প্রধানমন্ত্রী শ্রী নরেন্দ্র মোদী আজ ১০০০ মেগাওয়াট ক্ষমতা সম্পন্ন নেভেলি নতুন তাপবিদ্যুৎ প্রকল্প এবং এনএলসিআইএল –এর ৭০৯ মেগাওয়াট ক্ষমতা সম্পন্ন সৌর বিদ্যুৎ প্রকল্প জাতির উদ্দেশে উৎসর্গ করেছেন। এছাড়া ভিও চিদাম্ববরনার বন্দরে ৫ মেগাওয়াট ক্ষমতা সম্পন্ন গ্রিডের পরিকল্পনা, সরবরাহ এবং প্রকল্প সূচনার শিলান্যাস করেছেন। এই গ্রিড উৎপাদিত সৌরশক্তি বন্টন করবে। শ্রী মোদী, কোয়েম্বাতুর, মাদুরাই, সালেম, থানজাভুর, ভেলোর, তিরুচিরাপল্লি, তিরুপ্পুর, তিরুনেলভেলী, থুঠুকুড়িতে যে ৯টি স্মার্টসিটি প্রকল্প হচ্ছে, সেগুলির জন্য ইন্টিগ্রেটেড কম্যান্ড অ্যান্ড কন্ট্রোল সেন্টারের শিলান্যাসও করেছেন। এছাড়া তিনি ৮ লেনের কোরামপাল্লমা সেতু, ভিও চিদাম্ববরনার বন্দরে রেল লাইনের ওপর একটি উড়ালপুলের উদ্বোধন করেছেন। পাশাপাশি প্রধানমন্ত্রী আবাস যোজনা (শহরাঞ্চল) প্রকল্পের আওতায় শ্রী মোদী বস্তিবাসীদের জন্য ঘরের উদ্বোধন করেছেন। তামিলনাড়ুর রাজ্যপাল, মুখ্যমন্ত্রী ও উপমুখ্যমন্ত্রী এবং কেন্দ্রীয় মন্ত্রী শ্রী প্রহ্লাদ যোশী এই অনুষ্ঠানে উপস্থিত ছিলেন।

এই উপলক্ষ্যে শ্রী মোদী বলেছেন, শিল্প ও উদ্ভাবনের শহর কোয়েম্বাতুরে আজ যে সব উন্নয়নমূলক প্রকল্পে সূচনা হল, তার সুফল কোয়েম্বাতুর সহ সমস্ত তামিলনাড়ু পাবে।

প্রধানমন্ত্রী বলেছেন, ভবানী সাগর জলাধারের আধুনিকীকরণ প্রকল্পের মাধ্যমে বিভিন্ন জেলার ২ লক্ষ একর জমিতে সেচের জল পৌঁছে দেওয়া হবে। এর ফলে কৃষকরা উপকৃত হবেন। ভারতের শিল্পের উন্নয়নে তামিলনাড়ু যে গুরুত্বপূর্ণ অবদান রেখেছে, তিনি তারও প্রশংসা করেছেন। বিভিন্ন বিদ্যুৎ প্রকল্পের উদ্বোধন করে প্রধানমন্ত্রী সন্তোষ প্রকাশ করেছেন। কারণ শিল্পের বিকাশের জন্য নিরবচ্ছিন্ন বিদ্যুৎ সরবরাহের প্রয়োজন। ৭০৯ মেগাওয়ার্ট ক্ষমতা সম্পন্ন সৌরবিদ্যুৎ প্রকল্পের নির্মাণে দেশীয় প্রযুক্তি ব্যবহার করা হয়েছে। পুরো প্রকল্প নির্মাণে ব্যয় হয়েছে ৩০০০ কোটি টাকা। এছাড়াও ১০০০ মেগাওয়াট ক্ষমতা সম্পন্ন তাপবিদ্যুৎ প্রকল্পের সুফল তামিলনাড়ু পাবে। ৭৮০০ কোটি টাকা ব্যয়ে নির্মিত এই বিদ্যুৎ কেন্দ্রে উৎপাদিত বিদ্যুতের ৬৫ শতাংশ তামিলনাড়ুকে দেওয়া হবে।

