بھارت اور یوگانڈا کے مابین تعلقات خصوصی نوعیت کے حامل ہیں اور ہزاروں برس قدیم ہیں : وزیر اعظم مودی
وزیر اعظم مودی کا کہنا ہے کہ یوگانڈا سمیت افریقی ممالک بھارت کے لئے خصوصی اہمیت کے حامل ہیں
میک ان انڈیا کی وجہ سے دنیا میں مینوفیکچرنگ مرکز کے طور پر ملک کو نئی شناخت حاصل ہو رہی ہے : وزیر اعظم مودی
بھارت ہمیشہ سے افریقہ کے ترقیاتی سفر میں شراکت دار رہا ہے اور آئندہ بھی رہے گا : وزیر اعظم مودی
وزیر اعظم مودی نے بھارتی برادری سے یوگانڈا میں کہا ہے کہ آپ صحیح معنوں میں ملک کے ’راشٹردوت‘ یا سفیر ہیں۔
باعث مسرت ہے کہ متعدد افریقی ممالک بین الاقوامی شمسی اتحاد کا ایک حصہ ہیں : وزیر اعظم مودی

 

His Excellency President Museveni, उनकी धर्म पत्‍नी Janet Museveni जी और भारी संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाईयों और बहनों।

मेरा आप सबसे आत्‍मीयता का रिश्‍ता है, अपनेपन का रिश्‍ता है। मैं आप ही के परिवार का एक हिस्‍सा हूं। इस विशाल परिवार का एक सदस्‍य हूं और इस नाते मेरा आपसे मिल करके मेरी खुशी कई गुनाह बढ़ जाती है। हमारे इस मेल-मिलाप को और गरिमा देने के लिए आज स्‍वयं माननीय राष्‍ट्रपति जी यहाँ उपस्थित हैं। उनकी यहां उपस्थिति सवा सौ करोड़ हिन्‍दुस्‍तानियों और युगांडा में रहने वाले हजारों भारतीयों के प्रति उनके आपार स्‍नेह का प्रतीक है। और इसलिए मैं राष्‍ट्रपति जी का हृदय से अभिनंदन करता हूं, आज यहां मैं आप सभी के बीच आया हूं तो कल युगांडा की पार्लियामेंट को सम्‍बोधित करने का अवसर मुझे मिलने वाला है। और दो दिन पहले दिल्‍ली के पार्लियामेंट में विस्‍तार से आपने भाषण सुना था, आप लोगों ने भी सुना था, पूरा युगांडा सुन रहा था। मैं आपका बहुत आभारी हूं।

मेरे प्‍यारे भाईयों-बहनों पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री को युगांडा की पार्लियामेंट को सम्‍बोधित करने का अवसर मिलेगागा। इस सम्‍मान के लिए मैं राष्‍ट्रपति जी का और युगांडा की जनता का सवा सौ करोड़ हिन्‍दुस्‍तानियों की तरफ से आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं। साथियों युगांडा में आना और आप सभी सज्‍जनों से मिलना और बातचीत करना किसी भी हिन्‍दुस्‍तानी के लिए यह आनंद का विषय रहा है, खुशी का विषय रहा है। आपका उत्‍साह, आपका स्‍नेह, आपका प्रेम, आपका भाव मुझे भी निरंतर इसी प्रकार से मिलता रहे, यही मैं आपसे कामना करता हूं। यहां युगांडा में आप सभी के बीच आने का मेरा यह दूसरा अवसर है। इससे पहले 11 वर्ष पहले गुजरात के मुख्‍यमंत्री के तौर पर यहां आया था और आज देश के प्रधानमंत्री के रूप में आया हूं। जब मैं गुजरात का मुख्‍यमंत्री था, तब भी आप में से अनेक लोग जिनसे मुझे रू-ब-रू होने का अवसर मिला, जी-भरकर बातें करने का अवसर मिला था। यहां भी कई ऐसे परिचित चेहरे, मैं सामने देख रहा हूं और मुझे खुशी हुई राष्‍ट्रपति जी एक-एक की पहचान कर रहे थे। आप लोगों से इनका कितना निकट रिश्‍ता है और आज दिनभर हम साथ में थे कई परिवारों का वो नाम से जिक्र करते थे, बताते थे कितने सालों से जानते हैं, कैसे जानते हैं, सारी बातें बता रहे थे। यह इज्‍जत आप लोगों ने अपनी मेहनत से, अपने आचरण से, अपने चरित्र से कमाई हुई मेहनत है। यह पूंजी छोटी नहीं है जो आपने पाई है और इसके लिए युगांडा की धरती पर हिन्‍दुस्‍तान से आई हुई तीन-तीन, चार-चार पीढि़यों ने इस मिट्टी के साथ अपना नाता जोड़ा है, उसे प्‍यार किया है।

