नमस्ते। वनक्कम।

आप सबको नमस्कार। इंडोनेशिया आने के बाद, बाली आने के बाद हर हिन्दुस्तानी को एक अलग ही अनुभूति होती है, एक अलग ही एहसास होता है और मैं भी वही vibrations फील कर रहा हूं। जिस जगह के साथ भारत का हज़ारों वर्षों का रिश्ता रहा हो और जिसके बारे में सुनते रहते हो कि हज़ारों साल में अनेकों पीढ़ीयां आई, चली गई लेकिन उस परम्परा को कभी ओझल नहीं होने दिया, हज़ारों साल से उस परम्परा को जीना, पीढ़ी दर पीढ़ी उस परम्परा को जानना और हर पल उस परम्परा से जुड़े रहना। वहां के लोग, वो धरती एक अलग ही आनंद देती है, एक अलग ही आनंद की अनुभूति कराती है। आप कल्पना कर सकते है आज जिस समय मैं आपसे बात कर रहा हूं। हम यहां बाली में बैठे हैं, बाली की परंम्पराओं के गीत गा रहे हैं उसी समय जब मैं आपसे बात कर रहा हूं इसी पल बाली से डेढ़ हज़ार किलोमीटर दूर भारत के कटक शहर में महानदी के किनारे बाली यात्रा का महोत्सव चल रहा है जिसे बाली जात्रा कहते है। और ये बाली जात्रा है क्या? ये महोत्सव भारत और इंडोनेशिया के बीच हज़ारों वर्षों के trade relations को celebrate करता है। इंडोनिशिया के लोग इस बार की बाली जात्रा के फोटो इंटरनेट पर देखेंगे तो उन्हें वाकई गर्व होगा, आनंद होगा, उत्साह से भर जाऐंगे। अब कई वर्षों बाद बीच में कोरोना के कारण जो दिक्कतें आई उसके कारण कुछ रूकावटें आई थीं। और अब कई वर्षों बाद बाली जात्रा, ये महोत्सव ओडिशा में बहुत ही बड़े स्केल पर भव्यता के साथ, दिव्यता के साथ लाखों लोगों की भागीदारी के साथ mass participations के साथ अभी मनाया जा रहा है। मुझे बताया गया कि वहां के लोग ये बाली जात्रा के स्मरण में एक स्पर्धा चला रहे हैं, कहते हैं कि कागज के नाव बनाकर के बहाए जाऐंगे और वो world record करने के मूड में हैं। इसका मतलब ये हुआ ओडिशा में आज जो लोग इकट्ठा हुए हैं उनका शरीर वहां हैं लेकिन मन बाली में है, आप लोगों के बीच में है।