 

|

থুঠুকড়ির ভিও চিদাম্ববরনার বন্দরে বিভিন্ন প্রকল্পের সূচনা করে শ্রী মোদী বলেছেন, তামিলনাড়ুর সামুদ্রিক বাণিজ্য ও বন্দর ভিত্তিক উন্নয়নে গৌরবজ্জ্বল ইতিহাস রয়েছে। এই প্রকল্পগুলি বন্দরের পণ্য ওঠানো – নামানোর ক্ষমতাকে বাড়াবে। একই সঙ্গে পরিবেশবান্ধব বন্দরের উদ্যোগকে সাহায্য করবে। আত্মনির্ভর ভারত ও বাণিজ্য এবং লজিস্টিকের কেন্দ্র হয়ে ওঠার ক্ষেত্রে দক্ষভাবে বন্দর পরিচালনা করা প্রয়োজন। প্রধানমন্ত্রী মহান স্বাধীনতা সংগ্রামী ভিও চিদাম্ববরনারের প্রতি শ্রদ্ধা নিবেদন করেছেন। তিনি বলেছেন, ভিও চিদাম্ববরনারের প্রাণবন্ত ভারতীয় জাহাজ শিল্প ও সামুদ্রিক ব্যবসা বাণিজ্যের স্বপ্ন আমাদের অনুপ্রাণিত করে। প্রধানমন্ত্রী, ২০ কোটি টাকা ব্যয়ে সৌরবিদ্যুৎ প্রকল্পের সঙ্গে ৫ মেগাওয়াট ক্ষমতা সম্পন্ন গ্রিড সংযোগের বিষয়ে সন্তোষ প্রকাশ করেছেন। ১৪০ কিলোওয়াট রুফটপ সৌরবিদ্যুৎ উৎপাদনকারী প্যানেল বসানোর কাজও চলছে। পুরো বিষয়টিকে তিনি জ্বালানীর ক্ষেত্রে আত্মনির্ভরতার উদাহরণ বলে উল্লেখ করেছেন।

 

|

প্রধানমন্ত্রী বলেছেন, সাগরমালা প্রকল্পের মাধ্যমে বন্দরভিত্তিক উন্নয়নের বিষয়ে ভারত অঙ্গীকারবদ্ধ। ২০১৫ থেকে ২০৩৫ সালের মধ্যে ৬ লক্ষ কোটি টাকার প্রায় ৫৭৫টি প্রকল্প বাস্তবায়নের উদ্যোগ নেওয়া হয়েছে। এর মধ্যে রয়েছেঃ বন্দরের আধুনিকীকরণ, নতুন বন্দর নির্মাণ, বন্দরের যোগাযোগ ব্য়বস্থার উন্নয়ন, বন্দর ভিত্তিক শিল্পায়ন এবং উপকূলীয় অঞ্চলে বসবাসরত বিভিন্ন সম্প্রদায়ের উন্নয়ন। চেন্নাইয়ের শ্রী পেরুম্বুদুরের কাছে মাপ্পেড়ুতে একটি নতুন মাল্টি মডেল, লজিস্টিক পার্ক শীঘ্রই কাজ শুরু করবে। সাগরমালা প্রকল্পের আওতায় ৮ লেন বিশিষ্ট কোরামপাল্লাম সেতু ও রেললাইনের উপর উড়ালপুল নির্মাণ করা হয়েছে। এই প্রকল্পের ফলে বন্দরমুখী এবং বন্দর থেকে অন্যত্র যান চলাচলের ক্ষেত্রে যানজট হবে না। ফলে জাহাজের থেকে পণ্য ওঠানো – নামানোর কাজে সময়ও কম লাগবে।

