प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आमंत्रण पर, फ़िजी के प्रधानमंत्री श्री सितिवेनी राबुका 24 से 26 अगस्त, 2025 तक भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए हैं। श्री राबुका की प्रधानमंत्री के तौर पर यह पहली भारत यात्रा है। श्री राबुका के साथ उनकी पत्नी; स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवा मंत्री श्री एंटोनियो लालबालावु और फ़िजी के वरिष्ठ अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल भी आया है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने फिजी के प्रधानमंत्री श्री राबुका और उनके प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत किया। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय मामलों के समग्र पहलुओं और परस्पर हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा की। उन्होंने संबंधों की प्रगाढ़ता पर संतोष व्यक्त किया और रक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, कृषि प्रसंस्करण, व्यापार एवं निवेश, लघु एवं मध्यम उद्यम विकसित करने, सहकारिता, संस्कृति, खेल, शिक्षा और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में व्यापक, समावेशी और भविष्योन्मुखी साझेदारी के संकल्प की पुष्टि की।

दोनों नेताओं ने हाल के वर्षों में द्विपक्षीय यात्राओं में आई तेजी पर संतोष व्यक्त किया, जिसमें अगस्त 2024 में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु की फिजी की पहली ऐतिहासिक यात्रा शामिल है। उन्होंने फरवरी 2023 में फिजी के नाडी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के सफल आयोजन का भी स्मरण किया, जिसमें भारत और फिजी के बीच साझा भाषाई और सांस्कृतिक विरासत को उल्लासित भाव से मनाया गया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत और फिजी के बीच गहरे और दीर्घकालीन संबंधों की पुष्टि की और दोनों देशों के लोगों के बीच गहरे जुड़ाव की बात दोहराई। उन्होंने फिजी की बहुसांस्कृतिक पहचान, विविधतापूर्ण समाज और अर्थव्यवस्था को आकार देने में 1879 और 1916 के बीच फिजी पहुंचे 60,000 से अधिक भारतीय गिरमिटिया मजदूर समाज के योगदान को स्वीकार किया। प्रधानमंत्री राबुका ने मई 2025 में 146वें गिरमिट दिवस समारोह में भाग लेने के लिए विदेश और वस्त्र राज्य मंत्री श्री पबित्रा मार्गेरिटा की फिजी यात्रा की सराहना की।

दोनों नेताओं ने जुलाई 2025 में छठे विदेश मंत्रालय कार्यालयी परामर्श के सफल आयोजन का उल्लेख किया, जो दोनों देशों के बीच सहयोग की प्रगति और नए क्षेत्रों की पहचान का महत्वपूर्ण मंच सिद्ध हुआ।

दोनों नेताओं ने आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग सुदृढ़ करने पर सहमति व्यक्त की और आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा की। दोनों नेताओं ने 26 निर्दोष नागरिकों की जान लेने वाले पहलगाम आतंकी हमले की कड़े शब्दों में भर्त्सना करते हुए आतंकवाद बिलकुल सहन न करने की बात दोहराई और आतंकवाद पर दोहरे मानदंडों को खारिज किया। दोनों देशों ने कट्टरपंथ का मुकाबला करने की आवश्यकता को स्वीकार किया और आतंक वित्तपोषण को रोकने; आतंकी हमलों में नई और उभरती प्रौद्योगिकियों का दुरूपयोग रोकने और संयुक्त प्रयासों एवं क्षमता बढ़ाकर आतंकवादियों की भर्ती और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध से निपटने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की। दोनों पक्षों ने आतंकवाद से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अन्य बहुराष्ट्रीय मंचों पर मिलकर काम करने पर सहमति जताई।

दोनो प्रधानमंत्रियों ने भारत के मिशन लाइफ और ब्लू पैसिफिक महाद्वीप के लिए 2050 की रणनीतिक भावना के अनुरूप जलवायु संरक्षण, प्रकृति अनुकूल निर्माण और सतत विकास की प्रतिबद्धता दोहराई। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (जीबीए) में फिजी की सदस्यता की सराहना की। दोनों नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में बढ़ते सहयोग का स्वागत किया, जिसमें आईएसए के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता द्वारा फिजी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में एक स्टार-केंद्र की स्थापना और फिजी में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सौर ऊर्जा बढ़ाने के लिए संरचना स्थापन साझेदारी हस्ताक्षर शामिल हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने तकनीकी सहायता, क्षमता निर्माण और वैश्विक मंचों पर पुरजोर वकालत द्वारा सीडीआरआई ढांचे के तहत फिजी के राष्ट्रीय स्थिति अनुकूलन लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।

दोनों नेताओं ने वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (जीबीए) के ढांचे के अंतर्गत स्थायी ऊर्जा समाधान के लिए जैव ईंधन को बढ़ावा देने की साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की। गठबंधन के संस्थापक और सक्रिय सदस्यों के रूप में, दोनों पक्षों ने ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाने और समावेशी ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने में जैव ईंधन की अहम भूमिका पर ज़ोर दिया। वे फिजी में स्थायी जैव ईंधन उत्पादन और इस्तेमाल बढ़ाने के लिए क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता और नीतिगत ढांचे बनाने में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हुए।

दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार में निरंतर बढ़ोतरी को स्वीकारते हुए भारत और फिजी के बीच व्यापार एवं निवेश की पर्याप्त अप्रयुक्त संभावना के इस्तेमाल पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने आर्थिक साझेदारी और सुदृढ़ करने, व्यापार पोर्टफोलियो में विविधता लाने और आपूर्ति श्रृंखलाओं में अनुकूलता बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय सहयोग मजबूत करने की मंशा व्यक्त की। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने फिजी सरकार द्वारा भारतीय घी को वहां के बाज़ार में पहुंच प्रदान किए जाने का स्वागत किया।

