प्रधानमंत्री ने गुरु बसावेश्वर को श्रद्धांजलि अर्पित की, उन्हें सदियों पहले सामाजिक सुधार का रास्ता दिखाने वाले की संज्ञा दी
भारतीय समाज अद्वितीय है क्योंकि समय-समय पर समाज में सुधार लाने और सामाजिक बुराइयों से लड़ने के लिए समाज सुधारक आगे आए: पीएम मोदी
ऋषि, संत, और मठ... सभी ने समाज के लिए काफ़ी सेवा की है: प्रधानमंत्री मोदी
संन्यासी, संत... वे विपरीत परिस्थितियों से बाहर आए और यह सुनिश्चित किया कि समाज से बुराईयां दूर हों: प्रधानमंत्री
21वीं सदी ज्ञान की सदी है। जिसके पास अधिकाधिक ज्ञान और जानकारी होगी, वह पूरे विश्व को प्रभावित करेगा: प्रधानमंत्री
संतों ने 21वीं सदी की मर्म को समझा है और इसलिए ज्ञान का यह केंद्र शुरू किया जा रहा है: प्रधानमंत्री
हमें हमारे जवानों और सुरक्षा बलों पर गर्व है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
मानवता के दुश्मन, जो भारत की प्रगति नहीं देख सकते, ने पठानकोट पर हमला किया लेकिन हमारे सुरक्षा बलों ने उन्हें सफ़ल होने नहीं दिया: पीएम

मुझे पूछ रहे थे कि मैं हिन्‍दी में बोलू तो यहां translation करने की जरूरत है क्‍या? स्‍वामी जी स्‍वयं बताए कि कोई जरूरत नहीं, यहां सब हिन्‍दी समझते हैं। ये मेरा सौभाग्‍य है कि इस पवित्र उपक्रम में मुझे सरीक होने का अवसर मिला है। इतनी बड़ी संख्‍या में संतों की हाजिरी हो, इतने वरिष्‍ठ संत, इस उम्र में, इस समारोह में उपस्‍थित हो, ऐसा सौभाग्‍य कहां मिलता है।

कुछ दिन पहले मैं लंदन गया था। लोकतंत्र की बातें, मानवतावाद की बातें, women empowerment की चर्चाएं, दुनिया के देशों को लगता है ये सारे विचार वहीँ पर शुरू हुए, वही पर पैदा हुए और दुनिया को वही से मिले। जहां इस प्रकार की सोच है वहां पर मुझे उस महापुरुष के statue का अनावरण करने का सौभाग्‍य मिला। वे बसेश्‍वर जी, social reformers कैसे होते हैं, women empowerment क्‍या होता है, grass root level democracy की ताकत क्‍या होती है, सदियों पहले इसी धरती के महापुरुष बसेश्‍वर जी ने दुनिया को करके दिखाया। स्‍वीडन के पार्लियामेंट के स्‍पीकर उस अवसर पर मौजूद थे और जो मैंने समाज सुधार का महान काम करने वाले बसेश्‍वर जी की बातें सुनाई तो उनके लिए तो आश्‍चर्य था कि सदियों पहले भारत में महापुरुष का ऐसा चिंतन हुआ करता था और वो सिर्फ विचार नहीं व्‍यवहार भी था, आचरण भी था और करके दिखाया था। आज उसी परंपरा की एक कड़ी के साथ मुझे जुड़ने का सौभाग्‍य मिला है। मैं अपने आप को बहुत भाग्‍यशाली मानता हूं।

सारे विश्‍व में, इस बात के विषय में बहुत कम जानकारी है और कभी-कभी तो विश्‍व छोड़ो हमारे देश में भी एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो अपने आप को बहुत बड़ा बुद्धिमान मानता है, बड़ा elite class मानता है। उन्‍हें अंदाजा नहीं है कि भारत में ऋषियों ने, मुनियों ने, संतों ने, मंतों ने समाज हित के लिए कितने बड़े-बड़े काम किए हैं। उनका उस तरफ ध्‍यान ही नहीं है और इसलिए जहां-तहां हमारी इस महान परंपरा की आलोचना करते रहना यही कुछ लोगों की आदत बन गई है। इस देश की विशेषता है कि हजारों साल पुराने इस समाज जीवन में समय-समय पर किसी न किसी बुराई ने प्रवेश कर दिया है। समाज में विकृति आई, गलत चीजें घुस गई, गलत पंरपराएं घुस गई, जिसने इस समाज की आत्‍मा को भी तहस-तहस कर दिया लेकिन उसके बाद यही समाज की ताकत देखिए कि इसी समाज में से संत पैदा हुए, समाज सुधारक पैदा हुए, ऋषि-मुनि पैदा हुए और उन्‍होंने समाज के विरोधों के बावजूद भी समाज सुधार का बीड़ा उठाया और समाज की बुराइयों से समाज को मुक्‍त कराने का अविरत प्रयास किया।

