भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!
जय हिंद! जय हिंद! जय हिंद!
अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान के. टी. परनायक जी, राज्य के लोकप्रिय युवा मुख्यमंत्री पेमा खांडू जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी किरेन रिजिजू, राज्य सरकार के मंत्रीगण, संसद में मेरे साथी नाबम रेबिया जी, तापिर गाओ जी, सभी विधायक साथी, अन्य जनप्रतिनिधिगण, अरुणाचल के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों!
बॉम-येरुंग, बॉम-येरुंग दोनी पोलो! सर्वशक्तिमान दोनी पोलो हम सबको आशीर्वाद दें!

साथियों,
हैलीपैड से यहां इस मैदान तक आना, रास्ते में इतने सारे लोगों से मिलना, बच्चों के हाथों में तिरंगा, बेटे-बेटियों के हाथों में तिरंगा, अरुणाचल का ये आदर-सत्कार, गौरव से भर देता है। और ये स्वागत इतना जबरदस्त था कि मुझे पहुंचने में भी देरी हो गई, और इसलिए भी मैं आप सबकी क्षमा मांगता हूं। अरुणाचल की ये भूमि, उगते सूर्य की धरती के साथ ही देशभक्ति के उफान की भी धरती है। जैसे तिरंगे का पहला रंग केसरिया है, वैसे ही अरुणाचल का पहला रंग केसरिया है। यहां का हर व्यक्ति शौर्य का प्रतीक है, सादगी का प्रतीक है। और इसलिए अरूणाचल तो मैं कई बार आया हूं, राजनीति में सत्ता के गलियारों में नहीं था, तब भी आया हूं, और इसलिए यहां की ढ़ेर सारी यादें मेरे साथ जुड़ी हुई हैं, और उसका स्मरण भी मुझे बहुत अच्छा लगता है। आप सभी के साथ बिताया हर पल मेरे लिए यादगार होता है। आप जितना प्यार मुझे देते हैं, मैं समझता हूं जीवन में इससे बड़ा कोई सौभाग्य नहीं होता है। तवांग मठ से लेकर नमसाई के स्वर्ण पगोडा तक अरुणाचल शांति और संस्कृति का संगम है। मां भारती का गौरव है, मैं इस पुण्य भूमि को श्रद्धापूर्वक प्रणाम करता हूं।
साथियों,
मेरा यहां आज अरुणाचल आना तीन-तीन वजहों से बहुत विशेष हो गया है। पहला तो ये कि आज नवरात्रि के पहले दिन मुझे ऐसे सुंदर पर्वतों के दर्शन करने का सौभाग्य मिला। नवरात्रि में आज के दिन हम मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं और शैलपुत्री वो पर्वतराज हिमालय की ही बेटी हैं। दूसरी वजह ये कि आज से देश में नेक्स्ट जेनरेशन GST रिफॉर्म्स लागू हुए हैं, GST बचत उत्सव की शुरुआत हुई है। त्योहारों के इस मौसम में जनता-जनार्दन को ये डबल बोनान्जा मिला है। और तीसरी वजह है, आज के इस पावन दिन अरुणाचल में विकास के ये ढेर सारे नए प्रोजेक्ट्स। आज अरुणाचल प्रदेश को पावर, कनेक्टिविटी, टूरिज्म और हेल्थ सहित अनेक सेक्टर्स से जुड़े प्रोजेक्ट्स मिले हैं। ये बीजेपी की डबल इंजन सरकार के डबल बेनिफिट का बेहतरीन उदाहरण है। मैं अरुणाचल वासियों को इन प्रोजेक्ट्स की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। यहां मंच पर आने से पहले मुझे यहां छोटे-मोटे सब व्यापारियों से बातचीत करने का अवसर मिला, उनकी दुकानों में उनके प्रोडक्ट्स देखने का अवसर मिला, और उससे भी ज्यादा मैंने उनके उत्साह को अनुभव किया, उनके उमंग को अनुभव किया। और ये बचत उत्सव, मैं देख रहा था कि वहां व्यापारियों में, भिन्न-भिन्न भांति की चीजों का निर्माण करने वालों में, और आज जनता-जनार्दन के इतने विशाल रूप में, मुझे साफ-साफ नजर आ रहा है।

साथियों,
