CM addresses at E-library of laws project of Bar Council of Gujarat

Published By : Admin | September 16, 2012 | 18:40 IST

बार में आया हूँ, 12/12 में मुझे जरूरत है और 12/12 में बार जरूर काम आएगा। अक्लमंद को इशारा काफी है..!

मित्रों, गुजरात की विकास यात्रा से देश और दुनिया अब पूरी तरह से परिचित है। 21वीं सदी की जब शुरूआत हुई, तब इतनी ज्यादा आशा थी, समग्र विश्व भारत की तरफ देख रहा था और दुनिया को ऐसा लगता था कि भारत 21वीं सदी का नेतृत्व करेगा और यह आशा स्वाभाविक थी। एक बार मुझे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में बुलाया गया था। दुनिया भर के सभी वरिष्ठ लोग उपस्थित थे। और वहाँ जो प्रश्र आते थे, क्वेश्चन-आन्सर का भी एक कार्यक्रम था और हम एशियन कंट्री के पांच-सात लोग वहाँ बैठे थे। इसमें चाइना भी था, जापान भी था और प्रतिनिधियों में विश्व भर के सभी धुरंधर थे। पर ज्यादातर सभी प्रश्र मेरी ही तरफ आ रहे थे। नरेन्द्र मोदी के कारण नहीं, इंडिया का मैं वहाँ था इस कारण। और भारत की ओर से कैसी अपेक्षाएं, आशाएं थी ये प्रश्रों से पता चलता था। लेकिन इस दशक में जो कुछ भी हमने देखा और पिछले एक साल में जो हमने पूरे विश्व को निराश कर दिया है, जिस तरह से पूरी दुनिया में अपने देश की बदनामी हो रही है और खासकर अभी जब 19 राज्यों में अंधकार, देश की 60 करोड़ जनता 48 घंटे तक पूरी तरह से बिजली से वंचित... 21वीं सदी का नेतृत्व करने वाले देश की एक छ्वी होती है और दूसरी ओर घोर अंधेरा, आप कल्पना कर सकते हो कि दुनिया को कितना बड़ा धक्का लगा होगा। मित्रों, एक भारतवासी होने के नाते पीड़ा होती है। अपार्ट फ्रोम पॉलिटिक्स, मैं यहाँ आपके पास राजनीतिक चर्चा करने नहीं आया हूँ। देश को निराशा होती है, किसी भी देशभक्त नागरिक को बहुत पीड़ा होती है। और उस समय चाहे वाशिंगटन पोस्ट हो या वॉल स्ट्रीट जर्नल हो, ये हिन्दुस्तान की इस कर्म कथा को लिखा और इसमें तीन पैराग्राफ गुजरात के लिखें कि पूरा देश अंधकार में डूबा हुआ था तब एक मात्र गुजरात था जहाँ बिजली जगमगा रही थी। हंसू कि रोऊँ ये समझ में नहीं आता है, मित्रों। एक तरफ मेरे देश की बदनामी हो रही हो और मेरे गुजरात का जय-जय कार हो रहा हो, कैसी दुविधा..! एक ऐसी विशिष्ट परिस्थिति से देश गुजर रहा है। फ़िलहाल तो रोज ऐसी घटनाएँ हो रही हैं कि जिसके कारण 21वीं सदी का सपना जैसे चूर-चूर हो रहा है, जैसे हम हमारी नजरों के सामने अपने सपनों को नष्ट कर रहे हों ऐसे दृश्य देखने को मिल रहे हैं। और ऐसे समय में इस फील्ड में बैठे लोगों के मन की कोई भूमिका हो सकती है, मित्रों..? ये बात इस कारण से उठा रहा हूँ कि हिन्दुस्तान के आजादी के इतिहास में, इस देश में परिवर्तन करने वाली घटनाओं के मोड़ को देखें तो दो बातें ध्यान आती हैं। दो समूह ऐसे हैं जिनकी सक्रियता ने देश के भाग्य को बदला है। एक शिक्षक वर्ग और दूसरा वकीलों की दुनिया। आजादी के पूरे आंदोलन के नेतृत्व को देखें तो 80% लोगों का बैकग्राउंड लॉ फिल्ड का रहा है। मूल्यों के लिए, सिद्घांतों के लिए लडऩे वाली ये फौज रही है। और जब देश ऐसे संकट में हो तब इस वर्ग द्वारा पूरे देश में एक जागृति का वातावरण क्यों ना बने? फिर एक बार देश में ऐसा विश्वास क्यों पैदा नहीं हो सकता कि भाई, अगर 21वीं सदी एशिया की है, तो 21वीं सदी हिन्दुस्तान की बनाने के लिए हम कृतसंकल्प हैं। और यह सब संभव हो सकता है, मित्रों। जहाँ तक गुजरात के विकास की बात है, अब आप कहीं भी जाओ, गुजरात बोलो तो वो विकास बोलता है और आप विकास बोलो तो वो गुजरात बोलता है। एक ही सिक्के के दो पहलू हो गए हैं।