हजारों साल से ये देश, ये परंपराएं, ये संस्‍कृति इसलिए बची है कि हर युग में जब-जब संकट आया, जब-जब हमारे भीतर बुराइयां आई, हमारे भीतर से ही एक नई ऊर्जा पैदा हुई, नया नेतृत्‍व पैदा हुआ, नई ताकत पैदा हुई, नई परंपरा पैदा हुई और समाज सुधार का काम चलता रहा और इसलिए मैं आज जब His Holiness जगतगुरु श्री डॉ. शिवराथरी राजेन्‍द्र महास्‍वामी जी के शताब्‍दी समारोह में आया हूं, उस महाने परंपरा को नमन करने के लिए आया हूं, जिस महान परंपरा ने समाज के हितों की, समाज के कल्‍याण की, चिंता करने में कभी कोई कमी नहीं की।

हम आजादी के आंदोलन को देखे, इस तरफ हमारे लोगों का ध्‍यान बहुत कम जाता है। लेकिन अगर हम आजादी के आंदोलन को देखे तो 19वीं शताब्‍दी में और 18वीं शताब्‍दी, ये दो शताब्‍दी पर हम नजर गड़े तो हमारे ध्‍यान में आएगा कि 20वीं शताब्‍दी में जो आजादी के आंदोलन की तीव्रता पैदा हुई, उसके पीछे 19वीं शताब्‍दी और 18वीं शताब्‍दी में हमारे संतों महंतों ने, जिसको हम भक्‍ति युग कहते है, उस भक्‍ति युग में जो चेतनाएं जगाई गई, भारत की आत्‍मा को जगाने का प्रयास हुआ और हिन्‍दुस्‍तान के हर क्षेत्र, इलाके में, पूर्व हो, पश्‍चिम हो, उत्‍तर हो, दक्षिण हो, हर भाषा-भाषी ने, कोई तो एक संत पैदा हुआ जो संत, मठ-मंदिरों से बहार निकला, एक सामूहिक जागरण का अभियान चलाया। पूरे देश में फिर से एक बार समाज की आत्‍मा को जगाने का काम दो शताब्‍दी तक हमारे संतों ने, हमारे महापुरुषों ने किया और वो चेतना जगी। जिस चेतना में से 1857 के स्‍वतंत्रता संग्राम की ज्‍योति जगी। वही एक तरह से 1947 में, देश आजादी को प्राप्‍त कर सका। आजादी के आंदोलन की पीठिका ऐसे महापुरुषों ने रची। जिसको आगे महात्‍मा गांधी का नेतृत्‍व मिला और देश ने महात्‍मा गांधी को भी कभी राजनेता के रूप में नहीं देखा था। उसी संत परंपरा की एक कड़ी के रूप में देखा था, तभी तो उनको महात्‍मा कहा था। जो बात संतों-महंतों के लिए कही जाती थी, वो बात महात्‍मा गांधी के लिए कही जाती थी। उसी परंपरा का नेतृत्‍व मिला और तब जाकर के देश को आजादी प्राप्‍त हुई और इसलिए भारत ने समाज जीवन के हर कबीला-कबिलाई, कबीलों से मुक्‍ति दिलाने का काम हमारे संतों के द्वारा हुआ है।

उसी प्रकार से, आज हम इस पीठ को देखते हैं। मुझे तो यहां पहले भी आने का सौभाग्‍य मिला है। शिक्षा के क्षेत्र में कितना बड़ा काम किया है। करीब एक लाख विद्यार्थियों की जिन्‍दगी, यहां बदल रही है। एक प्रकार से सरकार का काम संत कर रहे हैं। सरकार का बोझ भी हल्‍का कर रहे हैं और समाज की शक्‍ति बढ़ा रहे हैं।

