Bapu knew the value of salt. He opposed the British to make salt costly: PM Modi
Gandhi Ji chose cleanliness over freedom. We are marching ahead on the path shown by Bapu: PM Modi
Swadeshi was a weapon in the freedom movement, today handloom is also a huge weapon to fight poverty: PM Modi

मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों,

सबसे पहले तो आजादी के आंदोलन के अहमपड़ाव का गवाह रही और सत्‍याग्रह की संस्‍कार भूमि दांडी, इस पवित्र धरती से पूज्‍य बापू को मैं अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं। मैं सरदार पटेल को भी अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं, जिन्‍होंने इस दांडी मार्च को organize किया, पूज्‍य बापू का कदम-कदम पर साथ दिया। आज बापू के निर्वाण दिवस पर हम सभी एक महत्‍वपूर्ण अवसर के साक्षी बनेंगे। आज हम सभी का सौभाग्‍य है कि राष्‍ट्रीय नमक सत्‍याग्रह स्‍मारक, उसका कार्य पूरा हो गया है। जिस वर्ष हम पूज्‍य बापू की 150वीं जन्‍म जयंती मना रहे हैं, उस वर्ष ये स्‍मारक देश को समर्पित किया जा रहा है।

साथियो, बापू ने जो विरासत देश और दुनिया को दी है, उससे हमारी भावी पीढ़ी समृद्ध होती रहे, इस कड़ी में आज दांडी का राष्‍ट्रीय नमक सत्‍याग्रह स्‍मारक भी जुड़ गया है। आज इस स्‍मारक के लोकार्पण पर मैं देशवासियों के साथ-साथ इसके निर्माण से जुडे सभी कलाकारों, सभी श्रमिकों, उन सबको भी बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियो, थोड़ी देर पहले इस स्‍मारक को विस्‍तार से देखने का मुझे अवसर मिला। 40 फीट की ऊंचाई पर दो हथेलियों और उस पर ढाई टन का सफ़ेद चमकता हुआ स्‍फटिक नमक का प्रतीक; दो हाथों के नीचे गांधी जी की 15 फीट ऊंची प्रतिमा, गांधी जी की आत्मिक शक्ति को दर्शाती है। साथ में 80 से अधिक सत्‍याग्रहियों की प्रतिमाएं ये स्‍मरण दिलाने के लिए हैं कि देश की आजादी में, देश के कोने-कोने में करोड़ों लोगों ने तप और तपस्‍या की है।

साथियो, दांडी मार्च को लेकर बहुत सारी बातें कही, पढ़ी और लिखी जा चुकी हैं। यहां म्‍यूजियम में भी उनको विस्‍तार से शब्‍दों और तस्‍वीरों के माध्‍यम से दर्शाया गया है। स्‍वदेशी के प्रति बापू का आग्रह हो, स्‍वच्‍छाग्रह हो या फिर सत्‍याग्रह; दांडी का ये स्‍मारक आने वाले समय में देश और दुनिया का महत्‍वपूर्ण तीर्थ क्षेत्र बन जाएगा, ये मेरा विश्‍वास है। इतना ही नहीं, पर्यटन की दृष्टि से भी दांडी और गुजरात को इस स्‍मारक से और ताकत मिलने वाली है। यहां जो झील बनाई गई है, वो बहुत ही आकर्षक है। और इसके अलावा यहां आकर पर्यटक उस ऐतिहासिक पल को खुद भी जी पाएं, उसे दोहरा पाएं, इसके लिए नमक बनाने की भी सुविधा यहां तैयार की गई है। करीब 80 करोड़ रुपये की लागत से यहां दांडी हेरीटेज पथ बनाया गया है, जिसमें नई सड़कें और ठहरने की व्‍यवस्‍थाएं शामिल हैं।

भाइयो और बहनों, दांडी मार्च से भारत की आजादी के आंदोलन पर क्‍या असर पड़ा और दुनिया की सोच में कैसे इस मार्च से परिवर्तन आया, इसको याद रखना जरूरी है। ये नमक सत्‍याग्रह ही था जिसने आजादी की लड़ाई को नई दिशा दी।

