Development of Uttarakhand Is a Priority for the BJP: PM Modi

Published By : Admin | February 10, 2017 | 15:35 IST
Dev Bhoomi Uttarakhand does not deserve a tainted and corrupt government: PM Modi
Atal ji created Uttarakhand with great hope and promise. We will fulfil his dreams of a prosperous Uttarakhand: PM
BJP dedicated to open up new avenues for youth and ensure welfare of farmers: PM Modi
Centre wants Uttarakhand to prosper and has allotted Rs. 12, 000 crores for connecting Char Dham with better roads: PM
Congress does not respect the valour of the armed forces. They were in power but did not solve the matter of OROP: PM

भारत माता की जय। भारत माता की जय।

मंच पर विराजमान केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्री जेपी नड्डा जी, श्री धर्मेंद्र प्रधान जी, यहां के जनप्रिय सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल जी निशंक, ज्वालापुर से भाजपा के उम्मीदवार श्रीमान सुरेश राठौर जी, हरिद्वार से उम्मीदवार श्री मदन कौशिक जी, हरिद्वार ग्रामीण से उम्मीदवार स्वामी  यतीश्वरानंद जी, रानीपुर से उम्मीदवार श्री आदेश चौहान जी, लक्सर से श्री संजय गुप्ता जी, रूड़की से प्रदीप बत्रा जी, खानपुर से कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन जी, ऋषिकेश से उम्मीदवार प्रेमचंद्र अग्रवाल जी, भगवानपुर से सुबोध राकेश जी, जबरदा से देशराज करनवाल जी, मंगलोर से रुचिपाल बालियान जी, पीरन से जय भगवान सैनी जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ साथी और विशाल संख्या में पधारे हुए प्यारे भाइयों और बहनों। मेरे साथ जोर बोलिये। भारत माता की जय। भारत माता की जय।

आप सब इतनी बड़ी संख्या में हमें आशीर्वाद देने के लिए आए। मैं नमन करते हुए आपका धन्यवाद करता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। मैं नहीं जानता हूं कि दूर-दूर जो छत पर खड़े हैं, उनको सुनाई भी देता होगा कि नहीं देता होगा? उसके बावजूद जहां भी मेरी नजर जाती है,  लोग ही लोग नजर आ रहे हैं।

भाइयों बहनों।

आज के युग में ये जनसैलाब, ये आशीर्वाद, ये अनोखी घटना मैं मानता हूं। चुनाव हमने भी बहुत लड़े हैं जी। कभी मैं भी उत्तराखंड में चुनाव अभियान के लिए आया करता था, लेकिन ऐसा उमंग, उत्साह, ये केसरिया सागर और इतनी बड़ी संख्या में माताएं बहनें।

भाइयों बहनों।

सदियों से हमारे देश में जब भी हरिद्वार की चर्चा होती है, इस देवभूमि का नाम लिया जाता है। देवभूमि कहते ही कश्मीर से कन्याकुमारी, हिंदुस्तान के किसी भी कोने में, कोई भी हिंदुस्तानी होगा देव भूमि कहते ही उसको हरिद्वार, गंगाजी, मठ-मंदिर, ये बर्फीली चोटियां, ये हरी-भरी दुनिया, योग, ऋषि-मुनि, यही सबसे पहले याद आता है। देवभूमि को याद करते ही एक पवित्रता का भाव मन में उमड़ के आता है।

...लेकिन भाइयों बहनों।

आज वो वक्त बदल चुका है। अब वो दिन नहीं रहे। आज देवभूमि बोलते ही दागी सरकार दिखाई देती है, दागी सरकार। इस दागी सरकार की छाया ने, हजारों वर्षों की तपस्या से बनी हमारी भूमि को दाग लगा दिया है, दाग लगा दिया।

भाइयों बहनों।

आप मुझे बताइये कि देवभूमि की पुन: प्रतिष्ठा होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...। पूरी ताकत से बताइए। देवभूमि की पुन: प्रतिष्ठा होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए। देवभूमि से दागी सरकार का साया हटना चाहिए कि नहीं हटना चाहिए ...। ये देवभूमि की पवित्रता का हर हिंदुस्तानी का हक है कि नहीं है ...। देवभूमि के लोग भी इस पवित्रता को दुनिया को बांटना चाहते हैं कि नहीं ...। लेकिन एक दागी सरकार, एक दागी सरकार इसने इस देवभूमि की तपस्या को कलंकित करके रखा है। दाग का साया उस पर सवार है।