आज यहां इस शताब्‍दी समारोह में knowledge Resource Centre का आरंभ हो रहा है। ये बात सत्‍य है कि पिछली शताब्‍दियों में राष्‍ट्र की शक्‍ति को नापने का आधार या तो धन शक्‍ति हुआ करता था या तो सैन्‍य बल शक्‍ति द्वारा। इस देश के पास कितना military power है और कितना money power है उसके आधार पर विश्‍व में उस देश की ताकत को नापा जाता था। उसी के आधार पर वो देश कितना शक्‍तिशाली है और उसके आधार पर विश्‍व में उसकी स्‍वीकृति बनती थी। लेकिन वक्‍त बदल चुका है, आज धन बल हो या सैन्‍य बल हो, इतने से गाड़़ी चलती नहीं है। 21वीं सदी ज्ञान की सदी है, knowledge की century है। जिसके पास ज्‍यादा information होगी, ज्‍यादा knowledge होगा, समय के अलग सोचने वाले innovations होंगे, दुनिया पर उसी देश की चलने वाली है। और इसलिए 21वीं सदी की ताकत को संतों ने पहचाना है और उस ताकत को वैज्ञानिक तरीके से रंग देने के लिए आज knowledge Resource Centre का आरंभ हो रहा है।

पिछली अनेक शताब्‍दियों में मानव जाति ने ज्ञान के आधार पर, विज्ञान के आधार पर, technology के आधार पर जो प्रगति की है, आज हर घंटे, हर दिन, हर महीने, हर साल विज्ञान के नए अविष्‍कार, ज्ञान का सर्वश्रेष्‍ठ प्रभाव, technology का प्रभुत्‍व, समाज जीवन को इतनी तेजी से बदल रहा है, जो पिछली शताब्‍दियों में कभी नहीं हुआ था। जिस गति से दुनिया बदल रही है, technology विज्ञान और ज्ञान के आधार पर उसको cope-up करने के लिए कभी-कभी मानव की कल्पना शक्‍ति भी कम पड़ जाती है। कही एक जगह पर लोग आगे बढ़े तो हम सोचते रह जाते हैं कि भई हम वहां कहां पहुंचेंगे। दुनिया इतनी तेजी से ज्ञान-विज्ञान और technology के सहारे बदल रही है। क्‍या भारत इंतजार करता रहेगा क्‍या? क्या भारत यही सोचता रहेगा क्या कि कोई महापुरुष, संत, महात्मा के आशीर्वाद मिल जाएंगे और देश महान हो जाएगा। संत भी ऐसा नहीं मानते हैं, संत भी मानते हैं कि knowledge Resource Centre बनाने चाहिए।

नए innovations होने चाहिए। पिछले दिनों आपको पता होगा पेरिस में दुनिया के सभी देशों के लोग इकट्ठे आए थे। एक बड़ा विश्व का कुंभ मेला लगा था और वे सब ब्रहमांड की चर्चा करने में लगे थे, Global warming के लिए, Global warming से कैसे मानव जात को बचाया जाए, विश्व को बचाया जाए, पृथ्वी को बचाया जाए, इसकी चिंता हो रही थी। लेकिन वहां पर दो बातें हुईं। एक भारत, अमेरिका, फ्रांस, इनके initiative थे, innovation पर बल देने के लिए योजना बने और इस संकट का सामना करना होगा, तो नए अनुसंधान करने पड़ेंगे, innovations करने पड़ेंगे और उसके लिए एक सामूहिक रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है और दूसरा वाला निर्णय हआ। जो देश जहां 300 दिवस से ज्यादा सूर्य प्रकाश उपलब्ध होता है, ऐसे देश इकट्ठे आएं। विश्व में करीब 122 countries ऐसे हैं कि जहां Solar Radiation काफी मात्रा में हैं और इससे भारत के प्रयासों से, भारत के नेतृत्व में दुनिया के 122 देश जहां 300 दिवस से ज्यादा सूर्य प्रकाश रहता है इकट्ठे आएं और सूर्य शक्ति का मानव जात में कैसे उपयोग हो, उस पर एक संगठन का निर्माण किया है।

इन चीजों का आने वाले युगों तक प्रभाव रहने वाला है। उसके मूल में ज्ञान है, विज्ञान है, technology है, innovation है और वही, वही बदलाव आया है और बदलाव को लाने की दिशा में एक उत्तम कदम है। और मैं मानता हूं कि शताब्दी समारोह तक पूज्य स्वामी जी को उत्तम से उत्तम श्रद्धांजलि, इस एक उत्तम कदम के द्वारा दी जा रही है और इसके लिए आप सब बधाई के पात्र हैं, अभिनंदन के पात्र हैं।