मजबूत, समावेशी और संधारणीय हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचे का साझा दृष्टिकोण दोहराते हुए, दोनों नेताओं ने समृद्धि बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई। दोनों नेताओं ने एक्ट ईस्ट नीति के तहत, भारत-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग मंच (एफआईपीआईसी) द्वारा फिजी समेत प्रशांत द्वीप देशों के साथ भारत के बढ़ते जुड़ाव और प्रशांत द्वीप समूह मंच (पीआईएफ) में डायलॉग पार्टनर(वार्ता सहयोगी) के तौर पर भारत की भागीदारी की सराहना की। मई 2023 में आयोजित तीसरे एफआईपीआईसी शिखर सम्मेलन के सफल परिणामों का स्मरण करते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने फिजी की प्राथमिकताओं को केंद्र में रखते हुए व्यापक पहल द्वारा इस क्षेत्र में विकास साझेदारी के लिए भारत की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में इंगित करते हुए दोनों नेताओं ने सुवा में 100 बिस्तरों वाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के डिजाइन, निर्माण, कमीशनिंग, संचालन और रखरखाव पर हुए समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर का स्वागत किया, जो प्रशांत क्षेत्र में भारत के अनुदान सहायता कार्यक्रम के अंतर्गत सबसे बड़ी परियोजना है।

 

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मई 2025 में भारतीय फार्माकोपिया को मान्यता देने के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर का स्वागत किया, जिससे दवा क्षेत्र में सहयोग सुदृढ़ होगा और फिजी में गुणवत्तापूर्ण और सस्ती स्वास्थ्य सेवा और उत्पाद तक वहां के लोगों की बेहतर पहुंच सुनिश्चित होगी। उन्होंने फिजी में जन औषधि केंद्र स्थापित किए जाने के लिए भारत की सहायता की भी पुष्टि की ताकि लोगों को कम कीमत पर जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराई जा सकें। दोनों नेताओं ने 13 अगस्त 2025 को भारत और फिजी के बीच स्वास्थ्य पर तीसरे संयुक्त कार्य समूह की बैठक आयोजित किये जाने का स्वागत किया, जिसमें भारत की प्रमुख टेलीमेडिसिन पहल, ई-संजीवनी के तहत दूरस्थ स्वास्थ्य सेवाओं को सुगम बनाने और भारत और फिजी के बीच डिजिटल सुदृढ़ करते हुए स्वास्थ्य संपर्क बढ़ाने के सहयोग पर चर्चा की गई। स्वास्थ्य सहयोग को और मजबूती देते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने घोषणा की कि फिजी में द्वितीय जयपुर फुट शिविर आयोजित किया जाएगा। भारत, फिजी के विदेशी चिकित्सा रेफरल कार्यक्रम के पूरक के रूप में ‘हील इन इंडिया’ कार्यक्रम के अंतर्गत 10 फिजीवासियों के लिए भारतीय अस्पतालों में विशेष/तृतीयक चिकित्सा देखभाल सेवाएं भी उपलब्ध कराएगा।

भारत-फ़िजी सहयोग के महत्वपूर्ण आधार के तौर पर विकास साझेदारी की पुष्टि करते हुए,दोनों नेताओं ने फ़िजी में पहली त्वरित प्रभाव परियोजना (क्यूआईपी) के तहत तुबालेवु ग्राम भूजल आपूर्ति परियोजना के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर का स्वागत किया। इससे स्थानीय समुदायों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। वर्ष 2024 में टोंगा में आयोजित 53वें प्रशांत द्वीप समूह मंच नेताओं की बैठक में भारत ने इसकी घोषणा की थी।

दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग में आई गति को भी स्वीकार किया। उन्होंने क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि के साझा हितों के महत्व पर बल दिया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 2017 में रक्षा सहयोग समझौता ज्ञापन में उल्लिखित सहयोग के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को आगे बढ़ाने और फ़िजी की रणनीतिक प्राथमिकताओं को सहयोग देने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। नेताओं ने संयुक्त रक्षा कार्य समूह की पहली बैठक के परिणामों का स्वागत किया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान (यूएनपीकेओ), सैन्य औषधि, वाणिज्यिक नौवहन सूचना आदान-प्रदान (डब्ल्यूएसआईई) और फिजी के सैन्य बलों के लिए क्षमता वर्धन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना शामिल है।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने आपसी रक्षा सहयोग पर संतोष व्यक्त किया और रक्षा एवं समुद्री सुरक्षा सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए इन्हें और मज़बूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई। प्रधानमंत्री राबुका ने फिजी के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) (समुद्र तट से 200 समुद्री मील का आर्थिक संसाधन क्षेत्र) की सुरक्षा सुनिश्चित करने के महत्व पर बल दिया और फिजी की सुरक्षा आवश्यकताओं में सहायता के लिए भारत के आश्वासन का स्वागत किया। प्रधानमंत्री राबुका ने एक भारतीय नौसैनिक जहाज के फिजी में आगामी पड़ाव पत्तन का स्वागत किया, जिससे समुद्री सहयोग और अंतर-संचालन क्षमता में वृद्धि होगी।

दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रक्षा प्रयासों में तेज़ी लाने और क्षेत्र में पारस्परिक लाभ को बढ़ावा देने तथा शांति, स्थिरता और समृद्धि बढ़ाने के उद्देश्य से नई पहल द्वारा रक्षा सहयोग और सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता दोहराई। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने फिजी के सैन्य बलों को दो एम्बुलेंस उपहार में देने और सुवा स्थित भारतीय उच्चायोग में रक्षा विंग स्थापित किये जाने की घोषणा की। साइबर सुरक्षा को दोनों देशों के बीच सहयोग का उभरता हुआ क्षेत्र मानते हुए दोनों नेताओं ने फिजी में साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण प्रकोष्ठ (सीएसटीसी) स्थापित किये जाने का स्वागत किया। उन्होंने मौजूदा और उभरती चुनौतियों, विशेषकर समुद्री, मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) सहायता तथा प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर बल दिया।

दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व ने स्वतंत्र, खुले, सुरक्षित और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा सुदृढ़ करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए योगदान देने के लिए सहयोग करने की मंशा व्यक्त की।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने लोगों के आपसी संबंधों को भारत और फिजी के संबंधों का प्राकृतिक आधार मानते हुए इन्हें और गहरा बनाने खासकर आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने पर बल दिया। दोनों नेताओं ने भारत और फ़िजी के बीच प्रवासन और आवागमन पर आशय घोषणापत्र पर हस्ताक्षर का स्वागत किया। इससे दोनों देशों के बीच कुशल पेशेवरों और छात्रों की आवाजाही सुगम होगी।

दोनों नेताओं ने फ़िजी विश्वविद्यालय में हिंदी अध्ययन केंद्र विकसित करने में सहयोग के लिए एक हिंदी-सह-संस्कृत शिक्षक की प्रतिनियुक्ति का स्वागत किया, जिससे भाषाई और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने फ़िजी के पंडितों के एक समूह को भारत में प्रशिक्षण देने के लिए सहयोग की घोषणा की, जो इस वर्ष के अंत में भारत में आयोजित होने वाले 'अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव' में भी भाग लेंगे। भारत में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2025 के समारोहों के साथ ही फिजी में भी अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव आयोजित किया जाएगा।

दोनों नेताओं ने फिजी के साथ भारत की साझेदारी में क्षमता निर्माण को महत्वपूर्ण स्तंभ स्वीकार किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के माध्यम से भारत, फिजी के सरकारी पेशेवरों को क्षमता निर्माण के अवसर प्रदान करता रहेगा।

दोनों नेताओं ने कृषि और खाद्य सुरक्षा को द्विपक्षीय सहयोग का प्रमुख क्षेत्र माना। प्रधानमंत्री राबुका ने फिजी में खाद्य सुरक्षा और कृषि अनुकूलता को बढ़ावा देने के लिए जुलाई 2025 में भारत द्वारा भेजे गए 5 मीट्रिक टन उच्च गुणवत्ता पूर्ण लोबिया बीजों की सहायता के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी को धन्यवाद दिया।

श्री मोदी ने भारत के अनुदान सहायता कार्यक्रम के तहत फिजी को 12 कृषि ड्रोन और 2 मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं उपहार में देने की घोषणा की, जिससे वहां चीनी उत्पादन में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और उत्पादकता बढ़ेगी। इस क्षेत्र में और सहयोग के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने फिजी चीनी निगम में एक आईटीईसी विशेषज्ञ भेजने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने फिजी के चीनी क्षेत्र पेशेवरों के लिए विशेष आईटीईसी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाने की भी घोषणा की।

दोनों देशों के बीच बढ़ते खेल संबंधों, विशेषकर फिजी में क्रिकेट और भारत में रग्बी के प्रति बढ़ते उत्साह पर दोनों नेताओं ने ज़ोर दिया। फिजी के अनुरोध पर वहां स्थानीय प्रतिभा विकसित करने के लिए एक भारतीय क्रिकेट कोच फिजी क्रिकेट टीम को प्रशिक्षित करेगा, जिससे खेलों में युवाओं की भागीदारी बढ़ेगी।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सुवा में भारतीय उच्चायोग के लिए चांसरी-सह-सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना हेतु फिजी सरकार द्वारा भूमि आवंटित किये जाने की सराहना की और लीज़ टाइटल के हस्तांतरण का स्वागत किया। वर्ष 2015 में नई दिल्ली में फिजी सरकार को अपना उच्चायोग चांसरी निर्मित करने के लिए भूमि आवंटित की जा चुकी है।

दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग और प्रगाढ़ बनाने के उद्देश्य से निम्नलिखित पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया। इनमें (i) ग्रामीण विकास, कृषि वित्तपोषण और वित्तीय समावेशन में सहयोग बढ़ाने के लिए फिजी विकास बैंक (एफडीबी) और भारत के राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के बीच समझौता ज्ञापन; (ii) भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) और फिजी के राष्ट्रीय व्यापार माप और मानक विभाग (डीएनटीएमएस) के बीच मानकीकरण के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन; (iii) मानव क्षमता निर्माण, कौशल और कौशल उन्नयन के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के तहत राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईईएलआईटी) और प्रशांत पॉलिटेक्निक, फिजी के बीच समझौता ज्ञापन; (iv) आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और फिजी वाणिज्य और नियोक्ता महासंघ (एफसीईएफ) के बीच समझौता ज्ञापन; और एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड और फिजी गणराज्य के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवा मंत्रालय के साथ जन औषधि योजना के अंतर्गत दवाओं की आपूर्ति समझौता शामिल हैं।

दोनों नेताओं ने लोकतांत्रिक और विधायी संबंधों को मज़बूत और सुचारु बनाने की दिशा में संसदीय शिष्टमंडल के एक-दूसरे के यहां दौरे के महत्व को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 2026 में फिजी के सांसद प्रतिनिधिमंडल की प्रस्तावित भारत यात्रा का स्वागत किया। प्रधानमंत्री राबुका ने फिजी में सामाजिक एकता और सामुदायिक विकास को बढ़ावा देने में ग्रेट काउंसिल ऑफ चीफ्स (फिजी की संवैधानिक निकाय) द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। श्री मोदी ने दोनों देशों के लोगों के बीच संबंधों को और सुदृढ़ बनाने के लिए ग्रेट काउंसिल ऑफ चीफ्स (जीसीसी) के प्रतिनिधिमंडल की प्रस्तावित भारत यात्रा का स्वागत किया।

दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों पर विचार-विमर्श किया और शांति, जलवायु न्याय, समावेशी विकास और विकासशील देशों- ग्लोबल साउथ की आवाज़ बुलंद करने की साझा प्रतिबद्धता दोहराई। प्रधानमंत्री राबुका ने ग्लोबल साउथ में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका की सराहना की। उन्होंने बहुपक्षीय मंचों पर एक-दूसरे को दिए गए महत्वपूर्ण समर्थन की भी सराहना की।

दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र में व्यापक सुधारों की अविलंब आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की, जिसमें समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से परिलक्षित करने के लिए दोनों श्रेणियों की सदस्यता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार शामिल है। फ़िजी ने सुधारित और विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करते हुए वर्ष 2028-29 के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन की पुष्टि की।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने समकालीन वैश्विक चुनौतियों के प्रभावी समाधान के लिए दक्षिण-दक्षिण सहयोग (विकासशील देशों के बीच सहयोग) को निरंतर मज़बूत करने की आवश्यकता बताई और वैश्विक शासकीय संस्थानों में बेहतर और समान प्रतिनिधित्व सहित ग्लोबल साउथ के साझा हितों के मुद्दों पर मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की। प्रधानमंत्री राबुका ने "वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ" शिखर सम्मेलन आयोजित किये जाने में भारत की पहल और नेतृत्व की सराहना की। यह सम्मेलन विकासशील देशों की साझा चिंताओं, चुनौतियों और विकासात्मक प्राथमिकताओं पर विचार-विमर्श के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बना। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने "वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ" शिखर सम्मेलन में फिजी की सक्रिय भागीदारी की सराहना की और शिखर सम्मेलन के नेताओं के सत्र में उनकी भागीदारी के लिए प्रधानमंत्री राबुका को धन्यवाद दिया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने ग्लोबल साउथ देशों के साझा अनुभव पर आधारित अनूठे विकास समाधान के लिए फिजी के ग्लोबल साउथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, दक्षिण के साथ निरंतर जुड़ाव का स्वागत किया।

भारत और फिजी के प्रधानमंत्रियों ने संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर ज़ोर देते हुए खुले, समावेशी, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र की प्रतिबद्धता दोहराई। प्रधानमंत्री राबुका ने हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) में शामिल होने में फिजी की रुचि व्यक्त की। श्री मोदी ने समुद्री क्षेत्र के प्रबंधन, संरक्षण और स्थिरता के समान विचारधारा वाले देशों की साझेदारी में फिजी का स्वागत किया। प्रधानमंत्री राबुका ने 'शांति के महासागर' की अवधारणा का उल्लेख किया जो इस क्षेत्र के शांतिपूर्ण, स्थिर, सुरक्षित और सतत भविष्य और कल्याण के निर्माण पर ज़ोर देती है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने प्रशांत क्षेत्र में 'शांति के महासागर' के निर्माण में उनके नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री राबुका की सराहना की।

प्रधानमंत्री राबुका ने अपने और अपने प्रतिनिधिमंडल के गर्मजोशी भरे स्वागत-आतिथ्य के लिए भारत सरकार और भारत के लोगों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री मोदी को फिजी की यात्रा का निमंत्रण दिया।

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November 17, 2025
India is eager to become developed, India is eager to become self-reliant: PM
India is not just an emerging market, India is also an emerging model: PM
Today, the world sees the Indian Growth Model as a model of hope: PM
We are continuously working on the mission of saturation; Not a single beneficiary should be left out from the benefits of any scheme: PM
In our new National Education Policy, we have given special emphasis to education in local languages: PM

विवेक गोयनका जी, भाई अनंत, जॉर्ज वर्गीज़ जी, राजकमल झा, इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के सभी अन्य साथी, Excellencies, यहां उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों!

आज हम सब एक ऐसी विभूति के सम्मान में यहां आए हैं, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र में, पत्रकारिता, अभिव्यक्ति और जन आंदोलन की शक्ति को नई ऊंचाई दी है। रामनाथ जी ने एक Visionary के रूप में, एक Institution Builder के रूप में, एक Nationalist के रूप में और एक Media Leader के रूप में, Indian Express Group को, सिर्फ एक अखबार नहीं, बल्कि एक Mission के रूप में, भारत के लोगों के बीच स्थापित किया। उनके नेतृत्व में ये समूह, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों और राष्ट्रीय हितों की आवाज़ बना। इसलिए 21वीं सदी के इस कालखंड में जब भारत विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो रामनाथ जी की प्रतिबद्धता, उनके प्रयास, उनका विजन, हमारी बहुत बड़ी प्रेरणा है। मैं इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप का आभार व्यक्त करता हूं कि आपने मुझे इस व्याख्यान में आमंत्रित किया, मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

रामनाथ जी गीता के एक श्लोक से बहुत प्रेरणा लेते थे, सुख दुःखे समे कृत्वा, लाभा-लाभौ जया-जयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व, नैवं पापं अवाप्स्यसि।। अर्थात सुख-दुख, लाभ-हानि और जय-पराजय को समान भाव से देखकर कर्तव्य-पालन के लिए युद्ध करो, ऐसा करने से तुम पाप के भागी नहीं बनोगे। रामनाथ जी आजादी के आंदोलन के समय कांग्रेस के समर्थक रहे, बाद में जनता पार्टी के भी समर्थक रहे, फिर जनसंघ के टिकट पर चुनाव भी लड़ा, विचारधारा कोई भी हो, उन्होंने देशहित को प्राथमिकता दी। जिन लोगों ने रामनाथ जी के साथ वर्षों तक काम किया है, वो कितने ही किस्से बताते हैं जो रामनाथ जी ने उन्हें बताए थे। आजादी के बाद जब हैदराबाद और रजाकारों को उसके अत्याचार का विषय आया, तो कैसे रामनाथ जी ने सरदार वल्‍लभभाई पटेल की मदद की, सत्तर के दशक में जब बिहार में छात्र आंदोलन को नेतृत्व की जरूरत थी, तो कैसे नानाजी देशमुख के साथ मिलकर रामनाथ जी ने जेपी को उस आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए तैयार किया। इमरजेंसी के दौरान, जब रामनाथ जी को इंदिऱा गांधी के सबसे करीबी मंत्री ने बुलाकर धमकी दी कि मैं तुम्हें जेल में डाल दूंगा, तो इस धमकी के जवाब में रामनाथ जी ने पलटकर जो कहा था, ये सब इतिहास के छिपे हुए दस्तावेज हैं। कुछ बातें सार्वजनिक हुई, कुछ नहीं हुई हैं, लेकिन ये बातें बताती हैं कि रामनाथ जी ने हमेशा सत्य का साथ दिया, हमेशा कर्तव्य को सर्वोपरि रखा, भले ही सामने कितनी ही बड़ी ताकत क्‍यों न हो।