दांडी मार्च में पश्चिमी मीडिया में भारत के प्रति सोच, हमारे आजादी के आंदोलन के प्रति समझ को बदलने में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। इस ऐतिहासिक घटना से पहले ज्‍यादातर दुनिया हमें ब्रिटेन के चश्‍मे से देखती थी। लेकिन जब अमेरिका की मशहूर Time magazine ने बापू को साल 1930का Person of the year चुना, तो दुनिया में अत्‍याचार के विरुद्ध आवाज को नई बुलंदी मिलने लगी।

साथियो, सबसे बड़ा संदेश जो गांधीजी ने इस दांडी मार्च से देने का प्रयास किया, वो है रचनात्‍मकता। गांधीजी बखूबी जानते थे कि सिर्फ विरोध, उससे आजादी का आंदोलन सफल नहीं होगा और इसलिए उन्‍होंने तब अपने सहयोगियों से कहा था कि रचनात्‍मक विजन के बगैर भारत का पुनर्निर्माण संभव नहीं है। गांधीजी ने Civil disobedience सविनय, सविनय अवज्ञा के साथ-साथखादी और ऊंच-नीच के खिलाफ सामान्‍य मानवी को एकजुट करने का रास्‍ता भी दिखाया।

साथियो, जब गांधीजी ने सत्‍याग्रह के लिए नमक को चुना था, उस समय, उस समय केकुछ नेताओं को उनके उस तरीके पर संदेह था। कुछ लोगों ने खुल करके इसका विरोध भी किया था। लेकिन, गांधी, गांधी थे। उन्‍होंने अपना अभियान जारी रखा, क्‍योंकि वो नमक की कीमत जानते थे और समाज के हर वर्ग से नमक के संबंध को पहचानते थे। नमक महंगा करना, गरीब से निवाला छीनने जितने बड़ा मामला था, लेकिन नमक की ताकत समझने में तब की अंग्रेज सरकार ने भी भूल कर दी। तब के जनगणना जनरल ने भी इस नमक सतयाग्रह को चुटकी भर नमक से सरकार को परेशान करने वाला पागलपन करार दिया था।

साथियो, नमक सत्‍याग्रह से किस प्रकार का माहौल बना, इसकी चर्चा करते हुए Time magazineने एक ब्रिटिश पत्रकार के हवाले से लिखा था कि बॉम्‍बे में दो सरकारें चल रही हैं- एक तरफ ब्रिटिश सरकार, जिसके पास पूरा प्रशासन है, तो दूसरी तरफ बॉम्‍बे का जन-सामान्‍य है, जो असंख्‍य कैदियों में से एक महात्‍मा गांधी के पीछे खड़ा है।

नमक सत्‍याग्रह के कारण स्‍वदेशी और सविनय अवज्ञा, इसकी भावना इतनी मजबूत हुई कि ब्रिटिश सरकार को भी भारी नुकसान होने लगा। व्‍यापारियों ने महीनों तक दुकानें बंद रखीं। ब्रिटेन से आयात बहुत कम हो गया और अंग्रेज सरकार हिल गई। आजादी के दीवानों को स्‍वराज का लक्ष्‍य सामने दिखने लगा।

साथियो, कल्‍पना कीजिए, अगर उस समय नमक सत्‍याग्रह के खिलाफ कुछ नेताओं की बात महात्‍मा गांधी ने मान ली होती, उनकी बातों में आ करके गांधीजी चुप हो जाते, अपना इरादा बदल देते, यात्रा न करते, तब अगर गांधीजी नकारात्‍मकता के शिकार हो जाते, विरोध की वजह से नमक सत्‍याग्रह न करते, तो क्‍या होता?