भारत सरकार की तरफ से इन उत्तम प्रयासों के लिए हमेशा-हमेशा के लिए कंधे से कन्धा मिलकर के देश, दिल्ली में बैठी हुई सरकार आपके साथ चलेगी और नए innovations समाज-जीवन के काम आएं, ज्ञान का भंडार, मानव जात के कल्याण का कारण बनें, उस दिशा में हम प्रयास करते रहें।

आज जब में इस पवित्र कार्यक्रम में आया हूं, मैं देश के जवानों का गर्व करना चाहता हूं, देश के सुरक्षा बलों का गर्व करना चाहता हूं, उनका अभिनंदन करना चाहता हूं। जब युद्ध होते हैं तो दुश्मन देश, अपने सामने वाले देश की सैन्य शक्ति पर घात करने के प्रयास करता है। आज मानवता के दुश्मनों ने जो भारतीय प्रगति को देखने की उनको परेशानी हो रही है, ऐसे तत्वों ने ऐसी ताकतों ने पठानकोट में हिंदुस्तान की सैन्य शक्ति का अंग Airbase देने का प्रयास किया है। मैं देश के सुरक्षा बलों को बधाई देता हूं कि दुश्मनों के उन इरादों को उन्होंने खाक में मिला दिया। उनको सफल नहीं होने दिया और जिन जवानों ने शहादत दी है, उनकी शहादत को मैं नमन करता हूं और देशवासियों को मैं विश्वास दिलाता हूं कि हमारे सुरक्षा बलों में वो सामर्थ्य है कि दुश्मनों की कोई भी नापाक इरादों को उठते ही वो खत्म करने की ताकत रखते हैं और देश को सुरक्षा प्रदान करते हैं। उन जांबाज जवानों को बधाई देता हूं, उन सुरक्षा बलों को अभिनंदन करता हूं और ऐसे समय राष्ट्र का आत्मविश्वास, राष्ट्र का धैर्य और राष्ट्रीय एकता एक स्वर में राष्ट्र जब बोलता है तो दुश्मन के घर नष्ट हो जाते हैं। उस संकल्प लेकर के आगे बढ़ें। इसी एक अपेक्षा के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद आपका। पूज्य स्वामी जी के श्री चरणों में प्रणाम करता हूं और ये knowledge Resource Centre 21वीं सदी में हमें नई ताकत दें, इसी अपेक्षा के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद।

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राष्ट्र प्रेरणा स्थल हमें संदेश देता है कि हमारा हर कदम, हर पग, हर प्रयास, राष्ट्र-निर्माण के लिए समर्पित हो: लखनऊ में पीएम मोदी
December 25, 2025
राष्ट्र प्रेरणा स्थल उस सोच का प्रतीक है जिसने भारत को आत्मसम्मान, एकता और सेवा का मार्ग दिखाया है: प्रधानमंत्री
सबका प्रयास ही विकसित भारत के संकल्प को सिद्ध करेगा: प्रधानमंत्री मोदी
हमने अंत्योदय को संतुष्टिकरण का एक नया विस्तार दिया है: प्रधानमंत्री

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे वरिष्ठ सहयोगी और लखनऊ के सांसद, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह जी, यूपी भाजपा के अध्यक्ष और केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्रीमान पंकज चौधरी जी, प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक जी, उपस्थित अन्य मंत्रीगण, जनप्रतिनिधिगण, देवियों और सज्जनों,

आज लखनऊ की ये भूमि, एक नई प्रेरणा की साक्षी बन रही है। इसकी विस्तार से चर्चा करने से पहले, मैं देश और दुनिया को क्रिसमस की शुभकामनाएं देता हूं। भारत में भी करोड़ों इसाई परिवार आज उत्सव मना रहे हैं, क्रिसमस का ये उत्सव, सभी के जीवन में खुशियां लाए, ये हम सभी की कामना है।

साथियों,

25 दिसंबर का ये दिन, देश की दो महान विभूतियों के जन्म का अद्भुत सुयोग लेकर भी आता है। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी, भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय जी, इन दोनों महापुरुषों ने भारत की अस्मिता, एकता और गौरव की रक्षा की, और राष्ट्र निर्माण में अपनी अमिट छाप छोड़ी।

