चीन में रहने वाले मेरे सभी मित्रों को मेरा नमस्कार!

नी हाओ!

आज "Visit India Year 2015" के अवसर पर Video के माध्यम से आपको संबोधित करते हुए मुझे बहुत ही ख़ुशी हो रही है।

भारत और चीन के रिश्तों की डोर कुछ ऐसी है, जो हजारों वर्षों से हमें अटूट बंधन में बांधे हुए है। हम दोनों की विरासत प्राचीन सभ्यता हैं, जिनके बीच गहरे संबंध भी हैं।

चीन के साथ मेरा निजी रूप से भी एक विशेष नाता है; मैं उसे बहुत गहरा रिश्ता समझता हूँ।

मेरा जन्म जहाँ हुआ, वो गुजरात प्रदेश का एक छोटा सा गांव वडनगर; वो वह स्थान है जहाँ चीन के प्रसिद्द यात्री, शुआन जांग जब भारत आये थे, तो मेरे गांव भी आये थे। और कहते हैं कि बहुत लम्बे अरसे तक वो मेरे गांव में रहे थे।

और जब भारत से वापस जा कर चीन में शुआन जांग के शिआन क्षेत्र गए थे, और जब मुझे इस बात की जानकारी हुई तो मुझे बड़ा आनंद हुआ कि वो राष्ट्रपति शी जिनपिंग जी का क्षेत्र है। ये भी एक बड़ा विशेष प्रकार का संकेत मैं समझता हूँ।

ये सब सिर्फ इतिहास की बातें नहीं हैं। वर्तमान में भी हम उसी अटूट डोर से बंधे हैं।

राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब पिछले साल भारत आये, तो सबसे पहले उनसे, मैं गुजरात में ही मिला था।

मैं स्वयं भी चीन की यात्रा कर चुका हूं। आपके देश में मेरा अनुभव बहुत ही अच्छा रहा। किताबों में चीन के बारे में बहुत कुछ पढ़ा था, लेकिन चीन जा कर जो अनुभव मैंने पाया, वो अद्वितीय था। जब भी मैं चीन गया, मेरी हमेशा मन में एक कसक रह जाती थी कि काश मेरे पास ज्यादा समय होता तो मैं चीन के हर क्षेत्र में जाता, हर इलाके में जाता, अधिकतम लोगों से मिलता, बहुत कुछ देखता।

हमारी पुरातन सभ्यताओं ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है। आने वाली सदी Asia की होगी। इस सदी में हमें एक बार फिर दुनिया को बहुत कुछ देना है, बहुत कुछ बताना है।

इसके लिए ज़रूरी है कि हम एक दूसरे को देखें, जाने, और समझें। और यह तब होगा जब हम, एक दूसरे के यहाँ और बड़ी संख्या में आएँ-जाएँ... People to People Exchange।

मैंने और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पिछले साल ये फैसला लिया था कि 2015 चीन में "Visit India Year" होगा और 2016 भारत में "Visit China Year" होगा।

इस साल आप भारत आइए, और शुआन जांग और फ़ा शिएन के कदमों में चलने का अनुभव कीजिये।

बोधगया, सारनाथ, नालंदा और कुशीनगर जैसे अनगिनित स्थान हैं; आप इतिहास के पन्ने पलटिये।

योग की जन्मभूमि भारत में गंगा नदी के किनारे कुछ आसन लगाइए।

भारत की संस्कृति, विविधता और सौन्दर्य को अनुभव कीजिये।

"अतिथि देवो भवः" - भारत में अतिथि को भगवान् का रूप माना जाता है।

Incredible India के Incredible आदर सत्कार का अनुभव करने के लिए मैं आपको भारत आने का आमंत्रण देता हूं।

अंत में, सभी चीन वासियों को मैं नव वर्ष की शुभकामनाएं देना चाहता हूँ।

चु चुंगो रेनमीन यांग निएन हाओ।

शै शै!

धन्यवाद!

Explore More
140 crore Indians have taken a collective resolve to build a Viksit Bharat: PM Modi on Independence Day

Popular Speeches

140 crore Indians have taken a collective resolve to build a Viksit Bharat: PM Modi on Independence Day
India's financial ecosystem booms, to become $1 trillion digital economy by 2028

Media Coverage

India's financial ecosystem booms, to become $1 trillion digital economy by 2028
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Swachhata is a lifelong commitment: PM Modi
October 02, 2024
“First steps towards cleanliness taken with Swachh Bharat Abhiyan with separate toilets built for girls in schools”
“PM Sukanya Samruddhi account can be opened for girls as soon as they are born”
“Create awareness about ills of plastic in your community”
“Gandhiji chose cleanliness over freedom as he valued cleanliness more than everything”
“Every citizen should pledge to keep their surroundings clean as a matter of habit and not because it’s a program”

प्रधानमंत्री: स्वच्छता से क्या-क्या फायदे होते हैं?

