“हमें भारत की अर्थव्यवस्था में जिस प्रकार का बदलाव लाना है, उस बदलाव में एक तरफ मैन्युफेक्चरिंग ग्रोथ को बढ़ाना है, दूसरी तरफ उसका सीधा फायदा हिन्दुस्तान के नौजवानों को मिले, उसे रोजगार मिले ताकि गरीब से गरीब परिवार की आर्थिक स्थिति में बदलाव आए। वो गरीबी से मिडिल क्लास की ओर बढ़े और उसका पर्चेजिंग पावर बढ़े, तो मैन्युफेक्चरर की संख्या बढ़ेगी, मैन्युफेक्चरिंग ग्रोथ बढ़ेगा, रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे, फिर एक बार बाजार बढ़ेगा।” – नरेंद्र मोदी 

बनारसी साड़ियों की पहचान दुनियाभर में है। हिंदुस्‍तान की शायद ही कोई महिला ऐसी होगी, जिसने बनारसी साड़ी का नाम सुना नहीं होगा। लेकिन सुविधाओं के अभाव में कपड़ा उद्योग की स्थिति खराब हो गई थी। प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों के कारण अब यहां के कपड़ा उद्योग और बुनकरों के दिन बदलने लगे हैं। वाराणसी में विभिन्न कुटीर उद्योग कार्यरत हैं, जिनमें बनारसी रेशमी साड़ी, कपड़ा उद्योग, कालीन उद्योग एवं हस्तशिल्प प्रमुख हैं। इसमें नई जान डालने के लिए 347 करोड़ रुपए से ज्यादा की कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं।

प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी परियोजना मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया का संगम वाराणसी में दिखता है। यहां के हथकरघा और हस्तशिल्प उद्योग को तकनीकी विपणन और अन्य सहयोग प्रदान करने के लिए 305 करोड़ रुपए की लागत से एक टेक्सटाइल फैसिलिटेशन सेंटर का निर्माण किया गया है। साथ ही नौ स्थानों पर बुनकरों को उत्कृष्ट उत्पादन सुविधा के लिए कॉमन फैसिलिटेशन सेंटर बनाए गए हैं।

वाराणसी में छह करोड़ रुपए की लागत से नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी की शाखा खोली गई है। रीजनल सिल्क टेक्नोलॉजिकल रिसर्च स्टेशन की स्थापना की गई है। साथ ही 31 करोड़ रुपए की लागत से हस्तशिल्प उद्योग सर्वांगीण विकास योजना शुरू की गई है।

मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर में कपड़ा उद्योग रोजगार के सबसे ज्यादा अवसर उपलब्ध कराता है। प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर केंद्र सरकार ने मेक इन इंडिया के अंतर्गत जो योजनाएं शुरू की हैं, उससे यहां भी लोगों को रोजगार के काफी असवर मिलेंगे।

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भारतीय रेलवे की अगली पीढ़ी की नींव तैयार कर रहीं 'वंदे भारत, नमो भारत और अमृत भारत' जैसी ट्रेनें: वाराणसी में पीएम मोदी
November 08, 2025
वंदे भारत, नमो भारत और अमृत भारत जैसी ट्रेनें भारतीय रेलवे की अगली पीढ़ी की नींव रख रही हैं: प्रधानमंत्री
एक विकसित भारत के लिए अपने संसाधन बढ़ाने के मिशन की भारत की शुरुआत, उस यात्रा में ये ट्रेनें मील का पत्थर साबित होंगी: प्रधानमंत्री
पवित्र तीर्थ स्थलों को अब वंदे भारत नेटवर्क के माध्यम से जोड़ा जा रहा है, जो भारत की संस्कृति, आस्था और विकास यात्रा के मेल को दर्शाता है, साथ ही विरासत शहरों को राष्ट्रीय प्रगति के प्रतीक के रूप में परिवर्तित कर रहा है: पीएम

हर-हर महादेव!

नम: पार्वती पतये!

हर-हर महादेव!

