QuoteThe setback in Chandrayaan landing has only made India’s resolve to land on the moon even stronger: PM Modi
QuoteDespite setbacks in landing, we must remember that Chandryaan had quite successful journey until now: Prime Minister Modi
QuoteWe must not be disappointed that Chandrayaan was not able to land on the moon, instead, we need to learn from our mistakes and keep going till we are successful: PM Modi

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय,

आप वो लोग हैं जो मां भारती के लिए, उसकी जय के लिए जीते हैं, आप वो लोग हैं जो मां भारती की जय के लिए जूझते हैं, आप वो लोग हैं जो मां भारती के लिए जज्‍बा रखते हैं और इसलिए मां भारती का सर ऊंचा हो इसके लिए पूरा जीवन खपा देते हैं, अपने सपनों को समाहित कर देते हैं।

साथियों, मैं कल रात को आपकी मन:स्थिति को समझ रहा था, आपकी आंखे बहुत कुछ कहती थीं, आपके चेहरे की उदासी मैं पढ़ पाता था और उसके लिए ज्‍यादा देर मैं आपके बीच नहीं रुका। कई रातों से आप सोए नहीं है फिर भी मेरा मन करता था कि एक बार सुबह फिर से आपको बुलाऊं, आपसे बाते करुं। इस मिशन के साथ जुड़ा हुआ हर व्‍यक्ति एक अलग ही अवस्‍था में था। बहुत से सवाल थे। और बड़ी सफलता के साथ आगे बढ़ते हैं। और अचानक सब कुछ नजर आना बंद हो जाए। मैंने भी उस पल को आपके साथ जीया है। जब communication off आया तो आप सब हिल गए थे। मैं देख रहा था, उसे मन में स्‍वाभाविक प्रश्‍न करता था क्‍यों हुआ, कैसे हुआ और वैज्ञानिक का मन ही तो वही होता है वो हर बात को क्‍यों और क्‍यों से शुरू करता है। बहुत सी उम्‍मीदें थी। मैं देख रहा था उसके बाद भी आपको लगता था अरे यार कुछ तो होगा क्‍योंकि उसके पीछे आपका परिश्रम था, पल-पल आपने बड़ी बारी‍की से आपने बढ़ाया था।

साथियों, आज भले ही कुछ रूकावटें आई हों, रूकावटें हाथ लगी हों लेकिन इससे हमारा हौंसला कमजोर नहीं पड़ा है बल्कि और मजबूत हुआ है। आज हमारे रास्‍ते में भले ही एक आखिरी कदम पर रूकावट आई हो लेकिन इससे हमें अपनी मंजिल के रास्‍ते से डिगे नहीं हैं। आज भले ही हम चंद्रमा की सतह पर हमारी योजना से नहीं जा पाए और अगर कोई कवि को आज की घटना का लिखना होगा, साहित्‍यकारों को लिखना होगा। विज्ञान की सोच, विज्ञान की भाषा अलग है। लेकिन कला और साहित्‍य को किसी को अगर लिखना होगा तो जरूर लिखेगा कि हमनें चांद का इतना वर्णन किया है इतना रोमांटिक वर्णन किया है जीवन में तो चंद्रयान के भी स्‍वभाव में वो आ गया था। और इसलिए आखिरी कदम पर चंद्रयान... चंद्रमा को गले लगाने के लिए दौड़ पड़ा था। कवि ऐसा ही कहेंगे... आज चंद्रमा को छूने की हमारी इच्‍छाशक्ति, चंद्रमा को आगोश में लेने की हमारी इच्‍छाशक्ति और संकल्‍प और प्रबल हुआ है, और मजबूत हुआ है, दृढ़ हुआ है।   

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Sisters and brothers of India, my scientist friends, for the last few hours the entire nation was awake. We were awake in solidarity with our scientists, who had embarked on one of the most ambitious mission of our space program.

We came very close but we will need to cover more ground in the times to come. Every Indian is filled with a spirit of pride as well as confidence. We are proud of our space program and scientists, their hard work and determination has ensured a better life not only for our citizens but also for other nations.

