पहले हासिल करने वाला पहला जी-20 देश है। श्री मोदी ने 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश के लक्ष्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार ने हरित बदलाव को जन आंदोलन में बदल दिया है। उन्होंने रूफटॉप सोलर के लिए भारत की अनूठी योजना- पीएम सूर्य घर नि:शुल्क विद्युत योजना का अध्ययन करने का सुझाव दिया, जिसके अंतर्गत सरकार हर परिवार के लिए रूफटॉप सोलर सेटअप के लिए धन मुहैया कराती है और इसको लगाने में सहायता प्रदान करती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस योजना के माध्यम से भारत का हर घर बिजली उत्पादक बन जाता है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत 1 करोड़ 30 लाख से अधिक परिवारों ने पंजीकरण कराया है और अब तक 3.25 लाख घरों में स्थापना का काम पूरा हो चुका है।

प्रधानमंत्री ने पीएम सूर्य घर नि:शुल्क विद्युत योजना के परिणामों की जानकारी देते हुए बताया कि इसके माध्यम से एक माह में 250 यूनिट बिजली की खपत करने वाला एक छोटा परिवार, 100 यूनिट तक बिजली को वापस ग्रिड को बेचकर वर्ष भर में कुल मिलाकर लगभग 25 हजार रुपये बचाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लोगों को बिजली बिल से लगभग 25 हजार रुपये का लाभ होगा। उन्होंने कहा कि बचत की गई राशि अर्जित की गई राशि है। उन्होंने कहा कि अगर बचाई गई धन राशि को 20 वर्ष के लिए पब्लिक प्रोविडेंट फंड में निवेश किया जाए, तो पूरी धन राशि 10 लाख रुपये से अधिक होगी जिसका उपयोग बच्चों की शिक्षा और विवाह के लिए किया जा सकता है।

श्री मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री सौर घर योजना रोजगार सृजन और पर्यावरण संरक्षण का माध्यम बन रही है, जिससे करीब 20 लाख रोजगारों का सृजन हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि सरकार का लक्ष्य इस योजना के तहत 3 लाख युवाओं को कुशल जनशक्ति के रूप में तैयार करना है। इनमें से एक लाख युवा सोलर पीवी तकनीशियन होंगे। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने में हर परिवार के योगदान को ध्यान में रखते हुए कहा कि हर 3 किलोवाट सौर बिजली से 50-60 टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोका जा सकेगा।

श्री मोदी ने कहा कि जब 21वीं सदी का इतिहास लिखा जाएगा, तब भारत की सौर क्रांति स्वर्ण अक्षरों में लिखी जाएगी। श्री मोदी ने भारत के पहले सौर गांव मोढेरा, जहां सदियों पुराना सूर्य मंदिर भी है, के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि आज गांव की सभी ज़रूरतें सौर ऊर्जा से पूरी होती हैं। उन्होंने कहा कि आज देश भर में ऐसे कई गांवों को सौर गांवों में बदलने का अभियान चल रहा है।

सूर्यवंशी भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या शहर का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने बताया कि इसे प्रेरणा मानकर सरकार अयोध्या को एक आदर्श सौर शहर बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है। उन्होंने कहा कि अयोध्या के हर घर, हर कार्यालय, हर सेवा को सौर ऊर्जा से ऊर्जान्वित करने का प्रयास किया जा रहा है। श्री मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त की कि अयोध्या की कई सुविधाएं और घर सौर ऊर्जा से ऊर्जान्वित हो रहे हैं, जबकि अयोध्या में बड़ी संख्या में सौर स्ट्रीट लाइट, सौर चौराहे, सौर नावें, सौर जल एटीएम और सौर भवन भी देखे जा सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने भारत में ऐसे 17 शहरों की पहचान की है जिन्हें इसी तरह सौर शहरों के रूप में विकसित किया जाना है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्रों को सौर ऊर्जा उत्पादन का माध्यम बनाने की योजना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज किसानों को सिंचाई के लिए सौर पंप और छोटे सौर संयंत्र लगाने में सहायता की जा रही है।