उत्तर प्रदेश के ऊर्जावान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे साथी और विकसित भारत की मजबूत नींव रखने के लिए जो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आज बहुत उत्तम कार्य हो रहा है, उसका नेतृत्व संभालने वाले भाई अश्विनी वैष्णव जी, टेक्नोलॉजी के जरिए हमारे साथ इस कार्यक्रम में जुड़े एर्नाकुलम से केरला के राज्यपाल श्री राजेन्द्र अर्लेकर जी, केंद्र में मेरे साथी सुरेश गोपी जी, जॉर्ज कुरियन जी, केरला के इस कार्यक्रम में उपस्थित अन्य सभी मंत्री, जनप्रतिनिधिगण, फिरोज़पुर से जुड़े केंद्र में मेरे साथी, पंजाब के नेता रवनीत सिंह बिट्टू जी, वहां उपस्थित सभी जनप्रतिनिधि, लखनऊ से जुड़े यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक जी, अन्य महानुभाव, और यहां उपस्थित काशी के मेरे परिवारजन।

बाबा विश्वनाथ के इ पावन नगरी में, आप सब लोगन के, काशी के सब परिवारजन के हमार प्रणाम! हम देखनीं, देव दीपावली पर केतना अद्भुत आयोजन भईल, अब आज क दिन भी बड़ा शुभ ह, हम इ विकास पर्व के आप सब लोग के शुभकामना देत हईं!

साथियों,

दुनिया भर के विकसित देशों में, आर्थिक विकास का बहुत बड़ा कारण वहां का इंफ्रास्ट्रक्चर रहा है। जिन भी देशों में बड़ी प्रगति, बड़ा विकास हुआ है, उनके आगे बढ़ने के पीछे बहुत बड़ी शक्ति वहां के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की है। अब मान लीजिए कोई इलाका है, लंबे समय से वहां रेल नहीं जा रही है, रेल की पटरी नहीं है, ट्रेन नहीं आती है, स्टेशन नहीं है। लेकिन जैसे ही वहां पटरी लग जाएगी, स्टेशन बन जाएगा, उस नगर का अपने आप विकास शुरू हो जाता है। किसी गांव के अंदर सालों से रोड ही नहीं है, कोई रास्ता ही नहीं, कच्चे मिट्टी के रास्ते पर लोग जाते-आते रहते हैं। लेकिन जैसे ही एक छोटा सा रोड बन जाता है, किसानों की आवा-जाही, किसानों का माल वहां से बाजार में जाना शुरू हो जाता है। मतलब इंफ्रास्ट्रक्चर यानी, बड़े-बड़े ब्रिज, बड़े-बड़े हाईवेज, इतना ही नहीं होता है। कहीं पर भी, जब ऐसी व्यवस्थाएं विकसित होती हैं, तो उस क्षेत्र का विकास शुरू हो जाता है। जैसा हमारा गांव का अनुभव है, जैसा हमारे कस्बे का अनुभव है, जैसा हमारे छोटे नगर का अनुभव है। वैसा ही पूरे देश का भी होता है। कितने एयरपोर्ट बनें, कितनी वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं, दुनिया के कितने देशों से हवाई जहाज आते हैं, ये सारी बातें विकास के साथ जुड़ चुकी है। और आज भारत भी बहुत तेज गति से इसी रास्ते पर चल रहा है। इसी कड़ी में, आज देश के अलग-अलग हिस्सों में नई वंदे भारत ट्रेनों की शुरुआत हो रही है। काशी से खजुराहो वंदेभारत के अलावा, फिरोजपुर-दिल्ली वंदेभारत, लखनऊ-सहारनपुर वंदेभारत और एर्नाकुलम-बेंगलुरू वंदेभारत, इसको भी हरी झंडी दिखाई गई है। इन चार नई ट्रेनों के साथ ही, अब देश में एक सौ साठ से ज्यादा नई वंदे भारत ट्रेनों का संचालन होने लगा है। मैं काशीवासियों को, सभी देशवासियों को इन ट्रेनों की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