साथियो, उस समय जो नमक के प्रयोग को छोटा समझकर विरोध कर रहे थे, उस तरह की मानसिकता हमारे देश में उस समय भी थी, आज भी है, कभी-कभी तो लगता है, आज तो दुर्भाग्‍य से ज्‍यादा शायद कुछ और ज्‍यादा मुखर करके है, ज्‍यादा उसमें स्‍वार्थ चिपक गया है। पिछले चार-साढ़े चार साल में इन लोगों ने कैसे-कैसे सवाल पूछे, मैं आपको याद कराना चाहता हूं, मैं देशवासियों को याद दिलाना चाहता हूं। कैसे पूछते थे, कैसे बोलते थे- जरा उनके डायलॉग याद कीजिए- शौचालय बनाने से भी कोई बदलाव आता है क्‍या? साफ-सफाई भी क्‍या कोई प्रधानमंत्री का काम है? गैस का कनेक्‍शन देने से भी कहीं जीवन बदलता है? बैंक में खाते खोलने से गरीब अमीर हो जाएगा क्‍या? ये सारे डायलॉग देश भूलेगा नहीं, ये वो ही लोग हैं। ऐसे अनेक सवाल अपने निजी स्‍वार्थ के लिए, नकारात्‍मकता को लेकर चलने वाले लोग, और आज भी नकारात्‍मकता को जीने वाले लोग मिल जाएंगे।Negativity से भरे ऐसे लोगों को ये बताना जरूरी है कि बड़ा बदलाव तभी आता है जब छोटी-छोटी बातों और आदतों में सार्थक परिवर्तन आता है।

नमक हो, चरखा हो, खादी हो, स्‍वच्‍छता हो; ऐसी तमाम बातें रही हैं जिन्‍होंने हमारे आजादी के आंदोलन को सशक्‍त किया, लोगों को एकजुट किया, सामान्‍य से सामान्‍य व्‍यक्ति को आजादी का सिपाही बना दिया। कुछ लोगों को तब नमक सत्‍याग्रह छोटा लगता था, उसकी अहमियत नजर नहीं आती थी। अब इस सरकार के अनेक कार्य उनको छोटे लग रहे हैं।

मैं सिर्फ आपको एक उदाहरण देकर समझाता हूं। आप सोचिए साथियो, स्‍वच्‍छ भारत मिशन के तहत देश में नौ करोड़ से ज्‍यादा शौचालय बने, तभी तो आज लाखों लोग अनेक बीमारियों से बच रहे हैं। इन शौचालयों ने महिलाओं की जिंदगी कितनी आसान की है, ये नकारात्‍मकता से भरे लोग समझ नहीं सकते हैं। उनके दिमाग को नकारात्‍मकता का ताला लग गया है। एक अनुमान है कि टॉयलेट बनने की वजह से देश में तीन लाख गरीबों के जीवन की रक्षा संभव हुई है। स्‍वच्‍छ भारत का मजाक उड़ाने वालों को, विरोध करने वालों को गरीब की जिंदगी की कोई परवाह नहीं है।

साथियो, ये लोग चाहे जितना मजाक उड़ाएं, नए भारत ने इन बदलावों के लिए अपना मन बना लिया है, और स्‍वच्‍छता; पूज्‍य बापू कभी कह चुके थे आजादी और स्‍वच्‍छता में से मुझे पहला कुछ चुनना है तो मैं स्‍वच्‍छता चुनूंगा। आए दिन बापू का नाम ले करके राजनीति करने वाले लोगों ने बापू का ये छोटा सा सपना पूरा किया होता, स्‍वच्‍छता का काम किया होता, तो भी बापू को सच्‍ची श्रद्धांजलि होती।

जब समाज सकारात्‍मकता के साथ आगे बढ़ता है तो ये बड़े-बड़़े संकल्‍प सिद्ध कर पाता है। इस वर्ष 2 अक्‍तूबर को जब हम बापू की 150वीं जन्‍म-जयंती मनाने वाले हैं, तब तक सम्‍पूर्ण देश को खुले में शौच से मुक्‍त करना है। मुझे खुशी है कि ग्रामीण स्‍वच्‍छता का जो दायरा 2014 में, हमारी सरकार बनने से पहले, 2014 में करीब-करीब 38 प्रतिशत था, वो आज98 प्रतिशत हो गया, thirty eight से ninety eight. इसका मतलब हुआ कि देश लक्ष्‍य के बहुत निकट पहुंच चुका है। एक बार देश के हर परिवार के पास शौचालय की सुविधा होगी तो स्‍वच्‍छता के अभियान को और गति मिलेगी।