विद्यार्थी: सर हमें कोई बीमारी नहीं हो सकती उससे, हमेशा हम साफ रहेंगे सर, और हमारा देश अगर साफ रहेगा तो और सबको ज्ञान मिलेगा कि यह जगह साफ रखना है।

प्रधानमंत्री: शौचालय अगर नहीं होता है तो क्या होता है?

विद्यार्थी: सर बीमारियां फैलती हैं।

प्रधानमंत्री: बीमारियां फैलती है...देखिए पहले का समय जब शौचालय नहीं था, 100 में से 60, जिनके घर में शौचालय नहीं था, टॉयलेट नहीं था। तो खुले में जाते थे और सारी बीमारियों का कारण वो बन जाता था I और उसमें सबसे ज्यादा कष्ट माताओं-बहनों को होता था, बेटियों को होता था। जब से हमने यह स्वच्छ भारत अभियान चलाया तो स्कूलों में टॉयलेट बनाएं सबसे पहले, बच्चियों के लिए अलग बनाएं और उसका यह परिणाम हुआ कि आज बच्चियों का ड्रॉप आउट रेट बहुत कम हुआ है, बच्चियां स्कूल में पढ़ रही हैं। तो स्वच्छता का फायदा हुआ कि नहीं हुआ।

विद्यार्थी: Yes Sir.

प्रधानमंत्री: आज किस-किस का जन्म जयंती है?

विद्यार्थी: गांधी जी की और लाल बहादुर शास्त्री जी की।

प्रधानमंत्री: अच्छा आप में से कोई योग करते हैं...अरे वाह इतने सारे। आसन से क्या फायदा होता है?

विद्यार्थी: सर हमारी बॉडी में फ्लैक्सिबिलिटी आ जाती है।

प्रधानमंत्री: फ्लैक्सिबिलिटी और?

विद्यार्थी: सर उससे डिसीज भी कम होता है सर, ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है बहुत।

प्रधानमंत्री: अच्छा आप लोग कभी घर में ये एक कौन सी चीजें खाना पसंद करेंगे। मम्मी बोलती होगी कि सब्जी खाओ, दूध पियो तो कौन-कौन लोग है झगड़ा करते हैं।

विद्यार्थी: सारी सब्जी खाते हैं।

प्रधानमंत्री: सब सारी सब्जी खाते हैं, करेला भी खाती हो।

विद्यार्थी: करेले को छोड़के।

प्रधानमंत्री: अच्छा करेले को छोड़कर।

प्रधानमंत्री: आपको मालूम है सुकन्या समृद्धि योजना क्या है?

विद्यार्थी: Yes Sir.

प्रधानमंत्री: क्या है?

विद्यार्थी: सर आपके द्वारा यह खोली गई एक स्कीम है जो बहुत सारी फीमेल बच्चियों को भी फायदा दे रही है। तो जब हम बर्थ लेते हैं और 10 साल तक हम इसे खोल सकते हैं, तो सर जब हम 18 प्लस के हो जाते हैं तो हमारी पढ़ाई में ये बहुत ज्यादा हेल्प करती है। कोई फाइनेंशली प्रॉब्लम ना हो तो इसमें हम इससे पैसा निकाल सकते हैं।

प्रधानमंत्री: देखिए बेटी का जन्म होते ही सुकन्या समृद्धि का अकाउंट खोला जा सकता है। साल में उस बेटी के मां-बाप एक हजार रूपये बैंक में डालते रहे, साल का एक हजार मतलब महीने का 80-90 रूपया। मान लीजिए 18 साल के बाद उसको कोई अच्छी पढ़ाई के लिए पैसे चाहिए तो उसमें से आधे पैसे ले सकती हैं। और मान लीजिए 21 साल में शादी हो रही है उसके लिए पैसे निकालने हैं, अगर एक हजार रूपया रखें तो उस समय जब निकालेंगे तो करीब-करीब 50 हजार रूपया मिलता है, करीब-करीब 30-35 हजार रुपए ब्याज का मिलता है। और सामान्य दर पर जो ब्याज होता है ना, की बेटियों को ज्यादा ब्याज दिया जाता है बैंक से 8.2 परसेंट।

विद्यार्थी: यह नक्शा लगा रखा है कि स्कूल को हमें साफ करना चाहिए और इसमें बच्चों को साफ करते दिखाया गया है कि बच्चे साफ कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री: एक दिन मैं गुजरात में था। एक स्कूल के टीचर थे, उन्होंने बड़ा अद्भुत काम किया। एक वो इलाका था जहां समुद्र का तट था, पानी खारा था, जमीन भी ऐसी थी, कोई पेड़-पौधे नहीं होते थे। हरियाली की बिल्कुल तृप्ति नहीं थी। तो उन्होंने क्या किया बच्चों को कहा, सबको उन्होंने बोतल दिया बिसलेरी का खाली बोतल, ये तो तेल के कैन आते हैं खाली वो धो करके, साफ करके सब बच्चों को दिया, और कहा कि घर में मां जब खाना खाने के बाद बर्तन साफ करें, तो खाने के बर्तन पानी से जब धोती हैं, वो पानी इकट्ठा करें, और वो पानी इस बोतल में भरके हर दिन स्कूल ले आओ। और हर एक को कह दिया कि ये पेड़ तुम्हारा। अपने घर से जो बोतल में वो अपने किचन का पानी लाएगा वो उसमें डालना होगा पेड़ में। अब मैं जब 5-6 साल के बाद वो स्कूल गया...पूरा स्कूल उससे भी ज्यादा।

विद्यार्थी: ये ड्राई वेस्ट है I अगर इसमें हम सूखा कूड़ा डालेंगे और इसमें गीला कूड़ा डालेंगे, तो ऐसा जगह करेंगे तो खाद बनती है।

प्रधानमंत्री: तो ये करते हैं आप लोग घर में ये?

प्रधानमंत्री: मां तो सब्जी लेने जा रही है और खाली हाथ जा रही है, फिर प्लास्टिक में लेकर आती है तो आप सभी मां से झगड़ा करते हैं कि मम्मा घर से थैला लेकर जाओ, ये प्लास्टिक क्यों लाती हो, गंदगी घर में क्यों लाती हो, ऐसा बताते हैं...नहीं बताते हैं।

विद्यार्थी: सर कपड़े के थैले।

प्रधानमंत्री: बताते हैं?

विद्यार्थी: Yes Sir.

प्रधानमंत्री : अच्छा।

प्रधानमंत्री: यह क्या है? गांधी जी का चश्मा और गांधी जी देखते हैं क्या? कि स्वच्छता कर रहे हो कि नहीं कर रहे हो। आपको याद रहेगा क्योंकि गांधी जी जीवन भर स्वच्छता के लिए काम करते थे। गांधी जी हर बार देख रहे हैं कि स्वच्छता कौन करता, कौन नहीं करता है। क्योंकि गांधी जी जीवन भर स्वच्छता के लिए काम करते थे...पता है ना, वो कहते थे कि मेरे लिए आजादी और स्वच्छता दोनों में से अगर कोई एक चीज पसंद करनी है तो मैं स्वच्छता पसंद करूंगा। यानी वो आजादी से भी ज्यादा स्वच्छता को महत्मय देते थे। अब बताइए हमारे स्वच्छता के अभियान को आगे बढ़ना चाहिए कि नहीं बढ़ना चाहिए?

विद्यार्थी: सर बढ़ाना चाहिए।

प्रधानमंत्री: अच्छा आपको लगता है कि स्वच्छता ये कार्यक्रम होना चाहिए कि स्वच्छता ये आदत होनी चाहिए।

विद्यार्थी: आदत होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री: शाबाश। लोगों को क्या लगता है कि ये स्वच्छता तो मोदी जी का कार्यक्रम है। लेकिन हकीकत ये है कि स्वच्छता एक दिन का काम नहीं है, स्वच्छता एक व्यक्ति का काम नहीं है, स्वच्छता एक परिवार का काम नहीं है। ये जीवन भर, 365 दिन और जितने साल जिंदा रहे, हर दिन करने का काम है। और उसके लिए क्या चाहिए? मन में एक मंत्र चाहिए अगर देश का हर नागरिक तय कर ले कि मैं गंदगी नहीं करूंगा, तो क्या होगा?

विद्यार्थी: तो स्वच्छता का स्थापन होगा।

प्रधानमंत्री: बताइए। तो अब आदत क्या डालनी है। मैं गंदगी नहीं करूंगा, पहली आदत ये है। पक्का।

विद्यार्थी: Yes Sir.