साथियों,

हम लोग अक्सर बीतचीत में कहते हैं ‘It’s a small world’ भारत और इंडोनेशिया कें संबंधों को देखें तो ये शब्द नहीं है ये हमे सच्चाई नज़र आती है सटीक बैठता है। समंदर की विशाल लहरों ने भारत और इंडोनेशिया के संबंधों को लहरों की तरह ही उमंग से भरा है, जीवंत रखा है कभी थकान महसूस नहीं हुई वो लहरें जैसे चलती रहती हैं हमार नाता भी वैसा ही जीवंत रहता है। एक समय था जब कलिंग मेदांग जैसे साम्राज्यों के माध्यम से भारत का दर्शन, भारत की संस्कृति इंडोनेशिया की धरती तक पहुंची। आज एक ये समय है जब भारत और इंडोनेशिया 21वीं सदी में विकास के लिए एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहें है। इंडोनेशिया की जमीन ने भारत से आए हुए लोगों को प्यार से accept किया, उन्हें अपने समाज में सम्मलित किया। इसी वज़ह से आज आप सभी इंडोनेशिया के विकास और समृद्धि में अपना योगदान दे रहे हैं। हमारे बहुत से सिंधी परिवार यहां रहते हैं। और भारत से आए हुए हमारे सिंधी परिवार के भाई-बहनों ने यहां के textile sector में sports good sector में इतना ही नहीं फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में भी काफी कुछ contribute किया हैं। गुजरात से जुड़े हुए काफी लोग यहां है gems, diamonds, mines even खेती, किसानी उसमें भी वो लोग नज़र आते हैं। भारत से आए हुए engineers, charted accountants, professionals इंडोनेशिया के विकास के सहयात्री बने हुए हैं। कितने ही तमिल भाषी कलाकार यहां की संस्कृति, यहां के आर्ट्स को और समृद्ध करने में अपना योगदान दे रहे हैं। मुझे याद है जब 3-4 साल पहले इंडोनेशिया के बप्पा Nyoman Nuarta को भारत ने पद्माश्री से सम्मानित किया था उस समय भारत का राष्ट्रपति भवन तालियों की गड़गढ़ाहत से गूंजता ही रहता था। उनका बनाई कलाकृति गरूड़ विष्णु केनकाना का कोई शायद हिन्दुस्तानी ऐसा नहीं होगा जो उसकी प्रशंसा न करता हो। ऐसे ही इंडोनेशिया के Wayan Dibia और Agus Indra Udayana जी को जब पद्म सम्मान मिला था तो मुझे निर्णय करने से पहले उनके बारे में काफी कुछ जानने का मौका मिला। Agus Indra Udayana जी आप भलीभाती परिचित है उनसे और आज यहां मौजूद भी है। वो बाली में महात्मा गांधी के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए जी-जान से जुट़े हुए है। मैंने कही उनका एक इंटरव्यू देखा था उसमें वो कह रहे थे कि भारत की सबसे बड़ी विशेषता अतिथि देवा भव की है। यानि अतिथि देवो भव ये भावना जो है ये हर भारतीय की रगो में है अपनत्व का ये भाव प्रकट होता है मुझे इंटरव्यू पढ़कर अच्छा लगा लेकिन एक बात और भी बतानी चाहिए अपनत्व के विषय में भारत की तारीफ हो रही होगी लेकिन इंडोनेशिया के लोगों का भी अपनत्व कम नहीं है। जब मैं यहां पिछली बार जकार्ता में आया था इंडोनेशिया के लोगों ने जो स्नेह दिया, जो प्यार दिया मैंने उसे करीब़ से देखा था महसूस किया था, इतना मान, सम्मान, प्यार, स्नेह, अपनापन क्या कुछ नहीं था। और मुझे याद है राष्ट्रपति जोको विडोडो जी के साथ पतंग उड़ाने में मुझे जो मजा आया था, हम दोनों पतंग उड़ाने चले गये थे। वो अद्भुत था और मेरी तो गुजरात में संक्रांति पर पतंग उड़ाने की बड़ी ट्रेनिंग रही है और मुझे पता यहां इंडोनेशिया में भी संक्रांति पर खूब पतंग उड़ाई जाती हैं। और ऐसा नहीं है कि भारत और इंडोनेशिया का साथ सिर्फ सुख का है, आनंद का है, अच्छा है तब नाता है ऐसा नहीं है, हम सुख-दुख के साथी हैं अगर सुख में साथी तो हम दुख में भी उतने ही साथी हैं। हम सुख-दुख में एक-दूसरे के सुख-दुख को बाट़ने वाले लोग है। जब 2018 में इंडोनेशिया में इतना बड़ा भूकंप आया तो भारत ने तुरंत ऑपरेशन समुद्र मैत्री शुरू किया था। इसलिए ही उस साल मैं जकार्ता आया था और मैंने एक बात कही थी, मैंने कहा कि भारत और इंडोनेशिया में 90 नॉटीकल मील का फासला भले हो लेकिन हकीकत तो ये हम 90 नॉटीकल मील दूर नहीं है, हम 90 नॉटीकल मील पास है।