मित्रों, आज ई-लाईब्रेरी योजना का लोकापर्ण हो रहा है। जो लोग इन्टरनेट की दुनिया से अपरिचित होंगे उन्हें शायद अंदाजा नहीं होगा, लेकिन जो लोग परिचित हैं उन्हें पूरी तरह से अंदाजा होगा कि कितनी बड़ी शक्ति का स्रोत आज आपके हाथ में आ रहा है। और जिनकों इसकी आदत पड़ जाती है वो इसके बिना जी नहीं सकते ऐसी स्थिति हो गई है। आपने कई गुरु बनाए होंगे, पर एक बार गूगल को गुरू बनाया तो, ‘सब दु:खों की एक दवा’, आपको जो चाहिए वह एक कल्पवृक्ष की तरह गूगल हाजिर कर देता है..! टेक्नोलॉजी ने कमाल किया है, मित्रों। मैं चाहूँगा कि मेरे बार के मित्र इस व्यवस्था का खूब उपयोग करें, नहीं तो कई बार क्या है कि जैसे हमारी सरकार में भी हम खूब सारा खर्चा हार्डवेयर में करते हैं, कम्प्यूटर लाते हैं और प्रिंटर लाते हैं और तरह तरह का सब लेते ही रहते हैं, और ज्यादातर वह सब टेबल पर फ्लावरपॉट की तरह शोभा देता है। मैं सरकार में आया तब मैंने कम्पलसरी एक नियम बनाया था, कि अब मैं आपको ई-मेल करूंगा, सुबह में आप मुझे ई-मेल का जवाब देना। तभी तो ई-मेल खोलना सभी ने शुरू किया। एक बार इसकी आदत पड़ने के बाद इसकी ताकत का अंदाजा होता है। बार के मित्रों से मेरी विनती है, आप कल्पना नहीं कर सकते इतना बड़ा औजार आपके हाथ में आया है। इसके कारण आपकी मेहनत तो बिल्कुल कम हो जाएगी, बहुत कम। एक बारहवीं कक्षा का विद्यार्थी भी आपके यहाँ यदि इस काम से जुड़ा हुआ होगा तो भी आपकी मेहनत बिल्कुल नहीं के बराबर हो जाएगी। और क्वालिटेटिव सुधार जो आएगा, आपकी बात का, आपके रेफरेंस का, ये सुधार शायद सैंकड़ों गुना बढ़ सकता है। आप तालुका की कोर्ट में काम करते होंगे, और कभी किसी जिल्ला कोर्ट के आदमी को पता चलता है कि फलाना तालुका की कोर्ट में फलाना मुद्दे पर फलाना वकील ने ऐसी दलील की थी, तो उसको आश्चर्य होगा कि इतनी सारी जानकारी इसके पास आई कहाँ से? इसका आधार यह ई-लाइब्रेरी है। ये बात ठीक है कि खाली जमानत और ऐसे सारे छोटे-मोटे काम करते हों उनको... ऐसे मुझे आपकी दुनिया की ज्यादा जानकारी नहीं है, क्योंकि मेरी जिंदगी में किसी दिन जरूरत नहीं पड़ी। कभी रॉंग साईड पार्किंग का केस भी मेरे उपर नहीं लगा। इस 2008 के बाद मुझे पहली बार पता चला कि इतनी बड़ी दुनिया है आपकी, वरना 2008 तक तो मुख्यमंत्री था फिर भी किसी दिन मुझे इतनी घनिष्ठता हुई नहीं थी। 2008 के बाद दिशा बदली, दशा नहीं बदली है..!

मित्रों, गुजरात ने ई-गर्वनेंस के क्षेत्र में बहुत सारे इनिश्यिेटिव लिए हैं। मित्रों, आपको जानकर खुशी होगी कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 29 अवार्ड गुजरात सरकार को ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में मिले हैं। और हम टेक्नोलॉजी का कितना उपयोग करना चाहते हैं, मैंने एक बार प्रधानमंत्री को पत्र लिखा। वैसे तो उनको अक्सर लिखता रहता हूँ, और किसको लिखूं..? मैंने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा। सामान्य तौर पर मुख्यमंत्री पत्र लिखते ही हैं, कोई लिखता है किे भाई, हमारा जरा गेंहूँ का कोटा बढ़ा दो तो अच्छा होगा, केरासीन का कोटा बढ़ा दो तो अच्छा होगा, रोड के कंस्ट्रक्शन का थोड़ा बजट बढ़ा दो तो अच्छा... ये सारा रूटीन होता है स्टेट गवर्मेंट और सेन्ट्रल गवर्मेंट के बीच। ऐसा कुछ मैं लिखता नहीं, क्योंकि हमें ये सब मिलेगा नहीं। फिर मुझे लगा कि इनके काम का ना हो ऐसा कुछ तो मांगे हम..! इसलिए मैंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा कि एक सैटेलाइट मुझे दो, सैटेलाइट मांगा..! अब आप मुझे बताओ कि वहाँ कैसा बम्ब का गोला गीरा होगा..! दो साल तक मेरा पत्र यहाँ से वहाँ भटकता रहा, कि इसका किया क्या जाए? मुझे था कि शायद ग्रूप ऑफ मिनीस्टर्स की कोई कमेटी बनेगी, क्योंकि वहाँ ज्यादातर ऐसा है कि कोई भी प्रश्र आए तो ग्रूप ऑफ मिनीस्टर्स... एक रास्ता निकाल रखा है वहाँ। लगभग दो साल बाद मुझे जवाब आया, दो वर्ष लगे, क्योंकि कोई रोड मांगे तो क्या करना है वह पता है उन्हें, चावल मांगे तो क्या करना है वह उन्हें पता है, भाजपा की सरकार हो तो क्या जवाब होगा, यू.पी.ए. की सरकार हो तो क्या... सब उन्हें पता है, इसमें क्या करना होगा ये उन्हें पता नहीं था..! लगभग दो साल में मुझे जवाब मिला, और शायद इनकी खूब कसरत हो गई होगी, किसी दिन वह फाइल मैं देखूंगा, कभी भी हासिल करुंगा मैं, क्या क्या हुआ है..! दो साल में जवाब आया कि पूरा का पूरा सैटेलाइट तो नहीं दे सकते, कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, पर आपको 36 मैगाहर्टस उपयोग करने का अधिकार देते हैं। यानि लगभग 90-95% दे दिया ऐसा कह सकते हैं..! मित्रों, इस देश में कोई स्टेट ऐसा नहीं है कि जिसके मन में ऐसी कल्पना आयी हो और इस प्रकार की कभी मांग की हो। और आपको कभी समय मिले, बार वाले मित्रों को रुचि हो तो जब आप गांधीनगर जाओ तो बहुत बड़ी बड़ी डिश लगा हुआ एक भवन है, ‘बायसेग’, भास्कराचार्य इंस्टिट्यूट। मैं चाहता हूँ कि हाईकोर्ट बार, डिस्ट्रिक्ट बार के लोग देखने जाएं कि टेक्नोलॉजी द्वारा हम किस तरह से काम कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, हमारे मछुआरे मछली पकडऩे जाते हैं तो बेचारे फिरते-फिरते जाल बिछाते जाते हैं और कुछ मेल खाता है तो उसे वह शाम तक इकट्ठा करके वापस आते हैं, वरना तो तीन-तीन दिन तक समुद्र में घूमते रहते हैं। हम सैटेलाइट का उपयोग करके इन्हें मोबाइल फोन पर एक्जेक्ट ऐड्रेस देते हैं कि अभी मछलियों का यहाँ पर समूह है, तो वे उस तरफ जाते हैं और उनकी मेहनत 10% हो जाती है। क्योंकि मछलियां लगभग जहाँ पर एकत्र होती हैं, वहाँ लगभग 18 से 20 घंटे उस जगह पर रुकती हैं, फिर स्थानांतरण करती हैं। इतने में वे पहुंच जाते हैं, 5-10 नोटिकल माइल के अंतर में हो तो पहुंच जाते हैं और लगभग रोज के रोज कमाई करके वापस आ सकते हैं।