श्री मोदी ने कहा कि भारत अक्षय ऊर्जा से जुड़े हर क्षेत्र में बहुत तेजी से और बड़े पैमाने पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में भारत ने पहले की तुलना में परमाणु ऊर्जा से 35 प्रतिशत अधिक विद्युत का सजृन किया है और भारत हरित हाइड्रोजन के क्षेत्र में वैश्विक प्रमुख बनने का प्रयास कर रहा है। श्री मोदी ने इस दिशा में लगभग बीस हजार करोड़ रुपये के हरित हाइड्रोजन मिशन के शुभारंभ का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत में अपशिष्ट से ऊर्जा का एक बड़ा अभियान भी संचालित है। महत्वपूर्ण खनिजों से जुड़ी चुनौतियों के समाधान के लिए उठाए गए कदमों पर जोर देते हुए श्री मोदी ने कहा कि सरकार पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण से संबंधित बेहतर तकनीक विकसित करने के लिए स्टार्ट-अप को समर्थन देने के साथ-साथ एक सर्कुलर दृष्टिकोण को बढ़ावा दे रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने मिशन लाइफ यानी पर्यावरण के लिए जीवनशैली के भारत के विजन की जानकारी देते हुए कहा कि सरकार प्रो-प्लैनेट लोगों के सिद्धांतों के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने भारत की अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन पहल, भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान हरित परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने और जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के शुभारंभ का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत ने इस दशक के अंत तक अपने रेलवे को शून्य उत्सर्जन वाला बनाने का लक्ष्य रखा है, साथ ही भारत ने 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने का निर्णय लिया है। उन्होंने जल संरक्षण के लिए प्रत्येक गांव में बनाए गए हजारों अमृत सरोवर का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान का उल्लेख करते हुए सभी से इस पहल में शामिल होने का आग्रह किया।

भारत में अक्षय ऊर्जा की बढ़ती मांग को देखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार इस मांग को पूरा करने के लिए नई नीतियां बना रही है और हर तरह से सहायता प्रदान कर रही है। अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने न केवल ऊर्जा उत्पादन बल्कि विनिर्माण क्षेत्र में भी निवेशकों के लिए जबरदस्त अवसरों के बारे में चर्चा की। श्री मोदी ने भारत के हरित परिवर्तन में निवेश को आमंत्रित करते हुए कहा कि भारत पूर्ण रूप से मेड इन इंडिया समाधानों के लिए प्रयास कर रहा है और अनेक संभावनाओं का सृजन कर रहा है। उन्होंने भारत सही मायनों में विस्तार और बेहतर रिटर्न की गारंटी है।

इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल, केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रहलाद जोशी, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गोवा के मुख्यमंत्री उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

चौथा वैश्विक अक्षय ऊर्जा निवेशक सम्मेलन और एक्सपो (री-इन्वेस्ट) अक्षय ऊर्जा निर्माण और उपयोग में भारत की प्रभावशाली प्रगति को स्पष्ट करने के लिए आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन में करीब ढाई दिन तक विश्व भर से आये प्रतिनिधि भाग लेंगे। उपस्थित गणमान्य मुख्यमंत्रियों की पूर्ण बैठक, सीईओ गोलमेज सम्मेलन और अभिनव वित्तपोषण, हरित हाइड्रोजन और भविष्य के ऊर्जा समाधानों पर विशेष चर्चाओं सहित इस व्यापक कार्यक्रम में भागीदारी करेंगे। जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क और नॉर्वे भागीदार देशों के रूप में इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। गुजरात मेजबान राज्य है और आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश भागीदार राज्यों के रूप में भाग ले रहे हैं।

इस प्रदर्शनी में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों, स्टार्ट-अप्स और उद्योग जगत के प्रमुखों के अत्याधुनिक नवाचारों को प्रदर्शित किया जाएगा। यह प्रदर्शनी स्थायी भविष्य के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करेगी।

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Prime Minister pays homage to Netaji Subhas Chandra Bose
January 23, 2025

On the occasion of Parakram Diwas today, the Prime Minister Shri Narendra Modi paid homage to Netaji Subhas Chandra Bose. He remarked that Netaji’s contribution to India’s freedom movement was unparalleled and he epitomised courage and grit.

In separate posts on X, he said:

“Today, on Parakram Diwas, I pay homage to Netaji Subhas Chandra Bose. His contribution to India’s freedom movement is unparalleled. He epitomised courage and grit. His vision continues to motivate us as we work towards building the India he envisioned.”

“At around 11:25 AM today, I will share my message at the Parakram Diwas programme. May this day inspire our coming generations to embrace courage in the face of challenges, like Subhas Babu did.”