... और इसलिए भाइयों-बहनों।

सवाल राजनीति का नहीं है, सवाल दल का नहीं है, सवाल उम्मीदवार का नहीं है। मुद्दा इस बात का है कि पूरा हिंदुस्तान देवभूमि के लिए गर्व करे, ऐसा देवभूमि बनाना हम सबका दायित्व है। आज पूरे हिंदुस्तान में देवभूमि के भ्रष्टाचार के लिए कोई सबूत की जरूरत है क्या ...? कोई सबूत की जरूरत है क्या ...? कोई कोर्ट कचहरी की जरूरत है क्या ...? सारे हिंदुस्तान ने टीवी पर देखा है कि नहीं देखा है ...? क्या ऐसा भ्रष्टाचार जहां पनपा है, ...और दुख तो इस बात की है कि इस सरकार के मुखिया को इसकी जरा सी भी चिंता नहीं है। उनके बोलचाल से, उनके चाल- चलन से, उनके आचरण से ऐसा लग रहा है कि ऐसी चीजों को वो पचा गए हैं।

भाइयों बहनों।

अगर किसी की गलती हो भी जाए, तो भी उसकी आत्मा उसको कोसती है। ...और पकड़ा जाए तो उसे शर्मिंदगी महसूस होती है। मैंने ऐसा कोई राजनेता नहीं देखा जो देवभूमि पर बैठा हुआ है, जिसको इसकी कोई परवाह नहीं, कोई शर्म नहीं, कोई चिंता नहीं। ये तो चलता रहता है। ये चलने देना है क्या ...? ये चलने देना है क्या ...? ये चलने देना है क्या ...? उनकी चलती होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...? ये जानें चाहिए कि नहीं जाने चाहिए ...? निकालोगे ...? पक्का निकालोगे ...?

भाइयों बहनों।

हम परिवार के जो लोग होंगे, उन्होंने देखा होगा। बालक घर में पैदा होता है, उठता है, बैठता है, कहीं गीला कर देता है, कहीं गंदा कर देता है, हर मां बाप मानता है कि भई चलता है, चलो भाई। बच्चा 12-13 साल का होता है, तब तक एक अलग नजरिये से देखा जाता है। लेकिन जैसे ही घर में बेटा या बेटी 16 साल के हो जाते हैं तो मां बाप जागरूक हो जाते हैं। 16 से 21 साल की उम्र, हरेक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण होती है। 16 से 21 साल बालक कैसा बनेगा? किस दिशा में जाएगा? उसके दोस्त कैसे हैं? वो कहां जाता है? किससे मिलता है? क्या करता है? क्या पढ़ता है? कहां बैठता है? हर मां-बाप बारिकी से नजर रखता है कि नहीं रखता है ...? रखता है कि नहीं रखता है ...? बेटी 16 साल की हो जाए, बेटा 16 साल का हो जाए, मां-बाप, पूरा परिवार उस पांच साल को महत्वपूर्ण मानते हैं कि नहीं मानते हैं ...? उसकी जिंदगी किस दिशा में जाएगी? उसका फैसला 16 साल की उम्र में होता है कि नहीं होता है ...?

भाइयों बहनों।

जैसा एक बालक के जीवन में हैं, वैसा ही उत्तराखंड के लिए भी ये पांच साल, 16 से 21 वाले हैं। अब तक जो हुआ सो हुआ, लेकिन ये 16 से 21 साल की उत्तराखंड की उम्र ऐसी है, अगर ठीक से संभाल लिया, ठीक से संवार लिया, तो 21 साल के बाद, ये उत्तराखंड पूरे हिंदुस्तान को संभाल लेगा। ये मैं आपको विश्वास दिलाता हूं।

बड़ा महत्वपूर्ण समय है भाइयों बहनों।

घर में बच्चे के लिए 16 से 21 साल के पांच साल, जितनी जागरूकता से हम सोचते हैं, उत्तराखंड के लिए भी ये 16 से 21 साल की उम्र बड़ा मह्वपूर्ण हैं। इसलिए ये चुनाव उत्तराखंड 16 से 21 में किस करवट जाएगा? कौन सी ताकत से खड़ा होगा? उसकी कद काठी कैसी बनेगी? ये समय तय करने का है। ...और इसलिए पहले जो हुआ सो हुआ। अब उत्तराखंड को रत्ती भर भी, ये पांच साल गंवाने नहीं चाहिए।

भाइयों बहनों।

अटल बिहारी वाजपेयी, उन्होंने तीन राज्य बनाए। छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड को भी अटल जी के आशीर्वाद रहे।