साथियों,

रामनाथ जी के बारे में कहा जाता था कि वे बहुत अधीर थे। अधीरता, Negative Sense में नहीं, Positive Sense में। वो अधीरता जो परिवर्तन के लिए परिश्रम की पराकाष्ठा कराती है, वो अधीरता जो ठहरे हुए पानी में भी हलचल पैदा कर देती है। ठीक वैसे ही, आज का भारत भी अधीर है। भारत विकसित होने के लिए अधीर है, भारत आत्मनिर्भर होने के लिए अधीर है, हम सब देख रहे हैं, इक्कीसवीं सदी के पच्चीस साल कितनी तेजी से बीते हैं। एक से बढ़कर एक चुनौतियां आईं, लेकिन वो भारत की रफ्तार को रोक नहीं पाईं।

साथियों,

आपने देखा है कि बीते चार-पांच साल कैसे पूरी दुनिया के लिए चुनौतियों से भरे रहे हैं। 2020 में कोरोना महामारी का संकट आया, पूरे विश्व की अर्थव्यवस्थाएं अनिश्चितताओं से घिर गईं। ग्लोबल सप्लाई चेन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा और सारा विश्व एक निराशा की ओर जाने लगा। कुछ समय बाद स्थितियां संभलना धीरे-धीरे शुरू हो रहा था, तो ऐसे में हमारे पड़ोसी देशों में उथल-पुथल शुरू हो गईं। इन सारे संकटों के बीच, हमारी इकॉनमी ने हाई ग्रोथ रेट हासिल करके दिखाया। साल 2022 में यूरोपियन क्राइसिस के कारण पूरे दुनिया की सप्लाई चेन और एनर्जी मार्केट्स प्रभावित हुआ। इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ा, इसके बावजूद भी 2022-23 में हमारी इकोनॉमी की ग्रोथ तेजी से होती रही। साल 2023 में वेस्ट एशिया में स्थितियां बिगड़ीं, तब भी हमारी ग्रोथ रेट तेज रही और इस साल भी जब दुनिया में अस्थिरता है, तब भी हमारी ग्रोथ रेट Seven Percent के आसपास है।

साथियों,

आज जब दुनिया disruption से डर रही है, भारत वाइब्रेंट फ्यूचर के Direction में आगे बढ़ रहा है। आज इंडियन एक्सप्रेस के इस मंच से मैं कह सकता हूं, भारत सिर्फ़ एक emerging market ही नहीं है, भारत एक emerging model भी है। आज दुनिया Indian Growth Model को Model of Hope मान रहा है।

साथियों,

एक सशक्त लोकतंत्र की अनेक कसौटियां होती हैं और ऐसी ही एक बड़ी कसौटी लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी की होती है। लोकतंत्र को लेकर लोग कितने आश्वस्त हैं, लोग कितने आशावादी हैं, ये चुनाव के दौरान सबसे अधिक दिखता है। अभी 14 नवंबर को जो नतीजे आए, वो आपको याद ही होंगे और रामनाथ जी का भी बिहार से नाता रहा था, तो उल्लेख बड़ा स्वाभाविक है। इन ऐतिहासिक नतीजों के साथ एक और बात बहुत अहम रही है। कोई भी लोकतंत्र में लोगों की बढ़ती भागीदारी को नजरअंदाज नहीं कर सकता। इस बार बिहार के इतिहास का सबसे अधिक वोटर टर्न-आउट रहा है। आप सोचिए, महिलाओं का टर्न-आउट, पुरुषों से करीब 9 परसेंट अधिक रहा। ये भी लोकतंत्र की विजय है।

साथियों,

बिहार के नतीजों ने फिर दिखाया है कि भारत के लोगों की आकांक्षाएं, उनकी Aspirations कितनी ज्यादा हैं। भारत के लोग आज उन राजनीतिक दलों पर विश्वास करते हैं, जो नेक नीयत से लोगों की उन Aspirations को पूरा करते हैं, विकास को प्राथमिकता देते हैं। और आज इंडियन एक्सप्रेस के इस मंच से मैं देश की हर राज्य सरकार को, हर दल की राज्य सरकार को बहुत विनम्रता से कहूंगा, लेफ्ट-राइट-सेंटर, हर विचार की सरकार को मैं आग्रह से कहूंगा, बिहार के नतीजे हमें ये सबक देते हैं कि आप आज किस तरह की सरकार चला रहे हैं। ये आने वाले वर्षों में आपके राजनीतिक दल का भविष्य तय करेंगे। आरजेडी की सरकार को बिहार के लोगों ने 15 साल का मौका दिया, लालू यादव जी चाहते तो बिहार के विकास के लिए बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन उन्होंने जंगलराज का रास्ता चुना। बिहार के लोग इस विश्वासघात को कभी भूल नहीं सकते। इसलिए आज देश में जो भी सरकारें हैं, चाहे केंद्र में हमारी सरकार है या फिर राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें हैं, हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता सिर्फ एक होनी चाहिए विकास, विकास और सिर्फ विकास। और इसलिए मैं हर राज्य सरकार को कहता हूं, आप अपने यहां बेहतर इंवेस्टमेंट का माहौल बनाने के लिए कंपटीशन करिए, आप Ease of Doing Business के लिए कंपटीशन करिए, डेवलपमेंट पैरामीटर्स में आगे जाने के लिए कंपटीशन करिए, फिर देखिए, जनता कैसे आप पर अपना विश्वास जताती है।

