Text of PM’s historic address to Constituent Assembly of Nepal

Published By : Admin | August 3, 2014 | 12:59 IST

माननीय श्री सुभाष नेंबंग पार्लियमेंट के स्पीकर श्री एवं माननीय सांसदगण और आदरणीय सभागृह ‘मै नेपाल म आउं न पायकोमा अत्यंत ही हर्षित छूं। धैरे-धैरे वर्षगी एक पथिक यातित तीर्थालुको रुकमा मय यहां आएको धीये। यो घनइष्ठ कि एक पतक तपइले नेपाल को भ्रमण करलो भयो भले यो जीवन पर्यंत संबंध मा बदलिन छो। प्रथमतया यश सुंदर देश को स्वाधिको रुकमा मफेरी फरकेल आएको छो। भारत को प्रधानमंत्री को हैसियत मा पुनः आउमो पावदा। वास्तव में मैले भाग्यशाली महसूस करछू। यो यस्तो यात्ताथियो जुनमें प्रधानमंत्री को कार्यालय म प्रवेश घर्लवित्तै की घर्ल चाहन थे, जिनकी हामरो नेपाल संघ को संबंधों मेरो सरकार को उच्चतम प्राथमिकता मदे हो। निमंत्रण अगर नूं भयको म मै सरकार न नेपाल का जनता राई धन्यवाद देना चाहन छो। मै संग मैले 125 करोड़ भारतीय जनता को मया शुभकामना और सदभावना लिए आयो छो।

आप कल्पना कर सकते हैं कि यह पल मेरे लिए कितने गर्व का पल है क्योंकि आपकी संसद में मैं पहला मेहमान हूं जिसको आपने बुलाया है और संबोधन करने का अवसर दिया है। यह सम्मान सिर्फ नरेंद्र मोदी का या भारत के प्रधानमंत्री का नहीं यह सवा सौ करोड़ भारतीयों का सम्मान है। मैं इसके लिए आदरणीय स्पीकर श्री का और आप अभी सभी सदस्यों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। भारत और नेपाल के संबंध उतने ही पुराने हैं, जितने हिमालय और गंगा पुराने हैं। और इसलिए हमारे संबंध कागज की किश्तियों से आगे नहीं बढ़े हैं हमारे संबंध दिलों की दास्तान कहते हैं। जन-जन के मन के प्रतिकोश के रूप में हम एक ही सांस्कृतिक विरासत के धनी हैं।

मैं मूलतः गुजरात का हूं सोमनाथ की भूमि है और सोमनाथ की भूमि से चलकर के मैंने राष्ट्रीय विश्वनाथ का फलक काशी विश्वनाथ की छत्रछाया से मैंने प्रारंभ किया, काशी से किया। और आज पशुपतिनाथ के चरणों में आकर के खड़ा हुआ हूं। यह वो भूमि है जहां किशोरी जी बचपन में खेला करती थी, और आज भी हम जनक का स्मरण करते हैं। यह भूमि है जिसने विश्व को अचंभित कर देने वाले भगवान बुद्ध को जन्म दिया है। ऐसी एक सांस्कृतिक विरासत की धनी है और इसलिए और जब मैं काशी का प्रतिनिधि बन गया तो मेरा तो नेपाल से नाता और जुड़ गया क्योंकि काशी में एक मंदिर है जहां पुजारी नेपाल का होता है और नेपाल में पशुपतिनाथ है जहां का पुजारी हिन्दुस्तान का होता है।