साथियों,

जीवन के पग-पग पर, क्षण-क्षण में ऐसा कितना कुछ है जिसे भारत और इंडोनेशिया ने मिलकर के अबतक सहज कर रखा है। बाली की ये भूमि महर्षि मार्कण्डेय और महर्षि अगस्त के तब से पवित्र है। भारत में अगर हिमालय है तो बाली में अगुंग पर्वत है। भारत में अगर गंगा है तो बाली में तीर्थ गंगा है। हम भी भारत में हर शुभ कार्य का श्री गणेश करते हैं यहां भी श्री गणेश घर-घर विराजमान है, सार्वजिनक स्थानों पर शुभता फैला रहे हैं। पूर्णिमा का व्रत, एकाद़शी की महिमा, त्रिकाल संध्या के जरिए सूर्य उपासना का परम्परा, मां सरस्वती के रूप में ज्ञान की अराधना अनगिनत चीजें हम कह सकते हैं ऐसी बहुत सी बातें हैं जो हमें जोड़ रखती हैं, जोड़ती रहती हैं। बाली का जन-जन महाभारत की गाथाओं के साथ बड़ा होता हैं। और मैं तो द्वारकाधीश भगवान कृष्ण की धरती गुजरात से पला-बड़ा हूं, मेरा तो जीवन वहीं बीता हुआ है। बाली के लोगों की जैसी आस्था महाभारत के लिए है, भारत में लोगों की वैसी आत्मीयता बाली के लोगों के लिए भी है। आप यहां पर भगवान विष्णु और भगवान राम की अराधना करते हैं और हम जब भारत में भगवान राम की जन्मभूमि पर भव्य राममंदिर की नींव रखी जाती है तो इंडोनेशिया की रामायण परम्परा को भी गर्व से याद करते हैं। कुछ साल पहले जब भारत में रामायण festival का आयोजन हुआ था तो इंडोनेशिया के भी कई कलाकार, यहां से कई कलावृद्ध भारत आए थे और अहमदाबाद में, हैदराबाद में, लखनऊ में अनेक शहरों में वो अपना कार्यक्रम करते-करते वो अयोध्या आए थे उनका आखिरी समापन कार्यक्रम अयोध्या में हुआ था और बहुत वाहावाही हुई थी। हिन्दुस्तान में जहां गए अखबार भरे पड़े रहते थे।

भाइयों और बहनों,

बाली में ऐसा शायद ही कोई व्यक्ति होगा जिसकी अभीलाषा नहीं होगी कि अपने जीवन में एक बार अयोध्या या द्वारिका के दर्शन ने करे ऐसा शायद कोई भी इंसान नहीं होगा। भारत में भी लोग प्रमबनन मंदिर और गरूड़ विष्णु किनकाना की भव्य प्रतिमा के दर्शन करने के लिए बहुत ही उत्सुक रहते हैं। कोरोना काल से पहले एक साल में ही 5 लाख से ज्यादा भारतीयों का अकेले बाली आना ही इसकी गवाही देता है।

साथियों,

जब विरासत साझा होती है, जब मानवता के प्रति आस्था समान होती है तो प्रगति के लिए भी समान रास्ते बनते जाते हैं। कुछ महिनें पहले ही 15 अगस्त को भारत ने अपनी स्वतंत्रता के 75 साल पूरे किए हैं। इंडोनेशिया का Independence Day भारत के स्वतंत्रता दिवस के 2 दिन बाद 17 अगस्त को आता है लेकिन इंडोनेशिया को भारत से 2 साल पहले स्वतंत्र होने का सौभाग्य मिला हुआ था। इंडोनेशिया से सिखने के लिए भारत के पास बहुत कुछ है और अपनी 75 वर्षों की विकास यात्रा से भारत के पास भी इंडोनेशिया को देने के लिए बहुत कुछ है भारत का टेलेंट, भारत की टेक्नोनॉजी, भारत का इनोवेशन, भारत की इंडस्ट्री। आज इन सारी बातों ने दुनिया में अपनी एक पहचान बनाई है। आज विश्व की अगगिनत कंपनियां ऐसी हैं, कई बड़ी कंपनियां ऐसी हैं जिसके सीईओ भारतीय मूल के हैं। आज दुनिया में जितनी यूनिकॉर्न बनते है ना दस में से एक यूनिकॉर्न भारत का होता है। आज भारत दुनिया की fastest growing large economy है। आज भारत डिजिटल लेन-देन में दुनिया में नंबर वन है। आज भारत global fintech के मामले में दुनिया में नंबर वन है। आज भारत ITBPN के लिए outsourcing में दुनिया में नंबर वन है। आज भारत smart phone data consumption में दुनिया में नंबर वन है। आज भारत कितनी ही दवाइयों की सप्लाई में, अनेकों वैक्सीन की manufacturing में दुनिया में नंबर वन है।