साथियों,

आज वंदे भारत, नमो भारत और अमृत भारत जैसी ट्रेनें भारतीय रेलवे की अगली पीढ़ी की नींव तैयार कर रही हैं। ये भारतीय रेलवे को ट्रांसफॉर्म करने का एक पूरा अभियान है। वंदे भारत भारतीयों की, भारतीयों द्वारा, भारतीयों के लिए बनाई हुई ट्रेन है, जिस पर हर भारतीय को गर्व है। वरना पहले हम तो, ये हम कर सकते हैं क्या? ये तो विदेश में हो सकता है, हमारे यहां होगा? होने लगा कि, नहीं होने लगा? हमारे देश में बन रहा है, कि नहीं बन रहा है? हमारे देश के लोग बना रहे हैं, कि नहीं बना रहे हैं? ये हमारे देश की ताकत है। और अब तो विदेशी यात्री भी वंदेभारत को देखकर अचंभित होते हैं। आज जिस तरह से भारत ने विकसित भारत के लिए अपने साधनों को श्रेष्ठ बनाने का अभियान शुरू किया है, ये ट्रेनें उसमें एक मील का पत्थर बनने जा रही हैं।

साथियों,

हमारे भारत में सदियों से तीर्थ यात्राओं को देश की चेतना का माध्यम कहा गया है। ये यात्राएँ केवल देवदर्शन का मार्ग नहीं हैं, बल्कि भारत की आत्मा को जोड़ने वाली पवित्र परंपरा हैं। प्रयागराज, अयोध्या, हरिद्वार, चित्रकूट, कुरुक्षेत्र, ऐसे अनगिनत तीर्थक्षेत्र हमारी आध्यात्मिक धारा के केंद्र हैं। आज जब ये पावन धाम वंदे भारत के नेटवर्क से जुड़ रहे हैं, तो एक तरह भारत की संस्कृति, आस्था और विकास की यात्रा को जोड़ने का भी काम हुआ है। ये भारत की विरासत के शहरों को, देश के विकास का प्रतीक बनाने की तरफ एक अहम कदम है।

साथियों,

इन यात्राओं का एक आर्थिक पहलू भी होता है, जिसकी उतनी चर्चा नहीं होती। बीते 11 वर्षों में, यूपी में हुए विकास कार्यों ने तीर्थाटन को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है। पिछले साल बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए 11 करोड़ श्रद्धालु काशी आए थे। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद 6 करोड़ से ज्यादा लोग रामलला के दर्शन कर चुके हैं। यूपी की अर्थव्यवस्था को इन श्रद्धालुओं ने हजारों करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया है। इन्होंने यूपी के होटलों, व्यापारियों, ट्रांसपोर्ट कंपनियों, स्थानीय कलाकारों, नाव चलाने वालों को निरंतर कमाई का अवसर दिया है। इसके कारण अब बनारस के सैकड़ों नौजवान, अब ट्रांसपोर्ट से लेकर बनारसी साड़ियों तक, हर एक चीज में नए-नए व्यापारों को शुरू कर रहे हैं। इन सबकी वजह से यूपी में, काशी में समृद्धि का द्वार खुल रहा है।

साथियों,

विकसित काशी से विकसित भारत का मंत्र साकार करने के लिए, हम लगातार यहां भी इंफ्रास्ट्रक्चर के अनेक काम कर रहे हैं। आज काशी में, अच्छे अस्पताल, अच्छी सड़कें, गैस पाइपलाइन से लेकर इंटरनेट कनेक्टिविटी की व्यवस्थाएं लगातार विस्तार भी हो रहा है, विकास भी हो रहा है, और क्वालिटेटिव इंप्रूवमेंट भी हो रहा है। रोप वे पर तेजी से काम हो रहा है। गंजारी और सिगरा स्टेडियम जैसे स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर भी अब हमारे पास है। हमारा प्रयास है कि बनारस आना, बनारस में रहना और बनारस की सुविधाओं को जीना सबके लिए एक खास अनुभव बने।