भाइयों बहनों।

जिस सपने के साथ अटलजी ने उत्तराखंड के भाग्य को बदलने के लिए काम किया। बाद में दिल्ली में ऐसी सरकारें आईं जिसने सारी गाड़ी पटरी पर से उतार दिये। अटल जी के सपने को पूरा करने का मैंने बीड़ा उठाया है भाइयों बहनों। जो वादे अटल जी ने किए हैं, वो वादे भी मैं पूरे करना चाहता हूं। इसलिए मुझे उत्तराखंड का आशीर्वाद चाहिए।

भाइयों बहनों।

आप मुझे ये बताइये कि हर हिंदुस्तानी यहां आना चाहता है कि नहीं चाहता है ...? चाहता है कि नहीं चाहता है ...? लेकिन एक बार आने के बाद, वो यही तय करता है कि इस जन्म का तो हो गया। अब अगले जन्म में देखेंगे। क्यों? न रास्तों का ठिकाना, न रहने का ठिकाना, न बिजली का ठिकाना, न पानी का ठिकाना, बीमार हो गया तो न दवाई का ठिकाना, कुछ नहीं। ऐसे ही चला रखा है।

भाइयों बहनों।

ये केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि जहां हिंदुस्तान चारों धाम की यात्रा करना चाहता है, सुख चैन से यात्रा करके वह घर लौट सके, समय पर लौट सके और इसलिए 12 हजार करोड़ रुपया लगाकरके, चारों धाम को आधुनिक रास्तों से जोड़ने के काम का हमने बीड़ा उठाया है।

भाइयों बहनों।

यहां का पानी, यहां की जवानी, यहां के खेत-खलिहान, यहां की ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, यहां के तीर्थ क्षेत्र, यहां की ऋषि परंपरा, पूरे विश्व के आकर्षण का केंद्र, ये हमारी देवभूमि बननी चाहिए। लेकिन किसी ने सोचा नहीं। हम वो सपना लेकरके आए हैं, आपके पास।

...और इसलिए भाइयों बहनों।

उत्तराखंड में ऐसी सरकार आपको बनानी चाहिए। आज देखिए। पिछले पांच साल में, उत्तराखंड का जो हाल हुआ है, कोई मामूली व्यक्ति, इस बुरे हाल में से उत्तराखंड को नहीं निकाल नहीं सकता है। प्रदेश को ऐसे गड्ढे में डाल दिया है, ऐसे गड्ढे में डाल दिया है। उसको बाहर निकालने के लिए डबल इंजन की जरूरत है, डबल इंजन। छोटा इंजन उत्तराखंड की भाजपा की सरकार और बड़ा इंजन दिल्ली में भाजपा की केंद्र सरकार। ये दो इंजन लग जाएंगे, उत्तराखंड का कल्याण हो जाएगा। ये मैं आपको कहने आया हूं।

उत्तराखंड में कोई गांव ऐसा नहीं है, जहां की वीर माताओं ने ऐसे बेटे पैदा न किए हों, जो मां भारती के लिए जीने मरने के लिए हर पल तैयार नहीं रहता हो। मैं उत्तराखंड की उन माताओं को प्रणाम करता हूं, जिन माताओं ने ऐसे वीर बालकों को जन्म दिया, जो आज तक मां भारती की रक्षा करते आए हैं, सदियों से करते हैं। आज भी कहीं सीमा के किसी दुर्गम जगह जाएं, कोई न कोई जवान उत्तराखंड का मिल जाएगा, आपको। वो डटा हुआ है, खड़ा हुआ है।