শ্রী মোদী বলেছেন, যে কোনো উন্নয়নের মূলে রয়েছে ব্যক্তি বিশেষের মর্যাদা নিশ্চিত করা। “মর্যাদা নিশ্চিত করার ক্ষেত্রে সকলের জন্য আবাসের ব্যবস্থা করা অত্যন্ত গুরুত্বপূর্ণ। মানুষের স্বপ্ন ও উচ্চাকাঙ্খা পূরণের জন্য প্রধানমন্ত্রী আবাস যোজনা শুরু করা হয়।” আজ বস্তিবাসীদের জন্য ৪১৪৪টি ঘরের উদ্বোধন করে শ্রী মোদী সন্তোষ প্রকাশ করেছেন। এছাড়াও তামিলনাড়ু জুড়ে স্মার্ট সিটিগুলির জন্য ইন্টিগ্রেটেড কম্যান্ড অ্যান্ড কন্ট্রোল সেন্টারের তিনি শিলান্যাস করেছেন। প্রধানমন্ত্রী আবাস যোজনার আওতায় এই প্রকল্পের জন্য ব্যয় হয়েছে, ৩৩২ কোটি টাকা। এই ঘরগুলি স্বাধীনতার ৭০ বছর পরেও যারা আশ্রয়হীন, তাদের দেওয়া হবে। ইন্টিগ্রেটেড কম্যান্ড অ্যান্ড কন্ট্রোল সেন্টারের মাধ্যমে স্মার্ট সিটিগুলির জন্য ইন্টেলিজেন্ট অ্যান্ড ইন্টিগ্রেটেড আইটি ব্যবস্থাপনার সাহায্যে বিভিন্ন পরিষেবা নাগরিকদের দেওয়া হবে।

 

  • शिवकुमार गुप्ता February 18, 2022

    जय माँ भारती
  • शिवकुमार गुप्ता February 18, 2022

    जय भारत
  • शिवकुमार गुप्ता February 18, 2022

    जय हिंद
  • शिवकुमार गुप्ता February 18, 2022

    जय श्री राम
  • शिवकुमार गुप्ता February 18, 2022

    जय श्री सीताराम
Explore More
প্রত্যেক ভারতীয়ের রক্ত ফুটেছে: মন কি বাত অনুষ্ঠানে প্রধানমন্ত্রী মোদী

জনপ্রিয় ভাষণ

প্রত্যেক ভারতীয়ের রক্ত ফুটেছে: মন কি বাত অনুষ্ঠানে প্রধানমন্ত্রী মোদী
A Decade Of Dedication: PM Modi’s Journey As Pradhan Sevak Aiming For Development

Media Coverage

A Decade Of Dedication: PM Modi’s Journey As Pradhan Sevak Aiming For Development
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
The ideals of Sree Narayana Guru are a great treasure for all of humanity: PM Modi
June 24, 2025
QuoteThe ideals of Sree Narayana Guru are a great treasure for all of humanity: PM
QuoteIndia has been blessed with remarkable saints, sages and social reformers who have brought about transformative changes in society: PM
QuoteToday, by adopting the saturation approach, the country is working to eliminate every possibility of discrimination as envisioned by Sree Narayana Guru: PM
QuoteMissions like Skill India are empowering the youth and making them self-reliant: PM
QuoteTo empower India, we must lead on every front - economic, social and military. Today, the nation is moving forward on this very path: PM

ब्रह्मर्षि स्वामी सच्चिदानंद जी, श्रीमठ स्वामी शुभंगा-नंदा जी, स्वामी शारदानंद जी, सभी पूज्य संतगण, सरकार में मेरे साथी श्री जॉर्ज कुरियन जी, संसद के मेरे साथी श्री अडूर प्रकाश जी, अन्य सभी वरिष्ठ महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

पिन्ने एनडे ऐल्ला, प्रियपेट्ट मलयाली सहोदिरि सहोदरन मार्कु, एनडे विनीतमाय नमस्कारम्।

आज ये परिसर देश के इतिहास की एक अभूतपूर्व घटना को याद करने का साक्षी बन रहा है। एक ऐसी ऐतिहासिक घटना, जिसने न केवल हमारे स्वतन्त्रता आंदोलन को नई दिशा दी, बल्कि स्वतन्त्रता के उद्देश्य को, आज़ाद भारत के सपने को ठोस मायने दिये। 100 साल पहले श्रीनारायण गुरु और महात्मा गांधी की वो मुलाकात, आज भी उतनी ही प्रेरक है, उतनी ही प्रासंगिक है। 100 साल पहले हुई वो मुलाकात, सामाजिक समरसता के लिए, विकसित भारत के सामूहिक लक्ष्यों के लिए, आज भी ऊर्जा के बड़े स्रोत की तरह है। इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं श्रीनारायण गुरु के चरणों में प्रणाम करता हूं। मैं गांधी जी को भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।