साथियो, सरकार का निरंतर प्रयास है कि बापू के जीवन और उनके बताए रास्‍तों से देश और दुनिया रोशनी लेती रहे। इस बार आपने देखा होगा कि गणतंत्र दिवस की परेड भी 26 जनवरी को राजपथ पर, जितनी भी झांकियां आईं, पूरा कार्यक्रम और आजादी के बाद पहली बार हुआ है, पूरा कार्यक्रम महात्‍मा गांधी को समर्पित कर दिया गया था। पिछले वर्ष हमारी सरकार सरकार ने, हमारे विदेश विभाग ने एक innovative पहल करते हुए दुनियाभर के 100 से भी ज्‍यादा देशों के गायकों से गांधीजी का प्रिय भजन ‘वैष्‍णव जन तो ते ने कहिए’ रिकॉर्ड करवाया था। दुनिया के सौ देश के, वहां के कलाकार; भारत की कोई भाषा नहीं जानते, गुजरात की भाषा नहीं जानते, नरसी मेहताकौन थे, कुछ पता नहीं, वैष्‍णव जन का मतलब क्‍या होता है, पता नहीं, लेकिन वे दिल से जुड़ गए, मन से जुड़ गए, जी-जान से जुड़ गए और ऐसे उन्‍होंने गाया। उनकी भाषा हमसे मिलती नहीं है। हमारे गीत-संगीत को उन्‍होंने समझा, भजन के शब्‍द को, भाव को समझा, आत्‍मीयता को महसूस कर पाए, और यही एक बात है जो बापू को पूरे विश्‍व से जोड़़ती है। और मैंने आज यहां कहा है कि इस दांडी के अंदर जो चित्र वगैरा रखे गए हैं वहां एक digital व्‍यवस्‍था भी करेंगेंकिदुनिया के इन कलाकारों ने जो वैष्‍णव जन गाया है, जो भी जिस देश के वैष्‍णव जन के कलाकार से वैष्‍णव जन सुनना चाहता है, वो सुन सके, ऐसी व्‍यवस्‍था करने के लिए आज मैंने कहा है, वो भी इसमें जुड़ जाएगा।

साथियो, बापू का आग्रह खादी को लेकर भी था, चरखे को लेकर भी था, लेकिन स्‍वतंत्रता के बाद खादी को लोग लगभग भूल ही गए थे। राजनीति में किसी समारोह के समय टोपी-वोपी पहन करके पहुंच जाना या लम्‍बा कुरता पहन करके चले जाना, यहां तक वो सीमित हो गया था। बाकी जन-सामान्‍य के जीवन से करीब-करीब खादी गायब हो गई थी। ये हमारी सरकार के ही प्रयास का नतीजा है कि अब स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है। दुनियाभर में आज खादी के जैकेट्स, उसके साथ-साथ अनेक प्रोडक्‍ट्स, आज दुनिया में से उसकी demand आ रही है। आज खादी देश का फैशन तो बन ही चुकी है, इसके अलावा ये आजादी की कहानी बताने और महिला सशक्तिकरण का एक शक्तिशाली माध्‍यम भी बन रही है।

साथियो, ये बदलाव अपने-आप नहीं आया है। बीते साढ़े चार वर्षों में हमने खादी से जुड़े लगभग दो हजार संस्‍थानों का आधुनिकीकरण किया है, modernization किया है, और हमने कभी देखा नहीं कि ये दो हजार संस्‍था वाले किस पार्टी से जुड़े हुए हैं। हमारे दिल में तो गांधी थे, हमारे दिल में खादी थी, हमारे दिल में जो गरीब बुनकर हैं वो हमारे दिल में था और इसलिए हमने इन दो हजार संस्‍थाओं के modernization का काम किया। इससे खादी से सीधे तौर पर जुड़े लगभगपांच लाख लोगों को लाभ पहुंचा है। अब सीधा पैसा कामगारों तक पहुंचाया जा रहा है। बीते चार वर्षों में खादी की बिक्री में जो ढाई से तीन गुना की बढ़ोत्‍तरी हुई है, उसका लाभ अब इन कारीगरों तक भी पहुंच रहा है।

भाइयो और बहनों, मेरा स्‍वयं का मानना है कि जैसे स्‍वतंत्रता के आंदोलन में स्‍वदेशी एक हथियार था, वैसे ही आज गरीबी से लड़ने के लिए हथकरघाभी एक बहुत बड़ा हथियार है।हथकरघा की अहमियत को समझते हुए हमारी सरकार ने 7 अगस्‍त को राष्‍ट्रीय हथकरघा दिवस के तौर पर घोषित किया है।