इसलिए भाइयों बहनों।

ये वीरों की भूमि है, वीर माताओं की भूमि है। ये त्याग, बलिदान की भूमि है और ऐसी भूमि को पूरा हिंदुस्तान नमन करता है भाइयों बहनों। लेकिन मैं तो हैरान हूं। इतने बड़े नेता, पहले केंद्र सरकार में मंत्री थे, तो मंत्री रहते हुए उत्तराखंड का भला करने का टाइम नहीं था। लेकिन उत्तराखंड की सरकार की कुर्सी छीनने के लिए भरपूर टाइम था। वो दिल्ली में रहते थे, लेकिन 24 घंटे यही काम करते रहते थे। आपकी इतनी ताकत थी, अगर आपने एक काम किया होता, एक काम। जिस प्रदेश ने देश को सबसे ज्यादा फौजी दिए हों, जिस प्रदेश ने सबसे ज्यादा रणबांकुरे दिए हों, जिस प्रदेश के लोगों ने देश की हिफाजत के लिए शहादत की हो, कम से कम वन रैंक वन पेंशन, इतना काम तो करवा लेते। दिल्ली सरकार में बैठे थे आप। वन रैंक वन पेंशन के लिए कभी सरकार के सामने, उन्होंने अपन प्रस्ताव तक नहीं रखा। हमने 2014 चुनाव कहा था, यहीं पर जनसभा में मैंने कहा था। हमारी केंद्र में सरकार बनेगी। हम वन रैंक वन पेंशन लागू करेंगे। 30-40 साल से लटका हुआ था मामला। देशभक्ति की बातें करने वाली दिल्ली की कांग्रेस की सरकार हिंदुस्तान की सेना के जवान, निवृत सेना के जवान, सेवारत सेना के जवान, सेना के अफसर, भारत सरकार को लिख-लिखकर थक गए। लेकिन दिल्ली में बैठी हुई कांग्रेस की केंद्र की सरकार, ये मानकर बैठी हुई थी, ये तो डिसीप्लीन फोर्स है, देशभक्ति से भरे हुए लोग हैं, चुनाव आएंगे तो दो भाषण कर देंगे, काम चल जाएगा। 30-40 साल तक यही किया है भाइयों। आपके साथ ठगी की गई। मैंने वादा किया था, आपसे सर झुकाकर के नम्रता के साथ मेरे देश के फौजियों को कहता हूं कि हमने उस काम को पूरा कर दिया है। ये लोग ऐसे थे कि इनको अंदाज भी नहीं था कि वन रैंक वन पेंशन क्या होता है? लागू होता है तो क्या होता है? क्या नियम होते हैं? कितना धन लगता है? कोई हिसाब नहीं था। कोई हिसाब नहीं था। क्योंकि, इन्होंने कभी भी इस मुद्दे के महत्व को समझा ही नहीं। ...और नासमझी का सबूत है। नासमझी का सबूत है कि जब मैंने 2014 के चुनाव में, सितंबर महीने में, रेवाड़ी में, हरियाणा में पूर्व सैनिकों के सम्मेलन में घोषणा की थी। सितंबर 2013 में, जब मैंने घोषणा जब की हमारी सरकार जब आएगी तो वन रैंक वन पेंशन लागू करेगी। ...तो सोई हुई कांग्रेस जागी। उनको लगा अगर ये फौजी सारे मोदी के साथ चले गए तो कांग्रेस का कुछ बचेगा नहीं। ...तो फौजियों की आंख में धूल झोंकने के लिए, कोई स्टडी किए बिना, इश्यू क्या है, समझे बिना, इस समस्या के समाधान के लिए कितना धन चाहिए, इसका विचार किए बिना, उन्होंने एक टुकड़ा फेंक दिया। उन्होंने बजट में कह दिया कि ओआरओपी के लिए 500 करोड़ रुपया दे देंगे। इसके बाद उनके नेता फौजियों का सम्मेलन करने लग गए। 5-15 लोग को बुलाते थे, फोटो निकालते थे और बताते थे ओआरओपी के लिए 500 करोड़ लगा दिया। 500 करोड़ लगा दिया। जब मैं आया तो मैंने एक कमिटी बिठाई। मैंने कहा कि मुझे ये वादा पूरा करना है भाई, लाओ डिटेल। मैं हैरान था। कोई होमवर्क नहीं था। ...और जब हिसाब लगाया तो 500 करोड़ से बात बनने वाली नहीं थी। जब हमने हिसाब लगाया तो मामला पहुंचा 12,000 करोड़ रुपया, 12 हजार। फौजियों के घरों में 12 हजार करोड़ रुपया देना था। कहां 500 करोड़ के झूठे वादे और कहां 12 हजार करोड़ की जिम्मेदारी। मैंने फौज के लोगों को बुलाया। उनसे कहा देखो भाई मेरे दिल में आपके लिए एक विशेष स्थान है। मुझे आपके लिए कुछ करना है। लेकिन आपने मेरी मदद करनी पड़ेगी। फौजी लोग थे। वे अपनी परवाह ज्यादा करते नहीं हैं, वे देश की परवाह ज्यादा करते हैं। औरों की परवाह करते हैं। मेरा वाक्य पूरा होने से पहले, फौज के लोगों ने मुझे कह दिया, मोदी जी। आप ऐसा कहके हमें शर्मिंदा मत कीजिए। आप कहिए जान की बाजी लगाने के लिए तैयार हैं। मैंने कहा, जान की बाजी लगाने के लिए नहीं बुलाया है। इसके लिए किसी के आदेश जरूरत नहीं है। वो तो जिस दिन आपने मां का दूध पिया है, उसी दिन देश के लिए जीने का संकल्प लेकर आप चल पड़े हैं। इस कार्य में मोदी कुछ नहीं, जरूरत नहीं है मोदी की। आप तो वीर हैं। मैंने कहा, मदद कुछ और चाहिए। मैंने कहा, कांग्रेस के लोगों ने तो आपको धोखा दिया है। आपको मूर्ख बनाया। 500 करोड़ की बातें करते थे, कोई कहता था 1000 करोड़ होगा, 12 सौ करोड़ होगा, लेकिन हिसाब लगाया तो 12 हजार करोड़ हो रहा है। अब सरकार में, मैं नया-नया आया हूं। अभी तो पुराने गड्ढे भरने में लगा हूं। अचानक 12 हजार करोड़ निकालूंगा तो मेरे देश के गरीबों के लिए मुझे जो करना है, वो नहीं कर पाउंगा। इसे करने में थोड़ा विलंब हो जाएगा। तो उन्होंने कहा, बताइये मोदी जी क्या करें। मैंने कहा, मुझे एक मदद कीजिए। ये बारह हजार करोड़ एकमुश्त देने के बजाय मैं उसको तीन हिस्से में दूंगा। एक हिस्सा अभी दूंगा, एक छह-आठ महीने बाद दूंगा और तीसरा हिस्सा एक साल के बाद दूंगा।