|

भाइयों बहनों,

श्रीनारायण गुरु के आदर्श पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी पूंजी हैं। जो लोग देश और समाज की सेवा के संकल्प पर काम करते हैं, श्रीनारायण गुरु उनके लिए प्रकाश स्तंभ की तरह हैं। आप सभी जानते हैं कि समाज के शोषित-पीड़ित-वंचित वर्ग से मेरा किस तरह का नाता है। और इसलिए आज भी मैं जब समाज के शोषित, वंचित वर्ग के लिए बड़े निर्णय लेता हूँ, तो मैं गुरुदेव को जरूर याद करता हूँ। 100 साल पहले के वो सामाजिक हालात, सदियों की गुलामी के कारण आईं विकृतियाँ, लोग उस दौर में उन बुराइयों के खिलाफ बोलने से डरते थे। लेकिन, श्रीनारायण गुरु ने विरोध की परवाह नहीं की, वो कठिनाइयों से नहीं डरे, क्योंकि उनका विश्वास समरसता और समानता में था। उनका विश्वास सत्य, सेवा और सौहार्द में था। यही प्रेरणा हमें ‘सबका साथ, सबका विकास’ का रास्ता दिखाती है। यही विश्वास हमें उस भारत के निर्माण के लिए ताकत देता है, जहां अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति हमारी

पहली प्राथमिकता है।

साथियों,

शिवगिरी मठ से जुड़े लोग और संतजन भी जानते हैं कि श्रीनारायण गुरु में और शिवगिरी मठ में मेरी कितनी अगाध आस्था रही है। मैं भाषा तो नहीं समझ पा रहा था, लेकिन पूज्य सच्चिदानंद जी जो बातें बता रहे थे, वो पुरानी सारी बातें याद कर रहे थे। और मैं भी देख रहा था कि उन सब बातों पर आप बड़े भाव विभोर होकर के उसके साथ जुड़ जाते थे। और मेरा सौभाग्य है कि मठ के पूज्य संतों ने हमेशा मुझे अपना स्नेह दिया है। मुझे याद है, 2013 में, तब तो मैं गुजरात में मुख्यमंत्री था, जब केदारनाथ में प्राकृतिक आपदा आई थी, तब शिवगिरी मठ के कई पूज्य संत वहाँ फंस गए थे, कुछ भक्त जन भी फंस गए थे। शिवगिरी मठ ने वहाँ फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए भारत सरकार का संपर्क नहीं किया था, प्रकाश जी बुरा मत मानना, शिवगिरी मठ ने मैं एक राज्य का मुख्यमंत्री था, मुझे आदेश दिया और इस सेवक पर भरोसा किया, कि भई ये काम तुम करो। और ईश्चर की कृपा से सभी संत सभी भक्तजन को सुरक्षित मैं ला पाया था।

साथियों,

वैसे भी मुश्किल समय में हमारा सबसे पहला ध्यान उसकी ओर जाता है, जिसे हम अपना मानते हैं, जिस पर हम अपना अधिकार समझते हैं। और मुझे खुशी है कि आप अपना अधिकार मुझ पर समझते हैं। शिवगिरी मठ के संतों के इस अपनेपन से ज्यादा आत्मिक सुख की बात मेरे लिए और क्या होगी?

|

साथियों,

मेरा आप सबसे एक रिश्ता काशी का भी है। वर्कला को सदियों से दक्षिण की काशी भी कहा जाता है। और काशी चाहे उत्तर की हो या दक्षिण की, मेरे लिए हर काशी मेरी काशी ही है।