साथियों,

2014 के पहले और 2014 के बाद के भारत में बहुत बड़ा फर्क जो है, वो जो बहुत बड़ा फर्क है वो मोदी नहीं है वो बहुत बड़ा फर्क है स्पीड और स्कील में। आज भारत अभूतपूर्व स्पीड पर काम कर रहा है। और अप्रत्याशी स्केल पर काम कर रहा है अब भारत छोटा सोचता ही नहीं है। स्टेचू बनाएगा तो दुनिया में सबसे बड़ा, स्टेडियम बनाएगा तो दुनिया में सबसे बड़ा। 2014 के बाद से भारत ने 320 मिलियन से अधिक बैंक अकाउंट खोले हैं, बैंक में खाते खोले हैं। इसका मतलब ये हुआ कि अमेरिका की कुल जनसंख्या जितनी है उतने हमने बैंक खाते खोले हैं। 2014 के बाद से भारत ने करीब़ 3 करोड़ गरीब नागरिकों के लिए मुफ्त घर बनाए हैं और घर ऐसे नहीं बनता है जब घर मिल जाता है ना तो इंसान रातों-रात लखपति बन जाता है। और जब मैं 3 करोड़ घर की बात करता हूं तो इसका मतलब क्या है, इसका मतलब ये है ऑस्ट्रेलिया के हर परिवार को नहीं, ऑस्ट्रेलिया के हर नागरिक को घर मिल जाए, इतने घर बनाए हैं। पिछलें 7-8 साल में भारत ने 55 हज़ार किलोमीटर नेशनल हाईवे बनाए है। यानि, स्केल बता रहा हूं मैं पूरी धरती के लगभग डेढ़ चक्कर लगाने के बराबर है। आज भारत आयुष्मान भारत योजना के तहत जितने लोगों को 5 लाख रूपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दे रहा है, 5 लाख रूपये तक अगर उसका मेडिकल बिल एक साल तक बनता है तो जिम्मा सरकार उठाती है, इसका बेनिफिट कितने लोगों को मिलता है, 5 लाख रूपये तक कि मेडिकल सुविधा जो मिलती है वो पूरे यूरोपियन यूनियन की कुल आब़ादी से ज्यादा लेागों को मिलती हैं। कोरोना काल में भारत ने जितनी वैक्सीन डोज अपने नागरिकों को लगाई और मुफ्त में लगाई, वो जो वैक्सीन डोज है ना उसकी अगर में संख्या का हिसाब लगाऊ तो अमेरिका और यूरोपियन यूनियन उन दोनों की कुल आब़ादी जो है उससे ढ़ाई गुना ज्यादा डोज हमने हिन्दुस्तान में लगाए। ये जब सुनते है तो आपका सीना चौड़ा होता है कि नहीं होता है, आपको गर्व होता है कि नहीं होता है, आपका माथा उंचा होता है कि नहीं होता है। और इसलिए मैं कहता हूं कि भारत बदला है।