साथियों,

हमारी सरकार का प्रयास काशी में स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार सुधार का भी है। 10-11 साल पहले स्थिति ये थी कि गंभीर बीमारी का इलाज कराना हो, तो लोगों के पास सिर्फ बीएचयू का विकल्प होता था, और मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा होती थी कि पूरी-पूरी रात खड़े रहने के बाद भी इन्हें इलाज नहीं मिल पाता था। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने पर इलाज के लिए लोग जमीन और खेत बेचकर मुंबई जाते थे। आज काशी के लोगों की इन सारी चिंताओं को हमारी सरकार ने कम करने का काम किया है। कैंसर के लिए महामना कैंसर अस्पताल, आंख के इलाज के लिए शंकर नेत्रालय, बीएचयू में बना अत्याधुनिक ट्रॉमा सेंटर, और शताब्दी चिकित्सालय, पांडेयपुर में बना मंडलीय अस्पताल, ये सारे अस्पताल आज काशी, पूर्वांचल समेत आसपास के राज्यों के लिए भी वरदान बने हैं। इन अस्पतालों में आयुष्मान भारत और जनऔषधि केंद्र की वजह से आज गरीबों को लाखों लोगों के करोड़ों रुपयों की बचत हो पा रही है। एक तरफ इससे लोगों की चिंता खत्म हुई है, दूसरी तरफ काशी इस पूरे क्षेत्र की हेल्थ कैपिटल के रूप में जाना जाने लगा है।

साथियों,

हमें काशी के विकास की ये गति, ये ऊर्जा बनाए रखनी है, ताकि भव्य काशी तेजी से समृद्ध काशी भी हो, और पूरी दुनिया से जो भी काशी आए, वो बाबा विश्वनाथ की इस नगरी में, सभी को एक अलग ऊर्जा, एक अलग उत्साह और अलग आनंद मिल सके।

साथियों,

अभी मैं वंदे भारत ट्रेन के अंदर कुछ विद्यार्थियों से बात कर रहा था। मैं अश्विनी जी को बधाई देता हूं, उन्होंने एक अच्छी परंपरा शुरू की है, जहां वंदेभारत ट्रेन का शुभारंभ होता है, उस स्थान पर, बच्चों के बीच में अलग-अलग विषयों पर कंपटीशन होती है, विकास के संबंध में, वंदेभारत के संबंध में, अलग-अलग विकसित भारत की कल्पना के चित्रों के संदर्भ में, कविताओं को लेकर के। और मैं आज क्योंकि ज्यादा समय नहीं मिला था बच्चों को, लेकिन दो-चार दिन के भीतर- भीतर उनकी जो कल्पकता थी, उन्होंने एक विकसित काशी के जो चित्र बनाए थे, विकसित भारत के जो चित्र बनाए थे, सुरक्षित भारत के जो चित्र बनाए थे, जो कविताएं सुनने को मिली मुझे, 12-12, 14 साल तक के बेटे-बेटियां इतनी बढ़िया कविताएं सुना रहे थे, काशी के सांसद के नाते मुझे इतना गर्व हुआ, इतना गर्व हुआ, कि मेरी काशी में ऐसे होनहार बच्चे हैं। मैं अभी यहां कुछ बच्चों को मिला, एक बच्चे को मिला, उसको तो हाथ की भी तकलीफ है, लेकिन जो चित्र उसने बनाया है, मैं वाकई बहुत ही मेरे लिए प्रसन्नता का विषय है। यानी, मैं यहां की स्कूलों के टीचरों को भी हृदय से बहुत बधाई देता हूं कि उन्होंने बच्चों को ये प्रेरणा दी, उनका मार्गदर्शन किया। मैं इन बालकों के माता-पिता को भी बधाई देता हूं, जरूर उन्होंने भी कोई न कोई योगदान किया होगा, तब इतना सुंदर कार्यक्रम इन्होंने किया होगा। मेरे तो मन में विचार आया, कि एक बार यहां इन बच्चों का कवि सम्मेलन करें, और उसमें से 8-10 जो बढ़िया बच्चे हो उनको देश भर में ले जाए, उनसे कविताएं करवाएं। इतना, यानी इतना प्रभावी था, मैं मेरे मन को एक काशी के सांसद के नाते आज एक बहुत विशेष मुझे सुखद अनुभव हुआ, मैं इन बच्चों का हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, बधाई देता हूं।

साथियों,

आज मुझे ढेर सारे कार्यक्रमों में जाना है। इसलिए एक छोटा सा कार्यक्रम ही आज रखा था। मुझे जल्दी निकलना भी है, और सुबह-सुबह इतनी बड़ी मात्रा में आप लोग आ गए, ये भी एक खुशी की बात है। एक बार फिर, आज के इस आयोजन के लिए और वंदे भारत ट्रेनों के लिए आप सभी को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं। बहुत-बहुत धन्यवाद!

हर-हर महादेव!