भाइयों बहनों।

मैं सेना के जवानों के सामने सर झुकाता हूं। एक मिनट नहीं लगाया, एक मिनट नहीं लगाया। मेरी बात मान ली। ...और आज 12 हजार करोड़ में छह हजार करोड़ उनके घर पहुंचा दिया और छह हजार करोड़ आने वाले दिनों में पहुंचा दिया जाएगा। ये काम होता है। वादा करते हैं तो ऐसे करते हैं।

भाइयों बहनों।

आप मुझे बताइए। अगर जंगल कट जाएंगे तो ये मेरा देवभूमि बचेगी क्या ...? आप मुझे बताइए। ये देवभूमि बचेगी क्या ...? बचेगी क्या ...? यहां का हर पेड़ एक-एक ऋषि है कि नहीं है ...? लेकिन आप जानते हैं कि यहां की सरकारों में बैठे हुए लोगों की जंगल काटने वालों के बीच मिलीभगत कैसी है?

भाइयों बहनों।

11 मार्च को चुनाव का नतीजा आएगा। उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बनेगी। ये लूट चलाने वाले, ये जंगलों को बेचने वाले, मैं आपको विश्वास देता हूं, भाजपा की उत्तराखंड की नई सरकार एक-एक का हिसाब पूरा करेगी। कानून, कानून का काम करके रहेगा। कोई भी कितना बड़ा क्यों न होगा, उसको कानून के दायरे को स्वीकार करना पड़ेगा। ये हमारी सरकार करके रहेगी।

भाइयों बहनों।

इनको न देश की सुरक्षा की परवाह है, न इनको देश की सेना के त्याग-तपस्या की चिंता है। हमारे देश की सेना पराक्रमी है, पुरुषार्थी है, जब सर्जिकल स्ट्राइक हुआ। सीमा पार करके, उनके घर में जाकर के, अंधेरी रात में, मेरे देश के फौजियों ने उनको दिन में तारे दिखा दिए। पूरे विश्व में जो मिलिट्री ऑपरेशन की स्टडी कर रहे हैं, विश्व के सभी देशों के लिए एक अजूबा था और हिंदुस्तान के फौजियों के किए हुए सर्जिकल स्ट्राइक दुनिया भर के लिए एक महान पराक्रमी घटना के रूप में अंकित हो गई। लेकिन इनको पीड़ा इस बात की रही। ये हुआ कैसे? पता क्यों नहीं चला? हम तो चिल्ला रहे थे कि मोदी कुछ करता नहीं है।

भाइयों बहनों।

मुझे बताइए। सर्जिकल स्ट्राइक करने से पहले मुझे मीटिंग बुलानी चाहिए क्या ...? ऑल पार्टी कॉन्फ्रेंस करनी चाहिए थी क्या ...? इनको मुझे पूछना चाहिए कि बांयी ओर जाऊं या दायीं ओर जाऊं।