साथियों,

मुझे भारत की आध्यात्मिक परंपरा, ऋषियों-मुनियों की विरासत, उसे करीब से जानने और जीने का सौभाग्य मिला है। भारत की ये विशेषता है कि हमारा देश जब भी मुश्किलों के भंवर में फँसता है, कोई न कोई महान विभूति देश के किसी कोने में जन्म लेकर समाज को नई दिशा दिखाती है। कोई समाज के आध्यात्मिक उत्थान के लिए काम करता है। कोई सामाजिक क्षेत्र में समाज सुधारों को गति देता है। श्रीनारायण गुरु ऐसे ही महान संत थे। निवृत्ति पंचकम्’ और ‘आत्मोपदेश शतकम्’ जैसी उनकी रचनाएँ, ये अद्वैत और आध्यात्म के किसी भी स्टूडेंट के लिए गाइड की तरह हैं।

साथियों,

योग और वेदान्त, साधना और मुक्ति श्रीनारायण गुरु के मुख्य विषय थे। लेकिन, वो जानते थे कि कुरीतियों में फंसे समाज का आध्यात्मिक उत्थान उसके सामाजिक उत्थान से ही संभव होगा। इसलिए उन्होंने आध्यात्म को समाज-सुधार और समाज-कल्याण का एक माध्यम बनाया। और श्रीनारायण गुरु के ऐसे प्रयासों से गांधी जी ने भी प्रेरणा पाई, उनसे मार्गदर्शन लिया। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे विद्वानों को भी श्रीनारायण गुरु से चर्चा का लाभ मिला।

|

साथियों,

एक बार किसी ने श्रीनारायण गुरु की आत्मोपदेश शतकम् रमण महर्षि जी को सुनाई थी। उसे सुनकर रमण महर्षि जी ने कहा था- "अवर एल्लाम तेरीन्जवर"। यानी- वो सब कुछ जानते हैं! और उस दौर में, जब विदेशी विचारों के प्रभाव में भारत की सभ्यता, संस्कृति और दर्शन को नीचा दिखाने के षड्यंत्र हो रहे थे, श्रीनारायण गुरु ने हमें ये अहसास कराया कि कमी हमारी मूल परंपरा में नहीं है। हमें अपने आध्यात्म को सही अर्थों में आत्मसात करने की जरूरत है। हम नर में श्रीनारायण को, जीव में शिव को देखने वाले लोग हैं। हम द्वैत में अद्वैत को देखते हैं। हम भेद में भी अभेद देखते हैं। हम विविधता में भी एकता देखते हैं।

साथियों,

आप सभी जानते हैं, श्रीनारायण गुरु का मंत्र था- “ओरु जाति, ओरु मतम्, ओरु दैवम्, मनुष्यनु।” यानी, पूरी मानवता की एकता, जीव मात्र की एकता! ये विचार भारत की जीवन संस्कृति का मूल है, उसका आधार है। आज भारत उस विचार को विश्व कल्याण की भावना से विस्तार दे रहा है। आप देखिए, अभी हाल ही में हमने विश्व योग दिवस मनाया। इस बार योग दिवस की थीम थी- Yoga for

One Earth, One Health. यानी, एक धरती, एक स्वास्थ्य! इसके पहले भी भारत ने विश्व कल्याण के लिए One World, One Health जैसा initiative शुरू किया है। आज भारत sustainable development की दिशा में One Sun, One Earth, One grid जैसे ग्लोबल मूवमेंट को भी लीड कर रहा है। आपको याद होगा, 2023 में भारत ने जब G-20 समिट को होस्ट किया था, हमने उसकी भी थीम रखी थी- "One Earth, One Family, One Future". हमारे इन प्रयासों में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना जुड़ी हुई है। श्रीनारायण गुरु जैसे संतों की प्रेरणा जुड़ी हुई है।