साथियों,

आज 25 दिसंबर को ही महाराजा बिजली पासी जी की भी जन्म-जयंती है। लखनऊ का प्रसिद्ध बिजली पासी किला यहां से अधिक दूर नहीं है। महाराजा बिजली पासी ने, वीरता, सुशासन और समावेश की जो विरासत छोड़ी, उसको हमारे पासी समाज ने गौरव के साथ आगे बढ़ाया है। ये भी संयोग ही है कि, अटल जी ने ही वर्ष 2000 में महाराजा बिजली पासी के सम्मान में डाक टिकट जारी किया था।

साथियों,

आज इस पावन दिन, मैं महामना मालवीय जी, अटल जी और महाराजा बिजली पासी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं, उनका वंदन करता हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले मुझे, यहां राष्ट्र प्रेरणा स्थल का लोकार्पण करने का सौभाग्य मिला है। ये राष्ट्र प्रेरणा स्थल, उस सोच का प्रतीक है, जिसने भारत को आत्मसम्मान, एकता और सेवा का मार्ग दिखाया है। डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी और अटल बिहारी वाजपेयी जी, इनकी विशाल प्रतिमाएं जितनी ऊंची हैं, इनसे मिलने वाली प्रेरणाएं उससे भी अधिक बुलंद हैं। अटल जी ने लिखा था, नीरवता से मुखरित मधुबन, परहित अर्पित अपना तन-मन, जीवन को शत-शत आहुति में, जलना होगा, गलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। ये राष्ट्र प्रेरणा स्थल, हमें संदेश देता है कि हमारा हर कदम, हर पग, हर प्रयास, राष्ट्र-निर्माण के लिए समर्पित हो। सबका प्रयास ही, विकसित भारत के संकल्प को सिद्ध करेगा। मैं, लखनऊ को, उत्तर प्रदेश को, पूरे देश को, इस आधुनिक प्रेरणा-स्थली की बधाई देता हूं। और जैसा अभी बताया गया और वीडियों में भी दिखाया गया, कि जिस जमीन पर ये प्रेरणा स्थल बना है, उसकी 30 एकड़ से ज्यादा जमीन पर कई दशकों से कूड़े-कचरे का पहाड़ जमा हुआ था। पिछले तीन वर्ष में इसे पूरी तरह खत्म किया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी श्रमिकों, कारीगरों, योजनाकारों, योगी जी और उनकी पूरी टीम को भी मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश को दिशा देने में निर्णायक भूमिका निभाई है। ये डॉक्टर मुखर्जी ही थे, जिन्होंने भारत में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान के विधान को खारिज कर दिया था। आजादी के बाद भी, जम्मू-कश्मीर में ये व्यवस्था, भारत की अखंडता के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। भाजपा को गर्व है कि, हमारी सरकार को आर्टिकल 370 की दीवार गिराने का अवसर मिला। आज भारत का संविधान जम्मू कश्मीर में भी पूरी तरह लागू है।

साथियों,

स्वतंत्र भारत के पहले उद्योग मंत्री के रूप में, डॉक्टर मुखर्जी ने भारत में आर्थिक आत्मनिर्भरता की नींव रखी थी। उन्होंने देश को पहली औद्योगिक नीति दी थी। यानी भारत में औद्योगीकरण की बुनियाद रखी थी। आज आत्मनिर्भरता के उसी मंत्र को हम नई बुलंदी दे रहे हैं। मेड इन इंडिया सामान आज दुनियाभर में पहुंच रहा है। यहां यूपी में ही देखिए, एक तरफ, एक जनपद एक उत्पाद का इतना बड़ा अभियान चल रहा है, छोटे-छोटे उद्योगों, छोटी इकाइयों का सामर्थ्य बढ़ रहा है। दूसरी तरफ, यूपी में बहुत बड़ा डिफेंस कॉरिडोर बन रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने जिस ब्रह्मोस मिसाइल का जलवा देखा, वो अब लखनऊ में बन रही है। वो दिन दूर नहीं जब यूपी का डिफेंस कॉरिडोर, दुनियाभर में डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग के लिए जाना जाएगा।