हमारे अरुणाचल प्रदेश में वैसे तो सूर्य की किरण सबसे पहले आती है, लेकिन दुर्भाग्य से यहां तेज़ विकास की किरणें पहुंचते-पहुंचते कई दशक लग गए। मैं 2014 से पहले भी यहां कई बार आया हूं, आपके बीच रहा हूं, अरुणाचल को प्रकृति ने इतना कुछ दिया है, ये धरती, यहां के परिश्रमी लोग, यहां का सामर्थ्य, यहां इतना कुछ है, लेकिन तब जो लोग दिल्ली में बैठकर देश चलाते थे, उन्होंने अरुणाचल को हमेशा नजरअंदाज किया। कांग्रेस जैसे दल सोचते थे कि अरुणाचल में इतने कम लोग हैं, लोकसभा की दो ही सीटें हैं, तो क्यों अरुणाचल पर ध्यान दिया जाए? कांग्रेस की इस सोच का अरुणाचल को, पूरे नॉर्थ ईस्ट को बहुत नुकसान हुआ। हमारा पूरा नॉर्थ ईस्ट विकास में बहुत पीछे छूट गया।
साथियों,
आपने जब 2014 में मुझे देश की सेवा का अवसर दिया, तो मैंने कांग्रेसी सोच से देश को मुक्ति दिलाने की ठान ली। हमारी प्रेरणा, किसी राज्य में वोटों और सीटों की संख्या नहीं, नेशन फर्स्ट की भावना है, देश पहले। हमारा एक ही मंत्र है- नागरिक देवो भव:। जिनको कभी किसी ने नहीं पूछा, उसको मोदी पूजता है। इसलिए, जिस नॉर्थ ईस्ट को कांग्रेस के समय में भुला दिया गया था, वो साल 2014 के बाद, विकास की प्राथमिकताओं का केंद्र बन गया है। हमने पूरे नॉर्थ ईस्ट के विकास के लिए बजट कई गुना बढ़ाया, हमने लास्ट माइल कनेक्टिविटी और लास्ट माइल डिलीवरी को अपनी सरकार की पहचान बनाया, औऱ इतना ही नहीं, हमने ये पक्का किया कि सरकार दिल्ली में बैठकर नहीं चलेगी। अफसरों को, मंत्रियों को ज्यादा से ज्यादा नॉर्थ ईस्ट आना होगा, यहां रात्रि मुकाम करना होगा।
साथियों,
कांग्रेस सरकार के समय में 2-3 महीने में एक-आध बार कोई मंत्री नॉर्थ ईस्ट आता था। बीजेपी सरकार में अब तक 800 से ज्यादा बार केंद्रीय मंत्री नॉर्थ ईस्ट आ चुके हैं। और ऐसा नहीं है कि सिर्फ आए और चले गए। हमारे मंत्री आते हैं, तो प्रयास रहता है कि वो दूर-दराज के क्षेत्रों में जाएं, जिलों में जाएं, ब्लॉक में जाए, इतना ही नहीं, कम से कम एक रात रूक करके जाएं। मैं खुद ही प्रधानमंत्री के तौर पर 70 से ज्यादा बार नॉर्थ ईस्ट आया हूं। अभी पिछले हफ्ते ही मैं मिजोरम, मणिपुर और असम गया था, और रात गुवाहाटी में रुका था। नॉर्थ ईस्ट मुझे दिल से पसंद है। और इसलिए हमने दिल की दूरी भी मिटाई है, दिल्ली को आपके पास लेकर के आए हैं।
साथियों,
हम नॉर्थ ईस्ट के आठों राज्यों को अष्टलक्ष्मी के रूप में पूजते हैं। इसलिए इस क्षेत्र को विकास में पीछे नहीं देख सकते। यहां विकास के लिए केंद्र सरकार ज्यादा से ज्यादा पैसे खर्च कर रही है। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। आपमें से कुछ लोगों को पता होगा, देश में जो टैक्स इकट्ठा होता है, उसका एक हिस्सा राज्यों को मिलता है। जब कांग्रेस की सरकार थी, तो दस साल में अरुणाचल प्रदेश को सेंट्रल टैक्स में से सिर्फ छह हज़ार करोड़ रुपए ही मिले थे। जबकि हमारी बीजेपी सरकार के दस सालों में, अरुणाचल को एक लाख करोड़ रुपए से अधिक मिल चुके हैं। यानि बीजेपी की सरकार ने अरुणाचल को 16 गुना ज्यादा पैसा दिया है। और ये सिर्फ टैक्स का हिस्सा है। इसके अलावा, यहां अलग-अलग स्कीम्स के तहत जो भारत सरकार खर्च कर रही है, जो बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स यहां बन रहे हैं, वो तो अलग ही है। इसलिए, आज आप अरुणाचल में इतना व्यापक, इतना तेज विकास होते देख रहे हैं।

साथियों,
जब नेक नीयत से काम होता है, जब प्रयासों में ईमानदारी होती है, तो उसके नतीजे भी दिखते हैं। आज हमारा नॉर्थ ईस्ट देश के विकास की ड्राइविंग फोर्स बन रहा है। और बहुत बड़ा फोकस यहां सुशासन पर है, Good Governance पर है। हमारी सरकार के लिए नागरिकों के हितों से बड़ा कुछ भी नहीं। आपका जीवन आसान बने, और आसान बने इसलिए Ease of Living, आपको आने-जाने में मुश्किलें ना हों, इसलिए Ease of Travel, आपको इलाज में परेशानी ना हो, इसलिए Ease of Medical Treatment, आपके बच्चों को पढ़ाई में दिक्कत ना हो, इसलिए Ease of Education, आपको व्यापार-कारोबार में परेशानी ना हो, इसलिए Ease of Doing Business, इन सारे लक्ष्यों को लेकर यहां डबल इंजन की बीजेपी सरकार काम कर रही है। जिन इलाकों में पहले कोई सड़कों की सोच भी नहीं सकता था, आज वहां अच्छे हाईवे बन रहे हैं। सेला टनल जैसा इंफ्रास्ट्रक्चर कुछ साल पहले तक, ये सोचना भी असंभव था, लेकिन आज सेला टनल अरुणाचल की पहचान बन चुकी है।
साथियों,
केंद्र सरकार का प्रयास है कि अरुणाचल सहित नॉर्थ ईस्ट के दूर-दराज के इलाकों में हेलीपोर्ट बनें, इसलिए इन क्षेत्रों को उड़ान स्कीम से जोड़ा गया है। यहां जो होलोंगी एयरपोर्ट है, वहां भी नई टर्मिनल बिल्डिंग बन चुकी है। अब यहां से सीधे दिल्ली को फ्लाइट मिलती है। इससे आम पैसेंजर्स को, स्टूडेंट्स को, टूरिस्ट्स को तो फायदा होता ही है, यहां के किसानों, और छोटे उद्योगों को भी लाभ हो रहा है। यहां से देश के बड़े बाज़ारों तक फल-सब्जियां पहुंचाना, अपनी उपज पहुंचाना, अब और आसान हो गया है।
साथियों,
हम सभी 2047 तक अपने देश को विकसित बनाने के लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं। और भारत तभी विकसित होगा, जब देश का हर राज्य विकसित होगा। भारत तभी विकसित होगा, जब देश का राज्य, राष्ट्र के लक्ष्यों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा। मुझे खुशी है कि देश के बड़े लक्ष्यों को पूरा करने में नॉर्थ ईस्ट बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है, पावर सेक्टर इसका बेहतरीन उदाहरण है। भारत ने 2030 तक 500 गीगावॉट बिजली गैर परंपरागत स्रोतों से पैदा करने का लक्ष्य रखा है। ये लक्ष्य सोलर पावर, विंड एनर्जी, पानी से बिजली बनाकर पूरा किया जाएगा। हमारा अरुणाचल प्रदेश इसमें देश के साथ कदमताल करते हुए चल रहा है। आज जिन दो पावर प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास किया गया है, वो पावर प्रोड्यूसर के रूप में अरुणाचल की स्थिति को और मजबूत करेंगे। इससे अरुणाचल के हज़ारों नौजवानों को नौकरियां मिलेगी, और यहां विकास के कार्यों के लिए सस्ती बिजली भी उपलब्ध होगी। कांग्रेस की एक पुरानी आदत है कि विकास का जो भी काम मुश्किल होता है, उस काम को वो कभी हाथ ही नहीं लगाते, भाग जाते हैं। कांग्रेस की इस आदत का नॉर्थ ईस्ट को, अरुणाचल को भी बहुत नुकसान हुआ। जो मुश्किल इलाके होते थे, जो पहाड़ों में हों, जंगलों के बीच हों, जहां विकास के काम करना चुनौती होता था, उन क्षेत्रों को कांग्रेस पिछड़ा घोषित करके भूल जाती थी। इसमें देश के ट्राइबल इलाके, नॉर्थ ईस्ट के जिले, सबसे अधिक थे। जो बॉर्डर से सटे गांव थे, उनको देश के लास्ट विलेज कहकर कांग्रेस अपना पल्ला झाड़ लेती थी। और ऐसा करके कांग्रेस अपनी नाकामियों को छुपा ले जाती थी। यही कारण है कि आदिवासी क्षेत्रों से, बॉर्डर के एरियाज से लोगों का निरंतर पलायन होता गया।

साथियों,
हमारी सरकार ने, बीजेपी ने इस अप्रोच को भी बदल दिया। जिनको कांग्रेस बैकवर्ड डिस्ट्रिक्ट कहती थी, हमने उनको एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट बनाया और वहां विकास को प्राथमिकता दी गई। बॉर्डर के जिन गांवों को कांग्रेस लास्ट विलेज कहती थी, उनको हमने देश के फर्स्ट विलेज माना। इसके अच्छे परिणाम आज हम देख रहे हैं। आज बॉर्डर के गांवों में विकास की नई रफ्तार देखी जा रही है, वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की सफलता ने लोगों का जीवन आसान बनाया है। अरुणाचल प्रदेश के भी साढ़े चार सौ से अधिक ऐसे border villages में तेजी आई है। वहां रोड, बिजली और इंटरनेट जैसी सुविधाएं पहुंची हैं। पहले बॉर्डर से शहरों की तरफ पलायन होता था, लेकिन अब बॉर्डर के गांव, टूरिज्म के नए केंद्र बन रहे हैं।
साथियों,
अरुणाचल में टूरिज्म के लिए बहुत संभावनाएं हैं। जैसे-जैसे कनेक्टिविटी, नए-नए इलाकों को जोड़ रही है, वैसे-वैसे यहां टूरिज्म बढ़ रहा है। मुझे खुशी है कि बीते दशक में यहां टूरिस्ट्स की संख्या में दोगुनी वृद्धि हुई है। लेकिन अरुणाचल का सामर्थ्य नेचर और कल्चर से जुड़े टूरिज्म से भी कहीं ज्यादा है। आजकल दुनिया में कॉन्फ्रेंस और कन्सर्ट टूरिज्म की भी बहुत बाढ़ आ रही है, बहुत बढ़ रहा है। इसलिए, तवांग में बनने जा रहा आधुनिक कन्वेंशन सेंटर, अरुणाचल के टूरिज्म में एक नया आयाम जोड़ेगा। अरुणाचल को भारत सरकार के वाइब्रेंट विलेज अभियान से भी बहुत मदद मिलेगी। ये अभियान हमारे बॉर्डर किनारे बसे गांवों के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है।
साथियों,
आज अरुणाचल में तेज़ी से विकास इसलिए दिख रहा है, क्योंकि दिल्ली और ईटानगर, दोनों जगह बीजेपी सरकार है। केंद्र और राज्य, दोनों की ऊर्जा विकास में लग रही है। अब जैसे यहां कैंसर इंस्टीट्यूट का काम शुरु हुआ है, यहां मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं, आयुष्मान स्कीम से यहां अनेक साथियों को मुफ्त इलाज मिला है। ये केंद्र और राज्य के डबल इंजन से संभव हो पा रहा है।
साथियों,
डबल इंजन सरकार के प्रयासों से ही अरुणाचल अब कृषि और बागवानी में आगे बढ़ रहा है। यहां के कीवी, संतरे, इलायची, पाइन एप्पल, अरुणाचल को नई पहचान दे रहे हैं। पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा भी यहां के किसानों के बहुत काम आ रहा है।

साथियों,
माताओं-बहनों-बेटियों को सशक्त करना, हमारी बहुत बड़ी प्राथमिकता है। देश में तीन करोड़ लखपति दीदियां बनाना, ये एक बहुत बड़ा मिशन है, लेकिन ये मोदी का मिशन है। मुझे खुशी है कि पेमा खांडू जी और इनकी टीम इस मिशन को भी गति दे रही है। यहां बड़ी संख्या में वर्किंग वूमेन हॉस्टल्स बनाने का जो काम शुरु हुआ है, उससे भी बेटियों को बहुत सुविधा होगी।
साथियों,
यहां बहुत बड़ी संख्या में माताएं-बहनें आई हैं, मैं आपको GST बचत उत्सव की फिर से एक बार बधाई दूंगा। नेक्स्ट जनरेशन GST रिफॉर्म का भी बहुत बड़ा फायदा उन्हें ही मिलने वाला है। आपको अब हर महीने घर के बजट में बहुत राहत मिलने वाली है। किचन का सामान हो, बच्चों की पढ़ाई की चीज़ें हों, जूते-कपड़े हों, अब ये और सस्ते हो गए हैं।
साथियों,
आप साल 2014 के पहले के दिन याद करिए, कितनी सारी परेशानियां थीं। महंगाई आसमान छू रही थी, चारों तरफ महाघोटाले हो रहे थे, और तबकी कांग्रेस सरकार, जनता पर टैक्स का बोझ बढ़ाती ही जा रही थी। उस समय साल में दो लाख रुपए कमाने पर भी इनकम टैक्स लग जाता था, ये मैं 11 साल पहले की बात कर रहा हूं, 2 लाख रूपया अगर कमाया आपने, तो आपको इनकम टैक्स देना पड़ता था। और आम ज़रूरत की कई चीज़ों पर कांग्रेस की सरकार, तीस परसेंट से अधिक टैक्स तक लेती थी, बच्चों की टॉफी पर भी इतना टैक्स लगाया जाता था।

साथियों,
तब मैंने कहा था, मैं आपकी कमाई और आपकी बचत, दोनों को बढ़ाने का काम करुंगा। बीते सालों में देश के सामने अनेक बड़ी-बड़ी चुनौतियां आईं। लेकिन हम इनकम टैक्स घटाते गए, इसी साल हमने अब विचार कीजिए 11 साल पहले 2 लाख, इसी साल हमने 12 लाख रूपये तक की वार्षिक आय पर इनकम टैक्स ज़ीरो कर दिया। और आज से GST को भी हमने सिर्फ दो स्लैब्स तक सीमित कर दिया है, 5 परसेंट और 18 परसेंट। बहुत सारी चीज़ें अब टैक्स फ्री हो गई हैं, बाकी सामान पर भी टैक्स बहुत कम हो गया है। आप आराम से अब अपना नया घर बना सकते हैं, कोई स्कूटर-बाइक खरीदना है, बाहर खाना-पीने के लिए जाना है, कहीं घूमने-फिरने जाना है, ये सब पहले से सस्ते हो गए हैं। ये GST बचत उत्सव आपके लिए बहुत यादगार बनने वाला है।

साथियों,
मैं अरुणाचल प्रदेश की हमेशा इस बात के लिए प्रशंसा करता हूं कि आप सभी नमस्कार से भी पहले जयहिंद कहते हैं, आप वो लोग हैं, जो देश को स्वयं से भी पहले रखते हैं। आज जब हम सब मिलकर विकसित भारत बनाने के लिए इतनी मेहनत कर रहे हैं, तो देश की हमसे भी एक अपेक्षा है। ये अपेक्षा है- आत्मनिर्भरता की। भारत विकसित तभी होगा, जब भारत आत्मनिर्भर होगा। और भारत की आत्मनिर्भरता के लिए जरूरी है- स्वदेशी का मंत्र। आज समय की मांग है, देश की मांग है कि हम स्वदेशी अपनाएं। खरीदें वही, जो देश में बना हो, बेचे वही, जो देश में बना हो, गर्व से कहें- ये स्वदेशी है। मेरे साथ बोलेंगे? आप लोग मेरे साथ बोलेंगे? मैं कहूंगा गर्व से कहें, आप कहें, ये स्वदेशी है- गर्व से कहें- ये स्वदेशी है, गर्व से कहें- ये स्वदेशी है, गर्व से कहें- ये स्वदेशी है। इसी मंत्र पर चलते हुए देश का विकास होगा, अरुणाचल का, नॉर्थ ईस्ट का विकास तेज होगा। एक बार फिर आपको इन विकास परियोजनाओं के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आज नवरात्रि का पावन पर्व भी है, बचत उत्सव भी है, देव उत्सव में शरीख होने के लिए मेरी एक रिक्वेस्ट है आपको, अपना मोबाइल फोन बाहर निकलिए, और मोबाइल फोन का फ्लैशलाइट चालू कीजिए, सब अपने मोबाइल की फ्लैशलाइट चालू करें, सबके मोबाइल की फ्लैशलाइट चालू करिए, और हाथ ऊपर कीजिए सबका, सब अपने मोबाइल की फ्लैशलाइट, ये बचत उत्सव का नजारा है, ये बचत उत्सव की ताकत है, ये नवरात्रि का प्रथम दिन है, देखिए प्रकाश ही प्रकाश है, और अरुणाचल का प्रकाश पूरे देश में फैल जाता है। देखिए, चारों तरफ नजारा देखिए, चारों तरफ नजारा देखिए, रोशनी ही रोशनी चमकते तारों की तरह। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बहुत-बहुत धन्यवाद!