साथियो, सम्‍पूर्णता में देखें तो गांव की अर्थव्‍यवस्‍था और कुटीर उद्योग गांधीजी की आर्थिक सोच का महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा रहे हैं। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए बीते साढ़े चार वर्षों में बड़े स्‍तर पर काम किया गया है। सरकार के प्रयासों का नतीजा ये हुआ है कि गांव के उद्यमों की बिक्री जो चार वर्ष पहले तक 30 हजार करोड़़ रुपये थी, वो आज डबल हो चुकी है, दोगुनी से ज्‍यादा हो गई है।इससे गांवों में रोजगार के अनेक अवसर पैदा हुए हैं। सरकार का प्रयास है कि ग्रामोदयसे भारत उदय, अपने मिशन को और मजबूत किया जाए, सशक्‍त किया जाए, देश के गांवों में मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए सरकार ग्राम स्‍वराज अभियान भी चला रही है। हम एक-एक गांव की समीक्षा कर रहे हैं और इस बात पर जोर दे रहे हैं कि गांव के हर घर में बिजली हो, गैस का कनेक्‍शन हो, शौचालय हो, गांव में रहने वाले हर व्‍यक्ति के पास बैंक खाता हो और हर बच्‍चे को टीकाकरण अभियान का लाभ मिलताहो।

साथियो, हमने बापू के आदर्शों को आधुनिकता के साथ भी जोड़ा है। गांव में युवाओं के लिए, रोजगार के अवसर बनने के लिए, मिशन सोलर चरखाचलाया जा रहा है। इसके तहत अगले साल तक देशभर में 50 सोलर चरखा कलस्‍टर, पायलट तौर पर स्‍थापित किए जा रहे हैं। इससे लगभग एक लाख युवाओं को रोजगार मिलने वाला है।

आज यहां भी आपने देखा होगा कि solar tree बनाए हुए हैं। यहां की जरूरत सूर्य ऊर्जा से पूरी होगी, उससे अतिरिक्‍त बनेगा, गांधीजी के विचारों से सुसंगत है। ये solar tree का concept धीरे-धीरे हर garden के अंदर develop हो जाएगा। लोग इसको स्‍वीकार कर लेंगे। आज दांडी से उसकी एक पहल हुई है।

भाइयो, बहनों, हम चरखे को भी solar से जोड़ रहे हैं ताकि कम मेहनत से बूढ़े लोग परिवार में हों, वो भी चरखा चला करके अपनी आय कमा सकते हैं।

खादी के अलावा मधुमक्‍खी पालन के माध्‍यम से भी हमने ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था को ताकत देने का प्रयास किया है। दो साल पहले शुरू किए हुए honey mission द्वारा देश में मधुमक्‍खी पालन को प्रोत्‍साहित किया जा रहा है। परिणाम ये हुआ है कि आज देश में रिकॉर्ड मात्रा में शहद उत्‍पादन हो रहा है और किसानों को अतिरिक्‍त आय भी हो रही है।

 

साथियो, इस प्रकार के अनेक प्रयास आज देश को अपने गौरवशाली अतीत, अपने संघर्ष और अपने नायकों से प्रेरणा लेने के काम तो आ रहा है, युवाओं के लिए आजीविका के भी स्रोत सिद्ध हो रहे हैं। मुझे एहसास है कि जिनको सिर्फ विरोध ही करना है वो यहां भी अपनी नकारात्‍मक ऊर्जा को फैलाने से नहीं चूकेंगे। सच्‍चाई ये है कि चाहे वो सरदार पटेल की statue of unity हो, लालकिले में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की स्‍मृति में बना क्रांति मंदिर हो, डॉक्‍टर बाबा साहेब अम्‍बेडकर- देश और दुनिया में फैले उनकी स्‍मृति में पंचतीर्थ हों, हमारे आदिवासी नायकों के देशभर में बने हुए, आजादी के जंग में आदिवासियों की भूमिका को लेकर बने, नए बनने जा रहे म्‍यूजियम हों, दिल्‍ली में बना पुलिस मेमोरियल हो; आजादी के बाद पहली बार भारत के वीर जवानों के लिए national war memorial बना रहे हैं जो इसी फरवरी महीने में देश हमारी सेना को अर्पित करेगा। बीते साढ़े चार वर्ष में तैयार किए गए ऐसे अनेक स्‍मारक इतिहास से परिचय कराने के साथ हीरिसर्च और पर्यटन के महत्‍वपूर्ण स्‍थान सिद्ध हो रहे हैं। आने वाले समय में ऐसे अनेक प्रोजेक्‍ट्स भारत में हेरिटेज विकास और हेरिटेज टूरिज्‍म को और मजबूत करने वाले हैं।

