अतीत की परिपाटी से हटते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने चौतरफा विकास हासिल करने के लिए सहयोगी और प्रतिस्पर्धी संघवाद को बढ़ावा देने पर जोर दिया। लंबे समय तक हमने केंद्र और राज्यों के बीच बड़े भाई जैसा संबंध देखा। ‘सभी के लिए एक ही सांचे’ का इस्तेमाल वर्षों तक किया गया। विभिन्न राज्यों की विविधता और उनकी स्थानीय जरूरतों को ध्यान में नहीं रखा गया।



राज्यों को और अधिक मजबूती और शक्ति देने के लिए नीति आयोग का गठन किया गया।  एक महत्वपूर्ण विकासमूलक कदम के तहत केंद्र स राज्यों की ओर एकतरफा प्रवाह की नीति को बदल दिया गया और इसकी जगह राज्यों के साथ एक वास्तवित और सतत भागीदारी ने ले ली। नीति आयोग सरकार के लिए रणनीतिक नीतिगत विजन मुहैया कराने के साथ ही आकस्मिक मुद्दों के समाधान के लिए तेजी से काम करेगा।



नीति आयोग राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं की साझा दृष्टि विकसित करने के लिए काम करेगा। इसमें राष्ट्रीय उद्देश्य के आलोक में राज्यों की सक्रिय भागीदारी होगी। नीति आयोग का विजन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के लिए राष्ट्रीय एजेंडे का मसौदा उपलब्ध कराएगा। ये सतत रूप से राज्यों के साथ संरचनात्मक समर्थन और कार्यप्रणाली के साथ सहयोगात्मक संघवाद को बढ़ावा देगा। ये मानता है कि मजबूत राज्य ही मजबूत राष्ट्र का निर्माण करते हैं। ये गांव स्तर पर विश्वसनीय योजनाएं बनाने की प्रणाली विकसित करेगा।



एक महत्वपूर्ण कदम के तहत केंद्र की एनडीए सरकार ने 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया। इससे राज्यों को कर राजस्व का 42% हिस्सा मिलेगा, जबकि पहले ये आंकड़ा 32% था। हालांकि जाहिर तौर पर इससे केंद्र सरकार के पास कम धन बचेगा, लेकिन भारत सरकार ने इन सिफारिशों को सकारात्मक भाव से लिया क्योंकि ये सिफारिशें राज्यों को अपनी प्राथमिकताओं और जरूरतों के अनुसार योजनाओं बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अधिक शक्ति और आजादी देती हैं। ये एक अभूतपूर्व बढ़ोतरी है, जो राज्यों को हर संभव तरीके से सशक्त करेगी। उन्हें वित्तीय अनुशासन बरतते हुए अधिक वित्तीय शक्ति और आजादी के साथ अपनी योजनाएं बनाने की इजाजत होगी।

एक अनोखी पहल के तहत प्रधानमंत्री मोदी अपनी चीन यात्रा के दौरान दो मुख्यमंत्रियों को साथ ले गए। वहां उन्होंने एक महत्वपूर्ण पहल प्राविंशल लीडर्स फोरम में भाग लिया। इससे राज्य और केंद्र संबंधों में एक नए युग का आरंभ हुआ।

खासतौर से पूर्वी भारत के कोयला भंडार वालो राज्यों को महत्वपूर्ण बढ़ावा देते हुए कोयला आवंटन से मिली राशि का एक बड़ा हिस्सा राज्यों को मिलेगा, जिससे उन्हें भारी लाभ हुए।

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जल जीवन मिशन के 6 साल: हर नल से बदलती ज़िंदगी
August 14, 2025
"हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन, एक प्रमुख डेवलपमेंट पैरामीटर बन गया है।" - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

पीढ़ियों तक, ग्रामीण भारत में सिर पर पानी के मटके ढोती महिलाओं का दृश्य रोज़मर्रा की बात थी। यह सिर्फ़ एक काम नहीं था, बल्कि एक ज़रूरत थी, जो उनके दैनिक जीवन का अहम हिस्सा थी। पानी अक्सर एक या दो मटकों में लाया जाता, जिसे पीने, खाना बनाने, सफ़ाई और कपड़े धोने इत्यादि के लिए बचा-बचाकर इस्तेमाल करना पड़ता था। यह दिनचर्या आराम, पढ़ाई या कमाई के काम के लिए बहुत कम समय छोड़ती थी, और इसका बोझ सबसे ज़्यादा महिलाओं पर पड़ता था।

2014 से पहले, पानी की कमी, जो भारत की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक थी; को न तो गंभीरता से लिया गया और न ही दूरदृष्टि के साथ हल किया गया। सुरक्षित पीने के पानी तक पहुँच बिखरी हुई थी, गाँव दूर-दराज़ के स्रोतों पर निर्भर थे, और पूरे देश में हर घर तक नल का पानी पहुँचाना असंभव-सा माना जाता था।

