Development of Uttarakhand Is a Priority for the BJP: PM Modi

Published By : Admin | February 10, 2017 | 15:35 IST
Dev Bhoomi Uttarakhand does not deserve a tainted and corrupt government: PM Modi
Atal ji created Uttarakhand with great hope and promise. We will fulfil his dreams of a prosperous Uttarakhand: PM
BJP dedicated to open up new avenues for youth and ensure welfare of farmers: PM Modi
Centre wants Uttarakhand to prosper and has allotted Rs. 12, 000 crores for connecting Char Dham with better roads: PM
Congress does not respect the valour of the armed forces. They were in power but did not solve the matter of OROP: PM

भारत माता की जय। भारत माता की जय।

मंच पर विराजमान केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्री जेपी नड्डा जी, श्री धर्मेंद्र प्रधान जी, यहां के जनप्रिय सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल जी निशंक, ज्वालापुर से भाजपा के उम्मीदवार श्रीमान सुरेश राठौर जी, हरिद्वार से उम्मीदवार श्री मदन कौशिक जी, हरिद्वार ग्रामीण से उम्मीदवार स्वामी  यतीश्वरानंद जी, रानीपुर से उम्मीदवार श्री आदेश चौहान जी, लक्सर से श्री संजय गुप्ता जी, रूड़की से प्रदीप बत्रा जी, खानपुर से कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन जी, ऋषिकेश से उम्मीदवार प्रेमचंद्र अग्रवाल जी, भगवानपुर से सुबोध राकेश जी, जबरदा से देशराज करनवाल जी, मंगलोर से रुचिपाल बालियान जी, पीरन से जय भगवान सैनी जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ साथी और विशाल संख्या में पधारे हुए प्यारे भाइयों और बहनों। मेरे साथ जोर बोलिये। भारत माता की जय। भारत माता की जय।

आप सब इतनी बड़ी संख्या में हमें आशीर्वाद देने के लिए आए। मैं नमन करते हुए आपका धन्यवाद करता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। मैं नहीं जानता हूं कि दूर-दूर जो छत पर खड़े हैं, उनको सुनाई भी देता होगा कि नहीं देता होगा? उसके बावजूद जहां भी मेरी नजर जाती है,  लोग ही लोग नजर आ रहे हैं।

भाइयों बहनों।

आज के युग में ये जनसैलाब, ये आशीर्वाद, ये अनोखी घटना मैं मानता हूं। चुनाव हमने भी बहुत लड़े हैं जी। कभी मैं भी उत्तराखंड में चुनाव अभियान के लिए आया करता था, लेकिन ऐसा उमंग, उत्साह, ये केसरिया सागर और इतनी बड़ी संख्या में माताएं बहनें।

भाइयों बहनों।

सदियों से हमारे देश में जब भी हरिद्वार की चर्चा होती है, इस देवभूमि का नाम लिया जाता है। देवभूमि कहते ही कश्मीर से कन्याकुमारी, हिंदुस्तान के किसी भी कोने में, कोई भी हिंदुस्तानी होगा देव भूमि कहते ही उसको हरिद्वार, गंगाजी, मठ-मंदिर, ये बर्फीली चोटियां, ये हरी-भरी दुनिया, योग, ऋषि-मुनि, यही सबसे पहले याद आता है। देवभूमि को याद करते ही एक पवित्रता का भाव मन में उमड़ के आता है।

...लेकिन भाइयों बहनों।

आज वो वक्त बदल चुका है। अब वो दिन नहीं रहे। आज देवभूमि बोलते ही दागी सरकार दिखाई देती है, दागी सरकार। इस दागी सरकार की छाया ने, हजारों वर्षों की तपस्या से बनी हमारी भूमि को दाग लगा दिया है, दाग लगा दिया।

भाइयों बहनों।

आप मुझे बताइये कि देवभूमि की पुन: प्रतिष्ठा होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...। पूरी ताकत से बताइए। देवभूमि की पुन: प्रतिष्ठा होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए। देवभूमि से दागी सरकार का साया हटना चाहिए कि नहीं हटना चाहिए ...। ये देवभूमि की पवित्रता का हर हिंदुस्तानी का हक है कि नहीं है ...। देवभूमि के लोग भी इस पवित्रता को दुनिया को बांटना चाहते हैं कि नहीं ...। लेकिन एक दागी सरकार, एक दागी सरकार इसने इस देवभूमि की तपस्या को कलंकित करके रखा है। दाग का साया उस पर सवार है।

... और इसलिए भाइयों-बहनों।

सवाल राजनीति का नहीं है, सवाल दल का नहीं है, सवाल उम्मीदवार का नहीं है। मुद्दा इस बात का है कि पूरा हिंदुस्तान देवभूमि के लिए गर्व करे, ऐसा देवभूमि बनाना हम सबका दायित्व है। आज पूरे हिंदुस्तान में देवभूमि के भ्रष्टाचार के लिए कोई सबूत की जरूरत है क्या ...? कोई सबूत की जरूरत है क्या ...? कोई कोर्ट कचहरी की जरूरत है क्या ...? सारे हिंदुस्तान ने टीवी पर देखा है कि नहीं देखा है ...? क्या ऐसा भ्रष्टाचार जहां पनपा है, ...और दुख तो इस बात की है कि इस सरकार के मुखिया को इसकी जरा सी भी चिंता नहीं है। उनके बोलचाल से, उनके चाल- चलन से, उनके आचरण से ऐसा लग रहा है कि ऐसी चीजों को वो पचा गए हैं।

भाइयों बहनों।

अगर किसी की गलती हो भी जाए, तो भी उसकी आत्मा उसको कोसती है। ...और पकड़ा जाए तो उसे शर्मिंदगी महसूस होती है। मैंने ऐसा कोई राजनेता नहीं देखा जो देवभूमि पर बैठा हुआ है, जिसको इसकी कोई परवाह नहीं, कोई शर्म नहीं, कोई चिंता नहीं। ये तो चलता रहता है। ये चलने देना है क्या ...? ये चलने देना है क्या ...? ये चलने देना है क्या ...? उनकी चलती होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए ...? ये जानें चाहिए कि नहीं जाने चाहिए ...? निकालोगे ...? पक्का निकालोगे ...?

