Published By : Admin |
January 25, 2023 | 18:40 IST
Share
“The mantra of Jai Hind inspires one and all”
“Interacting with the youth is always special for me”
“NCC and NSS connect young generation with the national goals and national concerns”
“You are going to be the biggest beneficiary of the ‘Viksit Bharat’ and you carry the biggest responsibility of building it”
“The world sees a new future for itself in India’s achievements”
“The scope of your success widens when your goals are linked with the goals of the country. The world will see your success as India's success”
“India's youth have to tap the unseen possibilities, explore the unimagined solutions”
“You are young, this is time for you to make your future. You are the creator of new thoughts and new standards. You are the trailblazer for New India”
केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे वरिष्ठ साथी, देश के रक्षा मंत्री श्रीमान राजनाथ सिंह जी, DG NCC, शिक्षकगण, अतिथिगण, मेरे आंतरिक मंत्री परिषद के सभी अन्य साथी, अन्य अतिथिगण, गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल हो रहे विभिन्न आर्टिस्ट्स, NCC और NSS के मेरे युवा साथियों!
मैं देख रहा था, आज पहली बार नेताजी की वेशभूषा में इतने सारे बाल अवतार प्रधानमंत्री आवास पर आए हैं। मैं सबसे पहले आप सबको salute करता हूँ। जय हिन्द का मंत्र हर बार हमें प्रेरणा देता है।
साथियों,
बीते कुछ हफ्तों में युवा साथियों से मुझे बार-बार मिलने का अवसर मिला। महीना भर पहले हमने ‘वीर बाल दिवस’ मनाया, हमें वीर साहबज़ादों के शौर्य और बलिदान को नमन करने का अवसर मिला। उसके बाद कर्नाटक में ‘नेशनल यूथ फ़ेस्टिवल’ में शामिल हुआ। उसके दो दिन बाद ही देश के युवा अग्निवीरों से बातचीत हुई। फिर यूपी में खेल महाकुंभ के एक कार्यक्रम में युवा खिलाड़ियों से संवाद हुआ। इसके बाद मुझे आज और संसद में और फिर प्रधानमंत्री निवास पर Know your Leader कार्यक्रम में शामिल देश भर के विद्यार्थियों से मिलने का अवसर मिला। कल ही राष्ट्रीय बाल पुरस्कार जीतने वाले देश के होनहार बच्चों से मुलाकात हुई। आज आप सबसे इस विशेष कार्यक्रम में मुलाक़ात हो रही है। कुछ ही दिन बाद मैं ‘परीक्षा पर चर्चा’ इसके माध्यम से देश भर के लाखों युवाओं, विद्यार्थियों के साथ संवाद करने वाला हूं। हर वर्ष की भांति इस बार भी एनसीसी के कार्यक्रम का हिस्सा बनने का अवसर मुझे मिलने वाला है।
साथियों,
ये युवा संवाद दो कारणों से मेरे लिए विशेष महत्व का होता है। एक तो इसलिए क्योंकि युवाओं में ऊर्जा होती है, ताजगी होती है, जोश होता है, जुनून होता है, नयापन होता है। आपके माध्यम से ये सारी सकारात्मकता मुझे निरंतर प्रेरित करती रहती है, दिन-रात मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित करती है। दूसरा, आप सभी आजादी के इस अमृतकाल में देश की आकांक्षा, देश के सपनों का प्रतिनिधित्व करते हैं। विकसित भारत के सबसे बड़े लाभार्थी भी आप होने वाले हैं और इसके निर्माण की सबसे बड़ी जिम्मेदारी भी आपके ही कंधों पर है। जिस प्रकार अलग-अलग कार्यक्रमों में युवाओं की भागीदारी बढ़ रही है, वो उत्साहित करने वाली है। पराक्रम दिवस पर एक बड़े संदेश के साथ आयोजित प्रतियोगिताओं में आप जैसे बच्चों की भागीदारी इसी का एक उदाहरण है। ऐसे कितने ही आयोजन, अमृत महोत्सव से जुड़े कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं देश में लगातार हो रही हैं। लाखों-करोड़ों युवा इनसे जुड़ रहे हैं। ये कम आयु में देश के लिए बड़े सपनों और समर्पण का प्रतीक है। ये इस बात का सबूत है कि भारत की युवा पीढ़ी देश की जिम्मेदारियों के लिए तैयार भी है, और अपना दायित्व निभाने के लिए तत्पर भी है। मैं इन कविता, ड्राइंग, ड्रेसिंग और essay राइटिंग की इन प्रतियोगिताओं में जीतने वाले आप सभी युवकों को भी बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। हर बार की तरह बड़ी संख्या में हमारे NCC और NSS के कैडेट्स, विभिन्न आर्टिस्ट्स, गणतन्त्र दिवस की परेड में भी शामिल होने जा रहे हैं। आप सबको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।
साथियों,