साथियों युगांडा से भारत का रिश्‍ता आज का नहीं है। यह रिश्‍ता शताब्दियों का है। हमारे बीच श्रम का रिश्‍ता है, शोषण के खिलाफ संघर्ष का रिश्‍ता है। युगांडा विकास के जिस मुकाम पर आज खड़ा है उसकी बुनियादी मजबूत कर रहे है युगांडावासियों के खून-पसीने में भारतीयों के खून-पसीने की भी महक है। आप में से अनेक परिवार जहां तीन-तीन, चार-चार पीढि़यों से रह रहे हैं। मैं यहां मौजूद नौजवानों, युगांडा के नौजवानों को याद दिलाना चाहता हूं, आज जिस ट्रेन में आप सफर करते हैं, वो भारत और युगांडा के रिश्‍तों को भी गति दे रही है। वो कालखंड था, जब युगांडा और भारत दोनों को एक ही ताकत ने गुलामी की जंजीरों से जकड़ा था, तब हमारे पूर्वजों को भारत से यहां लाया गया था। बंदूक और कोड़े के दम पर उन्‍हें रेलवे लाइन बिछाने के लिए मजबूर किया गया। उन मुश्किल परिस्थितियों में, उन महान आत्‍माओं ने युगांडा के भाइयों-बहनों के साथ मिल कर संघर्ष किया था । युगांडा आजाद हुआ, लेकिन हमारे बहुत से पूर्वजों ने यही पर बसने का फैसला कर लिया। जैसे दूध में चीनी घुल जाती है, वैसे ही यही हमारे लोग एक हो गए, एकरस हो गए।

आज आप सभी युगांडा के विकास, यहां के बिजनेस, कला, खेल, समाज के सभी क्षेत्रों में अपनी ऊर्जा दे रहे हैं, अपना जीवन खपा रहे हैं। यहां के Jinja में महात्‍मा गांधी की अस्थियों का विसर्जन हुआ था। यहां की राजनीति में भी अनेक भारतीयों ने अपना सक्रिय योगदान दिया है और आज भी दे रहे हैं। स्‍वर्गीय नरेंद्र भाई पटेल स्‍वतंत्र युगांडा की संसद में पहले non european speaker थे और उनका चुनाव सर्वसम्‍मति से हुआ था। हालांकि फिर एक समय ऐसा भी आया कि जब सबको परेशानियां भी झेलनी पड़ी, कई लोगों को देश छोड़कर भी जाना पड़ा, लेकिन युगांडा की सरकार और युगांडा के लोगों उन्‍हें अपने दिलों से नहीं जाने दिया। मैं विशेष रूप से राष्‍ट्रपति जी का और युगांडा के जन-जन का आज उनके इस साथ के लिए भारतीय समुदाय को जिस प्रकार से फिर से गले लगाया है। मैं हृदय से उनका आभार व्‍यक्‍त करता हूं। आप में से अनेक लोग ऐसे भी हैं जिनका जन्‍म यही पर हुआ है, शायद कुछ लोगों को तो कभी भारत देखने का मौका भी मिला नहीं होगा। कुछ तो ऐसे भी होंगे जिनको वहां अपनी जड़ों के बारे में कहां, किस राज्‍य से आए थे, किस गांव या शहर से आए थे इसकी भी शायद जानकारी नहीं होगी। लेकिन फिर भी आपने भारत को अपने दिलों में जिंदा रखा है। दिल की एक धड़कन युगांडा के लिए है तो एक भारत के लिए भी है। विश्‍व के सामने आप लोग ही सही मायने में भारत के राजदूत हैं, भारत के राष्‍ट्रदूत हैं। थोड़ी देर पहले जब राष्‍ट्रपति जी के साथ मैं स्‍टेज पर आ रहा था, तो मैं देख रहा था कि मेरे आने से पहले यहां किस प्रकार से सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। यह सच में मंत्रमुग्‍ध करने वाली भारतीयता को आपने जिस प्रकार बनाए रखा है, वो अपने आप में प्रशंसनीय है। अपने पहले के अनुभव और आज जब यहां आया हूँ तब इसके आधार पर मैं कह सकता हूं कि भारतीय भाषाओं को, खान-पान को, कला और संस्‍कृति को, अनेकता में एकता पारिवारिक मूल्‍यों और वसुदेव कुटम्‍भ की भावनाओं को जिस प्रकार से आप जी रहे हैं, वैसे उदाहरण बहुत कम मिलते हैं और इसलिए हर हिन्‍दुस्‍तानी को आप पर गर्व है, सवा सौ करोड़ देशवासियों को आप पर गर्व हूं। मैं भी आपका अभिनंदन करता हूं। मैं आपको नमन करता हूं।