साथियों,

दशकों पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने अंत्योदय का एक सपना देखा था। वे मानते थे कि भारत की प्रगति का पैमाना, अंतिम पंक्ति में खड़े 'अंतिम व्यक्ति' के चेहरे की मुस्कान से मापा जाएगा। दीनदयाल जी ने 'एकात्म मानववाद' का दर्शन भी दिया, जहाँ शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा, सबका विकास हो। दीन दयाल जी के सपने को मोदी ने अपना संकल्प बनाया है। हमने अंत्योदय को सैचुरेशन यानी संतुष्टिकरण का नया विस्तार दिया है। सैचुरेशन यानी हर ज़रूरतमंद, हर लाभार्थी को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के दायरे में लाने का प्रयास। जब सैचुरेशन की भावना होती है, तो भेदभाव नहीं होता, और यही तो सुशासन है, यही सच्चा सामाजिक न्याय है, यही सच्चा सेकुलरिज्म है। आज जब देश के करोड़ों नागरिकों को, बिना भेदभाव, पहली बार पक्का घर, शौचालय, नल से जल, बिजली और गैस कनेक्शन मिल रहा है, करोड़ों लोगों को पहली बार मुफ्त अनाज और मुफ्त इलाज मिल रहा है। पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास हो रहा है, तो पंडित दीन दयाल जी के विजन के साथ न्याय हो रहा है।

साथियों,

बीते दशक में करोड़ों भारतीयों ने गरीबी को परास्त किया है, गरीबी को हराया है। ये इसलिए संभव हुआ, क्योंकि भाजपा सरकार ने, जो पीछे छूट गया था, उसे प्राथमिकता दी, जो अंतिम पंक्ति में था, उसे प्राथमिकता दी।

साथियों,

2014 से पहले करीब 25 करोड़ देशवासी ऐसे थे, जो सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में थे, 25 करोड़। आज करीब 95 करोड़ भारतवासी, इस सुरक्षा कवच के दायरे में हैं। उत्तर प्रदेश में भी बड़ी संख्या में लोगों को इसका लाभ मिला है। मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं। जैसे बैंक खाते सिर्फ कुछ ही लोगों के होते थे, वैसे ही, बीमा भी कुछ ही संपन्न लोगों तक सीमित था। हमारी सरकार ने अंतिम व्यक्ति तक बीमा सुरक्षा पहुंचाने का बीड़ा उठाया। इसके लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना बनाई, इससे मामूली प्रीमियम पर दो लाख रुपए का बीमा सुनिश्चित हुआ। आज इस स्कीम से 25 करोड़ से ज्यादा गरीब जुड़े हैं। इसी तरह, दुर्घटना बीमा के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना चल रही है। इससे भी करीब 55 करोड़ गरीब जुड़े हैं। ये वो गरीब देशवासी हैं, जो पहले बीमा के बारे में सोच भी नहीं पाते थे।

साथियों,

आपको जानकार के हैरानी होगी, इन योजनाओं से करीब-करीब 25 हजार करोड़ रुपए का क्लेम, इन छोटे-छोटे परिवार के छोटे-छोटे जिंदगी के गुजारे करने वाले, मेरे सामान्य गरीब परिवारों तक 25 हजार करोड़ रूपयों का लाभ पहुंचा है। यानी संकट के समय ये पैसा गरीब परिवारों के काम आया है।

साथियों,

आज अटल जी की जयंती का ये दिन सुशासन के उत्सव का भी दिन है। लंबे समय तक, देश में गरीबी हटाओ जैसे नारों को ही गवर्नेंस मान लिया गया था। लेकिन अटल जी ने, सही मायने में सुशासन को ज़मीन पर उतारा। आज डिजिटल पहचान की इतनी चर्चा होती है, इसकी नींव बनाने का काम अटल जी की सरकार ने ही किया था। उस समय जिस विशेष कार्ड के लिए काम शुरु हुआ था, जो आज आधार के रूप में, विश्व विख्यात हो चुका है। भारत में टेलिकॉम क्रांति को गति देने का श्रेय भी अटल जी को ही जाता है। उनकी सरकार ने जो टेलिकॉम नीति बनाई, उससे घर-घर तक फोन और इंटरनेट पहुंचाना आसान हुआ, और आज भारत, दुनिया में सबसे अधिक मोबाइल और इंटरनेट यूज़र वाले देशों में से एक है।

साथियों,

आज अटल जी जहां होंगे, इस बात से प्रसन्न होंगे कि, बीते 11 वर्षों में भारत, दुनिया का दूसरा बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बन गया है। और जिस यूपी से वो सांसद रहे, वो यूपी आज भारत का नंबर वन मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग राज्य है।