भाइयों बहनों।

हम परिवार के जो लोग होंगे, उन्होंने देखा होगा। बालक घर में पैदा होता है, उठता है, बैठता है, कहीं गीला कर देता है, कहीं गंदा कर देता है, हर मां बाप मानता है कि भई चलता है, चलो भाई। बच्चा 12-13 साल का होता है, तब तक एक अलग नजरिये से देखा जाता है। लेकिन जैसे ही घर में बेटा या बेटी 16 साल के हो जाते हैं तो मां बाप जागरूक हो जाते हैं। 16 से 21 साल की उम्र, हरेक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण होती है। 16 से 21 साल बालक कैसा बनेगा? किस दिशा में जाएगा? उसके दोस्त कैसे हैं? वो कहां जाता है? किससे मिलता है? क्या करता है? क्या पढ़ता है? कहां बैठता है? हर मां-बाप बारिकी से नजर रखता है कि नहीं रखता है ...? रखता है कि नहीं रखता है ...? बेटी 16 साल की हो जाए, बेटा 16 साल का हो जाए, मां-बाप, पूरा परिवार उस पांच साल को महत्वपूर्ण मानते हैं कि नहीं मानते हैं ...? उसकी जिंदगी किस दिशा में जाएगी? उसका फैसला 16 साल की उम्र में होता है कि नहीं होता है ...?

भाइयों बहनों।

जैसा एक बालक के जीवन में हैं, वैसा ही उत्तराखंड के लिए भी ये पांच साल, 16 से 21 वाले हैं। अब तक जो हुआ सो हुआ, लेकिन ये 16 से 21 साल की उत्तराखंड की उम्र ऐसी है, अगर ठीक से संभाल लिया, ठीक से संवार लिया, तो 21 साल के बाद, ये उत्तराखंड पूरे हिंदुस्तान को संभाल लेगा। ये मैं आपको विश्वास दिलाता हूं।

बड़ा महत्वपूर्ण समय है भाइयों बहनों।

घर में बच्चे के लिए 16 से 21 साल के पांच साल, जितनी जागरूकता से हम सोचते हैं, उत्तराखंड के लिए भी ये 16 से 21 साल की उम्र बड़ा मह्वपूर्ण हैं। इसलिए ये चुनाव उत्तराखंड 16 से 21 में किस करवट जाएगा? कौन सी ताकत से खड़ा होगा? उसकी कद काठी कैसी बनेगी? ये समय तय करने का है। ...और इसलिए पहले जो हुआ सो हुआ। अब उत्तराखंड को रत्ती भर भी, ये पांच साल गंवाने नहीं चाहिए।

भाइयों बहनों।

अटल बिहारी वाजपेयी, उन्होंने तीन राज्य बनाए। छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड को भी अटल जी के आशीर्वाद रहे।

भाइयों बहनों।

जिस सपने के साथ अटलजी ने उत्तराखंड के भाग्य को बदलने के लिए काम किया। बाद में दिल्ली में ऐसी सरकारें आईं जिसने सारी गाड़ी पटरी पर से उतार दिये। अटल जी के सपने को पूरा करने का मैंने बीड़ा उठाया है भाइयों बहनों। जो वादे अटल जी ने किए हैं, वो वादे भी मैं पूरे करना चाहता हूं। इसलिए मुझे उत्तराखंड का आशीर्वाद चाहिए।

भाइयों बहनों।

आप मुझे ये बताइये कि हर हिंदुस्तानी यहां आना चाहता है कि नहीं चाहता है ...? चाहता है कि नहीं चाहता है ...? लेकिन एक बार आने के बाद, वो यही तय करता है कि इस जन्म का तो हो गया। अब अगले जन्म में देखेंगे। क्यों? न रास्तों का ठिकाना, न रहने का ठिकाना, न बिजली का ठिकाना, न पानी का ठिकाना, बीमार हो गया तो न दवाई का ठिकाना, कुछ नहीं। ऐसे ही चला रखा है।

भाइयों बहनों।

ये केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि जहां हिंदुस्तान चारों धाम की यात्रा करना चाहता है, सुख चैन से यात्रा करके वह घर लौट सके, समय पर लौट सके और इसलिए 12 हजार करोड़ रुपया लगाकरके, चारों धाम को आधुनिक रास्तों से जोड़ने के काम का हमने बीड़ा उठाया है।

भाइयों बहनों।

यहां का पानी, यहां की जवानी, यहां के खेत-खलिहान, यहां की ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, यहां के तीर्थ क्षेत्र, यहां की ऋषि परंपरा, पूरे विश्व के आकर्षण का केंद्र, ये हमारी देवभूमि बननी चाहिए। लेकिन किसी ने सोचा नहीं। हम वो सपना लेकरके आए हैं, आपके पास।

...और इसलिए भाइयों बहनों।

उत्तराखंड में ऐसी सरकार आपको बनानी चाहिए। आज देखिए। पिछले पांच साल में, उत्तराखंड का जो हाल हुआ है, कोई मामूली व्यक्ति, इस बुरे हाल में से उत्तराखंड को नहीं निकाल नहीं सकता है। प्रदेश को ऐसे गड्ढे में डाल दिया है, ऐसे गड्ढे में डाल दिया है। उसको बाहर निकालने के लिए डबल इंजन की जरूरत है, डबल इंजन। छोटा इंजन उत्तराखंड की भाजपा की सरकार और बड़ा इंजन दिल्ली में भाजपा की केंद्र सरकार। ये दो इंजन लग जाएंगे, उत्तराखंड का कल्याण हो जाएगा। ये मैं आपको कहने आया हूं।

उत्तराखंड में कोई गांव ऐसा नहीं है, जहां की वीर माताओं ने ऐसे बेटे पैदा न किए हों, जो मां भारती के लिए जीने मरने के लिए हर पल तैयार नहीं रहता हो। मैं उत्तराखंड की उन माताओं को प्रणाम करता हूं, जिन माताओं ने ऐसे वीर बालकों को जन्म दिया, जो आज तक मां भारती की रक्षा करते आए हैं, सदियों से करते हैं। आज भी कहीं सीमा के किसी दुर्गम जगह जाएं, कोई न कोई जवान उत्तराखंड का मिल जाएगा, आपको। वो डटा हुआ है, खड़ा हुआ है।

इसलिए भाइयों बहनों।

ये वीरों की भूमि है, वीर माताओं की भूमि है। ये त्याग, बलिदान की भूमि है और ऐसी भूमि को पूरा हिंदुस्तान नमन करता है भाइयों बहनों। लेकिन मैं तो हैरान हूं। इतने बड़े नेता, पहले केंद्र सरकार में मंत्री थे, तो मंत्री रहते हुए उत्तराखंड का भला करने का टाइम नहीं था। लेकिन उत्तराखंड की सरकार की कुर्सी छीनने के लिए भरपूर टाइम था। वो दिल्ली में रहते थे, लेकिन 24 घंटे यही काम करते रहते थे। आपकी इतनी ताकत थी, अगर आपने एक काम किया होता, एक काम। जिस प्रदेश ने देश को सबसे ज्यादा फौजी दिए हों, जिस प्रदेश ने सबसे ज्यादा रणबांकुरे दिए हों, जिस प्रदेश के लोगों ने देश की हिफाजत के लिए शहादत की हो, कम से कम वन रैंक वन पेंशन, इतना काम तो करवा लेते। दिल्ली सरकार में बैठे थे आप। वन रैंक वन पेंशन के लिए कभी सरकार के सामने, उन्होंने अपन प्रस्ताव तक नहीं रखा। हमने 2014 चुनाव कहा था, यहीं पर जनसभा में मैंने कहा था। हमारी केंद्र में सरकार बनेगी। हम वन रैंक वन पेंशन लागू करेंगे। 30-40 साल से लटका हुआ था मामला। देशभक्ति की बातें करने वाली दिल्ली की कांग्रेस की सरकार हिंदुस्तान की सेना के जवान, निवृत सेना के जवान, सेवारत सेना के जवान, सेना के अफसर, भारत सरकार को लिख-लिखकर थक गए। लेकिन दिल्ली में बैठी हुई कांग्रेस की केंद्र की सरकार, ये मानकर बैठी हुई थी, ये तो डिसीप्लीन फोर्स है, देशभक्ति से भरे हुए लोग हैं, चुनाव आएंगे तो दो भाषण कर देंगे, काम चल जाएगा। 30-40 साल तक यही किया है भाइयों। आपके साथ ठगी की गई। मैंने वादा किया था, आपसे सर झुकाकर के नम्रता के साथ मेरे देश के फौजियों को कहता हूं कि हमने उस काम को पूरा कर दिया है। ये लोग ऐसे थे कि इनको अंदाज भी नहीं था कि वन रैंक वन पेंशन क्या होता है? लागू होता है तो क्या होता है? क्या नियम होते हैं? कितना धन लगता है? कोई हिसाब नहीं था। कोई हिसाब नहीं था। क्योंकि, इन्होंने कभी भी इस मुद्दे के महत्व को समझा ही नहीं। ...और नासमझी का सबूत है। नासमझी का सबूत है कि जब मैंने 2014 के चुनाव में, सितंबर महीने में, रेवाड़ी में, हरियाणा में पूर्व सैनिकों के सम्मेलन में घोषणा की थी। सितंबर 2013 में, जब मैंने घोषणा जब की हमारी सरकार जब आएगी तो वन रैंक वन पेंशन लागू करेगी। ...तो सोई हुई कांग्रेस जागी। उनको लगा अगर ये फौजी सारे मोदी के साथ चले गए तो कांग्रेस का कुछ बचेगा नहीं। ...तो फौजियों की आंख में धूल झोंकने के लिए, कोई स्टडी किए बिना, इश्यू क्या है, समझे बिना, इस समस्या के समाधान के लिए कितना धन चाहिए, इसका विचार किए बिना, उन्होंने एक टुकड़ा फेंक दिया। उन्होंने बजट में कह दिया कि ओआरओपी के लिए 500 करोड़ रुपया दे देंगे। इसके बाद उनके नेता फौजियों का सम्मेलन करने लग गए। 5-15 लोग को बुलाते थे, फोटो निकालते थे और बताते थे ओआरओपी के लिए 500 करोड़ लगा दिया। 500 करोड़ लगा दिया। जब मैं आया तो मैंने एक कमिटी बिठाई। मैंने कहा कि मुझे ये वादा पूरा करना है भाई, लाओ डिटेल। मैं हैरान था। कोई होमवर्क नहीं था। ...और जब हिसाब लगाया तो 500 करोड़ से बात बनने वाली नहीं थी। जब हमने हिसाब लगाया तो मामला पहुंचा 12,000 करोड़ रुपया, 12 हजार। फौजियों के घरों में 12 हजार करोड़ रुपया देना था। कहां 500 करोड़ के झूठे वादे और कहां 12 हजार करोड़ की जिम्मेदारी। मैंने फौज के लोगों को बुलाया। उनसे कहा देखो भाई मेरे दिल में आपके लिए एक विशेष स्थान है। मुझे आपके लिए कुछ करना है। लेकिन आपने मेरी मदद करनी पड़ेगी। फौजी लोग थे। वे अपनी परवाह ज्यादा करते नहीं हैं, वे देश की परवाह ज्यादा करते हैं। औरों की परवाह करते हैं। मेरा वाक्य पूरा होने से पहले, फौज के लोगों ने मुझे कह दिया, मोदी जी। आप ऐसा कहके हमें शर्मिंदा मत कीजिए। आप कहिए जान की बाजी लगाने के लिए तैयार हैं। मैंने कहा, जान की बाजी लगाने के लिए नहीं बुलाया है। इसके लिए किसी के आदेश जरूरत नहीं है। वो तो जिस दिन आपने मां का दूध पिया है, उसी दिन देश के लिए जीने का संकल्प लेकर आप चल पड़े हैं। इस कार्य में मोदी कुछ नहीं, जरूरत नहीं है मोदी की। आप तो वीर हैं। मैंने कहा, मदद कुछ और चाहिए। मैंने कहा, कांग्रेस के लोगों ने तो आपको धोखा दिया है। आपको मूर्ख बनाया। 500 करोड़ की बातें करते थे, कोई कहता था 1000 करोड़ होगा, 12 सौ करोड़ होगा, लेकिन हिसाब लगाया तो 12 हजार करोड़ हो रहा है। अब सरकार में, मैं नया-नया आया हूं। अभी तो पुराने गड्ढे भरने में लगा हूं। अचानक 12 हजार करोड़ निकालूंगा तो मेरे देश के गरीबों के लिए मुझे जो करना है, वो नहीं कर पाउंगा। इसे करने में थोड़ा विलंब हो जाएगा। तो उन्होंने कहा, बताइये मोदी जी क्या करें। मैंने कहा, मुझे एक मदद कीजिए। ये बारह हजार करोड़ एकमुश्त देने के बजाय मैं उसको तीन हिस्से में दूंगा। एक हिस्सा अभी दूंगा, एक छह-आठ महीने बाद दूंगा और तीसरा हिस्सा एक साल के बाद दूंगा।

भाइयों बहनों।

मैं सेना के जवानों के सामने सर झुकाता हूं। एक मिनट नहीं लगाया, एक मिनट नहीं लगाया। मेरी बात मान ली। ...और आज 12 हजार करोड़ में छह हजार करोड़ उनके घर पहुंचा दिया और छह हजार करोड़ आने वाले दिनों में पहुंचा दिया जाएगा। ये काम होता है। वादा करते हैं तो ऐसे करते हैं।

भाइयों बहनों।

आप मुझे बताइए। अगर जंगल कट जाएंगे तो ये मेरा देवभूमि बचेगी क्या ...? आप मुझे बताइए। ये देवभूमि बचेगी क्या ...? बचेगी क्या ...? यहां का हर पेड़ एक-एक ऋषि है कि नहीं है ...? लेकिन आप जानते हैं कि यहां की सरकारों में बैठे हुए लोगों की जंगल काटने वालों के बीच मिलीभगत कैसी है?

भाइयों बहनों।

11 मार्च को चुनाव का नतीजा आएगा। उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बनेगी। ये लूट चलाने वाले, ये जंगलों को बेचने वाले, मैं आपको विश्वास देता हूं, भाजपा की उत्तराखंड की नई सरकार एक-एक का हिसाब पूरा करेगी। कानून, कानून का काम करके रहेगा। कोई भी कितना बड़ा क्यों न होगा, उसको कानून के दायरे को स्वीकार करना पड़ेगा। ये हमारी सरकार करके रहेगी।

भाइयों बहनों।

इनको न देश की सुरक्षा की परवाह है, न इनको देश की सेना के त्याग-तपस्या की चिंता है। हमारे देश की सेना पराक्रमी है, पुरुषार्थी है, जब सर्जिकल स्ट्राइक हुआ। सीमा पार करके, उनके घर में जाकर के, अंधेरी रात में, मेरे देश के फौजियों ने उनको दिन में तारे दिखा दिए। पूरे विश्व में जो मिलिट्री ऑपरेशन की स्टडी कर रहे हैं, विश्व के सभी देशों के लिए एक अजूबा था और हिंदुस्तान के फौजियों के किए हुए सर्जिकल स्ट्राइक दुनिया भर के लिए एक महान पराक्रमी घटना के रूप में अंकित हो गई। लेकिन इनको पीड़ा इस बात की रही। ये हुआ कैसे? पता क्यों नहीं चला? हम तो चिल्ला रहे थे कि मोदी कुछ करता नहीं है।

भाइयों बहनों।

मुझे बताइए। सर्जिकल स्ट्राइक करने से पहले मुझे मीटिंग बुलानी चाहिए क्या ...? ऑल पार्टी कॉन्फ्रेंस करनी चाहिए थी क्या ...? इनको मुझे पूछना चाहिए कि बांयी ओर जाऊं या दायीं ओर जाऊं।

भाइयों बहनों।

ऐसे निर्णय, ऐसे नहीं होते हैं। फौज पर भरोसा रखना होता है। उनको इतना ही कहना होता है - आप हैं, हिंदुस्तान है, दुश्मनों का मैदान है, जज्बा है, खेल आपके हाथ में है। ...और वो करके दिखाते हैं। कहना नहीं पड़ता है जी। सिर्फ रोक हटानी पड़ती है। मुझे खुशी है कि 100 में से 100 मार्क्स के साथ, हमारी फौज ने कमाल कर के दिखाया। दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिये। आतंकवादियों के कैंप नष्ट-पस्त कर दिए। दूसरे दिन इंडियन एक्स्प्रेस नाम के अखबार ने छापा था कि सुबह-सुबह पाकिस्तान की ट्रकें आई और ट्रकों में भर-भर करके डेथ बॉडी ले गए। मैं हैरान हूं। मेरे देश की सेना ने इतना बड़ा पराक्रम किया, लेकिन 24 घंटे राजनीति करने वाले लोग, राष्ट्रनीति को समझ नहीं पाते हैं। सुबह जैसे ही, उनको पता चला, फौज के बड़े अफसर ने घोषणा की कि हमने ऐसा-ऐसा किया तो इनके पेट में चूहे दौड़ने लगे। परेशान हो गए सर्जिकल स्ट्राइक। उनका पहला सवाल क्या था? हिंदुस्तान के कितने जवान मरे। आपको शर्म आनी चाहिए। ये हमारे जिंदादिल जवान हैं। मारकर के आना कोई गुनाह नहीं होता, गर्व होता है। फिर कहने लगे पाकिस्तान, अब पाकिस्तान ये कहेगा कि कोई आया था, मुझे मारकर गया। कोई मुझे बता दे। ऐसा कहेगा क्या? वो तो यही कहेगा न। यहां के लोग कहने लगे कि पाकिस्तान तो मना कर रहा है। आप कैसे कह रहे हैं? बताओ भाई। क्या पाकिस्तान के स्पोक्समैन यहां बैठे हैं क्या? देश के जवानों ने सर्जिकल स्ट्राइक किया और आपने उस पर सवालिया निशान लगाया। आपने देश के फौजियों का अपमान किया है। देश के सेना का अपमान किया है। आपने उन वीर माताओं का अपमान किया है, जिन्होंने ऐसे वीर जवानों को जन्म दिया है। उन वीर माताओं का अपमान किया है।

भाइयों बहनों।

इन लोगों को ..., आप मुझे बताइए। जब उत्तराखंड में बाढ़ आई। गुजरात से जो कर सकता था, मैंने किया। मैं गुजरात का सीएम था, दौड़कर आया था। ...और मुझे खुशी है कि उत्तराखंड के दूर से आए परिवार वाले भी कहते थे कि हमें ये सामान नहीं चाहिए। गुजरात से आया है ना, वो चाहिए। ये लोग कहते थे। जब ईमानदारी हो, सेवा का भाव हो तो कैसा परिणाम आता है, क्योंकि मुझे सेवा करने का सौभाग्य मिला था। अभी चार दिन पहले भूकंप आया।

भाइयो बहनों।

रात एक बजे तक पीएमओ के मेरे अफसर हर किसी से बात कर रहे हैं, हर इलाके में बात करते रहे। रातों रात इस प्रकार के राहत के काम करने वाली टुकड़ियों को हमने रवाना कर दिया।

भाइयों बहनों।



कभी भी हमारे देश में संकट होता है तो इतनी तेजी से कोई दौड़ता नहीं है। और उत्तराखंड में जब केदारनाथ की घटना हुई थी तो तब कांग्रेस के नेता विदेशों में मौज कर रहे थे। ये प्रदेश भूल नहीं सकता है और सवाल हमें पूछ रहे हो। अभी भी, मैं कांग्रेस के लोगों को कहता हूं। जबान संभाल के रखो वर्ना मेरे पास आपकी पूरी जन्मपत्री पड़ी हुई है। मैं विवेक और मर्यादाओं को छोड़ना नहीं चाहता हूं। लेकिन अगर आप विवेक मर्यादाएं छोड़कर के अनाप-शनाप बातें करोगे तो आपको। आपको अपना इतिहास कभी छोड़ेगा नहीं। आपके कुकर्म आपको छोड़ेंगे नहीं। आपके पाप आपको छोड़ेंगे नहीं।

भाइयों बहनों।

उत्तराखंड का विकास, यहां की पानी, यहां की बिजली, हिंदुस्तान की प्यास भी बुझा सकती है, हिंदुस्तान का अंधेरा भी मिटा सकती है। ये ताकत मेरे उत्तराखंड में है। जो राज्य हिंदुस्तान का अंधेरा मिटा सकता है, उस राज्य को अंधेरे में आपने डूबो कर रखा हुआ है। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है?

...इसलिए मेरे भाइयों बहनों।

हम विकास के लिए वोट चाहते हैं। विनाश का रास्ता बंद होना चाहिए। विकास के मार्ग पर चलना होगा जी। आप स्थिर और मजबूत सरकार दीजिये। भारतीय जनता पार्टी की सरकार दीजिये। मैं केंद्र में बैठा हूं। ये 16 से 21 साल की आपकी उम्र, ये देवभूमि की 16 से 21 साल, ये सरकार का ऐसा तबका है, नया बना हुआ उत्तराखंड है। 16 से 21 साल की उमर है, उत्तराखंड के लिए नजाकत भरा समय है। उसके सही परवरिश का समय है। उस परवरिश का दायित्व लेने के लिए आया हूं। ऐसी टीम बिठाउंगा जो उत्तराखंड को उसके सपनों के अनुरूप बनाकर रहेगा और मेरी पूरी निगरानी रहेगी। ये मैं आपको वादा करने आया हूं।

भाइयों बहनों।

आज दुनिया में टूरिज्म, सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाला उद्योग है। दुनिया भर से टूरिस्ट हमें मिलें। कुछ लोगों ने ऐसा झूठ चलाया, ऐसा झूठ चलाया, आठ नवंबर को रात आठ बजे, जब मोदी कह रहा था मेरे प्यारे देशवासियो। अभी भी कुछ लोग हैं, जो सो नहीं पाए हैं। बहुत परेशान हैं। क्योंकि उनका सारा काला कारोबार, अब कागज की लकीरों में फिट हो चुका है। बैंकों में अंकित हो चुका है। कहां से आया? कौन लाया? कैसे आया? ये सब कैमरे के सामने आ चुका है। इसलिये ऐसे लोगों को नींद नहीं आती है।

भाइयों बहनों।

इस देश को 70 साल तक लूटा गया है। क्या इस बात से कोई इनकार कर सकता है क्या? लूटा गया है कि नहीं लूटा गया है ...? जिसको जहां पद मिला, उसने पाने की कोशिश की है कि नहीं की है ...। जुल्म करने की कोशिश की है कि नहीं की है ...। किसी दारोगा ने भी मौका मिला है तो छोड़ा है क्या ...?

स्कूल वाले ने भी एडमिशन लेने में किसी को छोड़ा है क्या ...?

भाइयों बहनों।

काले कारोबार की आदत लग गई थी। जरूरतमंद लोगों को लूटने की आदत हो गई थी। मेरी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई है। मेरी कालेधन के खिलाफ लड़ाई है।

...और भाइयों बहनों।

जिन्होंने गरीबों का लूटा है वो मुझे गरीबों को लौटाना है। कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि छोटे-छोटे व्यापारी चोरी करते हैं।

भाइयों बहनों।

हो सकता है कोई छोटा व्यापारी पांच पैसे मुनाफा के बजाय सात पैसे मुनाफा ले लिया होगा। हो सकता है किसी व्यापारी ने सरकार में तीन रुपया देना चाहिए ढाई रुपया दिया होगा। लेकिन उसने अपने पद का उपयोग करते हुए जरूरतमंद का गला घोंटने का काम नहीं किया। लेकिन जो सत्ता में बैठे हैं, कुर्सी पर बैठे हैं, सेवा के लिए आए हैं। उन्होंने गरीब से गरीब को लूटने से बाकी नहीं रखा है। बाबुओं ने, अफसरों ने, सरकारी कुर्सी मिल गई। बस मौका मिला है मारो, ले लो। मेरी लड़ाई उनके खिलाफ है। जिन्होंने पद पर बैठकर के लूटा है, उनके खिलाफ मेरी लड़ाई है। छोटे-छोटे व्यापारियों से मेरी लड़ाई नहीं है। छोटे व्यापारी कानून का पालन करना जानते हैं और कानून का पालन करते भी हैं। ...और गलती हो जाती है तो ठीक करने को भी तैयार होते हैं। लेकिन ये जो पैसे दबोच कर बैठे हैं, उनके पैसे भ्रष्टाचार के पैसे जो काले धन में परिणत हुए हैं। ये भ्रष्टाचार कालेधन की जुगलबंदी को मुझे खत्म करना है। अभी भी परेशान हैं। मोदी ने नोटबंदी की, ...नोटबंदी की। अरे नोटबंदी की है इसलिए कि सत्तर साल से जिन्होंने लूटा है, वो नोट मुझे निकालनी है। और वो मैं निकालकर रहूंगा। मुझे गरीबों के लिए घर बनाने हैं। मुझे किसान के खेत तक पानी पहुंचानी है। मुझे नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने हैं। मुझे माताओं बहनों की शिक्षा की चिंता करनी है।

...और इसलिए भाइयों बहनों।

कड़वे से कड़वे निर्णय मैं करता हूं। अपने लिये नहीं करता हूं, सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिये करता हूं। ...और इसलिए मैं उत्तराखंड की जनता से आज आशीर्वाद मांगने आया हूं। देवभूमि से मैं आशीर्वाद मांगने आया हूं कि भ्रष्टाचार और कालेधन की लड़ाई, उसको खत्म करने का मेरा जो सपना है, सवा सौ करोड़ मेरे देशवासी, जो हर पल मेरे साथ रहे हैं। आगे भी मेरे साथ रहेंगे, ये विश्वास लेकर चला हूं।

भाइयों बहनों।

आप हमें बताइये। हमारे यहां धर्मेंद्र जी प्रधान बैठे हैं। वे हमारे पेट्रोलियम क्षेत्र के मंत्री हैं। आपको याद है। आपको पहले घर में गैस का चूल्हा, गैस का कनेक्शन चाहिए। आपको लगता था कि मिलेगा ...? किसी की पहचान लगती थी कि नहीं लगती थी ...। कालाबाजारी करनी पड़ती थी कि नहीं पड़ती थी ...। बड़े-बड़े लोगों का कुर्ता पकड़कर दौड़ना पड़ता था कि नहीं दौड़ना पड़ता था ...।

भाइयों बहनों।

ऐसा क्या हुआ भाई। 2014 में हमारी सरकार बनी, उससे पहले गैस पाने के लिए तड़पते थे। और हमारी सरकार बनने के बाद, घर-घर जाकरके गरीबों को ढूंढ-ढूंढ करके गैस देना कैसे शुरू हुआ। इतने कम समय में पौने दो करोड़ से ज्यादा लोगों के, गरीबों के घर में गैस का कनेक्शन, गैस का चूल्हा पहुंच गया। अब लकड़ी काटने के लिए जाना नहीं पड़ रहा है। अब जंगल कटते नहीं है। चार सौ सिगरेट का धुआं जो मां के शरीर में जाता था, खाना पकाते समय जाता नहीं  है। मां भी तंदुरुस्त हो रही है। बच्चे भी तंदुरूस्त हो रहे हैं। तेजी से खाना पक रहा है। गरीब का पेट भर रहा है। ऐसे काम होता है। प्रधानमंत्री जनधन अकाउंट, हमने गरीब से गरीब का खाता खोल दिया। अब इनको समझ में आ रहा है कि मोदी दो साल पहले खाते क्यों खुलवा रहा था। अरे मोदी दो साल पहले खाते इसलिए खुलवा रहा था कि बड़े-बड़ों के खातों का हिसाब लेना था और गरीबों के खातों को भरना था।

इसलिए भाइयों बहनों।

अब ढाई साल हो गए तो समझ रहे हैं। कि ये मोदी तो गरीबों के लिए जीता है। ये मोदी गरीबों के लिए जूझता है। ये मोदी गरीबों को ताकतवर बनाने के लिए मैदान में आया है।

भाइयों बहनों।

ये कोई मैं उपकार नहीं कर रहा हूं। मैंने गरीबी देखी है। मैं गरीबी में पैदा हुआ हूं। मैंने गरीबी को जीया है। मैं जानता हूं कि गरीबी क्या होती है। गरीबी के कारण जिंदगी कितनी मुश्किल होती है, वो मैं जीकरके आया हूं। इसलिए ये जिंदगी भी, ये सरकार भी, गरीबों के लिए आहूत करने निकला हूं । मुझे गरीबों का कल्याण करना है।

भाइयों बहनों।

उत्तराखंड में एक मजबूत सरकार बनाइये। उत्तराखंड का भाग्य बदलना है। और उसके लिए मुझे एक साफ सरकार चाहिए। विकास की नई उंचाइयां गढ़नी है। नौजवानों को रोजगार के लिए उत्तराखंड छोड़ना न पड़े, ऐसा उत्तराखंड उद्योगों से भरा-भरा उत्तराखंड मुझे बनाना है। ये काम मुझे करना है। ...और मुझे विश्वास है कि जब देवभूमि से आशीर्वाद मिल गए हैं और इतनी बड़ी तादाद में आप आशीर्वाद देने आए हैं तो मेरा विश्वास है कि उत्तराखंड का भाग्य 11 मार्च के बाद उत्तराखंड की जनता लिख देगी, ये मेरा विश्वास है। और हम आपके साथ होंगे। आपके सपनों को पूरा करूंगा। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। दोनों मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से बोलिये। भारत माता की जय। भारत माता की जय। भारत माता की जय। बहुत बहुत धन्यवाद।

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December 18, 2025

नमस्ते!
अहलन व सहलन !!!

ये युवा जोश आपकी एनर्जी यहां का पूरा atmosphere चार्ज हो गया है। मैं उन सब भाई बहनों को भी नमस्कार करता हूँ, जो जगह की कमी के कारण, इस हॉल में नहीं हैं, और पास के हॉल में स्क्रीन पर यह प्रोग्राम लाइव देख रहें हैं। अब आप कल्पना कर सकते हैं, कि यहाँ तक आएं और अंदर तक नहीं आ पाएं तोह उनके दिल में क्या होता होगा।

साथियों,

मैं मेरे सामने एक मिनी इंडिया देख रहा हूं, मुझे लगता है यहां बहुत सारे मलयाली भी हैं।

सुखम आणो ?

औऱ सिर्फ मलयालम नहीं, यहां तमिल, तेलुगू, कन्नड़ा और गुजराती बोलने वाले बहुत सारे लोग भी हैं।

नलमा?
बागुन्नारा?
चेन्ना-गिद्दिरा?
केम छो?

साथियों,

आज हम एक फैमिली की तरह इकट्ठा हुए हैं। आज हम अपने देश को, अपनी टीम इंडिया को सेलिब्रेट कर रहे हैं।

साथियों,

भारत में हमारी diversity, हमारी संस्कृति का मजबूत आधार है। हमारे लिए हर दिन एक नया रंग लेकर आता है। हर मौसम एक नया उत्सव बन जाता है। हर परंपरा एक नई सोच के साथ आती है।

और यही कारण है कि हम भारतीय कहीं भी जाएं, कहीं भी रहें, हम diversity का सम्मान करते हैं। हम वहां के कल्चर, वहां के नियम-कायदों के साथ घुलमिल जाते हैं। ओमान में भी मैं आज यही होते हुए अपनी आंखों के सामने देख रहा हूं।

यह भारत का डायस्पोरा co-existence का, co-operation का, एक लिविंग Example बना हुआ है।

साथियों,

भारत की इसी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक और अद्भुत सम्मान हाल ही में मिला है। आपको शायद पता होगा, यूनेस्को ने दिवाली को Intangible Cultural Heritage of Humanity में शामिल किया है।

अब दिवाली का दिया हमारे घर को ही नहीं, पूरी दुनिया को रोशन करेगा। यह दुनिया भर में बसे प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का विषय है। दिवाली की यह वैश्विक पहचान हमारी उस रोशनी की मान्यता है, जो आशा, सद्भाव, और मानवता के संदेश को, उस प्रकाश को फैलाती है।

साथियों,

आज हम सब यहां भारत-ओमान "मैत्री पर्व” भी मना रहे हैं।

मैत्री यानि:
M से maritime heritage
A से Aspirations
I से Innovation
T से Trust and technology
R से Respect
I से Inclusive growth

यानि ये "मैत्री पर्व,” हम दोनों देशों की दोस्ती, हमारी शेयर्ड हिस्ट्री, और prosperous future का उत्सव हैं। भारत और ओमान के बीच शताब्दियों से एक आत्मीय और जीवंत नाता रहा है।

Indian Ocean की Monsoon Winds ने दोनों देशों के बीच ट्रेड को दिशा दी है। हमारे पूर्वज लोथल, मांडवी, और तामरालिप्ति जैसे पोर्ट्स से लकड़ी की नाव लेकर मस्कट, सूर, और सलालाह तक आते थे।

और साथियों,

मुझे खुशी है कि मांडवी टू मस्कट के इन ऐतिहासिक संबंधों को हमारी एंबेसी ने एक किताब में भी समेटा है। मैं चाहूंगा कि यहां रहने वाला हर साथी, हर नौजवान इसको पढ़े, और अपने ओमानी दोस्तों को भी ये गिफ्ट करे।

अब आपको लगेगा की स्कूल में भी मास्टरजी होमवर्क देते हैं, और इधर मोदीजी ने भी होमवर्क दे दिया।

साथियों,

ये किताब बताती है कि भारत और ओमान सिर्फ Geography से नहीं, बल्कि Generations से जुड़े हुए हैं। और आप सभी सैकड़ों वर्षों के इन संबंधों के सबसे बड़े Custodians हैं।

साथियों,

मुझे भारत को जानिए क्विज़ में ओमान के participation बारे में भी पता चला है। ओमान से Ten thousand से अधिक लोगों ने इस क्विज में participate किया। ओमान, ग्लोबली फोर्थ पोज़िशन पर रहा है।

लेकिन में तालियां नहीं बजाऊंगा। ओमान तो नंबर एक पे होना चाहिए। मैं चाहूँगा कि ओमान की भागीदारी और अधिक बढ़े, ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग जुड़ें। भारतीय बच्चे तो इसमें भाग ज़रूर लें। आप ओमान के अपने दोस्तों को भी इस क्विज़ का हिस्सा बनने के लिए मोटिवेट करें।

साथियों,

भारत और ओमान के बीच जो रिश्ता ट्रेड से शुरू हुआ था, आज उसको education सशक्त कर रही है। मुझे बताया गया है कि यहां के भारतीय स्कूलों में करीब फोर्टी सिक्स थाउज़ेंड स्टूड़ेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें ओमान में रहने वाले अन्य समुदायों के भी हज़ारों बच्चे शामिल हैं।

ओमान में भारतीय शिक्षा के पचास वर्ष पूरे हो रहे हैं। ये हम दोनों देशों के संबंधों का एक बहुत बड़ा पड़ाव है।

साथियों,

भारतीय स्कूलों की ये सफलता His Majesty the Late सुल्तान क़ाबूस के प्रयासों के बिना संभव नहीं थी। उन्होंने Indian School मस्कत सहित अनेक भारतीय स्कूलों के लिए ज़मीन दी हर ज़रूरी मदद की।

इस परंपरा को His Majesty सुल्तान हैथम ने आगे बढ़ाया।

वे जिस प्रकार यहां भारतीयों का सहयोग करते हैं, संरक्षण देते हैं, इसके लिए मैं उनका विशेष तौर पर आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

आप सभी परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम से भी परिचित हैं। यहां ओमान से काफी सारे बच्चे भी इस प्रोग्राम से जुड़ते हैं। मुझे यकीन है, कि यह चर्चा आपके काम आती होगी, पैरेंट्स हों या स्टूडेंट्स, सभी को stress-free तरीके से exam देने में हमारी बातचीत बहुत मदद करती है।

साथियों,

ओमान में रहने वाले भारतीय अक्सर भारत आते-जाते रहते हैं। आप भारत की हर घटना से अपडेट रहते हैं। आप सभी देख रहे हैं कि आज हमारा भारत कैसे प्रगति की नई गति से आगे बढ़ रहा है। भारत की गति हमारे इरादों में दिख रही है, हमारी परफॉर्मेंस में नज़र आती है।

कुछ दिन पहले ही इकॉनॉमिक ग्रोथ के आंकड़े आए हैं, और आपको पता होगा, भारत की ग्रोथ 8 परसेंट से अधिक रही है। यानि भारत, लगातार दुनिया की Fastest growing major economy बना हुआ है। ये तब हुआ है, जब पूरी दुनिया चुनौतियों से घिरी हुई है। दुनिया की बड़ी-बड़ी economies, कुछ ही परसेंट ग्रोथ अचीव करने के लिए तरस गई हैं। लेकिन भारत लगातार हाई ग्रोथ के पथ पर चल रहा है। ये दिखाता है कि भारत का सामर्थ्य आज क्या है।

साथियों,

भारत आज हर सेक्टर में हर मोर्चे पर अभूतपूर्व गति के साथ काम कर रहा है। मैं आज आपको बीते 11 साल के आंकड़े देता हूं। आपको भी सुनकर गर्व होगा।

यहां क्योंकि बहुत बड़ी संख्या में, स्टूडेंट्स और पेरेंट्स आए हैं, तो शुरुआत मैं शिक्षा और कौशल के सेक्टर से ही बात करुंगा। बीते 11 साल में भारत में हज़ारों नए कॉलेज बनाए गए हैं।

I.I.T’s की संख्या सोलह से बढ़कर तेईस हो चुकी है। 11 वर्ष पहले भारत में 13 IIM थे, आज 21 हैं। इसी तरह AIIMs की बात करुं तो 2014 से पहले सिर्फ 7 एम्स ही बने थे। आज भारत में 22 एम्स हैं।

मेडिकल कॉलेज 400 से भी कम थे, आज भारत में करीब 800 मेडिकल कॉलेज हैं।

साथियों,

आज हम विकसित भारत के लिए अपने एजुकेशन और स्किल इकोसिस्टम को तैयार कर रहे हैं। न्यू एजुकेशन पॉलिसी इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है। इस पॉलिसी के मॉडल के रूप में चौदह हज़ार से अधिक पीएम श्री स्कूल भी खोले जा रहे हैं।

साथियों,

जब स्कूल बढ़ते हैं, कॉलेज बढ़ते हैं, यूनिवर्सिटीज़ बढ़ती हैं तो सिर्फ़ इमारतें नहीं बनतीं देश का भविष्य मज़बूत होता है।

साथियों,

भारत के विकास की स्पीड और स्केल शिक्षा के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी दिखती है। बीते 11 वर्षों में हमारी Solar Energy Installed Capacity 30 गुना बढ़ी है, Solar module manufacturing 10 गुना बढ़ी है, यानि भारत आज ग्रीन ग्रोथ की तरफ तेजी से कदम आगे बढ़ा रहा है।

आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा फिनटेक इकोसिस्टम है। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा Steel Producer है। दूसरा सबसे बड़ा Mobile Manufacturer है।

साथियों,

आज जो भी भारत आता है तो हमारे आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर को देखकर हैरान रह जाता है। ये इसलिए संभव हो पा रहा है क्योंकि बीते 11 वर्षों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर पांच गुना अधिक निवेश किया है।

Airports की संख्या double हो गई है। आज हर रोज, पहले की तुलना में डबल स्पीड से हाइवे बन रहे हैं, तेज़ गति से रेल लाइन बिछ रही हैं, रेलवे का इलेक्ट्रिफिकेशन हो रहा है।

साथियों,

ये आंकड़े सिर्फ उपलब्धियों के ही नहीं हैं। ये विकसित भारत के संकल्प तक पहुंचने वाली सीढ़ियां हैं। 21वीं सदी का भारत बड़े फैसले लेता है। तेज़ी से निर्णय लेता है, बड़े लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ता है, और एक तय टाइमलाइन पर रिजल्ट लाकर ही दम लेता है।

साथियों,

मैं आपको गर्व की एक और बात बताता हूं। आज भारत, दुनिया का सबसे बड़ा digital public infrastructure बना रहा है।

भारत का UPI यानि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, दुनिया का सबसे बड़ा रियल टाइम डिजिटल पेमेंट सिस्टम है। आपको ये बताने के लिए कि इस पेमेंट सिस्टम का स्केल क्या है, मैं एक छोटा सा Example देता हूं।

मुझे यहाँ आ कर के करीब 30 मिनट्स हुए हैं। इन 30 मिनट में भारत में यूपीआई से फोर्टीन मिलियन रियल टाइम डिजिटल पेमेंट्स हुए हैं। इन ट्रांजैक्शन्स की टोटल वैल्यू, ट्वेंटी बिलियन रुपीज़ से ज्यादा है। भारत में बड़े से बड़े शोरूम से लेकर एक छोटे से वेंडर तक सब इस पेमेंट सिस्टम से जुड़े हुए हैं।

साथियों,

यहां इतने सारे स्टूडेंट्स हैं। मैं आपको एक और दिलचस्प उदाहरण दूंगा। भारत ने डिजीलॉकर की आधुनिक व्यवस्था बनाई है। भारत में बोर्ड के एग्ज़ाम होते हैं, तो मार्कशीट सीधे बच्चों के डिजीलॉकर अकाउंट में आती है। जन्म से लेकर बुढ़ापे तक, जो भी डॉक्युमेंट सरकार जेनरेट करती है, वो डिजीलॉकर में रखा जा सकता है। ऐसे बहुत सारे डिजिटल सिस्टम आज भारत में ease of living सुनिश्चित कर रहे हैं।

साथियों,

भारत के चंद्रयान का कमाल भी आप सभी ने देखा है। भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है, जो मून के साउथ पोल तक पहुंचा है, सिर्फ इतना ही नहीं, हमने एक बार में 104 सैटेलाइट्स को एक साथ लॉन्च करने का कीर्तिमान भी बनाया है।

अब भारत अपने गगनयान से पहला ह्युमेन स्पेस मिशन भी भेजने जा रहा है। और वो समय भी दूर नहीं जब अंतरिक्ष में भारत का अपना खुद का स्पेस स्टेशन भी होगा।

साथियों,

भारत का स्पेस प्रोग्राम सिर्फ अपने तक सीमित नहीं है, हम ओमान की स्पेस एस्पिरेशन्स को भी सपोर्ट कर रहे हैं। 6-7 साल पहले हमने space cooperation को लेकर एक समझौता किया था। मुझे बताते हुए खुशी है कि, ISRO ने India–Oman Space Portal विकसित किया है। अब हमारा प्रयास है कि ओमान के युवाओं को भी इस स्पेस पार्टनरशिप का लाभ मिले।

मैं यहां बैठे स्टूडेंट्स को एक और जानकारी दूंगा। इसरो, "YUVIKA” नाम से एक स्पेशल प्रोग्राम चलाता है। इसमें भारत के हज़ारों स्टूडेंट्स space science से जुड़े हैं। अब हमारा प्रयास है कि इस प्रोग्राम में ओमानी स्टूडेंट्स को भी मौका मिले।

मैं चाहूंगा कि ओमान के कुछ स्टूडेंट्स, बैंगलुरु में ISRO के सेंटर में आएं, वहां कुछ समय गुज़ारें। ये ओमान के युवाओं की स्पेस एस्पिरेशन्स को नई बुलंदी देने की बेहतरीन शुरुआत हो सकती है।

साथियों,

आज भारत, अपनी समस्याओं के सोल्यूशन्स तो खोज ही रहा है ये सॉल्यूशन्स दुनिया के करोड़ों लोगों का जीवन कैसे बेहतर बना सकते हैं इस पर भी काम कर रहा है।

software development से लेकर payroll management तक, data analysis से लेकर customer support तक अनेक global brands भारत के टैलेंट की ताकत से आगे बढ़ रहे हैं।

दशकों से भारत IT और IT-enabled services का global powerhouse रहा है। अब हम manufacturing को IT की ताक़त के साथ जोड़ रहे हैं। और इसके पीछे की सोच वसुधैव कुटुंबकम से ही प्रेरित है। यानि Make in India, Make for the World.

साथियों,

वैक्सीन्स हों या जेनरिक medicines, दुनिया हमें फार्मेसी of the World कहती है। यानि भारत के affordable और क्वालिटी हेल्थकेयर सोल्यूशन्स दुनिया के करोड़ों लोगों का जीवन बचा रहे हैं।

कोविड के दौरान भारत ने करीब 30 करोड़ vaccines दुनिया को भेजी थीं। मुझे संतोष है कि करीब, one hundred thousand मेड इन इंडिया कोविड वैक्सीन्स ओमान के लोगों के काम आ सकीं।

और साथियों,

याद कीजिए, ये काम भारत ने तब किया, जब हर कोई अपने बारे में सोच रहा था। तब हम दुनिया की चिंता करते थे। भारत ने अपने 140 करोड़ नागरिकों को भी रिकॉर्ड टाइम में वैक्सीन्स लगाईं, और दुनिया की ज़रूरतें भी पूरी कीं।

ये भारत का मॉडल है, ऐसा मॉडल, जो twenty first century की दुनिया को नई उम्मीद देता है। इसलिए आज जब भारत मेड इन इंडिया Chips बना रहा है, AI, क्वांटम कंप्यूटिंग और ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर मिशन मोड पर काम कर रहा है, तब दुनिया के अन्य देशों में भी उम्मीद जगती है, कि भारत की सफलता से उन्हें भी सहयोग मिलेगा।

साथियों,

आप यहां ओमान में पढ़ाई कर रहे हैं, यहां काम कर रहे हैं। आने वाले समय में आप ओमान के विकास में, भारत के विकास में बहुत बड़ी भूमिका निभाएंगे। आप दुनिया को लीडरशिप देने वाली पीढ़ी हैं।

ओमान में रहने वाले भारतीयों को असुविधा न हो, इसके लिए यहां की सरकार हर संभव सहयोग दे रही है।

भारत सरकार भी आपकी सुविधा का पूरा ध्यान रख रही है। पूरे ओमान में 11 काउंसलर सर्विस सेंटर्स खोले हैं।

साथियों,

बीते दशक में जितने भी वैश्विक संकट आए हैं, उनमें हमारी सरकार ने तेज़ी से भारतीयों की मदद की है। दुनिया में जहां भी भारतीय रहते हैं, हमारी सरकार कदम-कदम पर उनके साथ है। इसके लिए Indian Community Welfare Fund, मदद पोर्टल, और प्रवासी भारतीय बीमा योजना जैसे प्रयास किए गए हैं।

साथियों,

भारत के लिए ये पूरा क्षेत्र बहुत ही स्पेशल है, और ओमान हमारे लिए और भी विशेष है। मुझे खुशी है कि भारत-ओमान का रिश्ता अब skill development, digital learning, student exchange और entrepreneurship तक पहुंच रहा है।

मुझे विश्वास है आपके बीच से ऐसे young innovators निकलेंगे जो आने वाले वर्षों में India–Oman relationship को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। अभी यहां भारतीय स्कूलों ने अपने 50 साल celebrate किए हैं। अब हमें अगले 50 साल के लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ना है। इसलिए मैं हर youth से कहना चाहूंगा :

Dream big.
Learn deeply.
Innovate boldly.

क्योंकि आपका future सिर्फ आपका नहीं है, बल्कि पूरी मानवता का भविष्य है।

आप सभी को एक बार फिर उज्जवल भविष्य की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद!
Thank you!