NCC और NSS ऐसे संगठन हैं, जो युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय लक्ष्यों से, राष्ट्रीय सरोकारों से जोड़ते हैं। कोरोना काल में किस प्रकार NCC और NSS के वॉलंटियर्स ने देश के सामर्थ्य को बढ़ाया, ये पूरे देश ने अनुभव किया है। इसलिए सरकार का भी ये निरंतर प्रयास रहा है कि इन संगठनों को प्रोत्साहित किया जाए, इनका विस्तार किया जाए। अब जैसे हमारे सीमावर्ती और सागर तट पर बसे जिलों में अनेक प्रकार की चुनौतियां आती रहती हैं। इनसे निपटने के लिए भी सरकार आप जैसे युवाओं को तैयार कर रही है। देश के दर्जनों ऐसे जिलों में एनसीसी का विशेष प्रोग्राम चलाया जा रहा है, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के माध्यम से विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है। इससे युवा साथी भविष्य के लिए भी तैयार होंगे और जरूरत पड़ने पर फर्स्ट रिस्पॉन्डर की भूमिका भी निभा सकेंगे। अब तो हम वाइब्रेंट बॉर्डर एरिया प्रोग्राम पर भी काम कर रहे हैं। इसके तहत बॉर्डर के गांवों का विकास किया जा रहा है, वहां हर प्रकार की सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। प्रयास यही है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में युवाओं का सामर्थ्य बढ़े, परिवार अपने गांव की तरफ रहना पसंद करें, वहीं शिक्षा और रोज़गार के बेहतर अवसर बनें।
साथियों,
सरकार के इन प्रयासों के बीच, आपको अपने जीवन में एक बात जरूर काम आएगी। आप जब जीवन में कुछ बेहतर करते हैं, कोई सफलता हासिल करते हैं तो उसके पीछे आपके साथ-साथ आपके माता-पिता, आपके परिवार की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है। उसमें आपके टीचर्स की, स्कूल की, और आपके दोस्तों की भी बड़ी भूमिका होती है। यानी, आपको सबका साथ मिलता है और वही प्रगति का कारण होता है। सबने आपकी क्षमता और फैसलों पर विश्वास किया होगा। सब आपके प्रयास में शामिल हुए होंगे। और आज जब आप गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल हो रहे हैं, इससे आपके परिवार, स्कूल-कॉलेज और इलाके का भी सम्मान बढ़ा है। यानी, हमारी सफलताएं अकेले हमारे प्रयासों से नहीं आतीं। और, हमारी सफलताएं कभी अकेले हमारी नहीं होतीं। यही नज़रिया आपको आपके जीवन में समाज और देश को लेकर भी रखना है। जिस भी क्षेत्र में आपकी रुचि होगी, आपको उसमें आगे बढ़ना है। लेकिन, लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आपको बहुत सारे लोगों को अपने साथ लेना होगा। आपको टीम स्पिरिट से काम करना होगा। इसलिए, जब आप अपने लक्ष्यों को, अपने गोल्स को देश के गोल्स के साथ जोड़कर देखेंगे, तो आपकी सफलता का दायरा विस्तृत हो जाएगा। आपकी सफलता को दुनिया भारत की सफलता के रूप में देखेगी। डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम, होमी जहाँगीर भाभा और डॉ सीवी रमन जैसे वैज्ञानिक हों, या फिर मेजर ध्यानचंद से लेकर आज के बड़े खिलाड़ियों तक, इन्होंने अपने जीवन में जो काम किए, जो मुकाम हासिल किए, पूरा विश्व उन्हें भारत की सफलता के रूप में देखता है। और, उससे भी आगे दुनिया भारत की इन सफलताओं में अपने लिए नए भविष्य को देखती है। यानी, ऐतिहासिक सफलताएँ वो होती हैं, जो पूरी मानवता के विकास की सीढ़ियाँ बन जाएँ। यही सबका प्रयास की भावना की असली ताकत है।
साथियों,
आज आप जिस कालखंड में हैं, उसकी और एक विशेष बात है। आज देश में युवाओं के जितने नए अवसर हैं, वो अभूतपूर्व हैं। आज देश स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया, और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियान चला रहा है। स्पेस सेक्टर से लेकर एनवायरनमेंट और क्लाइमेट से लेकर, उसके साथ जुड़े हुए challenges तक, भारत आज पूरी दुनिया के भविष्य के लिए काम कर रहा है। Artificial intelligence, Machine learning और virtual reality जैसी futuristic fields में देश forefront पर है। स्पोर्ट्स और creativity के लिए भी देश एक अच्छा ecosystem तैयार कर चुका है। आपको इसका हिस्सा बनना है। आपको unseen possibilities को सर्च करना है, untouched areas को explore करना है, और unimagined solutions को खोजना है।
साथियों,
भविष्य के बड़े लक्ष्य और बड़े संकल्प ये हमारे लिए बेहद जरूरी हैं। लेकिन साथ ही, हमें वर्तमान की छोटी बड़ी प्राथमिकताओं को भी उतना ही महत्व देना होगा। इसलिए, मेरा आप सभी से आग्रह होगा, आप देश में हो रहे हर बदलाव से परिचित रहें। देश में जो नए नए अभियान चलाये जा रहे हैं, आप उनमें भागीदारी करें। ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का उदाहरण हमारे सामने है। आप युवाओं को इसे अपने जीवन का मिशन बनाना चाहिए। आपके पास creativity भी है और जोश भी है। आप संकल्प ले सकते हैं हम हमारे दोस्तों की एक टीम बनाकर अपने मोहल्ले को, गाँव-शहर-कस्बे को स्वच्छ बनाने के लिए निरंतर काम करते रहेंगे। जब आप स्वच्छता के लिए बाहर निकलेंगे, तो बड़े लोगों पर उसका ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। इसी तरह, अमृत महोत्सव में आप स्वतन्त्रता सेनानियों से जुड़ी कम से कम एक किताब पढ़ने का संकल्प जरूर लीजिये। आपमें से कई लोग कविता और कहानी लिखेंगे, Vlogging करने जैसे कामों में भी इंटरेस्ट रखते होंगे। आज़ादी की लड़ाई और किसी स्वाधीनता सेनानी के जीवन पर ऐसा कोई creative काम करिए। आप अपने स्कूल को भी इस विषय पर कार्यक्रम और प्रतियोगिता कराने के लिए कह सकते हैं। आप सबके जिलों में 75 अमृत सरोवर भी बनाए जा रहे हैं। आप अपने पड़ोस के अमृत सरोवर में अपने दोस्तों के साथ मिलकर बहुत योगदान दे सकते हैं। जैसे कि, अमृत सरोवर के पास वृक्षारोपण कर सकते हैं। उसके रखरखाव के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए कोई रैली निकाल सकते हैं। देश में चल रहे फिट इंडिया मूवमेंट के बारे भी आपने जरूर सुना होगा। युवाओं के लिए ये बहुत आकर्षित करने वाला अभियान है। आप खुद तो इससे जुड़ें ही, साथ ही अपने घर वालों को भी जरूर जोड़ें। आपके घर में रोज सुबह थोड़ी देर सब लोग मिलकर योग करें, आप ये संस्कृति घर में शुरू कर सकते हैं। आपने सुना होगा, इस साल हमारा भारत G-20 की अध्यक्षता भी कर रहा है। ये भारत के लिए एक बड़ा अवसर है। आप इसके बारे में भी जरूर पढ़ें। स्कूल-कॉलेज में भी इससे जुड़ी चर्चा करें।
साथियों,
इस समय देश अपनी ‘विरासत पर गर्व’ और ‘गुलामी की मानसिकता से मुक्ति’ के संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है। ये संकल्प भी देश के युवाओं के लिए एक ज़िम्मेदारी हैं। हमारी विरासत को भविष्य के लिए सहेजने और संवारने की ज़िम्मेदारी आपकी है। ये काम आप तब कर पाएंगे जब आप देश की विरासत को जानेंगे, समझेंगे। मेरा सुझाव है कि आप जब घूमने जाएं, तो हेरिटेज साइट्स पर भी जरुर जाएँ। उन्हें देखें, जानें। आप युवा हैं, आपके लिए ये भविष्य के विजन के निर्माण का समय है। आप नए विचारों के, नए मापदंडों के निर्माता हैं। आप नए भारत के लिए नए रास्ते बनाने वाले लोग हैं। मुझे विश्वास है, आप हमेशा की तरह देश की अपेक्षाओं और देश की आकांक्षाओं पर खरा उतरेंगे। आप सभी को एक बार फिर बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM Modi
December 06, 2025
Share
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM
आप सभी को नमस्कार।
यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।
साथियों,
इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।
साथियों,
आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
Friends,
आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।
साथियों,
अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।
साथियों,
ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।
साथियों,
भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।
साथियों,
आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।
साथियों,
आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।
साथियों,
भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।
साथियों,
जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।
साथियों,
भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।
साथियों,
Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।
साथियों,
आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।
साथियों,
अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।
साथियों,
गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।
लेकिन साथियों,
आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।
साथियों,
गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।
साथियों,
गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।
साथियों,
शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।
साथियों,
गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।
साथियों,
हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।
साथियों,
पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।
साथियों,
हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।
साथियों,
ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।
साथियों,
हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।
साथियों,
मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।
साथियों,
यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।
साथियों,
पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।
साथियों,
इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।
वैसे साथियों,
अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।
साथियों,
Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।
साथियों,
एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।