साथियों,

कनेक्टिविटी को लेकर अटल जी के विजन ने, 21वीं सदी के भारत को शुरुआती मजबूती दी। अटल जी की सरकार के समय ही, गांव-गांव तक सड़कें पहुंचाने का अभियान शुरु किया गया था। उसी समय स्वर्णिम चतुर्भुज, यानी हाईवे के विस्तार पर काम शुरु हुआ था।

साथियों,

साल 2000 के बाद से प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत अब तक करीब 8 लाख किलोमीटर सड़कें गांवों में बनी हैं। और इनमें से करीब 4 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें पिछले 10-11 साल में बनी हैं।

और साथियों,

आज आप देखिए, आज हमारे देश में अभूतपूर्व गति से एक्सप्रेस-वे बनाने का काम कितनी तेजी से चल रहा है। हमारा यूपी भी एक्सप्रेस-वे स्टेट के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। वो अटल जी ही थे, जिन्होंने दिल्ली में मेट्रो की शुरुआत की थी। आज देश के 20 से ज्यादा शहरों में मेट्रो नेटवर्क, लाखों लोगों का जीवन आसान बना रहा है। भाजपा-NDA सरकार ने सुशासन की जो विरासत बनाई है, उसे आज भाजपा की केंद्र और राज्य की सरकारें, नए आयाम, नया विस्तार दे रही है।

साथियों,

डॉक्टर मुखर्जी, पंडित दीन दयाल जी, अटल जी, इन तीन महापुरुषों की प्रेरणा, उनके विजनरी कार्य, ये विशाल प्रतिमाएं, विकसित भारत का बहुत बड़ा आधार है। आज इनकी प्रतिमाएं, हमें नई ऊर्जा से भर रही हैं। लेकिन हमें ये नहीं भूलना है कि, आज़ादी के बाद, भारत में हुए हर अच्छे काम को कैसे एक ही परिवार से जोड़ने की प्रवृत्ति पनपी। किताबें हों, सरकारी योजनाएं हों, सरकारी संस्थान हों, गली, सड़क, चौराहे हों, एक ही परिवार का गौरवगान, एक ही परिवार के नाम, उनकी ही मूर्तियां, यही सब चला। भाजपा ने देश को एक परिवार की बंधक बनी इस पुरानी प्रवृत्ति से भी बाहर निकाला है। हमारी सरकार, मां भारती की सेवा करने वाली हर अमर संतान, हर किसी के योगदान को सम्मान दे रही है। मैं कुछ उदाहरण आपको देता हूं, आज नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा, दिल्ली के कर्तव्य पथ पर है। अंडमान में जिस द्वीप पर नेताजी ने तिरंगा फहराया, आज उसका नाम नेताजी के नाम पर है।

साथियों,

कोई नहीं भूल सकता कि कैसे बाबा साहेब आंबेडकर की विरासत को मिटाने का प्रयास हुआ, दिल्ली में कांग्रेस के शाही परिवार ने ये पाप किया, और यहां यूपी में सपा वालों ने भी यही दुस्साहस किया, लेकिन भाजपा ने बाबा साहेब की विरासत को मिटने नहीं दिया। आज दिल्ली से लेकर लंदन तक, बाबा साहेब आंबेडकर के पंचतीर्थ उनकी विरासत का जयघोष कर रहे हैं।

साथियों,

सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सैकड़ों रियासतों में बंटे हमारे देश को एक किया था, लेकिन आज़ादी के बाद, उनके काम और उनके कद, दोनों को छोटा करने का प्रयास किया गया। ये भाजपा है जिसने सरदार साहेब को वो मान-सम्मान दिया, जिसके वो हकदार थे। भाजपा ने ही सरदार पटेल की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई, एकता नगर के रूप में एक प्रेरणा स्थली का निर्माण किया। अब हर साल वहां 31 अक्टूबर को देश राष्ट्रीय एकता दिवस का मुख्य आयोजन करता है।

साथियों,

हमारे यहां दशकों तक आदिवासियों के योगदान को भी उचित स्थान नहीं दिया गया। हमारी सरकार ने ही भगवान बिरसा मुंडा का भव्य स्मारक बनाया, अभी कुछ सप्ताह पहले ही छत्तीसगढ़ में शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी म्यूजियम का लोकार्पण हुआ है।