भाइयों बहनों।

ऐसे निर्णय, ऐसे नहीं होते हैं। फौज पर भरोसा रखना होता है। उनको इतना ही कहना होता है - आप हैं, हिंदुस्तान है, दुश्मनों का मैदान है, जज्बा है, खेल आपके हाथ में है। ...और वो करके दिखाते हैं। कहना नहीं पड़ता है जी। सिर्फ रोक हटानी पड़ती है। मुझे खुशी है कि 100 में से 100 मार्क्स के साथ, हमारी फौज ने कमाल कर के दिखाया। दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिये। आतंकवादियों के कैंप नष्ट-पस्त कर दिए। दूसरे दिन इंडियन एक्स्प्रेस नाम के अखबार ने छापा था कि सुबह-सुबह पाकिस्तान की ट्रकें आई और ट्रकों में भर-भर करके डेथ बॉडी ले गए। मैं हैरान हूं। मेरे देश की सेना ने इतना बड़ा पराक्रम किया, लेकिन 24 घंटे राजनीति करने वाले लोग, राष्ट्रनीति को समझ नहीं पाते हैं। सुबह जैसे ही, उनको पता चला, फौज के बड़े अफसर ने घोषणा की कि हमने ऐसा-ऐसा किया तो इनके पेट में चूहे दौड़ने लगे। परेशान हो गए सर्जिकल स्ट्राइक। उनका पहला सवाल क्या था? हिंदुस्तान के कितने जवान मरे। आपको शर्म आनी चाहिए। ये हमारे जिंदादिल जवान हैं। मारकर के आना कोई गुनाह नहीं होता, गर्व होता है। फिर कहने लगे पाकिस्तान, अब पाकिस्तान ये कहेगा कि कोई आया था, मुझे मारकर गया। कोई मुझे बता दे। ऐसा कहेगा क्या? वो तो यही कहेगा न। यहां के लोग कहने लगे कि पाकिस्तान तो मना कर रहा है। आप कैसे कह रहे हैं? बताओ भाई। क्या पाकिस्तान के स्पोक्समैन यहां बैठे हैं क्या? देश के जवानों ने सर्जिकल स्ट्राइक किया और आपने उस पर सवालिया निशान लगाया। आपने देश के फौजियों का अपमान किया है। देश के सेना का अपमान किया है। आपने उन वीर माताओं का अपमान किया है, जिन्होंने ऐसे वीर जवानों को जन्म दिया है। उन वीर माताओं का अपमान किया है।

भाइयों बहनों।

इन लोगों को ..., आप मुझे बताइए। जब उत्तराखंड में बाढ़ आई। गुजरात से जो कर सकता था, मैंने किया। मैं गुजरात का सीएम था, दौड़कर आया था। ...और मुझे खुशी है कि उत्तराखंड के दूर से आए परिवार वाले भी कहते थे कि हमें ये सामान नहीं चाहिए। गुजरात से आया है ना, वो चाहिए। ये लोग कहते थे। जब ईमानदारी हो, सेवा का भाव हो तो कैसा परिणाम आता है, क्योंकि मुझे सेवा करने का सौभाग्य मिला था। अभी चार दिन पहले भूकंप आया।

भाइयो बहनों।

रात एक बजे तक पीएमओ के मेरे अफसर हर किसी से बात कर रहे हैं, हर इलाके में बात करते रहे। रातों रात इस प्रकार के राहत के काम करने वाली टुकड़ियों को हमने रवाना कर दिया।

भाइयों बहनों।



कभी भी हमारे देश में संकट होता है तो इतनी तेजी से कोई दौड़ता नहीं है। और उत्तराखंड में जब केदारनाथ की घटना हुई थी तो तब कांग्रेस के नेता विदेशों में मौज कर रहे थे। ये प्रदेश भूल नहीं सकता है और सवाल हमें पूछ रहे हो। अभी भी, मैं कांग्रेस के लोगों को कहता हूं। जबान संभाल के रखो वर्ना मेरे पास आपकी पूरी जन्मपत्री पड़ी हुई है। मैं विवेक और मर्यादाओं को छोड़ना नहीं चाहता हूं। लेकिन अगर आप विवेक मर्यादाएं छोड़कर के अनाप-शनाप बातें करोगे तो आपको। आपको अपना इतिहास कभी छोड़ेगा नहीं। आपके कुकर्म आपको छोड़ेंगे नहीं। आपके पाप आपको छोड़ेंगे नहीं।

भाइयों बहनों।

उत्तराखंड का विकास, यहां की पानी, यहां की बिजली, हिंदुस्तान की प्यास भी बुझा सकती है, हिंदुस्तान का अंधेरा भी मिटा सकती है। ये ताकत मेरे उत्तराखंड में है। जो राज्य हिंदुस्तान का अंधेरा मिटा सकता है, उस राज्य को अंधेरे में आपने डूबो कर रखा हुआ है। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है?