भारत का हर व्यक्ति 51 शक्तिपीठों के दर्शन की कामना करता है उन 51 शक्तिपीठों में दो पीठ नेपाल में हैं। यदि इतना अटूट नाता है हमारा, इतना ही नहीं, हिन्दुस्तान ने वो कोई लड़ाई जीती नहीं है, जिस जीत के साथ किसी नेपाली का रक्त न बहा हो। किसी नेपाली ने शहादत न दो हो। भारत के स्वाभिमान के लिए, भारत की रक्षा के लिए नेपाल का बहादुर मरने-मिटने के लिए कभी पीछे नहीं रहा। भारत के लिए जीने-मरने वाले उन बहादुर नेपालियों को मैं नमन करना चाहता हूं। भारत की सेना के फील्ड मार्शल एक बहुत बढ़िया बात बताते थे, वो कहते थे कि कोई सेना का जवान यह कहे कि मैं मृत्यु से डरता नहीं हूं तो मान लेना कि या तो वो झूठ बोल रहा है या तो वो गुरखा है। अगर गुरखा कहता है कि मैं मौत से नहीं डरता तो इसमें सच्चाई है। यह बात फील्ड मार्शल मानेक शॉ ने कही थी। ऐसी वीरों की भूमि है, सांस्कृतिक धारा है। और आज मैं कह सकता हूं नेपाल के नागरिकों की नहीं लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले पूरे विश्व का ध्यान नेपाल की तरफ केंद्रित हुआ है। और नेपाल की तरफ केंद्रित हुआ है मतलब इस सभागृह में बैठे आप सब पर केंद्रित हुआ है। लोकतंत्र में विश्वास करने वाला पूरा विश्व आज आपकी तरफ देख रहा है। बड़ी आशा भरी नजरों से देख रहा है। आपको लगता होगा कि आप इस सदन में बैठकर के संविधान के निर्माण की चर्चा कर रहे हैं भिन्न भिन्न धाराओं की चर्चा कर रहे हैं, समाज के भिन्न भिन्न वर्गों के हितों की चर्चा कर रहे हैं, इतना नहीं है। संविधान के निर्माता के रूप में आपको यह सौभाग्य मिलना। उस घटना को मैं अगर और तरीके से देखूं तो जिस परंपरा को हम जीते हैं, कभी कुछ ऋषिमुनियों ने वेद निर्माण किए किसी ने उपनिषद निर्माण किए किसी युग में संहिताओं का निर्माण हुआ और जिसके प्रकाश में हजारों साल से हम अपना जीवन निर्वह और आयोजन करते रहते हैं। उसी कड़ी में आधुनिक जीवन में राष्ट्र का संविधान भी एक नई संहिता के रूप में जन्म लेता है। नए युग को दिशा एवं दशा देने का काम संविधान के माध्यम से होता है, जो किसी जमाने में ऋषियों ने वेद के द्वारा, पुराणों के द्वारा, संहिताओं के द्वारा किया था, एक प्रकार से आप नई संहिता लिख रहे हैं। और इसलिए यह सौभाग्य प्राप्त करने वाले आप सबको मैं हृदय से अभिनंदन करना चाहता हूं, बधाई देना चाहता हूं। लेकिन संविधान निर्माण की एक पूर्व शर्त होती है। संविधान के निर्माण के लिए ऋषिमन होना जरूरी होता है। वो मन जो दूर का देख सकता है। वो मन समस्याओं का अंदाज लगा सकता है वो मन आज भी उन शब्दों में अंकित करेगा जो सौ साल के बाद भी समाज को सुरक्षित रखने की समाज की विकास यात्रा को आगे बढ़ाने की कोशिश करेगा।

कितना पवित्र, कितना उम्दा, कितना व्यापक, कितना विशाल काम आप लोगों के पास है और इसलिए आप बहुत भाग्यशाली हैं, मैं आपको नमन करने आया हूं। मैं आपका अभिनंदन करने आया हूं। संविधान, एक किताब नहीं होती है, संविधान कल आज और कल को जोड़ता है। मैं कभी कभी सोचता हूं भारत का संविधान, वो हिमालय को समंदर के साथ जोड़ता है, भारत का संविधान कच्छ के रेगिस्तान को नागालैंड की हरी भरी पर्वतमालाओं के साथ जोड़ता है।

सवा सौ करोड़ नागरिकों के मन को आशाओं को आकांक्षाओं को पल्लवित करता है। आप जिस संविधान का निर्माण करने जा रहे हैं वह सिर्फ, सिर्फ नेपाल के नागरिकों के लिए नहीं बल्कि दुनिया के इतिहास में स्वर्णिम पृष्ठ लिखने जा रहे हो। आपको आश्चर्य होगा कि मोदी जी क्या बता रहे हैं, मैं सच बता रहा हूं। आपका संविधान जो बनेगा वो सिर्फ नेपाल के लिए नहीं विश्व के लिए एक स्वर्णिम पृष्ठ बनेगा क्योंकि इतिहास की धरोहर में देखें तो एक सम्राट अशोक हुआ करते थे, युद्ध के बाद शांति की तलाश में निकले, युद्ध छोड़ बुद्ध की शरण गए और एक नया स्वर्णिम पृष्ठ लिखा गया। मैं उन सबको बधाई देता हूं जिन्होंने बुलेट का रास्ता छोड़कर के बैलेट के रास्ते पर जाने का संकल्प किया नेपाल की धरती पर। मैं उन सबका अभिनंदन करता हूं जो युद्ध से बुद्ध की ओर प्रयाण किया है और इस सदन में आपकी मौजूदगी युद्ध से बुद्ध की तरफ की आपकी यात्रा का अनुमोदन करती है और इसलिए मैं आपको बधाई देने आया हूं।

आप जब संविधान का निर्माण करेंगे वो संविधान, और मुझे विश्वास है कि पीस प्रोसेस धर्म से, एक ऐसा उम्दा संविधान जन्म लेने वाला है जो कोटि-कोटि जनों की आशाओं-आकांक्षाओं की पूर्ति करेगा। लेकिन इससे भी आगे आज दुनिया के हर भूभाग में छोटे मोटे कई गुट ऐसे पैदा हुए हैं, जिनका हिंसा में ही विश्वास है। शस्त्र के माध्यम से ही सुख प्राप्त करने का उनको मार्ग लगता है।