साथियों,

आज का भारत अपनी विरासत पर गर्व करते हुए, अपनी विरासत को समृद्ध करते हुए जड़ो से जुड़े रहकर के आसमान छूने के लक्ष्य के साथ विकसित भारत बनाने के लक्ष्य के लेकर के अब निकल पड़ा है। लेकिन भारत का ये लक्ष्य सिर्फ अपने लिए नहीं है, हम स्वार्थी लोग नहीं है, हमारे संस्कार नहीं है। 21वीं सदी में आज विश्व की भारत से अपेक्षाएं है, जो आशाएं है भारत उसे अपनी एक जिम्मेदारी समझता है, एक दायित्व के रूप में देखता है और हम दुनिया की भलाई के लिए, अपने आप को आगे बढ़ाने के लिए मक्कम है, संकल्पबद्ध है। आज अपने विकास के लिए भारत जब अमृतकाल का रोड़मेप तैयार करता है तो उसमें दुनिया की आर्थिक, राजनीतिक आकाक्षाओं का भी समावेश है। आज जब भारत आत्मनिर्भर भारत का vision सामने रखता है तो उसमें ग्लोबल गुड़ की भावना भी समाहित है। renewable energy के क्षेत्र में भारत ने one sun, one world, one grid का मंत्र दिया है। वैश्विक स्वास्थ्य को मज़बूत करने के लिए भारत ने one earth, one health इसका अभियान चलाया है। climate change जैसी चुनौती से निपटनें के लिए और जो island countries होती है उनके लिए तो भारत एक वरदान के रूप में काम कर रहा है। climate change की जो मुसीबतें है उससे निपटनें के लिए भारत ने विश्व को mission life का समाधान दिया है, mission life याने life style for environment, mission life यानि पृथ्वी के प्रत्येक नागरिक द्वारा ऐसी life style को आत्मसाथ करना जो पर्यावरण के अनुकूल हो, जो climate change की चुनौती हर हर पल निपटती हो। आज जब पूरा विश्व environment friendly और holistic healthcare की तरफ आकर्षित हो रहा है तो भारत का योग, हमारा आयुर्वेद ये पूरी मानवता के लिए तोफा है। और साथियों जब आयुर्वेद की बात आई है तो मुझे भारत इंडोनेशिया के एक और जुड़ाव का ध्यान आ रहा है। मुझे याद है जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तो गुजरात आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी और यहां की यूनिवर्सिटीस हिंदू इंडोनेशिया इसके बीच समझौता हुआ था। मुझे खुशी है इसके कुछ ही वर्ष बाद यहां की इस यूनिवर्सिटी में आयुर्वेद हॉस्पिटल की भी स्थापना हुई।

साथियों,

वसुधैव कुटुम्बकम, यानि पूरे विश्व को एक परिवार मानने की भारत की यही भावना, यही संस्कार विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। कोरोना काल में हमने देखा है भारत ने दवाइयों से लेकर वैक्सीन तक जरूरी संसाधनों के लिए आत्मनिर्भरता हासिल की और उसका लाभ पूरी दुनिया को मिला। भारत के सामर्थ्य ने कितने ही देशों के लिए एक सुरक्षा कवच का काम किया। इंडोनेशिया जैसे हमारे पड़ोसी और मित्र देशों के लिए हम विशेष रूप से कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए हैं। इसी तरह आज भारत अंतरिक्ष में स्पेस के क्षेत्र में प्रमुख वैश्विक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है तो उसका लाभ south asian देशों को विशेष रूप से मिल रहा हैं। रक्षा के क्षेत्र में भी जो भारत दशकों तक केवल विदेशी आयात पर निर्भर था वो आज अपनी क्षमताएं बढ़ा रहा है। ब्रह्मोस मिसाइल हो या तेजस फाइटर प्लेन इनका आकर्षण विश्व में लगातार बढ़ रहा है। आज भारत बड़े लक्ष्य तय कर रहा है और उन्हें प्राप्त करने के लिए भी पूरी मेहनत कर रहा है। संकल्प से सिद्धि का ये ही मंत्र आज 21वीं सदी के नए भारत की प्रेरणा बना हुआ है। आज इस अवसर पर मैं आप सबको अगले प्रवासी भारतीय सम्मेलन के लिए भी निमंत्रण देता हूं। जनवरी महीने में 9 जनवरी को ये कार्यक्रम होता है। इस बार ये आयोजन मध्य प्रदेश के इंदौर में होगा और इंदौर वो नगर है जो पिछले 5-6 बार से देश में स्वच्छ शहर के नाम पर हिन्दुस्तान में नंबर एक रहता है। और इसलिए आप इंदौर के प्रवासी भारतीय कार्यक्रम में जरूर जुड़िए, अपने निजी काम के लिए आज रहे तो भी तारीख उसके साथ एडजस्ट कीजिए। और जब आप इंदौर आएंगे उसके 1-2 दिन के बाद ही अहमदाबाद में kite festival होता है, इंडोनेशिया वाले kite festival में न जाए ऐसा हो सकता है क्या। और जब आप आए अकेले मत आना, सिर्फ अपने ही परिवार को लेकर के आकर रूक मत जाना। कुछ इंडोनेशियन परिवारों को भी साथ ले आइए। मुझे विश्वास है भारत और इंडोनेशिया के संबंधों को मजबूत करने में आपका सहयोग और सक्रिय योगदान निरंतर बना रहेगा। आप सब पूरी मेहनत से, आपकी इस कर्मभूमि के कल्याण के लिए, आप इस कर्मभूमि में जितना ज्यादा योगदान दे सके, देते ही रहेंगे ये भारत के संस्कार है और देने भी चाहिए ये हमारा दायित्व बनता है और मैं देख रहा हूं हमारे बोहरा समाज के बहुत साथी यहां आए है। और ये मेरा सौभाग्य रहा है कि सैय्यदना साहब के साथ मेरा बड़ा निकट संबंध रहा है। मुझे बहुत प्रसन्नता होती है दुनिया में कही पर भी जाओ, कोई मिले या न मिले मेरे बोहरा परिवार के लोग तो आएंगे ही।