साथियों,

बिहार चुनाव जीतने के बाद कुछ लोगों ने मीडिया के कुछ मोदी प्रेमियों ने फिर से ये कहना शुरू किया है भाजपा, मोदी, हमेशा 24x7 इलेक्शन मोड में ही रहते हैं। मैं समझता हूं, चुनाव जीतने के लिए इलेक्शन मोड नहीं, चौबीसों घंटे इलेक्शन मोड में रहना जरूरी होता है, इमोशनल मोड में रहना जरूरी होता है, इलेक्शन मोड में नहीं। जब मन के भीतर एक बेचैनी सी रहती है कि एक मिनट भी गंवाना नहीं है, गरीब के जीवन से मुश्किलें कम करने के लिए, गरीब को रोजगार के लिए, गरीब को इलाज के लिए, मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, बस मेहनत करते रहना है। इस इमोशन के साथ, इस भावना के साथ सरकार लगातार जुटी रहती है, तो उसके नतीजे हमें चुनाव परिणाम के दिन दिखाई देते हैं। बिहार में भी हमने अभी यही होते देखा है।

साथियों,

रामनाथ जी से जुड़े एक और किस्से का मुझसे किसी ने जिक्र किया था, ये बात तब की है, जब रामनाथ जी को विदिशा से जनसंघ का टिकट मिला था। उस समय नानाजी देशमुख जी से उनकी इस बात पर चर्चा हो रही थी कि संगठन महत्वपूर्ण होता है या चेहरा। तो नानाजी देशमुख ने रामनाथ जी से कहा था कि आप सिर्फ नामांकन करने आएंगे और फिर चुनाव जीतने के बाद अपना सर्टिफिकेट लेने आ जाइएगा। फिर नानाजी ने पार्टी कार्यकर्ताओं के बल पर रामनाथ जी का चुनाव लड़ा औऱ उन्हें जिताकर दिखाया। वैसे ये किस्सा बताने के पीछे मेरा ये मतलब नहीं है कि उम्मीदवार सिर्फ नामांकन करने जाएं, मेरा मकसद है, भाजपा के अनगिनत कर्तव्य़ निष्ठ कार्यकर्ताओं के समर्पण की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना।

साथियों,

भारतीय जनता पार्टी के लाखों-करोड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने पसीने से भाजपा की जड़ों को सींचा है और आज भी सींच रहे हैं। और इतना ही नहीं, केरला, पश्चिम बंगाल, जम्मू-कश्मीर, ऐसे कुछ राज्यों में हमारे सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने अपने खून से भी भाजपा की जड़ों को सींचा है। जिस पार्टी के पास ऐसे समर्पित कार्यकर्ता हों, उनके लिए सिर्फ चुनाव जीतना ध्येय नहीं होता, बल्कि वो जनता का दिल जीतने के लिए, सेवा भाव से उनके लिए निरंतर काम करते हैं।

साथियों,

देश के विकास के लिए बहुत जरूरी है कि विकास का लाभ सभी तक पहुंचे। दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित, सभी तक जब सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचता है, तो सामाजिक न्याय सुनिश्चित होता है। लेकिन हमने देखा कि बीते दशकों में कैसे सामाजिक न्याय के नाम पर कुछ दलों, कुछ परिवारों ने अपना ही स्वार्थ सिद्ध किया है।

साथियों,

मुझे संतोष है कि आज देश, सामाजिक न्याय को सच्चाई में बदलते देख रहा है। सच्चा सामाजिक न्याय क्या होता है, ये मैं आपको बताना चाहता हूं। 12 करोड़ शौचालयों के निर्माण का अभियान, उन गरीब लोगों के जीवन में गरिमा लेकर के आया, जो खुले में शौच के लिए मजबूर थे। 57 करोड़ जनधन बैंक खातों ने उन लोगों का फाइनेंशियल इंक्लूजन किया, जिनको पहले की सरकारों ने एक बैंक खाते के लायक तक नहीं समझा था। 4 करोड़ गरीबों को पक्के घरों ने गरीब को नए सपने देखने का साहस दिया, उनकी रिस्क टेकिंग कैपेसिटी बढ़ाई है।

साथियों,

बीते 11 वर्षों में सोशल सिक्योरिटी पर जो काम हुआ है, वो अद्भुत है। आज भारत के करीब 94 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी नेट के दायरे में आ चुके हैं। और आप जानते हैं 10 साल पहले क्या स्थिति थी? सिर्फ 25 करोड़ लोग सोशल सिक्योरिटी के दायरे में थे, आज 94 करोड़ हैं, यानि सिर्फ 25 करोड़ लोगों तक सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ पहुंच रहा था। अब ये संख्या बढ़कर 94 करोड़ पहुंच चुकी है और यही तो सच्चा सामाजिक न्याय है। और हमने सोशल सिक्योरिटी नेट का दायरा ही नहीं बढ़ाया, हम लगातार सैचुरेशन के मिशन पर काम कर रहे हैं। यानि किसी भी योजना के लाभ से एक भी लाभार्थी छूटे नहीं। और जब कोई सरकार इस लक्ष्य के साथ काम करती है, हर लाभार्थी तक पहुंचना चाहती है, तो किसी भी तरह के भेदभाव की गुंजाइश भी खत्म हो जाती है। ऐसे ही प्रयासों की वजह से पिछले 11 साल में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त करके दिखाया है। और तभी आज दुनिया भी ये मान रही है- डेमोक्रेसी डिलिवर्स।