साथियों,

श्रीनारायण गुरु ने एक ऐसे समाज की परिकल्पना की थी- जो भेदभाव से मुक्त हो! मुझे संतोष है कि आज देश सैचुरेशन अप्रोच पर चलते हुए भेदभाव की हर गुंजाइश को खत्म कर रहा है। लेकिन आप 10-11 साल पहले के हालात को याद करिए, आज़ादी के इतने दशक बाद भी करोड़ों देशवासी कैसा जीवन जीने को मजबूर थे? करोड़ों परिवारों के सिर पर छत तक नहीं थी! लाखों गांवों में पीने का साफ पानी नहीं था, छोटी-छोटी बीमारी में भी इलाज कराने का विकल्प नहीं, गंभीर बीमारी हो जाए, तो जीवन बचाने का कोई रास्ता नहीं, करोड़ों गरीब, दलित, आदिवासी, महिलाएं मूलभूत मानवीय गरिमा से वंचित थे! और, ये करोड़ों लोग, इतनी पीढ़ियों से इन कठिनाइयों में जीते चले आ रहे थे, कि उनके मन में बेहतर जिंदगी की उम्मीद तक मर चुकी थी। जब देश की इतनी बड़ी आबादी ऐसी पीड़ा और निराशा में थी, तब देश कैसे प्रगति कर सकता था? और इसलिए, हमने सबसे पहले संवेदनशीलता को सरकार की सोच में ढाला! हमने सेवा को संकल्प बनाया! इसी का परिणाम है कि, हम पीएम आवास योजना के तहत, करोड़ों गरीब-दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित परिवारों को पक्के घर दे पाये हैं। हमारा लक्ष्य हर गरीब को उसका पक्का घर देने का है। और, ये घर केवल ईंट सीमेंट का ढांचा नहीं होता, उसमें घर की संकल्पना साकार होती है, तमाम जरूरी सुविधाएं होती हैं। हम चार दीवारों वाली ईमारत नहीं देते, हम सपनों को संकल्प में बदलने वाला घर देते हैं।

|

इसीलिए, पीएम आवास योजना के घरों में गैस, बिजली, शौचालय जैसी हर सुविधा सुनिश्चित की जा रही है। जलजीवन मिशन के तहत हर घर तक पानी पहुंचाया जा रहा है। ऐसे आदिवासी इलाकों में, जहां कभी सरकार पहुंची ही नहीं, आज वहाँ विकास की गारंटी पहुँच रही है। आदिवासियों में, उसमें भी जो अतिपिछड़े आदिवासी हैं, हमने उनके लिए पीएम जनमन योजना शुरू की है। उससे आज कितने ही इलाकों की तस्वीर बदल रही है। इसका परिणाम ये है कि, समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति में भी नई उम्मीद जगी है। वो न केवल अपना जीवन बदल रहा है, बल्कि वो राष्ट्रनिर्माण में भी अपनी मजबूत भूमिका देख रहा है।

साथियों,

श्रीनारायण गुरु ने हमेशा महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया था। हमारी सरकार भी Women Led Development के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। हमारे देश में आज़ादी के इतने साल बाद भी ऐसे कई क्षेत्र थे, जिनमें महिलाओं की एंट्री ही बैन थी। हमने इन प्रतिबंधों को हटाया, नए-नए क्षेत्रों में महिलाओं को अधिकार मिले, आज स्पोर्ट्स से लेकर स्पेस तक हर फील्ड में बेटियाँ देश का नाम रोशन कर रही हैं। आज समाज का हर वर्ग, हर तबका, एक आत्मविश्वास के साथ विकसित भारत के सपने को, उसमें अपना योगदान कर रहा है। स्वच्छ भारत मिशन, पर्यावरण से जुड़े अभियान, अमृतसरोवर का निर्माण, मिलेट्स को लेकर जागरूकता जैसे अभियान, हम जनभागीदारी की भावना से आगे बढ़ रहे हैं, 140 करोड़ देशवासियों की ताकत से आगे बढ़ रहे हैं।

साथियों,

श्रीनारायण गुरु कहते थे- विद्या कोंड प्रब्बुद्धर आवुका संगठना कोंड शक्तर आवुका, प्रयत्नम कोंड संपन्नार आवुका"। यानि, “Enlightenment through education, Strength through organization, Prosperity through industry.” उन्होंने खुद भी इस विज़न को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण संस्थाओं की नींव रखी थी। शिवगिरी में ही गुरुजी ने शारदा मठ की स्थापना की थी। माँ सरस्वती को समर्पित ये मठ, इसका संदेश है कि शिक्षा ही वंचितों के लिए उत्थान और मुक्ति का माध्यम बनेगी। मुझे खुशी है कि गुरुदेव के उन प्रयासों का आज भी लगातार विस्तार हो रहा है। देश के कितने ही शहरों में गुरुदेव सेंटर्स और श्रीनारायण कल्चरल मिशन मानव हित में काम कर रहे हैं।