...इसलिए मेरे भाइयों बहनों।

हम विकास के लिए वोट चाहते हैं। विनाश का रास्ता बंद होना चाहिए। विकास के मार्ग पर चलना होगा जी। आप स्थिर और मजबूत सरकार दीजिये। भारतीय जनता पार्टी की सरकार दीजिये। मैं केंद्र में बैठा हूं। ये 16 से 21 साल की आपकी उम्र, ये देवभूमि की 16 से 21 साल, ये सरकार का ऐसा तबका है, नया बना हुआ उत्तराखंड है। 16 से 21 साल की उमर है, उत्तराखंड के लिए नजाकत भरा समय है। उसके सही परवरिश का समय है। उस परवरिश का दायित्व लेने के लिए आया हूं। ऐसी टीम बिठाउंगा जो उत्तराखंड को उसके सपनों के अनुरूप बनाकर रहेगा और मेरी पूरी निगरानी रहेगी। ये मैं आपको वादा करने आया हूं।

भाइयों बहनों।

आज दुनिया में टूरिज्म, सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाला उद्योग है। दुनिया भर से टूरिस्ट हमें मिलें। कुछ लोगों ने ऐसा झूठ चलाया, ऐसा झूठ चलाया, आठ नवंबर को रात आठ बजे, जब मोदी कह रहा था मेरे प्यारे देशवासियो। अभी भी कुछ लोग हैं, जो सो नहीं पाए हैं। बहुत परेशान हैं। क्योंकि उनका सारा काला कारोबार, अब कागज की लकीरों में फिट हो चुका है। बैंकों में अंकित हो चुका है। कहां से आया? कौन लाया? कैसे आया? ये सब कैमरे के सामने आ चुका है। इसलिये ऐसे लोगों को नींद नहीं आती है।

भाइयों बहनों।

इस देश को 70 साल तक लूटा गया है। क्या इस बात से कोई इनकार कर सकता है क्या? लूटा गया है कि नहीं लूटा गया है ...? जिसको जहां पद मिला, उसने पाने की कोशिश की है कि नहीं की है ...। जुल्म करने की कोशिश की है कि नहीं की है ...। किसी दारोगा ने भी मौका मिला है तो छोड़ा है क्या ...?

स्कूल वाले ने भी एडमिशन लेने में किसी को छोड़ा है क्या ...?

भाइयों बहनों।

काले कारोबार की आदत लग गई थी। जरूरतमंद लोगों को लूटने की आदत हो गई थी। मेरी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई है। मेरी कालेधन के खिलाफ लड़ाई है।

...और भाइयों बहनों।

जिन्होंने गरीबों का लूटा है वो मुझे गरीबों को लौटाना है। कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि छोटे-छोटे व्यापारी चोरी करते हैं।

भाइयों बहनों।

हो सकता है कोई छोटा व्यापारी पांच पैसे मुनाफा के बजाय सात पैसे मुनाफा ले लिया होगा। हो सकता है किसी व्यापारी ने सरकार में तीन रुपया देना चाहिए ढाई रुपया दिया होगा। लेकिन उसने अपने पद का उपयोग करते हुए जरूरतमंद का गला घोंटने का काम नहीं किया। लेकिन जो सत्ता में बैठे हैं, कुर्सी पर बैठे हैं, सेवा के लिए आए हैं। उन्होंने गरीब से गरीब को लूटने से बाकी नहीं रखा है। बाबुओं ने, अफसरों ने, सरकारी कुर्सी मिल गई। बस मौका मिला है मारो, ले लो। मेरी लड़ाई उनके खिलाफ है। जिन्होंने पद पर बैठकर के लूटा है, उनके खिलाफ मेरी लड़ाई है। छोटे-छोटे व्यापारियों से मेरी लड़ाई नहीं है। छोटे व्यापारी कानून का पालन करना जानते हैं और कानून का पालन करते भी हैं। ...और गलती हो जाती है तो ठीक करने को भी तैयार होते हैं। लेकिन ये जो पैसे दबोच कर बैठे हैं, उनके पैसे भ्रष्टाचार के पैसे जो काले धन में परिणत हुए हैं। ये भ्रष्टाचार कालेधन की जुगलबंदी को मुझे खत्म करना है। अभी भी परेशान हैं। मोदी ने नोटबंदी की, ...नोटबंदी की। अरे नोटबंदी की है इसलिए कि सत्तर साल से जिन्होंने लूटा है, वो नोट मुझे निकालनी है। और वो मैं निकालकर रहूंगा। मुझे गरीबों के लिए घर बनाने हैं। मुझे किसान के खेत तक पानी पहुंचानी है। मुझे नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने हैं। मुझे माताओं बहनों की शिक्षा की चिंता करनी है।

...और इसलिए भाइयों बहनों।

कड़वे से कड़वे निर्णय मैं करता हूं। अपने लिये नहीं करता हूं, सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिये करता हूं। ...और इसलिए मैं उत्तराखंड की जनता से आज आशीर्वाद मांगने आया हूं। देवभूमि से मैं आशीर्वाद मांगने आया हूं कि भ्रष्टाचार और कालेधन की लड़ाई, उसको खत्म करने का मेरा जो सपना है, सवा सौ करोड़ मेरे देशवासी, जो हर पल मेरे साथ रहे हैं। आगे भी मेरे साथ रहेंगे, ये विश्वास लेकर चला हूं।

भाइयों बहनों।

आप हमें बताइये। हमारे यहां धर्मेंद्र जी प्रधान बैठे हैं। वे हमारे पेट्रोलियम क्षेत्र के मंत्री हैं। आपको याद है। आपको पहले घर में गैस का चूल्हा, गैस का कनेक्शन चाहिए। आपको लगता था कि मिलेगा ...? किसी की पहचान लगती थी कि नहीं लगती थी ...। कालाबाजारी करनी पड़ती थी कि नहीं पड़ती थी ...। बड़े-बड़े लोगों का कुर्ता पकड़कर दौड़ना पड़ता था कि नहीं दौड़ना पड़ता था ...।

भाइयों बहनों।

ऐसा क्या हुआ भाई। 2014 में हमारी सरकार बनी, उससे पहले गैस पाने के लिए तड़पते थे। और हमारी सरकार बनने के बाद, घर-घर जाकरके गरीबों को ढूंढ-ढूंढ करके गैस देना कैसे शुरू हुआ। इतने कम समय में पौने दो करोड़ से ज्यादा लोगों के, गरीबों के घर में गैस का कनेक्शन, गैस का चूल्हा पहुंच गया। अब लकड़ी काटने के लिए जाना नहीं पड़ रहा है। अब जंगल कटते नहीं है। चार सौ सिगरेट का धुआं जो मां के शरीर में जाता था, खाना पकाते समय जाता नहीं  है। मां भी तंदुरुस्त हो रही है। बच्चे भी तंदुरूस्त हो रहे हैं। तेजी से खाना पक रहा है। गरीब का पेट भर रहा है। ऐसे काम होता है। प्रधानमंत्री जनधन अकाउंट, हमने गरीब से गरीब का खाता खोल दिया। अब इनको समझ में आ रहा है कि मोदी दो साल पहले खाते क्यों खुलवा रहा था। अरे मोदी दो साल पहले खाते इसलिए खुलवा रहा था कि बड़े-बड़ों के खातों का हिसाब लेना था और गरीबों के खातों को भरना था।

इसलिए भाइयों बहनों।

अब ढाई साल हो गए तो समझ रहे हैं। कि ये मोदी तो गरीबों के लिए जीता है। ये मोदी गरीबों के लिए जूझता है। ये मोदी गरीबों को ताकतवर बनाने के लिए मैदान में आया है।

भाइयों बहनों।

ये कोई मैं उपकार नहीं कर रहा हूं। मैंने गरीबी देखी है। मैं गरीबी में पैदा हुआ हूं। मैंने गरीबी को जीया है। मैं जानता हूं कि गरीबी क्या होती है। गरीबी के कारण जिंदगी कितनी मुश्किल होती है, वो मैं जीकरके आया हूं। इसलिए ये जिंदगी भी, ये सरकार भी, गरीबों के लिए आहूत करने निकला हूं । मुझे गरीबों का कल्याण करना है।

भाइयों बहनों।

उत्तराखंड में एक मजबूत सरकार बनाइये। उत्तराखंड का भाग्य बदलना है। और उसके लिए मुझे एक साफ सरकार चाहिए। विकास की नई उंचाइयां गढ़नी है। नौजवानों को रोजगार के लिए उत्तराखंड छोड़ना न पड़े, ऐसा उत्तराखंड उद्योगों से भरा-भरा उत्तराखंड मुझे बनाना है। ये काम मुझे करना है। ...और मुझे विश्वास है कि जब देवभूमि से आशीर्वाद मिल गए हैं और इतनी बड़ी तादाद में आप आशीर्वाद देने आए हैं तो मेरा विश्वास है कि उत्तराखंड का भाग्य 11 मार्च के बाद उत्तराखंड की जनता लिख देगी, ये मेरा विश्वास है। और हम आपके साथ होंगे। आपके सपनों को पूरा करूंगा। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। दोनों मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से बोलिये। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत बहुत धन्यवाद।

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Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM Modi
December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।