इसलिए टेक्नोलॉजी का कितना उपयोग हो सकता है उसका एक उदाहरण आपको दे रहा हूँ। आप मित्रों, रोड से मुंबई जाओ तो भिलाड के पास गुजरात की एक चैकपोस्ट है और दूसरी तरफ महाराष्ट्र की चेकपोस्ट है, अछाड में। जिस रोड पर गुजरात की चेकपोस्ट है, उसी रोड पर महाराष्ट्र की चेकपोस्ट है। जो वेहीकल गुजरात चेकपोस्ट पर से जाता है, वही वेहीकल महाराष्ट्र चेकपोस्ट पर से भी गुजरता है, जाते या आते समय। जितना टैक्स गुजरात चैकपोस्ट पर है, उतना ही टैक्स महाराष्ट्र चैकपोस्ट पर भी है। लेकिन गुजरात के चैकपोस्ट पर ई-गर्वेनेंस की व्यवस्था है, कैमरों की व्यवस्था है, कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम है, मेरे ऑफिस में से देखा जा सकता है कि भिलाड चैकपोस्ट पर क्या चल रहा है... दूसरी तरफ महाराष्ट्र का चैकपोस्ट है, वहाँ पर सारे भाई मेहनत करते हैं... और इसका परिणाम यह है कि महाराष्ट्र के चैकपोस्ट पर टैक्स वसूली की आय से गुजरात के चैकपोस्ट पर पिछले पांच वर्ष में 700 करोड़ रुपया ज्यादा आय हुई है। ई-गवर्नेंस मिन्स ईज़ी गवर्नेंस, इफेक्टिव गवर्नेंस एंड इकोनॉमिक गवर्नेंस। ट्रांसपेरेंसी लाने में टेक्नोलॉजी बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है मित्रों, और इसका जीता-जागता उदाहरण है यह भिलाड चैकपोस्ट।