|

साथियों,

शिक्षा, संगठन और औद्योगिक प्रगति से समाज कल्याण के इस विज़न की स्पष्ट छाप, आज हम देश की नीतियों और निर्णयों में भी देख सकते हैं। हमने इतने दशक बाद देश में नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी लागू की है। नई एजुकेशन पॉलिसी न केवल शिक्षा को आधुनिक और समावेशी बनाती है, बल्कि मातृभाषा में पढ़ाई को भी बढ़ावा देती है। इसका सबसे बड़ा लाभ पिछड़े और वंचित तबके को ही हो रहा है।

साथियों,

हमने पिछले एक दशक में देश में इतनी बड़ी संख्या में नई IIT, IIM, AIIMS जैसे संस्थान खोले हैं, जितने आज़ादी के बाद 60 वर्षों में नहीं खुले थे। इसके कारण आज उच्च शिक्षा में गरीब और वंचित युवाओं के लिए नए अवसर खुले हैं। बीते 10 साल में आदिवासी इलाकों में 400 से ज्यादा एकलव्य आवासीय स्कूल खोले गए हैं। जो जनजातीय समाज कई पीढ़ियों से शिक्षा से वंचित थे, उनके बच्चे अब आगे बढ़ रहे हैं।

भाइयों बहनों,

हमने शिक्षा को सीधे स्किल और अवसरों से जोड़ा है। स्किल इंडिया जैसे मिशन देश के युवाओं को आत्मनिर्भर बना रहे हैं। देश की औद्योगिक प्रगति, प्राइवेट सेक्टर में हो रहे बड़े reforms, मुद्रा योजना, स्टैंडअप योजना, इन सबका भी सबसे बड़ा लाभ दलित, पिछड़ा और आदिवासी समाज को हो रहा है।

साथियों,

श्री नारायण गुरु एक सशक्त भारत चाहते थे। भारत के सशक्तिकरण के लिए हमें आर्थिक, सामाजिक और सैन्य, हर पहलू में आगे रहना है। आज देश इसी रास्ते पर चल रहा है। भारत तेज़ी से दुनिया की

तीसरे नंबर की इकॉनॉमी बनने की तरफ बढ़ रहा है। हाल में दुनिया ने ये भी देखा है कि भारत का सामर्थ्य क्या है। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की कठोर नीति को दुनिया के सामने एकदम स्पष्ट कर दिया है। हमने दिखा दिया है कि भारतीयों का खून बहाने वाले आतंकियों के लिए कोई भी ठिकाना सुरक्षित नहीं है।

|

साथियों,

आज का भारत देशहित में जो भी हो सकता है और जो भी सही है, उसके हिसाब से कदम उठाता है। आज सैन्य ज़रूरतों के लिए भी भारत की विदेशों पर निर्भरता लगातार कम हो रही है। हम डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर हो रहे हैं। और इसका प्रभाव हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी देखा है। हमारी सेनाओं ने भारत में बने हथियारों से दुश्मन को 22 मिनट में घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया। मुझे विश्वास है, आने वाले समय में मेड इन इंडिया हथियारों का डंका पूरी दुनिया में बजेगा।

साथियों,

देश के संकल्पों को पूरा करने के लिए हमें श्रीनारायण गुरु की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाना है। हमारी सरकार भी इस दिशा में सक्रियता के साथ काम कर रही है। हम शिवगिरी सर्किट का निर्माण करके श्रीनारायण गुरु के जीवन से जुड़े तीर्थ स्थानों को जोड़ रहे हैं। मुझे विश्वास है, उनके आशीर्वाद, उनकी शिक्षाएँ अमृतकाल की हमारी यात्रा में देश को रास्ता दिखाती रहेंगी। हम सब एक साथ मिलकर

विकसित भारत के सपने को पूरा करेंगे। श्रीनारायण गुरू का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे, इसी कामना के साथ, मैं शिवगिरी मठ के सभी संतों को फिर से नमन करता हूं। आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद! नमस्कारम्!