साथियों युगांडा समेत अफ्रीका के तमाम देश भारत के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण है। एक कारण तो आप जैसे भारतीयों की यहां बहुत बड़ी संख्‍या में मौजूदगी है और दूसरा हम सभी ने गुलामी के खिलाफ साझी लड़ाई लड़ी है, तीसरा हम सभी के सामने विकास की एकसमान चुनौतियां हैं। एक-दूसरे से सुख-दुख को बांटने का हमारा बहुत लम्‍बा इतिहास रहा है। हम सभी ने एक-दूसरे से कुछ न कुछ सीखा है। यथाशक्ति एक-दूसरे को सहारा भी दिया है, सहायता भी दी है। आज भी हम उसी भावना से मिल करके आगे बढ़ रहे हैं। हम युगांडा के साथ मजबूत रक्षा संबंध चाहते हैं। युगांडा की सेनाओं की आवश्‍यकता के अनुसार भारत में उनकी ट्रेनिंग के लिए हम व्‍यवस्‍था कर रहे हैं। युगांडा से हजार से अधिक छात्र इन दिनों भारत में अध्‍ययन कर रहे हैं। साथियों आप में से अधिकतर जब भारत से युगांडा आए थे, तब के भारत और आज के भारत में बहुत बदलाव आ चुका है। आज जिस प्रकार युगांडा अफ्रीका की तेज गति से बढ़ती हुई अर्थव्‍यवस्‍था है, उसी प्रकार भारत दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था में से एक है। भारत की अर्थव्‍यवस्‍था पूरी दुनिया के विकास को गति दे रही है। 'मेक इन इंडिया' आज भारत की पहचान बन गया है। भारत में बनी कार और स्‍मार्ट फोन ऐसी अनेक चीजें आज उन देशों को बेच रहे हैं जहां से कभी हम यह सामान भारत में आयात करते थे। संभव है कि बहुत जल्‍द यहां युगांडा में जब आप स्‍मार्ट फोन खरीदने के लिए जाएंगे तो आपको 'मेड इन इंडिया' का लेबल नजर आएगा। अभी हाल ही में दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल मैन्‍यूफैक्‍चरिंग कंपनी की नींव भारत में रखी गई है। भारत तेजी के साथ दुनिया के लिए मैन्‍युफैक्‍चंरिग का हब बनता जा रहा है। साथ ही डिजिटल टेक्‍नोलॉजी को भारत ने लोगों के सशक्तिकरण का, empowerment का एक माध्‍यम बनाया है। सरकार से जुड़े तमाम कार्य एक मोबाइल फोन पर उपलब्‍ध है। बच्‍चे के जन्‍म से ले करके मृत्‍यु के पंजीकरण तक की अधिकतम व्‍यवस्‍थाएं डिजिटल हो चुकी है, ऑनलाइन हो चुकी है। देश की हर बड़ी पंचायत को broadband internet से connect करने पर आज तेजी से काम चल रहा है। आज सूई से ले करके रेल की पटरियां, मेट्रो ट्रेन के कोच और उपग्रह तक भारत में ही बने स्‍टील से भारत में ही बन रहे हैं। Manufacturing ही नहीं, बल्कि start-up का hub बनने की तरफ भी भारत तेज गति से आगे बढ़ रहा है।