 

साथियो, सिर्फ और सिर्फ पर्यटन के कारण बीते साढ़े चार वर्षों में लाखों रोजगार के अवसर युवाओं को मिले हैं। भविष्‍य में ये सैक्‍टर और विस्‍तृत होने वाला है। जैसे-जैसे roadway, railway और airway से जुड़े आधुनिक प्रोजेक्‍ट तैयार हो रहे हैं, भारत एक अहम tourist destination के तौर पर उभर रहा है।

अपने राष्‍ट्र नायकों के योगदान को याद रखना, अपनी संस्‍कृति, अपने इतिहास, अपनी विरासत; उसको समृद्ध करने और युवाओं को नए अवसरों से जोड़ने का हमारा ये अभियान जारी रहेगा। और आज जब मैं दांडी में आया हूं- मेरे लिए दांडी नई जगह नहीं है, मैं पहले भी आया हूं, आप इतनी बड़ी संख्‍या में आशीर्वाद देने के लिए आए हैं।

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

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खूब-खूब धन्‍यवाद।

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PM chairs 50th meeting of PRAGATI
December 31, 2025
In last decade, PRAGATI led ecosystem has helped accelerate projects worth more than ₹85 lakh crore: PM
PM’s Mantra for the Next Phase of PRAGATI: Reform to Simplify, Perform to Deliver, Transform to Impact
PM says PRAGATI is essential to sustain reform momentum and ensure delivery
PM says Long-Pending Projects have been Completed in National Interest
PRAGATI exemplifies Cooperative Federalism and breaks Silo-Based Functioning: PM
PM encourages States to institutionalise PRAGATI-like mechanisms especially for the social sector at the level of Chief Secretary
In the 50th meeting, PM reviews five critical infrastructure projects spanning five states with with a cumulative cost of more than ₹40,000 crore
Efforts must be made for making PM SHRI schools benchmark for other schools of state governments: PM

Prime Minister Shri Narendra Modi chaired the 50th meeting of PRAGATI - the ICT-enabled multi-modal platform for Pro-Active Governance and Timely Implementation - earlier today, marking a significant milestone in a decade-long journey of cooperative, outcome-driven governance under the leadership of Prime Minister Shri Narendra Modi. The milestone underscores how technology-enabled leadership, real-time monitoring and sustained Centre-State collaboration have translated national priorities into measurable outcomes on the ground.

Review undertaken in 50th PRAGATI

During the meeting, Prime Minister reviewed five critical infrastructure projects across sectors, including Road, Railways, Power, Water Resources, and Coal. These projects span 5 States, with a cumulative cost of more than ₹40,000 crore.

During a review of PM SHRI scheme, Prime Minister emphasized that the PM SHRI scheme must become a national benchmark for holistic and future ready school education and said that implementation should be outcome oriented rather than infrastructure centric. He asked all the Chief Secretaries to closely monitor the PM SHRI scheme. He further emphasized that efforts must be made for making PM SHRI schools benchmark for other schools of state government. He also suggested that Senior officers of the government should undertake field visits to evaluate the performance of PM SHRI schools.

On this special occasion, Prime Minister Shri Narendra Modi described the milestone as a symbol of the deep transformation India has witnessed in the culture of governance over the last decade. Prime Minister underlined that when decisions are timely, coordination is effective, and accountability is fixed, the speed of government functioning naturally increases and its impact becomes visible directly in citizens’ lives.

Genesis of PRAGATI

Recalling the origin of the approach, the Prime Minister said that as Chief Minister of Gujarat he had launched the technology-enabled SWAGAT platform (State Wide Attention on Grievances by Application of Technology) to understand and resolve public grievances with discipline, transparency, and time-bound action.