It is the outcome of their innovative zeal that several people have got access to a better quality of life including better Health Care and education facilities. India is certain that there will be many more opportunities to be proud and rejoice, thanks.

At the same time, we are full of confidence that when it comes to our space program the best is yet to come.

There are new frontiers to discover and new places to go. We will rise to the occasion and scale newer heights of success.

To our scientists I want to say India is with you. You are exceptional professionals who have made an incredible contribution to national progress.

you have given your best always and will give us several more opportunities to smile true to your nature you ventured into a place where no one had ever done before a bloke

आप लोग मक्‍खन पर लकीर करने वाले नहीं, पत्‍थर पर लकीर करने वाले लोग हैं।

You came as close as you could. Stay steady and look ahead. I also salute the families of our space scientists. Their silent but valuable support remains a major asset.

Sisters and brothers of India resilience and tenacity are Central to India’s ethos. In our glorious history of thousands of years we have faced moments that may have slowed us but they have never crushed our spirit. We have bounced back again and gone to do spectacular things. This is the reason our civilization stands tall.

My dear friends as important as the final result, is the journey and the effort. I can proudly say that the effort was worth it and so was the journey. Our team worked hard, traveled far and those teachings will always remain with us. We will look back at the journey and effort with great satisfaction. The learnings from today will make us stronger and better. There will be a new dawn and a brighter tomorrow very soon .

साथियों, परिणामों से निराश हुए बिना, निरंतर लक्ष्‍य की तरफ बढ़ने की हमारी परंपरा भी रही हैं, और हमारे संस्‍कार भी है। हमारा हजारों वर्ष का इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा हुआ है। जब शुरुआती रूकावटों के बावजूद हमने ऐतिहासिक स्थितिया हासिल की हैं.

खुद इसरो भी कभी ना हार मानने वाली संस्‍कृत का जीता-जागता उदाहरण है। अगर अपनी शुरूआती दिकक्‍तों और चुनौतियों से हम हार जाते तो आज इसरो दुनियां की अग्रणी स्‍पेस एजेंसी में से एक का स्‍थान नहीं ले पाता।

साथियों, परिणाम अपनी जगह है लेकिन मुझे वह पूरे देश को अपने वैज्ञानिकों, इंजीनियरों आप सभी के प्रयासों पर गर्व है। मैंने आपसे रात में भी कहा था और अभी फिर कह रहा हूं कि मैं आपके साथ हूं, देश भी आपके साथ है।

साथियों, हर मुश्किल.. हर संघर्ष.. हर कठिनाई हमें कुछ नया सिखा कर जाती है। कुछ नए आविष्‍कार, नई टेक्‍नोलॉजी के लिए प्रेरित करती है। और इसी से हमारी आगे की सफलता तय होती है वैसे भी मैं मानता हूं ज्ञान का अगर सबसे बड़ा शिक्षक कोई है तो विज्ञान है। विज्ञान में विफलता होती ही नहीं है केवल प्रयोग और प्रयास होते हैं। हर प्रयोग, हर प्रयास ज्ञान के नए बीज बो कर जाता है। नई संभावनाओं की नींव रखकर के जाता है और हमें अपने असीम सामर्थ्‍य का एहसास दिलाता है।

साथियों, चंद्रयान के सफर का आखिरी पड़ाव भले ही आशा के अनुकूल न रहा हो लेकिन हमें यह भी याद रखना होगा कि चंद्रयान की यात्रा शानदार रही है, जानदार रही है। इस पूरे मिशन के दौरान देश अनेक बार आनंदित हुआ है। गर्व से भरा है इस वक्‍त भी हमारा orbiter पूरी शान से चंद्रमा के चक्‍कर लगा रहा है। मैं खुद भी इस मिशन के दौरान चाहे देश में रहा या विदेश में हर बार चंद्रयान की स्थिति से जुड़ी सूचना लेता रहता था।