मित्रों, डेमोक्रेसी का कई बातों का महत्व है, पर मेरे लिए डेमोक्रेसी की सबसे बड़ी शक्ति इसकी ग्रीवन्स रिड्रेसल सिस्टम कैसी है इसके ऊपर निर्भर है। गरीब से गरीब इंसान की शिकायत सुनने की व्यवस्था हो उसे उत्तम डेमोक्रेसी की व्यवस्था मैं मानता हूँ। इसकी आवाज को कहीं पर वजन मिलना चाहिए। मैंने टेक्नोलॉजी के आधार पर एक कार्यक्रम शुरू किया है, जिसका नाम है ‘स्वागत ऑनलाइन’, ‘स्वागत’ कार्यक्रम। हर महीने के चौथे गुरूवार को मैं ये कार्यक्रम करता हूँ। आम तौर पर हिन्दुस्तान में लगभग सभी पॉलिटिशियन लोक-दरबार करते हैं, सभी मुख्यमंत्री लोक दरबार करते हैं, हमारे यहाँ भी करते थे। और लोक दरबार होता है तो सारी पब्लिक वहाँ आ जाती है और आठ बजे का टाइम हो तो दस-साढ़े दस बजे साहब आते हैं, इससे पहले इन लोगों के प्यून वगैरह सब चलता है... भाई चलो, चलो जल्दी, लाओ कागज दे दो, कागज दे दो... लोक दरबार वहाँ पूरा हो जाता है..! यह मैं सत्य घटना का वर्णन कर रहा हूँ। मैंने ऐसा नहीं किया, कोई लोक दरबार नहीं किया। यदि आपको याद हो तो शुरूआत में मुझ पर जो गालियाँ पडती थीं, उसमें यह मुद्दा भी शामिल था। मुझे तो हर साल दि गयी गालियों की आईटम बदलती रहती है, गालियाँ देने वालों को अब नई-नई रिसर्च करनी पड़ती है। मैंने टेक्नोलॉजी के माध्यम से ‘स्वागत ऑनलाइन’ कार्यक्रम, इट्स वन टाइप ऑफ दरबार..! तालुका स्तर पर, जिल्ला स्तर पर और राज्य स्तर पर मैं एक दिन में 1400 लोगों को ऑनलाइन सुनता हूँ और उसमें 98% हल हो जाता है। सरकार में दो प्रकार की चीज होती है, एक तो निपटाए और उसे संतोष मिलता है कि फाइल निपट गई। मेरी कोशिश निपटाना नहीं होता, मेरा आग्रह रहता है हल करने का। आइदर पॉजिटिव ऑर नेगेटिव, हिम्मत चाहिए सरकार में कि टेक द पोजीशन, स्टैंड लो, भाई..! अनुभव ऐसा रहा है कि इसमें 98% एचीवमेंट है और इस ‘स्वागत ऑनलाइन’ के कार्यक्रम की प्रतिष्ठा इतनी ज्यादा है कि गाँव का कोई बिल्कुल अनपढ़ व्यक्ति भी कलेक्टर कचहरी में जा कर के यदि कोई उन्हें सुनता नहीं है तो कहता है कि कोई बात नहीं साहब, यदि आपको ठीक से नहीं सुनना है तो मैं ऑनलाइन जाऊँगा..! वो जैसे ही ’ऑनलाइन’ कहता है, उसके साथ ही कलेक्टर बाहर आकर “अरे, आओ-आओ, बैठो, क्या काम था..?” साहब, गाँव का आदमी भी अब समझता है कि ये ‘ऑनलाइन’ मतलब क्या..! इसलिए टेक्नोलॉजी से कितनी बड़ी ताकत खड़ी की जा सकती है, इसका ये उत्तम उदाहरण है। ये सभी चीजों का उपयोग आने वाले दिनों में बढऩे वाला है। आज हममें से भी जो लोग बेहतर किस्म के मोबाइल का उपयोग करते हैं, उन लोगों को पता है कि अगर थोड़ी सी रुचि लें तो पूरी दुनिया उनकी हथेली में होती है मित्रों, पूरी दुनिया अपनी हथेली में होती है। मोबाइल गवर्नेंस की ओर विश्व जा रहा है। अब वो दिन नहीं होंगे कि आपको तारीख के लिए कोर्ट में जाना पड़े, अब तो घर पर एस.एम.एस. के जरिए पता चल जाएगा कि मुद्दत पड़ी कि नहीं। इसका भी चार्ज ले लेना, कोई बात नहीं..! पर टेक्नोलॉजी का उपयोग तो करो, भाई।

खैर मित्रों, अनेक क्षेत्र ऐसे हैं कि जहाँ टेक्नोलॉजी का उपयोग पूरे विश्व को बदल रहा है। बदल रहे युग में ये सभी टेक्नोलॉजी के साथ नाता जितना जोड़ोगे, उतना ही उपकारी रहेगा। ई-लाईब्रेरी एक उत्तम शुरूआत है। देश के दूसरे भागों में तो आप इसकी अपेक्षा भी मत करना, भाईयों..! हमारी एक बार मीटिंग थी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, प्रधानमंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री और राज्य के हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, इन लोगों की एक मीटिंग पहले चलती थी। मेरे लिए पहली बार ऐसे समाचार थे, वहाँ एक चर्चा हुई पेन्डेन्सी की, कि भाई इतने सारे केसों का जमाव क्यों है। तो एक प्रदेश वालों का ऐसा कहना था कि हफ्ते में मुश्किल से दो-तीन घंटे कोर्ट चलती है। उसका कारण क्या है? कारण यह है कि लगभग सभी कोर्ट का निर्माण ऐसा है कि प्राकृतिक रोशनी नहीं है और लाइट चलती नहीं है, इसलिए केस चलाना मुश्किल होता है। आप विचार करो, इतनी सारी पगार चुकाई जाती हैं, इतने सारे रूपए खर्च किए जाते हों, और हफ्ते में दो या तीन घंटे जब बिजली आए उस समय कोर्ट चले, ऐसी दुर्दशा पूर्ण स्थिति में देश चलता हो, इसके सामने गुजरात कहाँ जा रहा है इसका आप अंदाजा कर सकते हो। कोई भी कसौटी पर गुजरात नई-नई ऊंचाइयाँ पार कर रहा है। सही मायनों में एक समृद्घ गुजरात के लिए कितने पैरामीटर में समृद्घि हो सकती है, इन सभी बातों को केंद्रित करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं।

मुझे आप लोगों के बीच आने का अवसर मिला, मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूँ और यह ई-लाइब्रेरी गुजरात के न्याय जगत के लिए एक नई शक्ति देने वाली बने। यह ई-लाइब्रेरी न्यायिक दुनिया के साथ जुड़े हुए मेरे वकील मित्रों को इन्फोर्मेशन से सक्षम बनाए, खूब शक्तिशाली बनाए। वास्तव में वकीलों को सशक्त करने का यह हथियार है और अगर वकील सशक्त हों तो पूरी न्यायपालिका सशक्त होती है, उस उद्देश्य के लिए यह योगदान है। आप इसका भरपूर उपयोग करें, इसी अपेक्षा के साथ बहुत बहुत शुभकामनाएं..!