Building on that experience, after assuming office at the Centre, he expanded the same spirit nationally through PRAGATI bringing large projects, major programmes and grievance redressal onto one integrated platform for review, resolution, and follow-up.

Scale and Impact

Prime Minister noted that over the years the PRAGATI led ecosystem has helped accelerate projects worth more than 85 lakh crore rupees and supported the on-ground implementation of major welfare programmes at scale.

Since 2014, 377 projects have been reviewed under PRAGATI, and across these projects, 2,958 out of 3,162 identified issues - i.e. around 94 percent - have been resolved, significantly reducing delays, cost overruns and coordination failures.

Prime Minister said that as India moves at a faster pace, the relevance of PRAGATI has grown further. He noted that PRAGATI is essential to sustain reform momentum and ensure delivery.

Unlocking Long-Pending Projects

Prime Minister said that since 2014, the government has worked to institutionalise delivery and accountability creating a system where work is pursued with consistent follow-up and completed within timelines and budgets. He said projects that were started earlier but left incomplete or forgotten have been revived and completed in national interest.

Several projects that had remained stalled for decades were completed or decisively unlocked after being taken up under the PRAGATI platform. These include the Bogibeel rail-cum-road bridge in Assam, first conceived in 1997; the Jammu-Udhampur-Srinagar-Baramulla rail link, where work began in 1995; the Navi Mumbai International Airport, conceptualised in 1997; the modernisation and expansion of the Bhilai Steel Plant, approved in 2007; and the Gadarwara and LARA Super Thermal Power Projects, sanctioned in 2008 and 2009 respectively. These outcomes demonstrate the impact of sustained high-level monitoring and inter-governmental coordination.

From silos to Team India

Prime Minister pointed out that projects do not fail due to lack of intent alone—many fail due to lack of coordination and silo-based functioning. He said PRAGATI has helped address this by bringing all stakeholders onto one platform, aligned to one shared outcome.

He described PRAGATI as an effective model of cooperative federalism, where the Centre and States work as one team, and ministries and departments look beyond silos to solve problems. Prime Minister said that since its inception, around 500 Secretaries of Government of India and Chief Secretaries of States have participated in PRAGATI meetings. He thanked them for their participation, commitment, and ground-level understanding, which has helped PRAGATI evolve from a review forum into a genuine problem-solving platform.

Prime Minister said that the government has ensured adequate resources for national priorities, with sustained investments across sectors. He called upon every Ministry and State to strengthen the entire chain from planning to execution, minimise delays from tendering to ground delivery.

Reform, Perform, Transform

On the occasion, the Prime Minister shared clear expectations for the next phase, outlining his vision of Reform, Perform and Transform saying “Reform to simplify, Perform to deliver, Transform to impact.”

He said Reform must mean moving from process to solutions, simplifying procedures and making systems more friendly for Ease of Living and Ease of Doing Business.

He said Perform must mean to focus equally on time, cost, and quality. He added that outcome-driven governance has strengthened through PRAGATI and must now go deeper.

He further said that Transform must be measured by what citizens actually feel about timely services, faster grievance resolution, and improved ease of living.

PRAGATI and the journey to Viksit Bharat @ 2047

Prime Minister said Viksit Bharat @ 2047 is both a national resolve and a time-bound target, and PRAGATI is a powerful accelerator to achieve it. He encouraged States to institutionalise similar PRAGATI-like mechanisms especially for the social sector at the level of Chief Secretary.

To take PRAGATI to the next level, Prime Minister emphasised the use of technology in each and every phase of the project life cycle.

Prime Minister concluded by stating that PRAGATI@50 is not merely a milestone it is a commitment. PRAGATI must be strengthened further in the years ahead to ensure faster execution, higher quality, and measurable outcomes for citizens.

Presentation by Cabinet Secretary

On the occasion of the 50th PRAGATI milestone, the Cabinet Secretary made a brief presentation highlighting PRAGATI’s key achievements and outlining how it has reshaped India’s monitoring and coordination ecosystem, strengthening inter-ministerial and Centre-State follow-through, and reinforcing a culture of time-bound closure, which resulted in faster implementation of projects, improved last-mile delivery of Schemes and Programmes and quality resolution of public grievances.