दुनिया में, मैं जहां भी जाता हूं आप जैसे सज्‍जनों को जरूर याद दिलाता हूं कि पहले दुनिया में देश की किस तरह की छवि बना दी गई थी। हजारों वर्ष का गौरवमय इतिहास समेटे हुए देश को सांप-सपेरों का देश ऐसे ही हिन्‍दुस्‍तान को दुनिया के सामने प्रस्‍तुत किया जाता था। भारत यानी सांप-सपेरे, जादू-टोना.. यही थी न पहचान? हमारे युवाओं ने इस छवि, इस धारणा को बदला और भारत को mouse यानी IT software की धरती बना दिया है। आज यही हुआ भारत देश और दुनिया के लिए हजारों start-up की शुरूआत कर रहे हैं। आपको यह जान करके गर्व होगा कि सिर्फ दो वर्षों के भीतर ही देश में लगभग 11 हजार start-up रजिस्‍ट्रर हुए हैं। देश और दुनिया की आवश्‍यकताओं के हिसाब से हमारा नौजवान innovation कर रहा है। मुश्किलों का समाधान ढूंढ रहा है, साथियों आज भारत के छह लाख से अधिक गांवों में बिजली पहुंच चुकी है। आज भारत में ऐसा कोई गांव नहीं है, जहां बिजली न पहुंची हो। भारत में बिजली मिलना कितना आसान हो गया है इसका अंदाजा आप world bank की ranking से लगा सकते हैं। ease of getting electricity की ranking में भारत ने बीते चार वर्ष में 82 पायदान पर छलांग लगाई है। आज हम विश्‍व में 29वें नंबर पर पहुंचे हैं। सिर्फ बिजली उपलब्‍ध नहीं हुई है। लेकिन एक अभियान चलाकर लोगों के बिजली बिल का खर्च काम करने का भी प्रयास किया जा रहा है। पिछले चार वर्ष में देश में सौ करोड़ LED बल्‍ब की बिक्री हुई है। सौ करोड़ से अधिक। साथियों इस प्रकार के अनेक परिवर्तन भारत में हो रहे है, क्‍योंकि वहां व्‍यवस्‍था और समाज में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। भारत आज New India के संकल्‍प के साथ आगे बढ़ रहा है।

साथियों, प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही मैं यहां आने के लिए बड़ा उत्‍सुक था। तीन वर्ष पहले राष्‍ट्रपति जी जब इंडिया-अफ्रीका समिट के लिए भारत आए थे, तब उन्‍होंने बड़ा आग्रहपूर्वक न्‍यौता भी दिया था, लेकिन किसी न किसी कारणवश कार्यक्रम नहीं बन पाया। मुझे प्रशंसा है कि आज आप सबके दर्शन करने का मुझे मौका मिल गया। बीते चार वर्षों में अफ्रीका के साथ हमारे ऐतिहासिक रिश्‍तों को हमने विशेष महत्‍व दिया है। भारत की विदेश नीति में आज अफ्रीका की अहम भूमिका है। 2015 में जब हमने इंडिया-अफ्रीका फर्म समिट का आयोजन किया तो पहली बार अफ्रीका के सभी देशों को निमंत्रण दिया। इसके पूर्व कुछ चुनिंदा देशों के साथ ही मुलाकात होती थी, खुशी की बात यही थी कि न सिर्फ सभी देशों ने हमारा निमंत्रण स्‍वीकार किया, लेकिन 41 देशों के शीर्ष नेतृत्‍व ने सम्‍मेलन में हिस्‍सा लिया वो सब दिल्‍ली आए। हमने हाथ आगे बढ़ाया तो अफ्रीका ने भी आगे बढ़ करके हिन्‍दुस्‍तान को गले लगाया। हमारा हाथ थाम लिया। पिछले चार वर्षों में अफ्रीका का एक भी देश ऐसा नहीं है जहां भारत से कम से कम मंत्री स्‍तर की यात्रा न हुई हो। राष्‍ट्रपति, उपराष्‍ट्रपति और प्रधानमंत्री स्‍तर की 20 से अधिक यात्राएं हुई हैं। इंडिया-अफ्रीका फर्म समिट के अतिरिक्‍त अफ्रीका से 32 राष्‍ट्र प्रमुखों ने भारत में आ करके भारत के नेताओं से मुलाकात की है। हमने 18 देशों में अपने दूतावास खोलने का निर्णय किया है। इससे अफ्रीका में हमारे दूतावासों की संख्‍या बढ़कर 47 हो जाएगी । अफ्रीका के सामाजिक विकास और संघर्ष में हमारा सहयोग रहा ही है। यहां के अर्थव्‍यवस्‍था के विकास में भी हम सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं। यही कारण है कि पिछले वर्ष African development bank की वार्षिक बैठक भी भारत में आयोजित की गई। अफ्रीका के लिए three billion dollar से अधिक के line of credit के प्रोजेक्‍ट को मंजूरी दी गई है। इंडिया-अफ्रीका फर्म समिट के अंतर्गत हमारा ten billion dollar का commitment भी है। इसके अतिरिक्‍त six hundred million dollar की अनुदान सहायता और fifty thousand छात्राओं के लिए भारत में अध्‍ययन इसके लिए Scholarship के लिए भी हम प्रतिबद्ध है। अफ्रीका के 33 देशों के लिए भारत में ई-वीजा का प्रावधान किया गय है और अफ्रीका के प्रति हमारे मजबूत commitment के परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं।