धन्यवाद...!

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भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी, राज्य के लोकप्रिय मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी सी आर पाटिल, देश के अलग-अलग भागों से इस कार्यक्रम में जुड़े हुए सभी राज्यपाल महोदय, उप मुख्यमंत्रीगण, सांसदगण, विधायकगण, अन्य जनप्रतिनिधि और विशाल संख्या में यहां आए हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

कैसे हो सभी, सब मजे में, आप सभी की माफी मांग के मुझे आज भाषण हिंदी में करना है क्यूंकि दूसरे राज्य के भी साथी आज यहाँ इस कार्यक्रम में बडी संख्या में जुड़े है । और अपने गुजरात में तो हिन्दी चलता है क्यों ? चलता है न ?

आज देश में गणेशोत्सव चारों तरफ उत्सव की धूम है। । घरों में गणपति भी विराजित हैं। आज मिलाद-उन-नबी भी है...देश के अलग-अलग हिस्सों में कई त्योहार और पर्व मनाए जा रहे हैं। उत्सव के इस समय में भारत के विकास का उत्सव भी निरंतर जारी है। अभी यहां से करीब साढ़े आठ हज़ार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण हुआ है। इनमें रेल, रोड, मेट्रो... ऐसे अनेक प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। आज गुजरात के गौरव में एक और सितारा जुड़ा है। आज नमो भारत रेपिड रेल भी शुरु हुई है। ये भारत की अर्बन कनेक्टिविटी के लिए एक और मील का पत्थर सिद्ध होने वाली है। आज गुजरात के हज़ारों परिवार, अपने नए घर में प्रवेश भी कर रहे हैं। आज हज़ारों परिवारों को उनके पक्के घर की पहली किश्त भी जारी हुई है। मेरी कामना है..नवरात्रि, दशहरा, दुर्गापूजा, धनतेरस, दीवाली, अब से सारे त्योहार इतने ही उमंग के साथ आप नए घर में मनाएंगे। आप सभी का गृह-प्रवेश शुभ हो, आपके सपनों को नई उड़ान देने वाला हो।। मैं विशेष रूप से उन हज़ारों बहनों को बधाई दूंगा, जिनके नाम पर ये घर रजिस्टर हुए हैं। विकास के इन सभी प्रोजेक्ट्स के लिए मैं गुजरात वासियों को, देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

उत्सव के इस माहौल में एक पीड़ा भी है। इस वर्ष गुजरात के अनेक इलाकों में एक साथ अतिवृष्टि हुई है। पहली बार इतिहास में इतने व्यापक स्तर से, इतने कम समय में, इतनी तेज बारिश हमने देखी है। इक्का-दुक्का जगहों में नहीं बल्कि, गुजरात के कोने-कोने में ये स्थिति पैदा हुई और इसके कारण हमने अनेक स्वजनों को खोया है। जान-माल की भी बहुत हानि हुई है। केंद्र और राज्य सरकार, प्रभावितों को हर संभव राहत देने के लिए काम कर रही है। जिन साथियों का उपचार चल रहा है, मैं उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।

साथियों,

तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद, मैं पहली बार आज गुजरात आया हूं, आप सभी के बीच आया हूं। गुजरात मेरी जन्मभूमि है..गुजरात ने मुझे जीवन की हर सीख दी है। आप लोगों ने हमेशा मुझ पर अपना प्यार लुटाया है....और बेटा जब अपने घर आता है...घर आकर जब अपनों से आशीर्वाद लेता है...तो उसे नई ऊर्जा मिलती है। उसका उत्साह, उसका जोश और बढ़ जाता है। और इतनी बड़ी तादाद में आप आशीर्वाद देने आए, ये मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है।

साथियों,

मुझे गुजरात के आप सभी लोगों की अपेक्षा का भी ऐहसास है। बार-बार मुझे अलग-अलग corner से message भी आया करते थे। आप चाहते थे कि तीसरी बार शपथ लेने के बाद मैं जल्द से जल्द आपके बीच आऊं और बहुत स्वाभाविक था, 60 साल के बाद देश की जनता ने एक नया इतिहास रचा है। एक सरकार को लगातार तीसरी बार देश की सेवा करने का अवसर दिया है। ये भारत के लोकतंत्र की बहुत बड़ी घटना है और इसलिए गुजरात के मन में ये विचार आना कि हमारे नरेन्द्र भाई पर तो हमारा हक है। उन्होंने तुरंत गुजरात आना चाहिए। आपकी भावना सही है। लेकिन राष्ट्र प्रथम का संकल्प दिलाकर आप ही लोगों ने मुझे दिल्ली भेजा है। मैंने लोकसभा चुनाव के दौरान आप लोगों को... देशवासियों को एक गारंटी दी थी। मैंने कहा था कि तीसरे टर्म के पहले 100 दिन, देश के लिए अभूतपूर्व फैसले लिए जाएंगे। बीते 100 दिनों में, मैंने दिन नहीं देखा, रात नहीं देखा, 100 दिन के एजेंडे को पूरा करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी...देश हो या विदेश, जहां भी, जो भी प्रयास करने थे, वो किए...कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी। और आपने देखा होगा पिछले 100 दिन में न जाने कैसी कैसी बातें होने लगी। इस दौरान मेरा मजाक उड़ाने लगे... मोदी का मखौल उड़ाने लगे... भांति-भांति के तर्क वितर्क बताते रहे... मजा लेते थे और लोग भी हैरान थे कि मोदी क्या कर रहा है? क्यों चुप है? इतनी मजाक हो रहा है... इतना अपमान हो रहा है।