साथियों,

मैं आपको एक और उदाहरण दूंगा। आप हमारे एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम का अध्ययन करिए, देश के सौ से अधिक जिले ऐसे थे, जिन्हें पहले की सरकारें पिछड़ा घोषित करके भूल गई थीं। सोचा जाता था कि यहां विकास करना बड़ा मुश्किल है, अब कौन सर खपाए ऐसे जिलों में। जब किसी अफसर को पनिशमेंट पोस्टिंग देनी होती थी, तो उसे इन पिछड़े जिलों में भेज दिया जाता था कि जाओ, वहीं रहो। आप जानते हैं, इन पिछड़े जिलों में देश की कितनी आबादी रहती थी? देश के 25 करोड़ से ज्यादा नागरिक इन पिछड़े जिलों में रहते थे।

साथियों,

अगर ये पिछड़े जिले पिछड़े ही रहते, तो भारत अगले 100 साल में भी विकसित नहीं हो पाता। इसलिए हमारी सरकार ने एक नई रणनीति के साथ काम करना शुरू किया। हमने राज्य सरकारों को ऑन-बोर्ड लिया, कौन सा जिला किस डेवलपमेंट पैरामीटर में कितनी पीछे है, उसकी स्टडी करके हर जिले के लिए एक अलग रणनीति बनाई, देश के बेहतरीन अफसरों को, ब्राइट और इनोवेटिव यंग माइंड्स को वहां नियुक्त किया, इन जिलों को पिछड़ा नहीं, Aspirational माना और आज देखिए, देश के ये Aspirational Districts, कितने ही डेवलपमेंट पैरामीटर्स में अपने ही राज्यों के दूसरे जिलों से बहुत अच्छा करने लगे हैं। छत्तीसगढ़ का बस्तर, वो आप लोगों का तो बड़ा फेवरेट रहा है। एक समय आप पत्रकारों को वहां जाना होता था, तो प्रशासन से ज्यादा दूसरे संगठनों से परमिट लेनी होती थी, लेकिन आज वही बस्तर विकास के रास्ते पर बढ़ रहा है। मुझे नहीं पता कि इंडियन एक्सप्रेस ने बस्तर ओलंपिक को कितनी कवरेज दी, लेकिन आज रामनाथ जी ये देखकर बहुत खुश होते कि कैसे बस्तर में अब वहां के युवा बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजन कर रहे हैं।

साथियों,

जब बस्तर की बात आई है, तो मैं इस मंच से नक्सलवाद यानि माओवादी आतंक की भी चर्चा करूंगा। पूरे देश में नक्सलवाद-माओवादी आतंक का दायरा बहुत तेजी से सिमट रहा है, लेकिन कांग्रेस में ये उतना ही सक्रिय होता जा रहा था। आप भी जानते हैं, बीते पांच दशकों तक देश का करीब-करीब हर बड़ा राज्य, माओवादी आतंक की चपेट में, चपेट में रहा। लेकिन ये देश का दुर्भाग्य था कि कांग्रेस भारत के संविधान को नकारने वाले माओवादी आतंक को पालती-पोसती रही और सिर्फ दूर-दराज के क्षेत्रों में जंगलों में ही नहीं, कांग्रेस ने शहरों में भी नक्सलवाद की जड़ों को खाद-पानी दिया। कांग्रेस ने बड़ी-बड़ी संस्थाओं में अर्बन नक्सलियों को स्थापित किया है।

साथियों,

10-15 साल पहले कांग्रेस में जो अर्बन नक्सली, माओवादी पैर जमा चुके थे, वो अब कांग्रेस को मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, MMC बना चुके हैं। और मैं आज पूरी जिम्मेदारी से कहूंगा कि ये मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, अपने स्वार्थ में देशहित को तिलांजलि दे चुकी है। आज की मुस्लिम लीगी- माओवादी कांग्रेस, देश की एकता के सामने बहुत बड़ा खतरा बनती जा रही है।

साथियों,

आज जब भारत, विकसित बनने की एक नई यात्रा पर निकल पड़ा है, तब रामनाथ गोयनका जी की विरासत और भी प्रासंगिक है। रामनाथ जी ने अंग्रेजों की गुलामी से डटकर टक्कर ली, उन्होंने अपने एक संपादकीय में लिखा था, मैं अंग्रेज़ों के आदेश पर अमल करने के बजाय, अखबार बंद करना पसंद करुंगा। इसी तरह जब इमरजेंसी के रूप में देश को गुलाम बनाने की एक और कोशिश हुई, तब भी रामनाथ जी डटकर खड़े हो गए थे और ये वर्ष तो इमरजेंसी के पचास वर्ष पूरे होने का भी है। और इंडियन एक्सप्रेस ने 50 वर्ष पहले दिखाया है, कि ब्लैंक एडिटोरियल्स भी जनता को गुलाम बनाने वाली मानसिकता को चुनौती दे सकते हैं।

साथियों,

आज आपके इस सम्मानित मंच से, मैं गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के इस विषय पर भी विस्तार से अपनी बात रखूंगा। लेकिन इसके लिए हमें 190 वर्ष पीछे जाना पड़ेगा। 1857 के सबसे स्वतंत्रता संग्राम से भी पहले, वो साल था 1835, 1835 में ब्रिटिश सांसद थॉमस बेबिंगटन मैकाले ने भारत को अपनी जड़ों से उखाड़ने के लिए एक बहुत बड़ा अभियान शुरू किया था। उसने ऐलान किया था, मैं ऐसे भारतीय बनाऊंगा कि वो दिखने में तो भारतीय होंगे लेकिन मन से अंग्रेज होंगे। और इसके लिए मैकाले ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन नहीं, बल्कि उसका समूल नाश कर दिया। खुद गांधी जी ने भी कहा था कि भारत की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था एक सुंदर वृक्ष थी, जिसे जड़ से हटा कर नष्ट कर दिया।