साथियों,

आप इतनी बड़ी तादाद में यहां आए, समय निकाल कर के आए और उमंग और उत्साह से भरे हुए हैं और मैं देख रहा हूं कि ओडिशा में बाली यात्रा में जितना उमंग है, उतना ही उमंग यहां नज़र आ रहा है मुझे। आपके इस प्यार के लिए, आपके स्नेह के लिए भारत के प्रति आपकी ये श्रद्धा के लिए ह्दय से आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद साथियों।

Explore More
ہر ہندوستانی کا خون ابل رہا ہے: من کی بات میں پی ایم مودی

Popular Speeches

ہر ہندوستانی کا خون ابل رہا ہے: من کی بات میں پی ایم مودی
Lessons from Operation Sindoor’s global outreach

Media Coverage

Lessons from Operation Sindoor’s global outreach
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
PM chairs 47th Annual General Meeting of Prime Ministers Museum and Library (PMML) Society in New Delhi
June 23, 2025
PM puts forward a visionary concept of a “Museum Map of India”
PM suggests development of a comprehensive national database of all museums in the country
A compilation of all legal battles relating to the Emergency period may be prepared and preserved in light of the completion of 50 years after the Emergency: PM
PM plants a Kapur (Cinnamomum camphora) tree at Teen Murti House symbolizing growth, heritage, and sustainability

Prime Minister Shri Narendra Modi chaired the 47th Annual General Meeting of the Prime Ministers Museum and Library (PMML) Society at Teen Murti Bhawan in New Delhi, earlier today.

During the meeting, Prime Minister emphasised that museums hold immense significance across the world and have the power to make us experience history. He underlined the need to make continuous efforts to generate public interest in museums and to enhance their prestige in society.

Prime Minister put forward a visionary concept of a “Museum Map of India”, aimed at providing a unified cultural and informational landscape of museums across the country.

Underlining the importance of increased use of technology, Prime Minister suggested development of a comprehensive national database of all museums in the country, incorporating key metrics such as footfall and quality standards. He also suggested organising regular workshops for those managing and operating museums, with a focus on capacity building and knowledge sharing.

Prime Minister highlighted the need for fresh initiatives, such as creation of a committee consisting of five persons from each State below the age of 35 years in order to bring out fresh ideas and perspectives on museums in the country.

Prime Minister also highlighted that with the creation of museum on all Prime Ministers, justice has been done to their legacy, including that of the first Prime Minister of India Shri Jawaharlal Nehru. This was not the case before 2014.

Prime Minister also asked for engaging top influencers to visit the museums and also invite the officials of various embassies to Indian museums to increase the awareness about the rich heritage preserved in Indian Museums.

Prime Minister advised that a compilation of all the legal battles and documents relating to the Emergency period may be prepared and preserved in light of the completion of 50 years after the Emergency.

Prime Minister highlighted the importance of preserving and documenting the present in a systematic manner. He noted that by strengthening our current systems and records, we can ensure that future generations and researchers in particular will be able to study and understand this period without difficulty.

Other Members of the PMML Society also shared their suggestions and insights for further enhancement of the Museum and Library.

Prime Minister also planted a Kapur (Cinnamomum camphora) tree in the lawns of Teen Murti House, symbolizing growth, heritage, and sustainability.