लेकिन मेरे गुजरात के भाईयों-बहनों,

ये सरदार पटेल की भूमि से पैदा हुआ बेटा है। हर मजाक, हर मखौल, हर अपमान को सहते हुए, एक प्रण लेकर के 100 दिन मैंने आपके कल्याण के लिए, देश हित के लिए नीति बनाने और निर्णय लेने में जुटा हुआ था। और तय किया था जिनको जितना मखौल उड़ाना है उड़ाने दो। उनको भी तो मौज आएगी, लेलो लेलो। और मैंने तय किया था मैं एक भी जवाब नहीं दूंगा। जिस रास्ते पर मुझे देश के कल्याण के मार्ग पर चलना है। कितने ही प्रकार के हंसी, मजाक, ठिठौरापन होता रहे, मैं अपनी इस राह से भटकूंगा नहीं। और आज मुझे खुशी है कि उन सब अपमानों को पचाते हुए 100 दिन के इन निर्णयों में, देश के हर नागरिक, हर परिवार, हर वर्ग के कल्याण की गारंटी पक्की हो गई है। इन 100 दिनों में 15 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा योजनाओं पर काम शुरू हुआ है। चुनाव के दौरान मैंने 3 करोड़ नए घर बनाने की गारंटी देश को दी थी। इस गारंटी पर तेजी से काम हो रहा है। आज यहां इस कार्यक्रम में भी गुजरात के हज़ारों परिवारों को पक्का घर मिला है। कल मैं झारखंड में था, वहां भी हज़ारों परिवारों को घर दिए गए हैं। गांव हो या शहर, हम सभी को बेहतर जिंदगी जीने के लिए व्यवस्थाएं जुटाने में लगे हैं।। शहरी मिडिल क्लास के घरों के लिए आर्थिक मदद देना हो...श्रमिकों को सही किराए पर अच्छा घर देने का अभियान हो...फैक्ट्रियों में काम करने वालों के लिए विशेष आवास योजना बनानी हो...वर्किंग वूमन के लिए देश में नए होस्टल बनाने हो...सरकार इन पर हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रही है।

साथियों,

कुछ दिन पहले ही गरीब और मिडल क्लास के स्वास्थ्य से जुड़ा बहुत बड़ा फैसला लिया गया। मैंने आपसे वायदा किया था कि देश में 70 वर्ष से ऊपर के जितने भी बुजुर्ग हैं, सबको 5 लाख रुपए का मुफ्त इलाज मिलेगा। ये गारंटी भी पूरी हो गई है। अब मिडिल क्लास के बेटे-बेटियों को अपने मां-बाप के इलाज की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। अब आपका ये बेटा, इसकी चिंता करेगा।

साथियों,

इन 100 दिनों में नौजवानों की नौकरी, उनके रोजगार-स्वरोजगार, उनके कौशल विकास के लिए बड़े फैसले लिए गए हैं। नौजवानों के लिए 2 लाख करोड़ रुपए का विशेष पीएम-पैकेज घोषित किया गया है। इसका फायदा 4 करोड़ से अधिक नौजवानों को होगा। अब कंपनियों में पहली नौकरी की पहली सैलरी, अगर कंपनी नए नौजवान को पहली बार रोजगार देती है तो वो पैसे सरकार देने वाली है। सरकार ने मुद्रा लोन, जिस मुद्रा लोन ने स्वरोजगार के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाई है, बहुत सफल अभियान रहा है। उसकी सफलता को देखते हुए पहले 10 लाख रुपये तक मिलते थे, अब उसे बढ़ाकर के 20 लाख रुपया कर दिया गया है।

साथियों,

मैंने माताओं-बहनों को गारंटी दी थी कि देश में 3 करोड़ लखपति दीदी बनाई जाएंगी। बीते सालों में 1 करोड़ लखपति दीदी बन चुकी हैं। लेकिन आपको खुशी होगी कि तीसरे टर्म में पहले 100 दिन में गुजरात सहित पूरे देश में 11 लाख नई लखपति दीदी बनी हैं। हाल में ही, सरकार ने तिलहन उगाने वाले किसानों के हित में तेलबिया, उनके हित में भी बड़ा फैसला किया। ये फैसला इसलिए लिया गया है, ताकि देश के किसान हमारे तिलहन किसानों को बढ़े हुए MSP से भी ज्यादा कीमत मिले। तिलहन किसानों को फायदा हो। इसके लिए विदेशी तेल के आयात पर शुल्क बढ़ाया गया है। इससे सोयाबीन और सूरजमुखी जैसी फसलें उगाने वाले किसानों को बहुत लाभ होगा। और देश को खाद्य तेल में आत्मनिर्भर बनाने के मिशन को भी गति मिलेगी। सरकार ने बासमती चावल और प्याज़ के निर्यात पर भी जो रोक लगी हुई थी उसे भी हटा दिया है। इससे विदेशों में भारत के चावल और प्याज की मांग बढ़ी है। इस निर्णय से भी देश के करोड़ों किसानों को फायदा होगा।