विश्व के सामने नेपाल वो देश बनेगा जब संविधान लेकर आएगा, वो दुनिया को विश्वास दिलाएगा कि शस्त्रों को छोड़कर के शास्त्रों के सहारे भी जीवन को बदला जा सकता है। ये उम्दा काम आप करने वाले हैं। हिंसा में विश्वास करने वाले दुनिया के उन गुटों को यह संदेश जाएगा कि बम, बंदूक और पिस्तौल के माध्यम से भलाई नहीं होती है, संविधान की सीमा में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के द्वारा इच्छित परिणामों को प्राप्त किया जा सकता है। और ऐसा उम्दा काम आपने शुरू किया है और उन लोगों ने इसमें हिस्सेदारी की है, जिन्होंने कभी शस्त्रों में भरोसा किया था। शस्त्रों को छोड़कर के, युद्ध को छोड़कर के बुद्ध के मार्ग पर जाने का रास्ता अपनाया और इसलिए एक ऐसा पवित्र काम आपके माध्यम से हो रहा है इस संविधान सभा के माध्यम से जो इस विश्व के हिंसा में विश्वास करने वाले लोगों को पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करेगा। और आपका प्रयोग अगर सफल रहा तो विश्व को हिंसा की मुक्ति का एक नया मार्ग बुद्ध की इस भूमि से मिलेगा। यह मुझे आपके संविधान में ताकत नजर आ रही है और इसलिए मैं उस रूप में इस संविधान सभा को देख रहा हूं। उस सामर्थ्य के रूप में देख रहा हूं। संविधान किसके लिए है। भारत प्रारंभ से मानता आया है हमारा काम आपके काम में दखल करने का नहीं है, भारत का काम, आप जो संकल्प करें, आप जो दिशा चुनें, उसमें हम अगर काम आ सकते हैं तो काम आना यही हमारा काम है। आपको दिशा देना यही हमारा काम नहीं है। आपको मंजिल पर ले जाना यह हमारा काम नहीं है।

नेपाल एक सार्वभौम राष्ट्र है। हमारी इच्छा इतनी ही है नेपाल जैसा सार्वभौम राष्ट्र, हिमालय जितनी ऊंचाइयों को प्राप्त करे और पूरा विश्व नेपाल को देखकर के गौरवान्वित हो, ऐसा नेपाल देखने की हमारी इच्छा है। और इसलिए आपके पड़ोस में बैठकर और हमारे लोकतंत्र के अनुभव के आधार पर हमें अच्छा लगता है कि आप इस दिशा में जा रहे हैं आनंद होता है। संविधान वो हो जो सर्वजन समावेशक हो। हर नेपाली नागरिक को गरीब हो, अमीर हो, पढ़ा लिखा हो, अनपढ़ हो, गांव में हो शहर में हो, पहाड़ में हो तराई में, हो कहीं पर भी हो, हर नेपाली को संविधान जब आए तो उसे लगना चाहिए कि यह एक ऐसा गुलदस्ता है जिस गुलदस्ते में मेरे भी पुष्प की महक हैं। और संविधान निर्माता ऐसा गुलदस्ता बनाएंगे कि जिसके कारण हर नेपाली को लगेगा हां ऐसा बढ़िया गुलदस्ता आया है, जिसमें मेरे फूल की महक मुझे महसूस हो रही है वो काम आप कर रहे हैं। संविधान वो हो जो सर्वजन हिताय हो, सर्वजन सुखाय हो। किसी एक का भला करने के लिए नहीं। संविधान जनसामान्य की आशा आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए हो। संविधान जोड़ता है, संविधान कभी तोड़ता नहीं है। संविधान विवादों को संवादों की और ले जाने का एक सबल माध्यम होता है और इसलिए चाहे पहाड़ हो तराई हो, संविधान जोड़ने का काम करेगा और अधिक ताकत पैदा करने का काम करेगा। उस दिशा में आप सिद्धि प्राप्त करेंगे ऐसा मेरा पूरा विश्वास है।

संविधान वर्तमान के बोझ से दबा हुआ नहीं होना चाहिए और ऋषि मन का मेरा तात्पर्य यही है, जो वर्तमान से मुक्ति की अनुभूति करता है और जो आने वाले कल को बहुत गहराई से देख सकता है वही ऋषि मन होता है, जो संविधान का निर्माण आने वाली पीढ़ियों के लिए करता है। और यही हमारी सोच होनी चाहिए। संविधान में हजारों चीजें अच्छी होती हैं, लेकिन एक कोमा एक फुलस्टोप कहीं पर भी ऐसा आ गया जो आज तो पता नहीं चले कि कोमा है फुलस्टोप पता नहीं रहे लिख दिया, लेकिन कभी 50 साल के बाद 100 साल के बाद कोमा, फुलस्टोप के तौर पर आया हुआ कोई एक चीज कहीं विष बीच न बन जाए विष बीज को जन्म न दें, जो नेपाल के इन सपनों को रौंद डाले। ऐसी स्थिति कभी आए नहीं, ये बारीकी की चिंता ये संविधान सभा करेगी ऐसा मुझे पूरा विश्वास है। और मैं मानता हूं कि आपने जो काम शुरू किया है वो अपने आप में गौरव का काम है। शस्त्र को छोड़कर के शास्त्रों को स्वीकार करना यही तो बुद्ध की भूमि से निकलने की आवाज है, संदेश है और उस अर्थ में भारत चाहेगा, और जो आप लोगों ने तय किया जो मैंने सुना है और मैं मानता हूं कि बहुत ही उत्तम काम संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र का है। आज उपलब्ध व्यवस्था में उत्तम रास्ता आप सबने चुना है और भारत हमेशा आपके इस संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र की कल्पना का पूरा-पूरा आदर करता है स्वागत करता है। इंतजार यही है कि जितना जल्दी हो। इंतजार इसी बात का है।