पिछले वर्ष अफ्रीका के देशों के साथ भारत के trade में 32 percent वृद्धि हुई है। international solar alliance का सदस्‍य बनने के लिए मैंने अफ्रीका के सभी देशों को आग्रह किया था और मेरे आह्वान के बाद आज सदस्‍य देशों में लगभग आधे देश अफ्रीका के हैं। अंतर्राष्‍ट्रीय मंच पर भी अफ्रीका के देशों से एक स्‍वर में भारत का समर्थन किया है। मैं समझता हूं कि नये world order में एशिया और अफ्रीका के देशों की उपस्थिति दिनों-दिन और मजबूत होती जा रही है। इस दिशा में हम जैसे देशों का पारस्‍परिक सहयोग करोड़ों लोगों के जीवन में सकारात्‍मकता, सकारात्‍मक बदलाव लाकर रहेगी। जिस उत्‍साह और उमंग के साथ आप सब समय निकाल करके आज यहां आए हैं। मुझे आपने स्‍नेह दिया है, आशीर्वाद दिया है, सम्‍मान दिया है, इसके लिए मैं आप सभी का बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं। राष्‍ट्रपति जी का और युगांडा की सरकार और जन मानस का भी मैं हृदय से अभिनंदन करता हूं। और आपको मालूम है 2019 जो आपके दिमाग है वो मेरे दिमाग में नहीं है। आप क्‍या सोच रहे हैं 2019 का? क्‍या सोच रहे हैं। अरे 2019 में जनवरी महीने में प्रवासी भारतीय दिवस 22-23 जनवरी को होने वाला है और इस बार प्रवासी भारतीय दिवस का स्‍थान है काशी, बनारस। और जहां की जनता ने मुझे प्रधानमंत्री बनाया है, एमपी बनाया और देश ने मुझे प्रधानमंत्री बनाया, उस काशी के लिए मैं आपको निमंत्रण देने आया हूं। और यह भी खुशी की बात है कि प्रवासी भारतीय दिवस के पहले गुजरात में Vibrant Gujarat Global Investors Summit होता है, वो भी है 18,19,20 आसपास, 22, 23 काशी में और उसके बाद 14 जनवरी से कुंभ का मेला शुरू हो रहा है तो 22, 23 प्रवासी भारतीय दिवस कह कर बनारस से कुम्भ मेले में हो आइये। प्रयाग राज में डुबकी लगाईये और फिर 26 जनवरी आप दिल्‍ली आइये, एक हफ्ते का पूरा पैकेज आपके लिए हिन्‍दुस्‍तान में एक के बाद एक इतने अवसर हैं। मैं आज रू-ब-रू मेरे युगांडा के भाईयों-बहनों को निमंत्रण देने आया हूं और आप भी आइये। आपने जो प्‍यार दिया, स्‍नेह दिया आपकी प्रगति के लिए भारत की शुभकामनाएं आपके साथ है। और आपका यहां का जीवन भारत के गोरवमय बढ़ाने में योगदान कर रहा है, इसके लिए भी हम गौरव अनुभव करते हैं। मैं फिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Prime Minister lauds Suprabhatam programme on Doordarshan for promoting Indian traditions and values
December 08, 2025

The Prime Minister has appreciated the Suprabhatam programme broadcast on Doordarshan, noting that it brings a refreshing start to the morning. He said the programme covers diverse themes ranging from yoga to various facets of the Indian way of life.

The Prime Minister highlighted that the show, rooted in Indian traditions and values, presents a unique blend of knowledge, inspiration and positivity.

The Prime Minister also drew attention to a special segment in the Suprabhatam programme- the Sanskrit Subhashitam. He said this segment helps spread a renewed awareness about India’s culture and heritage.

The Prime Minister shared today’s Subhashitam with viewers.

In a separate posts on X, the Prime Minister said;

“दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाला सुप्रभातम् कार्यक्रम सुबह-सुबह ताजगी भरा एहसास देता है। इसमें योग से लेकर भारतीय जीवन शैली तक अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा होती है। भारतीय परंपराओं और मूल्यों पर आधारित यह कार्यक्रम ज्ञान, प्रेरणा और सकारात्मकता का अद्भुत संगम है।

https://www.youtube.com/watch?v=vNPCnjgSBqU”

“सुप्रभातम् कार्यक्रम में एक विशेष हिस्से की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। यह है संस्कृत सुभाषित। इसके माध्यम से भारतीय संस्कृति और विरासत को लेकर एक नई चेतना का संचार होता है। यह है आज का सुभाषित…”