साथियों,

बीते 100 दिनों में रेल, रोड, पोर्ट, एयरपोर्ट और मेट्रो से जुड़े दर्जनों प्रोजेक्ट्स को स्वीकृति दी गई है। इसकी झलक आज के इस कार्यक्रम में भी दिख रही है, वीडियो में भी बताया गया। यहां गुजरात में कनेक्टिविटी से जुड़े ढेर सारे प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास या लोकार्पण हुआ है। थोड़ी देर पहले मैंने मेट्रो से गिफ्ट सिटी स्टेशन तक सफर किया। इस दौरान अनेक लोगों ने अपने अनुभव साझा किए। अमदाबाद मेट्रो के विस्तार से हर कोई खुश है। 100 दिनों के अंदर देशभर के अनेक शहरों में मेट्रो के विस्तार से जुड़े निर्णय लिए गए हैं।

साथियों,

गुजरात के लिए आज का दिन एक और वजह से भी खास है। आज से अहमदाबाद और भुज के बीच नमो भारत रेपिड रेल चलने लगी है। नमो भारत रेपिड रेल देश में एक शहर से दूसरे शहर रोज आने जाने वाले हमारे मिडिल क्लास परिवारों को बहुत सुविधा देने वाली है। इससे नौकरी-पेशा, व्यापार-कारोबार और पढ़ाई-लिखाई से जो साथी जुड़े हुए हैं, उनको बहुत लाभ मिलेगा। आने वाले समय में देश के अनेक शहरों को नमो भारत रेपिड रेल कनेक्ट करने वाली है।

साथियों,

वंदे भारत ट्रेनों के नेटवर्क को इन 100 दिनों में जिस तेज़ी से बढ़ाया गया है, वो तो अभूतपूर्व है। इस दौरान देश में 15 से अधिक नए रूट्स पर नई वंदेभारत ट्रेनें शुरु हो चुकी हैं। इसका मतलब ये हुआ कि पिछले 15 सप्ताह में हर सप्ताह एक हिसाब से 15 सप्ताह में 15 नई मेट्रो । कल झारखंड से भी मैंने अनेक वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई। आज भी...नागपुर-सिकंदराबाद, कोल्हापुर-पुणे, आगरा कैंट-बनारस, दुर्ग -विशाखापट्टनम, पुणे-हुब्बलि वंदे भारत ट्रेन शुरु हुई हैं। वाराणसी और नई दिल्ली के बीच चलने वाली वंदे भारत तो अब 20 कोच की हो गई है। आज देश में सवा सौ से ज्यादा वंदे भारत ट्रेनें हर रोज हजारों लोगों को बेहतर सफर का आनंद दे रही हैं।

साथियों,

गुजरात के हम लोग...समय का मूल्य समझते हैं। भारत के लिए ये समय...भारत का गोल्डन पीरियड है...भारत का अमृतकाल है। अगले 25 साल में हमें अपने देश को विकसित बनाना है...और इसमें गुजरात की बहुत बड़ी भूमिका है। गुजरात आज मैन्यूफैक्चरिंग का बहुत बड़ा हब बन रहा है। आज गुजरात भारत के सबसे वेल कनेक्टेड राज्यों में से एक है। वो दिन दूर नहीं जब गुजरात...भारत को पहला मेड-इन-इंडिया ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-295 देगा। सेमीकंडक्टर मिशन में आज गुजरात जिस तरह लीड ले रहा है...वो अभूतपूर्व है। आज गुजरात में एक से बढ़कर एक यूनिवर्सिटीज हैं...पेट्रोलियम हो...फोरेंसिक हो...वेलनेस हो...हर आधुनिक विषय की पढ़ाई के लिए गुजरात में बेहतरीन मौके हैं...विदेशी यूनिवर्सिटीज भी यहां गुजरात में आकर अपने कैंपस खोल रही हैं...कल्चर से लेकर एग्रीकल्चर तक गुजरात की पूरी दुनिया में धूम मची हुई है...हम जिन फसलों के बारे में सोच भी नहीं सकते थे...वो फसलें और अनाज भी अब गुजरात विदेशों में एक्सपोर्ट कर रहा है। और ये सब किसने किया है? गुजरात में ये परिवर्तन कौन लाया है?

साथियों,

ये गुजरात के आप सभी परिश्रमी लोगों ने किया है। पूरी की पूरी एक पीढ़ी गुजर गई जिसने गुजरात के विकास के लिए जी-जान से यहां मेहनत की है। अब यहां से हमें गुजरात को एक नई ऊंचाई पर लेकर जाना है। आपको याद होगा...इस बार लाल किले से मैंने भारत में बनने वाले सामानों की क्वालिटी की बात की है। जब हम कहते हैं कि ये एक्सपोर्ट क्वालिटी का है...तो कहीं ना कहीं ये भी मान लेते हैं कि जो एक्सपोर्ट नहीं हो रहा...उसकी क्वालिटी शायद उतनी बेहतर नहीं है। और इसलिए कहते हैं ये एक्सपोर्ट क्वालिटी का है। हमें इस मानसिकता से बाहर निकलना है। मैं चाहता हूं...गुजरात अपने बेस्ट क्वालिटी के प्रॉडक्ट्स के लिए भारत और पूरी दुनिया में अपनी शानदार पहचान बनाए।