नेपाल और भारत के रिश्ते ऐसे हैं कि थोड़ी सी भी हवा इधर उधर हो जाए तो ठंड हमें भी लगती है। अगर सूरज यहां तप जाए तो गर्मी हमें भी लगती है। ऐसा अटूट नाता है। अगर आप चैन से न सोए हों तो हिन्दुस्तान भी चैन से नहीं सो सकता है। नेपाल का कोई मेरा भाई भूखा हो तो भारत कैसे आनंद ले सकता है। कल जब ये कोसी की घटना घटी, समाचार आए। मेरी पूरी सरकार लगी रही। इतना बड़ा हादसा हो गया, क्या हो रहा है इतनी बड़ी चट्टान गिरी है कोसी नदी का पानी रुक नहीं रहा है। पता नहीं क्या हो गया है, कितने लोग खो गए हैं, कितने लोग मारे गए हैं। जितनी चिंता आपको सताती थी, उतनी ही चिंता मुझे भी सताती थी। क्यों, क्योंकि ये कष्ट आपका है तो मेरा भी है। ये आपदा आपकी है तो आपदा मेरी भी है। और हिन्दुस्तान के किसी कौने में जितनी तेजी से मदद पहुंचे, उतनी ही तेजी से मदद पहुंचाने के लिए मैंने दिशा पकड़ी और लोगों को मैंने भेज भी दिया। क्योंकि आप मेरे हैं हमारे हैं। हम और आप अलग हो नहीं सकते। और इसलिए आपके विकास के अंदर भारत आपकी जितनी आशा आकांक्षाएं हैं उसकी पूर्ति के लिए प्रतिबद्ध है।

नेपाल जहां से जन्मे हुए बुद्ध ने मन के अंधेरे को दूर किया था, विचारों का प्रकाश दिया और मानव जाति को एक नई चेतना मिली। यह नेपाल पानी की शक्ति का ऐसा धनी है, जो बिजली के माध्यम से आज भी हिन्दुस्तान का अँधेरा दूर कर सकता है और हम बिजली मुफ्त में नहीं चाहते, हम खरीदना चाहते हैं। हम आपका पानी भी नहीं ले जाना चाहते, आपका पानी और वैसे तो मैं एक बात नहीं जानता कि नेपाल में यह बात किस रूप में देखी जाएगी। पानी और जवानी यह कभी पहाड़ के काम नहीं आते, पानी पहाड़ में रहता नहीं चला जाता है और जवानी भी, पहाड़ में जवानी, थोड़ा सी उम्र बढ़े तो मौका देखते है कि चलो कही चला जाए, बेचारों को वहां रोजी-रोटी नहीं है तो जवानी भी पहाड़ के कम नहीं आती और पानी भी पहाड़ के काम नहीं आता है। लेकिन किसी युग में कहा गया होगा। हमें इस बात को बदलना होगा वो पानी पहाड़ के काम कैसे आये और जवानी पहाड़ को कैसे नई रौनक दे वो नई-नई दिशा में हमको बदलना होगा और इसलिए विकास यही उसके लिए यह मार्ग है।

भारत युवा देश है नेपाल भी युवा देश है। यहां कितने नौजवानों की तादाद है अगर उन नौजवानों के हाथ में अवसर दिया जाए तो नेपाल का कल क्या नेपाल का आज बदलने का सामर्थ्य इन नौजवानों में है वो अवसर कैसे मिलेगा हम प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग करके विकास की एक दिशा तय नहीं करेंगे तो कैसे होगा। भारत इसके लिए आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहता है। निर्णय आप कीजिए आप अपने नेतृत्व का परिचय दीजिए। और अकेले हिन्दुस्तान को बिजली बेचकर भी नेपाल समृद्ध देशों में अपनी जगह बना सकता है। इतनी ताकत आपके पास है। हम इसमें आपके साथ हैं आपकी विकास यात्रा में जुड़ना चाहते हैं। यहां पर ट्रकों के द्वारा ऑयल आता है, युग बदल चुका है, पाइप लाइनों से क्यों न आये हम उस काम को पूरा करेंगे। शिक्षा के क्षेत्र में यहां के नौजवानों भारत आते हैं। भारत सरकार उनकों स्कालरशिप देती है। स्कॉलरशिप पाने वाले नौजवानों की संख्या में मैं बढ़ोत्तरी चाहता हूं । अधिक नौजवानों को अवसर मिले समझ लीजिए कि आज ही घोषणा कर रहा हूं इसका फायदा उठाइए।

जब लक्ष्मण जी मूर्छित हो गये तो हनुमान जी पौधा लेने यहां आये। आज पूरे विश्व में होलिस्टिक हेल्थकेयर की चर्चा चल रही है। हिमालय के गर्भ में जड़ी बूटियां पड़ी हैं। अगर उन जड़ी बूटियों से हम हर्बल मेडिसिन को बढ़ावा दें। क्यों न नेपाल विश्व में सबसे बड़ा हर्बल मेडिसिन का एक्सपोर्टर क्यों ना हो जाए? क्या क्या नहीं है आपके पास। मैं आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने के लिए तैयार हूं।

भारत जो मदद हो सके करने के लिए तैयार है क्योंकि आने वाले दिनों में विकास को किस दिशा में ले जाना आप जानते हैं मैं कुछ नया नहीं कह रहा। टूरिज्म की बात करें तो सवा सौ करोड़ देशवासी आपके पड़ोस में ऐसे हैं जो कभी न कभी पशुपतिनाथ आकर अपना सिर झुकाना चाहते हैं। भगवान बुद्ध के पास आकर शान्ति का संदेश देना चाहते हैं। क्यों ना नेपाल का टूरिज्म उस रूप में विकसित हो कि भारत से बहुत बड़ी मात्रा में टूरिस्ट नेपाल पहुंचें। टूरिज्म एक ऐसा क्षेत्र है कम से कम पूंजी में ज्यादा से ज्यादा रोजगार देने वाला कोई अगर क्षेत्र है तो वह टूरिज्म है। टूरिस्ट आता है तो चना बेचने वाला भी कमाता है और मूंगफली बेचने वाला भी कमाता है, ऑटो रिक्शा वाला भी कमाता है, टैक्सी वाला भी कमाता है और चाय बेचने वाला भी कमाता है। और जब चाय बेचने वाले की बात आती है तो मुझे ज्यादा आनंद आता है। कहने का मतलब यह है कि टूरिज्म के विकास में इतनी संभावनाएं भरी पड़ी हैं। एडवेंचर टूरिज्म के लिए, हिमालय से बढ़कर क्या हो सकता है। नेपाल से बढ़कर कौन सी जगह हो सकती है। पूरे विश्व के नौजवानों को पागल कर दे इतनी ताकत आप की धरती के पास पड़ी है। मैं आपसे आह्वान करता हूं , आइए आगे आइये। पूरे विश्व का एडवेंचर यूथ, जिसका एडवेंचर करने का मिज़ाज है, जिसको पहाड़ों पर जाने की इच्छा रखता है, आप पूरे विश्व के युवाओं को ललकार सकते हैं।

आईए, कितना बड़ अवसर है। हमें संविधान भी निर्माण करना है। हमें नेपाल को नई ऊंचाईयों पर भी ले जाना है और इसके लिए एक पड़ोसी का धर्म हम निभाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मेरे मन में आया कि नेपाल को हिट करें, मैंने सोचा अगर मैं अलग शब्दों का उपयोग करुंगा तो आपको बुरा लग जाएगा ये कौन होता है हिट करने वाला। लेकिन मैं जब हिट करने की बात करता हूं तो मेरे मन में तीन प्रमुख बातें हैं – एचआईटी। एक हाईबेस दूसरा आईबेस और तीसरा ट्रासबेस। नेपाल को भारत जितनी जल्दी ये गिफ्ट दें। आईबेस यानी इनफॉर्मेशन बेस, पूरे विश्व के भीतर नेपाल पीछे नहीं रहना चाहिए। नेपाल भी डिजिटल बनना चाहिए। नेपाल विश्व के साथ जुड्ना चाहिए। आईबेस चाहिए और ट्रांसबेस, ट्रांसमीशन लाईन्स। आज नेपाल को हम जितनी बिजली दे रहे हैं, उसको डबल करने का मेरा इरादा है और इसके लिए जितना जल्दी ट्रांसमीशन लाईन लगाएंगे, अभी हम नेपाल का अंधेरा दूर करेंगे और दशक के बाद, अंधेरा हिन्दुस्तान का नेपाल दूर करेगा, ये हमारा नाता है और इसीलिए मैंने कहा एचआईटी। एच-हाइवेज,आई-इन्फार्मेशन और टी-ट्रासमीशन। ये मैं हिट करना चाहूंगा और आप भी चाहेंगे कि ये हिट जल्दी हो।

मुझे लगता है कि हम जितना जल्दी नेपाल को अपने पास बुला सकें बुला लें पर अभी इसको खिसका कर ले जाने वाला कोई विज्ञान तो अभी आया नहीं है लेकिन अगर महाकाली नदी पर ब्रिज बन जाए तो मेरे और आपके बीच की दूरी बहुत खत्म हो जाएगी। आज एकदम हमारे पास आ जाएंगे। आज हमें घूम घामकर पहुंचना पड़ता है लेकिन महाकाली नदी पर अगर ब्रिज बन गया तो हमारी दूरियां कम हो जाएंगी। हम इस बात पर बल देकर आगे बढ़ना चाहते हैं। उसी प्रकार से सीमा यानी बार्डर जो हैं वो बैरियर नहीं हो सकते, बॉर्डर ब्रिज बनना चाहिए। हम चाहते हैं भारत और नेपाल की सीमाएं इस प्रकार से वाईब्रेंट हो, अच्छेपन की यहां लेनदेन होती रहे ताकि आपका भी विकास हो और भारत के भी आपके साथ जुड़े हुए छोटे-छोटे जो राज्य हैं, उनको भी विकास के अवसर मिलें। एक योजना जिसे मैं प्रधानमंत्री जी को आज बता रहा था। मैंने कहा कि हिमालय पर रिसर्च होना जरूरी है। इतनी बड़ी प्राकृतिक संपदा है। भारत ने उस पर एक काम शुरू किया है, हमने अपने बजट में भी इसकी घोषणा की है। नेपाल भी उसमें आगे बढ़े और हम मिलकर के हिमालय की शक्ति, मानव जाति के कैसे काम आ सकती है, उसके वेज और मीन्स क्या हों, उसके सामर्थ्य को हम पहचाने और मानव जाति के कल्याण की दिशा में हम जरूर काम करें। उसी प्रकार से हम प्रयास करना चाहते हैं।

कभी-कभी मैं हैरान हो जाता हूं कि अमेरिका टेलिफोन करना है तो बड़े सस्ते में हो जाता है लेकिन नेपाल फोन करना है तो बड़ा महंगा पड़ जाता है। हमें समझ नहीं आता कि यह क्या बात है। ऐसा कैसे हो सकता है और नेपाल के लाखों लोग हिन्दुस्तान में रहते हैं अपने परिवार से बात करना चाहते हैं कर नहीं पाते। नमस्ते करके फोन रख देते हैं। मैं यह स्थिति बदलना चाहता हूं। दोनों देशों में ये जो सर्विस प्रोवाइडर हैं उनसे मिलकर के हम भी बात करेंगे आप भी बात कीजिए। यह कनेक्टिविटी ऐसी नहीं होनी चाहिए। बड़े आराम से सहज तरीके से कम खर्चे में बात हो और उसी से तो नाता जुड़ता है। लाइव कम्युनिकेशन जितना बढ़ता है उतना ही नाता बनता है और हम उसको बढ़ावा देना चाहते हैं।

अभी आपने सुना होगा जब मैं, मेरा शपथ समारोह था जब मैं प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने वाला था तो मैंने सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों को निमंत्रित किया था और मैं आभारी हूं आदरणीय प्रधानमंत्री जी का कि बहुत ही कम नोटिस में तो आए और मैं मानता हूं कि सार्क देश मिलकर के गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने का एजेंडा लेकर एक साथ आगे क्यों न बढ़ें। गरीबी के खिलाफ लड़ने में हम दोनों हम सब सभी सार्क देश एक-दूसरे की मदद करें। और उसमें एक काम सार्क देशों को और भारत का दायित्व है हम कोई उपकार नहीं करते, हम मानते हैं कि हमारा दायित्व है कि हमारे-अड़ोस-पड़ोस के हमारे जितने भी छोटे भाई हैं हमारे साथी भाई हैं उनकी विकास यात्रा में हम मदद मुख्य रूप से करें।

और इसलिए अभी-अभी मैंने घोषणा की है कि स्पेस टेक्नोलॉजी का लाभ हमारे सार्क देशों को मिलना चाहिए। और इसलिए भारत की तरफ से एक सार्क सैटेलाइट लॉन्च किया जाएगा। इस सार्क सैटेलाइट का लाभ हैल्थ सेक्टर के लिए, एजुकेशन सेक्टर के लिए स्पेस टेक्नोलॉजी का लाभ सार्क देशों को मिले नेपाल को मिले उस दिशा में हमने कदम उठाना तय किया है। और इसलिए इसका आने वाले दिनों में जरूर लाभ मिलेगा।

उसी प्रकार से मैंने पहले ही कहा कि मल्टीपर्पज प्रोजेक्ट, आपने देखा होगा, हम इतने पास में हैं आपके और हमारे बीच में कोई ज्यादा दूरी नहीं है फिर भी आते-आते 17 साल लग गए। यह अखरता है। मैं आपको वादा करता हूं कि अब ऐसा नहीं होगा। और मैं तो कुछ ही महीनों में वापस आ रहा हूं सार्क समिट के समय। और मैंने उस समय तय किया है कि मैं उस समय जब आउंगा तो राजा जनक को भी नमन करने जाउंगा और भगवान बुद्ध को भी नमन करने जाउंगा। यह खुशी की बात है कि पंचेश्वर प्रोजेक्ट बहुत समय पहले तय हुआ था फिर कितने रूपये की बढ़ गई, लेकिन अब अथॉरिटी का निर्माण दोनों देशों में हुआ है मैं मानता हूं कि एक साल के भीतर-भीतर 5600 मेगावॉट का यह प्रोजेक्ट, काम आरंभ हो जाए तो आप कल्पना कर सकते हैं कि नेपाल की कितनी बड़ी सेवा होगी। आज नेपाल के पास जितनी बिजली है उससे करीब-करीब पाँच गुना बिजली, छोटी बात नहीं है यह। विकास को कितनी नई ऊँचाई मिल सकती है। और उसके लिए भारत बिल्कुल प्रोएक्टिव होकर आपके साथ काम करने के लिए तैयार है। और हम आपको उस दिशा में आगे बढ़ाने के लिए पूरा प्रयास करेंगे।

एक बात मैं और चाहूंगा, जैसा मैंने कहा हर्बल मेडिसिन, एक बहुत बड़ा क्षेत्र है। वैसे भी ऑर्गेनिक फॉर्मिंग पुरी दुनिया के अंदर एक बहुत बड़ा मार्केट खड़ा हुआ है। जो माल रुपये में बिकता है वो अगर ऑर्गेनिक है तो डॉलरों में बिकने लग जाता है।

नेपाल एक ऐसी भूमि है जहां यह संभव है। भारत में सिक्किम एक राज्य, आपके पड़ोस में ही माना जाएगा। सिक्किम ने पूरा ऑर्गेनिक स्टेट बना दिया अपने आपको। और उसके कारण पूरे विश्व में उसका एक नया मार्केट खड़ा हुआ है। अगर नेपाल उस दिशा में जाना चाहता है तो मुझे खुशी होगी आपको मदद करने की, आपके साथ काम करने की। उसी प्रकार से हमने एक प्रयोग शुरू किया है हिन्दुस्तान में सोइल (मृदा) हैल्थ कार्ड का। हम जानते हैं कि भारत और नेपाल में हम नागरिकों के पास भी सोइल हैल्थ कार्ड नहीं है। लेकिन हम स्वाइल हैल्थ कार्ड किसानों को उसकी जमीन की तबीयत कैसी है, कोई बीमारी तो नहीं है, विशेषताएं क्या हैं किस प्रकार के फसल के लिए उपयोगी है। कौन सी दवाइंया वहां डालनी चाहिएं कौन सी दवाएं नहीं डालनी चाहिएं। कितना फर्टिलाइजर लिया जा सकता है ये सारी वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ाया जा सकता है। अगर नेपाल की रुचि होगी तो हम जो सोइल हैल्थ कार्ड के इस काम को जो हिन्दुस्तान में आगे बढ़ा रहे हैं यहां के किसानों को भी अगर उसका लाभ मिलेगा तो कृषि आधुनिक हो, कृषि वैज्ञानिक हो उसमें हम बहुत बड़ी मात्रा में उपयोगी हो सकते हैं। और मैं चाहता हूं कि आने वाले दिनों में आप इसके लिए जरूर ही कुछ न कुछ सोचेंगे।

और मैं मानता हूं। उसी प्रकार से आज जब मैं आपके बीच आया हूं तो मैं आज यह भी आपको घोषणा करके जाना चाहता हूं कि भारत नेपाल को 10,000 करोड़ नेपाली रुपये कंसेसनल लाइन ऑफ क्रेडिट की सहायता देने का हमने निर्णय किया है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस क्रेडिट का उपयोग नेपाल की प्राथमिकता पर होगा। आप इसे हाइड्रो पावर, इंफ्रास्ट्रक्चर इन सारे क्षेत्रों में लगाएं तो यह करीब एक बिलियन डॉलर जैसी अमाउंट मैं आज और पहले इसका जो दिया हुआ है यह इससे अलग है उसको इससे मत जोड़ना वो अलग है, जो दे दिया। यह नया है।

फिर एक बार मैं, आपने मेरा स्वागत किया सम्मान किया इसलिए मैं आपका आभारी हूं। लेकिन मैं फिर से एक बार विश्वास दिलाता हूं कि दुनिया कि नजरें आपकी तरफ हैं। विश्व बड़ी आशा भरी नजरों से आपकी तरफ देख रहा है क्योंकि शस्त्र से मुक्ति का मार्ग, संविधान के माध्यम से आज शस्त्र के रास्ते पर चल पड़े लोगों को वापस लाने का काम आज नेपाल की सफलता से जुड़ा हुआ है। आप सफल हुए तो दुनिया को वापस लौटने का अवसर मिलेगा। शस्त्र छोड़ने की प्रेरणा मिलेगी।

लोकतांत्रिक व्यवस्था से भी जन-मन की आशाओं आकांक्षाओं की पूर्ति का रास्ता खुलेगा, नया विश्वास पैदा होगा। आप संविधान के इस काम को उस रूप में देखें। इसलिए मैं दोबारा इस बात का उल्लेख कर रहा हूं। आपका ऋषि मन 100 साल के बाद नेपाल कैसा होगा, नेपाल के लोग कैसे हों, नेपाल के लोगों को क्या मिले इसका निर्णय आप कर रहे हैं और उस निर्णय में आप सफल होंगे। भगवान बुद्ध की इस भूमि में विचारों की कोई कमी हो नहीं सकती। इरादों की कमी हो नहीं सकती। संकल्पशक्ति की कमी कभी नहीं हो सकती, और इसलिए एक नया इतिहास यहां से रचने जा रहा है। इसको इतना बड़ा लाभ मिलने वाला है। मुझे पूरा विश्वास है कि हम सबको, मैं यही कहूंगा कि हमारे जो संबंध हैं भारत-नेपाल मैत्री यह अमर रहें। भारत-नेपाल मैत्री युग-युग जीवे और यह सार्वभौम राष्ट्र नेपाल हिमालय से भी नई ऊंचाइयों पर ऊपर उठे। इसी शुभकामनाओं के साथ फिर एक बार आपके बीच आने का अवसर मिला बहुत बहुत धन्यवाद।

  • Reena chaurasia August 31, 2024

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We shall work together to shape Cyprus’s “Vision 2035” and our vision of a “Viksit Bharat 2047": PM Modi
June 18, 2025

Your Excellency, Honourable President,
Distinguished delegates from both nations,
Friends from the media,

Namaskar!
Kalimera!

At the very outset, I extend my heartfelt gratitude to the Honourable President for the warm welcome and gracious hospitality. Since the moment I set foot on the soil of Cyprus yesterday, the warmth and affection shown by the President and the people of this country have truly touched my heart.

A short while ago, I was conferred with a prestigious honour by Cyprus. This accolade is not mine alone — it is a tribute to the 140 crore Indians. It symbolises the enduring friendship between India and Cyprus. I express my sincere thanks, once again, for this honour.

Friends,

We attach great importance to our relations with Cyprus. Our shared commitment to values such as democracy and the rule of law forms the strong foundation of our partnership. The friendship between India and Cyprus is not one that has emerged out of circumstances, nor is it confined by borders.

It has withstood the test of time, again and again. In every era, we have upheld the spirit of cooperation, respect and mutual support. We honour each other’s sovereignty and territorial integrity.

Friends,

This visit marks the first by an Indian Prime Minister to Cyprus in over two decades. It presents a golden opportunity to script a new chapter in our bilateral relations. Today, the Honourable President and I held extensive discussions on all aspects of our partnership.

There are many similarities between Cyprus’s “Vision 2035” and our vision of a “Viksit Bharat 2047”. Therefore, we shall work together to shape our shared future. To provide strategic direction to our partnership, we will develop a concrete roadmap for the next five years.

To further strengthen our defence and security cooperation, the bilateral Defence Cooperation Programme will focus on defence industry collaboration. Separate dialogues will be initiated on cyber and maritime security.

We are deeply grateful to Cyprus for its consistent support of Bharat's fight against cross-border terrorism. To combat terrorism, drug trafficking and arms smuggling, a mechanism will be established for real-time information exchange between our respective agencies. We both agree that there is immense potential in enhancing bilateral trade and investment.

Yesterday, during my interaction with the Honourable President, I sensed great enthusiasm and synergy within the business community regarding our economic ties. We are working towards concluding a mutually beneficial India-EU Free Trade Agreement by the end of the year.

This year, the “India-Cyprus-Greece Business and Investment Council” has also been launched. Such initiatives will boost bilateral trade and investment between our countries.

We also held detailed discussions on expanding cooperation in areas such as technology, innovation, health, agriculture, renewable energy, and climate justice. We are encouraged by the growing popularity of yoga and Ayurveda in Cyprus.

Cyprus is a preferred destination for Indian tourists as well. We shall work towards establishing direct air connectivity to facilitate their travel. We have resolved to expedite the finalisation of a Mobility Agreement.

Friends,

Within the European Union, Cyprus is our trusted partner. We extend our best wishes for Cyprus’s upcoming Presidency of the European Union next year. We are confident that, under your leadership, India-EU relations will reach new heights.

Both nations share common views on the need to reform the United Nations to make it more representative. We are grateful to Cyprus for its support of Bharat's bid for permanent membership in the UN Security Council.

We have expressed concern over ongoing conflicts in West Asia and Europe. The adverse impact of these conflicts is not limited to their respective regions alone. We both agree that this is not an era of war.

Dialogue and the restoration of stability are the calls of humanity. We also discussed enhancing connectivity with the Mediterranean region. We concur that the India-Middle East-Europe Economic Corridor will pave the way for peace and prosperity in the region.

Honourable President,

I extend a cordial invitation to you to visit Bharat. I look forward to the opportunity of welcoming you to Bharat at the earliest.

Once again, I sincerely thank you for the exceptional hospitality and honour.