साथियों, भारत दुनिया की अहम स्‍पेस पावर में से एक है तो उसके पीछे आप सभी का दशकों से.... जिन साथियों ने इसरो में काम किया है..... उनका परिश्रम है, उनका योगदान है। यह आप ही लोग है जिन्‍होंने अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह पर भारत का झंडा फहराया था। इससे पहले दुनिया में ऐसी उपलब्धि किसी के नाम नहीं थी। हमारे चंद्रयान ने ही दुनिया को चांद पर पानी होने जैसी अहम जान‍कारियां दी। यह भी आपके ही प्रयास थे कि हमने सौ से ज्‍यादा सैटेलाइट एक साथ लान्‍च करके एक नया रिकार्ड बनाया था। जब इसरो के पास success के encyclopedia हो तो रूकावट के एक दो लम्‍हों से आपकी उड़ान out of trajectory नहीं हो सकती।

साथियों, हमारे संस्‍कार, हमारा चिंतन, हमारी सोच इस बात से भरी पड़ी है जो हमें कहते हैं और जिन पर हम विश्‍वास करते हैं वयम् अमृतस्य पुत्र:। हम अमृत की संतान है जिसके साथ अमृत जुड़ा हुआ होता है। अमृत की संतान के लिए न कोई रूकावट है और न ही कोई निराशा। हमें पीछे मुडकर निराश नहीं होना है। हमें सबक लेना है, सीखना है, आगे ही बढ़ते जाना है और लक्ष्‍य की प्राप्ति तक रूकना नहीं है। हम निश्‍चित रूप से सफल होंगे, हम मिशन के अगले प्रयास में भी और उसके बाद हर प्रयास में भी कामयाबी हमारे साथ होगी।

21वीं सदी में भारत के सपनों और आंकाक्षाओं को पूरा करने से हमे कोई भी क्षणिक बाधा रोक नहीं सकती है। आप सभी को आने वाले हर मिशन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। और मैंने पहले कहा भी, विज्ञान परिणामों से कभी संतुष्‍ट नहीं होता है। विज्ञान की inherent quality है प्रयास, प्रयास और प्रयास । वो परिणाम में से भी नए प्रयास के अवसर ढ़ूढंता है, वो परिणाम से रूकता नहीं है। न ही वो परिणाम के सामने झुकता है और ये आपके संस्‍कारों में हैं। और इसीलिए तो देश आपके प्रति गर्व करता है। मेरा आप पर भी विश्‍वास है, मुझसे भी आपके सपने बहुत ऊंचे हैं, मुझसे भी आपके संकल्‍प और गहरे हैं। मुझसे भी आपका प्रयास सिद्धियों को चूमने का सामर्थ्‍य रखता है और इसलिए मैं पूरे विश्‍वास के साथ आपके हौसलों पर भरोसा करके.... दरअसल मैं आपको उपदेश देने नहीं आया हूं। मैंने सुबह-सुबह आपके दर्शन आपसे प्रेरणा पाने के लिए किए हैं। आप अपने-आप में प्रेरणा का समंदर हैं, प्रेरणा की जीता-जागता स्‍वरूप हैं। और इसलिए इस प्रेरणा की पल है मेरे लिए, जहां निराशा को वैज्ञानिक मन आशा में परिवर्तित कर देता है। जहां सपनों को वैज्ञानिक मन सिद्धि में अंकुरित कर देता है, और इसलिए ऐसी सामर्थ्‍यवान, ऊर्जावान, संकल्‍पवान सिद्धि के लिए समर्पित इन साथियों की टोली को अनेक-अनेक बधाई भी देता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं भी देता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय,

बहुत-बहुत धन्‍यवाद

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Text of PM's address at the Economic Times World Leaders Forum
August 23, 2025
QuoteIndia is the world's fastest-growing major economy and is soon set to become the third-largest globally: PM
QuoteIndia, with its resilience and strength, stands as a beacon of hope for the world: PM
QuoteOur Government is infusing new energy into India's space sector: PM
QuoteWe are moving ahead with the goal of a quantum jump, not just incremental change: PM
QuoteFor us, reforms are neither a compulsion nor crisis-driven, but a matter of commitment and conviction: PM
QuoteIt is not in my nature to be satisfied with what has already been achieved. The same approach guides our reforms: PM
QuoteA major reform is underway in GST, set to be completed by this Diwali, making GST simpler and bringing down prices: PM
QuoteA Viksit Bharat rests on the foundation of an Aatmanirbhar Bharat: PM
Quote'One Nation, One Subscription' has simplified access to world-class research journals for students: PM
QuoteGuided by the mantra of Reform, Perform, Transform, India today is in a position to help lift the world out of slow growth: PM
QuoteBharat carries the strength to even bend the course of time: PM

नमस्कार!

मैं World Leaders Forum में आए सभी मेहमानों का अभिनंदन करता हूं। इस फोरम की टाइमिंग बहुत perfect है, और इसलिए मैं आपकी सराहना करता हूँ। अभी पिछले हफ्ते ही लाल किले से मैंने नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म्स की बात कही है, और अब ये फोरम इस स्पिरिट के फोर्स मल्टीप्लायर के रूप में काम कर रहा है।

साथियों,

यहां वैश्विक परिस्थितियों पर, Geo-Economics पर बहुत विस्तार से चर्चाएं हुई हैं, और जब हम ग्लोबल Context में देखते हैं, तो आपको भारत की इकॉनॉमी की मजबूती का एहसास होता है। आज भारत दुनिया की Fastest Growing मेजर इकॉनॉमी है। हम बहुत जल्द दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनॉमी बनने वाले हैं। एक्सपर्ट कह रहे हैं कि दुनिया की ग्रोथ में भारत का कंट्रीब्यूशन बहुत जल्द, करीब 20 परसेंट होने जा रहा है। ये ग्रोथ, ये रेज़ीलियन्स, जो हम भारत की इकॉनॉमी में देख रहे हैं, इसके पीछे बीते एक दशक में भारत में आई Macro-Economic Stability है। आज हमारा फिस्कल डेफिसिट घटकर Four Point Four परसेंट तक पहुंचने का अनुमान है। और ये तब है, जब हमने कोविड का इतना बड़ा संकट झेला है। आज हमारी कंपनियां, Capital Markets से Record Funds जुटा रही हैं। आज हमारे Banks, पहले से कहीं ज्यादा मज़बूत हैं। Inflation बहुत Low है, Interest Rates कम हैं। आज हमारा Current Account Deficit कंट्रोल में है। Forex Reserves भी बहुत मजबूत हैं। इतना ही नहीं, हर महीने लाखों Domestic Investors, S.I.P’s के ज़रिये हजारों करोड़ रुपए मार्केट में लगा रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं, जब इकॉनॉमी के फंडामेंटल्स मजबूत होते हैं, उसकी बुनियाद मजबूत होती है, तो उसका प्रभाव भी हर तरफ होता है। मैंने अभी 15 अगस्त को ही इस बारे में विस्तार से चर्चा की है। मैं उन बातों को नहीं दोहराउंगा, लेकिन 15 अगस्त के आसपास और उसके बाद एक हफ्ते में जो कुछ हुआ है, वो अपने आप में भारत की ग्रोथ स्टोरी का शानदार उदाहरण है।

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साथियों,

अभी latest आंकड़ा आया है कि अकेले जून महीने में, यानी मैं एक महीने की बात करता हूं, अकेले जून के महीने में E.P.F.O डेटा में 22 लाख फॉर्मल जॉब्स जुड़ी हैं, और ये संख्या अब तक के किसी भी महीने से ज्यादा है। भारत की रिटेल इंफ्लेशन 2017 के बाद सबसे कम स्तर पर है। हमारे Foreign Exchange Reserves अपने रिकार्ड हाई के करीब है। 2014 में हमारी Solar PV Module Manufacturing Capacity करीब ढाई गीगावॉट थी, ताजा आंकड़ा है कि आज ये कैपिसिटी 100 गीगावॉट के ऐतिहासिक पड़ाव तक पहुंच चुकी है। दिल्ली का हमारा एयरपोर्ट भी ग्लोबल एयरपोर्ट्स के elite Hundred-Million-Plus Club में पहुंच गया है। आज इस एयरपोर्ट की एनुअल पैसेंजर हैंडलिंग कैपिसिटी 100 मिलियन Plus की है। दुनिया के सिर्फ 6 एयरपोर्ट्स इस Exclusive Group का हिस्सा हैं।

साथियों,

बीते दिनों एक और खबर चर्चा में रही है। S&P Global Ratings ने भारत की Credit Rating Upgrade की है। और ऐसा करीब 2 दशकों के बाद हुआ है। यानी भारत अपनी Resilience और Strength से बाकी दुनिया की उम्मीद बना हुआ है।

साथियों,

आम बोलचाल में एक लाइन हम बार बार सुनते आए हैं, कभी हम भी बोलते हैं, कभी हम भी सुनते हैं, और कहा जाता है - Missing The Bus. यानी कोई अवसर आए, और वो निकल जाए। हमारे देश में पहले की सरकारों ने टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्री के अवसरों की ऐसी कई Buses छोड़ी हैं। मैं आज किसी की आलोचना के इरादे से यहां नहीं आया हूं, लेकिन लोकतंत्र में कई बार तुलनात्मक बात करने से स्थिति और स्पष्ट होती है।

साथियों,

पहले की सरकारों ने देश को वोटबैंक की राजनीति में उलझाकर रखा, उनकी सोच चुनाव से आगे सोचने की ही नहीं थी। वो सोचते थे, जो Cutting Edge Technology है, वो बनाने का काम विकसित देशों का है। हमें कभी ज़रूरत होगी, तो वहां से इंपोर्ट कर लेंगे। यही वजह थी कि सालों तक हमारे देश को दुनिया के बहुत से देशों से पीछे रहना पड़ा, हम Bus Miss करते रहे। मैं कुछ उदाहरण बताता हूं, जैसे हमारा कम्यूनिकेशन सेक्टर है। जब दुनिया में इंटरनेट का दौर शुरु हुआ, तो उस वक्त की सरकार असमंजस में थी। फिर 2G का दौर आया, तो क्या-क्या हुआ, ये हम सबने देखा है। हमने वो Bus मिस कर दी। हम 2G, 3G और 4G के लिए भी विदेशों पर निर्भर रहे। आखिर कब तक ऐसे चलता रहता? इसलिए 2014 के बाद भारत ने अपनी अप्रोच बदली, भारत ने तय कर लिया कि हम कोई भी Bus छोड़ेंगे नहीं, बल्कि ड्राइविंग सीट पर बैठकर आगे बढ़ेंगे। और इसलिए हमने पूरा अपना 5G स्टैक देश में ही विकसित किया। हमने मेड इन इंडिया 5G बनाया भी, और सबसे तेजी से देश भर में पहुंचाया भी। अब हम मेड इन इंडिया 6G पर तेज़ी से काम कर रहे हैं।

और साथियों,

हम सब जानते हैं, भारत में सेमीकंडक्टर बनने की शुरुआत भी 50-60 साल पहले हो सकती थी। लेकिन भारत ने वो Bus भी मिस कर दी, और आने वाले कई बरसों तक ऐसा ही होता रहा। आज हमने ये स्थिति बदली है। भारत में सेमीकंडक्टर से जुड़ी फैक्ट्रियां लगनी शुरु हो चुकी हैं, इस साल के अंत तक पहली मेड इन इंडिया चिप, बाजार में आ जाएगी।

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साथियों,

आज नेशनल स्पेस डे भी है, मैं आप सभी को National Space Day की शुभकामनाएं और उसके साथ ही, इस सेक्टर की भी बात करूंगा। 2014 से पहले स्पेस मिशन्स भी सीमित होते थे, और उनका दायरा भी सीमित था। आज 21वीं सदी में जब हर बड़ा देश अंतरिक्ष की संभावनाओं को तलाश रहा है, तो भारत कैसे पीछे रहता? इसलिए हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म भी किए और इसे प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन भी कर दिया। मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं। Year 1979 से 2014 तक भारत में सिर्फ 42 Missions हुए थे, यानी 35 Years में 42 मिशन्स, आपको ये जानकर खुशी होगी कि पिछले 11 सालों में 60 से ज्यादा Missions पूरे हो चुके हैं। आने वाले समय में कई सारे मिशन लाइन्ड अप हैं। इसी साल हमने, स्पेस डॉकिंग का सामर्थ्य भी हासिल किया है। ये हमारे फ्यूचर के मिशन्स के लिए बहुत बड़ी अचीवमेंट है। अब भारत गगनयान मिशन से अपने Astronauts को Space में भेजने की तैयारी में है। और इसमें हमें ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के अनुभवों से भी बहुत मदद मिलने वाली है।

साथियों,

स्पेस सेक्टर को नई एनर्जी देने के लिए उसे हर बंधन से आजाद करना जरूरी था। इसलिए हमने पहली बार Private Participation के लिए Clear Rules बनाए, पहली बार Spectrum Allocation Transparent हुआ, पहली बार Foreign Investment Liberalise हुआ, और इस साल के बजट में हमने Space Startups के लिए 1,000 करोड़ रुपए का Venture Capital Fund भी दिया है।

साथियों,

आज भारत का स्पेस सेक्टर इन रीफॉर्म्स की सफलता देख रहा है। साल 2014 में भारत में सिर्फ एक Space Startup था, आज 300 से ज्यादा हैं। और वो समय भी दूर नहीं जब अंतरिक्ष में हमारा अपना स्पेस स्टेशन होगा।

साथियों,

हम इंक्रीमेंटल चेंज के लिए नहीं बल्कि क्वांटम जंप का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहे हैं। और रिफॉर्म्स हमारे लिए न कंपल्शन हैं, न क्राइसिस ड्रिवेन हैं, ये हमारा कमिटमेंट है, हमारा कन्विक्शन है! हम होलिस्टिक अप्रोच के साथ किसी एक सेक्टर की गहरी समीक्षा करते हैं, और फिर One By One उस सेक्टर में रीफॉर्म्स किए जाते हैं।

Friends,

कुछ ही दिन पहले संसद का मानसून सत्र समाप्त हुआ है। इसी मानसून सत्र में आपको Reforms की निरंतरता दिखेगी। विपक्ष द्वारा अनेक व्यवधान पैदा करने के बावजूद हम पूरे कमिटमेंट के साथ Reforms में जुटे रहे। इसी मानसून सत्र में जन विश्वास 2.0 है, यह ट्रस्ट बेस्ड गवर्नेंस और प्रो पीपल गवर्नेंस से जुड़ा बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। जन विश्वास के पहले एडिशन में हमने करीब 200 minor offences को डी-क्रिमिनलाइज किया था। अब इस कानून के दूसरे एडिशन में हमने 300 से ज्यादा minor offences को डी-क्रिमिनलाइज कर दिया है। इसी सेशन में इनकम टैक्स कानून में भी रीफॉर्म किया गया है। 60 साल से चले आ रहे इस कानून को अब और सरल बनाया गया है। और इसमें भी एक खास बात है, पहले इस कानून की भाषा ऐसी थी कि सिर्फ़ वकील या CA ही इसे ठीक से समझ पाते थे। लेकिन अब इनकम टैक्स बिल को देश के सामान्य टैक्सपेयर की भाषा में तैयार किया गया है। यह दिखाता है कि नागरिकों के हितों को लेकर हमारी सरकार कितनी संवेदनशील है।

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साथियों,

इसी मानसून सेशन में माइनिंग से जुड़े कानूनों में भी बहुत संशोधन किया गया है। शिपिंग और पोर्ट्स से जुड़े कानून भी बदले गए हैं। यह कानून भी अंग्रेजों के जमाने से ऐसे ही चले आ रहे थे। अब जो सुधार हुए हैं, वह भारत की ब्लू इकॉनॉमी को, पोर्ट लेड डेवलपमेंट को बढ़ावा देंगे। इसी तरह स्पोर्ट्स सेक्टर में भी नए रीफॉर्म किए गए हैं। हम भारत को बड़े इवेंट्स के लिए तैयार कर रहे हैं। स्पोर्ट्स इकोनॉमी के पूरे इकोसिस्टम का निर्माण कर रहे हैं। इसलिए सरकार, नई नेशनल स्पोर्ट्स पॉलिसी-खेलो भारत नीति लेकर भी आई है।

साथियों,

जो लक्ष्य हासिल कर लिया, उसी में संतुष्ट हो जाऊं, वो इतना करके बहुत हो गया, मोदी आराम कर लेगा! यह मेरे स्वभाव में नहीं है। रिफॉर्म्स को लेकर भी हमारी यही सोच हैं। हम आगे के लिए तैयारी करते रहते हैं, हमें और आगे बढ़ना हैं। अब रिफॉर्म्स का एक और पूरा आर्सेनल लेकर आने वाले हूं। इसके लिए हम कई मोर्चों पर काम कर रहे हैं। हम बेवजह के कानूनों को खत्म कर रहे हैं। नियमों और प्रक्रियाओं को सरल बना रहे हैं। प्रोसीजर्स और अप्रूवल्स को डिजिटल कर रहे हैं। अनेक प्रावधानों को डिक्रिमनलाइज कर रहे हैं। इसी कड़ी में GST में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म किया जा रहा है। इस दीवाली तक ये प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इससे GST और आसान बनेगा और कीमतें भी कम होंगी।

साथियों,

नेक्स्ट जनरेशन रिफॉर्म्स के लिए इसके इस आर्सनल से भारत में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ेगी, मार्केट में डिमांड बढ़ेगी, इंडस्ट्री को नई एनर्जी मिलेगी, Employment के नए अवसर बनेंगे और Ease Of Living, Ease Of Doing Business दोनों इंप्रूव होंगे।

साथियों,

आज भारत 2047 तक विकसित होने के लिए पूरी शक्ति से जुटा है और विकसित भारत का आधार आत्मनिर्भर भारत है। आत्मनिर्भर भारत को भी हमें तीन पैरामीटर्स पर देखने की जरूरत है। यह पैरामीटर हैं–स्पीड, स्केल और स्कोप। आपने ग्लोबल पेंडेमिक के दौरान भारत की स्पीड भी देखी है, स्केल भी देखा है और स्कोप भी महसूस किया है। आपको याद होगा, उस समय कैसे एकदम बहुत सारी चीजों की जरूरत पड़ गई थी और दूसरी तरफ ग्लोबल सप्लाई चेन भी एकदम ठप हो गई थी। तब हमने देश में ही जरूरी चीज़ें बनाने के लिए कदम उठाए। देखते ही देखते, हमने बहुत बड़ी मात्रा में टेस्टिंग किट्स बनाए, वेंटिलेटर्स बनाए, देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट्स लगाए। इन सारे कामों में भारत की स्पीड दिखाई दी। हमने देश के कोने-कोने में जाकर, अपने नागरिकों को 220 करोड़ से ज्यादा मेड इन इंडिया वैक्सीन लगाईं और वो भी बिल्कुल मुफ्त। इसमें भारत का स्केल दिखाई देता है। हमने करोड़ों लोगों को तेज़ी से वैक्सीन लगाने के लिए कोविन जैसा प्लेटफॉर्म बनाया। इसमें भारत का स्कोप नजर आता है। यह दुनिया का सबसे अनूठा सिस्टम था, जिसके चलते रिकॉर्ड समय में हमने वैक्सीनेशन भी पूरा कर लिया।

साथियों,

ऐसे ही, एनर्जी के क्षेत्र में भारत की स्पीड, स्केल और स्कोप को दुनिया देख रही है। हमने तय किया था कि 2030 तक हम अपनी टोटल पावर कैपेसिटी का फिफ्टी परसेंट, नॉन फॉसिल फ्यूल से जनरेट करेंगे, यह 2030 तक का लक्ष्य था। यह टारगेट हमने पांच साल पहले इसी साल 2025 में ही अचीव कर लिया।

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साथियों,

पहले के समय जो नीतियां थीं, उसमें इंपोर्ट पर बहुत जोर रहा। लोगों के अपने फायदे थे, अपने खेल थे। लेकिन आज आत्मनिर्भर होता भारत, एक्सपोर्ट में भी नए रिकॉर्ड बना रहा है। पिछले एक साल में हमने चार लाख करोड़ रुपए के एग्रीकल्चर प्रॉडक्ट एक्सपोर्ट किए हैं। पिछले एक साल में पूरी दुनिया में 800 करोड़ वैक्सीन डोज बनी है। इसमें 400 करोड़ भारत में ही बनी हैं। आजादी के साढ़े छह दशक में हमारा इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट, 35 हज़ार करोड़ रुपए के आस-पास पहुंच पाया था। आज ये करीब सवा तीन लाख करोड़ रुपए तक पहुंच रहा है।

साथिय़ों,

2014 तक भारत 50 हजार करोड़ रुपए के आसपास के ऑटोमोबाइल एक्सपोर्ट करता था। आज भारत एक साल में एक लाख बीस हज़ार करोड़ रुपए के ऑटोमोबाइल एक्सपोर्ट कर रहा है। आज हम मेट्रो कोच, रेल कोच से लेकर रेल लोकोमोटिव तक एक्सपोर्ट करने लगे हैं। वैसे आपके बीच आया हूं, तो भारत की एक और सफलता के बारे में आपको बता दूं, भारत अब दुनिया के 100 देशों को इलेक्ट्रिक व्हीकल भी एक्सपोर्ट करने जा रहा है। दो दिन के बाद 26 अगस्त को इससे जुड़ा एक बहुत बड़ा कार्यक्रम भी हो रहा है।

साथियों,

आप सभी जानते हैं, देश की प्रगति का बहुत बड़ा आधार रिसर्च भी है। इंपोर्टेड रिसर्च से गुज़ारा तो हो सकता है, लेकिन जो हमारा संकल्प है, वह सिद्ध नहीं हो सकता। इसलिए, रिसर्च फील्ड में हमें Urgency चाहिए, वैसा Mindset चाहिए। हमने रिसर्च को प्रोत्साहित करने के लिए बहुत तेजी से काम किया है। इसके लिए जो जरूरी पॉलिसी और प्लेटफार्म चाहिए, उस पर भी हम लगातार काम कर रहे हैं। आज, रिसर्च और डेवलपमेंट पर होने वाला खर्च 2014 की तुलना में दोगुने से भी अधिक हो गया है। 2014 की तुलना में फाइल किए जाने वाले पेटेंट्स की संख्या भी 17 टाइम ज्यादा हो गई है। हमने करीब 6,000 हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल स्थापित किए गए हैं। ‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’ से भी आप परिचित हैं। इसने छात्रों के लिए विश्वस्तरीय रिसर्च जर्नल्स तक पहुँचने में उनको बहुत आसान बना दिया है। हमने 50 हज़ार करोड़ रुपए के बजट के साथ नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनाया है। एक लाख करोड़ रुपए की रिसर्च डेवलपमेंट एंड इनोवेशन स्कीम को भी मंजूरी दे दी है। लक्ष्य ये है कि प्राइवेट सेक्टर में, विशेषकर Sunrise और Strategic Sectors में नई रीसर्च को सपोर्ट मिले।

साथियों,

यहां इस समिट में इंडस्ट्री के बड़े-बड़े दिग्गज भी हैं। आज समय की मांग है कि इंडस्ट्री और प्राइवेट सेक्टर आगे आएं, विशेषकर Clean Energy, Quantum Technology, Battery Storage, Advanced Materials और Biotechnology जैसे सेक्टर्स में रिसर्च पर अपना काम और अपना निवेश और बढ़ाएँ। इससे विकसित भारत के संकल्प को नई एनर्जी मिलेगी।

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साथियों,

रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म के मंत्र पर चल रहा भारत आज उस स्थिति में है कि वो दुनिया को धीमी ग्रोथ से बाहर निकाल सकता है। हम ठहरे हुए पानी में किनारे पर बैठकर के कंकड़ मारकर एंजॉय करने वाले लोग नहीं हैं, हम बहती तेज़ धारा को मोड़ने वाले लोग हैं और जैसा मैंने लाल किले से कहा था, भारत...समय को भी मोड़ देने का सामर्थ्य लेकर चल रहा है।

साथियों,

एक बार आप सबसे मिलने का मुझे अवसर मिला है, इसके लिए मैं इकोनॉमिक टाइम्‍स का आभार व्यक्त करता हूं। आप सबका भी हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं!

धन्‍यवाद!