यह स्थिति 2019 में बदलनी शुरू हुई, जब भारत सरकार ने जल जीवन मिशन (JJM) शुरू किया। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य हर ग्रामीण घर तक सक्रिय घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) पहुँचाना है। उस समय केवल 3.2 करोड़ ग्रामीण घरों में, जो कुल संख्या का महज़ 16.7% था, नल का पानी उपलब्ध था। बाकी लोग अब भी सामुदायिक स्रोतों पर निर्भर थे, जो अक्सर घर से काफी दूर होते थे।

जुलाई 2025 तक, हर घर जल कार्यक्रम के अंतर्गत प्रगति असाधारण रही है, 12.5 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को जोड़ा गया है, जिससे कुल संख्या 15.7 करोड़ से अधिक हो गई है। इस कार्यक्रम ने 200 जिलों और 2.6 लाख से अधिक गांवों में 100% नल जल कवरेज हासिल किया है, जिसमें 8 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश अब पूरी तरह से कवर किए गए हैं। लाखों लोगों के लिए, इसका मतलब न केवल घर पर पानी की पहुंच है, बल्कि समय की बचत, स्वास्थ्य में सुधार और सम्मान की बहाली है। 112 आकांक्षी जिलों में लगभग 80% नल जल कवरेज हासिल किया गया है, जो 8% से कम से उल्लेखनीय वृद्धि है। इसके अतिरिक्त, वामपंथी उग्रवाद जिलों के 59 लाख घरों में नल के कनेक्शन किए गए, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि विकास हर कोने तक पहुंचे। महत्वपूर्ण प्रगति और आगे की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय बजट 2025–26 में इस कार्यक्रम को 2028 तक बढ़ाने और बजट में वृद्धि की घोषणा की गई है।

2019 में राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किए गए जल जीवन मिशन की शुरुआत गुजरात से हुई है, जहाँ श्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री के रूप में सुजलाम सुफलाम पहल के माध्यम से इस शुष्क राज्य में पानी की कमी से निपटने के लिए काम किया था। इस प्रयास ने एक ऐसे मिशन की रूपरेखा तैयार की जिसका लक्ष्य भारत के हर ग्रामीण घर में नल का पानी पहुँचाना था।

हालाँकि पेयजल राज्य का विषय है, फिर भी भारत सरकार ने एक प्रतिबद्ध भागीदार की भूमिका निभाई है, तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए राज्यों को स्थानीय समाधानों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार दिया है। मिशन को पटरी पर बनाए रखने के लिए, एक मज़बूत निगरानी प्रणाली लक्ष्यीकरण के लिए आधार को जोड़ती है, परिसंपत्तियों को जियो-टैग करती है, तृतीय-पक्ष निरीक्षण करती है, और गाँव के जल प्रवाह पर नज़र रखने के लिए IoT उपकरणों का उपयोग करती है।

जल जीवन मिशन के उद्देश्य जितने पाइपों से संबंधित हैं, उतने ही लोगों से भी संबंधित हैं। वंचित और जल संकटग्रस्त क्षेत्रों को प्राथमिकता देकर, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य केंद्रों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करके, और स्थानीय समुदायों को योगदान या श्रमदान के माध्यम से स्वामित्व लेने के लिए प्रोत्साहित करके, इस मिशन का उद्देश्य सुरक्षित जल को सभी की ज़िम्मेदारी बनाना है।

इसका प्रभाव सुविधा से कहीं आगे तक जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि JJM के लक्ष्यों को प्राप्त करने से प्रतिदिन 5.5 करोड़ घंटे से अधिक की बचत हो सकती है, यह समय अब शिक्षा, काम या परिवार पर खर्च किया जा सकता है। 9 करोड़ महिलाओं को अब बाहर से पानी लाने की ज़रूरत नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी अनुमान है कि सभी के लिए सुरक्षित जल, दस्त से होने वाली लगभग 4 लाख मौतों को रोक सकता है और स्वास्थ्य लागत में 8.2 लाख करोड़ रुपये की बचत कर सकता है। इसके अतिरिक्त, आईआईएम बैंगलोर और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, JJM ने अपने निर्माण के दौरान लगभग 3 करोड़ व्यक्ति-वर्ष का रोजगार सृजित किया है, और लगभग 25 लाख महिलाओं को फील्ड टेस्टिंग किट का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया गया है।

रसोई में एक माँ का साफ़ पानी से गिलास भरते समय मिलने वाला सुकून हो, या उस स्कूल का भरोसा जहाँ बच्चे बेफ़िक्र होकर पानी पी सकते हैं; जल जीवन मिशन, ग्रामीण भारत में जीवन जीने के मायने बदल रहा है।