साथियों,

देशभर में ऐसे अनेक उदाहरण हैं, यहीं उत्तर प्रदेश में ही देखें तो, महाराजा सुहेलदेव का स्मारक, तब बना जब भाजपा सरकार बनी। यहाँ निषादराज और प्रभु श्रीराम की मिलन स्थली को अब जाकर के मान-सम्मान मिला। राजा महेंद्र प्रताप सिंह से लेकर चौरी-चौरा के शहीदों तक, मां भारती के सपूतों के योगदान को भाजपा सरकार ने ही पूरी श्रद्धा और विन्रमता से याद किया है।

साथियों,

परिवारवाद की राजनीति की एक विशिष्ट पहचान होती है, ये असुरक्षा से भरी हुई होती है। इसलिए, परिवारवादियों के लिए, दूसरों की लकीर छोटी करना मजबूरी हो जाता है, ताकि उनके परिवार का कद बड़ा दिखे और उनकी दुकान चलती रहे। इसी सोच ने भारत में राजनीतिक छुआछूत का चलन शुरु किया। आप सोचिए, आज़ाद भारत में अनेक प्रधानमंत्री हुए, लेकिन राजधानी दिल्ली में जो म्यूजियम था, उसमें अनेक पूर्व प्रधानमंत्रियों को नजर अंदाज किया गया। इस स्थिति को भी भाजपा ने, एनडीए ने ही बदला है। आज आप दिल्ली जाते हैं, तो भव्य प्रधानमंत्री संग्रहालय आपका स्वागत करता है वहां आज़ाद भारत के हर प्रधानमंत्री, चाहे कार्यकाल कितना भी छोटा रहा हो, सबको उचित सम्मान और स्थान दिया गया है।

साथियों,

कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने राजनीतिक रूप से भाजपा को हमेशा अछूत बनाए रखा। लेकिन भाजपा के संस्कार हमें सबका सम्मान करना सिखाते हैं। बीते 11 वर्षों में भाजपा सरकार के दौरान, एनडीए सरकार के दौरान, नरसिम्हा राव जी और प्रणब बाबू को भारत रत्न दिया गया है। ये हमारी सरकार है जिसने मुलायम सिंह यादव जी और तरुण गोगोई जी जैसे अनेक नेताओं को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया है। कांग्रेस से, यहां समाजवादी पार्टी से कोई भी ऐसी उम्मीद तक नहीं कर सकता। इन लोगों के राज में तो भाजपा के नेताओं को सिर्फ अपमान ही मिलता था।

साथियों,

भाजपा की डबल इंजन सरकार का बहुत अधिक फायदा उत्तर प्रदेश को हो रहा है। उत्तर प्रदेश, 21वीं सदी के भारत में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। और मेरा सौभाग्य है कि मैं यूपी से सांसद हूं। आज मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं, कि उत्तर प्रदेश के मेहनतकश लोग एक नया भविष्य लिख रहे हैं। कभी यूपी की चर्चा खराब कानून व्यवस्था को लेकर होती थी, आज यूपी की चर्चा विकास के लिए होती है। आज यूपी देश के पर्यटन मानचित्र पर तेज़ी से उभर रहा है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर, काशी विश्वनाथ धाम, ये दुनिया में यूपी की नई पहचान के प्रतीक बन रहे हैं। और राष्ट्र प्रेरणा स्थल जैसे आधुनिक निर्माण, उत्तर प्रदेश की नई छवि को और अधिक रोशन बनाते हैं।

साथियों,

हमारा उत्तर प्रदेश, सुशासन, समृद्धि, सच्चे सामाजिक न्याय के मॉडल के रूप में और बुलंदी हासिल करे, इसी कामना के साथ आप सभी को फिर से राष्ट्र प्रेरणा स्थल की बधाई। मैं कहूंगा डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, आप कहेंगे अमर रहे, अमर रहे। मैं कहूं पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी, आप कहें अमर रहे, अमर रहे। मैं कहूं अटल बिहारी वाजपेयी जी, आप कहें अमर रहे, अमर रहे।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी - अमर रहे, अमर रहे।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी - अमर रहे, अमर रहे।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी - अमर रहे, अमर रहे।

पंडित दीनदयाल जी - अमर रहे, अमर रहे।

पंडित दीनदयाल जी - अमर रहे, अमर रहे।

पंडित दीनदयाल जी - अमर रहे, अमर रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी जी - अमर रहे, अमर रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी जी - अमर रहे, अमर रहे।

अटल बिहारी वाजपेयी जी - अमर रहे, अमर रहे।

भारत माता की जय!

वन्दे मातरम्।

वन्दे मातरम्।

बहुत-बहुत धन्यवाद।