साथियों,

आज भारत जिस तरह नए संकल्पों के साथ काम कर रहा है...विदेशों में भी भारत की आज वाह-वाही हो रही है। हाल के दिनों में मुझे अनेक देशों में, अनेक बड़े मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। आपने भी देखा है कि दुनिया में भारत को कितना मान-सम्मान मिल रहा है। दुनिया में हर कोई भारत का, भारतीयों का खुले मन से स्वागत करता है। हर कोई चाहता है कि भारत के साथ अच्छे रिश्ते बने। अगर कहीं कोई संकट है, कहीं कोई समस्या है, तो लोग समाधान के लिए भारत को याद करते हैं। जिस प्रकार भारत के लोगों ने लगातार तीसरी बार स्थिर सरकार बनाई...जिस प्रकार भारत तेज़ गति से विकास कर रहा है...उससे दुनिया की उम्मीदें और अधिक बढ़ गई हैं। और 140 करोड़ देशवासियों का ये अटूट भरोसा ही है...जिसके चलते मैं भी सीना चौड़ा करके, गर्व के साथ दुनिया को भरोसा देता हूं, मेरे देशवासियों की ताकत के कारण। भारत पर इस बढ़ते भरोसे का सीधा फायदा, भारत के किसान, भारत के नौजवान को होता है। जब भारत पर भरोसा बढ़ता है तो हमारे स्किल्ड नौजवानों की डिमांड बढ़ती है। जब भारत पर भरोसा बढ़ता है तो हमारा एक्सपोर्ट बढ़ता है और देश में ज्यादा निवेश आता है। जब भारत पर भरोसा बढ़ता है तो विदेशी निवेशक भारत में अपना पैसा लगाते हैं, फैक्ट्रियां लगाते हैं।

भाइयों और बहनों,

एक तरफ, हर देशवासी पूरी दुनिया में भारत का ब्रांड एंबेसडर बनना चाहता है। अपने देश के सामर्थ्य को आगे बढ़ाने में लगा है...वहीं देश में ही नेगेटिविटी से भरे कुछ लोग, उल्टा काम कर रहे हैं। य़े लोग देश की एकता पर प्रहार कर रहे हैं। सरदार पटेल ने हमें 500 से ज्यादा रियासतों को मिलाकर भारत का एकीकरण किया। सत्ता के भूखे ये लालची लोग...भारत के ही टुकड़े-टुकड़े कर देना चाहते हैं। आप लोगों ने सुना होगा...अब ये लोग मिलकर कह रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल-370 को वापस ले आएंगे..ये लोग जम्मू-कश्मीर में दो संविधान-दो विधान का नियम फिर लागू करना चाहते हैं। तुष्टिकरण के लिए ये लोग किसी भी हद को पार कर रहे हैं...नफरत से भरे हुए ये लोग भारत को बदनाम करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। ये लोग गुजरात को भी लगातार निशाने पर ले रहे हैं। इसलिए गुजरात को इनसे सतर्क भी रहना है और इन पर नजर भी रखनी है।

साथियों,

विकसित होने के रास्ते पर चल रहा भारत...ऐसी ताकतों से डटकर मुकाबला करेगा। भारत के पास अब गंवाने के लिए समय नहीं है। हमें भारत की साख भी बढ़ानी है और हर भारतीय को सम्मान का जीवन भी देना है। और मैं जानता हूं...गुजरात इसमें भी अग्रणी है। हम सभी के प्रयासों से हमारे हर संकल्प सिद्ध होंगे। आज आप जिस उमंग -उत्साह के साथ आशीर्वाद दे रहे हैं। मैं अब गुजरात से नई ऊर्जा लेकर के आगे बढूंगा, नई चेतना को लेकर के जीऊंगा। आपके लिए, आपके सपनों के लिए अपना पल-पल खपा दूंगा साथियों। आपका कल्याण, आपके जीवन की सफलता, आपके सपनों को साकार करना, जीवन में इसके सिवाय कोई इच्छा नहीं है, कोई आकांक्षा नहीं है। सिर्फ और सिर्फ आप ही, मेरे देशवासी ही मेरे आराध्य हैं। मैंने मेरे इस आराध्य देव की पूजा में अपने आपको आहूति देने करने का निर्णय कर लिया है, अपने आपको खपाने का निर्णय कर लिया है। और इसलिए साथियों, जीऊंगा तो आपके लिए, जूझता रहूंगा तो आपके लिए, जी-जान से खपता रहूंगा तो आपके लिए। आप मुझे आशीर्वाद दें। करोड़ों-करोड़ों देशवासियों के आशीर्वाद से एक नए आत्मविश्वास के साथ नए उमंग और नए हौसले के साथ मैं 140 करोड़ भारतवासियों के सपनों के लिए जी रहा हूं, जीता हूं, जीना चाहता हूं। इतनी बड़ी तादाद में आप आशीर्वाद देने के लिए आए। मैं कल शाम से गुजरात आया हूं, लंबे समय बाद आया लेकिन आपका प्यार बढ़ता ही चला जा रहा है, बढ़ता ही चला जा रहा है और मेरा हौसला भी बुलंद होता चला जा रहा है। एक बार फिर आप सभी को नई सुविधाओं के लिए, नई योजनाओं के लिए, नए अवसरों के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मेरे साथ बोलिये- भारत माता की जय! दोनों हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से साथ बोलिये –

भारत माता की जय

भारत माता की जय

भारत माता की जय

बहुत-बहुत धन्यवाद।