साथियों,

भारत की शिक्षा व्यवस्था में हमें अपनी संस्कृति पर गर्व करना सिखाया जाता था, भारत की शिक्षा व्यवस्था में पढ़ाई के साथ ही कौशल पर भी उतना ही जोर था, इसलिए मैकाले ने भारत की शिक्षा व्यवस्था की कमर तोड़ने की ठानी और उसमें सफल भी रहा। मैकाले ने ये सुनिश्चित किया कि उस दौर में ब्रिटिश भाषा, ब्रिटिश सोच को ज्यादा मान्यता मिले और इसका खामियाजा भारत ने आने वाली सदियों में उठाया।

साथियों,

मैकाले ने हमारे आत्मविश्वास को तोड़ दिया दिया, हमारे भीतर हीन भावना का संचार किया। मैकाले ने एक झटके में हजारों वर्षों के हमारे ज्ञान-विज्ञान को, हमारी कला-संस्कृति को, हमारी पूरी जीवन शैली को ही कूड़ेदान में फेंक दिया था। वहीं पर वो बीज पड़े कि भारतीयों को अगर आगे बढ़ना है, अगर कुछ बड़ा करना है, तो वो विदेशी तौर तरीकों से ही करना होगा। और ये जो भाव था, वो आजादी मिलने के बाद भी और पुख्ता हुआ। हमारी एजुकेशन, हमारी इकोनॉमी, हमारे समाज की एस्पिरेशंस, सब कुछ विदेशों के साथ जुड़ गईं। जो अपना है, उस पर गौरव करने का भाव कम होता गया। गांधी जी ने जिस स्वदेशी को आज़ादी का आधार बनाया था, उसको पूछने वाला ही कोई नहीं रहा। हम गवर्नेंस के मॉडल विदेश में खोजने लगे। हम इनोवेशन के लिए विदेश की तरफ देखने लगे। यही मानसिकता रही, जिसकी वजह से इंपोर्टेड आइडिया, इंपोर्टेड सामान और सर्विस, सभी को श्रेष्ठ मानने की प्रवृत्ति समाज में स्थापित हो गई।

साथियों,

जब आप अपने देश को सम्मान नहीं देते हैं, तो आप स्वदेशी इकोसिस्टम को नकारते हैं, मेड इन इंडिया मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को नकारते हैं। मैं आपको एक और उदाहरण, टूरिज्म की बात करता हूं। आप देखेंगे कि जिस भी देश में टूरिज्म फला-फूला, वो देश, वहां के लोग, अपनी ऐतिहासिक विरासत पर गर्व करते हैं। हमारे यहां इसका उल्टा ही हुआ। भारत में आज़ादी के बाद, अपनी विरासत को दुत्कारने के ही प्रयास हुए, जब अपनी विरासत पर गर्व नहीं होगा तो उसका संरक्षण भी नहीं होगा। जब संरक्षण नहीं होगा, तो हम उसको ईंट-पत्थर के खंडहरों की तरह ही ट्रीट करते रहेंगे और ऐसा हुआ भी। अपनी विरासत पर गर्व होना, टूरिज्म के विकास के लिए भी आवश्यक शर्त है।

साथियों,

ऐसे ही स्थानीय भाषाओं की बात है। किस देश में ऐसा होता है कि वहां की भाषाओं को दुत्कारा जाता है? जापान, चीन और कोरिया जैसे देश, जिन्होंने west के अनेक तौर-तरीके अपनाए, लेकिन भाषा, फिर भी अपनी ही रखी, अपनी भाषा पर कंप्रोमाइज नहीं किया। इसलिए, हमने नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई पर विशेष बल दिया है और मैं बहुत स्पष्टता से कहूंगा, हमारा विरोध अंग्रेज़ी भाषा से नहीं है, हम भारतीय भाषाओं के समर्थन में हैं।

साथियों,

मैकाले द्वारा किए गए उस अपराध को 1835 में जो अपराध किया गया 2035, 10 साल के बाद 200 साल हो जाएंगे और इसलिए आज आपके माध्यम से पूरे देश से एक आह्वान करना चाहता हूं, अगले 10 साल में हमें संकल्प लेकर चलना है कि मैकाले ने भारत को जिस गुलामी की मानसिकता से भर दिया है, उस सोच से मुक्ति पाकर के रहेंगे, 10 साल हमारे पास बड़े महत्वपूर्ण हैं। मुझे याद है एक छोटी घटना, गुजरात में लेप्रोसी को लेकर के एक अस्पताल बन रहा था, तो वो सारे लोग महात्‍मा गांधी जी से मिले उसके उद्घाटन के लिए, तो महात्मा जी ने कहा कि मैं लेप्रोसी के अस्पताल के उद्घाटन के पक्ष में नहीं हूं, मैं नहीं आऊंगा, लेकिन ताला लगाना है, उस दिन मुझे बुलाना, मैं ताला लगाने आऊंगा। गांधी जी के रहते हुए उस अस्पताल को तो ताला नहीं लगा था, लेकिन गुजरात जब लेप्रोसी से मुक्त हुआ और मुझे उस अस्पताल को ताला लगाने का मौका मिला, जब मैं मुख्यमंत्री बना। 1835 से शुरू हुई यात्रा 2035 तक हमें खत्म करके रहना है जी, गांधी जी का जैसे सपना था कि मैं ताला लगाऊंगा, मेरा भी यह सपना है कि हम ताला लगाएंगे।

साथियों,

आपसे बहुत सारे विषयों पर चर्चा हो गई है। अब आपका मैं ज्यादा समय लेना नहीं चाहता हूं। Indian Express ग्रुप देश के हर परिवर्तन का, देश की हर ग्रोथ स्टोरी का साक्षी रहा है और आज जब भारत विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर चल रहा है, तो भी इस यात्रा के सहभागी बन रहे हैं। मैं आपको बधाई दूंगा कि रामनाथ जी के विचारों को, आप सभी पूरी निष्ठा से संरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं। एक बार फिर, आज के इस अद्भुत आयोजन के लिए आप सभी को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं। और, रामनाथ गोयनका जी को आदरपूर्वक मैं नमन करते हुए मेरी बात को विराम देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद!