The rich don't need the government. Government is for the poor, for their welfare as they have no support apart from the government: PM
Citizens of India have certain expectation from the Govt, we must fulfil their expectations: PM
Many polls were fought in the name of poor but nothing was done for the poor: PM Modi
JDU, RJD and congress alliance is a ‘Mahaswarthbandhan’: PM
'Sinhasan Khali Karo Ki Janata Aati Hai' -These powerful lines from the poem of Rashtrakavi Dinkar has given strength to the youth of Bihar: PM
This election is a war between Vikasraaj vs Junglraaj: PM
Great personalities like JP Narayan, Rashtrakavi Dinkar, Shree babu are source of Inspiration for the nation: PM
Begusarai has tremendous scope for growth in Industrial development: PM Modi
Caste politics and the politics of vote bank is the main reason behind the plight of Bihar: PM
The day Bihar becomes a developed state; India will be No. 1 country in the world: PM

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय,

मंच पर विराजमान केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे वरिष्ठ साथी श्रीमान राम विलास पासवान जी, भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री श्री रजनीश जी, बिहार विधानसभा पक्ष के नेता श्रीमान नंद किशोर यादव जी, हमारे वरिष्ठ नेता डॉ. सी पी ठाकुर जी, बेगूसराय के जनप्रिय सांसद डॉ. भोला सिंह जी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के सांसद श्रीमान राम कुमार शर्मा जी, बेगूसराय भाजपा के जिलाध्यक्ष श्रीमान जयराम दास जी, लोजपा के बेगूसराय जिलाध्यक्ष संजय पासवान जी, हम पार्टी के जिलाध्यक्ष श्रीमान मोहम्मद हसन जी, रालोसपा के जिलाध्यक्ष श्रीमान राजीव कुमार जी, लोजपा के चेरिया बरियारपुर के उम्मीदवार श्री अनिल कुमार चौधरी जी, लोजपा के बछवाड़ा के उम्मीदवार श्री अरविंद कुमार सिंह, भाजपा से तेघड़ा विधानसभा के उम्मीदवार राम लखन सिंह, भाजपा से मटिहानी विधानसभा के उम्मीदवार सर्वेश कुमार, लोजपा के उम्मीदवार साहेबपुर कमाल से मोहम्मद असलम जी, बेगूसराय से भाजपा के उम्मीदवार सुरेन्द्र मेहता जी, भाजपा से बिकरी विधानसभा के उम्मीदवार श्री रामानंद राम जी, लोजपा के उम्मीदवार मिथलेश जी निशांत, इन सभी मेरे साथियों के साथ आप सभी जोर से बोलें - भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय!

भाईयों-बहनों, किसी प्रदेश में राज्य स्तर की रैली करनी हो, पूरे राज्य से लोगों को बुलाया गया हो, और अगर ऐसी रैली हो जाए तो लोग मानेंगे कि ऐतिहासिक रैली हुई है। एक जिले में इतना बड़ा जमघट, मैं जहाँ देख रहा हूँ माथे ही माथे नज़र आ रहे हैं; ये रैली नहीं, रैला है। 60 साल तक बिहार को तबाह करने वाले ये तीन लोग मिल गए हैं, ये इनको बहाकर फेंक देंगे। मैं लोकसभा के चुनाव में यहाँ आ नहीं पाया था और हमारे भोला बाबू ये शिकायत कर रहे थे, आज मैंने उनकी शिकायत दूर कर दी और ये हमारी ज़िम्मेवारी है कि हिन्दुस्तान का छोटे-से-छोटा नागरिक भी हमसे अपेक्षा कर सकता है और उन अपेक्षाओं को पूरा करने का हमें प्रयास करना चाहिए। चुनावी राजनीति हमने भी देखी है। चुनाव में जनता-जनार्दन के दिल में उठते सवालिया निशानों को भी देखा है लेकिन मैंने जब से चुनाव प्रचार के लिए बिहार आना शुरू किया है, मैंने ऐसा पहले कभी चुनाव नहीं देखा जैसा मैं आज बिहार में देख रहा हूँ। मैं अनुभव कर रहा हूँ कि आज बिहार के नागरिकों के मन में चुनाव के नतीजे क्या होंगे, कैसे होंगे, इस पर कोई सवालिया निशान ही नहीं है। बिहार की जनता ने मान लिया है और ठान लिया है कि भाजपा के नेतृत्व में राजग (एनडीए) की सरकार बन कर रहेगी और बिहार विकासवाद के रास्ते पर चल पड़ेगा, ये मैं साफ़-साफ़ देख रहा हूँ।

आप बताएं, आखिर सरकार किसके लिए होती है? अमीरों को कभी सरकार की जरुरत पड़ती है क्या? अमीरों को कभी सरकार की जरुरत नहीं पड़ती है। अगर अमीर बीमार हो जाए तो डॉक्टर उसके घर के बाहर कतार लगाकर खड़े हो जाएंगे लेकिन अगर एक गरीब बीमार हो जाए तो उस बीमार के लिए सरकार के अलावा कोई सहारा नहीं होता है। किसी अमीर का बेटा अगर पढ़ना चाहता है तो उसे दुनिया के अच्छे-से-अच्छे टीचर मिल जाएंगे, अच्छे-से-अच्छे स्कूल मिल जाएंगे लेकिन अगर किसी गरीब के बच्चे को पढ़ना हो तो सरकारी शिक्षक और सरकारी स्कूल पर ही भरोसा करना पड़ता है। किसी अमीर को कहीं जाना है तो हवाई जहाज उसका इंतज़ार करता है लेकिन किसी गरीब को अपनी सब्जी, दूध आदि भी बेचने दूसरे गाँव जाना है तो उसे सरकारी बस का ही इंतज़ार करना पड़ता है। अगर बस नहीं आई तो उसका जाना रूक जाएगा।

सरकार गरीब के लिए होती है, गरीबों का जीवन बदलने और उनके कल्याण के लिए होती है लेकिन हमारे देश में चुनाव तो गरीबों के नाम पर लड़े गए लेकिन सरकार गरीबों के लिए नहीं चलाई गई। हमारे देश में वोट तो गरीबों के नाम पर मांगे गए लेकिन सरकार गरीबों के कल्याण के लिए नहीं चलाई गई। अगर इस देश में गरीबों के लिए कुछ हुआ होता; आज़ादी के इतने सालों बाद तक जितनी सरकारें आईं, अगर वो सभी सरकारें गरीबों को ध्यान में रखकर कुछ काम करती तो न मेरे देश में गरीबों की संख्या बढ़ती, न देश में गरीबी एवं भुखमरी रहती और न मेरे देश में बीमारी एवं अशिक्षा बढ़ती।

इस चुनाव में उन सभी लोगों से आग्रह करता हूँ कि आप सब वोट देने से पहले अपने दिल पर हाथ रखकर एक बार पूछ लीजिए कि ये जो ‘महास्वार्थबंधन’ बना हुआ है; ये महागठबंधन नहीं, ‘महास्वार्थबंधन’ है। इस ‘महास्वार्थबंधन’ के तीन पार्टनर हैं जो मिलकर के बिहार को फिर से एक बार हड़प करना चाहते हैं। ये तीन कौन लोग हैं, ये तीन कौन दल हैं, बिहार की जनता याद रखे।

एक कांग्रेस पार्टी है जिसने 35 साल तक बिहार में राज किया है। मुझे बताईये, जिस कांग्रेस ने 35 साल राज किया, उसने इतने वर्षों में कुछ भला किया है? बिहार का विकास किया है क्या? बिहार का नौजवान का भला किया है? उन्हें रोजगार दिलाया है? बिहार से गुंडागर्दी समाप्त की है? जो 35 साल में कुछ नहीं कर पाए, वो आज कुछ कर पाएंगे क्या? उनपर भरोसा कर सकते हैं क्या? उनसे कोई आशा कर सकते हैं क्या? दूसरे हैं – जंगलराज के प्रतीक। लोकनायक जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया के नाम से गरीबों के गीत गाते-गाते वो 15 साल तक बिहार के सिंहासन पर बैठे। 15 साल में क्या-क्या खाया, बिहार की जनता भली-भांति जानती है। कोई मुझे बताये कि 15 साल में कहीं सड़क का नामो-निशान रहने दिया? स्कूलें चलने दीं? शिक्षकों की भर्ती की? डॉक्टर बिहार छोड़कर भागे कि नहीं? नौजवानों को पलायन करना पड़ा कि नहीं? मां-बेटियों का सम्मान बचा था? क्या जिन्होंने 15 साल तक आपको ऐसी सरकार दी आप क्या उनपर फिर से भरोसा कर सकते हो? वो आपका भला कर सकते हैं? इसके बाद अगले 10 साल जो जंगलराज को हटाने का नाम लेकर के आये थे, वो फिर से जंगलराज लाने के लिए आपके सामने बातें कर रहे हैं, उनकी बातों पर भरोसा किया जा सकता है क्या? 35 साल कांग्रेस और 25 साल ये बड़ा भाई और छोटा भाई अपना कारोबार चलाते रहे।

इन बड़ा भाई - छोटा भाई का रिश्ता तो देखो; बड़ा भाई छोटे भाई को कभी हत्यारा कहता है तो कभी तोता कहता है। 60 साल तक जिन्होंने बिहार में सरकारें चलाई हैं, गरीबों के नाम पर राजनीति की है लेकिन इन्होंने बिहार को दिन-रात बर्बाद करने का ही काम किया है। भाईयों-बहनों, ऐसी सरकारों को फिर से कभी आने देना चाहिए क्या?

आज 8 अक्टूबर है और आज लोकनायक जयप्रकाश नारायण का स्वर्गवास हुआ था। आज उनकी पुण्यतिथि पर आप सबसे आग्रह करता हूँ कि पल भर के लिए उस महापुरुष, बिहार के सपूत और हिन्दुस्तान के गौरव को याद कीजिये और दिनकर जी के उस बात को हिन्दुस्तान के कोने-कोने में पहुंचा दीजिए। “सिंहासन खाली करो कि जनता आती है” – इसी धरती के संतान और राष्ट्रकवि दिनकर के इस मंत्र ने हिन्दुस्तान के नौजवान को खड़ा कर दिया। आजादी के आंदोलन में वंदे मातरम् की गूँज जैसे एक देश को नई ताकत देती थी, वैसे देश में भ्रष्टाचार की मुक्ति के लिए, कुशासन से मुक्ति के लिए राष्ट्रकवि दिनकर की यह कविता, ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ अनेकों नौजवानों को प्रेरणा देती है।

ये भूमि उन महापुरुषों की है जिन्होंने आजादी के आंदोलन में एक नई ताकत दी। 1930 में गांधीजी की दांडी यात्रा हिन्दुस्तान की आजादी के आंदोलन महत्वपूर्ण मानी जाती है लेकिन जब नमक सत्याग्रह की बात आती है तो इसी धरती के महापुरुष श्री बाबू की याद आती है। उस महापुरुष ने कितना कष्ट झेला था। आईए, आज हम बेगूसराय में लोकनायक जयप्रकाश नारायण, राष्ट्रकवि दिनकर जैसे सभी महापुरुषों को याद करें हम लोगों के लिए जीने-मरने वाले श्री बाबू को याद करें और बिहार में विकासराज लाने का संकल्प करें।

एक तरफ़ जंगलराज लाने की कोशिश और दूसरी तरफ़ विकासराज लाने की कोशिश; ये चुनाव जंगलराज और विकासराज के बीच की लड़ाई है। आप मुझे बताईये कि बिहार को विकासराज चाहिए कि नहीं? बिहार को सड़क, रेल, उद्योग चाहिए कि नहीं? नौजवानों को रोजगार चाहिए कि नहीं? उनका पलायन रूकना चाहिए कि नहीं? अगर ये करना है तो बिहार में अब जंगलराज को मौका नहीं देना है। अब बिहार में सिर्फ़ विकासराज चाहिए। विकास का रास्ता ही हमारी समस्याओं का समाधान करेगा इसलिए आज मैं आपके पास विकास का संदेश लेकर आया हूँ।

मैं हैरान हूँ। आप लालू जी 1990 के डायलॉग निकाल लीजिए और 2015 के डायलॉग निकाल लीजिए; वही बात, न नया विचार है, न नई सोच है इतना जरुर है कि अब ख़ुद के बजाय बेटों को लेकर आये हैं, बाकि कोई फ़र्क नहीं आया है। मैं गुजरात की धरती से आता हूँ। मेरा जन्म वहां हुआ है और वो द्वारकाधीश की धरती है। श्री कृष्ण की द्वारका नगरी... उन्होंने गौ-प्रेम सिखाया था और आज भी गुजरात के लोग गौ-भक्ति में इतने लीन हैं कि वहां श्वेत क्रांति हुई, दूध का कारोबार इतना बढ़ा कि आज अमूल पूरी दुनिया में पहचाना जा रहा है। सच्चा यदुवंशी श्री कृष्ण की परंपरा का निर्वाह करने का संकल्प लेता है और यहाँ नेता यदुवंशियों का कितना अपमान कर रहे हैं।

मैं तो हैरान हूँ। आपको कैसी-कैसी गालियां दी जा रही हैं। लालू जी, आप जो कुछ भी बने, इन्हीं यदुवंशियों के आशीर्वाद से बने थे और आज आप उनको इतनी भयंकर गाली दे रहे हो; वो क्या खाते हैं, ऐसे गंभीर आरोप लगा रहे हो। मुझे शर्म आती है कभी मेरे देशवासियों, मेरे यदुवंशियों का ऐसा अपमान मत करो। मैं कृष्ण की धरती से आया हूँ, आपकी इन बातों से मुझे पीड़ा जरा ज्यादा हो रही है। और बोलते क्या हैं, जब मीडिया वालों ने पकड़ लिया, यदुवंशी समाज के लोग आगे आ गए तो क्या कहने लगे; वो कहते हैं – मेरे अन्दर शैतान प्रवेश कर गया। मैं बहुत हैरान हूँ कि क्या शैतान को भी यही ठिकाना मिला क्या, उसे क्या इसी शरीर में प्रवेश करने का मन कर गया क्या, बिहार में उनको और कोई नहीं मिला, हिन्दुस्तान में उनको और कोई नहीं मिला, पूरे विश्व में कोई और नहीं मिला, मिला तो सिर्फ़ लालू जी का शरीर मिला। देखिये, वो शैतान की मेहमाननवाजी भी कैसी कर रहे हैं, जैसे उनका कोई पुराना साथी आया हो, वैसी खातिरदारी कर रहे हैं वो।

भाईयों-बहनों, हमें तो जंगलराज से इस बिहार को बचाना है, रोजगार के लिए बल देना है और इसलिए मैं आज आपके पास आया हूँ। ये इलाक़ा औद्योगिक विकास के लिए एक बहुत बड़ा केंद्र बन सकता है। यहाँ के नौजवानों को रोजगार मिलेगा, सिर्फ़ ऐसा नहीं है बल्कि ये बेगूसराय की ताकत इतनी है कि ये बिहार के और नौजवानों को भी रोजगार देने वाला केंद्र बन सकता है लेकिन कोई यहाँ यहाँ आने की हिम्मत नहीं करता है क्योंकि वो कहता है कि जितना पैसा वो लगाएगा, उससे ज्यादा पैसा तो फ़िरौती में देना पड़ेगा। यहाँ तो एक ही उद्योग लगाया जंगलराज ने – अपहरण का उद्योग। किडनैप करो, फ़िरौती लो और अपना मौज-मस्ती करो, यही कारोबार चलता रहा तो कौन बेगूसराय आएगा।

आप देखिये, बरौनी का फ़र्टिलाइज़र का कारखाना, वो चालू होना चाहिए कि नहीं? उसका विकास होना चाहिए कि नहीं? यह आपका हक़ है कि नहीं? अगर आपका हक़ है तो मुझे वो हक़ पूरा करना चाहिए कि नहीं? इसलिए मेरी सरकार ने निर्णय किया कि उस फ़र्टिलाइज़र के लिए 1500 करोड़ लगाकर के फिर से यहाँ के नौजवानों को रोजगार दें और उनका विकास करें।

गंगा तट पर जो लोग रहते हैं, वो परेशान हैं कि बालू चोरों ने उनका जीना हराम करके रखा है, उनकी जमीन नहीं बच पा रही है, उनकी खेती नहीं बच पा रही है। जो लोग इस प्रकार के खेल खेलते हैं, उसका कारण ये है कि बिहार की सरकारों ने बिहार की दो ताक़तों को नज़रअंदाज़ किया है; एक ताक़त है, पानी और दूसरी यहाँ की जवानी। बिहार के कुछ इलाक़ों में इतना पानी है लेकिन उस पानी के कारण यहाँ तबाही हो रही है और बिहार में इतनी जवानी है कि उन्हें रोजी-रोटी के लिए बाहर जाना पड़ता है। ये दोनों बिहार का भाग्य बदल देंगे, ये हमारा विश्वास है इसलिए मेरे नौजवानों, हमें विकास के रास्ते पर चलना है।

अहंकार कहाँ से कहाँ पहुंचा देता है, ये आपने देखा है कांग्रेस पार्टी का अहंकार सातवें आसमान पर रहा और उसका परिणाम ये रहा कि कभी 440 सांसदों के साथ बैठते थे, पर आज 40 पर सिमट गए। जनता-जनार्दन गलतियों को माफ़ कर सकती है, अहंकार को नहीं। यहाँ के एक अहंकारी नेता अपने अहंकार के लिए उन्होंने बिहार के भाग्य को दांव पर लगा दिया है। इस चुनाव में ऐसे अहंकार को चकनाचूर करना हर बिहार प्रेमी का दायित्व है।

ये इलाक़ा है जहाँ परंपरागत रूप से किसान दलहन की खेती करते हैं। पहली बार दिल्ली में बैठी सरकार ने दलहन के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इज़ाफ़ा किया और उसका नतीज़ा ये हुआ कि देश में दलहन की खेती करने वालों को प्रोत्साहन मिला। इस बार पहले से अधिक संख्या में दलहन की खेती के लिए हमारे किसान भाई आगे आये। भारत को दलहन की ज़रुरत है। मैं यहाँ दलहन की खेती करने वाले किसानों को और अधिक प्रोत्साहन देने का पक्षधर हूँ ताकि देश को विदेशों से दलहन न खरीदना न पड़े, हमारे किसानों द्वारा पैदा की गई दलहन से इस देश का पेट भरे और इसके लिए भारत सरकार आगे बढ़ रही है।

हमने 1 लाख 25 हज़ार करोड़ रुपये का पैकेज दिया एवं 40 हज़ार करोड़ और, कुल मिलाकर 1.65 लाख करोड़ रुपये का पैकेज बिहार के कल्याण के लिए है। अब आप मुझे बताईये कि ये पैकेज गाँव-गाँव पहुंचना चाहिए कि नहीं? नए रास्ते बनने चाहिए कि नहीं? बिजली आनी चाहिए कि नहीं? दावाखाने बनने चाहिए कि नहीं? गरीब के लिए स्कूल बनना चाहिए कि नहीं? लेकिन जो लोग ये कहते हैं कि ये 1.65 लाख करोड़ रुपये आने ही नहीं देंगे, ऐसे लोगों की सरकार बनेगी तो आएगा क्या? बिहार का भला होगा क्या? इस रास्ते में रोड़े अटकने वाले जो लोग हैं, उन्हें हटाना चाहिए कि नहीं? ये चुनाव विकास के रास्ते रोकने वाले लोगों को रोकने का चुनाव है।

ये जो ‘महास्वार्थबंधन’ है... इस चुनाव में इन तीनों ने अपने काम का हिसाब देना चाहिए कि नहीं? चाहे नीतीश जी हों, लालू जी हों, सोनिया जी हों, उन्होंने अपने 60 साल की सरकार का हिसाब देना चाहिए कि नहीं? वो दे रहे हैं हिसाब क्या? बिहार बर्बाद क्यों हुआ, विकास क्यों नहीं हुआ, जवाब दे रहे हैं क्या? जो काम उनको करना चाहिए, वो कर रहे हैं क्या? मैं बिहार की जनता से आग्रह करता हूँ कि ये जो ‘महास्वार्थबंधन’ बना है, उनके नेताओं से हिसाब मांगो। हर गाँव, गली, घर से जवाब मांगो आप उनसे जवाब मांगिये, आपको खुद पता लग जाएगा कि कौन सा बटन दबाना है, मुझे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं।

ये जो 1.65 लाख करोड़ रुपये का पैकेज हमने दिया है और पूरा बारीकी से हिसाब दिया है। मैं उसमें बेगूसराय इलाक़े का बताना चाहता हूँ- एनएच – 82 पर 55 किमी, बिहारशरीफ, बरबीघा, मोकामा सेक्शन, एनएचबी फेज़ – 4 के निर्माण के लिए करीब-करीब 400 करोड़ रुपये का पैकेज; एनएच – 31 के बख्तियार-मोकामा सेक्शन को चार लेन का बनाने के लिए करीब-करीब 1000 करोड़ रुपये का पैकेज; एनएच – 31 पर पटना में गंगा नदी पर नया चार लेन के पुल का प्रावधान है जिसके लिए करीब-करीब 520 करोड़ रुपये; एनएच – 31 एनएचबी फेज़ – 3 सिमरिया-खगड़िया को चार लेन करने के लिए 1062 करोड़ रुपये; उसी प्रकार एनएच – 31 मोकामा-खगड़िया सेक्शन को को चार लेन करने के लिए 810 करोड़ रुपये राशि का प्रावधान है। बरौनी रिफाइनरी, उसमें 6 मिलियन क्षमता वाली 6 टंकियों को 9 मिलियन क्षमता वाली बनाने के लिए करीब 12,000 करोड़ रुपये लगाने का निर्णय किया गया है। बरौनी रिफाइनरी में बीएस4 फ्यूल के उत्पादन के कार्यान्वयन के लिए, मैंने 1500 करोड़ रुपये लगाना तय किया।

बिहार की किसी सरकार ने 60 साल में कभी सोचा नहीं कि बिहार को कैसे बदला जा सकता है। किन बातों पर बल दिया जाना चाहिए, वो नहीं किया। जातिवाद, संप्रदायवाद, यही राजनीति करते रहे यही बिहार की बर्बादी का कारण रहा है। ये ‘महास्वार्थबंधन’ बिग बॉस का घर है जिसमें एक बिग बॉस है जो कहता है कि मैं जैसे कहूँगा, लोग वैसे नाचेंगे; मैं जो कहूँगा, वैसा ये लोग करेंगे। इस बिग बॉस के घर में जितने भी लोग हैं, वे एक-दूसरे के साये से भी डरते हैं, कतराते हैं; एक-दूसरे का खात्मा करने के लिए खेल खेलते रहते हैं और बिग बॉस रिंग लीडर की तरह उन्हें नचाने में लगे हुए हैं।

भाईयों-बहनों, क्या बिहार में ये खेल चलने देना है क्या? बिहार को इस बिग बॉस से बचाना है कि नहीं? और इसलिए आज मैं बेगूसराय की धरती पर आपसे आशीर्वाद लेने आया हूँ। भाजपा हो, राम विलास जी की पार्टी हो, कुशवाहा जी की पार्टी हो, मांझी जी की पार्टी हो, हम सब मिलकर बिहार का भाग्य बदलना चाहते हैं, आपका जीवन बदलना चाहते हैं। मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए। मेरे साथ बोलिये और पूरी ताकत से बताईये, सारे हिन्दुस्तान को पता चले कि बेगूसराय से कैसी आवाज उठती है। ऐसी भयंकर धूप में कोई कल्पना नहीं कर सकता है कि कितना बड़ा जन-सैलाब आया है।

भाईयों-बहनों, मैं आपका ये प्रेम और विश्वास आपको ब्याज समेत लौटाउंगा। इस भयंकर ताप में आप जो तपस्या कर रहे हो, मैं उसे कभी बेकार नहीं जाने दूंगा। आपको एक अपना साथी मिला है जो कंधे से कंधा मिलाकर के आपके सुख-दुःख बांटना चाहता है। बिहार को बदलना मेरा स्वार्थ है, राजनीतिक स्वार्थ नहीं बल्कि मेरा स्वार्थ है कि जिस दिन बिहार बदलेगा, हिन्दुस्तान दुनिया में नंबर एक पर पहुँच जाएगा; ये ताकत है बिहार की। पूरा हिन्दुस्तान स्वार्थ से चाहता है कि मेरा बिहार आगे बढ़े; बिहार विकास की ऊंचाईयों पर पहुंचे; बिहार का नौजवान, उसकी ताकत देश का भाग्य बदलने के काम आए, इसलिए मैं आपसे वोट मांगने आया हूँ। मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिये -  

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।

 

                   

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બાવળીયાલી ધામના કાર્યક્રમ દરમિયાન પ્રધાનમંત્રીના સંબોધનનો મૂળપાઠ
March 20, 2025
પ્રધાનમંત્રીએ ભરવાડ સમુદાયના સેવા પ્રત્યેના સમર્પણ, પ્રકૃતિ પ્રત્યે પ્રેમ અને ગૌ સંરક્ષણ પ્રત્યેની પ્રતિબદ્ધતાની પ્રશંસા કરી
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પ્રધાનમંત્રીએ રાષ્ટ્રની સૌથી મોટી શક્તિ તરીકે "સબકા પ્રયાસ"ના મહત્વ પર ભાર મૂક્યો

મહંત શ્રી રામ બાપુજી, સમાજના અગ્રણીઓ, લાખોની સંખ્યામાં આવનારા તમામ ભક્ત ભાઈઓ અને બહેનોને નમસ્કાર, જય ઠાકર.

સૌ પ્રથમ, હું ભરવાડ સમુદાયની પરંપરા અને બધા પૂજ્ય સંતો, મહંતો અને સમગ્ર પરંપરા માટે પોતાનું જીવન સમર્પિત કરનારા તમામ લોકોને મારા આદરપૂર્વક પ્રણામ કરું છું. આજે ખુશી અનેક ગણી વધી ગઈ છે. આ વખતે યોજાયેલો મહાકુંભ ઐતિહાસિક હતો, પરંતુ તે આપણા માટે ગર્વની વાત છે કારણ કે મહાકુંભના શુભ પ્રસંગે, મહંત શ્રી રામ બાપુજીને મહા મંડલેશ્વરનું બિરુદ મળ્યું હતું. આ એક ખૂબ જ મોટી ઘટના છે, અને આપણા બધા માટે અનેક આનંદનો પ્રસંગ છે. રામ બાપુજી અને સમાજના તમામ પરિવારજનોને મારી શુભકામનાઓ.

છેલ્લા એક અઠવાડિયામાં, એવું લાગ્યું કે ભાવનગરની ભૂમિ ભગવાન કૃષ્ણનું વૃંદાવન બની ગઈ છે અને અને એમાં સોનામાં સુગંધ ભળી જાય તેમ આપણા ભાઈજીની ભાગવત કથા હતી. જે ​​પ્રકારની ભક્તિ વહેતી હતી, વાતાવરણ એવું હતું કે લોકો કૃષ્ણમાં તરબોળ થઈ ગયા હતા. મારા પ્રિય સગાસંબંધીઓ, બાવળીયાલી સ્થળ માત્ર એક ધાર્મિક સ્થળ નથી, પરંતુ તે ભરવાડ સમુદાય સહિત ઘણા લોકો માટે શ્રદ્ધા, સંસ્કૃતિ અને એકતાનું પ્રતીક પણ છે.

 

નાગા લાખા ઠાકરની કૃપાથી, આ પવિત્ર સ્થળને હંમેશા ભરવાડ સમુદાયને સાચી દિશા અને મહાન પ્રેરણાનો અપાર વારસો મળ્યો છે. આજે, આ ધામ ખાતે શ્રી નાગા લાખા ઠાકર મંદિરનું પુનઃપ્રતિષ્ઠા આપણા માટે એક સુવર્ણ અવસર બની ગયું છે. એવું લાગે છે કે છેલ્લા એક અઠવાડિયાથી ઘણો ઉમંગ ઝવાઈ ગયો છે. સમાજનો ઉત્સાહ અને ઉમંગ છે... મને બધે તાળીઓનો ગડગડાટ સંભળાઈ રહ્યો છે. મને લાગે છે કે મારે તમારા બધાનો સંપર્ક કરવો જોઈએ, પરંતુ સંસદ અને કામના કારણે બહાર જવાનું મુશ્કેલ છે. પણ જ્યારે હું આપણી હજારો બહેનોના રાસ વિશે સાંભળું છું, ત્યારે મને લાગે છે કે વાહ, તેમણે વૃંદાવનને જીવંત કરી દીધું છે.

શ્રદ્ધા, સંસ્કૃતિ અને પરંપરાનું મિશ્રણ અને જોડાણ મન અને આત્માને આનંદ આપે છે. આ બધા કાર્યક્રમોમાં કલાકાર ભાઈઓ અને બહેનોએ ભાગ લીધો અને કાર્યક્રમને જીવંત બનાવ્યો અને સમાજને સમયસર સંદેશ આપ્યો. મને ખાતરી છે કે ભાઈજી પણ સમયાંતરે કથા દ્વારા આપણને સંદેશા આપશે. આ માટે તેમને ગમે તેટલા અભિનંદન આપવામાં આવે તે પૂરતા નથી.

આ શુભ અવસરનો ભાગ બનાવવા બદલ હું મહંત શ્રી રામ બાપુજી અને બાવળીયાલી ધામનો આભારી છું. આ પવિત્ર પ્રસંગે હું તમારી સાથે ન રહી શક્યો તેની મારે માફી માંગવી જોઈએ. તમારા બધાનો મારા પર સમાન અધિકાર છે. ભવિષ્યમાં જ્યારે પણ હું ત્યાં આવીશ, ત્યારે હું ચોક્કસ ત્યાં શ્રદ્ધાંજલિ આપવા આવીશ.

 

મારા પ્રિય પરિવારજનો,

ભરવાડ સમુદાય અને બાવળીયાલી ધામ સાથે મારો સંબંધ તાજેતરનો નથી; તે ઘણો જૂનો છે. ભરવાડ સમુદાયની સેવા અને પ્રકૃતિ પ્રત્યેનો તેમનો પ્રેમ અને ગાય સેવા શબ્દોમાં વર્ણવવી મુશ્કેલ છે. આપણા બધાના મોંમાંથી એક વાત નીકળે છે,

નગા લાખા નર ભલા,

પચ્છમ ધરા કે પીર ।

ખારે પાની મીઠે બનાયે,

સૂકી સુખી નદિયોં મેં  બહાયે નીર ।

 

તે ફક્ત શબ્દો નથી. તે યુગમાં, સેવાની ભાવના, સખત મહેનત (નેવાના પાણી મોભે લગાવી લીધા - ગુજરાતી કહેવત છે), સેવાના કાર્યમાં પ્રકૃતિકરણ દેખાય છે, સેવાની સુગંધ દરેક પગલે ફેલાઈ હતી અને આજે, સદીઓ પછી પણ, લોકો તેમને યાદ કરી રહ્યા છે, આ એક મોટી વાત છે. હું પૂજ્ય ઇસુ બાપુ દ્વારા કરવામાં આવેલી સેવાઓનો પ્રત્યક્ષ સાક્ષી છું, મેં તેમની સેવાઓ જોઈ છે. આપણા ગુજરાતમાં દુષ્કાળ કોઈ નવી વાત નથી. એક સમય હતો જ્યારે દસમાંથી સાત વર્ષ દુષ્કાળ પડતો હતો. ગુજરાતમાં એવું કહેવામાં આવતું હતું કે ધંધુકા (દુષ્કાળગ્રસ્ત વિસ્તાર) માં તમારી દીકરીના લગ્ન ન કરો. (ગુજરાતી - બંદૂકે દેજો પણ ધંધુકે ના દેતા એટલે તમારી દીકરીના લગ્ન ધંધુકા (દુષ્કાળ વિસ્તાર) માં ન કરાવો, જરૂર પડે તો ગોળી મારી દેજો (બંદૂકે દેજો) પણ ધંધુકા (દુષ્કાળ વિસ્તાર) માં તેના લગ્ન ન કરાવો... (આનું કારણ એ હતું કે તે સમયે ધંધુકામાં દુષ્કાળ પડતો હતો) ધંધુકા, રાણપુર પણ એક એવું સ્થળ હતું જ્યાં પાણી માટે તડપ હતી. અને તે સમયે, પૂજ્ય ઇસુ બાપુએ જે સેવા કરી છે, તેમણે પીડિત લોકો માટે જે સેવા કરી છે તે સ્પષ્ટ છે. ફક્ત હું જ નહીં, સમગ્ર ગુજરાતના લોકો તેમના કાર્યને ભગવાનનું કાર્ય માને છે. લોકો તેમના વખાણ કરવાનું બંધ કરતા નથી. પછી ભલે તે સ્થળાંતર જાતિના ભાઈ-બહેનોની સેવા હોય, તેમના બાળકોને શિક્ષણ આપવાનું કાર્ય હોય, પર્યાવરણ પ્રત્યે સમર્પણ હોય, ગીર-ગાયની સેવા હોય, કોઈ પણ કાર્ય લો, આપણે તેમના બધા કાર્યોમાં સેવાની આ પરંપરા જોઈએ છીએ.

મારા પ્રિય સ્વજનો,

ભરવાડ સમુદાયના લોકો હંમેશા મહેનત અને બલિદાનના મામલામાં આગળ રહ્યા છે. તમે લોકો જાણો છો કે જ્યારે હું તમારી વચ્ચે આવ્યો ત્યારે મેં કડવી વાતો કહી હતી. મેં ભરવાડ સમુદાયને કહ્યું છે કે હવે લાકડીઓનો સમય નથી, તમે લોકો લાકડીઓ લઈને ખૂબ ફર્યા છો, હવે કલમનો સમય છે. અને હું ગર્વથી કહીશ કે જ્યારે પણ મને ગુજરાતમાં સેવા કરવાનો મોકો મળ્યો છે, ત્યારે ભરવાડ સમુદાયની નવી પેઢીએ મારી વાત સ્વીકારી છે. બાળકો શિક્ષણ મેળવીને આગળ વધવા લાગ્યા છે. પહેલા હું કહેતો હતો કે લાકડી છોડીને કલમ ઉપાડો. હવે હું કહું છું કે મારી દીકરીઓના હાથમાં પણ કોમ્પ્યુટર હોવા જોઈએ. બદલાતા સમયમાં આપણે ઘણું બધું કરી શકીએ છીએ. આ આપણી પ્રેરણા બને છે. આપણો સમાજ પ્રકૃતિ અને સંસ્કૃતિનો રક્ષક છે. તમે ખરેખર 'અતિથિ દેવો ભવ' કહેવતને જીવંત કરી છે. અહીં લોકો ભરવાડ અને બાલુવા સમુદાયની પરંપરાઓ વિશે ઓછું જાણે છે. ભરવાડ સમુદાયના વડીલો વૃદ્ધાશ્રમમાં જોવા મળશે નહીં. સંયુક્ત પરિવાર, વડીલોની સેવા કરવાની ભાવના ભગવાનની સેવા કરવા જેવી હોય છે. વડીલોને વૃદ્ધાશ્રમમાં મોકલવામાં આવતા નથી, તેઓ તેમની સેવા કરે છે. નવી પેઢીને આપવામાં આવેલા આ મૂલ્યો ખૂબ મોટી વાત છે. ભરવાડ સમાજના સામાજિક જીવનના નૈતિક મૂલ્યો અને તેમની વચ્ચેના કૌટુંબિક મૂલ્યોને હંમેશા મજબૂત બનાવવા માટે પેઢી દર પેઢી પ્રયાસો કરવામાં આવ્યા છે. મને સંતોષ છે કે આપણો સમાજ આપણી પરંપરાઓનું જતન કરી રહ્યો છે અને આધુનિકતા તરફ ઝડપી ગતિએ આગળ વધી રહ્યો છે. સ્થાનાંતરિત જાતિના પરિવારોના બાળકોને શિક્ષણ આપવું જોઈએ, તેમના માટે છાત્રાલયની સુવિધા બનાવવી જોઈએ, આ પણ એક પ્રકારની મોટી સેવા છે. સમાજને આધુનિકતા સાથે જોડવાનું કાર્ય, દેશને વિશ્વ સાથે જોડવાની નવી તકો ઊભી કરવાનું કાર્ય પણ સેવાનું એક મહાન કાર્ય છે. હવે હું ઈચ્છું છું કે આપણી છોકરીઓ રમતગમતમાં પણ આગળ આવે અને આપણે તેના માટે મહેનત કરવી પડશે. જ્યારે હું ગુજરાતમાં હતો, ત્યારે હું રમત મહાકુંભમાં જોતો હતો કે નાની છોકરીઓ શાળાએ જતી હતી અને રમતગમતમાં સારા માર્ક્સ મેળવતી હતી. હવે તેમની પાસે શક્તિ છે, ભગવાને તેમને કંઈક ખાસ આપ્યું છે, તેથી હવે તેમની પણ ચિંતા કરવાની જરૂર છે. આપણને પશુપાલનની ચિંતા છે; જો આપણા પ્રાણીઓને કંઈક થાય છે, તો આપણે તેમના સ્વાસ્થ્ય માટે કામ કરીએ છીએ. હવે આપણે પણ આપણા બાળકો માટે એવી જ લાગણી અને ચિંતા રાખવાની છે. બાવળીયાલી ધામ પશુપાલનમાં સારું છે, પરંતુ ખાસ કરીને અહીં ગીર ગાયની જે રીતે સંભાળ રાખવામાં આવે છે, તેના પર આખા દેશને ગર્વ છે. આજે ગીર ગાયોની દુનિયાભરમાં પ્રશંસા થાય છે.

 

મારા પ્રિય પરિવારજનો,

ભાઈઓ અને બહેનો, આપણે અલગ નથી, આપણે બધા સાથી છીએ, મને હંમેશા એવું લાગ્યું છે કે આપણે પરિવારના સભ્યો છીએ. હું હંમેશા તમારી વચ્ચે એક પરિવારના સભ્યની જેમ રહ્યો છું. આજે બાવળીયાળી ધામ આવેલા પરિવારના બધા સભ્યો, લાખો લોકો અહીં બેઠા છે, મને તમારી પાસેથી કંઈક માંગવાનો અધિકાર છે. હું તમને પૂછવા માંગુ છું, અને હું આગ્રહ કરીશ, અને મને વિશ્વાસ છે કે તમે મને ક્યારેય નિરાશ નહીં કરો. આપણે હવે આ રીતે જીવવાની જરૂર નથી, આપણે છલાંગ લગાવીને પચીસ વર્ષમાં ભારતને વિકસિત બનાવવું પડશે. તમારી મદદ વિના મારું કાર્ય અધૂરું રહેશે. આ કાર્યમાં સમગ્ર સમાજે જોડાવું પડશે. તમને યાદ હશે કે મેં લાલ કિલ્લા પરથી કહ્યું હતું કે, સૌનો પ્રયાસ... સૌનો પ્રયાસ આપણી સૌથી મોટી મૂડી છે. ભારતને વિકસિત ભારત બનાવવાનું પહેલું પગલું એ છે કે આપણા ગામડાઓનો વિકાસ થાય. આજે, પ્રકૃતિ અને પશુધનની સેવા કરવી એ આપણો કુદરતી ધર્મ છે. તો પછી બીજું શું કામ આપણે નહીં કરી શકીએ... ભારત સરકાર એક યોજના ચલાવે છે, અને તે સંપૂર્ણપણે મફત છે - પગ અને મોંના રોગ, જેને આપણે 'ખુરપકા, મુંહપકા' રોગ તરીકે જાણીએ છીએ. આપણે નિયમિતપણે રસી લેવી પડશે, તો જ આપણા પ્રાણીઓ આ રોગમાંથી બહાર આવી શકશે. આ કરુણાનું કાર્ય છે. હવે સરકાર મફત રસી પૂરી પાડે છે. આપણે ખાતરી કરવી પડશે કે આપણે આપણા સમાજના પશુધનને નિયમિતપણે આ રસી આપીએ. તો જ આપણને ભગવાન શ્રી કૃષ્ણના સતત આશીર્વાદ મળશે, આપણા ઠાકર આપણી મદદ માટે આવશે. હવે આપણી સરકારે બીજું એક મહત્વપૂર્ણ કાર્ય કર્યું છે. પહેલા ખેડૂતો પાસે કિસાન ક્રેડિટ કાર્ડ હતું, હવે અમે પશુપાલકોને પણ ક્રેડિટ કાર્ડ આપવાનું નક્કી કર્યું છે. આ કાર્ડ દ્વારા, આ પશુપાલકો બેંકમાંથી ઓછા વ્યાજે પૈસા લઈ શકે છે અને તેમના વ્યવસાયનો વિસ્તાર કરી શકે છે. રાષ્ટ્રીય ગોકુલ મિશન પણ ગાયોની સ્થાનિક જાતિઓના પ્રચાર, વિસ્તરણ અને સંરક્ષણ માટે ચલાવવામાં આવી રહ્યું છે. હું તમને વિનંતી કરું છું કે જો હું દિલ્હીમાં બેસીને આ બધું કરતો રહું અને તમે બધા તેનો લાભ પણ ન લો તો તે કેવી રીતે કામ કરશે? તમારે લોકોએ તેનો લાભ લેવો પડશે. તમારી સાથે મને લાખો પ્રાણીઓના આશીર્વાદ મળશે. તમને બધા જીવો તરફથી આશીર્વાદ મળશે. તેથી, આ યોજનાનો લાભ લેવા વિનંતી છે. બીજી મહત્વની વાત જે મેં પહેલા કહી હતી અને આજે ફરી એક વાર કહી રહ્યો છું તે એ છે કે આપણે બધા વૃક્ષારોપણનું મહત્વ જાણીએ છીએ. આ વર્ષે મેં એક ઝુંબેશ ચલાવી હતી જેની સમગ્ર વિશ્વમાં લોકો પ્રશંસા કરી રહ્યા છે. એક પેડ મા કે નામ, જો આપણી માતા જીવિત હોય તો તેની હાજરીમાં એક વૃક્ષ વાવો અને જો માતા જીવિત ન હોય તો તેનો ફોટો સામે રાખીને એક વૃક્ષ વાવો. આપણે તો ભરવાડ સમુદાયના એવા લોકો છીએ, જેમના ત્રીજા-ચોથા પેઢીના વડીલો નેવું-સો વર્ષ સુધી જીવે છે અને અમે તેમની સેવા કરીએ છીએ. આપણે આપણી માતાના નામે એક વૃક્ષ વાવવું પડશે, અને ગર્વ અનુભવવો પડશે કે તે મારી માતાના નામે છે, મારી માતાની યાદમાં છે. તમે જાણો છો, આપણે ધરતી માતાને પણ દુઃખી કરી છે, આપણે પાણી કાઢતા રહ્યા, રસાયણો ઉમેરતા રહ્યા, તેને તરસી બનાવી દીધી. તેના પર ઝેર નાંખી દીધું. ધરતી માતાને સ્વસ્થ બનાવવાની જવાબદારી આપણી છે. આપણા પશુપાલકોના પશુઓનું છાણ પણ આપણી ધરતી માતા માટે ધન સમાન છે, તે ધરતી માતાને નવી શક્તિ આપશે. તેમના માટે કુદરતી ખેતી મહત્વપૂર્ણ છે. જેની પાસે જમીન અને તક હોય તેણે કુદરતી ખેતી કરવી જોઈએ. ગુજરાતના રાજ્યપાલ આચાર્યજી કુદરતી ખેતી માટે ઘણું બધું કરી રહ્યા છે. હું તમને બધાને વિનંતી કરું છું કે આપણી પાસે ગમે તેટલી નાની કે મોટી જમીન હોય, આપણે કુદરતી ખેતી તરફ વળવું જોઈએ અને ધરતી માતાની સેવા કરવી જોઈએ.

પ્રિય ભાઈઓ અને બહેનો,

હું ફરી એકવાર ભરવાડ સમુદાયને મારી શુભકામનાઓ પાઠવું છું અને ફરી એકવાર પ્રાર્થના કરું છું કે નગા લાખા ઠાકરના આશીર્વાદ આપણા બધા પર રહે અને બાવળીયાલી ધામ સાથે જોડાયેલા બધા લોકોનું ભલુ થાય અને તેમની ઉન્નતિ થાય, આ મારી ઠાકરના ચરણોમાં પ્રાર્થના છે. આપણી છોકરીઓ અને બાળકોએ શિક્ષણ મેળવીને આગળ આવવું જોઈએ, સમાજ મજબૂત બનવો જોઈએ, આપણે આનાથી વધુ શું માંગી શકીએ? આ સુવર્ણ પ્રસંગે, ભાઈજીના શબ્દોને શ્રદ્ધાંજલિ આપતા અને તેમને આગળ લઈ જતા, ચાલો આપણે ખાતરી કરીએ કે સમાજને આધુનિકતા તરફ શક્તિશાળી બનાવીને આગળ લઈ જવો પડશે. મને ખૂબ મજા આવી. જો હું પોતે આવ્યો હોત તો મને વધુ આનંદ થયો હોત.

જય ઠાકર.